नितिन गडकरी के फंसने पर विपक्ष के जो दांत टूटे तो अब कांग्रेसी सीनाजोरी का आलम देखिये!
आम आदमी की ऐसी तैसी करते हुए आर्थिक सुधारों और पूंजीपतियों को राहत देने के एजंडे पर मजबूती से कायम हैं काग्रेस की यह सरकार।न घोटालों की परवाह और न ही राहुल की सलाह, भ्रष्ट चेहरों की वापसी और प्रोमोशन से साफ जाहिर है कि उद्योग जगत और कारपोरेट लाबिंग को साधने के नजरिये से हो गया यह फैरबदल। जब हमाम में सारे के सारे नंगे हो तो शर्म कैसी और लिहाज किसका?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
नितिन गडकरी के फंसने पर विपक्ष के जो दांत टूटे तो अब कांग्रेसी सीनाजोरी का आलम देखिये!भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे सलमान खुरशीद विदेश मंत्री बना दिये गये गोआ कि भारतीय राजनय में नैतिकता किस काम की?आईपीएल कारनामे के लिए बाहर किये गये शशि थरूर ससम्मान वापस आ गये। आंध्र से छह छह मंत्री ले लिये गये।जाहिर है कि जगन मोहन रेड्डी की लोकप्रियता को कमजोर करने की कोशिश की जाएगी बाकी राज्यों की कीमत पर। बंगाल के छह के बदले तीन मंत्री बनाये गये और खास तौर पर ममता विरोधी बतौर चर्चित और विवादास्पद अधीर चौधरी और दीपा दासमुंशी को मंत्री बना दिया गया। अगर युवा चेहरा चाहिए था तो मौसम बेनजीर नूर की जगह डालू मियां एएच खान चौधरी को क्यों लिया गया? जबकि सबसे युवा अगाथा संगमा की जगह खाली हो गयी। इस कदम को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और ममता कांग्रेस को हाशिये पर डालने की कोशिश कर रही है। ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के गठबंधन ने डेढ साल पहले वाम मोर्चा सरकार को उखाड फेंका था। 74 वर्षीय खान चौधरी मालदा दक्षिण क्षेत्र से सांसद हैं। अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर और दीपा रायगंज से सांसद हैं।चार नामों पर चर्चा की गयी थी जिनमें प्रदीप भटटाचार्य का नाम भी शामिल था लेकिन वह पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद का भार संभालेंगे। अब तक पश्चिम बंगाल से एकमात्र कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी सरकार में मंत्री थे जो इस समय देश के राष्ट्रपति हैं। युवा चेहरों का आलम तो यह है कि त्यागपत्र देने वाले मंत्रियों की जगह नये मंत्रियों की औसत आयु महज दो साल कम है। तो यह है राहुल बाबा की युवा टीम जिसकी बदौलत कांग्रेस उग्र हिंदुत्व को सत्ता में आने से रोकना चाहती है। प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से लेकर सरकारी दामाद तक के आरोपों के दलदल में फंस जाने के बाद घोटालों से निजात पाने की गरज ही नहीं दिखी। भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं है और नई बोतल में पुरानी शराब पेश करके नशे का इंतजाम किया गया है। बड़ा सवाल यह है कि इस बड़े बदलाव को आप किस-किस रूप में देखते हैं? सरकार की साख बचाने की कवायद के रूप में, कांग्रेस के जनाधार को बढ़ाने की कवायद के रूप में या फिर राहुल गांधी को प्रतिष्ठापित करने की कवायद के रूप में।सरकार पर आम आदमी का भरोसा भी डगमगाया है। चूंकि सरकार कांग्रेस नीत यूपीए की है इसलिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को जो जन समर्थन हासिल था, उसमें भी कमी आई है और ये सब हालात पैदा हुए हैं महंगाई तथा भ्रष्टाचार की वजह से, कांग्रेसी नेताओं के बड़बोलेपन से। तो फिर क्या लगता है, सरकार का चेहरा बदल देने से या फिर कांग्रेस संगठन में बदलाव कर देने से जो साख बीते तीन साल में गिरी है, एक साल में उसकी भरपाई हो जाएगी? इस बदलाव का असली चेहरा सामने आया तो `खोदा पहाड़ निकली चुहिया` वाली कहावत एक बार फिर साबित हो गई। इस बदलाव से कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि मिशन-2014 को लेकर महंगाई, भ्रष्टाचार और गिरती साख को लेकर सरकार गंभीर है या संवेदनशील है।अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की नीति जगजाहिर हो चुकी है। देश की जनता महंगाई कम होने की उम्मीद इनसे नहीं कर सकती।जहां तक राहुल गांधी का सवाल है तो उनको मंत्रिमंडल में शामिल करने या नहीं करने को लेकर खूब अटकलें लगाई जा रही थीं। अंत में कहा गया कि राहुल कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे और केवल अनुभवी परामर्शदाता की भूमिका निभाएंगे।
कांग्रेस ने सोच-समझकर आरोपी मंत्रियों के मंत्रालयों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है। साथ ही ऐसा करके उसने विरोधी दलों को संकेत भी दिया है कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अड़ियल रवैया अपनाएगी। यही वजह है कि तमाम कयासों के बावजूद कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के पास कोयला मंत्रालय बना रहने दिया गया है। कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट आने के बाद जायसवाल पर कई आरोप लगे थे। सलमान खुर्शीद पर भी जाकिर हुसैन ट्रस्ट मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। टीम केजरीवाल ने खुर्शीद की पत्नी के एनजीओ पर कई आरोप लगाए हैं, लेकिन सरकार ने खुर्शीद को हटाने के बजाय उनका कद बढ़ा दिया है। खुर्शीद को देश का नया विदेश मंत्री बनाया गया है। इसी तरह से एक और विवादास्पद मंत्री कपिल सिब्बल से भले ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ले लिया गया है, लेकिन वह संचार मंत्रालय का पदभार संभालते रहेंगे।गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट पर 71 लाख रुपये के घपले का आरोप लगाया था। 71 लाख रुपये का अनुदान लेने के बाद भी बिना कैंप लगाए सामाजिक न्याय मंत्रालय को बताया गया कि सब कुछ ठीक है।
आम आदमी की ऐसी तैसी करते हुए आर्थिक सुधारों और पूंजीपतियों को राहत देने के एजंडे पर मजबूती से कायम हैं काग्रेस की यह सरकार।न घोटालों की परवाह और न ही राहुल की सलाह, भ्रष्ट चेहरों की वापसी और प्रोमोशन से साफ जाहिर है कि उद्योग जगत और कारपोरेट लाबिंग को साधने के नजरिये से हो गया यह फैरबदल। जब हमाम में सारे के सारे नंगे हो तो शर्म कैसी और लिहाज किसका?आर्थिक संकेत भले ही ऐसे नहीं हों जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस मंगलवार मौद्रिक नीति की दूसरी छमाही की समीक्षा में दरें घटाने का मौका मिले, मगर बैंकरों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार ने हाल में सुधार के जो कदम उठाए हैं उन्हें सहारा देने के लिए केंद्रीय बैंक दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि नकदी बढ़ाने के लिए आरबीआई के पास नकदी आरक्षी अनुपात (सीआरआर) घटाना सबसे बेहतर विकल्प है। मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने सीआरआर 25 आधार अंक घटा दिया था।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा है कि रविवार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल से साबित हो गया है कि देश की युवा नसांख्यिकीय ने देश के राजनीतिक नेतृत्व में झलक दिखाना शुरू कर दिया है।सीआईआई ने रविवार को जारी एक बयान में कहा है, 'इस फेरबदल से मंत्रिमंडल में युवा और अनुभवी लोगों का एक निष्पक्ष मिश्रण सुनिश्चित हुआ है। देश की युवा जनसांख्यिकीय ने देश के राजनीतिक नेतृत्व में झलक दिखाना शुरू कर दिया है, जो कि स्वाभाविक है।'नए मंत्रियों को बधाई देते हुए सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'इन वर्षों के दौरान सीआईआई का अधिकांश मंत्रियों के साथ करीबी रिश्ता रहा है और हम यह सुनिश्चित कराने के लिए इन मंत्रियों से भी रिश्ता बनाने को उत्सुक हैं कि सरकार-उद्योग की साझेदारी राष्ट्र निर्माण में एक प्रभावी स्तंभ बन सके।'
विपक्ष ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल को 'फीका' और 'छवि बचाने की कवायद' बताया है। भाजपा ने दावा किया कि इससे न तो देश का कोई भला होगा न ही कांग्रेस की छवि ही सुधरेगी। पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि देश की जनता 'भारी भ्रष्टाचार' के लिए संप्रग सरकार को कभी माफ नहीं करेगी और अगले चुनाव में उसे हरा देगी।हिमाचल प्रदेश के उना जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आडवाणी ने कहा कि बोफोर्स घोटाले के सामने आने के बाद मतदाताओं ने राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार तक को नहीं छोड़ा था, जिसके पास 400 से ज्यादा सांसदों का समर्थन था। विपक्ष के नेता ने दावा किया कि मौजूदा सरकार का हश्र भी वैसा ही होगा।विगत महीने मनमोहन सरकार से समर्थन वापस लेने वाली संप्रग की पूर्व सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने यह कहते हुए अलग रुख अपनाया कि पश्चिम बंगाल से राज्य मंत्री चुने गए कांग्रेस नेता केवल पार्टी को 'सूई' चुभोने के लिए हैं। पश्चिम बंगाल को मंत्रियों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व से वंचित रखा गया। भाजपा के सहयोगी दल अकाली दल ने फेरबदल को 'छवि बचाने की कवायद' के रूप में खारिज करते हुए कहा कि 'नई बोतल में वही पुरानी शराब' है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि इस फेरबदल ने सरकार को बेनकाब कर दिया है। केजरीवाल के मुताबिक भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्रियों को संरक्षण देने के साथ-साथ उन्हें पुरस्कृत किया गया है।केजरीवाल ने माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा कि भ्रष्टाचारियों को न सिर्फ संरक्षण दिया गया है बल्कि उन्हें पुरस्कृत तक किया गया है। उन्होंने कहा कि यह फेरबदल म्यूजिकल चेयर की तरह है और इससे देश को कोई लाभ नहीं होने वाला है।केजरीवाल ने ट्वीट किया कि सलमान खुर्शीद कानून मंत्री थे और उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया है। क्या इसका मतलब यह है कि वह कानून मंत्री के रूप में असफल रहे हैं या फिर उन्होंने बतौर कानून मंत्री इतना अच्छा काम किया है कि उन्हें विदेश मंत्री बना दिया गया। देश को इससे लाभ नहीं होने वाला है।केजरीवाल ने कहा कि कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, श्रीप्रकाश जायसवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सिर्फ कुर्सी बदल गई है। इससे कुछ बदलनेवाला नहीं है। इस सरकार के लिए भ्रष्टाचार कभी कोई मुद्दा रहा ही नहीं है।मंत्रिमंडल में युवा चेहरों को शामिल किए जाने के बारे में केजरीवाल ने जवाब दिया कि युवा चेहरों ने अभी तक कुछ करके नहीं दिखाया है। मालूम हो कि आईएसी ने पिछले दिनों खुर्शीद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
यूपीए-2 सरकार में मंत्रिमंडल के आखिरी फेलबदल में मनमोहन सिंह ने युवा चेहरों के बजाय अनुभवी चेहरों पर दांव लगाया है। मनमोहन सिंह की नई टीम को शक्ल देने में राहुल गांधी की भूमिका की चाहे जितनी चर्चा हुई हो, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। फेरबदल में जिन युवाओं को मौका मिला है उसके पीछे उनका प्रदर्शन माना जा रहा है।कांग्रेस पार्टी इन चेहरों को सामने रख कर 2014 में केंद्र की सत्ता के लिए हैट्रिक की कोशिश करेगी। लेकिन सवाल ये उठता है कि मनमोहन की इस टीम में राहुल ब्रिग्रेड के कितने योद्धा हैं। कुछेक चेहरों को छोड़ दे तो टीम राहुल को मंत्रिमंडल विस्तार से निराशा ही हाथ लगी है। मसलन राहुल की करीबी मीनाक्षी नटराजन के मंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी, पर पहली बार लोकसभा पहुंचीं मीनाक्षी, मनमोहन की नई टीम में फिट नहीं हो पाईं। तमिलनाडु के कद्दावर नेता वाइको को धूल चटाने वाले मानिक टैगोर भी मंत्री बनने से चूक गए। मिलिंद देवड़ा को भी तरक्की नहीं मिली। जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह राज्य मंत्री थे और राज्य मंत्री ही रह गए।कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खुले निमंत्रण के बावजूद रविवार को सरकार में शामिल न होने का निर्णय लिया। इसके बदले वह पार्टी में कोई अधिक महत्वपूर्ण भूमिका सम्भालने वाले हैं। राहुल गांधी राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मौजूद थे। उन्होंने पिछले सप्ताह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी। इससे यह कयासबाजी तेज हो गई थी कि वह सरकार में शामिल हो सकते हैं।राहुल शनिवार को अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले थे और समझा जाता है कि मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देने में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासतौर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे कुछ युवा मंत्रियों की प्रोन्नति में। सोनिया गांधी ने कुछ समय पहले कहा था कि यह निर्णय पूरी तरह राहुल पर निर्भर है कि वह सरकार में शामिल होना चाहते हैं या नहीं।तेहरान में सितम्बर में हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) की एक बैठक से लौटते समय रास्ते में मनमोहन ने कहा था, `मैंने इस बात का हमेशा समर्थन किया है कि राहुल सरकार में कोई अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं। मैंने कई बार उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। मैं आशा करता हूं कि इस बार वह मेरे अनुरोध पर गम्भीरता से विचार करेंगे।` उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा सांसद राहुल (42) अगले आम चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं, यद्यपि सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनी रहेंगी। आम चुनाव 2014 में होना है।
नए चेहरों और कई प्रमुख विभागों में बदलाव के साथ प्रधानमंत्री ने इसे अपनी सरकार का अंतिम फेरबदल होने की उम्मीद जताई है। जल्द चुनावों की संभावना से इनकार करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि आज का कैबिनेट फेरबदल संभवत: अंतिम फेरबदल होगा।राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं जल्द चुनावों की संभावना नहीं देखता। चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे।' यह पूछने पर कि क्या यह आखिरी मंत्रिमंडलीय फेरबदल है, उन्होंने कहा, '' उम्मीद है कि यह अंतिम फेरबदल है।'विपक्षी हमलों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री ने अपने पांच राज्य मंत्रियों को कैबिनेट का ओहदा देकर उनके अनुभव को सरकार के लिए कारगर साबित करने की कोशिश की है। इस कड़ी में अजय माकन को आवास व शहरी गरीबी उन्मूलन, हरीश रावत को जल संसाधन, अश्विनी कुमार को कानून एवं न्याय, एमएम पल्लम राजू को मानव संसाधन विकास और दिनशा जे पटेल को खनन मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। खुर्शीद की जगह के रहमान खान अल्पसंख्यक मामलों और कुमारी शैलजा की जगह चंद्रेश कुमार संस्कृति मंत्री बनाई गई हैं।
मनमोहन मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल के बाद रविवार को जब संवाददाताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उन्हें अनसुना कर दिया। उल्लेखनीय है कि वाड्रा पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन [आइएसी] और भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों का कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने तो बचाव किया है, लेकिन सोनिया या कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हरियाणा सरकार ने भी वाड्रा के भूमि सौदों को सही ठहराते हुए उन्हें क्लीन चिट दी है।इस फेरबदल में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सलमान खुर्शीद को नया विदेश मंत्री बनाया गया है। उन्होंने एस.एम. कृष्णा का स्थान लिया है। खुर्शीद पहले कानून मंत्री थे। कानून मंत्रालय का प्रभार अब अश्विनी कुमार को दिया गया है। खुर्शीद पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत पी.वी. नरसिम्ह राव के कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अपने मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को वह गंभीरता से नहीं ले रही। विपक्षी दल भाजपा और अरविंद केजरीवाल ने जिन कैबिनेट मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, कांग्रेस ने या तो सरकार में उनका कद बढ़ा दिया है या उन पर भरोसा बनाए रखा है। इस तरह से सरकार ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री सरकार में बने रहेंगे और आने वाले दिनों में उनसे इस्तीफा भी नहीं लिया जाएगा।
सरकार का चेहरा बदलने के बाद अब कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की बारी है। कांग्रेस में राहुल गांधी की बड़ी भूमिका तय होने में अब देर नहीं है। संभावना उनको कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की है। सरकार से बाहर हुए कांग्रेसी नेताओं के नए दायित्व भी तय किए जाने हैं। सब कुछ ठीक रहा तो यह हफ्ते भर के भीतर हो सकता है।प्रधानमंत्री के कई बार चाहने के बावजूद राहुल इस बार भी खुद सरकार में शामिल नहीं हुए। इस फेरबदल में हालांकि उनकी टीम को भरपूर तवज्जो दी गई। खास तौर से कई युवा सांसदों का कद बढ़ने के साथ उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं। सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह और जितेंद्र सिंह के ओहदे बढ़ने को राहुल से ही जोड़कर देखा जा रहा है।सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद कांग्रेस आलाकमान के एजेंडे पर अब भी पार्टी संगठन में बदलाव ही सबसे ऊपर है। राहुल की नई भूमिका के साथ पार्टी के कई महासचिवों के दायित्व भी बदले जाने हैं। इस बीच एसएम कृष्णा, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, सुबोध कांत सहाय, महादेव खंडेला और विंसेंट पाला ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।
भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2014 में होने वाले आम चुनाव से पहले मंत्रिपरिषद का चेहरा बदलने और उसे नया स्वरूप देने की कोशिश के तहत रविवार को इसमें व्यापक फेरबदल किया। इस फेरबदल के तहत सलमान खुर्शीद को विदेश मंत्री, पवन कुमार बंसल को रेल मंत्री, पल्लम राजू को मानव संसाधन विकास मंत्री और एम. वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्री बनाया गया है। कुल मिलाकर इस फेरबदल में सात ने कैबिनेट मंत्री, दो ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 13 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इस प्रकार कुल 22 सदस्यों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया। कुछ राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है तो कई मंत्रियों के विभाग बदले गए हैं और कुछ नए चेहरे भी शामिल किए गए हैं। शशि थरूर की करीब ढाई वर्षों बाद वापसी हुई है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी सरकार में शामिल नहीं हुए।बदलाव के तहत विदेश मंत्रालय को उसी सलमान खुर्शीद के हवाले किया गया है जिनपर जाकिर हुसैन ट्रस्ट में विकलांगों के लिए आवंटित कोष के गबन का आरोप है। इसको लेकर अभी हाल ही में प्रेस कांफ्रेंस कर दो घंटे तक सलमान खुर्शीद को सफाई देनी पड़ी थी। जाहिर है सरकार ने सलमान को पदोन्नत कर भ्रष्टाचार को न सिर्फ संरक्षण दिया है बल्कि उसे सम्मानित करने का सफल प्रयास किया है।
इस फेरबदल में पूरे हिन्दी भाषी पट्टी बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की उपेक्षा की गई है जहां पहले कभी कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था।करीब चार साल के अंतराल के बाद बिहार को पहली बार 'आधा' मंत्री मिला। आज शपथ लेने वाले राज्य मंत्री तारिक अनवर भले ही चार बार बिहार के कटिहार से लोकसभा सदस्य रहे हों फिलहाल दो बार से वह महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य हैं। संप्रग-1 में बिहार से 10 मंत्री थे।लालू प्रसाद के नेतृत्व वाला राजद मनमोहन सिंह की पहली सरकार में शामिल था और मंत्रिमंडल में उसके सात सदस्य थे। इनमें लालू प्रसाद, रघुवंश प्रसाद सिंह, प्रेमचंद्र गुप्ता, तस्लीमुद्दीन, रघुनाथ झा, कांति सिंह, अली अशरफ फातमी शामिल थे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मीरा कुमार, राम विलास पासवान और शकील अहमद भी शामिल थे।वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को कम सीटें मिली। राजद और लोक जनशक्ति पार्टी संप्रग-2 सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। संप्रग-2 में बिहार से कोई मंत्री नहीं था। अब तारिक शामिल किए गए हैं जो बिहार के हैं लेकिन महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं।
फेरबदल में एक बार फिर ओडिशा के कांग्रेसी नेताओं को निराश हाथ लगी है। रविवार की सुबह तक अटकलें लगाई जा रही थी कि इस बार ओडिशा के नेताओं को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।न तो ओडिशा के एकमात्र स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री श्रीकांत जेना को पदोन्नति मिली और ना ही ओडिशा से अन्य किसी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वर्ष 1977 में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद से श्री जेना चार बार लोकसभा सांसद चुने गए है। इसी तरह, सुंदरगढ़ सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री हेमानंद बिस्वाल को भी पुनर्गठित मंत्रीमंडल में कोई जगह नहीं मिली। आदिवासी नेता हेमानंद वर्ष 1974 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद से दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जब भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात उठती है तब हेमानंद का नाम सबसे पहले आता है, लेकिन हर बार उन्हें निराशा हाथ लगती है। यही हाल कलाहांडी के सांसद भक्तचरण दास का है। वर्ष 1985 में पहली बार विधायक बने भक्तचरण वर्ष 1979 से सांसद चुने जा रहे हैं। उन्हें वर्ष 1990-91 में दो बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में खेल व युवा मामले एवं रेल मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला, लेकिन अब तक कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है।
रेल जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में कांग्रेस की 17 साल बाद वापसी हुई है। लगभग डेढ दशक बाद कोई कांग्रेसी रेल मंत्री बना है। यही नहीं रेल राज्यमंत्री के दोनों पद भी कांग्रेस के पास गए हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के तहत पवन कुमार बंसल को रविवार को रेल मंत्री का पद दिया गया। इसी तरह पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी तथा आंध्रप्रदेश से कांग्रेस सांसद जय सूर्यप्रकाश रेड्डी को रेल राज्य मंत्री बनाया गया है।
तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल राय के इस्तीफे के बाद भूतल परिवहन मंत्री सीपी जोशी के पास रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था।
बंसल ने पदभार दिए जाने के बाद कहा, 'मंत्रालय की हालत (वित्तीय सहित) सुधारना ही मेरी प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय हालत सुधरना एक बड़ी कार्रवाई है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1995 में सीके जाफर शरीफ कांग्रेसी रेलमंत्री थे।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी शशि थरूर ने बतौर राजनयिक, लेखक और नेता खूब नाम कमाया और आज उन्हें फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किया गया। हालांकि वह लगातार विवादों के घेरे में भी रहे। संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में वह उप महासचिव थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तिरूवनंतपुरम सीट से विजय दर्ज की।
उन्हें सीधे विदेश राज्य मंत्री बना दिया गया हालांकि इस पद पर वह काफी कम समय रहे। कोच्चि आईपीएल टीम में भूमिका को लेकर लगे आरोपों के बाद मचे बवाल के बीच उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पडा।
नौ मार्च 1956 को लंदन में जन्मे थरूर की शिक्षा दीक्षा तमिलनाडु, मुंबई और कोलकाता में हुई । उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कालेज से इतिहास में स्नातक किया। बाद में वह स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के लिए विदेश गये। फिर पीएचडी भी की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए भारत ने थरूर के नाम को लेकर जबर्दस्त खेमाबंदी की थी लेकिन वह बान की मून के मुकाबले हार गये । उसके बाद ही वह भारत लौटकर कांग्रेस में शामिल हुए।
संप्रग-दो के कार्यकाल में बीते तीन साल में तृणमूल कांग्रेस से तीन रेल मंत्री ममता बनर्जी, दिनेश त्रिवेदी तथा मुकुल राय रहे हैं। इससे पहले 2004-09 के दौरान राजद नेता लालू प्रसाद यादव इस महत्वपूर्ण पद पर रहे। मंत्रिमंडलीय फेरबदल में तीन मुस्लिम मंत्रियों को शामिल किया गया जिसमें से एक को अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। संप्रग-2 सरकार में अब सात मुस्लिम मंत्री हो गये हैं। एक ट्रस्ट में वित्तीय हेरफेर को लेकर विवादों के घेरे में आये सलमान खुर्शीद को देश का नया विदेश मंत्री बनाया गया है। इससे पहले वह कानून मंत्री थे। अत्यंत महत्वपूर्ण विदेश मंत्रालय दिया जाना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उनमें विश्वास को प्रदर्शित करता है।कर्नाटक से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व उप सभापति के रहमान खान को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी। वह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बनाये गये हैं। राकांपा महासचिव तारिक अनवर और पश्चिम बंगाल से ए एच खान चौधरी को राज्य मंत्री बनाया गया है। अनवर को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग तो खान को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सौंपा गया है।इसके अलावा गुलाम नबी आजाद और फारूक अब्दुल्ला पहले से ही कैबिनेट मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह सरकार में हैं। ई अहमद भी राज्य मंत्री के रूप में सरकार में हैं लेकिन आज के फेरबदल में उनसे मानव संसाधन विकास विभाग ले लिया गया है जबकि विदेश राज्य मंत्री के रूप में वह कायम रहेंगे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में नेताओं को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। फेरबदल के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नए मंत्रिमंडल को अनुभवी व युवाओं का मेल बताया। उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता चुनौतियों से भरा है। इस फेरबदल में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सलमान खुर्शीद को नया विदेश मंत्री बनाया गया है। उन्होंने एस.एम. कृष्णा का स्थान लिया है। खुर्शीद पहले कानून मंत्री थे। कानून मंत्रालय का प्रभार अब अश्विनी कुमार को दिया गया है। खुर्शीद पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत पी.वी. नरसिम्ह राव के कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।
कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वाले सात में से दो चेहरे- राज्यसभा के पूर्व उप सभापति के. रहमान खान और चंद्रेश कुमारी कटोच नए हैं। पांच अन्य- अजय माकन, एम. एम. पल्लम राजू, दिनशा पटेल, हरीश रावत तथा अश्विनी कुमार को राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रोन्नति दी गई है जबकि सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, के. एच. मुनियप्पा, भरत सिंह सोलंकी, जितेंद्र सिंह को तरक्की देकर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में तरक्की पाने वालों में सचिन पायलट को कॉरपोरेट मामलों, ज्योतिरादित्य सिंधिया को विद्युत, मुनियप्पा को सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रम, सोलंकी को पेयजल व स्वच्छता और जितेंद्र सिंह को युवा व खेल मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पल्लम राजू को मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया है। इससे पहले वह रक्षा राज्य मंत्री थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी शशि थरूर को दी गई है। उन्होंने वर्ष 2010 में आईपीएल कोच्चि क्रिकेट टीम से सम्बंधित मामले में अपने कथित हितों को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी पवन कुमार बंसल को दी गई है, जो तृणमूल कांग्रेस के सरकार से अलग होने के बाद रिक्त पड़ा था। सी. पी. जोशी रेल मंत्री का अतिरिक्त प्रभार देख रहे थे। एम. वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि उनके पूर्ववर्ती प्रभार कॉरपोरेट एवं बिजली मंत्रालय को बांट दिया गया है। कैबिनेट मंत्री हरीश रावत को जल संसाधन मंत्री और कटोच को संस्कृति मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। अजय माकन को प्रोन्नति देते हुए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री बनाया गया है, जबकि दिनशा पटेल को खान मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।
एस. जयपाल रेड्डी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है, जबकि कमलनाथ को शहरी विकास के अतिरिक्त संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने वालों में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी भी शामिल हैं, जिन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। इससे पहले यह मंत्रालय अम्बिका सोनी के पास था, जिन्होंने कांग्रेस के संगठन में काम करने की इच्छा जताते हुए इस्तीफा दे दिया था।
प्रजा राज्यम पार्टी का कांग्रेस में विलय करने वाले तेलुगू अभिनेता से नेता बने चिरंजीवी को इनाम स्वरूप पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। आंध्र प्रदेश से सर्वाधिक नेताओं को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इनमें पल्लम राजू, चिरंजीवी, कोटला जय सूर्यप्रकाश रेड्डी, सर्वे सत्यनारायण, पोरिका बलराम नाईक तथा के. किल्ली शामिल हैं। इसका उद्देश्य राज्य में पार्टी को मजबूती प्रदान करना है, जहां उसे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और तेलंगाना आंदोलन के कारण जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पश्चिम बंगाल से तीन नए चेहरों को शामिल किया गया है, जिनमें अधीर रंजन चौधुरी, दीपा दासमुंशी और ए. एच. खान चौधरी शामिल हैं। तीनों राज्य में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कटु आलोचक माने जाते हैं। कांग्रेस ने इस फेरबदल को सार्थक बदलाव बताया है वहीं भाजपा ने कहा है कि इस बदलाव में कुछ भी नया नहीं है और ऐसा करके छवि बचाने की कोशिश की गई है।
वर्तमान मंत्रिमंडल के कुल सदस्यों की संख्या-87
फेरबदल से पहले सदस्य संख्या-67
नवनियुक्त सदस्य
कैबिनेट मंत्री
1-के रहमान खान [अल्पसंख्यक मामले]
2-दिनशा जे पटेल [खनन]
3-अजय माकन [आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन]
4-एमएम पल्लम राजू [मानव संसाधन विकास]
5-अश्विनी कुमार [कानून]
6-हरीश रावत [जल संसाधन]
7-चंद्रेश कुमारी कटोच [संस्कृति]
राज्यमंत्री [स्वतंत्र प्रभार]:
1-मनीष तिवारी [सूचना एवं प्रसारण]
2-के चिरंजीवी [पर्यटन]
राज्यमंत्री :
1-शशि थरूर [मानव संसाधन विकास]
2-के सुरेश [श्रम और रोजगार]
3-तारिक अनवर [कृषि और खाद्य प्रसंस्करण]
4-केजे सूर्यप्रकाश रेड्डी [रेलवे]
5-रेनी नाराह [आदिवासी मामले]
6-अधीर रंजन चौधरी [रेलवे]
7-एएच खान चौधरी [स्वास्थ्य और परिवार कल्याण]
8-एस सत्यनारायण [सड़क परिवहन और हाईवे]
9-निनांग एरिंग [अल्पसंख्यक मामले]
10-दीपा दासमुंशी [शहरी विकास]
11-पी बलराम नाइक [सामाजिक न्याय और अधिकारिता]
12-कृपारानी किल्ली [संचार एवं सूचना तकनीक]
13-लालचंद कटारिया [रक्षा]
नए चेहरे:
कैबिनेट
1- चंद्रेश कुमारी कटोच [संस्कृति]
2- के रहमान खान [अल्पसंख्यक मामले]
राज्य मंत्री
1-शशि थरूर [मानव संसाधन विकास]
2-तारिक अनवर [कृषि और खाद्य प्रसंस्करण]
3-के सुरेश [श्रम और रोजगार]
4-एएच खान चौधरी [स्वास्थ्य और परिवार कल्याण]
5-अधीर रंजन चौधरी [रेलवे]
6-दीपा दासमुंशी [शहरी विकास]
7-एस सत्यनारायण [सड़क यातायात और हाईवे]
8-केजे सूर्यप्रकाश रेड्डी [रेलवे]
9-पी बलराम नाइक [सामाजिक न्याय और अधिकारिता]
10-किली कृपारानी [संचार एवं सूचना तकनीक]
11-लालचंद कटारिया [रक्षा]
12-रेनी नाराह [आदिवासी मामले]
13-निनांग इरिंग [अल्पसंख्यक मामले]
राज्य मंत्री [स्वतंत्र प्रभार]
1-मनीष तिवारी [सूचना और प्रसारण]
2- के चिरंजीवी [पर्यटन]
बढ़ा रसूख
[राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बने]
1-दिनशा पटेल [खनन]
2-एमएम पल्लम राजू [मानव संसाधन विकास]
3-हरीश रावत [जल संसाधन]
4-अजय माकन [आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन]
5-अश्विनी कुमार [कानून]
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha
হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!
मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड
Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!
हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।
In conversation with Palash Biswas
Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg
Save the Universities!
RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!
जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি
अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास
ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?
Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
Tweet Please
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
______________________________________________________
By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
1 comment:
mo.09450195427 per bat karay
suman
Post a Comment