Fwd: [New post] सोनी सोढी की प्रताड़ना
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From:
Samyantar <donotreply@wordpress.com> Date: 2012/10/23
Subject: [New post] सोनी सोढी की प्रताड़ना
To:
palashbiswaskl@gmail.com समयांतर डैस्क posted: "सोनी सोढी का यह पत्र भारतीय कानून और न्याय व्यवस्था पर गंभीर टिप्पणी है। यह पत्र इस बात का भी संकेà" New post on Samyantar | | सोनी सोढी का यह पत्र भारतीय कानून और न्याय व्यवस्था पर गंभीर टिप्पणी है। यह पत्र इस बात का भी संकेत है कि सत्ता न्यायालयों के आदेशों की भी ज्यादा परवाह नहीं करती। सरकार इस मामले में सीधे तौर पर आरोपी को तो धमकी देती नजर आ ही रही है: कोई कितनी बार अदालत जाएगा, देख लेंगे। वह अप्रत्यक्ष रूप से न्यायालयपालिका को भी चुनौती दे रही है। प्रस्तुत है सर्वोच्च न्यायालय को लिखा सोनी सोढी का असंपादित पत्र। सुप्रीम कोर्ट न्यायालय जज साहब के नाम खत जज साहब छत्तीसगढ़ सरकार पुलिस प्रशासन द्वारा दिया गया प्रताडऩा अत्याचारों से जूझती महिला का प्रणाम को स्वीकार कीजिएगा। हृदय भाव से मैं आपके चरण को स्पर्श करती हूं। आज जीवित हूं तो आपके आदेश के वजह से। आपने सही समय पर आदेश देकर मेरी इलाज दूसरी बार करवाया जिससे मैं स्वास्थ पर कुछ रहत महसूस कर रही हूं। आपने मुझ जैसी लाचार पीड़ित महिला की अत्याचार लाचारता को समझा सुना मेरे लिए इससे बड़ी बात खुशी क्या हो सकती है। एम्स अस्पताल दिल्ली इलाज के दौरान बहुत ही खुश थी कि मेरी इलाज इतनी अच्छे से हो रही है। पर जज साहब आज उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। मुझ पर शर्मनाक अत्याचार प्रताडऩा किया जा रहा है। आपसे निवेदन है मुझ पर दया कीजिएगा। मैंने पहले खत में भी लिखा था कि अपनी दर्दनाक दस्तान बताकर लिखकर आपको न्याय के लिए विवश करूंगी ये इरादा मेरे मन विचार में बिल्कुल नहीं है। क्योंकि मुझे आप न्यायालय पर विश्वास है। जज साहब इस वक्त मानसिक रूप से अत्यधिक पीडि़त हूं। (1) मुझे नंगा करके जमीन पर बैठाया जाता है। (2) भूख से पीडि़त किया जा रहा है। (3) मेरे अंगों को छूकर तलाशी किया जाता है। देशद्रोही नक्सली कहकर प्रताडऩा किया जा रहा है। कपड़े साबून सर्फ सभी सामान को जब्त किया गया और अनेक तरह का आरोप लगा रहे हैं। पेशी जाने के बाद मेरी सामान की तलाशी होती है। जज साहब छत्तीसगढ़ सरकार पुलिस प्रशासन मेरे वस्त्र कब तक उतरवाते रहेगी मैं भी एक भारतीय आदिवासी महिला हूं। मुझ में भी शर्म है मुझे शर्म लगती है। मैं अपनी लज्जा को बचा नहीं पा रही हूं। शर्मनाक शब्द कहकर मेरी लज्जा पर आरोप लगाते हैं। जज साहब मुझ पर अत्याचार जुल्म करना आज भी कमी नहीं है। अखीर मैंने ऐसा क्या गुनाह किया जो जुल्म पर जुल्म कर रहे हैं। इससे अच्छा तो मौत की सजा देते कब तक इनके दिए हुए जुल्मों को सहूं। जेल के कर्मचारी ये चाहते हैं कि मैं कोई भी सच्चाई तकलीफ पीड़ा आप तक पहुंचा ना पाऊं और इनके द्वारा दिया गया गुनाह को सह-सहकर मरना और जीना है यही छत्तीसगढ़ सरकार के कानून में आता है। मेरी सच की आवाज किसी तक नहीं पहुंचना चाहिए वो सिर्फ छत्तीसगढ़ तक ही सीमित रहना चाहिए ताकि नक्सली समस्या और बढ़ा सकें। जज साहब मैंने आप तक अपनी सच्चाई को बयान किया तो क्या गलत किया आज जो इतनी बड़ी-बड़ी मानसिक रूप से प्रताडऩा दिया जा रहा है। क्या अपने ऊपर हुए जुल्म अत्याचार के खिलाफ लडऩा अपराध है क्या मुझे जीने का हक नहीं है। क्या मैंने जिन बच्चों को जन्म दिया उन बच्चों को प्यार देने का अधिकार नहीं है। आज मेरी हालत इतनी गंभीर कर दिए हैं। आखीर कब तक। इस तरह के अत्याचार जुल्म से नक्सली जैसी समस्या उत्पन्न करने होने का स्रोत है। जज साहब! मुझ पर कृपा कीजिएगा मेरी इस समस्या का निराकरण करिएगा ये मेरा निवेदन है जज साहब। वरना सेंट्रल जेल रायपुर के कर्मचारी मौत अवश्य पहुंचाएंगे। इसके पहले भी गलत दवाई देकर मेरी स्कीन को जला दिया गया था। उस पीड़ा को भी सहा है। जज साहब मुझ पर दया कीजिएगा। अंत में प्रणाम। प्रार्थी श्रीमती सोनी सोढी छत्तीसगढ़ से 28-07-2012 | | | | |
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