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Thursday, October 4, 2012

अगर मारे जाने वाले लोग , आत्महत्या करने ​​वाले लोग अगर अहिंसा का रास्ता छोड़ दें,तो ?

अगर  मारे जाने वाले लोग , आत्महत्या करने ​​वाले लोग अगर अहिंसा का रास्ता छोड़ दें,तो ?

सरकार ने इंश्योरेंस बिल 2011 को मंजूरी देते हुए बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। साथ ही पेंशन क्षेत्र के दरवाजे भी विदेशी निवेशकों के लिए खोल दिए हैं।खेती चौपट है और किसान थोक दरों पर आत्महत्या कर रहे हैं। जरूरी सेवाओं शिक्षा , स्वास्थ्य, परिवहन का निजीकरण हो चुका है। रेलवे की बारी है।भूमिसुधार लागू हुआ ही नहीं, पर भूमि अधिग्रहण कानून कारपोरेट दिशा निर्देश से बदल रहा है। अभी तो इस देश की जनता बुद्ध और गांधी की अहिंसा के रास्ते पर है और खुदकशी का विकल्प चुन रही है। पर मारे जाने वाले लोग , आत्महत्या करने ​​वाले लोग अगर अहिंसा का रास्ता छोड़ दें,तो क्या मोसाद और सीआईए की खुफिया बायोमैट्रिक तंत्र हालात संबालने लायक रहेगा डर है कि राजनेताओं मे में ममता बनर्जी को छोड़कर जैसे तमाम लोग बाजारू हो गये हैं, ऐसी हालत तेजी से बन रही है जब सत्याग्रही अपना विचार बदल देंगे।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
साल 2012 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए कांग्रेस एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम की सिफारिश की गई है।इंटरनेशनल अवेकनिंग सेंटर ने सोनिया गांधी का नाम लगातार नौंवी बार नोबल शांति पुरस्कार से संबंधित समिति की स्वीकृत सूची में शामिल करने के लिए भेजा है।वियतनाम के कसाई हेनरी किसींजर को जब नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है तो विदेशी मूल की होने के बावजूद, जबकि देश की शरणार्थी, ​​आदिवासी, बस्ती बंजारा आबादी की नागरिकता संदिग्ध है, पूरे देश को नपुंसक बना देने वाली सोनिया गांधी को क्यों नहीं मिलना चाहिए नोबेल पुरस्कार?संगठन ने अपने सिफारिशी पत्र सोनिया गांधी विश्व शांति की पुजारी और एक महान सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने का अनुरोध किया है।अब तो बस युवराज की ताजपोशी का इंतजार ही कीजिए। माहौल ही ऐसा बन रहा है।केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि वह दिन दूर नहीं, जब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अब्दुल्ला ने राहुल को यह सलाह भी दी कि वह अपनी मां सोनिया गांधी से सीखें कि विपरीत हालात का सामना कैसे किया जाता है।केंद्रीय मंत्री ने सोनमर्ग में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में कई अड़चनें आएंगी। लेकिन, राहुल गांधी को अपनी मां सोनिया से यह सीखना चाहिए कि किस तरह उन्होंने चुनौतियों से जूझते हुए कांग्रेस को दोबारा मजबूत किया। अब्दुल्ला और गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी उमर और राहुल को नसीहत देते हुए फारुक ने कहा कि रास्ते में चुनौतियां आती हैं, लेकिन उन्हें अपना लक्ष्य पाने के लिए अटल होने का हुनर सीखना होगा।

अब इस देश की सरकार ने बाजार के लिए जिस तेजी से कायदा कानून बदलने में लगी है और जैसे नपुंसक समय में हम जीने लगे हैं, प्रतिरोध की की तनिक गुंजाइश नहीं है, ऐसे में आत्महत्या ही शायद यंत्रणामुक्ति का एक मात्र उपाय है। जैसे एअर इंडिया और किंगफिशर के कर्मचारी और उनके परिजन खूब समझ रहे हैं। निजीकरण के तूफान में, उत्पादन प्रणाली ध्वस्त हो जाने की हालत में मैनेजरी, दलाली और सेसल्स एजेंट या ​​मार्केटिंग की जो ठेके वाली सर्विस सेक्टर की अस्थाई नौकरियां बची हैं,वहां भी पेंशन और भविष्यनिधि को ठिकाने लगाने का इंतजाम हो​ ​ गया है। विपर्यय विमानन तक सीमित नहीं है, नवरत्न कंपनियों में काम करनेवालों की नियति भी यही है। बीमा क्षेत्र को खोलकर सरकार ने इस सर्वनाश का आगाज कर दिया है। बैंकिंग के निजीकरण के बावजूद भारतीय स्टेट बैंक जो बचा हुआ है,उसे विनिवेश में निवेश और बाजार के विस्तार के लिए सरकारी कर्ज नीति का शिकार होते अब ज्यादा वक्त नहीं है। खनन क्षेत्र में जो सुधार हो रहा है, वह निजी कंपनियों के लिए। कोलइंडिया की बलि चढ़ ही चुकी है। कारोबार में खपेंगे, ऐसा उपाय भी नहीं है। पहले ही खुदरा कारोबार में लगे पांच करोड़ परिवारों की रोजी रोटी रीटेल एफडी ​​आई के जरिये छिन ली गयी है। औद्योगीकरण और शहरीकरण से जिस मध्यवर्ग का तेजी से विकास हुआ और जो उपभोक्ता संस्कृति और अपसंस्कृति के धारक वाहक हैं, उनकी भी शामत आ गयी है। अभी तो रसोई में आग लगी है। कहां कहां आग अभी लगने वाली है, सुधारों का सिलसिला खत्म होने से पहले अंदाज लगाना मुश्किल है। कैबिनेट ने आज केन्द्र सरकार के लगभग दो लाख कर्मचारियों को भारी राहत देते हुए उनके जोखिम भत्ते, अस्पताल रोगी देखरेख भत्ता और रोगी देखरेख भत्ता संशोधित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। साथ ही कंपनी कानून एवं प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन के प्रस्ताव मंजूर किए।आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 2,893 करोड़ रुपए मूल्य की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं पोषण सुधार परियोजना (आईएसएसएनआईपी) को आज मंजूरी प्रदान की। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) समर्थित है। मिल गया है न गाजर?जबतक आपके मरने या आत्महत्या करने की नौबत नहीं आती , अल्पमत सरकार के जनविरोधी फैसलों पर चुप रहिए। कारोबार चौपट​ ​ करने के बाद भाजपाई वोट बैंक को बाट लग गयी है। सामाजिक योजनाओं में चुनावपूर्व बढ़तरी से जनादेश का बंदोबस्त तो कर ही लेगी कारपोरेट सरकार तो काहे की चिंता?

बाजार में तेजी बनी रहेगी, शुरू करें निवेश!बाजार की तेजी बढ़ती ही जा रही है। सेंसेक्स 19,000 के पार हो चुका है और निफ्टी 5,800 का स्तर छूने ही वाला है। रुपये में भी रिकॉर्ड तेजी देखी जा रही है। बाजार में बढ़त का रुख बना हुआ है। सरकार के रिफॉर्म पर उठाए गए कदमों से पिछले 3 हफ्तों में बाजार में काफी बदलाव आया है और बाजार का भरोसा बढ़ा है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत बढ़ रही है और विदेशी निवेशकों का रुझान भी भारतीय बाजारों में पैसा लगाने के लिए काफी सकारात्मक है। ये सभी बातें बाजार की तेजी को सहारा दे रही हैं।सरकार बड़े कदम उठाने की इच्छाशक्ति दिखा रही है और इससे बाजार भी ऊपर जा रहे हैं। इस समय विदेशी संकेत भी ठीक हैं और इसका फायदा घरेलू बाजारों को मिल रहा है। देश की जीडीपी ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश करना बहुत जरूरी है।वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज देश के उद्योग जगत को भरोसा दिलाया कि सरकार आर्थिक सुधारों में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री ने यह उम्मीद भी जताई कि बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) बढ़ाने से संबंधित विधेयक संसद के शीत सत्र में पारित हो जाएगा। वित्त मंत्री ने देश के प्रमुख उद्योग चैंबरों फिक्की, सीआईआई, एसोचैम के प्रतिनिधियों को उनके साथ दो घंटे की बातचीत के लिए आमंत्रित किया था।

देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कमर कस चुकी मनमोहन सरकार ने आर्थिक सुधारों का एक और पिटारा खोला है। सरकार ने इंश्योरेंस बिल 2011 को मंजूरी देते हुए बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। साथ ही पेंशन क्षेत्र के दरवाजे भी विदेशी निवेशकों के लिए खोल दिए हैं। विदेशी निवेशक पेंशन क्षेत्र में अब 26 फीसदी तक निवेश कर सकते हैं।इसके साथ ही कैबिनेट ने कंपनी विधेयक, 2011 और वायदा अनुबंध नियमन संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। बैठक में प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन को भी मंजूरी दी गई। अब सभी क्षेत्र भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के दायरे में आएंगे।हालांकि सरकार ने फैसले ले लिए हैं लेकिन उन्हें लागू करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी है जो कि सरकार के संख्या बल को देखते हुए खासी मुश्किल नजर आती है। सरकार का तर्क है कि इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से बीमा कंपनियों की पैसे की जरूरत पूरी होगी और वो इस पैसे से आम लोगों के लिए नए नए उत्पाद लांच कर पाएंगी। सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए उद्योग जगत ने इसे ऐतिहासिक और नई दिशा देने वाला कदम बताया है। उद्योग जगत ने कहा है 'ये धमाकेदार सुधारवादी निर्णय' इस बात का संकेत देते हैं कि भारत सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।सरकार का दावा है कि एफडीआई की सीमा बढ़ाने से बीमा क्षेत्र की हालत सुधरने के साथ ही प्रतियोगिता भी बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ता को मिलेगा जबकि इस विधेयक का विरोध कर रही तमाम पार्टियों का तर्क है कि बीमा एक संवेदनशील मसला है। इसका सीधा वास्ता आम आदमी के जीवनमरण से है न कि बीमा कंपनियों के नफे और नुकसान से।इस बिल का विरोध करने वालों में यूपीए की पूर्व सहयोगी ममता बनर्जी के साथ-साथ लेफ्ट और बीजेपी भी शामिल हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस बिल का विरोध कर रही है लेकिन बीजेपी की ही अगुवाई वाली एनडीए सरकार बीमा में 26 फीसदी एफडीआई लेकर आई थी। यही नहीं एनडीए सरकार तो एफडीआई की सीमा बढ़ाने की भी वकालत कर रही थी। उधर पेंशन क्षेत्र से जुड़े पेंशन फंड नियामक प्राधिकरण बिल में भी इस क्षेत्र को एफडीआई के लिए खोले जाने का निर्णय लिया गया है। प्रस्तावित बिल के मसौदे में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी निर्धारित की गई है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि पेंशन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने और बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के सरकार के निर्णयों से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।अहलुवालिया ने संवाददाताओं को बताया कि मुझे लगता है कि भारत में निवेश करने का इच्छुक कोई भी निवेशक इस संदेश को पढ़ेगा।

6 अक्टूबर को होने वाली बैठक में सेबी निवेशकों को बड़ी राहत दे सकता है। माना जा रहा है कि सेबी विदेशी निवेशकों को कैश मार्जिन के नियमों में ढील दे सकता है।विदेशी निवेशकों को पूरा कैश मार्जिन नहीं देना पड़ेगा, जबकि फिलहाल अभी कैश और एफएंडओ में एफआईआई को पूरा कैश मार्जिन देना होता है। कैश मार्जिन के बदले बैंक गारंटी, एफडी, सरकारी बॉन्ड और म्यूचुअल फंड मान्य होंगे।कैश मार्जिन नियम में बदलाव का सबसे ज्यादा फायदा हेज फंड को होगा। अब विदेशी हेज फंड घरेलू फंड के साथ बराबरी कर पाएंगे। इसके अलावा सेबी इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स में लिक्विडिटी लाने के लिए भी विकल्पों पर विचार करेगा।सूत्रों के मुताबिक ट्रांजैक्शन कॉस्ट घटाने के लिए सेबी सिक्योरिटीज या फंड को सीधे क्लीयरिंग कॉर्प में जमा करने पर विचार कर सकता है। साथ ही 100 फीसदी डीमैट पर भी चर्चा की जा सकती है।इसके अलावा सेबी वित्तीय क्षेत्र के लिए एक ही नो युअर कस्टमर (केवाईसी) बनाने पर विचार करेगा। सेबी चाहता है कि सभी निवेशकों को जानकारी एक ही नियामक के अधीन हो। सेबी मध्यस्थों की संख्या घटाने के पक्ष में भी है।बैठक में सेबी कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म और फी स्ट्रक्चर की समीक्षा करेगा। आईपीओ के लिए भी नियम आसान बनाए जा सकते हैं।

आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए बुलाई गई कैबिनेट की गुरुवार की बैठक में न डीएमके शामिल हुई न एनसीपी न ही नेशनल कॉन्फ्रेंस। उधर, विपक्ष भी बीमा और पेंशन में विदेशी निवेश बढ़ाने पर खासा चिढ़ा हुआ है। ममता बनर्जी तो बोल गईं कि सरकार ने अब लक्ष्मण रेखा लांघ दी है।मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने एलान किया है कि वो सरकार के इस कदम का भरपूर विरोध करेगी। बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक बीजेपी सरकार के इस फैसले का विरोध करेगी। ममता बनर्जी की टीएमसी अब विपक्ष की भूमिका में आकर और आक्रामक हो गई है। टीएमसी न कहा है कि फैसला जनता के खिलाफ है और संसद में इसका रास्ता रोका जाएगा। ममता बनर्जी ने फेसबुक पर लिखा है कि देश बचाने कि लिए मनमोहन सरकार का जाना जरूरी है।ममता ने लिखा है कि सरकार ने एक बार फिर जनविरोधी फैसले करके लक्ष्मण रेखा लांघी है। ये एक अल्पमत सरकार का अनैतिक फैसला है जो आम आदमी की जिंदगी पर बुरा असर डालेगा। हम राष्ट्रपति से मिलकर इस अल्पमत सरकार को हटाने की मांग करेंगे। देश बचाने के लिए सरकार का जाना जरूरी है। ममता बनर्जी ने बीमा और पेंशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेश निवेश की सीमा बढ़ाये जाने को अनैतिक फैसला करार दिया और मनमोहन सरकार को सत्ता से हटाने के लिये अविश्वास प्रस्ताव लाने पर जोर दिया। उन्होंने संप्रग के सभी सहयोगियों का आह्वान किया कि वे इसके विरोध में सरकार से हट जायें।ममता ने अपने फेसबुक पेज पर कहा कि सरकार का जाना जरूरी है, देश को बचाने के लिये।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने का आह्वान करते हुये कहा कि अल्पमत सरकार इस तरह की अनैतिक भूमिका नहीं निभा सकती। आइये अविश्वास प्रस्ताव लायें। हमने इस मुद्दे पर माननीय राष्ट्रपति से मिलने का फैसला किया है।

ममता ने लिखा कि आज केंद्र सरकार के एक और जन विरोधी फैसलों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी। इन महत्वपूर्ण फैसलों का करोड़ों भारतीयों की आजिविका से सीधा संबंध है । इन फैसलों को एक अल्पमत सरकार ने लिया है जो अनैतिक है ।उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया जाना और पेंशन क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दिये जाने से लोगों की जीवनभर की बचत असुरक्षित हो जायेगी।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि क्या संप्रग सरकार का इरादा पूरे देश को बेचना है,  हमें एकजुट होकर इस तरह के फैसलों का विरोध करना चाहिये और इस तरह के कई जनविरोधी फैसलों के बाद सरकार को बचाना नहीं चाहिये।

लेफ्ट ने आरोप लगाया है कि सरकार विश्वबैंक के निर्देश पर काम कर रही है। उसका इरादा मल्टीनेशनल कंपनियों को फायदा पहुंचाना है। जबकि, कांग्रेस पूरी तरह सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है।

समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव किरणमॉय नंदा ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी संसद में पेंशन और बीमा विधेयक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार यदि तय समय से पहले इस्तीफा दे दे तो यह जनता के लिए बेहतर रहेगा।राज्य सभा सदस्य नंदा ने कहा, ''हम संसद के पटल पर बीमा और पेंशन में एफडीआई को अनुमति देने के जनविरोधी प्रस्तावों का विरोध करेंगे। हम जनविरोधी नीतियों का समर्थन नहीं कर सकते हैं।''

बीमा और पेंशन सेक्टर में सरकार द्वारा और सुधारों की घोषणा के बाद कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि अन्य राजनीतिक दलों को साथ लाकर वह संसद में इन विधेयकों को पास कराने में सक्षम होगी।

खेती चौपट है और किसान थोक दरों पर आत्महत्या कर रहे हैं। जरूरी सेवाओं शिक्षा , स्वास्थ्य, परिवहन का निजीकरण हो चुका है। रेलवे की बारी है।भूमिसुधार लागू हुआ ही नहीं, पर भूमि अधिग्रहण कानून कारपोरेट दिशा निर्देश से बदल रहा है। अभी तो इस देश की जनता बुद्ध और गांधी की अहिंसा के रास्ते पर है और खुदकशी का विकल्प चुन रही है। पर मारे जाने वाले लोग , आत्महत्या करने ​​वाले लोग अगर अहिंसा का रास्ता छोड़ दें,तो क्या मोसाद और सीआईए की खुफिया बायोमैट्रिक तंत्र हालात संबालने लायक रहेगा डर है कि राजनेताओं मे में ममता बनर्जी को छोड़कर जैसे तमाम लोग बाजारू हो गये हैं, ऐसी हालत तेजी से बन रही है जब सत्याग्रही अपना विचार बदल देंगे।

किंगफिशर एयरलाइंस का वित्तीय संकट अब उसके कर्मचारियों पर भारी पड़ने लगा है। पालम इलाके में पति को तनख्वाह न मिलने व नौकरी चले जाने के डर से एक किंगफिशर कर्मी की पत्नी ने गुरुवार को फांसी लगाकर जान दे दी। मृतक सुष्मिता [45] के पति मानस चक्रवर्ती किंगफिशर एयरलाइंस में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं। मौके से मिले सुसाइड नोट में सुष्मिता ने पति को छह माह से वेतन न मिलने की बात लिखी है।इसी बीच किंगफिशर एयरलाइंस पर मंडरा रहा खतरा बढ़ सकता है क्योंकि एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए ने इसकी सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल उठाए हैं। डीजीसीए ने विमानन मंत्रालय को किंगफिशर एयरलाइंस पर रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में यात्रियों की सुरक्षा के इंतजाम से लेकर वित्तीय संकट तक जैसे कई बड़े मुद्दे शामिल हैं।डीजीसीए ने कहा है कि सैलरी को लेकर पिछले 6 दिनों से इंजीनियरों और पायलटों की जो हड़ताल चल रही है उस बीच सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया। एविएशन रेगुलेटर ने सैलरी नहीं मिलने के मुद्दे को काफी गंभीर बताया है क्योंकि जिन पायलटों और इंजीनियरों को सैलरी नहीं मिल रही उनके हाथ में यात्रियों की सुरक्षा को छोड़ना खतरनाक हो सकता है।

इसी के मध्य जल, जंगल और जमीन की लड़ाई की खातिर निकले सत्याग्रहियों के कदम दिल्ली की ओर बढ़ते जा रहे हैं। दूसरे दिन मुरैना के बानमौर से पदयात्रा शुरु कर नूरावाद तक का रास्ता तय किया गया। एकता परिषद की अगुवाई में बुधवार को ग्वालियर से शुरूहुए जनसत्याग्रह में 50 हजार से ज्यादा लोग चल रहे हैं।यह संख्या दिल्ली तक पहुंचते पहुंचते एक लाख के आसपास पहुंच जाने की संभावना जताई जा रही है।इस सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पी. वी. राजगोपाल का कहना है कि भूमि सुधार के मुद्दे पर संघर्ष और संवाद दोनों साथ-साथ चलते रहेंगे। उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेगी। जनसत्याग्रह की पदयात्रा कुल 350 किलोमीटर की है। यह यात्रा राजस्थान के धौलपुर, उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा होती हुई 28 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी।  केंद्र सरकार दिल्ली की ओर कूच कर रहे एक लाख भूमिहीन आदिवासी सत्याग्रहियों के आंदोलन को बीच रास्ते से ही लौटाने की फिराक में है। पिछले साल सिविल सोसाइटी के आंदोलन से फजीहत झेल चुकी सरकार अब इस सत्याग्रह को दूसरा अन्ना आंदोलन नहीं बनने देना चाहती है। इसीलिए उनके नेता पीवी राजगोपाल को मनाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।सरकार ने उन्हें 11 अक्टूबर को दिल्ली बुलाया है ताकि दोनों पक्षों की लंबी चर्चा के बाद कोई रास्ता निकाला जा सके। तब तक इन पदयात्रियों का हुजूम आगरा के मीना बाजार में डेरा डाल चुका होगा, जो सरकार की धड़कने तेज करने के लिए काफी होगा। उनका कारवां ग्वालियर से निकलकर गुरुवार को मुरैना पहुंच गया है। आंदोलन को नेतृत्व दे रहे प्रतिनिधियों के लिए सरकार पर यकीन करना काफी कठिन हो रहा है। इसीलिए वे वार्ता में आने को राजी तो हैं, लेकिन समझौते को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने 2007 में बनी सहमति का जिक्र किया है। इसके तहत सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री स्वयं थे। चार सालों के लंबे इंतजार के बाद पिछले साल 2 अक्टूबर को जन सत्याग्रह संवाद नाम से यह यात्रा फिर शुरू हो गई। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश जनवरी 2012 से इनके साथ संवाद जारी रखे हुए हैं। लेकिन वार्ता अभी तक किसी माकूल हल तक नहीं पहुंच पाई है। इसकी खास वजह है, विभिन्न मंत्रालयों में सामंजस्य की कमी और कई बड़ी मांगों का ताल्लुक राज्य सरकारों से होना। इस गतिरोध को दूर करने में केंद्र नाकाम रहा है।

पेंशन बिल के मसौदे में एक कर्मचारी के लिए दो तरह की पेंशन की व्यवस्था की गई है। पहली योजना में उसे नियमित पेंशन और दूसरी में पेंशन फंड के कुछ हिस्से को बाजार में निवेश करने का प्रस्ताव है और इस योजना में मिलने वाला पैसा बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगा। यह कर्मचारी पर निर्भर करेगा कि वो दोनों योजनाओं में से कौन सा विकल्प चुनता है।
सरकार का दावा है कि पेंशन नियामक प्राधिकरण बनाने से पेंशन क्षेत्र में होने वाली गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा जबकि विरोध कर रही पार्टियों का कहना है कि बुढ़ापे में मिलने वाली पेंशन को बाजार के हवाले करना ठीक नहीं है क्योंकि इसका संबंध सीधे-सीधे बुढ़ापे के जीवनयापन से है।

कैबिनेट ने इसके अलावा कंपनी बिल 2011 को भी मंजूरी दे दी है। ये बिल पिछले करीब दो दशक से ठंडे बस्ते में पड़ा था। इस बिल के तहत कंपनियों के कामकाज, डायरेक्टर और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के नियम तय होंगे। सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कंपनियों को अपने मुनाफे का 2 फीसदी सोशल क्षेत्र में खर्च करना होगा। साथ ही, इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की जिम्मेदारी और भूमिका तय होगी। इसके अलावा सरकार ने वायदा कारोबार पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए बिल को भी मंजूरी दे दी है। इस बिल के पास होने से फारवर्ड मार्केट कमीशन को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे और वो बाजार में अपनी पैनी नजर रख सकेगी। साथ ही नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई भी कर पाएगी।

अनुमान है कि एफडीआई की सीमा बढ़ने से इंश्योरेंस सेक्टर में अगले पांच साल में करीब 62 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है। इससे नई और पुरानी दोनों ही कंपनियों को फायदा होगा। बैठक में कैबिनेट ने कंपनी बिल 2011 को भी मंजूरी दे दी है। ये बिल पिछले करीब दो दशक से ठंडे बस्ते में पड़ा था। इस बिल के तहत कंपनियों के कामकाज, डायरेक्टर और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के नियम तय होंगे। सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कंपनियों को अपने मुनाफे का 2 फीसदी सोशल क्षेत्र में खर्च करना होगा।इंश्योरेंस सेक्टर को राहत के बाद अब वित्त मंत्रालय रियल एस्टेट सेक्टर में जान फूंकने की तैयारी में है। इसके तहत वित्त मंत्रालय वैसे प्रोजेक्ट्स को मदद देगा, जो फंड की कमी की वजह से रुके हुए हैं। अब तक ऐसे 76 अधूरे प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई है जिनमें करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।वित्त मंत्रालय बैंकों को कहेगा कि इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए उन्हें कर्ज दे, इसके एवज में रियल एस्टेट डेवलपर्स कीमतों को नीचे लाएंगे और इसका फायदा खरीदारों को देंगे। इस मुद्दे पर फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी डी के मित्तल ने रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई) और बैंकरों के साथ बैठक की है।

सेनसेक्स में मोक्ष खोजने वाले हवाई अर्थशास्त्री, मीडिया, नीति निर्धारक और सरकार आर्थिक सुधारों से अर्थव्यवस्था की सेहत बुनियादी समस्याओं को संबोदित किये बिना सुलधाने का दावा कर रहें है। उन्हें बाजार की उढाल में दिवाली से पहले दिवाली मनाने का मोका मिला है। चाहे आपके हमारे घरों में चूल्हा जले , न जले।बहरहाल देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 188.46 अंकों की तेजी के साथ 19,058.15 पर और निफ्टी 56.35 अंकों की तेजी के साथ 5,787.60 पर बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 70.06 अंकों की तेजी के साथ 18,939.75 पर खुला और 188.46 या 1.00 फीसदी तेजी के साथ 19,058.15 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 19,107.04 के ऊपरी और 18,939.75 के निचले स्तर को छुआ।नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 20.30 अंकों की तेजी के साथ 5,751.55 पर खुला और 56.35 अंकों या 0.98 फीसदी तेजी के साथ 5,787.60 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,807.25 के ऊपरी और 5,751.35 के निचले स्तर को छुआ।

देस के अंधाधुंध सैन्यीकरण के औचित्य पर भी सवाल मत पूछिये। सशस्त्र सैन्य बल अधिनियम और तरह तरह के दमनात्मक अभियान और​ ​ कानून विकास और आंतरिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं और इलसे बजट घाटा बढ़ता हो, ऐसा न मीडिया कहता है और न अर्थशास्त्री या रेटिंग एजंसियों का ऐसा मानना है। देश में गुरुवार को स्वदेश निर्मित व परमाणु-क्षमता सम्पन्न बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 का ओडिशा की एक परीक्षण रेंज से सफल परीक्षण किया गया। यहां से 230 किलोमीटर दूर स्थित बालासोर जिले के चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आटीआर) के परिसर नंबर 3 से यह परीक्षण किया गया। इस मिसाइल की 350 किलोमीटर दूरी तक की मारक क्षमता है।आईटीआर के निदेशक एम वी के वी प्रसाद ने कहा कि परीक्षण सफल रहा। भारतीय सशस्त्र बलों ने यह परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक परीक्षण पर नजर रखे हुए थे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लखनऊ, वाराणसी, मंगलोर, तिरुचिरापल्ली तथा कोयंबटूर हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, 'ये सभी हवाईअड्डे मध्यम से लंबी दूरी वाले विमानों के परिचालन में सक्षम हैं और रात्रि परिचालन की सुविधाओं से भी युक्त हैं।' उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत बनाया गया है और इस घोषणा से घरेलू या अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। साथ ही यह संबंधित क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी मददगार होगा।

नागर विमानन मंत्रालय ने लखनऊ स्थित चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा, लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (वाराणसी), मंगलोर, तिरुचिरापल्ली तथा कोयंबटूर हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव किया था

आर्थिक सुधार जनता की जेब पर भारी पड़ने वाला है। सुधार की राह पर रफ्तार से बढ़ने का सरकार का इरादा महंगाई बढ़ा सकता है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पैसा कहां से आए? इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारिख की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। दीपक पारिख कमेटी ने बुधवार को अंतरिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप दी।रिपोर्ट में कड़े कदम उठाने की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि बिजली वितरण के क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ानी होगी। साथ ही बिजली की दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। सीधे शब्दों में कहें तो कमेटी ने बिजली दरों को बढ़ाने की सिफारिश की है।

दीपक पारेख कमेटी ने जीडीपी का 9 फीसदी इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर खर्च करने की सिफारिश की है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 51 लाख करोड़ रुपये का खर्च होने की उम्मीद है। इस खर्च का एक तिहाई यानी 17 लाख करोड़ रुपए अकेले बिजली बनाने पर खर्च होंगे। इसका 11 फीसदी यानि 5.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रेलवे पर खर्च होंगे। यही नहीं इस कमेटी ने टेलीकॉम सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए एफडीआई की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने का सुझाव दिया है। इस भारी भरकम खर्च के लिए पैसे जुटाने के लिए दीपक पारेख कमेटी का सुझाव है कि सरकार को रेलवे, बिजली और गैस की दरें बढ़ाते रहना चाहिए।

देश में ज्यादा से ज्यादा बिजली बने इसके लिए बिजली कंपनियों को सीधे कोयला आयात करने दिया जाए। इंफ्रास्ट्रक्चर के कुल खर्च का 11 फीसदी यानि 5.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रेलवे पर खर्च होंगे। यही नहीं इस कमेटी ने टेलीकॉम सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए एफडीआई की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने का सुझाव दिया है।

दीपक पारेख कमेटी मानती है कि सेवाएं मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए। उनका सुझाव है कि सरकार को रेलवे, बिजली और गैस की दरें बढ़ाते रहना चाहिए।

दीपक पारेख चाहते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च बढ़ाने के लिए प्राइवेट-पब्लिक-पार्टनरशिप को बढ़ावा दिया जाए। देश में सड़कों का हाल अच्छा नहीं है, सड़कें अच्छी नहीं होगी तो बगैर अच्छी सड़कों के ग्रोथ को रफ्तार नहीं मिलेगी। दीपक पारेख कमेटी का मानना है कि रोड प्रोजेक्ट के लिए पीपीपी प्रोजेक्ट्स में तेजी लाई जाए। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेंगे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के आज के सुधारवादी निर्णयों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष आर.वी. कनोड़िया ने कहा कि इन दूरदर्शी उपायों से बीमा और पेंशन क्षेत्र में पूंजी आएगी जो बहुत जरूरी हो गया है। कनोड़िया ने कहा, 'अब जरूरत इस बात की है कि बीमा और पेंशन की निधि के निवेश संबंधी दिशानिर्देशों को भी लचीला बनाया जाए ताकि इस क्षेत्र में जमा पैसे को बुनियादी ढांचे के विकास में और बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।' उन्होंने कहा कि मौजूदा नियमों में बीमा और पेंशन को उसका का बड़ा हिस्सा परियोजनाओं के बजाय सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना पड़ता है। इन नियमों में ढील देने की जरूरत है।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत और दुनिया का निवेश समुदाय सरकार द्वारा तेजी से लिए जा रहे फैसलों पर गौर कर रहा है और इन फैसलों से अब निवेशकों की धारणा मजबूत होगी। बनर्जी ने उम्मीद जताई है कि सभी राजनीतिक दल इन मामलों में प्रस्तावित विधेयकों की अच्छाई को देखेंगे और उनको जल्द पारित कराने में सहयोग करेंगे।

मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक राकेश सूद ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किए जाने को 'स्वागत योग्य' कदम बताया। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पेंशन क्षेत्र में भी विदेशी कंपनियों को 26 प्रतिशत निवेश की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन फैसलों के लिए बीमा और पेंशन कानून में संशोधन के प्रस्ताव पेश किए जाएंगे।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज उम्मीद जताई कि भारतीय अर्थव्यवस्था शीघ्र ही स्थिर वृद्धि दर की राह पर लौट आएगी। महामहिम आज यहां रसायन तथा पेट्रोकेमिकल्स उद्योग की एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी तथा सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर ऊपर आ रही है।

राष्ट्रपति ने कहा, `मुझे उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था शीघ्र ही स्थिर वृद्धि की राह पर लौट आएगी।` मुखर्जी ने अनुसंधान एवं विकास की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने उद्योग जगत से अपने कारोबार का कम से कम पांच-छह प्रतिशत अनुसंधान पर खर्च करने की अपील की। उन्होंने कहा, `इस समय, इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास खर्च कुल कारोबार का केवल एक या दो प्रतिशत है। यह बहुत असंतोषजनक है।`

मुखर्जी ने कहा कि उद्योग जगत को सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगा। उद्योग को इस तरह प्रौद्योगिकी में निवेश करना होगा जो पर्यावरण की रक्षा करे और वृद्धि को बढ़ाए ताकि सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक रसायन बाजार अनुमानित 3400 अरब डॉलर का है जिसमें भारत का हिस्सा तीन प्रतिशत है। राष्ट्रपति ने उद्योग जगत से वृ़द्धि के नए रास्ते तलाशने का आह्वान किया और कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से नई राहें दिख सकती हैं।

भारत में अर्थव्यवस्था की तस्वीर सुधर रही है और इसका एचएसबीसी का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सबूत है। सितंबर में एचएसबीसी सर्विसेज पीएमआई 7 महीने की ऊंचाई 55.8 पर पहुंच गया है, जबकि अगस्त में ये 55 पर था।

सर्विस सेक्टर की सेहत सुधरने से कंपोजिट पीएमआई भी 54.3 से बढ़कर 3 महीने की ऊंचाई 55 पर पहुंच गया है। हालांकि कंपोजिट पीएमआई में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा अगस्त के स्तर 52.8 पर ही बना हुआ है। लेकिन सितंबर के महीने में मैन्यूफैक्चरिंग के ऑर्डर में जोरदार बढ़त देखने को मिली है।

वहीं लगातार सातवें महीने नौकरियों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन इंडस्ट्री के लिए चिंता की बात ये है कि इनपुट कॉस्ट में भी बढ़त देखने को मिली है। पीएमआई इंडेक्स के 50 के ऊपर जाने का मतलब होता है कि अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है जबकि 50 के नीचे का आंकड़ा इकोनॉमी में मंदी को दिखाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि कानून का उल्लंघन कर सरकार यदि परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपूर्तिकर्ता से दुर्घटना की स्थिति में उसे दायित्व मुक्त रखने का कोई करार करती है तो वह अमान्य होगा।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और दीपक मिश्र की पीठ ने कहा, 'यदि सरकार ऐसा कोई करार करती है जिससे 'द सिविल लिबर्टी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010' का उल्लंघन होता हो तो उसे अवैध माना जाएगा।' पीठ ने भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआइएल) द्वारा तमिलनाडु स्थित कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएनपीपी) को चालू करने पर रोक के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने जब यह कहा कि केंद्र सरकार ने रिएक्टर बनाने वाली रूस की कंपनी से जो करार किया है वह को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए पूर्ण एवं उचित देनदारी के सिद्धांत के खिलाफ है। कानून के तहत देनदारी सीमित करके पंद्रह सौ करोड़ रुपये कर दी गई है। रूस की कंपनी को इस देनदारी से भी मुक्त कर दिया गया है। भूषण यायिकाकर्ता जी सुंदरराजन की ओर से बहस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि करार में तय था कि परमाणु रिएक्टरों में कहीं कोई जोड़ नहीं होगा लेकिन रूसी कंपनी जोड़ वाले रिएक्टरों की आपूर्ति की है। ऐसी स्थिति में भी यदि कोई परमाणु दुर्घटना होती है तो इस संयंत्र का संचालन करनेवाली एनपीसीआइएल को नुकसान की भरपाई करनी होगी। इस पर न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा कि इसके जरिए आप सरकार पर देनदारी का बोझ डाल रहे हैं। हम इस बारे में अटॉर्नी जनरल या सॉलिसीटर जनरल से पूछेंगे। इस बीच परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड [एईआरबी] ने मद्रास हाई कोर्ट को कहा है कि टास्क फोर्स द्वारा सुझाए गए 17 सुरक्षा उपाय जब तक नहीं कर लिए जाते तब तक परमाणु ईधन भरने की कोई नई इजाजत नहीं देगा। इस टास्क फोर्स का गठन वर्ष 2011 में जापान के फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के बाद भारतीय परमाणु ठिकानों की सुरक्षा के लिए किया गया था।

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Save the Universities!

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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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