कृष्णचंद्र लोकलुभावन राजनीति से हमेशा बचते रहे!
अपने किसी कार्य के लिए श्रेय लूटने की कोई कोशिश नहीं की। बाद में राजनीति में पिछड़ने, हाशिये पर फेंके जाने और इसतरह चले जाने के पीछे भी उनका यह अराजनीतिक स्वभाव रहा है।
पलाश विश्वास
नैनीताल से हमारे पुराने सांसद, पंडित गोविद बल्लभ पंत के सुपुत्र और देश के पूर्व रक्षा मंत्री एवं योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष कृष्ण चंद्र पंत का नयी दिल्ली में गुरुवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। कृष्ण चंद्र पंत और नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता रहे हैं पर वे पचास के दशक से नैनीताल और उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में मंत्री रहे वरिष्ठ नेता पंत 1990 के दशक के अंत में बीजेपी में शामिल हो गए थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के बेटे कृष्ण चंद्र पंत के परिवार में उनकी पत्नी पूर्व सांसद इला पंत और दो बेटे हैं। रक्षा, वित्त, ऊर्जा और इस्पात समेत कई मंत्रालयों के प्रभारी रहे पंत पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे और उन्होंने गुरुवार सुबह 8.30 बजे अंतिम सांस ली। भारतीय राजनीति में कृष्ण चंद्र पंत उन चंद राजनीतिज्ञों में थे, जो सियासत की पुरानी पाठशाला से आते थे। यही वजह थी कि उनमें शिष्टाचार के साथ ही किसी भी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाने की लगन थी।पचास बरस के सार्वजनिक जीवन और 26 साल के संसदीय कार्यकाल में देश के रक्षा, वित्ता, गृह, शिक्षा व ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।राजनीति को विरासत में पाने वाले पंत की प्रतिभा को पहचानते हुए इंदिरा गांधी ने उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दीं। इनमें एक प्रमुख जिम्मेदारी 1970 के दशक में तेलंगाना आंदोलन के समय वार्ताकार की थी।
वर्ष 1931 में नैनीताल में जन्मे कृष्ण चंद्र पंत विज्ञान में स्नातकोत्तर थे और कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति के क्षेत्र में उतरे। कृष्ण चंद्र पंत वर्ष 1952 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और बाद में वर्ष 1967, वर्ष 1971 और वर्ष 1989 में भी सांसद चुने गए।
हम तिवारी और पंत की राजनीति के हमेशा विरोधी रहे। पर तराई के इतिहास और शरणार्थी समस्या के मद्देनजर इन दोनों नेताओं को हम भुला नहीं सकते। पंत ने तो खासकर अपने किसी कार्य के लिए श्रेय लूटने की कोई कोशिश नहीं की। बाद में राजनीति में पिछड़ने, हाशिये पर फेंके जाने और इसतरह चले जाने के पीछे भी उनका यह अराजनीतिक स्वभाव रहा है।पंत का अंतिम संस्कार बिना किसी राजकीय सम्मान के तुंरत कर दिया गया क्योंकि उनका परिवार इसे पूरी तरह निजी रखना चाहता था। वैसे सामान्य तौर पर किसी पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। पंत के निधन की खबर सुनकर रक्षा मंत्री एके एंटनी उनके घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि पंत के पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया है।
व्यक्तिगत तौर पर इन दोनों की राजनीति का हम हमेशा विरोध करते रहे। पर चूंकि वे मेरे पिता स्वर्गीय पुलिन बाबू के अंतरंग मित्र थे, उनके खिलाफ आंदोलन के दौरान भी दोनों से हमारे पारिवारिक संबंध हमेशा बने रहे। खासकर, नैनीताल की तराई में बंगाली और पंजाबी शरणार्थियों को बसाने में पंडित जवाहर लाल नेहरु के साथ साथ गोविंद बल्लभ पंत की बहुत बड़ी भूमिका रही है। १९५२ से तिवारी शरणार्थी आंदोलन से जुड़े रहे।पंत और तिवारी के राष्ट्रीय राजनीतिक कैरियर में पिताजी और बंगाली शरणार्थियों के वोटों का भारी योगदान रहा है। दोनों नेताओं ने इस तथ्य से कभी इंकार बी नहीं किया है। गोविंद बल्लभ पंत की जन्मशती पर बनी फिल्म में मेरे गांव बसंतीपुर के लोगों की भंटवार्ताएं भी दिखायी गयी।तिवारी बहुत मीठा बोलते हैं , पर हकीकत में वे अपने वायदों को अमल में खूब कम लाते हैं। इसके विपरीत कृष्णचंद्र लोकलुभावन राजनीति से हमेशा बचते रहे हैं। वे जो नहीं कर सकते, उसका आश्वासन कभी नहीं देते थे।१९७१ के मध्यावधि चुनाव में तराई के बंगालियों ने सारे झंडे एक तरफ रखकर पंत को जिताया, यह हिदायत देते हुए कि उन्होंने तराई या पहाड़ के लिए किया तो कुछ नहीं, पर चूंकि वे गोविंद बल्लभ पंत के सुपुत्र हैं, इसलिए उनको एक और मौका दिया जाता है। इस निर्णय के पीछे पिताजी थे।इसके बादइस घटना को पंत कभी नहीं भूले।इंदिराजी से पिताजी के संवाद कायम करने में और शरणार्ती समस्याओं के समाधान के लिए वे निरंतर सक्रिय रहे। आपातकाल के दौरान जब हम छात्र युवा सड़कों पर उतर चुके थे, तब बंगाली शरणार्थी तिवारी और पंत की अगुवाई में इंदिरा गांदी का समर्थन कर रहे थे। इस मुद्दे पर १९७७ के चुनाव तक पिताजी और मेरे बीच ठन गयी थी। तब मैं बीए फाइनल का छात्र था और कांग्रेस के विरोध के कारण मैंने घर छोड़ दिया था। मेरी किताबें घर में पड़ी थीं, पर णैं बसंतीपुर नहीं गया। दोसतों की किताबें देखकर मैंने परीक्षा दी। सार्वजनिक मंच पर हम पिता पुत्र एक दूसरे के विरुद्ध थे।
१९८० में नारायणदत्त तिवारी नैनीताल से सांसद बने और केंद्र में मंत्री। पंत का टिकट कट गया। १९८४ में तो तिवारी के खासमखास सत्येंद्र गुड़िया को नैनीताल से टिकट दिया गया। इसपर पिताजी इतने नाराज हो गये कि हमसे चर्चा किये बगैर निर्दलीय उम्मीदवार बतौर नैनीताल से खड़े हो गये और उनकी जमानत जब्त हो गयी।तब कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की जबर्दस्त लहर थी, पर पंत के प्रति अपनी भावनाओं के पिताजी काबू में नहीं रख पाये थे। फिर पंत परिवार कांग्रेस से अलग होकर भाजपा में चला गया।राजनीतिक तौर पर रास्ते अलग हो चुके थे।लेकिन रिश्ते उतने ही मजबूत रहे। पंत जब योजना आयोग के अध्यक्ष थे और हम मेरठ में पत्रकार, तब भी हमारे संबंधउतने ही पारिवारिक थे, जितने ७१ के बाद इंदिरा मंत्रिमंडल में उनके राज्यमंत्री बनने के दौरान।
२००१ में जब पिताजी कैंसर से मृत्युशय्या पर थे, तो कृष्णचंद्र पंत ने ही नई दिल्ली के आयुर्विज्ञान संस्थान में उनके इलाज के लिए बाकायदा मेडिकल बोर्ड बनवाया।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में कृष्ण चंद्र पंत मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री थे, जिस समय बोफोर्स होवित्जर खरीद मामले में कैग की रिपोर्ट संसद में रखी गयी थी और उन्होंने संकट के उन दिनों में सरकार का बचाव किया था। हालांकि वर्ष 1998 में वह भाजपा के करीब आ गये. उनकी पत्नी ने भाजपा के टिकट पर नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। कृष्ण चंद्र पंत वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंत के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक करियर में अलग पहचान के साथ देश और जनता की सेवा की। प्रधानमंत्री ने अपने शोक-संदेश में कहा, 'इस देश ने एक प्रतिष्ठित हस्ती और एक योग्य प्रशासक को खो दिया है।' पीएम ने पंत की पत्नी को भेजे शोक-संदेश में कहा, 'इस दुखद क्षण में मैं आपके और आपके परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। मैं दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूं।'
अपनी मध्यस्थता की भूमिका के लिए विख्यात पंत ने 1970 के दशक में अलग तेलंगाना के लिए हो रहे आंदोलन में वार्ताकार की भूमिका निभाई थी और स्थानीय लोगों को नौकरी में तवज्जो देने में और आंदोलन को खत्म करने में अहम रहे 'मुल्की नियम' समझौते को कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
राजीव गांधी सरकार के मंत्रिमंडल में पंत उस वक्त रक्षा मंत्री थे, जिस समय बोफोर्स होवित्जर खरीद मामले में कैग की रिपोर्ट संसद में रखी गयी थी और उन्होंने संकट के उन दिनों में सरकार का बचाव किया था। हालांकि 1998 में वह बीजेपी के करीब आ गए। उनकी पत्नी ने बीजेपी के टिकट पर नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। पंत वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने।
एंटनी ने पंत के निधन पर अपने शोक-संदेश में कहा कि इतिहास के एक अहम मोड़ पर रक्षा मंत्रालय की कमान संभालते हुए पंत के योगदान को शिद्दत से याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'पंत ने इतिहास के सबसे अहम समय में से एक मोड़ पर मंत्रालय की कमान संभाली थी, जब श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षण बल तैनात थे।'
एंटनी ने देश के फ्लैगशिप विमान वाहक पोत आईएनएस विराट और एमआईजी-29 विमानों समेत अन्य महत्वपूर्ण अधिग्रहणों के साथ सशस्त्र बलों को मजबूती प्रदान करने में भी पंत की भूमिका को याद किया। वर्ष 1931 में नैनीताल में जन्मे पंत साइंस में पीजी थे और कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति के क्षेत्र में उतरे। पंत सबसे पहले 1952 में लोकसभा पहुंचे और बाद में 1967, 1971 और 1989 में भी सांसद चुने गए।
दसवें वित्त आयोग के अध्यक्ष बनाए गए पंत को 1978 में राज्यसभा में भी जाने का मौका मिला और 1979 से 1980 तक वह उच्च सदन के नेता रहे।
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Published on Mar 19, 2013
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ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
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Download Bengali Fonts to read Bengali
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Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
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By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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