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Wednesday, November 21, 2012

हंगामेदार तो रहेगा संसद सत्र, पर आम आदमी को हासिल क्या होगा?

हंगामेदार तो रहेगा संसद सत्र, पर आम आदमी को हासिल क्या होगा?

ऐसे में जब वित्तीय विधेयकों को पास कराने की डिनर डिप्लोमेसी में नाकाम कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव या फिर संसद में मत विभाजन का सामना करने की रणनीति​ ​ बना रही है, संसद के शीतकालीन सत्र के ऐन पहले आतंक के विरुद्ध युद्ध को महिमामंडित करते हुए कसाब को फांसी दे दी गयी। इसपर हिंदुत्व का जो राष्ट्रीय उन्माद बना है, उसपर कांग्रेसी मुहर है। गाजा संकट पर कोई नीति अपनाकर अमेरिका के वित्तीय संकट, तेल विपर्यय और यूरोजन ​​की मंदी की परवाह किये बिना आर्थिक सुधारों के अश्वमेध अभियान के मध्य आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिका और इजराइल के युद्ध को​​ राष्ट्रीय कार्निवाल बनाकर हिंदु राष्ट्रवाद के सुदृढ़ किले से संघ परिवार को बेदखल करने की यह नायाब चाल है। दूसरी ओर,खुदरा कारोबार में विदेशी विनिवेश का विरोध करने वाली भाजपा को सुधार के बाकी एजंडे पर कोई एतराज नहीं है और न संसद की हरी झंडी के लिए बहुप्रतीक्षित ​​वित्तीय विधेयकों के खिलाफ उनकी कोई राय है। तो मुख्य विपक्ष के इस हाल पर मौकापरस्त वामपंथ, क्षेत्रीय क्षत्रपों, धंधेबाज समाजवादियों​ ​ और सत्ता में भागेदारी और माल पानी बटोरने में निष्णात अंबेडकरवादियों से आम आदमी क्या उम्मीद करें?मालूम हो कि आर्थिक सुधारों का मामला नीति निर्धारण का है, जिसपर पूरी तरह कारपोरेट वर्चस्व है। सुधारों के लिए संसद की हरी झंडी कतई जरूरी नहीं है। जाहिरा तौर पर पूरी संसदीय कार्रवाई वोट बैंक साधने की कवायद है, जो हिंदू राष्ट्रवाद पर दखलदारी का सीधा मामला है और इसमें​​ कांग्रेस को बहुत बढ़त मिल गयी है। बाला साहेब के अवसान को भी कांग्रेस ने भुना लिया और कसाब की फांसी के बाद तो उसकी बल्ले बल्ले!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



हंगामेदार तो रहेगा संसद सत्र, पर आम आदमी को हासिल क्या होगा?देश अब भगवा हो गया है। राजनीतिक लड़ाई हिंदुत्व के विरुद्ध हिंदुत्व की लड़ाई है, जिसका न मनुस्मृति व्यवस्था बदलने में कोई​ ​ दिलचस्पी है और न कारपोरेट साम्राज्यवाद के विरोध का एतराज।महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने शिवाजी पार्क में हिंदुत्व के परम मसीहा बाल ठाकरे के सार्वजनिक  अंतिम संस्कार के जरिये पूरे देश में हिंदुत्व की लहर पैदा कर दी और मीडिया के लाइव विवरण ने जो उन्माद पैदा किया, ​​उसीका नतीजा है शाहीन और रेणु की गिरफ्तारी। इसमें भी कांग्रेस की पहल शिवसेना और हिंदुत्व ब्रिगेड पर बारी रही। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का झंडा उठाकर जब मीडिया ने राष्ट्रय बवाल पैदा किया, तब भी कांग्रेस ने इसके खिलाफ कार्रवाई करने का श्रेय खुद ले लिया। ऐसे में जब वित्तीय विधेयकों को पास कराने की डिनर डिप्लोमेसी में नाकाम कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव या फिर संसद में मत विभाजन का सामना करने की रणनीति​ ​ बना रही है, संसद के शीतकालीन सत्र के ऐन पहले आतंक के विरुद्ध युद्ध को महिमामंडित करते हुए कसाब को फांसी दे दी गयी। इसपर हिंदुत्व का जो राष्ट्रीय उन्माद बना है, उसपर कांग्रेसी मुहर है। गाजा संकट पर कोई नीति अपनाकर अमेरिका के वित्तीय संकट, तेल विपर्यय और यूरोजन ​​की मंदी की परवाह किये बिना आर्थिक सुधारों के अश्वमेध अभियान के मध्य आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिका और इजराइल के युद्ध को​​ राष्ट्रीय कार्निवाल बनाकर हिंदु राष्ट्रवाद के सुदृढ़ किले से संघ परिवार को बेदखल करने की यह नायाब चाल है। दूसरी ओर,खुदरा कारोबार में विदेशी विनिवेश का विरोध करने वाली भाजपा को सुधार के बाकी एजंडे पर कोई एतराज नहीं है और न संसद की हरी झंडी के लिए बहुप्रतीक्षित ​​वित्तीय विधेयकों के खिलाफ उनकी कोई राय है। तो मुख्य विपक्ष के इस हाल पर मौकापरस्त वामपंथ, क्षेत्रीय क्षत्रपों, धंधेबाज समाजवादियों​ ​ और सत्ता में भागेदारी और माल पानी बटोरने में निष्णात अंबेडकरवादियों से आम आदमी क्या उम्मीद करें?

मालूम हो कि आर्थिक सुधारों का मामला नीति निर्धारण का है, जिसपर पूरी तरह कारपोरेट वर्चस्व है। सुधारों के लिए संसद की हरी झंडी कतई जरूरी नहीं है। जाहिरा तौर पर पूरी संसदीय कार्रवाई वोट बैंक साधने की कवायद है, जो हिंदू राष्ट्रवाद पर दखलदारी का सीधा मामला है और इसमें​​ कांग्रेस को बहुत बढ़त मिल गयी है। बाला साहेब के अवसान को भी कांग्रेस ने भुना लिया और कसाब की फांसी के बाद तो उसकी बल्ले बल्ले!भाजपा ने 26/11 के आरोपी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि पाकिस्तान में बैठे उसके आकाओं को भी कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, देर आए दुरुस्त आए। कसाब की फांसी से मुंबई के लोगों के जख्मों पर मरहम लगेगा, लेकिन उनके घाव अब भी हरे हैं। उन्हें तभी राहत मिलेगी जब सीमा पार बैठे कसाब के आकाओं को कानून के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरू को भी जल्द फांसी देने की मांग की।जाहिर है कि राष्ट्रीय मुद्दा अब न विदेशी निवेश है और न आर्तिक सुधारों की जनसंहार की नीतियां।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि भारत को विदेशी तथा घरेलू कंपनियों के लिए निवेशक अनुकूल व्यापार माहौल तैयार करना होगा क्योंकि विदेशी तथा घरेलू कंपनियों को यहां कारोबार करने में दिक्कत हो रही है।अहलूवालिया ने  कहा,'न केवल जापानी बल्कि भारतीय समेत सभी कंपनियां काफी बाधाओं का सामना कर रही हैं क्योंकि हमने ऐसा माहौल नहीं तैयार किया जहां लोग कह सकें कि कोई समस्या नहीं है।' भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित संगोष्ठी के दौरान अलग से बातचीत में अहलूवालिया ने यह बात कही।उन्होंने कहा कि यह वास्तविक मुद्दा है और अधिकतर समस्याएं राज्य सरकारों के स्तर पर उठती है न कि केंद्र सरकार के स्तर पर। अहलूवालिया ने कहा,'मुझे नहीं लगता कि यह समस्या केंद्र सरकार के स्तर पर है लेकिन कई मंजूरी राज्य स्तर पर जरूरी होती है जिससे समस्या उत्पन्न होती है।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को कारोबार के लिहाज से अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए और इस संबंध में अपनी प्रक्रियाएं पर गौर करना चाहिए।

जानकारी मिली है कि वित्त मंत्रालय ने जीएएआर को 3 साल के लिए टालने की शोम कमेटी की सिफारिश खारिज की है।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय अप्रैल 2014 से जीएएआर लागू करने के पक्ष में है। मामले पर प्रधानमंत्री अंतिम फैसला लेंगे। शोम कमेटी ने अर्थव्यवस्था में मंदी को देखते हुए जीएएआर टालने की राय दी थी।भारी विवाद को देखते हुए पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जीएएआर की समीक्षा के लिए शोम कमेटी बनाई थी। सरकार पहले ही जीएएआर को 1 साल के लिए यानि वित्त वर्ष 2014 तक टाल चुकी है।

सरकार शुक्रवार को हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में चार प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी।सरकार ने चालू वित्तवर्ष में विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में यह शुरुआत है।एचसीएल ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा है, 'हिस्सेदारी बिक्री शेयर बाजारों में अलग-अलग 'खिड़कियों' पर होगी. यह 23 नवंबर को सुबह 9.15 बजे शुरू होकर उसी दिन 3.30 बजे बंद होगी।'इश्यू के लिए मूल्य की घोषणा कल की जाएगी। बंबई शेयर बाजार में कंपनी का शेयर 3.86 प्रतिशत के नुकसान के साथ 239.20 रुपये पर बंद हुआ।सरकार दूसरे चरण में कंपनी में अपनी 5.59 प्रतिशत हिस्सेदारी का और विनिवेश करेगी, जिससे कंपनी में उसकी हिस्सेदारी घटकर 90 प्रतिशत पर आ जाएगी।विनिवेश सचिव हलीम खान ने इस बारे में मंत्री स्तरीय समिति की बैठक के बाद कहा, 'हम बाजार में अतिरिक्त तरलता नहीं डालना चाहते हैं. यही वजह है कि विनिवेश दो चरण में किया जाएगा।'कंपनी ने कहा है कि चार प्रतिशत हिस्सेदारी के 3.7 करोड़ शेयरों में से 25 प्रतिशत म्यूचुअल फंडों और बीमा कंपनियों को आवंटन के लिए आरक्षित रहेंगे। 'म्यूचुअल फंडों और बीमा कंपनियों के अलावा किसी अन्य एकल बोलीकर्ता को 25 फीसद से अधिक का आवंटन नहीं किया जाएगा।' उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर को सरकार ने कंपनी की 9.59 प्रतिशत हिस्सेदारी शेयर बाजारों के जरिये शेयरों की बिक्री पेशकश की मंजूरी दी थी।चालू वित्तवर्ष के दौरान सरकार ने विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये नाल्को, सेल, एमएमटीसी, एनटीपीसी और ऑयल इंडिया समेत अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की सरकार की योजना है।

एलआईसी को अब किसी कंपनी में 30 फीसदी तक इन्वेस्ट करने की इजाजत मिल गई है। पहले यह सीमा 10 फीसदी थी। फाइनैंशल सर्विसेज सेक्रेटरी डीके मित्तल ने बताया, 'एलआईसी अब कंपनी के पेडअप कैपिटल का 30 फीसदी तक निवेश कर सकती है। पहले वह 10 फीसदी तक ही निवेश कर सकती थी।' सरकार बैंकों के लिए रीकैपिटलाइजेशन प्लान का भी एलान करेगी। इस प्लान को राइट्स इशू के जरिए अंजाम देने पर विचार किया जा रहा है। एलआईसी के लिए नई इन्वेस्टमेंट नियम से बीमा रेग्युलेटर इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) खुश नहीं है। हालांकि, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (एलआईसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर एस सरकार ने इन मतभेदों को नजरअंदाज करने की कोशिश की।

सरकार ने बताया, 'इरडा का रेग्युलेशन आने से पहले भी हमारे पास 30 फीसदी तक निवेश की सहूलियत थी, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया। जब स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे नए फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस बनाए जा रहे थे, तो हमने हमेशा खुद को दायरे तक सीमित रखा। हम पूरी तरह से इरडा के रेग्युलेशन का पालन करते हैं और हमारा इससे परे जाने का कोई इरादा नहीं है।'

एलआईसी के एक और सीनियर अधिकारी ने साफ किया कि नए नियमों से इंश्योरेंस कंपनी को लिस्टेड फर्मों में 25 फीसदी तक और अनलिस्टेड फर्मों में 30 फीसदी तक निवेश की इजाजत होगी। उन्होंने बताया, 'हम लिस्टेड फर्मों में 25 फीसदी स्टेक तक नहीं पहुंचेंगे या यह सीमा पार नहीं करेंगे, क्योंकि इससे सेबी के नियमों का उल्लंघन होगा।'

2011 में सिक्युरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि किसी लिस्टेड फर्म में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने वाली इकाई के लिए पब्लिक से अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सा खरीदने के लिए ओपन ऑफर लाना जरूरी होगा। एलआईसी को नियमों में मिली ढील से सरकार को 30,000 करोड़ का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। नए नियमों के जरिए एलआईसी सरकारी कंपनियों में ज्यादा हिस्सेदारी खरीद सकेगी। करंट फिस्कल इयर में एलआईसी का इक्विटीज में 50,000 करोड़ रुपए निवेश करने का इरादा है। बैंक कैपिटलाइजेशन के मसले पर फाइनैंशल सर्विसेज सेक्रेटरी का कहना था कि सरकार जल्द ही इस बारे में प्लान तैयार करेगी, जिसमें राइट्स इशू का विकल्प भी होगा। मित्तल ने बताया, 'बैंक के लिए रीकैपिटलाइजेशन पर जल्द ही अंतिम फैसला किया जाएगा।' उनका यह भी कहना था कि अगर सरकार बैंकों के लिए राइट्स इशू का विकल्प चुनती है, तो ऐसा सभी बैंकों के लिए किया जाएगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने कहा है कि वह राइट्स इशू के जरिए रीकैपिटलाइजेशन करना चाहेगा। इस फिस्कल इयर में सरकार का इरादा सरकारों बैंकों में 15,888 करोड़ रुपए की पूंजी डालना है।

पाकिस्तान ने मुंबई हमले के गुनाहगार अजमल कसाब को फांसी दिए जाने को लेकर सावधानी के साथ प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह हर तरह के आतंकवाद की निंदा करता है और दहशतगर्दी को खत्म करने के लिए सभी देशों के साथ सहयोग का इच्छुक है। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुअज्जम खान ने एक बयान में कहा, हम आतंकवाद के हर स्वरूप और उसके प्रकटीकरण की निंदा करते हैं। हम आतंकवाद की बुराई को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए क्षेत्र के सभी देशों के साथ करीबी सहयोग करना और उसके लिए काम करने की इच्छा रखते हैं।

संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। लेकिन पिछले मानसून सत्र में विपक्ष के विरोध के चलते कामकाज सुचारु नहीं हो पाया और इस वजह से संसद में 100 विधेयक लंबित रह गए।इन विधेयकों में कई महत्वपूर्ण विधेयक हैं जैसे भूमि अधिग्रहण, लोकपाल एवं लोकायुक्त, व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा विधेयक, धन की हेराफेरी, कम्पनीज और बैंकिग, न्यायिक उत्तरदायित्व विधेयक, विदेशी शिक्षा संस्थान, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार, मैला ढोने की प्रथा की समाप्ति व पुनर्वास, कोट विधेयक और खनन विधेयक शामिल हैं। मानसून सत्र की समाप्ति के दौरान संसद के समक्ष कुल 102 विधेयक लंबित थे।सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ विपक्ष ने जो तेवर अख्तियार किए हैं और सरकार से अलग हुई तृणमूल कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जिस तरीके से अड़ी हुई है, उससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि संसद का आगामी सत्र हंगामेदार होगा और सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले को लेकर संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ चुका है और राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बन रही हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को अविश्वास प्रस्ताव की परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। विपक्ष एक बार फिर से सरकार को महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटाले और एफडीआई के मसलों पर घेरने की तैयारी में है। सरकार संसद में विपक्ष के इन मुद्दों से भले ही निपट लेने की सोच रही हो लेकिन उसके सामने सबसे बड़ा संकट अविश्वास प्रस्ताव के दांव से खुद को सुरक्षित रखना है।
सरकार के लिए मुसीबत यह है कि बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अपना रुख पूरी तरह से साफ नहीं किया है। यही नहीं शक्ति परीक्षण का मौका आने पर यूपीए-2 में शामिल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) का रुख क्या होगा, इस पर भी रहस्य बरकरार है। करुणानिधि ने कहा है कि उनकी पार्टी अपने संसदीय दल के सदस्यों से विचार-विमर्श करने के बाद अपना रुख तय करेगी।

जाहिर है कि खबरों के मुताबिक तो संसद के शीतकालीन सत्र के भी बेहद हंगामेदार रहने के आसार हैं। गुरुवार से शुरू हो रहे इस सत्र में तय माना जा रहा है कि शुरुआती कुछ दिन शायद ही कोई कामकाज हो पाए। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लगभग समूचे विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि सदन की कार्यवाही तभी चलेगी, जब खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] के फैसले पर वोटिंग होगी। जबकि सरकार इसके लिए राजी नहीं दिख रही है।रिटेल में एफडीआई के मसले पर सरकार के खिलाफ क्या रुख अपनाया जाए, विपक्षी दल अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं। मुख्य विरोधी गठबंधन एनडीए ने एक तरफ मतविभाजन का प्रस्ताव लाने की बात कही है तो दूसरी तरफ ममता को नाराज न करने की रणनीति के तहत अविश्वास प्रस्ताव का विकल्प भी खुला रखा है।दूसरी ओर, विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बीमा और पेंशन विधेयकों को पारित करवाने में जुट गई है। संसदीय मामला मंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को यहां कहा कि देश में विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए विगत महीनों के दौरान घोषित किए गए आर्थिक सुधारों को कानूनी शक्ल देना जरूरी है। यही कारण है कि सरकार ने अपना ध्यान बीमा एवं पेंशन विधेयकों पर केंद्रित किया है। कमलनाथ ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत के दौरान कहा कि गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में वित्तीय विधेयकों का पैकेज पेश करने को सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। यह सत्र महीना भर चलेगा। सरकार इस सत्र के दौरान कुल मिलाकर 25 विधेयकों को पारित करवाने का इरादा रखती है। गौरतलब है कि बीमा विधेयक पारित हो जाने पर घरेलू बीमा कंपनियों में विदेशी फर्में 49 फीसदी तक हिस्सेदारी ले सकेगी जो फिलहाल 26% है। इसी तरह पेंशन बिल के पारित हो जाने पर पेंशन फंडों में विदेशी कंपनियां 49% तक हिस्सेदारी हासिल कर सकेंगी। मौजूदा समय में पेंशन फंडों की इक्विटी खरीदने की इजाजत विदेशी कंपनियों को नहीं है। विदेशी निवेशक लंबे समय से इन दोनों विधेयकों के पारित होने की बाट जोह रहे हैं। सरकार इसके अलावा एक और विधेयक पर फोकस कर रही है जिसके पारित हो जाने पर आरबीआई द्वारा नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके साथ ही भारतीय बैंकों पर आरबीआई का नियामक नियंत्रण भी बढ़ जाएगा।

दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री तक को कसाब को फांसी के बारे में मालूम न था पर फांसी की टाइमिंग के मद्देनजर यह निहायत असंभव है।बुधवार की सुबह मुंबई हमले में मारे गए 166 लोगों के परिजनों के लिए काफी सूकून देने वाली रही होगी। जब देश नींद से जागा तो उसे अजमल आमिर कसाब को फांसी पर लटकाए जाने की खबर मिली।पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को फांसी देने की प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी गई। कसाब को फांसी की घटना की गोपनीयता ने ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया को भी हैरत में डाल दिया है। कसाब को फांसी देने की पूरी कवायद को ऑपरेशन `एक्स` के तहत अंजाम दिया गया जिसमें गिने-चुने अधिकारी ही काम कर रहे थे। मुंबई आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद हिंदुस्‍तान में जश्‍न का माहौल है। भाजपा से लेकर कांग्रेस तक ने केंद्र सरकार के इस फैसलों को एकदम सही ठहराया है। आम आदमी भी कसाब की मौत पर खुशी जाहिर कर रहा है। वहीं, कसाब की मौत को लेकर गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह में जुबानी जंग शुरु हो गई है।गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अफजल गुरु का क्‍या, जिसने 2001 में हमारे लोकतंत्र के मंदिर लोकसभा पर हमला किया था। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्विट किया कि आखिरकार कसाब को फांसी हो ही गई। भारत सरकार को अब मुंबई हमले के असली जिम्मेदार लोगों को सौंपे जाने के मुद्दे पर पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। इसके अलावा अफजल गुरू का मामला भी शुरू होना चाहिए। सिंह ने मोदी और भाजपा से पूछा है कि क्‍या वह बताएंगे कि एनडीए सरकार ने क्‍यों नहीं राजीव गांधी के हत्‍यारों को फांसी दी। किसने उन्‍हें 1998 में यह सजा दी।दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने कसाब की फांसी से कैग पर भी निशाना साधा। एक मजाकिया ट्वीट को रिट्वीट करते हुए दिग्गी ने कहा, 'खुदा का शुक्र है कसाब की फांसी की प्रक्रिया कैग की निगरानी में नहीं थी वरना यह भी मीडिया में लीक हो जाती।'

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि कसाब को फांसी देने के कार्यक्रम की जानकारी केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री को नहीं थी। यहां तक कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी इसकी जानकारी नहीं थी। इस बारे में सिर्फ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्रालय को ही जानकारी थी।

शिंदे ने एक निजी टेलीविजन चैनल को बताया कि उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों को इसकी जानकारी टेलीविजन से ही मिली।

शिंदे ने कसाब को फांसी देने की कार्रवाई को दैनिक काम काज का हिस्सा बताया और कहा, 'सिर्फ गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति को ही इसकी खबर थी। इसका मंत्रिमंडल से कोई नाता नहीं था।'

कसाब ने कहा कि प्रधानमंत्री को भी इसकी जानकारी टेलीविजन से ही मिली।

भारत सरकार ऐसा नहीं चाहती थी कि देश और दुनिया की मीडिया में इस बाल को लेकर शोर-शराबा हो। कसाब को मिली सजा को पूरा करने के लिए स्पेशल टीम बनाई गई, जिसने तय कार्यक्रम के तहत ऐक्शन लिया। आमिर अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने के इस गोपनीय प्लान नाम दिया गया- ऑपरेशन एक्स।कसाब को फांसी के पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए 17 अधिकारियों की स्पेशल टीम बनाई गई थी, जिनमें से 15 ऑफिसर मुंबई पुलिस से ही थे। जिस वक्त ऑपरेशन-X को अंजाम दिया जा रहा था, उस दौरान 17 में से 15 अधिकारियों के फोन बंद थे।केन्द्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी में चल रहे `ऑपरेशन-X` के तहत कसाब को 19 नवंबर को ही आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल शिफ्ट कर दिया गया था। कसाब को मुंबई से पुणे जेल में ट्रांसफर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई आईजी देवन भारती को। जब बुधवार सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर कसाब को फंसी दे दी गई तब यह कहा जा रहा है कि आईजी ने मैसेज किया -ऑपरेशन X पूरी तरह सफल हुआ। इस तरह हुआ आपरेशन एक्स के तहत कसाब का द एंड।

इसीके मध्य विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने स्वीडन की फर्नीचर क्षेत्र की कंपनी आइकिया के 10500 करोड़ रुपए के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 20 नवंबर 2012 को मंजूरी प्रदान की। यह देश के एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है।यह जानकारी विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की बैठक के बाद आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने दी।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले औद्योगिक नीति एवं संवर्धन बोर्ड (डीआईपीपी) ने पहले ही आइकिया के देश में 25 स्टोर खोलने के प्रस्ताव की समीक्षा कर ली है।अब इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की मंजूरी लेनी होगी। विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) सिर्फ 1200 करोड़ रुपए तक के निवेश की अनुमति दे सकता है।आइकिया समूह घर तथा दफ्तरों में काम आने वाले फर्नीशिंग उत्पादों की बिक्री करता है। आइकिया समूह द्वारा अपनी शतप्रतिशत सहायक इकाई के जरिए देश के एकल ब्रांड क्षेत्र में निवेश का प्रस्ताव किया गया।

बाल ठाकरे की मौत के बाद फेसबुक पर कमेंट करने के मामले में लड़कियों की गिरफ्तारी आईटी कानून की गड़बडिय़ों की वजह से हुई। इसे और स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने यह बात कही है।शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन पर मुंबई बंद रहा था। इसके खिलाफ 21 वर्षीय शाहीन ढांडा ने फेसबुक पर टिप्पणी की थी। शाहीन की टिप्पणी को उसकी दोस्त रेणु श्रीनिवासन (20) ने लाइक किया था। शिवसैनिक की शिकायत पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, बाद में निजी मुचलके पर अदालत ने दोनों को छोड़ दिया था।मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सोमवार रात को कोंकण के आईजी पुलिस को मामले की जांच कर दो दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। पुलिस विभाग के लीगल सेल ने भी कार्रवाई को अनुचित ठहराया था। हालांकि पाटिल ने यह भी कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी तरह कहा जा सकेगा कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई सही थी या गलत। बहरहाल  बाल ठाकरे की मौत के बाद 21 साल की एक लड़की के फेसबुक कमेंट पर हंगामा बढ़ गया है। सोशल साइट्स पर इस लड़की के समर्थन में कमेंट्स की बाढ़ आ गई है। शिवसेना इस मसले पर बंट गई है। लड़की के चाचा के क्लिनिक पर हमला करने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार नौ लोगों को सेंशंस कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी 9 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इसी बीच शाहीन ने अपना फेसबुक अकाउंट भी बंद कर दिया है।इनकी गिरफ्तारी को शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने सही ठहराया। उन्‍होंने कहा कि वह हमला करने वालों लोगों की गिरफ्तारी का समर्थन करते हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी। लेकिन पलघर (मुंबई) में शिवसेना के जिला अध्‍यक्ष ने कहा है कि शिवसैनिकों ने जो किया वह बाल ठाकरे के प्रति उनका प्यार दर्शाता है।

सदन के कामकाज को सुचारु रखने के लिए बुधवार को मीरा कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। सभी दलों ने इसके लिए इच्छा तो जताई, लेकिन शर्ते भी रख दी हैं। पहले से तय रणनीति के तहत लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने स्पष्ट किया कि सरकार जिस तरह से एफडीआइ ला रही है उससे विपक्ष असंतुष्ट है। पिछले साल तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आश्वासन दिया था कि राजनीतिक दलों को विश्वास में लेने के बाद ही फैसला लिया जाएगा। अब सरकार अकड़ के साथ यह कहने से गुरेज नहीं कर रही है कि विपक्ष से किसी सलाह की जरूरत ही नहीं है। बताते हैं कि सुषमा के साथ-साथ वाम दल, जदयू, अकाली दल, अन्नाद्रमुक जैसे दलों ने भी यही बात दोहराई और नियम 184 के तहत एफडीआइ पर चर्चा की शर्त रख दी है। बैठक में केवल तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही, लेकिन उसे समर्थन नहीं मिला। वैसे, भाजपा नेताओं ने तृणमूल को यह कहकर समझाया है कि आने वाले वक्त में विपक्षी दलों की एकजुटता बनाकर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

दूसरी ओर संसदीय कार्यमंत्री के रुख ने साफ कर दिया है कि सरकार वोटिंग के लिए राजी नहीं है। लिहाजा, उन्होंने विपक्ष के तर्क को काटते हुए कहा कि प्रणब के बयान को गलत समझा गया था। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि राजनीतिक दलों से भी बात की जाएगी। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में शुरुआती कुछ दिनों में सदन का कामकाज बाधित हो सकता है।

अविश्वास प्रस्ताव पर राय बनती न देख ममता ने कहा है कि अगर वाम दलों को इस पर ऐतराज है तो वे खुद अविश्वास प्रस्ताव लाएं, तृणमूल कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। हालांकि लेफ्ट ने ऐसा कोई प्रस्ताव लाने से इनकार किया है। उसका कहना है कि यह प्रस्ताव संसद में गिर जाएगा और सरकार उसे हाल में उठाए गए अपने सभी 'लोकविरोधी' कदमों की पुष्टि के रूप में प्रचारित करेगी।


मतविभाजन का प्रस्ताव लाने का फैसला वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में हुई एनडीए की बैठक में लिया गया। इसमें दूसरे सभी दलों से भी सहयोग मांगा गया है। हालांकि यह बताते हुए बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की संभावना पर भी सभी दलों से चर्चा की जाएगी।


उधर तृणमूल के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन न मिलता देख पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने मंगलवार को नया दांव खेला। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार को गिराने के लिए वामदल अगर अविश्वास प्रस्ताव लाएं तो तृणमूल उसका समर्थन करने के लिए तैयार है। ममता ने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मैं सीपीएम के राज्य पार्टी मुख्यालय भी जाने को तैयार हूं।


वहां जाकर मैं सीपीएम के सचिव बिमान बोस से बात करूंगी।' लेकिन देर शाम उन्हें बिमान बोस का भी टका सा जवाब मिल गया। बोस ने कहा, 'किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए कोई भी आ सकता है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए लेफ्ट के पास पर्याप्त संख्या नहीं है।'

26/11 को मुंबई पर हुए हमले के एकमात्र जिंदा पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को बुधवार सुबह फांसी दे दी गई. कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट कर बुधवार सुबह साढ़े सात बजे फंदे लटकाया गया. गृह मंत्री आर आर पाटिल ने इस बारे में आधिकारिक पुष्टि की. फांसी से पहले उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल में लगभग चार साल से रखा गया था. यह कार्रवाई बहुत गोपनीय रखी गई. कसाब की फांसी पर विभिन्न बयान आ रहे हैं:
आर. आर. पाटिल: पूरी दुनिया के सामने अजमल कसाब का अपराध साबित हुआ और आखिरकार उसे फांसी दे दी गई. यह 26/11 के हमले में मारे गए निर्दोष लोगों और शहीद हुए अधिकारियों के लिए श्रद्धांजलि है.

सलमान खुर्शीद: पाकिस्तान में कसाब के परिवार को गृह मंत्रालय की तरफ से इस बारे में जानकारी दे दी गई थी. उनकी ओर से शव मांगा जाता तो उन्हें दे दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जी पार्थसारथी, पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त: कसाब के शव को भारत की धरती पर नहीं दफनाया जाना चाहिए था. कम से कम दुनिया को यह संदेश तो दिया जाता कि हम कितने गुस्से में हैं.

सुशील कुमार शिंदे: जैसे ही राष्ट्रपति महोदय की तरफ से कसाब की दया याचिका खारिज करने की सूचना मिली हमने तय समय के अनुसार ही फांसी की सजा देने की प्रक्रिया पर कार्रवाई की. कसाब के मृत शरीर को अगर पाकिस्तान मांगता तो हम दे देते लेकिन उन्होंने इसकी मांग नहीं की इसलिए उसे यहीं दफनाया जाएगा. पाकिस्तान को इसकी इत्तला कर दी गई है.

मुख्तार अब्बास नकवी: यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जिन्होंने भारत में आतंक फैलाने की साजिश की है. इसके अलावा यह उन लोगों लिए अच्छी खबर है जो 26/11 के हमले से पी‍डि़त हैं.

राशिद अल्वी: हिन्दुस्तान में कानून का राज है. अगर कसाब को उसी दिन गोली मार दी जाती तो किसी को कोई परेशानी नहीं होती; पर कसाब को पूरा मौका दिया. आखिर में कसाब को उसके गुनाह की सजा मिली. यहां कानून का राज है, पर यहां कोई गुनाह करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.

उज्ज्वल निकम: हां, कसाब को फांसी पर लटकाया जा चुका है. उसे बुधवार की सुबह साढ़े सात बजे यरवदा सेंट्रल जेल में फांसी दी गई है. मुझे लगता है कि कसाब की फांसी के जरिए दहशतगर्दों तक संदेश जाएगा कि हमारे देश में दहशतगर्दी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/who-said-what-on-kasabs-execution-1-713749.html

मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब की फांसी सोशल मीडिया में तेजी से फैली. मुंबई के लोगों के साथ ही पूरे देश में इस घटना को लेकर रोष था. कसाब को फांसी नहीं दिए जाने को लेकर भी लोगों में गुस्‍सा था. बुधवार सुबह कसाब की फांसी की खबर से लोगों को राहत मिली. सोशल मीडिया के जरिये लोगों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी. राजनीति जगत के अलावा बॉलीवुड ने भी कसाब की फांसी पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
फरार है अजमल कसाब का कुनबा
गायिका श्रेया घोषाल ने ट्विटर पर लिखा, आखिरकार 26/11 के आतंकी कसाब को सजा मिल ही गई. सुबह 7:36 में उसे पुणे के यरवडा जेल में फांसी दे दी गई.

मॉडल गीता बसरा ने लिखा, कसाब को! एक राहत देने वाली खबर, न्‍याय मिल ही गया.

कुणाल कोहली, कसाब की फांसी के बाद उन लोगों को भी फांसी दे देनी चाहिए जिन्‍होंने मुंबई में हमले की पूरी साजिश तैयार की थी.

अशोक पंडित ने ट्वीट किया, अफजल गुरू से पहले कसाब को फांसी देकर सरकार ने एक तरह से स्‍वीकार किया कि संसद के लोगों से पहले आम लोग अधिक महत्‍वपूर्ण है.

रितुपर्णा घोष का ट्वीट था, कसाब तो इस साजिश का एक सिपाही था, इस साजिश को रचने वाले अभी भी पहुंच के बाहर है.

पाक आतंकी कसाब को मिली फांसी
सेलिना जेटली ने लिखा, अगर कसाब की फांसी की सजा सच है तो उस हमले में मारे गए शहीदों के परिवार को कुछ इंसाफ मिलेगा.

महेश भट्ट ने ट्वीट किया, कई जिंदगियों को मारने वाली की जिंदगी ले ली गई. जिस तरह उसने लोगों की जिंदगी ली उसी तरह उसकी जिंदगी भी ले ली गई.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/bollywoods-reaction-on-kasabs-hanging-1-713762.html

26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों के करीब चार साल बाद पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को आज यहां यरवदा जेल में फांसी दे दी गई। मुंबई हमले से लेकर कसाब को फांसी दिए जाने तक का घटनाक्रम इस प्रकार है:-

26 नवंबर 2008 : कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर हमला किया।
27 नवंबर 2008 : कसाब को तड़के एक बज कर तीस मिनट पर पकड़ा गया और गिरफ्तार कर नायर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
29 नवंबर 2008 : आतंकवादियों के कब्जे वाले सभी स्थानों को मुक्त कराया गया। नौ आतंकवादी मारे गए।
30 नवंबर 2008 : कसाब ने पुलिस के समक्ष अपना अपराध स्वीकार किया।
13 जनवरी 2009 : एमएल ताहिलियानी मुंबई हमला मामले की सुनवाई के लिए न्यायाधीश नियुक्त किए गए।
26 जनवरी 2009 : कसाब के खिलाफ सुनवाई के लिए ऑर्थर रोड जेल का चयन।
05 फरवरी 2009 : कसाब के डीएनए के नमूने कुबेर नौका में पाए गए सामान में मिले डीएनए से मिल गए। कुबेर नौका से ही दसों आतंकवादी पाकिस्तान के कराची से समुद्र मार्ग से मुंबई पहुंचे थे।
20-21 फरवरी 2009 : कसाब ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध स्वीकार किया।
22 फरवरी 2009 : उज्ज्वल निकम सरकारी वकील नियुक्त।
25 फरवरी 2009 : कसाब तथा दो अन्य के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में दाखिल ।
01 अप्रैल 2009 : अंजलि वाघमरे कसाब की वकील नियुक्त।
15 अप्रैल 2009 : बतौर कसाब की वकील, अंजलि वाघमरे हटाई गईं।
16 अप्रैल 2009 : अब्बास काजमी कसाब के वकील नियुक्त।
17 अप्रैल 2009 : कसाब का इकबालिया बयान अदालत में खोला गया। लेकिन कसाब बयान से मुकर गया।
20 अप्रैल 2009 : अभियोजन पक्ष ने कसाब पर 312 आरोप लगाए।
29 अप्रैल 2009 : विशेषज्ञों ने कहा, कसाब नाबालिग नहीं।
06 मई 2009 : आरोप तय किए गए। कसाब पर 86 आरोप लगाए गए लेकिन उसने आरोपों से इनकार किया।
08 मई 2009 : पहले प्रत्यक्षदर्शी ने गवाही दी, कसाब को पहचाना।
23 जून 2009 : हाफिज सईद, जकी उर रहमान लखवी सहित 22 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी।
30 नवंबर 2009 : बतौर कसाब के वकील, अब्बास काजमी हटाए गए।
01 दिसंबर 2009 : केपी पवार काजमी की जगह कसाब के वकील नियुक्त।
16 दिसंबर 2009 : अभियोजन पक्ष ने मुंबई हमला मामले में अपनी गवाही पूरी की।
18 दिसंबर 2009 : कसाब ने सभी आरोपों का खंडन किया।
31 मार्च 2010 : मामले में जिरह समाप्त। विशेष न्यायाधीश एम एल ताहिलियानी ने फैसला तीन मई 2010 तक के लिए सुरक्षित रखा।
तीन मई 2010 : कसाब को दोषी ठहराया गया। सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी सभी आरोपों से बरी।
छह मई 2010 : निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई।
21 फरवरी 2011 : बंबई उच्च न्यायालय ने कसाब को मौत की सजा बरकरार रखी।
मार्च 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय को पत्र लिख कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी।
10 अक्टू बर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगाई।
10 अक्टू बर 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि 'अल्लाह' के नाम पर जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए उसके दिमाग में 'रोबोट' की तरह बातें भरी गईं और वह कम उम्र होने की वजह से मौत की सजा पाने का हकदार नहीं है।
18 अक्टू बर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की अपील विचारार्थ स्वीकार की, जिसमें मुंबई हमला मामले में अजमल कसाब के सह आरोपियों फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी ।
31 जनवरी 2012 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि उसके खिलाफ मामले में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई।
23 फरवरी 2012 : उच्चतम न्यायालय में, मुंबई हमले के षड़यंत्रकारियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच हुई बातचीत के अंश सुनवाए गए और नरसंहार के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए।
25 अप्रैल 2012 : उच्चतम न्यायालय ने ढाई माह से अधिक समय तक चली मैराथन सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
29 अगस्त 2012 : उच्चतम न्यायालय ने कसाब की मौत की सजा तथा मामले में दो कथित भारतीय सह आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला बरकरार रखा।
16 अक्टूकबर 2012 : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से कसाब की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की।
पांच नवंबर 2012 : राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका ठुकराई।
आठ नवंबर 2012 : महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रपति के फैसले की सूचना मिली।
21 नवंबर 2012 : कसाब को पुणे स्थित यरवदा जेल में फांसी दी गई।

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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