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Saturday, December 8, 2012

खुले बाजार की जय जय कार फिर भी कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा तो काटजू के नब्वे फीसद भरतवासी बेवकूफ नजर आते है!

खुले बाजार की जय जय कार फिर भी कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा तो काटजू के नब्वे फीसद भरतवासी बेवकूफ नजर आते है!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
खुले बाजार की जय जय कार फिर भी कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा तो काटजू के नब्वे फीसद भरतवासी बेवकूफ नजर आते है!आर्थिक सुधारों पर राजनीति का असर नहीं होता क्योकि राजनीति और खुला बाजार दोनों बहिष्कार और अस्पश्यता  के सिद्दांतों पर ​​आधारित है। संसदीय हरी झंडी मिलकर निवेशक बल्ले बल्ले हैं और कारपोरेट हित में तमाम कानून बदल दिये जा रहे हैं। फिरभी रतन ​​टाटा हताश हैं, तो इसका खास तात्पर्य होना चाहिए। दूसरी ओर,जस्टिस काटजू राजनीति के राम जेठमलानी की तरह सनसनीखेज​ ​ बयानबाजी के पारंगत होते जा रहे हैं। उनके ताजा बयान पर बवाल होना तय है। दोनों खबरों को मिलाकर देखा जाये तो सार बेहद मायनेखेज निकलता है।टाटा अपने कारोबारी हित की बात कर रहे हैं, जिसका देश के कारोबारी माहौल से ताल्लुकात शायद नहीं है। उद्योग जगत तो वैसे ही बम ​​बम है। सेनसेक्स के उछाले से साफ जाहिर है। इस पर तुर्रा यह कि अमेरिकी आका भी एफडीआई जिहाद में विपक्ष के ध्वस्त हो जाने से ​​बहुत खुश है। कारोबारी माहौल की पृष्ठबूमि में जो जेहादी धर्म राष्ट्रवाद का धर्मोन्माद है, जस्टिस काटजू की टिप्पणी उसी संदर्भ में है। जिसतरह देश का बहुजन समाज अपनी जातीय धार्मिक पहचान के नाम पर धर्म राष्ट्रवाद की पैदल सेना बनकर अपने ही विरुद्ध अश्वमेध अभियान में ​​शामिल है और राजनीति जैसे उसे टुकड़ा टुकड़ा बांटकर मनुस्मृति शासन के जरिये अन्याय और असमानता का लोकतंत्र कायम रखती है उसे जल जंगलजमीन आजीविका और  नागरिकता से वंचित करते हुए, जस्टिस काटजू की इस टिप्पणी को इस संदर्भ में निरादार तो कहा नहीं जा सका । बशर्ते हम अपने को बेवकूफ मानने को तैयार हों।

। देश में कारोबारी माहौल से निराश रतन टाटा ने सिर्फ नाखुशी जताई थी। टाटा समूह के 74 वर्षीय मुखिया ने सरकार के प्रति कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है। समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने मीडिया में आए रतन के साक्षात्कार को लेकर यह सफाई दी है। एक ब्रिटिश अखबार में प्रकाशित इंटरव्यू में टाटा के हवाले से कहा गया था कि भारत के कारोबारी माहौल में घूसखोरी का बोलबाला है। सरकार पूरी तरह निष्क्रिय बनी हुई है। भारतीय मीडिया में भी इससे संबंधित खबरें चलीं। टाटा इसी माह समूह के चेयरमैन पद से रिटायर हो रहे हैं।

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू ने आज दावा किया कि नब्बे प्रतिशत भारतीय ''बेवकूफ'' होते हैं जिन्हें शरारती तत्वों द्वारा धर्म के नाम पर आसानी से गुमराह किया जा सकता है। उन्होंने यहां एक संगोष्ठी में कहा, ''मैं कह सकता हूं कि नब्बे प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता..आपको आसनी से बहकाया जा सकता है।'' उन्होंने कहा कि दिल्ली में महज 2000 रूपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारतीय संसद में मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मिली मंजूरी का अमेरिका ने स्वागत किया है। अमेरिका का कहना है कि यह सबकी जीत है और इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग मजबूत होंगे।

बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले को संसद की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि इस कदम से किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ होगा तथा कृषि बाजार में नयी प्रौद्योगिकियों के प्रवेश में मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले का पंजाब में किसानों के संगठनों ने समर्थन किया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार रखते हुए सिंह ने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से कृषि बाजार में नयी प्रौद्योगिकियों के प्रवेश में मदद मिलेगी और किसानों तथा उपभोक्ताओं को फायदा होगा।उन्होंने कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले का पंजाब में किसानों के संगठनों ने समर्थन किया है। विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री को 'डॉक्टर ऑफ साइंस' की डिग्री से सम्मानित किया गया।

खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में संसद में मिली जीत से उत्साहित सरकार ने आज कहा कि आने वाले संसद के सत्र में बैंक, बीमा और पेंशन क्षेत्र से जुड़े अनेक विधेयकों को पेश करेगी।प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने आज चेन्नई में  संवाददाताओं से कहा, 'आने वाले सत्र में हम बैंकिंग सुधार, बीमा में एफडीआई, कंपनी कानून में संशोधन और पेंशन योजनाओं से जुड़े विधेयकों को संसद में पेश करेंगे।' उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की उन कोशिशों का हिस्सा है जिनसे न केवल अधिक विदेशी निवेश आएगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।उन्होंने कहा, 'वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बावजूद सरकार छह प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है।' मंत्री ने एफडीआई के मुद्दे पर संसद में हुए मतदान में मनमोहन सिंह सरकार को समर्थन देने के लिए संप्रग में शामिल डीएमके समेत सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया।

सरकार को बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विवादास्पद फैसले के विरोध में राज्यसभा में लाए गए विपक्ष के प्रस्ताव के गिरने के साथ ही इसके लिए मंजूरी मिल गई क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने उच्च सदन में संप्रग के पक्ष में मतदान किया। अपने फैसले को जायज ठहराते हुए सरकार ने कहा था कि यह देश के हित में लिया गया फैसला है।आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने लोकसभा के मध्यावधि चुनाव की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेश निवेश पर संसद में मतदान के बाद यूपीए और मजबूत उभरकर सामने आया है। ज्यादा मजबूत हुआ है यूपीए। पटना में संवाददाताओं से बात करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि देश में मध्यावधि चुनाव का प्रश्न ही नहीं, क्योंकि यूपीए सरकार और मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि लोकसभा का अगला चुनाव अपने समय यानी वर्ष 2014 में होगा।राष्ट्रीय जनातांत्रिक गठबंधन (राजग) के संयोजक शरद यादव ने कहा है कि गठबंधन के केन्द्र की सत्ता में आने पर मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के मौजूदा सरकार के फैसले को रद्द कर इस क्षेत्र में व्यापार को उन्नत बनाने के लिए एक नई नीति बनायी जायेगी।कोलकाता में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने एफडीआई पर जनमत संग्रह की मांग की।एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा कि हम सबने देखा कि ससंद में एफडीआई पर चर्चा के दौरान राजनीतिक पार्टियों का क्या रवैया रहा। मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार ने सपा और बसपा पर सीबीआई का दांव इस्तेमाल कर सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में मत विभाजन के दौरान जीत दर्ज कर ली।सोनिया के 67वें रविवार को जन्मदिन से पहले शनिवार को उन्हें बधाई देते हुए करूणानिधि ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष के तौर पर, आपने चुतराई से कई बाधाएं पार की हैं और सफलतापूर्वक बहुत सारे अवरोधों का सामना किया है। देश इस महत्वपूर्ण दौर में केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष और स्थिर सरकार देने के लिए केवल आपकी ही ओर देखता है।

यह है आपका बहुजन समाज!

अब हिंदु राष्ट्रवाद का नजारा देखें!

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि यदि एनडीए सत्ता में आई तो खुदरा व्यापार से एफडीआई वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि एफडीआई से हमारी नहीं बल्कि चीन की अर्थ व्यवस्था सुधरेगी। संसद में प्रस्ताव गिरने पर वह बोले कि एफडीआई की हार और सीबीआई की जीत हुई।

भोपाल प्रवास पर आए डॉ. जोशी ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान भाजपा के संगठन चुनाव, राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और पार्टी में प्रधानमंत्री पद के दावेदार जैसे सवालों को टाल दिया।

मध्यावधि चुनाव की संभावना जताते हुए वह बोले अभी तो सिर्फ एफडीआई पर ही बात होगी। एनडीए के सत्ता में आते ही एफडीआई के निर्णय को हम पलट देंगे। क्योंकि इससे चार बड़ी कंपनियां लाभान्वित होंगी जिन्हें चीन की छह हजार कंपनियां माल सप्लाई करती हैं। इसलिए इससे चीन की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। इस पर जल्दबाजी को लेकर सोनिया गांधी ने भी सरकार को चिट्ठी लिखी थी लेकिन बाद में सब सामान्य हो गया। जब उनसे पूछा कि क्या अब यह मान लिया जाए कि देश के खुदरा कारोबार में विदेशी कंपनियों का रास्ता साफ हो गया, वे बोले कि जरूरी नहीं है, क्योंकि भारत में इसका प्रबल विरोध है यह बात वे कंपनियां भी जानती हैं। इसलिए एफडीआई आसानी से नहीं आएगा, वे अपने भारतीय पार्टनर के कंधों पर बंदूक रखकर चलाएंगे। भाजपा इसका देशव्यापी विरोध करेगी। युवाओं, व्यापारियों और किसानों को इसके नुकसान बताएंगे।

विदेशी बीमा कंपनियों के मामले में उन्होंने कहा कि देश में भारतीय जीवन बीमा अच्छा काम कर रही हैं। दुनिया में विदेशी बीमा कंपनियां घाटे में जा रही हैं इसलिए उन्हें भारत में एक ब़़डा बाजार दिख रहा है। बीमा कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन के अध्यक्ष बिजनर से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए डॉ जोशी ने कहा कि जब उन्होंने इसकी वकालत की तो मैंने उनसे कंपनियों की बैलेंस शीट दिखाने को कहा इस पर वह पीछे हट गए।

उन्होंने खुलासा किया कि वॉलमार्ट ने अपनी बैलेंस शीट में लिखा है कि एफडीआई की लॉबिंग पर उसने हिन्दुस्तान में 53 मिलियन डॉलर खर्च किया। इससे आप अनुमान लगा लीजिए कि सरकार क्यों इस पर अड़ी थी। इसके आने से देश में अब हर जगह भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इससे बचने का उपाय तो यही है कि हिन्दुस्तान अपने बलबूते पर खड़ा हो।

इसपर तुर्रा यह कि जब संविधान की पांचवीं और आठवीं अनुसूचियों के मुताबिक आदिवासियों को स्वायत्तता देने के बजाय राष्ट्र ने उनके किलाफ युद्ध घोषमा कर रखी हो, जबकि डिजिटल नागरिकता के जरिये बहुजनसमाज की बेदखली और बहिष्कार के लिए नागरिकों की स्वायत्तता और ​​संप्रभुता का खुला उल्लंघन हो रहा हो, कानून का राज है ही नहीं और मानवादधिकार के अपराधी छुट्टा सांड़ की तरह हमारे बाग्यविधाता बने हुए हैं, तब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि भारतीय सहकारी संस्थाओं को पेशेवर बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्यों के कानून में केन्द्रीय कानून के अनुरुप संशोधन करना होगा ताकि देश की छह लाख सहकारी संस्थायें स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक निकाय के रूप में काम कर सकें। केन्द्र सरकार ने संविधान में 97वां संशोधन किया है जो कि फरवरी 2012 से प्रभावी हो गया है। इसके जरिये सहकारी संस्थाओं को कामकाज में अधिक स्वायत्ता की पहल की गई है। प्रदेश सरकारों को केन्द्रीय कानून के अनुरूप अपने कानूनों को संशोधित करने के लिये फरवरी 2013 तक का एक साल का समय दिया गया है।मुखर्जी ने यहां सहकारिता उत्कृष्टता के लिए एनसीडीसी अवार्ड देने के बाद कहा, हाल ही में केन्द्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के लिए संविधान का 97वां संशोधन कर बड़ी पहल की है जो इन संस्थाओं के लोकतांत्रिक और स्वायत्त परिचालन को सुनिश्चित करता है। इस संशोधन से सहकारिता बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। मुखर्जी ने कहा कि इस पहल को आगे जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए राज्य सरकारों को भी आवश्यकतानुसार राज्यों के कानून में संशोधन करते हुए उपयुक्त माहौल बनाने की जरुरत है।

ऐसे में न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू को कैसे गलत कह सकते हैं , जब वे कहते हैं, ''मैं कह सकता हूं कि नब्बे प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता..आपको आसनी से बहकाया जा सकता है।''उन्होंने यहां एक संगोष्ठी में कहा  कि दिल्ली में महज 2000 रूपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपको महज इतना करना है कि किसी पूजा के स्थान के प्रति असम्मान दिखाते हुए कोई शरारतपूर्ण काम कर दें और लोग एक दूसरे से झगड़ना शुरू कर देते हैं।काटजू ने कहा, ''आप पागल लोग आपस में झगड़ने लग जायेंगे और इस बात को समझेंगे भी नहीं कि इसके पीछे कुछ भड़काने वाले लोग हैं।'' उन्होंने कहा कि 1857 से पहले देश में कोई सांप्रदायिकता नहीं थी लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल गयी है। उन्होंने कहा, ''आज 80 प्रतिशत हिन्दू सांप्रदायिक हैं और 80 प्रतिशत मुस्लिम सांप्रदायिक हैं। मैं आपको बता रहा हूं कि यह कड़वी सच्चाई है। यह कैसे हो गया कि 150 साल में आप आगे जाने के बजाय पीछे चले गये क्योंकि अंग्रेज आपके भीतर जहर भरते रहे।'' काटजू ने कहा कि 1857 के बाद लंदन से आने वाली नीति यही थी कि इस देश पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़ते रहें।उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार चल रहा है कि हिन्दी हिन्दुओं की भाषा है और उर्दू मुस्लिमों की। ''हमारे पूर्वजों ने भी उर्दू पढ़ी है लेकिन आपको बेवकूफ बनाना बहुत आसान है। आप मूर्ख है, लिहाजा आपको आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है।'' काटजू ने कहा कि वह ये कड़ी बातें इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय इस पूरे खेल को समझे और बेवकूफ नहीं बने रहें।

भारतीय कारोबारी माहौल पर चिंता जताते हुए टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा का कहना है कि भारत की तुलना में चीन में व्यापार करना ज्यादा आसान है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत में चीन को टक्कर देने की हिम्मत तो है लेकिन सरकारी से सहयोग की कमी की वजह से वह चीन से मुकाबला नहीं कर पा रहा है।

एक इंटरव्यू के दौरान टाटा ने कहा कि उनके समूह ने विस्तार के लिए अन्य उभरते बाजारों में संभावनाएं तलाशी लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नौकरशाही के मामले में शिकायतों को दूर करने में नाकाम रहे। यही वजह रही कि उन्हें विदेश की ओर रूख करना पड़ा।

गौर हो कि टाटा का यह बयान उस समय आया है जब सरकार इस समय कई आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है। इनमें बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र(एफडीआई),बीमा और विमानन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलना शामिल है।

टाटा ने कहा कि सरकार के सहयोग में भारी अंतर है। अगर हमारे उद्योग को उसी तरह का प्रोत्साहन दिया जाता जैसा कि चीन में दिया जाता है तो मुझे लगता है कि भारत निश्चित तौर पर चीन से प्रतिस्पर्धा कर सकता। टाटा के इन हाउस प्रकाशन में एक अलग इंटरव्यू में टाटा ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को समूह के नैतिक मूल्यों के साथ समझौता नहीं करने के एक बड़े संघर्ष से जूझना पड़ेगा।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, 'हम मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी देने दिए जाने संबंधी भारतीय संसद के फैसले का स्वागत करते हैं।'

टोनर ने कहा, 'एफडीआई से छोटे व्यवसायियों और किसानों के लिए अवसर पैदा होंगे तथा ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और यहां तक कि खाद्यान्न पर महंगाई कम होगी।' टोनर ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'हमारा मानना है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से भारत में चीन, ब्राजील और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरह बाजार बढ़ेंगे।'

उन्होंने कहा, 'कई अमेरिकी कंपनियां भारत के खुदरा क्षेत्र में निवेश करने को उत्सुक हैं और मेरा मानना है कि इस फैसले से हमारा आर्थिक सहयोग मजबूत होगा।' यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) ने एक बयान में भारतीय संसद के फैसले की सराहना की।

यूएसआईबीसी के अध्यक्ष रोन सोमर्स ने कहा, 'मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई से किसानों के लिए उचित मूल्य हासिल करने के भारत सरकार के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा और इससे गुणवत्ता बढ़ेगी तथा उपभोक्ताओं के लिए विकल्प पैदा होंगे।'

इस बात को मानते हुए कि सुधार को लागू करना राज्यों पर निर्भर है, बयान में कहा गया कि यूएसआईबीसी उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब और बिहार सहित प्रगतिशील राज्यों की सरकारों के साथ काम करने की इच्छुक है और वह 2013 में अपनी सदस्य कंपनियों के इन राज्यों के दौरे का नेतृत्व करेगी।

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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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