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Friday, October 19, 2012

नीति निर्धारण के मामले में जब प्रधानमंत्री तक कारपोरेट प्रबंधन पर निर्भर हैं, तो रमेश बाबू की क्या बिसात?

नीति निर्धारण के मामले में जब प्रधानमंत्री तक कारपोरेट प्रबंधन पर निर्भर हैं, तो रमेश बाबू की क्या बिसात?

भारत चीन युद्ध के पचास साल पूरे होने पर भारतीय बालिग राजनय की खूब चर्चा हो रही है, पर बाजार को सर्वोच्च प्राथमिकता​ ​ देने वाली भारत सरकार की कारपोरेट विदेश नीति का क्या हाल हुआ और क्या पचास और साठ के दशक से हम किसी मायने में बेहतर हैं, तनिकइस पर भी गौर करें महाशय। क्योंकि  सुरक्षा परिषद के पांच नए अस्थाई सदस्यों के चुनाव के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुरुवार जो मतदान हुए हैं, उसमें भारत को बाहर कर दिया है। रवांडा, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, लक्जमबर्ग, दक्षिण कोरिया को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नए अस्थाई सदस्य चुन लिए गया है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश योजना आयोग से बेहद खफा हैं। मनरेगा व सर्व शिक्षा अभियान सरीखे केंद्र पोषित योजनाओं के लिए राज्यों को फंड ट्रांसफर करने का अधिकार वित्त मंत्रालय को सौंपने की आयोग की कोशिश से उनकी नाराजगी बढ़ी है। पर्यावरण मंत्रालय से विदाई के कटु अनुभव के बावजूद ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को योजना आयोग की ताकत का अंदाजा ​​नहीं है। मंटेक सिंह आहलूवालिया न राजनेता हैं और न निर्वाचित जनप्रतिनिधि, पर भारत सरकार के नीति निर्धारण में वही असली​ ​ नियंत्रक है। राजनीति तो नीति निर्धारण का महौल को दुरुस्त करने की गरज से की जाती है। भूमि अधिग्रहण कानून पास करवाने में और​​ सत्याग्रह यात्रा खत्म करवाने में रमेश की भूमिका अपरिहार्य भले हो, लोकिन नीति निर्धारण के मामले में जब प्रधानमंत्री तक कारपोरेट प्रबंधन पर निर्भर हैं, तो रमेश बाबू की क्या बिसात?बहरहाल भारत सरकार ने ग्रामीण विकास पर 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय 18 अक्टूबर 2012 को किया. इसके लिए विशेष कोष बनेगा, जिसका उपयोग राज्य अपनी जरूरतों के अनुसार कर सकेंगे। कोष में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और 30 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों की होनी है। राज्यों की मांग के आधार पर रूरल फ्लेक्सी फंड (ग्रामीण लचीला कोष) का गठन किया गया।ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के अनुसार इस कोष का संचालन वित्त वर्ष 2013-14 से शुरू होना है।

इस बीच भारत चीन युद्ध के पचास साल पूरे होने पर भारतीय बालिग राजनय की खूब चर्चा हो रही है, पर बाजार को सर्वोच्च प्राथमिकता​ ​ देने वाली भारत सरकार की कारपोरेट विदेश नीति का क्या हाल हुआ और क्या पचास और साठ के दशक से हम किसी मायने में बेहतर हैं, तनिकइस पर भी गौर करें महाशय। क्योंकि  सुरक्षा परिषद के पांच नए अस्थाई सदस्यों के चुनाव के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुरुवार जो मतदान हुए हैं, उसमें भारत को बाहर कर दिया है। रवांडा, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, लक्जमबर्ग, दक्षिण कोरिया को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नए अस्थाई सदस्य चुन लिए गया है।गौरतलब है कि नए सदस्यों की दौड़ में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, ब्यूनस आयर्स, फिनलैंड, किगाली, लक्जमबर्ग, रवांडा व दक्षिण कोरिया शामिल थे। हालांकि ऑस्ट्रेलिया चार और फिनलैंड दो बार परिषद के अस्थाई सदस्य रह चुके हैं। जीत के लिए किसी भी देश को 193 सदस्यीय महासभा में 129 वोट हासिल करना जरूरी है।भारत को 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में 2010 में 19 साल बाद दो साल के कार्यकाल के लिए चुना गया था। पिछले साल ही पाकिस्तान को अस्थाई सदस्यता मिल गई थी, जिसका कार्यकाल अगले साल समाप्त होगा। सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में चीन, फ्रांस, रूस ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। पांच अन्य सदस्यों अजरबैजान, ग्वाटेमाला, पाकिस्तान, टोगो और मोरक्को का कार्यकाल दिसंबर, 2013 तक है। नए सदस्यों में अफ्रीकी देश रवांडा के सुरक्षा परिषद के लिए चुना जाना खासा महत्वपूर्ण हैं।रवांडा को अफ्रीकी कोटे से निर्विरोध चुना गया है। उसने दक्षिण अफ्रीका की जगह ली है। 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में रवांडा 148, अर्जेंटीना 182, ऑस्ट्रेलिया 140, लक्जमबर्ग 131 और दक्षिण कोरिया 149 वोट प्राप्त कर सुरक्षा परिषद के सदस्य बने।

दूसरी ओर, सिंगल ब्रांड रिटेल में सौ फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] की मंजूरी के नतीजे दिखने लगे हैं। विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने वाले बोर्ड एफआइपीबी ने तीन कंपनियों के प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी है। इन प्रस्तावों से देश में 106 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आएगा।अभी तो मल्टी ब्रांड रिटेल एफडीआई का खेल शुरू ही नहीं हुआ!आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम की अध्यक्षता वाले विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड [एफआइपीबी] ने अमेरिका की ब्रूक्स ब्रदर्स और इंग्लैंड की फुटवियर चेन पेवर्स इंग्लैंड को देश में स्टोर खोलने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इनके अलावा इटली के ज्वेलरी ब्रांड दमियानी के प्रस्ताव को भी सरकार ने इजाजत दी है। दमियानी भारत के मेहता प्राइवेट लिमिटेड के साथ 51:49 प्रतिशत साझेदारी में संयुक्त उद्यम शुरू कर रही है। इसके तहत दमियानी 35.7 लाख रुपये का निवेश करेगी।सूत्रों के मुताबिक तीनों कंपनियों में सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव पेवर्स इंग्लैंड का है जिसने भारत में 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। अभी यह कंपनी चेन्नई की ट्रिटोन रिटेल के 28 स्टोर के जरिये अपने उत्पाद घरेलू बाजार में बेचती है। इसके अलावा कंपनी के फुटवियर रिलायंस फुटप्रिंट, लाइफस्टाइल, वेस्टसाइड और शॉपर्स स्टाप पर भी उपलब्ध हैं। सूत्रों के मुताबिक ब्रुक्स ब्रदर्स रिलायंस इंडस्ट्री की सहयोगी कंपनी रिलायंस ब्रांड्स में 6.22 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। दोनों कंपनियों ने हाल ही में संयुक्त उद्यम लगाने का एलान किया था। इस उद्यम में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रुक्स ब्रदर्स की और 49 प्रतिशत रिलायंस ब्रांड्स की रहेगी। रिलायंस ब्रांड्स पहले ही देश में पांच स्टोर खोलने की घोषणा कर चुका है।सिंगल और मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआइ की इजाजत मिलने के बाद से कई विदेशी कंपनियां निवेश के प्रस्ताव दे चुकी हैं। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल ज्यादातर प्रस्ताव सिंगल ब्रांड रिटेल के ही आए हैं। सिंगल ब्रांड रिटेल में पहले 51 प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत थी। इस क्षेत्र में इजाजत देने के साढ़े तीन साल बाद भी केवल 200 करोड़ रुपये का एफडीआइ ही आ पाया। मगर सौ फीसद विदेशी निवेश के फैसले के बाद से कंपनियों की रुचि भारत में बढ़ी है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने गुरुवार को योजना आयोग में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा, ग्रामीण विकास कार्यक्रम वर्तमान में केंद्रीय दिशा निर्देशों का बंधक बन गया है। राज्यों को इसमें अपनी जरूरत के हिसाब से तब्दीली की छूट तक नहीं है। इसी के मद्देनजर राज्यों के प्रति लचीला रुख अपनाते हुए केंद्र ने यह कोष बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस कोष का संचालन 2013-14 के वित्त वर्ष से शुरू होगा। साथ ही यह भी कहा, देश की वित्तीय वृद्धि दर संतोषजनक रही तो कोष का आकार और बड़ा हो सकता है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा, इससे राज्यों को ग्रामीण विकास की योजनाओं को पूरा करने में पूरी स्वतंत्रता मिलेगी। मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का कुछ हिस्सा मिलाकर यह कोष बनाया जाएगा।

रमेश ने कहा, 12वीं पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण विकास मंत्रालय को कुल 4.90 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि पेयजल और स्वच्छता विभाग के लिए एक लाख करोड़ का आवंटन प्रस्तावित है। पहली बार इन दोनों विभागों का पुनर्गठन किया जाएगा। 11वीं योजनाओं के मुकाबले चालू योजना का बजट पेयजल व स्वच्छता के लिए दोगुना कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, मध्य भारत की आदिवासी पंट्टी के गरीबों के लिए सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत ग्रामीण आजीविका मिशन का भी गठन करने का मन बनाया है। वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सिविल सोसाइटी और सरकार मिलकर एक साथ कुछ करने की सोच रही है।

रमेश ने आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्यों को फंड आवंटन के तौरतरीके में बदलाव से भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। फंड आवंटन का सारा अधिकार वित्त मंत्रालय के पास चले जाने से बाकी विभाग तमाशबीन बन कर रह जाएंगे।

क्या है मामला

दरअसल योजना आयोग ग्रामीण विकास मंत्रालय की मनरेगा, ग्रामीण सड़क योजना और पेयजल व स्वच्छता जैसे कार्यक्रमों को केंद्र पोषित योजनाओं [सीएसएस] की जगह अतिरिक्त केंद्रीय सहायता [एसीए] कार्यक्रम के रूप में घोषित करना चाहता है। आयोग मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संचालित सर्व शिक्षा अभियान और मिड डे मील जैसी सीएसएस योजनाओं को भी इस दायरे में लाना चाहता है। उसकी नजर स्वास्थ्य विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी है। अगर आयोग की चली तो वह 2013-14 वित्त वर्ष से सभी सीएसएस योजनाओं को एसीए कार्यक्रम के रूप में संचालित कराने की फिराक में है। योजना आयोग की यही कवायद जयराम रमेश को नागवार लग रही है। उनका तर्क है कि इससे योजनाओं के लिए राज्यों को फंड मिलने में अनावश्यक देरी होगी। बकौल रमेश, इस व्यवस्था के लागू होने से वित्त मंत्रालय सभी अधिकारों से लैस हो जाएगा और हम केवल तमाशबीन बन कर रह जाएंगे। इससे सभी कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होंगी।

विधवा, विकलांग पेंशन मिलने में भी होगी देरी

अभी तक की व्यवस्था के अनुसार केद्र पोषित योजनाओं के लिए संबद्ध विभाग की ओर से राज्यों को सीधे फंड ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन एसीए व्यवस्था लागू हो जाने के बाद योजनाओं का पूरा वित्तीय नियंत्रण वित्त मंत्रालय के अधीन हो जाएगा। विभागों की कोई पूछ नहीं रह जाएगी। रमेश का कहना है कि एसीए व्यवस्था लागू होने से समाज कल्याण के दूसरे कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे। विधवा, वृद्धा और विकलांग पेंशन मिलने में अनावश्यक देरी होगी। सूत्रों का कहना है कि 15 सितंबर को हुई योजना आयोग की बैठक में यह मुद्दा उठा था, लेकिन समय की कमी के कारण इस पर विस्तार से चर्चा नहीं हो पाई।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता का हवाला देते हुए इस बात को स्वीकार किया कि 8 प्रतिशत की सालाना आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना आसान नहीं है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसे हासिल करना असंभव भी नहीं है। सेना कमांडरों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि देश को हर साल श्रम बाजार में आने वाले एक करोड़ लोगों के लिए नए रोजगार के अवसरों के सृजन को सालाना 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर की दरकार है।प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह आसान काम नहीं है। खासकर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक वातावरण को देखते हुए। लेकिन यह ऐसा लक्ष्य भी नहीं है, जो हासिल नहीं हो सकता। लेकिन इसके लिए हमने अपनी निवेश की दर में 37 से 38 फीसदी का इजाफा करना होगा, जो तीन साल पहले स्थिति थी।' सिंह ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों से निपटा है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं में लगातार जारी अनिश्चितता तथा कमजोरी की वजह से वृद्धि की रफ्तार प्रभावित हुई है। इसमें एशिया भी शामिल है। भारत को आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट, घटते निर्यात तथा बढ़ते घाटे जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा है।'

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.5 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 8 प्रतिशत थी। वहीं निर्यात भी मई से अगस्त तक घटा है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ही राजकोषीय घाटा 4.12 लाख करोड़ रुपए के बजटीय लक्ष्य के 66 प्रतिशत को छू चुका है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि निवेश तथा बचत को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है। खासकर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, उसके साथ ही हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ती जाएंगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा देश के निर्यात में वृद्धि और विविधीकरण के साथ हमें जल दस्युओं जैसे जोखिमों से निपटने के भी उपाय करने होंगे। सिंह ने कहा कि देश के समुद्रों की सुरक्षा भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा अन्य महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच के लिए भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के बाहर रहने वाले भारतीयों तथा विदेशी निवेश को आश्वस्त किए जाने की जरूरत है। इसलिए सुरक्षा हमारी राष्ट्रीय ताकत का महत्वपूर्ण स्तंभ है।

खबर है कि भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच कर सकता है। भारती समूह की कंपनी सेडार सर्विसेज में वॉलमार्ट ने 456 करोड़ रुपये का निवेश किया था। आरोप है कि यह निवेश भारती रिटेल में गया, जो इजीडे के नाम से रिटेल चेन चलाती है। उस वक्त रिटेल में एफडीआइ की अनुमति नहीं थी। इसलिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने केंद्रीय बैंक से इसकी जांच के लिए कहा है।प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले दिनों वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति व संव‌र्द्धन विभाग [डीआइपीपी] को इस मामले में जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया था। डीआइपीपी ने आरबीआइ को पत्र लिखकर विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून [फेमा] के उल्लंघन संबंधी इन आरोपों की जांच करने की मांग की है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक विदेशी विनिमय से जुड़े मामलों पर लगातार निगाह रखता है, इसीलिए यह मामला उसे सौंपा गया है। इस मसले पर वॉलमार्ट के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने देश के सभी एफडीआइ नियमों का पूरी तरह से पालन किया है। साथ ही सभी जरूरी दस्तावेज सरकार और आरबीआइ को सौंपे गए हैं।

2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सभी टेलिकॉम कंपनियां सक्रिय हो गई हैं। शुक्रवार को भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्युलर, टेलिनॉर और टाटा टेली सर्विसेज ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए अपना-अपना आवेदन पेश किया।
नीलामी 12 नवंबर को होनी है। दूसरी तरफ, एसटेल ने कहा है कि कि वह नीलामी में शामिल नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जिन कंपनियों का लाइसेंस कैंसल किया था उसमें इस कंपनी के भी लाइसेंस थे।

मोबाइल ऑपरेटरों को ज्यादा स्पेक्ट्रम के लिए महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले दूरसंचार पर मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह [ईजीओएम] ने गुरुवार को यह फैसला किया। इसके मुताबिक 6.2 मेगाह‌र्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम रखने वाली भारती एयरटेल और वोडाफोन जैसी टेलीकॉम कंपनियों को एकबारगी मोटा शुल्क देना होगा। इस फैसले से सरकारी खजाने में 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा राजस्व आने की उम्मीद है। इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट करेगी।यह रकम 27 हजार करोड़ रुपये की उस राशि के अलावा होगी, जो 4.4 मेगाह‌र्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम रखने वाले जीएसएम मोबाइल ऑपरेटरों और ढाई मेगाह‌र्ट्ज वाली सीडीएमए कंपनियों को चुकानी होगी। पिछले हफ्ते अपने फैसले में ईजीओएम ने मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों पर सरचार्ज लगाकर यह बोझ लादा था।ईजीओएम ने कैबिनेट को भेजी अपनी सिफारिश में कहा है कि एयरटेल और वोडाफोन के पास 6.2 मेगाह‌र्ट्ज से ज्यादा स्पेक्ट्रम है। इसलिए उनसे 2012 तक के चार वर्षो के लिए एक बार में एकमुश्त शुल्क लिया जाना चाहिए। यह अतिरिक्त स्पेक्ट्रम इन कंपनियों को वर्ष 2008 में आवंटित किया गया था।मंत्रिसमूह के दोनों फैसलों का मकसद अगले महीने होने जा रही स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेने वाली कंपनियों को बराबरी का मौका मुहैया कराना है। इस नीलामी में पांच मेगाह‌र्ट्ज के ऑल इंडिया स्पेक्ट्रम के लिए 14 हजार करोड़ रुपये की रिजर्व कीमत रखी गई है।

सरकार अपने उपर पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने के लिए अगले साल जुलाई से आपको गैस सिलेंडर पर दी जा रही सब्सिडी के बदले कैश देने के मूड में है। आधार कार्ड के आधार पर आपके अकाउंट में सब्सिडी के बदले मिलने वाली रकम जमा हो जाएगी।मुख्य सचिव पुलक चटर्जी,तेल कंपनियों, वित्त और पेट्रोलियम मंत्रालयों और यूआईडी के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है कि 1 जनवरी से देश के 50 जिलों में कैश सब्सिडी देने की योजना लागू की जाए. ये 50 जिले वे हैं जहा सबसे ज्यादा आधार कार्ड बाटे जा चुके हैं।यह कदम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वस्तुओं पर मिलने वाली सब्सिडी को कैश में तब्दील किया जाना है। तीन फेज की इस योजना को आधार नंबर के जरिए लागू किया जाना है। सरकार की इस महत्वपूर्ण परियोजना पर यूआईडी प्राधिकरण और इंडियन ऑयल कारपोरेशन लंबे समय से काम कर रहे थे।1 अप्रैल से उन सभी जिलों में कैश ट्रासफर शुरू हो जाएगा जिनमें आधार नंबर बाटे जा रहे हैं। पूरे देश में इस योजना को लागू करने की तारीख 1 जुलाई तय की गई है. प्रस्तावित योजना के मुताबिक गैस कनेक्शन रखने वाले हर ग्राहक को अपने गैस डीलरों और बैंकों में जाकर अपना आधार नंबर देना होगा।हर महीने की शुरूआत में सरकार खातों में पैसा डालेगी, लेकिन इसके बाद गैस मार्केट रेट पर ही मिलेगी। अगर गैस सिलिंडर की कीमत 900 रुपये है तो सरकार आपके खाते में 450 रुपये डालेगी लेकिन यह सिर्फ उतने ही सिलिंडरों के लिए होगा जितने सब्सिडी के तहत लिए जा सकते हैं।
निजी क्षेत्र की संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस का लाइसेंस निलंबित होने की संभावना बढ़ रही है। एयरलाइन ने अपनी तालांबदी की अवधि को 20 अक्टूबर से बढ़ाकर 23 अक्टूबर कर दिया है। हालांकि, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा इस संबंध में भेजे गये कारण बताओ नोटिस का कंपनी ने जवाब दे दिया है।

एयरलाइन के जवाब पर आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि डीजीसीए इस बारे में विधि विशेषज्ञों से विचार विमर्श कर रहा है कि किंगफिशर के खिलाफ क्या कार्रवाई हो। उसका उड़ान लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जाए। किंगफिशर पिछले 21 दिन से जारी गतिरोध को सुलझा पाने में विफल रही है। उसके पायलट और इंजीनियर सात माह से वेतन नहीं मिलने के विरोध में हड़ताल पर हैं।

एक सूत्र ने कहा कि हम इस पर जल्द राय बनाएंगे। संभवत: एकाध दिन में। यह पूछे जाने पर कि क्या एयरलाइन का लाइसेंस निलंबित हो सकता है, उन्होंने हां में जवाब दिया। जिन विकल्पों पर विचार हो रहा है उनमें उड़ान लाइसेंस निलंबित करना या फिर एयरलाइन को कुछ और समय देना है।

डीजीसीए ने विजय माल्या की अगुवाई वाली कंपनी को 5 अक्टूबर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था क्यों न उसका उड़ान लाइसेंस निलंबित या रद्द कर दिया जाए, क्योंकि वह अपनी उड़ान समयसारिणी का पालन नहीं कर रही है और बार-बार मनमाने तरीके से उड़ानें रद्द कर रही है।

डीजीसीए ने एयरलाइन को इसका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया था, जो 20 अक्टूबर को पूरा होना है। इंजीनियरों और पायलटों की हड़ताल की वजह से किंगफिशर ने 28 सितंबर को 4 अक्तूबर तक के लिए तालाबंदी की घोषणा की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 12 अक्टूबर और फिर 20 अक्टूबर कर दिया गया।

एयरलाइंस ने उम्मीद जताई है कि डीजीसीए द्वारा उसका परिचालन फिर शुरू करने की योजना को मंजूरी के बाद वह 6 नवंबर से परिचालन फिर शुरू कर सकेगी। किंगफिशर के एक अधिकारी ने कहा कि हमने डीजीसीए के कारण बताओ नोटिस का आज जवाब दे दिया। अधिकारी ने बताया कि इन मुद्दों के सुलझने के बाद कंपनी अपना परिचालन दोबारा शुरू करने की योजना सौंपेगी। आधिकारिक सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि किंगफिशर डीजीसीए की मंजूरी के बगैर दोबारा परिचालन शुरू नहीं कर सकती है।



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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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