From: Roma <romasnb@gmail.com>
Date: 2012/12/9
Subject: Invitation Forest Rights Rally – 15th December 2012, Lucknow, UP -
To: National Forum of Forest People and Forest Workers NFFPFW <nffpfw2012@gmail.com>
On the occassion of Human Rights Day
Forest Rights Rally – 15th December 2012, Lucknow, UP
Opposite Vidhan Sabha
Rally to start from Charbagh at 11.00 AM to Vidhan Sabha
Public Meeting on Dharna Sthal – Opp Vidhan Sabha
The momentous Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (recognition of forest rights) Act, popularly called the Forest Rights Act – FRA'06, was passed by the Indian Parliament on the 15th of December 2006. The primary objective of FRA'06 was to eradicate the historical injustice inflicted on millions of forest dwelling communities since colonial days and which continued till the 60th year of our independence. This act gives individual and community rights over the forest and its invaluable resources as well as land rights.
Quite tragically however, even after 6 years of its enactment, the implementation of this historic act remains a non-starter except in certain regions where the movement is strong. As has happened with all progressive acts to empower the marginalized, the government has shown no political spine and will power for effective implementation of FRA'06 to end the historic injustice in the forest areas. In fact, quite on the contrary, the government, under the influence of neoliberalisation policies, has been acting against this Act. The Forest Department and its notorious coterie of officials and mafia are actively involved in creating blockades in the implementation of FRA.
NFFPFW has been active in many states in the implementation process through its constituent groups. It is clear that unless communities and organizations at the grass roots level take initiative no process of implementation can go ahead.
Although in UP some major steps were taken in actualisation of rights as ensured in the act during the period from 2008 – 2011 e.g. recognition of Taungya villages as revenue villages, recognition of village Surma in the core zone of Dudhwa Tiger Project, but the process stagnated afterwards. The new government which came to power with a massive mandate in March 2012 has not taken any steps to further the implementation process
With this realization a massive rally and demonstration will be organized on the 15th of December in Lucknow. Communities across various states of India will participate in this rally. All like minded, fraternal organizations are invited to join this rally. A delegation will meet the Chief Minister or his representative and also meet the speaker of the legislative assembly and would present a charter of demands for effective implementation of the Forest Rights Act.
NFFPFWमानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य मेंवनाधिकार रैली - 15 दिसम्बर 2012, लखनऊ, उत्तरप्रदेशराष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच
विधान सभा के सामने धरना स्थल पररैली चारबाग से विधान सभा की ओर समय 11.00 बजे चलेगीआम सभा - धरना स्थल विधान सभा के सामनेसाथीयों,जैसा कि आपको ज्ञात है कि हमारी देश की संसद नें वनाश्रित समुदायों के लिए सन् 2006 में एक ऐतिहासिक कानून अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत (वनाधिकारों को मान्यता कानून 2006) जिसे वनाधिकार कानून के नाम से भी जाना जाता है को 15 दिसम्बर 2006 में पास किया था। इस कानून की प्रस्तावना में वनाश्रित समुदाय के प्रति उपनिवेशिक काल से हुए ऐतिहासिक अन्याय जो हुआ है और जो आज तक ज़ारी हैं को समाप्त करने की कही गई है। इस ऐतिहासिक कानून में व्यक्तिगत अधिकारों के साथ पहली बार सामुदायिक वनाधिकारों के साथ साथ सामुदायिक वनसंसाधनों पर समुदाय का अधिकार, भूमि अधिकार व महिलाओं पर इन सभी अधिकारों पर बराबर के हक की बात कही गई है।लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस कानून के पारित होने के छह साल बाद भी इस कानून को सरकारों द्वारा प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया है। कानून का क्रियान्वन वहीं सही प्रकार से हो पा रहा है जहां पर जनसंगठन है जो कि इस कानून को लागू करने में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिस तरह से अन्य प्रगतिशील कानूनों के साथ हुआ है वहीं हश्र इस कानून के साथ हो रहा है देखने में आ रहा है कि इस कानून को पास कराने में सरकारों द्वारा किसी भी प्रकार का राजनैतिक इच्छा शक्ति नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में इन वनक्षेत्रों में अभी तक यह ऐतिहासिक अन्याय बादस्तूर ज़ारी है। वहीं पर यह बात बिल्कुल साफ तौर पर सामने आ रही है कि राजसत्ता द्वारा नवउदारवादी नीतियों के तहत इस कानून के खिलाफ कार्य किया जा रहा है। वनविभाग और उसके भ्रष्ट अफसर तंत्र एवं माफियाओं व निहित स्वार्थो द्वारा इस कानून के बारे में लोगों को दिगभ्रमित किया जा रहा है और इस कानून को लागू करने के रास्ते में रोड़े अटकाए जा रहे हैं।राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच वनाधिकार आन्दोलन व वनाधिकार कानून के क्रियान्वन को लेकर विभिन्न राज्यों में सहयोगी संगठनों से साथ काफी सक्रीय रूप से कई वर्षो से काम कर रहा है। यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ रही है कि जब तक समुदाय व जमींनी स्तर के संगठन इस कानून को लागू करने की पहल नहीं करेगें तब तक यह कानून सही रूप से लागू नहीं होगा न इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी।हांलाकि उत्तरप्रदेश में वनाधिकार कानून के तहत कुछ वनाधिकारों को सही रूप से 2008-2011 के दौरान जमींन पर उतारा गया जैसे कि टांगीयां वनग्राम बस्तियों को राजस्व ग्रामों में बदलने की प्रक्रिया, वनग्राम सूरमा को दुधवा टाइगर ज़ोन में राजस्व ग्राम का दर्जा देना व प्रदेश में सोनभद्र जिले में 10 हज़ार परिवारों को मालिकाना हक़ प्रदान करना आदि लेकिन उसके बाद कानून के लागू करने की प्रक्रिया में गतिरोध पैदा हो गया है। सन् 2012 में नई सरकार जो कि भारी बहुमत से जीत कर आई ने इस कानून को लागू करने में किसी भी प्रकार का महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है।इन्हीं सब मुददों के संदर्भ में 15 दिसम्बर 2012 को जिस दिन संसद में वनाधिकार कानून पारित हुआ था उस दिन लखनऊ में वनाधिकार, भूमि अधिकार व महिला हिंसा के सवाल पर मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया है। इस रैली में भाग लेने के लिए कई राज्यों से वनाश्रित समुदाय भाग लेगें जिसमें उल्लेखनीय है उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड़, मध्यप्रदेश, बिहार, झाड़खंड़, उड़ीसा, छतीसगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि। इस कार्यक्रम में सभी सहयोगी संगठनों को भी आंमत्रित किया गया है। इस मौके पर एक प्रतिनिधि मंड़ल मुख्य मंत्री एवं अध्यक्ष विधान सभा से वनाधिकार कानून को प्रभावी ढ़ग से लागू करने के लिए एक ज्ञापन भी देगा।आप से अनुरोध है कि आप इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लें।धन्यवादअशोक चौधरी चधरी, रोमा, शांता भटटाचार्य, मुन्नीलाल, रजनीश, रामचंद्र राणा, सोकालो देवी, रामविलास गोंड़, मातादयाल, जंग बहादुर,
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NATIONAL FORUM OF FOREST PEOPLE AND FOREST WORKERS, (N.F.F.P.F.W.)
Near Homeguard Commandant Office
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com
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