अमेरिकी फिस्कल क्लिफ का साया गहराने लगा!भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बजना लगी!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
27 दिसंबर के पहले अमेरिका के फिस्कल क्लिफ पर फैसला होने की उम्मीद खत्म होने से वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। इससे घरेलू बाजार भी अछूते नहीं बच पाए हैं। अमेरिका में वित्तीय संकट गहराते जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बजना लगी है। मालूम हो कि २००८ की वैश्विक मंदी का भारत पर कोई खास असर नहीं हुआ था। पर हालात अब बहुत बदल गये हैं। आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट थम नहीं रही। वित्तीय गाटा और मंहगाई बेलगाम है। कृषि विकासदर और उत्पादन दर में सुधार की गुंजाइस कम है। रोजगार के सृजन के रास्ते भी नहीं खुल रहे हैं। जबकि भारतीय बाजारों के लिए सभी अहम घटनाएं हो चुकी हैं। क्रेडिट पॉलिसी आ चुकी है, गुजरात चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और संसद का शीतकालीन सत्र भी खत्म हो चुका है।पर अमेरिकी फिस्कल क्लिफ का साया गहराने लगा है।इन परिस्थितियों में 2013 के हालात बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं। केंद्र का राजकोषीय घाटा जीडीपी के छह फीसदी के आसपास बना हुआ है और चालू खाते का घाटा भी तीन फीसदी के बराबर। इससे इकोनॉमी में बुनियादी असंतुलन पैदा होने का संकट बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी के दाम में गिरावट आई है इसके बावजूद देश में आम इस्तेमाल की जरूरी चीजों के दाम लगातार ऊंचाई पर हैं।फिस्कल क्लिफ के दबाव से अमेरिकी बाजार का जल्द उबर पाना मुश्किल लग रहा है। दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर बैठने वाले बराक ओबामा की जीत से भले ही भारतीय बाजार झूम उठे।अन्तर्राष्ट्रीय साख-निर्धारण एजेंसी 'स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स' के अनुसार, अगर भारत के विकास की वर्तमान गति बनी रही तो सन् 2013 में भारत की अर्थव्यवस्था का विकास साढ़े छह प्रतिशत तक पहुँच सकता है।वित्त-विशेषज्ञों के अनुसार अगले साल चीन की अर्थव्यवस्था का विकास भी 8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।2012 की तीसरी तिमाही में भारत की विकास-दर 5.3 प्रतिशत रह गई। जबकि पिछले साल की तीसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था ने 6.7 प्रतिशत विकास किया था। विकास की गति में यह कमी कृषि-क्षेत्र और उद्योग-क्षेत्र में दिखने वाले ढीलेपन के कारण सामने आई है।अमरीकी बैंक गोल्डमैन साक्स ने भी यही भविष्यवाणी की है कि भारत की अर्थव्यवस्था सन् 2013 के शुरू में फिर से तीव्र विकास की अपनी पुरानी गति पकड़ सकती है।संयुक्त राष्ट्र ने आगामी दो साल के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कमी की है। साथ ही इसने अमेरिका की राजकोषीय स्थिति और यूरोपीय ऋण संकट के मद्देनजर नई वैश्विक मंदी के प्रति चेतावनी दी है। इसमें यह भी कहा गया कि मुद्रास्फीतिक दबाव और बड़े राजकोषीय घाटे से भारत में नीतिगत प्रोत्साहन देने की संभावना सीमित होगी।एशिया की वृद्धि और चीन व भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावना भी कमजोर हुई है। रपट में कहा गया कि भारत जिसकी वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी वह 2012 के दौरान घटकर 5.5 फीसदी हो जाएगी। भारत की आर्थिक वृद्धि 2013 में बढ़ेगी और इस अवधि में 6.1 फीसदी जबकि 2014 में 6.5 फीसदी वृद्धि दर्ज होगी।
अमेरिकी बजट के मुद्दे पर ग्लोबल बाजारों की गिरावट के बीच निवेशकों ने बिकवाली जारी रखी। इसके चलते दलाल स्ट्रीट शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट का शिकार बनी। इस दिन बंबई शेयर बाजार [बीएसई]] का सेंसेक्स 211.92 अंक यानी 1.09 फीसद गिरकर 19242 पर बंद हुआ। एक दिन पहले भी यह 22 अंक फिसला था। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज [एनएसई] का निफ्टी भी 68.70 अंक यानी 1.16 फीसद लुढ़ककर 5847.70 पर बंद हुआ।शेयर निवेशकों में अमेरिकी बजट की राजकोषीय फांस [फिस्कल क्लिफ] को लेकर सहमति की कोई उम्मीद उम्मीद नहीं दिखी, उलटे इसे लेकर उन पर चिंता हावी रही। इसकी वजह से एशियाई और यूरोपीय बाजारों में गिरावट का रुख रहा। दलाल स्ट्रीट भी इसके असर से नहीं बच पाई। इसके अलावा सीबीआइ की ओर से 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में राजग सरकार के दौरान हुईं अनियमितताओं को लेकर एक आरोप पत्र दायर किया है। इसके दायरे में भारती एयरटेल समेत तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियां शामिल हैं।
अमेरिका में फिक्सल क्लिफ को लेकर बातचीत 27 दिसंबर तक अटक गई है। अमेरिकी हाउस स्पीकर ने फिस्कल क्लिफ के प्लान-बी पर वोटिंग खारिज की दी है।प्लान-बी में बुश के जमाने की टैक्स छूट जारी रखने का प्रस्ताव है। रिपब्लिकन पार्टी का अमीरों पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव था।वोटिंग खारिज होने से रिपब्लिकन की स्थिति कमजोर हो गई है। इससे निवशकों को अमेरिका के मंदी में फिसलने का डर सताने लगा है।
तमाम गतिरोध के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को फिस्कल क्लिफ का समाधान निकलने की पूरी उम्मीद है। ओबामा के मुताबिक विपक्ष और सरकार के बीच कुछ अरब डॉलर को लेकर गतिरोध है जिसका हल जल्द निकलेगा।राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फिस्कल क्लिफ को लेकर कोशिशें तेज कर दी हैं। बराक ओबामा ने अमेरिकी संसद से गुहार लगाई है कि फिस्कल क्लिफ पर जल्द फैसला हो नहीं तो 1 जनवरी से सभी लोगों के टैक्स बढ़ जाएंगे।सीएलएसए के क्रिस वुड का मानना है कि अब बाजार की चाल फिस्कल क्लिफ पर हो रही बातचीत के मुताबिक रहेगी और ये मामला आखिरी दौर में सुलझने की उम्मीद है। सीएलएसए ने भारतीय बाजार पर ओवरवेट की रेटिंग कायम रखी है।बराक ओबामा ने कहा है कि क्रिसमस से पहले फिस्कल क्लिफ की चिंताएं दूर होगी। बराक ओबामा का कहना है कि वित्तीय घाटे को संतुलित तरीके से कम करने की योजना पर आने वाले हफ्तों में दोनों पार्टियों में सहमति बन सकती है।
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने शनिवार को कहा कि यूरोपीय स्थिति 2014 के अंत तक कठिन बनी रहेगी जिसके कारण आर्थिक वृद्धि के लिहाज से भारत के लिए 2013 भी मुश्किलों वाला वर्ष साबित होगा।
दिल्ली आर्थिक सम्मेलन के दौरान बसु ने कहा कि भारत के लिए अगला साल भी बेहद कठिन होगा, क्योंकि यूरोपीय स्थिति 2014 के अंत या 2015 के शुरुआत तक बेहद कठिन बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि यूरोप प्रमुख क्षेत्र है, इसीलिए इसका असर भारत पर पड़ना तय है। वृद्धि परिदृश्य कठिन होगा।
हालांकि बसु ने कहा कि अगले 2 साल में भारत 8 से 9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर लेगा। 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट से पहले आर्थिक वृद्धि दर इतनी ही थी।
वर्ष, 2011 में निवेश में गिरावट तो थी ही। 2012 में घरेलू और विदेशी निवेश दोनों में और गिरावट का आलम था। लिहाजा सर्विस सेक्टर, निजी उद्योग, घरेलू मांग, सरकारी मांग और विदेशी कारोबार से रफ्तार हासिल करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को दशक के दौरान सबसे कम ग्रोथ रेट से संतोष करना पड़ा।
वित्त वर्ष 2012 की पहली दो तिमाहियों ने 2011 की गिरावट का ही अनुसरण किया और इस दौरान ग्रोथ रेट सिर्फ 5.5 और 5.3 फीसदी रही। वर्ष, 2012 में अब तक भारतीय अर्थव्यवस्था के तीनों सेक्टरों का प्रदर्शन खराब रहा लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग और खनन का प्रदर्शन खासा निराशाजनक और चिंताजनक रहा। ये सेक्टर श्रम सघन हैं और दूसरे सेक्टरों के ग्रोथ के लिए भी महत्वपूर्ण, इसलिए चिंता लाजिमी है। इसके अलावा व्यापार घाटे में बढ़ोतरी और निवेश की धीमी रफ्तार चिंता की अहम वजह रही हैं। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में घरेलू मांग तो घटी ही है निर्यात दर में भी कमी का सामना करना पड़ा है।
निर्यात की धीमी रफ्तार के लिए भले ही विश्व अर्थव्यवस्था की धीमी रिकवरी एक वजह हो सकती है लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत का निर्यात सबसे कम रहा है। यह इस तथ्य के बावजूद कि रुपये के मूल्य में 25 फीसदी की गिरावट आई है। वित्त वर्ष, 2012 में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी निवेश और विकास की रफ्तार नहीं दिखी। पूरे साल, बिजली की आपूर्ति और मांग में भारी अंतर दिखा। इसमें बड़ी भूमिका कोयला खदान से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले की थी। इससे उत्पादन पर नकारात्मक असर साफ दिखा।
कृषि सेक्टर में देश की कुल श्रम आबादी की 55 फीसदी लगी हुई है। इस सेक्टर का भी प्रदर्शन खराब रहा है। बाद में हुुई मानसून की रिकवरी से भी फायदा नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में 2013 में ज्यादा से ज्यादा उम्मीद छह फीसदी ग्रोथ रेट की ही लगाई जा सकती है। वर्ष, 2012 का खराब पहलू तो यह रहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था न सिर्फ कम निवेश की समस्या से जूझती रही बल्कि कारोबार का माहौल भी इसके पिछले साल से खराब ही रहा।
चार सार्वजनिक कंपनियों में विनिवेश की अनुमति मिली और नया भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित हो गया। ये बड़े आर्थिक सुधार हैं और इससे निवेशकों को यह संदेश देने की कोशिश की गई है देश में कारोबार फिर पटरी पर आ चुका है। इसके अलावा कैबिनेट ने पेंशन और इंश्योरेंस में एफडीआई को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही सब्सिडी में कटौती और राजकोषीय घाटे को कम करने की भी कोशिश जारी है।
साल 2012 निवेशकों के लिए शानदार साबित हुआ है। 2012 में घरेलू बाजार में निवेशकों को 25 फीसदी का रिटर्न मिला है। 2013 आने से पहले निवेशक सोच में हैं कि आगे उन्हें कैसा रिटर्न मिलने वाला है। जानकारों का मानना है कि 2013 में भी अगर कुछ बातें उम्मीद के मुताबिक रहती हैं तो बाजार अच्छा रिटर्न देने में कामयाब रहेंगे।
एडवेंट एडवाइजर्स के एमडी के आर भरत का कहना है कि 2012 में राहत पैकेज जारी हुए जिसके चलते वैश्विक बाजारों में लिक्विडिटी बढ़ी और इससे भारतीय बाजारों में अच्छी बढत देखी गई। 2013 के पहले 3-6 महीने में भी क्यूई3 जारी रहने की उम्मीद बनी हुई है। क्यूई3 जारी रहने से वैश्विक लिक्विडिटी बेहतर रहेगी जिससे सभी ऐसेट क्लास में अच्छे रिटर्न की उम्मीद है।लिक्विडिटी के चलते 2013 के पहले 3-4 महीनों में 10-15 फीसदी के रिटर्न की उम्मीद है। अगर वैश्विक लिक्विडिटी जारी रहती है तो मिडकैप के मुकाबले लार्जकैप में ज्यादा तेजी आ सकती है।
अन्य देशों के मुकाबले भारत में रिफॉर्म के कदम जारी रहते हैं तो यहां विदेशी पैसा आएगा। हालांकि अमेरिकी बाजारों की स्थिति अच्छी रहने से वहां भी एफआईआई निवेश बढ़ेगा।
के आर भरत का मानना है कि अगर रिफॉर्म जारी रहते हैं तो बाजार में 20-25 फीसदी की तेजी भी देखी जा सकती है। देश में वित्तीय घाटा और महंगाई की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार पहल करती है तो अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है। अगर इन समस्याओं से निपटने में सरकार नाकाम रहती है तो रेटिंग एजेंसिया देश की डाउनग्रेडिंग कर सकती हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रिपब्लिकन सांसदों से अपील की कि साल के अंत तक पैदा होने वाले राजकोषीय संकट को टालने के लिए दलगत दृष्टिकोण से उपर उठने की अपील की।
ओबामा ने कहा कि यदि आप राजनैतिक विरोध वापस लेते हैं, यदि आप दलीय रणनीति से उपर उठते हैं तो हम कुछ कर सकते हैं। ओबामा और रिपब्लिकन सांसद के बीच कर वृद्धि और खर्च में कटौती की आखे खड़ी होने वाली स्थिति से निपटने के उपाय पर सहमति की तलाश है। र्थशास्त्रियों का मानना है कि खर्च में कटौती से अर्थव्यवस्था फिर से मंदी के दौर में प्रवेश कर सकती है।
राष्ट्रपति ने इस सप्ताह एक नयी पेशकश की जिसके तहत चार लाख डालर या इससे ज्यादा आय प्राप्त करने वालों पर ज्यादा कर लगाया जाएगा लेकिन प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष जॉन बोनर ने प्रस्ताव किया है कि 10 लाख या इससे ज्यादा कमाने वालों को छोड़कर सब पर मौजूदा दर से कर लगाया जाए।
ओबामा ने कहा कि उन्हें अभी भी समझौते की उम्मीद है। पर उन्होंने हैरानी जताई कि रिपब्लिकन पार्टी के लोग उनके प्रस्ताव को बातचीत का आधार बनाने पर क्यों राजी नहीं हो रहे हैं।
ओबामा ने कल व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा रिपब्लिकन पार्टी के सांसद इसलिए उनके साथ सहयोग नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र में मुश्किल होगी। उन्होंने कहा कि मेरे साथ सहयोग करना उनके लिए संवेदनशील विषय है। मैं इसे स्वीकार करता हूं।
राष्ट्रपति ओबामा ने साफ किया कि वह रिपब्लिकन सांसदों के साथ ऋण सीमा या इसका उपयोग दबाव के तौर पर करने के संबंध में कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने एक स्पष्ट नीति बनाई है कि मैं ऋण की सीमा तय करने के संबंध में कोई समझौता नहीं करूंगा। हम वहीं चीजें नहीं दोहराना चाहते तो 2011 में हुआ था। उन्होंने उस समझौते को अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह बताया। ओबामा ने कहा कि घाटा संतुलित और जिम्मेदाराना तरीके से कम करना महत्वपूर्ण होगा।
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
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Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
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By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
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THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
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अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
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