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Friday, November 16, 2012

समयपूर्व चुनाव की तैयारी में जुटी राजनीति, लेकिन जनसंहार की नीतियों पर कोई अंकुश नहीं!

समयपूर्व चुनाव की तैयारी में जुटी राजनीति, लेकिन जनसंहार की नीतियों पर कोई अंकुश नहीं!

2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को जानबूझकर नाकाम इसलिए किया गया ताकि कैग की रपट को खारिज किया जा सकें। सरकार वित्तीय विधेयकों को पास कराने के लिए विपक्ष को पटाने में लगी है। घोटालों पर हायतोबा मना रहे विपक्ष आर्थिक सुधारों यानी जनसंहार नीतियों के हक में है। विरोध महज दिखावा है। दूसरी ओर, रिजर्व बैंक की कड़ी आपत्ति के बावजूद वित्तमंत्री चिदंबरम पूंजीपतियों को बंकिंग लाइसेंस बांटने पर अमादा है ताकि आपकी जमा पूंजी बेदखल होकर पूंजीपतियों के मूलधन में वृद्धि करें। यूरोप में मंदी की पुष्टि होते ही पूंजीपतियों को नये सिरे से तमाम राहत और छूट देने की तैयारी है। उधर जयपाल रेड्डी को तेल मंत्रालय से हटाने का फूरा फायदा रिलांस को मिल गया, जबकि तीन साल तक लंबित डी ६ में तेल निकालने की अनुमति नये तेल मंत्री वीरप्पा मोइली ने कैग की सख्त मनाही के बावजूद दे दी। दिनभर स्पेक्ट्रम नीलामी के बहाने भर्ष्टाचार के मामले खारिज करने में जुटी सरकार का करिश्मा यह है कि सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनियों को अगले तीन साल में एक पाई अदा नहीं करना है। वहीं गार में संशोधन के जरिये कालाधन के अबाध प्रवाह का इंतजाम किया जा रहा है। इसके बिना, कारपोरेट कोखुश किये बिना अगला चुनाव कैसे लड़ा जायेगा, विफल के एफडीआई विरोधी हवा निकालने के लिए यही तथ्य काफी है।

​​एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

समयपूर्व चुनाव की तैयारी में जुटी राजनीति, लेकिन जनसंहार की नीतियों पर कोई अंकुश नहीं!अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी को कांग्रेस में बड़ी भूमिका दिए जाने पर विपक्षी दलों का कहना है कि कांग्रेस का घाटा ने बढ़े इसलिए वह जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रही है, हालांकि पार्टी और सरकार ने इस बात का पुरजोर खंडन किया है। इस तरह की चर्चा को इसलिए बल मिला क्योंकि समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने 55 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और वरिष्ठ वाम नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि कांग्रेस समयपूर्व चुनाव करा सकती है। वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'उनका (कांग्रेस का) घर व्यवस्थित नहीं है।  2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को जानबूझकर नाकाम इसलिए किया गया ताकि कैग की रपट को खारिज किया जा सकें। सरकार वित्तीय विधेयकों को पास कराने के लिए विपक्ष को पटाने में लगी है। घोटालों पर हायतोबा मना रहे विपक्ष आर्थिक सुधारों यानी जनसंहार नीतियों के हक में है। विरोध महज दिखावा है। दूसरी ओर, रिजर्व बैंक की कड़ी आपत्ति के बावजूद वित्तमंत्री चिदंबरम पूंजीपतियों को बंकिंग लाइसेंस बांटने पर अमादा है ताकि आपकी जमा पूंजी बेदखल होकर पूंजीपतियों के मूलधन में वृद्धि करें। यूरोप में मंदी की पुष्टि होते ही पूंजीपतियों को नये सिरे से तमाम राहत और छूट देने की तैयारी है। उधर जयपाल रेड्डी को तेल मंत्रालय से हटाने का फूरा फायदा रिलांस को मिल गया, जबकि तीन साल तक लंबित डी ६ में तेल निकालने की अनुमति नये तेल मंत्री वीरप्पा मोइली ने कैग की सख्त मनाही के बावजूद दे दी। दिनभर स्पेक्ट्रम नीलामी के बहाने भर्ष्टाचार के मामले खारिज करने में जुटी सरकार का करिश्मा यह है कि सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनियों को अगले तीन साल में एक पाई अदा नहीं करना है। वहीं गार में संशोधन के जरिये कालाधन के अबाध प्रवाह का इंतजाम किया जा रहा है। इसके बिना, कारपोरेट को खुश किये बिना अगला चुनाव कैसे लड़ा जायेगा, विफल के एफडीआई विरोधी हवा निकालने के लिए यही तथ्य काफी है।

भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था में गिरावट की वजह अमेरिका और यूरोप में आई मंदी को बताया जा रहा है। 120 करोड़ की आबादी वाले देश की विदेशों पर इतनी निर्भरता खतरनाक सिध्द हो सकती है। यूरोप एक बार फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है। साल 2009 के बाद एक बार फिर यूरो जोन के 17 देश मंदी की मार झेल रहे हैं। जुलाई से सितंबर के आंकड़े बता रहे हैं कि यूरोजोन के देशों की अर्थव्यवस्था में लगातार छह महीने गिरावट दर्ज की गई।जर्मनी और फ्रांस में मामूली बढ़त देखी गई है, लेकिन नीदरलैंड, इटली, स्पेन और ऑस्ट्रिया की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई है। यूरोप के कई देशों में लाखों मजदूर खर्चों में कटौती के सरकारी फैसलों का भारी विरोध कर रहे हैं।लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री पॉल ग्रोव का मानना है कि तीन साल में दूसरी आर्थिक मंदी के लिए यूरोपीय देशों की सरकारें ही जिम्मेदार हैं। इससे पहले 70 आर्थिक जानकारों के एक सर्वे के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि यूरोजोन को 2013 के अंत से पहले आर्थिक मंदी से छुटकारा नहीं मिल पाएगा।

अंधा  बांटे रेबड़ी,  फिर फिर अपनों को दे! लोकसभा चुनाव के लिए मोर्चेबंदी तेज करते हुए समाजवादी पार्टी ने आज लोकसभा चुनाव के लिए 55 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। इनमें पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, उनकी बहू और उनके दो भतीजे भी शामिल हैं। मुलायम मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। जबकि फिरोजाबाद से प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। जाहिर है, मुलायम एक बार फिर परिवारवाद के आरोपों से घिर गए हैं। दरअसल खुद को डॉ. लोहिया का शिष्य बताने वाले मुलायम सिंह यादव अब लोकसभा को घर की बैठक बनाना चाहते हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि स्विस बैंकों में कथित रूप से कालाधन जमा करने वाले भारतीयों के नाम एवं पतों को बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग की इकाई सीबीडीटी ने यह जानकारी सीआईसी के समक्ष दी। यहां सूचना आयुक्त राजीव माथुर उत्तर प्रदेश के आरटीआई आवेदक राजकुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। सिंह ने स्विस बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों के नाम एवं उनके पते की जानकारी मांगी है।अपने जवाब में सीबीडीटी ने दावा किया कि ऐसे भारतीय जिन्होंने स्विस बैंकों में राशि जमा किया है, उनके बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग ने सीबीडीटी के जवाब को कानून के अनुरूप पाया और मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि आईएसी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिनों पहले एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया था कि कुछ भारतीयों ने स्विस बैंकों में कालाधन जमा कर रखा है, हालांकि केजरीवाल अपने दावे के समर्थन में कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाए।

नए बैंक लाइसेंस के मामले में सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद बढ़ गए हैं। सरकार चाहती है कि नए बैंकों को लाइसेंस देने के काम में आरबीआई तेजी लाए। लेकिन आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने साफ कर दिया है कि नए लाइसेंस देने का काम तभी शुरू होगा, जब उसे ज्यादा अधिकार देने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव हो जाएगा। जानकार इस मामले पर रिजर्व बैंक के साथ हैं। उनके मुताबिक नए बैंकिंग लाइसेंस देने के काम में हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए।वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नए बैंकों के प्रवेश के नियमों को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की बात कहे जाने के एक दिन बाद ही आरबीआई के गवर्नर डी सुब्बाराव ने संकेत दिए कि वह नए बैंकिंग लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू करने को तैयार हैं लेकिन इससे पहले बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन चाहते हैं। सुब्बाराव ने कहा कि उम्मीद है कि प्रक्रिया शुरू होने के 8 से 9 महीने बाद रिजर्व बैंक पहला लाइसेंस जारी करेगा। इससे पहले आरबीआई ने कहा था कि संभावित उम्मीदवारों के आवेदन की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डी सुब्बाराव ने यह कहकर दरों में कटौती की सम्भावना खारिज कर दी कि महंगाई अब भी काफी अधिक है और आरबीआई पूरी तरह सावधान है। एक कार्यक्रम के इतर मौके पर सुब्बाराव ने संवाददाताओं से यहां कहा, "7.45 फीसदी पर महंगाई दर निश्चित रूप से काफी अधिक है।" सुब्बाराव ने कहा कि रिजर्व बैंक महंगाई और आर्थिक विकास दोनों के ही प्रति सजग है। उन्होंने कहा, "हम हमेशा सावधान रहते हैं-विकास के प्रति सावधान और निश्चित रूप से महंगाई के प्रति भी।"

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने नए बैंक लाइसेंस के लिए आरबीआई पर दबाव बढ़ा दिया है। इसके लिए वो इस बात का इंतजार भी नहीं करने के मूड में हैं कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में जरूरी बदलाव का बिल संसद में पारित हो जाए। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को कहा है कि वो बैंकिंग लाइसेंस के लिए गाइडलाइंस जल्दी तय करे और कंपनियों की अर्जियां मंगाना शुरू करे। एक्ट बाद में पास होता रहेगा।आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव के मुताबिक वो लाइसेंस की प्रक्रिया तेज करने को तैयार हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी शर्तें पहले पूरी होनी चाहिए। डी सुब्बाराव के मुताबिक लाइसेंस देने का काम अभी शुरू हो तब भी पहला बैंक लाइसेंस मिलने में करीब 8 महीने लग जाएंगे। दरअसल आरबीआई चाहता है कि बैंकिंग एक्ट में संशोधन कर उसे बैंक बोर्ड के फैसलों को पलटने का अधिकार दिया जाए। क्योंकि मौजूदा कानून उसे प्राइवेट बैंकों के कामकाज में ऐसे दखल की इजाज़त नहीं देते। जानकार भी मानते हैं कि नए बैंक लाइसेंस देने के पहले नियमों को साफ करने और आरबीआई के अधिकार बढ़ाने की जरूरत है।वैसे तो वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को ये भरोसा दिलाया है कि बैंकिंग एक्ट में संशोधन का विधेयक या तो संसद के शीतकालीन सत्र में या बजट सत्र में पारित हो जाएगा। लेकिन एक्सपर्ट इस मामले में किसी भी जल्दबाजी के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि नियम-कायदे तय किए बिना नए लाइसेंस देने से पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए मुश्किलें सामने आ सकती हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए अच्छी खबर है। 3 साल बाद सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को केजी बेसिन के डी-19 फील्ड में ड्रिलिंग की इजाजत दे दी है। ऑयल एंड गैस रेगुलेटर डीजीएच ने इसकी जानकारी कंपनी को भी दे दी है।वीरप्पा मोइली ने 1 महीने पहले ही पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और उनका ये पहला बड़ा फैसला है। रिलांयस इंडस्ट्रीज के खातों को ऑडिट को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज और सरकार के बीच काफी मतभेद थे। पुराने पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को नए कुओं को विकसित करने से रोक रखा था।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने पेट्रोलियम मंत्रालय को रिलायंस के केजी डी6 क्षेत्र में नई निवेश योजना को मंजूरी देने के प्रति आगाह किया है।कैग ने कहा है कि जब तक रिलायंस अपने पुराने खर्चों का पूरा ब्योरा देने वाले पूरे बहीखाते उपलब्ध नहीं कराता है, तब तक उसके केजी डी6 गैस क्षेत्र में किसी भी निवेश योजना को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिये।पेट्रोलियम मंत्रालय को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में कैग ने उन मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया, जिनमें रिलायंस के केजी डी6 में सालाना पूंजी निवेश को मंत्रालय द्वारा मंजूरी दिये जाने के बारे में कहा गया है। कैग ने मंत्रालय को सलाह दी है कि आपात प्रकृति के निवेश को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार के निवेश को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिये।पेट्रोलियम सचिव को भेजे पत्र में कैग ने कहा है यह मंत्रालय को भलीभांति पता है कि पूंजीव्यय में किसी भी प्रकार की वृद्धि का सरकार के वित्तीय हितों पर प्रतिकूल असर होगा। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इन रिपोर्टों के विपरीत सरकार ने क्षेत्र में हुए खर्चों की लेखापरीक्षा होने तक केजी डी6 के 2010.11, 2011.12 और वर्ष 2012.13 के पूंजीव्यय के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी डी6 बेसिन से घटते उत्पादन से संबंधित राजस्व जटिलताओं और गैस की कीमतों में इजाफा किए जाने की कंपनी की मांग को स्पष्ट करने के लिए संसद की स्थायी समिति (वित्त) ने पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा है। इस महीने की शुरुआत में समिति ने इस मामले को लेकर वित्त और राजस्व सचिव से सवाल किया था और उनसे केजी डी6 के कम उत्पादन की वजह से सरकार को होने वाले राजस्व घाटे के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी।

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने को है। एनडीए के साथ-साथ टीएमसी और लेफ्ट जैसी पार्टियां एफडीआई के मुद्दे पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहतीं। अभी तक जो हालात है उसे देखते हुए लगता है कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को वोटिंग के लिए मजबूर करेगा। अगर ऐसा हुआ तो केंद्र सरकार के लिए खतरे की घंटी बजेगी और उसके रहने अथवा न रहने पर भी सवाल खड़ा हो जाएगा।मुलायम सिंह ने संसद के बाहर रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर खूब हो हल्ला मचाया लेकिन वो सरकार के साथ रहे। अगर इस मुद्दे पर वोटिंग हुई तो उनके लिए सरकार के फेवर में वोटिंग करना बेहद मुश्किल होगा। सरकार के नंबर सदन में कम हैं और वो मुलायम-माया के भरोसे ही कायम है। यानी मुलायम जब चाहे तकरीबन सरकार को गिराने की स्थिति में हैं।वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने उम्मीद जताई है कि करीब एक दशक से पटरी से उतरी देश की विकास दर मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से जोर पकड़ लेगी। एक प्रेस कांफ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि मंदी के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी के साथ विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।चिदम्बरम ने कहा कि दूसरी तिमाही की विकास दर के बारे में इस महीने के आखिर में पता चलेगा और मैं समझता हूं कि तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर जोर पकड़ेगी। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही। जनवरी से मार्च 2012 की तिमाही में आर्थिक विकास एक दशक के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर आ गई थी।इसका मतलब है कि कालाधन की व्यवस्ता को मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

बहरहाल संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के 1 सप्ताह पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कल सभी दलों के सांसदों की एक बैठक बुलाई है। इसमें सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर चर्चा होगी। बहरहाल तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अगर खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के विरोध में विपक्ष की ओर से कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो वह सरकार के खिलाफ मतदान करेगी।   तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सौगत रॉय ने कहा, 'हम बहु ब्रांड खुदरा में एफडीआई के मुखर विरोधी रहे हैं। निश्चित रूप से हम एफडीआई के खिलाफ किसी भी प्रस्ताव पर मतदान करेंगे।'

माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पहले ही मतदान नियमों के तहत संसद के दोनों सदनों में सरकार के फैसले के विरुद्ध इस मसले पर प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है। अन्य वाम दल भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (भाकपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भी नियम 184 के तहत नोटिस का समर्थन किया है। इसमें बहस के बाद मतदान की व्यवस्था है। वहीं नियम 193 के तहत चर्चा कराए जाने पर मतविभाजन का प्रावधान नहीं है। तृणमूल कांग्रेस की संसदीय समिति की बैठक में कल मतदान के प्रावधान के तहत सदन में चर्चा कराने के लिए प्रस्ताव पेश करने के बारे में फैसला हो सकता है।

तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, जैसा कि बनर्जी ने पहले घोषणा की थी, इसके बारे में कुछ साफ नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है, 'इसके लिए समान विचारधारा वाले कई दलों के समर्थन की जरूरत होगी। इसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव लाने का विचार रुक सकता है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए हमें 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। हमारे कुल 19 सदस्य लोकसभा में हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करती है, तो यह बेहतर होगा। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए हम भाजपा की मदद नहीं ले सकते।'

सरकार एफडीआई समेत दूसरे मुद्दों पर संसद में विपक्ष से निपटने की तैयारी कर रही है और इसी की तैयारियों के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घटक दलों के नेताओं को खाने पर बुलाया। रिटेल में FDI के मुद्दे पर पत्ते नहीं खोलने वाली डीएमके के नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के डिनर में शामिल हुए। डिनर से पहले सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, अहमद पटेल, एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और नारायणसामी के बीच बैठक हुई। प्रधानमंत्री ने बीजेपी के नेताओं को भी डिनर पर बुलाया है। डीएमके सहित यूपीए के घटक दलों ने कहा है कि सरकार को संसद में वोटिंग से बचना चाहिए।

कांग्रेस का राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव के लिए समन्वय समिति की कमान सौंपना, फिर अगले ही दिन समाजवादी पार्टी का यूपी की 80 में से 55 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर देना, क्या मध्यावधि चुनाव की आहट है? राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसा हो सकता है। संसद के शीतकालीन सत्र में एफडीआई पर घमासान मचने और विपक्ष द्वारा वोटिंग की तैयारी से इस बात को और बल मिलता है। मुलायम सिंह वैसे भी कई बार कह चुके हैं कि पार्टी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है।
55 उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव की तैयारी के मामले में बाजी मार ली है। जहां बाकी दल डेढ़ साल बाद होने वाले इन चुनावों को लेकर रणनीति बनाने में ही जुटे हैं, वहीं मुलायम ने उम्मीदवारों तक का ऐलान कर सभी को हैरत में डाल दिया। मुलायम के इस कदम के बाद अब निश्चित तौर पर बाकी दल भी उम्मीदवारों के नाम पर माथापच्ची शुरू कर देंगे।

दरअसल माना जा रहा है कि सपा सुप्रीमो मौके की ताक में हैं। वे कांग्रेस और बीजेपी की कमजोरियों और मुश्किलों को अपने पक्ष में मोड़ना चाहते हैं। मुलायम अच्छी तरह जानते हैं कि इस समय यूपीए सरकार मुश्किलों में घिरी हुई है। भ्रष्टाचार, महंगाई और एफडीआई के मुद्दे पर सरकार चौतरफा हमलों का सामना कर रही है। ऐसे हालात मुख्य विपक्षी बीजेपी के लिए मुफीद हैं।
लेकिन मुलायम जानते हैं कि इस समय बीजेपी भी मुसीबतों में घिरी हुई है। खुद पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसे लेकर उनकी अपनी पार्टी में ही जंग छिड़ी हुई है। पार्टी में पीएम पद को लेकर पहले से ही घमासान मचा है। संघ भी इस मसले को सुलझा पाने में बेबस दिख रहा है। ऐसे हालात मुलायम के लिए सुकून भरे हो सकते हैं।इसके अलावा कुछ और मायनों में भी मुलायम का ये दांव उनकी सोझी-समझी रणनीति हो सकता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की सत्ता पर प्रचंड बहुमत के साथ काबिज हुई समाजवादी पार्टी आलोचनाओं के केंद्र में है। अखिलेश राज में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उट रहे हैं। खुद मुलायम कई बार अखिलेश को सुधार की हिदायत दे चुके हैं। ऐसे में मुलायम के लिए यही मुफीद रहेगा कि यूपी में समय से पहले चुनाव हो जाएं और बात बिगड़ने से पहले ही लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा लिया जाए।

शीतकालीन सत्र से पहले वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार महत्वपूर्ण आर्थिक विधेयकों को पारित कराने के संबंध में समर्थन के लिए राजनैतिक दलों से संपर्क कर रही है। उन्होंने कहा, 'संसद सत्र का विधायी एजेंडा बहुत बड़ा है। हम इस पर विभिन्न राजनैतिक दलों से संपर्क कर रहे हैं ताकि चार सप्ताह के इस सत्र में इस एजेंडा पूरा किया जा सके।'

चिदंबरम ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था 5.5 फीसदी की दर से वृद्धि कर रही है। दूसरी तिमाही के आंकड़े का पता इस महीने के अंत तक ही लगेगा। मुझे लगता है कि तीसरी और चौथी तिमाही में इसमें वृद्धि होगी।' वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान यह 5.5 फीसदी थी।

मंत्री ने कहा कि लक्ष्य यह होगा कि मुश्किल दौर पार हो जाए और यह साल कुछ संतोषजनक तरीके से गुजर जाए। चिदंबरम ने कहा कि वह 2013-14 के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा संतुलित बजट पेश करने की कोशिश करेंगे और उम्मीद जाहिर की कि देश उच्च वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ेगा।


राजकोषीय घाटे के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि अभी वक्त है और सरकार 5.3 फीसदी के संशोधित लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगी। वित्त मंत्री ने कहा, 'हमारे पास साढ़े चार महीने का अच्छा खासा वक्त है और इसलिए अभी यह कहना बहुत जल्दी होगा कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। मेरी मंशा इस लक्ष्य को प्राप्त करने की है। मुझे नहीं लगता कि हमें निराशावाद फैलाना चाहिए।'

उन्होंने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया जल्दी ही शुरू होगी और स्पेक्ट्रम नीलामी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि लंबित मामलों पर फैसला लेने के लिए अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की बैठक जल्द होगी। 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी को मिली ठंडी प्रतिक्रिया के मद्देनजर सरकार की राजकोषीय घाटे को कम करने के संशोधित लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता पर चिंता जाहिर की जा रही है।

नीलामी फ्लॉप होने के बाद सरकार स्पेक्ट्रम की कीमत कम करने की तैयारी में है। खबर मिली है कि सरकार 2जी स्पेक्ट्रम का रिजर्व प्राइस कम करने पर विचार कर सकती है।2जी स्पेक्ट्रम बेचकर सरकार 40000 करोड़ रुपये कमाने के विचार में थी। लेकिन, नीलामी से सरकार सिर्फ 9200 करोड़ रुपये ही जुटा पाई। टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि स्पेक्ट्रम कीमतों को बाजार के हवाले छोड़ देना चाहिए। बाजार के काम में किसी भी पक्ष की दखलअंदाजी ठीक नहीं है।जीएसएम कंपनियों के संगठन सीओएआई के राजन मैथ्यू के मुताबिक ऊंचा रिजर्व प्राइस स्पेक्ट्रम नीलामी फ्लॉप होने की बड़ी वजह है। ऊंचे दाम से कंपनियों पर कर्ज बोझ बढ़ने की आशंका थी। राजन मैथ्यू का कहना है कि कंपनियों ने सरकार को पहले ही आगाह किया था। लेकिन, सरकार ने कंपनियों की दलील को नजरअंदाज करते हुए हड़बड़ी में स्पेक्ट्रम की नीलामी करवाई।

सरकार ने आज कहा कि 1800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी को भले ही ठंडी प्रतिक्रिया मिली हो लेकिन वह मौजूदा वित्त वर्ष में दूरसंचार क्षेत्र से 40,000 करोड़ रुपये जुटाने के अपने बजटीय लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रहेगी। दूरसंचार पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह के प्रमुख वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार 1800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्र्रम के लिए दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक और राजस्थान के चार सर्किलों जिसके लिए किसी कंपनी ने बोली नहीं लगाई और 800 मेगाहट्र्ज सीडीएमए बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए फिर से नीलामी कराने की तकनीकी पहलुओं पर काम करेगी। सीडीएमए क्षेत्र में भी कंपनियों ने स्पेक्ट्रम खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।दूरसंचार नियामक की ओर से तय की गई मियाद यानी मई 2013 से पहले सरकार 900 मेगाहट्र्ज बैंड के लिए भी नीलामी कराएगी जिसका पुनरावंटन किया जाना है। चिदंबरम ने कहा, 'नीलामी की प्रक्रिया खत्म नहीं हुई है। 31 मार्च 2013 के पहले बचे हुए स्पेक्ट्रम के लिए फिर से नीलामी होगी। हमें उम्मीद है कि हम लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।'

इसी के मध्य सीएजी पर सरकार का हमला जारी है। 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में उम्मीद से कम रकम मिलने को आधार बनाकर टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल और वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने सीएजी पर निशाना साधा। उन्होंने एक साथ मीडिया के सामने आकर ये समझाने की कोशिश की कि टेलीकॉम घोटाला जैसी कोई चीज हुई ही नहीं। सीएजी ने इस सिलसिले में सनसनीखेज आंकड़ें पेश किए जिससे टेलीकाम सेक्टर बर्बाद हो गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि नीतियों को बनाने का हक सिर्फ सरकार के पास होना चाहिए। वहीं विपक्ष ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा यह उसके कुप्रबंधन का नतीजा है। सरकार ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक जिल सर्किलों के कोई निविदाकार नहीं होंगे, वहां स्पेक्ट्रम बेचने की कोशिश की जाएगी।

दरअसल संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की जल्द ही बैठक होगी और दिल्ली और मुंबई जैसे सर्किल के लिए कीमतें तय की जाएंगी और नीलामी की तिथि तय की जाएगी। चिदम्बरम और सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने विपक्ष के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि सरकार नीलामी की विफलता का जश्न मना रही है। सिब्बल ने दावा किया कि स्पेक्ट्रम की बिक्री से अभी भी 40,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं।

सिब्बल ने नीलामी में खराब प्रदर्शन के लिए और 1.76 लाख करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान जाहिर कर मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए सीएजी को दोषी ठहराने की भी कोशिश की। सिब्बल ने पूछा कि 1.76 लाख करोड़ रुपये कहां गए? सिब्बल ने कहा कि आप आकड़ों को बढ़ा-चढ़ा नहीं सकते और उन्हें सनसनीखेज नहीं बना सकते तथा उस मुर्गी को मार नहीं सकते जो सोने की अंडा देने वाली है। सनसनीखेज हावी हो गया और सरकार नीतिगत नुस्खे में सीमिति हो गई, जिसे हमने कुछ दिनों पहले घटी घटना में देखा।

सिब्बल ने कहा कि सरकार को 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से एक लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसे सीएजी ने अनुमानित नुकसान का आधार बना लिया। लेकिन उपभोक्ताओं को कुछ हासिल नहीं हुआ, क्योंकि 3जी सेवा शुरू ही नहीं हो पाई।
मालूम हो कि सरकार ने सीएजी के नुकसान के अनुमान के आधार पर पूरे भारत के लिए स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य 14,000 करोड़ रखा था, लेकिन उसे दो दिनों में हुई नीलामी के जरिए मात्र 9,407 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि दूसरी पीढ़ी (2जी) के स्पेक्ट्रम की नीलामी अभी पूरी नहीं हुई है और नीलामी प्रक्रिया पूरी हो जाने पर सरकार को ठोस लाभ होगा। चिदंबरम ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया अभी अधूरी है। अभी चार और जीएसएम सर्किल, सीडीएमए सर्किल बचे हैं। मार्च से पहले अभी और नीलामियां होंगी।उन्होंने कहा कि कीमत का पता नीलामी प्रक्रिया के जरिए चला है, जो कि अभी पूरी नहीं हुई है। हम यह नहीं कह सकते कि बाजार द्वारा लगाई गई कीमत सफलता या विफलता नहीं है। नीलामी प्रक्रिया पूरी होने पर सरकार को ठोस शुद्ध लाभ होगा और एकमुश्त लिए जाने वाले स्पेक्ट्रम शुल्क को समाहित कर दिया जाएगा।

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार को अबतक नीलामी से और 18 स्पेक्ट्रम धारकों से एक बार में लिए गए शुल्क से 17,343 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। स्पेक्ट्रम की बिक्री से 9,407 करोड़ रुपये और 18 स्पेक्ट्रम धारकों से एक बार में लिए गए शुल्क से 7,936 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

लेकिन मुख्य विपक्षी दल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में खराब प्रदर्शन के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया, और कहा कि सरकार दूरसंचार क्षेत्र का उचित प्रबंधन नहीं कर पाई। बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी की विफलता सरकार की उस दिशा का एक उदाहरण है, जिस तरफ वह देश की अर्थव्यवस्था को ले जा रही है। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि खराब प्रदर्शन के लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।

पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार सीएजी के पर कतरने की कोशिश कर रही है, अपनी विफलता के लिए सीएजी को दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है। जावड़ेकर ने कहा कि सीएजी ने 2012 के नुकसान के आंकड़ें पेश नहीं किए थे, उन्होंने 2007 के नुकसान के आंकड़ें दिए थे। यदि 2007 में नीलामी हुई होती तो आपको इतनी धनराशि प्राप्त हुई होती।

स्पेक्ट्रम आवंटन जनवरी 2008 में हुआ था। सीएजी रपट 2010 में सौंपी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी 2012 में आदेश दिए कि 2008 में आवंटित सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए जाएं।

जावड़ेकर ने कहा कि रद्द किए गए 122 लाइसेंसों में से मात्र 22 की अभी तक नीलामी हुई है। फिर भी पहले जितना 122 लाइसेंसों के आवंटन से धन प्राप्त हुआ था, उससे ज्यादा अभी ही प्राप्त हो चुका है, जिससे सीएजी का रुख सत्यापित होता है। मार्क्सपवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि 122 लाइसेंसों की बिक्री से सरकार को 9,000 करोड़ से थोड़ी सी ज्यादे धनराशि प्राप्त हुई थी, लेकिन मात्र 22 लाइसेंसों की नीलामी से उसे इससे अधिक धनराशि प्राप्त हो चुकी है।

2जी नीलामी की स्थिति पर प्रक्रिया व्यक्त करते हुए परामर्श कम्पनी फ्रॉस्ट एंड सुलिवन ने चेन्नई में कहा कि वर्तमान आर्थिक स्थिति और निराशाजनक निवेश के माहौल में 2जी नीलामी के परिणाम चौंकाने वाले नहीं हैं।

परामर्श कम्पनी के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रचलन के लिए वरिष्ठ सलाहकार अभिषेक चौहान ने एक बयान में कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति, निराशाजनक निवेश के माहौल, दूरसंचार कम्पनियों पर भारी भरकम कर्ज और आवाज से डाटा की तरफ बढ़ रहे युग में देश में 1,800 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम की कम प्रासंगिकता को देखते हुए स्पेक्ट्रम नीलामी के परिणाम अधिक चौंकाने वाले नहीं हैं।

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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

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Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

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