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Wednesday, April 3, 2013

आठ प्रतिशत विकास दर हासिल करने के लिए क्या क्या करेंगे? रक्षा क्षेत्र में बढ़ सकती है एफडीआई सीमा!

आठ प्रतिशत विकास दर हासिल करने के लिए क्या क्या करेंगे? रक्षा क्षेत्र में बढ़ सकती है एफडीआई सीमा!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


राष्ट्रहित के बहाने जो धर्मान्ध राष्ट्रवाद का ​​आवाहन है, उसकी अभिव्यक्ति निर्बाध नरसंहार संस्कृति में है और हम अपने ही विरुद्ध जारी अश्वमेध अभियान में पैदल सेना हैं।


आठ फीसद विकास दर हासिल करना सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। वित्तमंत्री विकासदर हासिल करने के लिए विदेशी निवेशकों की आस्था अर्जित करने के मकसद से दुनिया की सैर पर है ताकि भारत को बेचकर विकास दर हासिल कर लिया जाये। आखिर यह विकास दर है किसके लिए?सीआईआई के बिजनेस समिट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी पर वापस आने की उम्मीद है। फिलहाल इंडस्ट्री मुश्किल दौर से गुजर रही है। ऐसे में आर्थिक सुधारों पर ज्यादा देने की जरूरत है। 5 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ से निराशा जरूर हुई है।प्रधानमंत्री ने बताया कि सीसीआई 2 हफ्ते में 31 ऑयल एंड गैस ब्लॉक को मंजूरी दे सकती है। माइनिंग लीज रिन्यू करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी जरूरी नहीं होगी। पावर प्रोजेक्ट के लिए ईंधन की दिक्कत 3 हफ्ते में सुलझा ली जाएगी। जमीन अधिग्रहण बिल जल्द संसद में पेश किया जाएगा। एफएसएलआरसी पर जल्द विचार किया जाएगा और एफडीआई पॉलिसी की पूरी तरह समीक्षा की जाएगी।इंडस्ट्री लीडर्स को भी भरोसा है कि जल्द इकोनॉमी की ग्रोथ रफ्तार पकड़ लेगा। इनका मानना है कि अगर सरकार सुधारों पर आगे बढ़ती रही तो इकोनॉमी में तेज रिकवरी आ सकती है।वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को टोक्यो में कहा कि राजकोषीय घाटा, चालू खाता घाटा और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना देश के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन समस्याओं का निदान किया जा रहा है और 2016-17 में राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत के लक्ष्य पर पहुंच जाएगा।

भारत में निवेश करने के लिए जापानी निवेशकों को लुभाने आए चिदंबरम ने संवाददाताओं को बताया कि विदेशी निवेशकों का भारत में भरोसा निरंतर बना हुआ है।


वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 49 फीसदी करने पर विचार कर रही है। आनंद शर्मा ने यहां सीआईआई की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा '18 अप्रैल को एक व्यावहारिक विदेशी व्यापार नीति की घोषणा की जाएगी।' शर्मा ने विदेशी व्यापार नीति में निर्यात को प्रोत्साहित करने के पैकेज पर वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ परामर्श किया है।


भारतीय उद्योग परिसंघ की यहां आयोजित सालाना बैठक के इतर मौके पर संवाददाताओं से शर्मा ने कहा कि मैं रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर यदि 74 फीसदी नहीं किया जाता है तो कम से कम 49 फीसदी करने के पक्ष में हूं। शर्मा ने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने की सिफारिश कर दी है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने से भारत को रक्षा उपकरणों का दुनिया का एक बड़ा उत्पादक बनने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि 26 फीसदी एफडीआई निश्चित रूप से कम है। मैंने रक्षा क्षेत्र में अधिक एफडीआई की सिफारिश की है और आगे भी इसकी वकालत करता रहूंगा। सरकार और उद्योग में साझेदारी की जरूरत है। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार बैंकिंग और बीमा जैसे अन्य क्षेत्रों में एफडीआई नीति को उदार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।


अप्रैल से फरवरी 2012-13 के दौरान निर्यात चार फीसदी घटकर 265.95 अरब डालर रहा। इंजीनियरिंग और कपड़ा जैसे क्षेत्र का निर्यात घटा है। इन क्षेत्रों को विदेशी व्यापार नीति में रियायत मिल सकती है।सूत्रों के मुताबिक फोकस उत्पाद और फोकस बाजार योजना के तहत निर्यातकों को फायदा मिल सकता है। देश के कुल निर्यात में करीब 30 फीसदी का योगदान करने वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। इससे निर्यात को प्रोत्साहन मिलने और बढ़ते व्यापार घाटे में कमी होने की उम्मीद है। व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष के 11 महीनों में बढ़कर 182.1 अरब डालर तक पहुंच गया था।पिछली बार दिसंबर 2012 में सरकार ने निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की थी जिसमें निर्यात ऋण पर दो प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी योजना को एक साल बढ़ाकर मार्च 2014 तक जारी रखने का निर्णय शामिल है।


केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर सिर्फ 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। पिछले साल यह 6.2 प्रतिशत थी। इस अनुमान के बाद शेयर मार्केट से लेकर औद्योगिक सेक्टर कुछ मायूस सा है। हालांकि, सरकार का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। उधर, मार्केट एक्सपर्ट्स और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह अनुमान बहुत सतर्कतापूर्ण कदम का नतीजा है और आंकड़े इससे बेहतर हो सकते हैं।सूत्रों का कहना है कि सरकार विकास दर के आंकड़ों को लेकर काफी सतर्कतापूर्वक कदम उठा रही है। उसका पूरा जोर वित्तीय घाटे को नियंत्रण करने का है। ऐसे में वह चाहती है कि खर्चा कम हो और विकास दर के आंकडे़ तर्कसंगत स्तर पर रखे जाएं। ताकि इसे लेकर बाद में कोई विवाद या बवाल नहीं हो। इसके दो फायदे होंगे। पहला, खर्चा कम करने को लेकर मंत्रालय टेंशन में नहीं आएंगे। दूसरा, सरकार सुधारों के जरिए निवेश बढ़ाती रहेगी।वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि विकास दर 5.50 से 5.90 प्रतिशत तक रह सकती है। रिजर्व बैंक ने इसके 5.50 प्रतिशत तक रहने का अंदाजा लगाया है। पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख डॉ. रंगराजन का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से सितंबर के दौरान विकास दर 5.4 प्रतिशत रही थी। बीते दिसंबर तक क्या स्थिति रही, इसका खुलासा फरवरी के अंत में होगा। ऐसे में अभी से यह कहना तर्कसंगत नहीं होगा कि विकास दर 5 प्रतिशत तक ही सिमटकर रह जाएगी। आर्थिक सुधार के जो कदम उठाए गए हैं, उसका पॉजिटिव असर देखने को मिलेगा।


मैन्यूफैक्चरिंग के साथ ही बाकी सेक्टर में भी मंदी के संकेत मिलने लगे हैं। मार्च में एचएसबीसी सर्विस पीएमआई 51.4 रहा, जबकि फरवरी में सर्विस पीएमआई 54.2 के स्तर पर था।हैरानी की बात है कि जनवरी में सर्विस पीएमआई 18 महीनों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। उसके बाद लगातार 2 महीनों से सर्विस पीएमआई में गिरावट आई है और मार्च में ये 17 महीनों का सबसे निचला स्तर पर पहुंच गया है।साथ ही, मार्च में एचएसबीसी कंपोजिट पीएमआई भी 54.8 से घटकर 51.4 रहा है। इसके अलावा एचएसबीसी मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 54.2 फीसदी से घटकर 52 पर पहुंच गया है, जो 16 महीनों का निचला स्तर है।


टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने सीएजी और मीडिया को सरकार के डर का जिम्मेदार ठहराया है।


कपिल सिब्बल के मुताबिक भारत में सरकार अहम फैसले लेने से घबराती है क्योंकि सरकारी अफसरों को डर होता है कि भविष्य में उनके फैसले पर सवाल उठाए जाएंगे और उन्हें कोर्ट में घसीटा जाएगा।


नीति निर्धारक से लेकर राजकाज के तमाम सिपाहसालार विकास दर की रट लगाये हुए हैं। जैसे कि विकास दर कोई जादू की छड़ी हो, ​​जिसको घूमाते ही जनता की सारी तकलीफें दूर हो जायेंगी। मीडिया भी इसे लेकर बेहद चिंतित है। कालाधन की अर्थव्यवस्था के ऐश्वर्य से ​​रिसाव के जरिये भारत का कायाकल्प करने की थ्योरी बघारने वाले अर्थशास्त्री को सामाजिक यथार्थ और जमीनी हकीकत के विपरीत अपने आकाओं के हित साधने होते हैं। पर मुश्किल यह है कि नोवार्तिस का दावा खारिज हो जाने से लाख रुपये के बदले आम जनता को कैंसर के इलाज के​ ​ लिए कुछेक हजार रुपये के खर्च की राहत मिल दजाने पर मीडिया यह प्रचारित करता है कि चिकित्सा शोध बाधित हो रहा है। मुश्किल यह है कि अंतरिक्ष यात्री की गरिमामंडित सुनीता विलियम भारत अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान गठबंधन की बात करती हैं, तो हम खूब तालियां ​​पीटने लगते हैं। देश की भूमि,संपत्ति और संसाधन समूचा बाजार विदेशी पूजी के हवाले करने से जो विकास दर हासिल होगी, वह दरअसल किसकी विकासदर है, इस पर चिंतन मनन करने की कवायद करने की तकलीफ नहीं उठायेगे हम। राष्ट्रहित के बहाने जो धर्मान्ध राष्ट्रवाद का ​​आवाहन है, उसकी अभिव्यक्ति निर्बाध नरसंहार संस्कृति में है और हम अपने ही विरुद्ध जारी अश्वमेध अभियान में पैदल सेना हैं।


राहुल गांधी आर्थिक मामले पर क्या सोच रखते हैं, मार्केट, कॉरपोरेट और अर्थशास्त्रियों की नजर अब इस पर लगी है। कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद राहुल पहली बार कॉरपोरेट दिग्गजों के साथ चर्चा करने वाले हैं। गुरुवार को वह सीआईआई के प्रतिनिधियों को संबोधित करने वाले हैं। कॉरपोरेट दिग्गज राहुल के विचार और उनकी राय सुनने को तैयार हैं।


क्या है आर्थिक अजेंडा: ग्लोब कैपिटल के डायरेक्टर अशोक अग्रवाल का कहना है कि मार्केट यह सुनना और समझता चाहता है कि आखिर राहुल का आर्थिक अजेंडा क्या है। वह किस तरह देश को आर्थिक सेक्टर में बढ़ाने पर भरोसा करते हैं। इस बाबत उनका नजरिया क्या है और वह किन नीतियों पर ज्यादा जोर देना चाहते हैं। राहुल किस तरह की आर्थिक नीतियों को देश और आम जनता के लिए हितकर मानते हैं।


उम्मीदों की कसौटी: मार्केट एक्सर्पट्स का कहना है कि सीआईआई में राहुल के आर्थिक क्षेत्र से जुड़े विचारों को कई उम्मीदों की कसौटी पर कसा जाएगा। दिल्ली शेयर मार्केट के पूर्व प्रेजिडेंट और नैक्सिस इंफोटेक के चेयरमैन सुधीर जोशी का कहना है कि आर्थिक पहलुओं पर राहुल की राय को कई कसौटियों पर कसा जाएगा। मार्केट दिग्गज यह देखने की कोशिश करेंगे कि वह जिन नीतियों का समर्थन कर रहे हैं, उनसे मार्केट का कितना विस्तार मुमकिन है। शेयर मार्केट इस बात की तलाश करेगा कि क्या वह विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर जोर देंगे।


वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को टोक्यो में कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट तथा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सरकार भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत ब्याज दर में कमी के लिए तर्क देना जारी रखेगी।

उन्होंने कहा, 'रिजर्व बैंक को इस तथ्य पर ध्यान देना होगा कि मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट आई है भले ही उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति अभी ऊंची बनी हुई हो। उसे ब्याज दरों को कम करने से पहले चालू खाते के घाटे को भी ध्यान में रखना होगा।'


एक साक्षात्कार में वित्त मंत्री ने कहा, 'सरकार हमेशा ही वृद्धि बढाने की जरूरत पर जोर देती है और वह हमेशा ही चाहती है कि ब्याज दर कम हो।' भारतीय रिजर्व बैंक मौजूदा वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की घोषणा तीन मई को करेगा।


केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति तथा व्यापक आर्थिक चरों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों के बारे में फैसला करेगा। चिदंबरम निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यहां आए हुए हैं।उन्होंने कहा कि हालांकि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, खुदरा मुद्रास्फीति दहाई अंक में और यह चिंता का कारण है।


इसी के मध्य सीएजी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुजरात विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार सीएजी को 9,066 करोड़ रुपये के इस्तेमाल का ब्यौरा देने में नाकाम रही है।


सीएजी की रिपोर्ट में गुजरात में फंड के इस्तेमाल की निंदा भी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात सरकार ने न तो दिए गए फंड को सही तरीके से इस्तेमाल किया है और न ही समय पर उसका पूरा ब्यौरा सीएजी को सौंपा है।


इसके अलावा सीएजी ने गुजरात सरकार पर कई तरीके के नुकसान कराने के आरोप भी लगाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के ऊर्जा करार की शर्तें नहीं मानने की वजह से सरकार को करीब 160 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा फोर्ड को सस्ती जमीन देने से भी सरकार को 205 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।


वहीं भारी शोरशराबे की बीच गुजरात लोकायुक्त बिल पास हो गया। हलांकि इस बिल के विरोध में कांग्रेस की सभी विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया। नए नियम के मुताबिक लोकायुक्त की नियुक्ति 6 सदस्यों की समिति करेगी जिसमें मुख्यमंत्री भी एक सदस्य होंगे। कांग्रेस का कहना है कि नया कानून गर्वनर और गुजरात चीफ जस्टिस के पावर को कम करता है।


आज की सबसे बड़ी खबर है कि करिश्माई ऑफ स्पिनर सुनील नारायण ने इंडियन प्रीमियर लीग के उद्घाटन मैच में भी अपनी बलखाती गेंदों को कमाल दिखाया जिससे मौजूदा चैंपियन कोलकाता ने बुधवार को ईडन गार्डन्स पर दिल्ली को छह विकेट से हराकर अपने खिताब बचाओ अभियान का शानदार आगाज किया। पिछले साल 5.47 के इकोनोमी रेट से 24 विकेट लेकर केकेआर की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले नारायण ने आज चार ओवर में 13 रन देकर चार विकेट लिये।देश में विदेशी पूंजी के हितों की रक्षा आईपीएल क्रिकेट है। हमारे ही खिलाफ रन बन रहे हैं। हमीं पराजित हो रहे हैं। लहूलुहान भी हमीं पर ​​मनोरंजन का आत्मघाती नशा ऐसा कि हमें अपने जख्मों से रिसते खून का अहसास तक नहीं होता। मस्तिष्क नियंत्रण का ऐसा बंदोबस्त चाक चौबंद है।


गौर कीजिये कि प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए किसे संबोधित कर रहे हैं और हम कहां हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश फिर आठ प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकता है। इसके लिए सरकार और व्यावसायिक क्षेत्र को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विकास दर के पांच प्रतिशत होने पर निराशा जताई और कहा कि सरकार आठ प्रतिशत विकास दर हासिल करने के लिए प्रयासरत है। लेकिन विकास की इस नई इबारत को लिखने के लिए सरकार और व्यावसायिक क्षेत्र की साझेदारी की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि विकास दर में आई गिरावट अस्थाई है। हमें इसे समझना चाहिए और इसे दुरुस्त करने के लिए सही कदम उठाने चाहिए। मुझे नहीं लगता कि भविष्य में भी हमारी विकास दर पांच प्रतिशत ही रहेगी। पिछले 10 सालों में हमने आठ प्रतिशत विकास दर हासिल की है और हम इसे फिर हासिल कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि आज यह आम राय है कि जब तक सरकार तत्परता से कदम नहीं उठाएगी, पहले से ही धीमी विकास दर पूरे साल पांच प्रतिशत ही बनी रहेगी।उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में हमने न केवल आठ प्रतिशत विकास दर हासिल किया, बल्कि हमारा विकास अधिक संपूर्ण रहा। यदि हमने 11वीं पंचवर्षीय योजना में यह हासिल किया तो 12वीं पंचवर्षीय योजना में बेहतर प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकते।


उद्योग जगत और भारत सरकार का यह संवाद पारिवारिक खेल है जैसे अंबानी भाइयों का । असल मकसद है, देश के संसाधनों का कारपोरेट हित में खुली लूटखसोट। विकास दर दरअसल इसी लूट खसोट की अनंत गाथा है। जरा अंबनी कथा पर भी गौर फरमायें।


साल 2005 में अंबानी बंधुओं के टूटे रिश्तों की डोर अब कुछ जुड़ती नजर आ रही है। रिलायंस जियो और रिलायंस कम्युनिकेशंस के बीच फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के लिए हुआ करार इसकी एक कड़ी है।


इस मिलन का फायदा निवेशकों को जरूर मिल रहा है। वहीं अब उम्मीद ये भी जाग गई है कि भविष्य में भी आरआईएल-एडीएजी के बीच इस तरह के दूसरे करारों पर अंजाम दिया जा सकता है। ऐसे में आरआईएल-एडीएजी शेयरों में क्या हो निवेशकों की रणनीति बता रहें हैं इक्विटीरश के कुणाल सरावगी और मिंटडायरेक्ट डॉट कॉम के अनिवाश गोराक्षकर।


इक्विटीरश के कुणाल सरावगी की सलाह-


रिलायंस इंफ्रा-


रिलायंस इंफ्रा में 330 रुपये के स्तर पर अहम रेसिस्टेंस है, वहीं शेयर में बढ़त के साथ 400 रुपये तक के स्तर देखे जा सकते हैं। लेकिन तकनीकी रूप से से देखा जाए तो आर इंफ्रा का चार्ट काफी कमजोर है। ऐसे में निवेशकों को उछाल पर बिकवाली की रणनीति बनानी चाहिए।


रिलायंस कैपिटल


रिलायंस कैपिटल में 317 रुपये स्टॉपलॉ़स के साथ बने रहना चाहिए। शेयर में बढ़त के साथ 400 रुपये तक के स्तर देखे जा सकते हैं। हालांकि इस स्तर पर बिकवाली करना चाहिए।


रिलायंस इंडस्ट्रीज


आरआईएल-ऑर कॉम सौदे के बावजूद रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में गिरावट देखी जा रही है। जिससे निवेशकों के भरोसे को तगड़ा झटका लगा है। लंबी अवधि में भी आरआईएल का शेयर 700-900 के दायरे में ही कारोबार करता नजर आएगा। वहीं मौजूदा स्तरों से शेयर में गिरावट की आशंका बनी हुई है। शेयर लुढ़ककर 740 रुपये तक के स्तर दिखा सकता है।


मिंटडायरेक्ट डॉट कॉम के अनिवाश गोराक्षकर की सलाह-


रिलायंस कम्युनिकेशंस-


रिलायंस कम्युनिकेशंस में निवेशकों को बने रहना चाहिए। आरआईएल जियो-ऑर कॉम के बीच सौदे का फायदा मौजूदा में रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर में देखने को मिल रहा है। वहीं उम्मीद है कि आनेवाले समय में आरआईएल, ऑर कॉम के कई एसेट्स के लिए इस तरह के करार कर सकती है। ऐसे में मौजूदा निवेशकों को ऑर कॉम के शेयर में बने रहना चाहिए।


रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रा


रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रा लंबी अवधि के लिहाज से बेहतर दिखाई दे रहा है। मौजूदा समय में आरआईएल जियो-ऑर कॉम सौदे के चलते शेयर में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में मौजूदा स्तरों में शेयर में खरीदारी की रणनीति नहीं बनानी चाहिए। ऐसे में आरआईआईएल के शेयर में लंबी अवधि का नजरिया रखना बेहतर रहेगा।


रिलायंस मीडियावर्क्स


रिलायंस मीडियावर्क्स काफी घाटे और भारी कर्ज से जूझ रही है। तीसरी तिमाही में कंपनी को 80 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं मौजूदा सकारात्कम खबरों का ज्यादा फायदा भी शेयर को नहीं मिलेगा। ऐसे में रिलायंस मीडियावर्क्स में लंबी अवधि के नजरिए से बने रहना चाहिए। छोटी अवधि की तेजी ज्यादा भरोसेमंद नहीं है।


रिलायंस पावर


रिलायंस पावर में मौजूदा स्तरों पर खरीदारी से बचना चाहिए। हालांकि मध्यम-लंबी अवधि के नजरिए से शेयर बेहतर दिखाई दे रहा है।


रिलायंस इंडस्ट्रीज


आरआईएल-ऑर कॉम करार का सबसे ज्यादा फायदा आनेवाले समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज को ही होता दिखाई देगा। टेलीकॉम कारोबार में आरआईएल के शेयर के लिए जरूर फायदेमंद होगा। ऐसे में अगले 12-18 महीनों में शेयर में अच्छी बढ़त देखी जा सकती है।


एक वक्त अलग हो चुके परिवारों में अब कोई दूरी नहीं दिख रही थी। उसके बाद से ही दोनों भाइयों के बीच कारोबारी रिश्ते बनने के कयास भी लगाए जाने लगे। जब मुकेश अंबानी ने 4जी सर्विस में उतरने का ऐलान किया तो यही कहा जा रहा था कि सर्विस देने के लिए वो छोटे भाई अनिल अंबानी के मौजूदा नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। और आखिरकार हुआ भी वही।एक इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने माना कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओनरशिप को लेकर कुछ मतभेद हैं। जून 2005 में मां कोकिलाबेन अंबानी ने भाइयों के झगड़े में दखल दिया और रिलायंस ग्रुप को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया गया। दिसंबर 2005 में डिमर्जर को हाईकोर्ट की भी मंजूरी मिल गई। बड़े भाई को मिला रिलायंस इंडस्ट्रीज और आईपीसीएल, तो वहीं अनिल अंबानी के हिस्से में आया रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी और रिलायंस इंफोकॉम।लेकिन असली लड़ाई इसी के साल भर बाद शुरू हुई, जब अनिल अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ हुए गैस सप्लाई एग्रीमेंट को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। अनिल अंबानी मुकेश अंबानी की कंपनी से सस्ते भाव पर गैस चाहते थे लेकिन मुकेश सरकार के तय दाम से नीचे गैस देने को तैयार नहीं थे। आखिरकार ये लड़ाई हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची और मई 2010 में देश की सबसे बड़ी अदालत ने मुकेश अंबानी के हक में फैसला सुनाया।अब 6 हफ्ते में दोनों भाइयों को आपसी सलाह मशविरे से करार करना था। एक बार फिर मां कोकिलाबेन अंबानी ने दोनों भाइयों के बीच शांति बनाने की कोशिश की। मई 2010 में दोनों भाइयों के बीच एक नॉन-कम्पीट एग्रीमेंट हुआ। भाइयों के बीच कारोबार को लेकर चल रही लड़ाई जब शांत हुई तो उनके करीब आने की बातें होने लगीं। ये कोकिलाबेन अंबानी की ही कोशिश थी कि धीरूभाई अंबानी के 80वें जन्मदिन पर पूरा परिवार उनके पैतृक गांव चोरवाड़ में इकठ्ठा हुआ। संगीत पर सबके कदम साथ में थिरके और पूरे परिवार ने मिलकर डांडिया खेला।


उद्योग जगत से सरकार में विश्वास बनाए रखने और नकारात्मकता से विचलित नहीं होने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 के अपने पिछले संबोधन में भी मैंने बिल्कुल अगल बात कही थी। जब सबकुछ ठीक चल रहा था तो मैंने सावधानी बरतने के लिए कहा था। आज फिर मैं लीक से हटकर बात कर रहा हूं। अगर वर्ष 2007 में व्यावसायिक गतिविधियां संभावनाओं से भरी थीं तो मैं समझता हूं कि इस वक्त इस क्षेत्र में पूरी तरह निराशा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि 2008 की वैश्विक मंदी से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही में भ्रष्टाचार तथा लालफीताशाही की समस्याएं हैं, गठबंधन राजनीति चलाना आसान नहीं है, लेकिन ये अचानक सामने आए मुद्दे नहीं हैं। ये मुद्दे तब भी थे, जब देश की आर्थिक विकास दर आठ प्रतिशत थी।


उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के विकास की धीमी रफ्तार अस्थाई है, जो समय-समय पर होती रहती है। हमें इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और सही कदम उठाने चाहिए। यदि हम 15 साल पीछे जाएं तो हमारी औसत विकास दर 7.5 प्रतिशत थी और इस तरह का उत्साह अचानक खत्म नहीं होता।


प्रधानमंत्री के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था निजी क्षेत्र से संचालित होती है। निजी क्षेत्र में निवेश 75 प्रतिशत है और संपूर्ण विकास के लिए इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समस्या वैश्विक मंदी के कारण है। वर्ष 2008 के संकट से दुनिया बाहर आ चुकी है और इस वक्त यह यूरोजोन में कर्ज संकट के कारण लड़खड़ाई हुई है। यूरोप में विकास नकारात्मक है और जापान में शून्य है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए घरेलू स्तर पर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी के मार्ग में आने वाली घरेलू रोड़ों को दूर करने के लिए सशक्त कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं निवेश पर मंत्रिमंडल की समिति के पिछले तीन महीने के काम से उत्साहित हूं। समिति ने परियोजनाओं की जल्द मंजूरी के लिए लीक से हटकर काम किए हैं।



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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk