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Thursday, November 15, 2012

तो युवराज की ताजपोशी हो ही गयी, अब नीतियों की निरंतरता के बारे में कोई शक की गुंजाइश नहीं है!

तो युवराज की ताजपोशी हो ही गयी, अब नीतियों की निरंतरता के बारे में कोई शक  की गुंजाइश नहीं है!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

तो युवराज की ताजपोशी हो ही गयी, अब नीतियों की निरंतरता के बारे में कोई शक  की गुंजाइश नहीं है!यह वोट बैंक साधने की कवायद कम, कारपोरेट इंडिया और निवेशकों को राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों  को तेज करते जाने की गारंटी ज्यादा है। अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने के साथ ही कांग्रेस ने चुनावी रथ की बागडोर अब राहुल गांधी को सौंप दी है।42 वर्षीय राहुल गांधी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया जाना 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में उनके बढ़ते कद का परिचायक है और इसे आगामी चुनावी जंग में उन्हें पार्टी के चेहरे के तौर पर पेश करने की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।युवराज के सामने जरूर चुनावी महाभारत के कुरुक्षेत्र को जीतने की भारी चुनौती है। भ्रष्टाचार की कालिख और जनविरोधी कांग्रेसी छवि के मद्देनजर , हिंदुत्व की तेज हवा के मुकाबले कांग्रेस ने आपस में मारकाट करते भाजपाइयों के मुकाबले निर्विरोध युवा नेतृत्व और नेहरु गांधी वंश की विरासत  पेश करने का दांव खेल दिया ।पार्टी में राहुल गांधी की बड़ी भूमिका का संकेत देते हुए गुरुवार को उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल, जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, मधुसूदन मिस्त्री और जयराम रमेश को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली चुनाव समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यह ऐलान किया। उन्होंने तीन उप-समूह बनाने की भी घोषणा की, जिनमें एक चुनाव पूर्व गठबंधन के महत्वपूर्ण मामले पर फैसला करेगा। वरिष्ठ नेता एके एंटनी इसके अध्यक्ष होंगे।इसतरह आखिरकार औपचारिक रूप से राहुल गांधी को कांग्रेस में नंबर दो का स्थान मिल गया।

राहुल गांधी (जन्म: 19 जून 1970) एक भारतीय नेता और भारत की संसद के सदस्य हैं, और भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में उत्तर प्रदेश में स्थित अमेठी चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।राहुल गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध हैं। राहुल उस नेहरू-गांधी परिवार से हैं, जो भारत का सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवार है. राहुल को 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत का श्रेय दिया गया है। उनकी राजनैतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता को बल देना, ग्रामीण भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना, प्रमुख हैं।अनुभवहीनता के चलते राहुल ने मनमोहन सिंह की सरकार में मन्त्रीपद लेने से इंकार किया है। आजकल राहुल अपना सारा ध्यान राजनीतिक अनुभव प्राप्त करने और पार्टी को जड़ से मजबूत बनाने पर केंद्रित कर रहे हैं।राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नयी दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वर्तमान काँग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के यहां हुआ था। वह अपने माता पिता की दो संतानों में बड़े हैं और प्रियंका गांधी वढेरा के बड़े भाई हैं। राहुल की दादी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।राहुल की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में हुई थी, इसके बाद वो प्रसिद्ध दून स्कूल में पढ़ने चले गये जहां उनके पिता ने भी विद्यार्जन किया था। सन 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी। राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में अपनी कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की।इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए तैयारियों की आधिकारिक शुरुआत कर दी है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती यह है कि प्रधानमंत्रित्व के सबसे बड़े दावेदार नरेंद्र मोदी के कब्जे से गुजरात को मुक्त कराया जाये। मीडिया में अगला चुनाव मोदी और राहुल के बीच बताया जा रहा है। गुजरात में राहुल का करिश्मा फेल हो गया तो हिंदू राष्ट्रवाद की ​​आंधी के बाकी देश में कांग्रेस और युवराज दोनों के लिे सबसे बड़ी आपदा बन जाने के आसार हैं।दिसंबर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से अगले महीने की एक और दो तारीख को 'प्रचार बमबारी' होगी जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली सहित पार्टी के सभी प्रमुख नेता और मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे। बीजेपी के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि एक और दो दिसंबर को बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेता गुजरात के 95 विधानसभा क्षेत्रों में सुशासन और विकास के संकल्प और संदेश के साथ जनता के बीच जाएंगे और नरेंद्र मोदी शासन को फिर से सत्ता में लाने की जोरदार अपील करेंगे। गुजरात विधानसभा के चुनाव दो चरणों में होंगे।

वित्त मंत्रालय चाहता है कि भारतीय रिजर्व बैंक जल्द से जल्द नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू करे जबकि आरबीआई चाहता है कि पहले उसकी बात सुनी जाए। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिजर्व बैंक से कहा है कि वह नए बैंक लाइसेंस जारी करने के लिए अंतिम नियमावली जारी करने की दिशा में काम शुरू करे और इसमें इच्छुक प्रतिभागियों से आवेदन आमंत्रित करे। लेकिन आरबीआई ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले बैंकिंग नियमन अधिनियम (बीआरए) में संशोधन पर जोर दे रहा है।

वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच केवल इसी मसले पर मतभेद नहीं है। दूसरा मसला रीपो दरों में कटौती का है जिस पर चिदंबरम ने कहा कि इसका फैसला केंद्रीय बैंक को करना है और वह मौद्रिक नीति तय करने वाली संस्था की उस बात पर भरोसा करते हैं जिसमें 'सुखद भविष्य' की बात कही गई है।

नए बैंकिंग लाइसेंस पर उन्होंने कहा, 'इसका एक ढांचा है और हमने हाल में आरबीआई को लिखा है कि वे बीआरए में संशोधन की उम्मीद के साथ इस दिशा में नियमावली को अंतिम रूप देना शुरू करें और इच्छुक प्रतिभागियों से आवेदन स्वीकार करें।'


इसी बीच चीन में निर्विघ्न सत्ता परिवर्तन के तहत उप राष्ट्रपति शी चिनफिंग को देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का नया महासचिव नियुक्त किया गया, जिसके साथ ही राष्ट्रपति हू जिन्ताओ का 10 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब पांचवी पीढ़ी के नेता अगले दशक में विश्व की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की कमान संभालेंगे। अब तक उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन 59 वर्षीय चिनफिंग बतौर राष्ट्रपति मार्च में हू का स्थान लेंगे, जबकि 57 वर्षीय ली क्विंग प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ का स्थान लेंगे।जबकि ग्लोबल हिंदुत्व का कमाल यह हुआ कि दो शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों ने दिवाली के धार्मिक महत्व को पहचान दिलाने के लिए अमेरिकी सीनेट में प्रस्ताव पेश किया। अमेरिकी सीनेट के इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर और जॉन कोर्निन ने भारतीय मूल के अमेरिकी और दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकी के प्रति सम्मान दिखाते हुए प्रकाश के इस त्योहार को मनाने के लिए प्रस्ताव पेश किया है। वार्नर ने कहा कि सीनेट इंडिया कॉकस का सह अध्यक्ष होने के नाते मैं भारतीय लोगों और भारतीय मूल के अमेरिकियों के लिये इस अहम दिन पर अवकाश के लिए प्रस्ताव पेश करता हूं।

ताजपोशी के इस रस्म के मौके पर ही भारी चर्चा में रहे 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के फिसड्डी साबित होने के एक दिन बाद गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार और कांग्रेस दोनों ने नियंत्रक और महालेखापरीक्षक विनोद राय के उस दावे पर सवाल उठाया जिसमें 2008 में हुए स्पेक्ट्रम से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात कही गई थी। तो  दूसरी  ओर,जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने काग्रेस और गाधी परिवार पर एक बार फिर हमला बोला है। स्वामी ने राहुल गांधी के स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख के पिक्टेट बैंक में खाता होने का सनसनीखेज खुलासा करने के साथ ही आरोप लगाया है कि गांधी खानदान ने विभिन्न देशों में दर्जनों फर्जी कंपनियों बनाई। अरबों का धन बटोरा फिर कंपनी बंद कर दी। कांग्रेस के धन से दिल्ली का हेराल्ड हाउस कौड़ियों के भाव खरीदा जिसकी बाजार कीमत 6 हजार करोड़ से अधिक है। सोनिया और राहुल आरोपों का जवाब देने की खुली चुनौती देते हुए स्वामी ने कहा, मां-बेटे अपने पदों से इस्तीफा दें। ऐसा न किया तो अदालत का दरवाजा खटखटाउंगा।

चुनाव से पहले गठबंधन की प्रमुख जिम्मेदारी रक्षा मंत्री एके एंटनी को सौंपी गई है। चुनाव पूर्व गठबंधन उपसमूह का अध्यक्ष एंटनी को बनाकर छह सदस्यीय समिति में वीरप्पा मोइली, मुकुल वासनिक, सुरेश पचौरी और मोहन प्रकाश के साथ-साथ राहुल के करीबी मंत्री जितेंद्र सिंह को रखा गया है। इसी तरह एंटनी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय घोषणापत्र और सरकारी कार्यक्रम उपसमूह भी गठित किया गया है। इसमें संगठन और सरकार के लोग शामिल किए गए हैं। घोषणापत्र पर अमल और सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी वाली इस कमेटी में एंटनी के अलावा पी चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद, संदीप दीक्षित, अजीत जोगी, रेणुका चौधरी, पीएल पूनिया के साथ विशेष आमंत्रित सदस्य मोहन गोपाल भी होंगे।इसी तरह संवाद और प्रचार उप समूह का जिम्मा कांग्रेस में सबसे मुखर नेता दिग्विजय सिंह को सौंपा गया है। दिग्विजय के अलावा इस सात सदस्यीय उप समूह में पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, मौजूदा सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, राजीव शुक्ला के साथ-साथ दीपेंद्र हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और भक्त चरणदास को जगह दी गई है। जनार्दन द्विवेदी के मुताबिक, संवाद बैठक में हुए विमर्श के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष ने ये फैसले लिए हैं।

राहुल की बड़ी भूमिका का एलान करने के साथ ही कांग्रेस ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए भी सरकार व संगठन को सक्रिय कर दिया है। कांग्रेस महासचिव व मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने राहुल की अध्यक्षता वाली चुनाव समन्वय समिति के साथ-साथ तीन अन्य समितियों की घोषणा की। समन्वय समिति के अलावा अन्य समितियों में युवा नेताओं को भी जगह दी गई है, लेकिन वास्तव में बागडोर कांग्रेस के पुराने दिग्गजों के हाथ ही होगी।

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से बुधवार को सिर्फ 9,407 करोड़ रुपये हासिल हुआ। जो 40 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित आय से काफी कम है।सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने राय से पूछा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से हुई आय उनके द्वारा बताए गए अनुमानित नुकसान के करीब क्यों नहीं पहुंच पाई।तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ''श्रीमान सीएजी 1.76 लाख करोड़ रुपये कहां हैं? मेरे खयाल से यह गम्भीर आत्मविश्लेषण करने का समय है। यह वाजिब समय है कि सीएजी को अपनी प्रक्रिया पर मंथन करना चाहिए और यह वाजिब समय है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कुछ अन्य पार्टियां सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।''

सीएजी पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, ''सीएजी को फिर से सोचना चाहिए कि उनका अनुमान कितना सही था।''

सरकार की प्रतिक्रिया की भाजपा और वामपंथी पार्टियों ने निंदा की है।

भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाताओं से कहा, ''सरकार सीएजी जैसी संवैधानिक संस्था पर हमले करने की फिराक में रहती है, जो स्वतंत्र तरीके से काम कर रही है।''

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता नीलोत्पल बसु ने कहा, ''यदि सरकार इस तरह की दलील दे, तो यह सिर्फ शैतानों का तर्क होगा। क्योंकि आपको हमेशा यह याद रखना होगा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने 122 लाइसेंस 9,200 करोड़ रुपये में दे दिए थे।''

उन्होंने कहा, ''इस बार नीलामी के लिए रखे गए सिर्फ 22 लाइसेंस से ही उस राशि से ज्यादा हासिल हो चुके हैं, जितना तब 122 लाइसेंसों से हासिल हुआ था।''

उल्लेखनीय है कि सीएजी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा 2001 की कीमत पर 2010 में स्पेक्ट्रम आवंटन का फैसला लेने के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ।

इस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा भ्रष्टाचार विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करने अहमदाबाद आए सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को पत्रकार वार्ता में कहा, सोनिया,राहुल और प्रियंका के नाम पर 27 कंपनिया है। गांधी खानदान ने अरबों के घपले के बाद इन कंपनियों को बंद कर दिया। बेकऑप्स और एसोसिएट्स जर्नल का उदाहरण देते हुए कहा, बेकऑप्स का पता लोधी रोड़ स्थित प्रियंका-रॉबर्ट वाड्रा के सरकारी बंगले का दिया गया है जो कंपनी कानून का उल्लंघन है। यह सब भ्रष्टाचार सोनिया के प्रश्रय से हो रहा है। मुझे तो सोनिया की देशभक्ति पर भी शक है,उनकी कंपनियों में कई विदेशी व संदेहास्पद लोग भी सदस्य है जो हवाला व कालेधन की देखरेख करने वाले हो सकते है।

स्वामी ने कहा, गाधी परिवार ने काग्रेस के 90 करोड़ रुपए यंग इडियन नामक संस्था में लगाए और फिर इन्हीं रुपयों से दिल्ली का हेराल्ड हाउस खरीदा जहा से आजादी के पहले से हेराल्ड और कौमी आवाज नाम अखबार निकला करते थे। नेहरु जी द्वारा स्थापित इस एतिहासिक भवन का इस्तेमाल अब काग्रेस कार्यालय के रूप में होने लगा है।

स्वामी ने घोटालों के आरोपों में घिरे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को पाक साफ बताते हुए कहा,घोटालों के आधार पर उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए,वह कोई सरकार या मंत्री पद पर नहीं है जो जाच को प्रभावित कर सकते है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बेदाग बताते हुए कहा, वह मोदी के साथ हैं और एक साल से उनका प्रचार कर रहे है। भाजपा को 182 में से 140 सीटें प्राप्त होंगी। पार्टी को विस की सभी सीटें जीत कर कांग्रेस को पाठ पढ़ाना चाहिए। गुजरात में जनता पार्टी के प्रत्याशी उतारने के बारे में पूछे जाने पर कहा,मोदी से 4 टिकट मांगे हैं,यदि टिकट नहीं मिले तो भी वह भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगे। राजग के पीएम इन वेटिंग के बारे में कहा, इस पद के लिए कई उम्मीदवार है। नीतीश और मोदी वर्षो पुराने साथी है। इसलिए किसी एक का पक्ष नहीं ले सकता।

राजनीतिक कैरियर
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शुरूआती कैरियर

स्नातक की पढ़ाई के बाद राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया। इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वो किसके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि राहुल यहां एक छद्म नाम रॉल विंसी के नाम से कार्य करते थे। राहुल के आलोचक उनके इस कदम को उनके भारतीय होने से उपजी उनकी हीनभावना मानते हैं जबकि, काँग्रेसी उनके इस कदम को उनकी सुरक्षा से जोड़कर देखते हैं। सन 2002 के अंत में वो मुंबई में अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक आउटसोर्सिंग कंपनी के चलाने के लिए भारत लौट आये।

[संपादित करें]राजनीतिक कैरियर

2003 में, राहुल गांधी के राष्ट्रीय राजनीति में आसन्न प्रविष्टि के बारे में बड़े पैमाने पर मीडिया की अटकलबाजी थी, जिसकी उन्होंने पुष्टि नहीं की। वह सार्वजनिक समारोहों और कांग्रेस की बैठकों में अपनी माँ के साथ दिखाई दिए। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला देखने के लिए एक सद्भावना यात्रा पर अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथपाकिस्तान भी गए.[5]
जनवरी 2004 में राजनीति उनके और उनकी बहन के संभावित प्रवेश के बारे में अटकलें बढ़ीं जब उन्होंने अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का दौरा किया, जो उस समय उनकी माँ के नेतृत्व में था.उन्होंने एक निश्चित प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था, यह कहकर की "मैं राजनीति के विरुद्ध नहीं हूँ. मैंने यह तय नहीं किया है की मैं राजनीति में कब प्रवेश करूँगा और वास्तव में, करूँगा भी कि नहीं."[6]
मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने राजनीति में अपने प्रवेश की घोषणा की, जिसमें वे अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश केअमेठी से लोकसभा के लिए खड़े हुए, जो भारत की संसद का निचला सदन है.[7] इससे पहले, उनके चाचा संजय ने, एक विमान दुर्घटना से पहले, इस कुर्सी का नेतृत्व किया.यह कुर्सी उनकी माँ के नेतृत्व में थी जब तक वह पड़ोसी कुर्सी राए बरेली में स्थानान्तरित नहीं हुई थी। उस समय राज्य की 80 /10 लोकसभा सीटों को जीतकर, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बुरा हाल था.[6] उस समय, इस कदम ने राजनीतिक टीकाकारों में आश्चर्य उत्पन्न किया, जिन्होंने उनकी बहन प्रियंका में अधिक करिश्माई और सफल होने की संभावना देखी। पार्टी के अधिकारियों के पास मीडिया के लिए CV तैयार नहीं था, उनका कदम इतना आश्चर्य जनक था। इसने अटकलें उत्पन्न की कि भारत के सबसे मशहूर राजनीतिक परिवार के एक युवा सदस्य की उपस्थिति भारत की युवा आबादी के बीच में कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवित करेगी।[8] विदेशी मीडिया के साथ अपने पहले इंटरव्यू में, उन्होंने देश को जोड़ने वाले शख्सियत के रूप में स्वयं को पेश किया और भारत की "विभाजनकारी" राजनीति की निंदा की, यह कहकर कि वह जाति और धार्मिक तनाव को कम करने की कोशिश करेंगे।[7] उनकी उम्मीदवारी को स्थानीयों ने उत्साह के साथ स्वागत किया, जिनका इस क्षेत्र में इस परिवार की उपस्थिति के साथ एक लंबा संबंध था।[6] , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता]] वह एक विशाल बहुमत से जीते, 1,00,000 की एक मार्जिन के साथ परिवार का गढ़ बनाए रखा, जब कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित रूप से हराया।[9] उनका अभियान उनकी छोटी बहन, प्रियंका गांधी वाद्रा द्वारा संचालित किया गया था.[तथ्य वांछित] 2006 तक उन्होंने कोई अन्य पद ग्रहण नहीं किया और मुख्य निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया, और भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रेस में व्यापक रूप से अटकलें थी की सोनिया गांधी भविष्य में उन्हें एक राष्ट्रीय स्तर का कांग्रेस नेता बनाने के लिए तैयार कर रही हैं।[10]
जनवरी 2006 में, हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सम्मेलन में, पार्टी के हजारों सदस्यों ने गांधी को पार्टी में एक और महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया और प्रतिनिधियों के संबोधन की मांग की.उन्होंने कहा, मैं इसकी सराहना करता हूँ और मैं आपकी भावनाओं और समर्थन के लिए आभारी हूँ.मैं आपको विश्वास दिलाता की मैं आपको निराश नहीं करूँगा", लेकिन धैर्य रखने को कहा और तुरंत एक उच्च स्तर भूमिका निभाने से मना कर दिया.[11]
गांधी और उनकी बहन ने 2006 में राय बरेली में पुनः सत्तारूढ़ होने के लिए उनकी माँ के अभियान को प्रबंधित किया, जो की आसानी से 400000 मतों से अधिक मार्जिन के साथ जीती थीं.[12]
2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एक उच्च स्तर के कांग्रेस अभियान में वह एक प्रमुख व्यक्ति थे; कांग्रेस ने, हलाँकि, 8.53% मतदान के साथ केवल 22 सीटें जीती.इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को, जो पिछड़ी जाति के भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती है, अपने ही अधिकार में उत्तर प्रदेश में 16 साल शासन करती हुई पहली पार्टी देखी.[13]
राहुल गांधी को 24 सितंबर 2007 में पार्टी सचिवालय के एक फेरबदल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया गया था.[14] उसी फेरबदल में, उन्हेंयुवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का निरिक्षण दिया गया था.[15]
एक युवा नेता के रूप में खुद को साबित करने के उनके प्रयास में नवम्बर 2008 में उन्होंने नई दिल्ली में अपने 12, तुघ्लक लेन निवास में कम से कम 40 लोगों को सूक्षमता से चुनने के लिए साक्षात्कार आयोजित किया, जो की भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) की सोच-टैंक बनेंगे, जबसे वह सितम्बर 2007 में महासचिव नियुक्त हुए हैं तबसे इस संगठन को परिणत करने के इच्छुक हैं.[16]

[संपादित करें]2009 चुनाव

2009 के लोकसभा चुनावों में, उन्होंने उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 3,33,000 वोटों क अन्तर् से पराजित करके अपना अमेठी निर्वाचक क्षेत्र बनाए रखा.इन चुनावों में कांग्रेस ने कुल 80 लोकसभा सीटों में से 21 जीतकर उत्तर प्रदेश में खुद को पुनर्जीवित किया और इस बदलाव का श्रेय राहुल गांधी को दिया गया है.[17] छह सप्ताह में देश भर में उन्होंने 125 रैलियों में भाषण दिया था.
पार्टी वृत्त में वह RG के रूप में जाने जाते हैं.[18]

[संपादित करें]आलोचना

जब 2006 के आखिर में न्यूज़वीक ने इल्जाम लगाया की उन्होंने हार्वर्ड और कैंब्रिज में अपनी डिग्री पूरी नहीं की थी या मॉनिटर ग्रुप में काम नहीं किया था, तब राहुल गांधी के कानूनी मामलों की टीम ने जवाब में एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसके बाद वे जल्दी से मुकर गए या पहले के बयानों का योग्य किया.[19]
राहुल गांधी ने 1971 में पाकिस्तान के टूटने को, अपने परिवार की "सफलताओं" में गिना.इस बयान ने भारत में कई राजनीतिक दलों से साथ ही विदेश कार्यालय के प्रवक्ता सहित पाकिस्तान के उल्लेखनीय लोगों से आलोचना को आमंत्रित किया[20].प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा की यह टिप्पणी "..बांग्लादेश आंदोलन का अपमान था.[21]
2007 में उत्तर प्रदेश के चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कहा की "यदि कोई गांधी-नेहरू परिवार से राजनीति में सक्रिय होता तो, बाबरी मस्जिद नहीं गिरी होती".इसेपी.वी.नरसिंह राव पर हमले के रूप में व्याख्या क्या गया था, जो 1992 में मस्जिद के विध्वंस के दौरान प्रधानमंत्री थे.गांधी के बयान ने BJP, समाजवादी पार्टी और वाम के कुछ सदस्यों के साथ विवाद शुरू कर दिया, दोनों "हिन्दू विरोधी" और "मुस्लिम विरोधी" के रूप में उन्हें उपाधि देकर[22]. स्वतंत्रता सेनानियों और नेहरू-गांधी परिवार पर उनकी टिप्पणियों की BJP के नेता वेंकैया नायडू द्वारा आलोचना की गई है, जिन्होंने पुछा की "क्या गांधी परिवार आपातकाल लगाने की जिम्मेदारी लेगा?"[23]
2008 के आखिर में, राहुल गांधी के लिए एक स्पष्ट रोक से उनकी शक्ति का पता चला.गांधी को चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करने के लिए सभागार का उपयोग करने से रोका गया, मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की राजनीतिक चालबाजियों के परिणामस्वरूप[24].बाद में, विश्वविद्यालय के कुलपति वी.के.सूरी को राज्यपाल श्री टी.वी.राजेश्वर (जो कुलाधिपति भी थे) द्वारा बाहर किया गया, जो गांधी परिवार के समर्थक और श्री सूरी के नियोक्ता थे.54इस घटना को शिक्षा की राजनीति के साक्ष्य के रूप में उद्धृत किया गया और अजित निनान द्वारा टाइम्स ऑफ इंडिया में एक हास्यचित्र में लिखा गया: "वंश संबंधित प्रश्न का उत्तर राहुल जी के पैदल सैनिकों द्वारा दिया जा रहा है."[25]
सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उनका दाखिला विवादास्पद था क्योंकि एक प्रतिस्पर्धात्मक पिस्तौल निशानेबाज़ के रूप में उनकी क्षमताओं के आधार पर भर्ती किया गया था, जो विवादित था.[26] उन्होंने शिक्षा के एक वर्ष के बाद 1990 में उस कॉलेज को छोड़ दिया था.[27]
उनका बयान कि अपने कॉलेज सेंट स्टीफंस में उनके एक वर्ष के निवास के दौरान, कक्षा में सवाल पूछने वाले छात्रों को "छोटा समझा जाता था", इसने कॉलेज की तरफ से एक कठोर प्रतिक्रिया को जन्म दिया.उन्होंने कहा कि जब वह सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब सवाल पूछना हमारी कक्षा में अच्छा नहीं (होने की कथित) माना जाता था और ज्यादा सवाल पूछना नीचा माना जाता था.महाविद्यालय के शिक्षकों ने कहा की गांधी का बयान ज्यादा से ज्यादा "उनका व्यक्तिगत अनुभव" हो सकता है और सेंट स्टीफेंस में शैक्षिक वातावरण की सामान्यीकरण की वजह नहीं हो सकता है.[28]
जनवरी 2009 में ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड मिलीबैंड के साथ, उत्तर प्रदेश में उनके संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में, अमेठी के निकट एक गाँव में, उनकी "गरीबी पर्यटन यात्रा" के लिए गंभीर आलोचना की गई थी.इसके अतिरिक्त, इसे "सबसे बड़ी कूटनीतिक भूल" के रूप में माना गया, मिलीबैंड द्वारा आतंकवाद और पाकिस्तान पर दी गयी सलाह और श्री मुखर्जी तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ निजी मुलाकातों में उनके द्वारा किये गये आचरण के कारण.[29]

[संपादित करें]युवा नेता

me ek baar milna chahta hu aap meri baat jrur aage bhejege ji sahabram village lalania Thsil Nohar 335525 my ph- n- 9950556606 yuva neta se milne ki v mere Rajasthan ke baare sahb mere ko 10 mints ka taim do ji

[संपादित करें]संदर्भ


  1. Vidya Subrahmaniam (18 April 2004). "Gandhi detergent washes away caste". The Times of India. अभिगमन तिथि: 2007-02-09.
  2. Sudip Mazumdar (25 December 2006). "Charisma Is Not Enough". Newsweek International. अभिगमन तिथि: 2007-02-09.
  3. http://www.newsweek.com/id/200051
  4. हिन्दुस्तान टाइम्स , 16 जनवरी 2007
  5. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | मुशर्रफ की माँ की भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाक़ात
  6. 6.0 6.1 6.2 BBC समाचार | दक्षिण एशिया | भारतीय मुख्य क्षेत्र में गांधी का बुखार
  7. 7.0 7.1 BBC समाचार | दक्षिण एशिया | राहुल का 'विभाजनकारी' राजनीति पर हमला
  8. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | राहुल गांधी की पहेली
  9. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | भारत चुनाव: शुभ दिन - बुरा दिन
  10. "द ट्रिब्यून", चंडीगढ़, 21 अगस्त 2004; "टेलीग्राफ भारत", 20 मई 2006, BBC समाचार, 26 मई 2004.
  11. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | राहुल गांधी का पार्टी भूमिका को इंकार
  12. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | भारत के साम्यवादी भविष्य पर उत्साहित
  13. BBC समाचार | दक्षिण एशिया | उत्तर प्रदेश निम्न जाति भूस्खलन
  14. "Rahul Gandhi gets Congress post". BBC News. 2007-19-24. अभिगमन तिथि: 2007-09-24.
  15. "Rahul Gandhi gets Youth Congress Charge". The Hindu. 2007-19-25. अभिगमन तिथि: 2007-09-25.
  16. "Rahul Gandhi's talent hunt". The Economic Times. 2008-11-07. अभिगमन तिथि: 2008-11-07.
  17. "Sonia secures biggest margin, Rahul follows". The Times of India (Bennett Coleman & Co. Ltd.). 2009-05-18. अभिगमन तिथि: 2009-05-18.
  18. http://www.outlookindia.com/full.asp?fodname=20090601&fname=Cover+Story&sid=1&pn=3
  19. http://www.indianexpress.com/news/newsweek-apologises-to-rahul-gandhi/21088/
  20. Subramanian, Nirupama (April 16, 2007). "Pakistan resents Rahul's remarks". The hindu.
  21. इस्लामिक मौलवियों का राहुल की टिप्पणीयों पर गुस्सा हिन्दुस्तान टाइम्स - 16 अप्रैल, 2007
  22. मैं नरसिंह राव की सराहना करता हूँ: राहुल गांधी टाइम्स ऑफ इंडिया - 4 अप्रैल, 2007
  23. BJP द्वारा राहुल के बयान का मजबूत अपवाद हिंदुस्तान टाइम्स - 15 अप्रैल, 2007.
  24. Now, Maya locks Rahul out of Kanpur college (2008-10-25). "Manjari Mishra & Bhaskar Roy". Times of India.
  25. http://timesofindia.indiatimes.com/articleshowpics/3638569.cms
  26. गलती उद्घृत करें: <ref> का गलत प्रयोग; NYTimesनाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  27. गलती उद्घृत करें: <ref> का गलत प्रयोग; Rediffनाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  28. "Rahul Gandhi's dig irks St Stephen's". DNA. 2008-10-23. अभिगमन तिथि: 2008-11-13.
  29. "Stop Poverty Toursim". Indian Express. 2009-01-18. अभिगमन तिथि: 2009-02-26.

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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