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Thursday, May 15, 2014

হয় মোদী,না হয় মমতা,मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी! এক্সকেলিবার স্টিভেন্স বিশ্বাস

হয় মোদী,না হয় মমতা,मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी!

এক্সকেলিবার স্টিভেন্স বিশ্বাস

মাত্র ৫টি বুথে আজ ফের ভোট, কাল ফলমাত্র ৫টি বুথে আজ ফের ভোট, কাল ফল

http://zeenews.india.com/bengali/


শেষ পর্যন্ত থলি থেকে বেরোল বিড়াল!

मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी!


বিজেবি একক গরিষ্ঠতা  না পেলে মমতা ব্যানার্জিকে প্রধানমন্ত্রী করার তোড়জোড় শুরু করল কংগ্রেস


আপাত লক্ষ্য যে কোনো ভাবে মোদীর প্রধানমন্ত্রিত্ব আটকানো এবং কংগ্রেস নিয়ন্ত্রিত কংগ্রেস সমর্থিত সরকার কেন্দে্রে গড়া।অবশ্য সেই সরকার প্রথম সুযোগে  ফেলে দিয়ে মধ্যাবধি নির্বাচনে গিয়ে আবার ক্ষমতায় ফিরে আসা কংগ্রেসের পুরাতন ক্ষমতা পুনর্দখলের পুরাতন বৈজ্ঞানিক পদ্ধতি।



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mamata-banerjee

এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: রাত পোহালেই ষোড়ষ লোকসভা নির্বাচনের ফল প্রকাশ হবে। তবে কংগ্রেস নেতৃত্বের যেন আর তর সইছে না! বুথ ফেরত সমীক্ষায় ভরাডুবি অবশ্যম্ভাবি জেনেই ফল ঘোষণার ২৪ ঘণ্টা আগেই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে সম্ভাব্য প্রধানমন্ত্রী হিসেবে 'প্রোজেক্ট' করে সরকার গঠনের অঙ্ক কষা শুরু করল কংগ্রেস।


মঙ্গলবার কংগ্রেসের অন্যতম শীর্ষ নেতা রশিদ আলভি বলেন, 'কেন্দ্রে ধর্ম নিরপেক্ষ সরকার গড়তে যদি সব আঞ্চলিক দল যদি এগিয়ে আসে, তবে আমরা পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নেতৃত্বে সরকার গঠনে পূর্ণ সমর্থন করব। নরেন্দ্র মোদীকে প্রধানমন্ত্রীর গদি থেকে দূরে রাখতে এটা খুবই জরুরি।'


তিনি আরও জানান, এটা নিশ্চিত যে, কংগ্রেসর পক্ষে এ বার সরকার গড়া 'অলীক স্বপ্ন'। তবে ধর্ম নিরপেক্ষ সরকার গড়তে কংগ্রেস তাদের সমর্থন দিতে পিছপা হবে না। মমতাকে নেত্রী করার প্রসঙ্গে তিনি বলেন, প্রথম থেকেই তিনি সাম্প্রদায়িক দলগুলি থেকে দূরে থেকেছেন। ফেল তিনি যোগ্য নেতৃ হতে পারেন।


কংগ্রেসের অন্য এক শীর্ষ নেতা সন্দীপ দীক্ষিতের ফল বেরনোর আগেই হার স্বীকার করে নিলেন। পূর্ব দিল্লির এই কংগ্রেস প্রার্থী সাক্ষাত্কারে জানান, 'আমার জেতার সম্ভাবনা খুবই কম। তবে এটা সম্পূর্ণ আমার নিজের ক্ষেত্রেই বলছি। সামগ্রিকভাবে কংগ্রেসর ক্ষেত্রে বলছি না।'


প্রসঙ্গত, প্রত্যকটি বুথ ফেরত সমীক্ষাই বলছে, সাম্প্রতিক অতীতে লোকসভা নির্বাচনের সব থেকে খারাপ ফল করতে চলেছে কংগ্রেস। দিল্লির সমীক্ষা কংগ্রেস নেতৃত্বের কাছে আরও নিরাশাব্যঞ্জক। সমীক্ষা অনুযায়ী দিল্লির সাতটি আসনের মধ্যেই একটিতেও জিততে পারবে না কংগ্রেস।


আলভির মন্তব্য নিয়ে তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায় জানান, 'আমরা জনাদেশের জন্য অপেক্ষা করছি। এ নিয়ে এখনই কোনও মন্তব্য করব না।'


ভারতে বিজেপির নেতৃত্বাধীন এনডিএ জোট আজ জনগণের দৃষ্টি সম্পূর্ণ এককভাবেই কেড়ে নেবে। ঠিক তখন প্রতিদ্বন্দ্বী কংগ্রেস হতাশ ও নীরব থাকবে বলেই মনে হওয়াই স্বাভাবিক। কারণ দলটি সদ্যসমাপ্ত লোকসভা নির্বাচনে এর ইতিহাসে সবচেয়ে শোচনীয়ভাবে পরাজিত হবে। কিন্তু সবার পুরনো এ দলটি এখনই নতিস্বীকার করতে প্রস্তুত নয়। কারণ ২০১৪ সালের সাধারণ নির্বাচনের ফল দলের জন্য যতটা খারাপ হবে বলে ভবিষ্যদ্বাণী করা হচ্ছে, সেটি তত খারাপ হবে না বলে দলের কৌশলবিদরা বেশ নিশ্চিত। খবর ফার্স্ট পোস্টের।


দলের সাধারণ সম্পাদক দিগি¦জয় সিং মঙ্গলবার টুইটারে বলেন, ৮০ কোটি ভোটারের দেশে কয়েক লাখ স্যাম্পল নিয়ে জরিপগুলো কিভাবে ফলাফল নিয়ে ভবিষৎদ্বাণী করতে পারে, আসুন আমরা ১৬ মের জন্য অপেক্ষা করি। অন্য অনেক সিনিয়র নেতা অনেকখানি একই কথা বলেছেন। নির্বাচনের ফলাফল ভবিষ্যদ্বাণীর তুলনায় ভাল হবে- এমন আস্থা নিয়ে দলটি ভোট গণনা পরবর্তী কৌশল তৈরি করতে শুরু করেছে। দলের সাধারণ সম্পাদকদের নিয়ে প্রথম দফার বৈঠক এরই মধ্যে সোমবার অনুষ্ঠিত হয়।


সিনিয়র নেতারা পরিস্থিতি পর্যালোচনা করেন এবং এক ঝুলন্ত পার্লামেন্টে তাদের সম্ভাব্য করণীয়গুলো কি হবে, তা নিয়ে কথা বলেন। যেক্ষেত্রে বিজেপি সরকার গঠন করা এক আনুষ্ঠানিকতা মাত্র বলে এরই মধ্যে চিন্তাভাবনা করছে বলে মনে হয় এবং দলের একাংশ কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভার দফতরগুলোর বিষয়ে আলোচনা শুরু করেছে, সেক্ষেত্রে কংগ্রেস নরেন্দ্র মোদির নেতৃত্বাধীন বিজেপিকে ক্ষমতা থেকে দূরে রাখার কৌশল তৈরি করছে। কংগ্রেস বিজেপি-বিরোধী শক্তিগুলোকে একই সঙ্গে রাখার চেষ্টা চালাচ্ছে।


সমাজবাদী পার্টির প্রধান মোলায়েম সিং যাদব এবং বহুজন সমাজ পার্টির প্রধান মায়াবতীসহ আঞ্চলিক নেতাদের কাছে এরই মধ্যে বার্তা পাঠানো হয়েছে।


পশ্চিমবঙ্গের মমতা ব্যানার্জীকেও তুষ্ট রাখার চেষ্টা চলছে। দলের নেতারা অস্বীকার করলেও এর ভিতরকার জোর তৎপরতা সবার কাছেই স্পষ্ট।


কংগ্রেসের ভিতর আলাপ-আলোচনার পর শীর্ষ নেতারা দল নিজের শক্তিতেই ১২০-১৪০টি আসনে জয়ী হতে পারে বলে মনে করেন। লালু যাদবের মতো মিত্ররা বিহারে বিজেপি জোটের বিরুদ্ধে কড়া লড়াই চালিয়েছিলেন বলে মনে হয়। এতে ইউপিএ ১৫০-১৬০টি আসন পেতে সমর্থ হবে বলে কংগ্রেস আশা করছে। নাম প্রকাশ না করার শর্তে কংগ্রেসের এক উর্ধতন নেতা বলেন, কেন প্রত্যেকেই বিজেপির জয়ের কথা বলছেন? এমনকি রাম মন্দির আন্দোলনের তুঙ্গী অবস্থা ও এরপরও বিজেপি ১৮০টির মতো আসনে জয়ী হতে পেরেছিল। ঐ নেতা দাবি করেন, এমনকি যদি বিজেপি আসলেই ভাল করে, তা হলেও এর পক্ষে ১৮০টির বেশি আসন পাওয়া খুবই কঠিন হবে।


বুথ-ফেরত জরিপ সবই ভুয়া। কংগ্রেস ২০০৪ সালের মতো এক বড় ধরনের ভূমিকা পালনের আশা করছে। সেই বছর দলটি বাম ফ্রন্টের বড় নেতা হরকিষেণ সিং সুরজিতের সহায়তা নিয়ে প্রথম ইউপিএ কোয়ালিশন সরকার গঠন করতে সক্ষম হয়। ২০০৪ সালে যদিও কংগ্রেস দলের মাত্র ১৪৪ জন পার্লামেন্ট সদস্য ছিলেন, তবুও এটি কোয়ালিশন সরকারে সাফল্যের সঙ্গে নেতৃত্ব দিয়েছিল। এর ফলে কংগ্রেস ২০০৯ সালের নির্বাচনে দ্বিতীয় ম্যান্ডেট পেয়েছিল। কংগ্রেস সভানেত্রী সোনিয়া গান্ধী বিজেপির কেন্দ্রে ক্ষমতায় আসার চেষ্টা রোধ করতে বদ্ধপরিকর বলে মনে করা হয়।


অন্যদিকে নরেন্দ্র মোদি তার গান্ধী নগরের বাসভবনে এক বৈঠকে সহকর্মী রাজনাথ সিং, অরুণ জইতলি ও নীতিন গোদকারীকে অভ্যর্থনা জানাচ্ছেন ফুল দিয়ে, ক্যামেরায় গৃহীত এ আলোকচিত্র ভারতীয় জনতা পার্টির (বিজেপি) জন্য ঐতিহাসিক মূল্য হয়ে থাকবে- সন্দেহ নেই। মোটের ওপর এটিই হচ্ছে শেষ উপলক্ষ যখন মোদি তার মুখ্যমন্ত্রীর বাংলোতে দলের শীর্ষস্থানীয় নেতাদের অতিথি হিসেবে বরণ করছেন। খবর এএফপির।


এটা প্রায় নিশ্চিত যে, শুক্রবার লোকসভা নির্বাচনের ফল ঘোষণা করা হলেই দিল্লীতে ছুটতে হবে মোদিকে। দ্বিতীয়ত বিজেপি নেতাদের ফুল দিয়ে বরণ এবং বৈঠকে ঘনিষ্ঠভাবে প্রত্যেকের উপবেশন এই বার্তা দিয়েছে যে, তিনি দলের একজন খেলোয়াড়ও, যদিও সরকারে এবং সম্ভবত দলে তার কথাই হবে চূড়ান্ত। বুধবারের বৈঠকের গুরুত্বের তৃতীয় কারণটি হচ্ছে আলোচ্য বিষয়। বৈঠক সম্ভবত সরকার গঠনের বিস্তৃত রূপরেখা, সম্ভাবনাময় নির্বাচনোত্তর জোটে অংশ নেয়া, গুরুত্বপূর্ণ মন্ত্রিত্বের দায়িত্ব কাদের দেয়া হবে, গুজরাটে মোদির উত্তরসুরি মনোনয়ন এবং এল কে আদভানির ভবিষ্যত ভূমিকা নিয়ে আলোচনা হয়েছে এ বৈঠকে। চতুর্থত, যদিও বিজেপির শীর্ষ নীতিনির্ধারণী প্রতিষ্ঠান পার্লামেন্টারি বোর্ডের বৈঠকে বসছে শুক্রবার বিকেলে দলীয় প্রথা হিসেবে একই দিন প্রকাশিত হচ্ছে নির্বাচনের ফল এবং বিজয়ী দলীয় প্রার্থীদের চূড়ান্ত সংখ্যাটি নিয়েও তারা একটি সিদ্ধান্তে পৌঁছবেন।


सौजन्य अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी।हम पहले से कह लिख रहे थे कि बंगाल में  तीसरे चरण के मतदान के बाद साफ जाहिर है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व और ममता बनर्जी में समझौता हो गया। इंतजार की घड़ी खत्म होने जा रही है। लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम आने में 24 घंटे भी नहीं बचे हैं और सबकी नजरें अब सिर्फ नंबर्स पर है। लेकिन क्या चुनाव आने के पहले ही सस्पेंस कहीं खत्म हो गया है।मजे की बात तो यह है कि कांग्रेसी दांव के मुकाबले एग्जिट पोल्स में बीजेपी-एनडीए की बढ़त को अतिश्योक्तिपूर्ण करार देते हुए शरद पवार भी थर्ड फ्रंट को हकीकत में बदलने के लिए जयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे क्षत्रपों से फोन पर संपर्क कर रहे हैं।


12 मई को बताया था कि पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। ताजा आंकड़ों में एनडीए की स्थिति और भी मजबूत हो गई है।


आईबीएन7-सीएसडीएस के नए आंकड़ों के मुताबिक एनडीए को 274-286 सीटें मिलने की संभावना है। पहले ये आंकड़ा 270-282 सीटों का था। दरअसल आईबीएन7-सीएसडीएस ने पूर्वोत्तर के राज्यों में एनडीए के गठबंधन को पहले अपने सर्वे में शामिल नहीं किया था, इसलिए पहले 4 सीटें कम थीं।


अकेले बीजेपी की बात करें तो सर्वे के मुताबिक इसे 230-242 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं यूपीए का आंकड़ा 92-102 सीटों पर सिमटता दिख रहा है। अकेले कांग्रेस को 72-82 सीटें मिलती दिख रही हैं।




चुनाव प्रचार के दौरान दीदी का केंद्र विरोधी तेवर खत्म था तो पहले शारदा फर्जीवाड़े मामले में सीबीआई जांच में मंत्रियों, सांसदों और नेताओं के बाद परिजनों के कटघरे में खड़ा कर दिये जाने के बाद दूसरे क्षत्रपों की तरह दीदी के सामने आत्म समर्पण करने के अलावा कोई विकल्प बचा ही नहीं था।


तीसरे चरण के मतदान के बाद बंगाल में चुनाव को प्रहसन बताने में वाम और भाजपा नेताओं के साथ साथ खूब मुखर थे कांग्रेस के नेता।लेकिन चौथे और पांचवें चरण में एकतरफा छप्पा वोट और पार्टी प्रत्याशी,मतदान एजंट,समर्थकों कार्यकर्ताओं और वोटरों की पिटाई से लेकर हत्या के बाद कांग्रेस की कोई आवाज कहीं से नहीं आ रही है।


कांग्रेसतरफे दीदी की ईमानदारी का सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है।


आनन फानन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दीदी के सबसे प्रबल विरोधी अधीर चौधरी को दिल्ली बुलाकर चुप करा दिया गया और कांग्रेस प्रवक्ता राशीद अल्वी के हवाले धर्मनिरपेक्ष पक्ष की ओर से दीदी का नाम भी प्रस्तावित हो गया।जबकि चुनाव के बाद कराए गए एक्जिट पोल और ओपिनियन पोल में एक दिशा साफ दिखाई दे रही है। ये दिशा इस ओर इशारा कर रही है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए काफी आसानी से सरकार बना लेगी और कांग्रेस और यूपीए का एतिहास में शायद सबसे खराब प्रदर्शन होगा।



कांग्रेस नेता राशीद अल्वी ने संप्रदायिकता विरोधी ताकतों को ममता बनर्जी के नेतृत्व में एकजुट होने की अपील की है। गौरतलब है कि कांग्रेस और तृणमूल 2011 के विधानसभा चुनाव में एक साथ थे लेकिन इस लोकसभा चुनाव में दीदी ने 'एकला चालो' की नीति अपना रखी है. इसी बीच कांग्रेस ने अल्वी के बयान से किनारा कर लिया है।

राशीद अल्वी ने यह स्वीकार किया कि इस चुनाव में कांग्रेस के लिए सरकार बनाना मुश्किल है। ऐसे में पार्टी सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे का समर्थन कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार बनाना हमारे लिए कठिन हो सकता है, लेकिन नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट होना चाहिए। कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि सभी क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट होना चाहिए और अपने नेता का चुनाव करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने से कभी नहीं हिचकिचाएगी।

ममता बनर्जी के नाम का सुझाव देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मेरा सुझाव होगा कि क्षेत्रीय दलों को ममता बनर्जी को अपना नेता चुनना चाहिए जो कि संदेह के परे धर्मनिरपेक्ष, सक्षम और ईमानदार हैं।


इसी बीच,मोदी को रोकने की मुहिम को तमिलनाडु से भी नया बल मिला क्योंकि एआईएडीएमके नेता मलयसामी को नरेंद्र मोदी की तारीख करना भारी पड़ा। पार्टी सुप्रीमो जयललिता ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। कल ही मलयसामी ने नरेंद्र मोदी और जयललिता के बीच अच्छे रिश्ते की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी और जयललिता अच्छे दोस्त हैं। मलयसामी के बयान के बाद माना जा रहा था कि एआईएडीएमके नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन कर सकती है। हालांकि, एक्जिट पोल के मुताबिक एनडीए अपने बूते सरकार बनाने में कामयाब होगा।


नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुली जिहाद का ऐलान करके बंगाल में धर्म आधारित ध्रूवीकरणके पीछे मोदी स बड़ा हाथ दीदी का रहा है।


शरणार्थी मामले में कभी नहीं बोलने वाली,मरीचझांपी नरसंहार मामले तक को लगातार वायदा करने के बाद न खुलवाने वाली,मतुआ वोट दखल के बावजूद उनकी नागरिकता बहाल करने के लिए कोई पहल न करने वाली दीदी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ तलवार निकाल ली।तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रहार जारी रखते हुए यह भी कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो देश जल उठेगा। ममता बनर्जी ने बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी भी  की है। ममता ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना को खारिज करते हुए उन्हें गधा तक कह दिया।


जिससे मुसलमान वोट बैंक के अलावा हिंदू शरणार्थी वोट बैंक पर भी उनका एकतरफा कब्जा हो गया।


इसपर दीदी चाहती तो अपनी नवहर्माद वाहिनी पर अंकुश लगाकर दीदी शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करके भी आसानी से कांग्रेस,भाजपा और वामदोलों को शिकस्त दे सकती थी,जिनकी पिलहाल बंगाल की राजनीति में न प्रासंगिकता बाकी है और न उनका कोई मजबूत जनाधार है।


लेकिन दीदी केंद्र में किंगमेकर बनने के ऐलान के साथ साथ प्रधानमंत्रित्व की दावेदारी पहले ही पेश कर चुकी है।


बाकी क्षत्रपों का दावा खारिज करने के लिए उनके लिए अधिकतम सीटें जीत लेना सर्वोच्च प्राथमिकता बन गयी।


कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी राजनीतिक महत्वांकाक्षा को समझते हुए बेहत शातिराना ढंग से बंगाल में बिसात बिछा दी जिसे समझे बूझे बिना मोदी ने दीदी की हवा बना दी तो चुनाव आयोग ने केंद्र के इशारे पर खु्ल्ला मैदान छोड़ दिया।


जब चुनाव आयोग के बंगाल प्रभारी ही मान रहे हैं कि उनसे गलती हुई और बंगाल में तो बिहार और यूपी से बदतर हालात हैं,तो हजारों बूथों में खुली डकैती होने के बावजूद पांच ही सीटों पर पुनर्मतदान की औपचारिकता क्यों निभायी गयी,समझना मुश्किल नहीं है।


एक्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजे नहीं होते और इसीके मद्देनजर काग्रेस के सफाये के बावजूद केंद्र की सत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए बंगाल कार्ड खेल दिया है।


कांग्रेस का तात्कालिक लक्ष्य मोदी को धर्मनिरपेक्षता के बहाने रोकना है और अपने समर्तन से केंद्र में ऐसी सरकार बनाना है जो देर सवेर गिर जाये।कांग्रेस ऐसा बारबार करती रही है।


मध्यावधि चुनाव में प्रियंका गांधी को वाड्रा पहेली बुझाकर सामने लाकर कांग्रेस फिर आराम से सत्ता में आ सकती है।


इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर निशाना साधा है। नरेंद्र मोदी ने टीवी18 ग्रुप के ईटीवी चैनल से खास बातचीत में कहा कि बंगाल के विकास में ममता नाकाम रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि ममता को चुनाव में तगड़ा झटका लगने वाला है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो ममता बनर्जी को केंद्र से पूरी मदद दी जाएगी।


भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल जाये,तो यह दांव बेकार चला जायेगा।लेकिन कांग्रेस अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही है।वहीं दीदी ने भी अपने घोड़े क्षत्रपों के वहां दौड़ाने शुरु कर दिये हैं।हालात तो इतने खराब हैं कि तमाम सर्वे बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को भारी जीत दिला रहे हैं। वहीं कांग्रेस को 100 सीटें मिलना भी मुश्किल लग रहा है। ऐसे में कांग्रेस दफ्तर के बाहर नतीजों के पहले ही उससे निपटने की तमाम तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि तैयारियां देख कर यही लग रहा है कि कांग्रेस अच्छे नतीजों के प्रति आश्वस्त दिख रही है। हालांकि एक गौर करने वाली बात ये रही कि कांग्रेस दफ्तर के बाहर से सोनिया और राहुल के सारे पोस्टर हटा लिए गए हैं। हालांकि कांग्रेस ने हार की आशंका से पोस्टर हटाने की बात को खारिज कर दिया है।


दूसरी ओर,प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विदाई भोज से राहुल गांधी का गायब होना कई सवाल खड़े कर रहा है। बताया गया कि राहुल गांधी ने शनिवार को ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें बता दिया था कि वो शहर में नहीं रहेंगे और उन्होंने पहले ही उनका शुक्रिया अदा किया। लेकिन राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।


जहां कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति का बचाव कर रही है वहीं विरोधी राहुल गांधी पर हमला करने का ये मौका भला कैसे चूक सकते हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी राहुल गांधी पर चुटकी ली है। संजय राउत ने कहा कि राहुल गांधी विदेश में ही रहते हैं बस छुट्टी मनाने के लिए भारत आते हैं। संजय राउत का ये भी कहना है कि राहुल गांधी निराशा छुपाने के लिए विदेश में जाकर बैठ गए हैं।



শরিকদের রাশও হাতে চান মোদী

শরিকদের উপর নিয়ন্ত্রণ রাখতে এনডিএ-র চেয়ারম্যান পদটিও নিজের হাতে রাখতে চান নরেন্দ্র মোদী। ১৯৯৮ সালে এনডিএ গঠনের সময় থেকেই অটলবিহারী বাজপেয়ী এনডিএ চেয়ারম্যান। প্রধানমন্ত্রী পদের পাশাপাশি জোটের দায়িত্বও সামলেছেন। এখন সক্রিয় রাজনীতি থেকে অবসর নিলেও খাতায়-কলমে এনডিএ চেয়ারম্যান তিনিই।

দিগন্ত বন্দ্যোপাধ্যায়

১৫ মে, ২০১৪

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অন্যদের ধর্তব্যে না এনে প্যাঁচে নীতীশ

বিহার আছে বিহারেই। উন্নয়ন নয়, এই রাজ্যের রাজনীতি যে জাতপাত ও সম্প্রদায়-ভিত্তিক কুশলী সমীকরণের মধ্যেই ঘোরাফেরা করে, আগামী ১৬ মে তা আরও এক বার প্রমাণ হতে চলেছে বলে মনে করছেন রাজ্য রাজনীতির পর্যবেক্ষকেরা।

স্বপন সরকার

১৫ মে, ২০১৪

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যত বেশি সম্ভব দলকে পাশে চান মোদী

দরকার হোক বা না-হোক, ফল বেরনোর পর নতুন শরিকদের সঙ্গে নেওয়ার জন্য এখন থেকেই জমি তৈরি করে রাখছেন নরেন্দ্র মোদী। গোড়া থেকেই মোদী একটি যুক্তরাষ্ট্রীয় কাঠামো গড়ার ব্যাপারে জোর দিয়ে আসছেন। প্রচারে তিনি প্রতিটি রাজ্যে গিয়ে সেখানকার আঞ্চলিক প্রত্যাশা পূরণের কথা বলে এসেছেন।

নিজস্ব সংবাদদাতা

১৫ মে, ২০১৪

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মনমোহন বিদায় ভোজ রাহুলহীন, বিতর্ক

যে মানুষটিকে প্রধানমন্ত্রী পদের দিকে তাঁর মা সনিয়া এগিয়ে দিয়েছিলেন দশ বছর আগে, সেই মনমোহন সিংহের সম্মানে দেওয়া নৈশভোজে অনুপস্থিত রাহুল গাঁধী। তাঁর এই না-থাকা নিয়ে দলের মধ্যেই অনেকে ভুরু কুঁচকেছেন।

নিজস্ব সংবাদদাতা

১৫ মে, ২০১৪

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সরকার গঠনের প্রশ্নে হাত-পা বাঁধা রাষ্ট্রপতির

বুথ-ফেরত সমীক্ষার পূর্বাভাস সত্যি করে বিজেপি যদি একক সংখ্যাগরিষ্ঠতা পেয়ে যায়, তা হলে তো ঝামেলা চুকেই গেল। কিন্তু লোকসভা যদি ত্রিশঙ্কু হয়, তা হলে কী করবেন রাষ্ট্রপতি প্রণব মুখোপাধ্যায়? আপাতত সকলের মনেই এই প্রশ্ন।

নিজস্ব সংবাদদাতা

১৫ মে, ২০১৪

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ঢোল যারই ফাঁসুক, সুর ভেঁজে তৈরি ব্যান্ড পার্টি

বাদ্যকর পাড়ায় এখন চলছে জোর প্র্যাকটিস। জেতা পার্টির চাহিদা আগেভাগে আন্দাজ করে একটা সুরের উপরেই জোর দিচ্ছেন ব্যান্ড পার্টির বাজনাদারেরা। ফেঁসে গেল ফেঁসে গেল কালীরামের ঢোলপ্রবল উৎসাহে বাজিয়ে চলেছেন তাঁরা। শুধু ভোটের ফল বেরোনোর পরে কালীরামের জায়গায় কার নাম বসাতে হবে, যে পার্টি ভাড়া করবে তারাই বলে দেয়, বলছেন বাজনাদারেরা।

http://www.anandabazar.com/

রাহুল-প্রিয়ঙ্কার ভবিষ্যতের চিন্তায় জোটে সক্রিয় সনিয়া

নিজস্ব সংবাদদাতা

নয়াদিল্লি, ১৫ মে, ২০১৪,


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কোনও বুথ ফেরত সমীক্ষাই আশার আলো দেখাচ্ছে না। তবু দলীয় স্তরে রাজ্যওয়াড়ি রিপোর্টকে খড়-কুটোর মতো আঁকড়ে ধরে বিকল্প জোট সরকার গঠনের প্রস্তুতি নিচ্ছে কংগ্রেস হাইকম্যান্ড। এবং এ বিষয়ে সব থেকে সক্রিয় ভূমিকা নিচ্ছেন কংগ্রেস সভানেত্রী সনিয়া গাঁধী।

১৯৮৯ সালে ১৯৬টি আসন পেয়ে কংগ্রেস সংখ্যাগরিষ্ঠ দল হিসেবে নির্বাচিত হলেও কেন্দ্রে সরকার গড়তে রাজি হননি প্রয়াত প্রধানমন্ত্রী রাজীব গাঁধী। তা হলে, স্রোতের বিপরীতে হাঁটতে এ বার এত আগ্রাসী কেন রাজীব-পত্নী? কংগ্রেস নেতাদের একাংশের মতে, এর নেপথ্যে অন্যতম কারণ সম্ভবত মাতৃস্নেহ!

দশ নম্বর জনপথের ঘনিষ্ঠরা মনে করছেন, নরেন্দ্র মোদী প্রধানমন্ত্রী হয়ে গেলে রাহুলের রাজনৈতিক ভবিষ্যত্‌ আরও অনিশ্চয়তার মধ্যে পড়ে যাবে। ভোট-প্রচারেই রাহুলকে বিপর্যস্ত করে দিয়েছেন মোদী। ক্ষমতায় এলে রাহুলের প্রাসঙ্গিকতা খতম করতে আরও সক্রিয় হবেন তিনি। শুধু তাই নয়, কংগ্রেস নেতাদের এ-ও ধারণা, রাহুলের পাশাপাশি প্রিয়ঙ্কা গাঁধী বঢরাও মোদীর নিশানা হবেন। কারণ, প্রিয়ঙ্কা সম্পর্কে এমনিতেই বিজেপিতে ভীতি রয়েছে। অমেঠী, রায়বরেলীতে প্রচার করতে গিয়ে এ বার প্রিয়ঙ্কা যে ভাবে বিজেপি তথা মোদীকে আক্রমণ করেছিলেন, তাতে কিছুটা চিন্তায় পড়ে যান বিজেপি নেতারা। সেই পরিস্থিতিতে তাঁরা রবার্ট বঢরার আর্থিক বৃদ্ধির প্রসঙ্গ তুলে প্রিয়ঙ্কাকে থামাতে চেষ্টা করেছিলেন। কংগ্রেস নেতাদের আশঙ্কা, বিজেপি ক্ষমতায় এলে আইন-আদালতের মাধ্যমে বঢরাকে আরও প্যঁাচে ফেলা হতে পারে। তার মাধ্যমে রাজনীতিতে প্রিয়ঙ্কার আরও সক্রিয় হওয়ার সম্ভাবনা অঙ্কুরেই বিনাশ করে দিতে চাইবে বিজেপি। হতে পারে তাই বিকল্প সরকার গঠনের ভাবনা নিয়ে এতটাই সক্রিয় সনিয়া।

সেই লক্ষ্যে সনিয়া নিজেই মায়াবতী ও মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে যোগাযোগ রাখছেন। তা ছাড়া, বিদেশে সফররত ইউপিএ-র শরিক নেতা শরদ পওয়ারের সঙ্গে কথা বলে তাঁকে দ্রুত দেশে ফিরতে বলেছেন কংগ্রেস সভানেত্রী। দশ নম্বর জনপথের দূতেরা যোগাযোগ রাখছেন মুলায়ম সিংহ, নবীন পট্টনায়ক, জগন্মোহন রেড্ডি, চন্দ্রশেখর রাওয়ের মতো আঞ্চলিক নেতাদের সঙ্গেও।

বুথ ফেরত সমীক্ষা বলছে, কংগ্রেস ৭০-৮০টির বেশি আসন পাবে না। কংগ্রেসের দাবি, এই সমীক্ষায় তাঁদের কোনও বিশ্বাস নেই। রাজ্যওয়াড়ি যে রিপোর্ট কংগ্রেস সাধারণ সম্পাদকেরা সনিয়ার কাছে পেশ করেছেন তাতে বলা হয়েছে, বিজেপি ১৭০টির বেশি আসন পাবে না। ও এনডিএ ২০০টি আসনের বেশি এগোবে না। এতেই আশার আলো দেখছেন দলীয় নেতৃত্ব। তাই এনডিএ-র শরিক নয়, এমন দলগুলির সঙ্গে যোগাযোগ রাখছে কংগ্রেস। সূত্রের খবর, কংগ্রেসের পাশাপাশি শরদ পওয়ারও এ ব্যাপারে সক্রিয়। এক কংগ্রেস নেতার কথায়, আঞ্চলিক দলগুলির নেতাদের সঙ্গে অনেক দিনের সম্পর্ক পওয়ারের। পওয়ার নিজে নবীন পট্টনায়ক এবং জগন্মোহন রেড্ডির সঙ্গে কথা বলেছেন। কংগ্রেস মুখপাত্র অজয় মাকেন বলেন, "আঞ্চলিক দলগুলির কোনও মোর্চাকে সমর্থন দেওয়া বা সমর্থন নেওয়ার সিদ্ধান্ত হাইকম্যান্ড এখনও নেয়নি। ভোটের ফলের ওপরেই তা নির্ভর করছে।"

তবে কংগ্রেসের কিছু নেতার মতে, জনাদেশ তাঁদের বিপক্ষে গেলে বিকল্প সরকার গঠনের ব্যাপারে সক্রিয় হওয়া ঠিক হবে না। বিজেপি সংখ্যাগরিষ্ঠ দল হলে তাদেরই সরকার গড়তে দেওয়া উচিত। বিশেষ করে বিজেপি যদি ১৭০টি আসন পায় এবং জয়ললিতা বা নবীন পট্টনায়কের মতো নতুন শরিক দলের ওপর নির্ভরশীল হয়, তা হলে সেই সরকারকে স্বাগত জানানো উচিত হবে। কারণ, সেই পরিস্থিতিতে এটা ভুললে চলবে না যে দেশের মানুষের মনোভাব কংগ্রেসের বিরুদ্ধে। তা সত্ত্বেও একটি অস্থির সরকার গড়তে চাইলে মানুষ আরও রুষ্ট হবে। বরং বিজেপিকে সরকার গড়তে গিয়ে তাদের দুর্বল পরিস্থিতির জন্য অপেক্ষা করাই হবে বুদ্ধিমানের কাজ।



বিকল্প সরকারের আশা রেখে সনিয়া ব্যস্ত অঙ্ক কষতে

maya

গৌতম হোড়


নয়াদিল্লি: জনতার রায় বাক্সবন্দি হয়ে গিয়েছে সোমবার৷ রাত পোহালেই জানা যাবে আগামী পাঁচ বছর দেশের শাসনভার কার হাতে থাকবে৷ বুথফেরত সমীক্ষার ফলাফল যতই বিজেপির জয়ের ইঙ্গিত দিক না কেন, শেষ মুহূর্ত পর্যন্ত মোদীকে ঠেকাতে মরিয়া চেষ্টা চালাচ্ছেন সনিয়া গান্ধী৷ কংগ্রেস সূত্রের খবর, মোদীর প্রধানমন্ত্রিত্বের স্বপ্নে বাদ সাধতে সনিয়ার অস্ত্র মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়, মায়াবতী এবং মুলায়ম সিং যাদব৷ এই তিন আঞ্চলিক নেতার সঙ্গেই যোগাযোগ রাখছেন সনিয়া নিজে৷


কংগ্রেস সভানেত্রীর আশা, এই তিনটি দল মিলে ৭৫ বা তার থেকে বেশি সংখ্যক আসন পেতে পারে৷ কংগ্রেস ও এই তিন দলের আসনসংখ্যা যোগ করলে ২০০ পার হয়ে যেতে পারে বলে মনে করছে কংগ্রেস হাইকম্যান্ড৷ এই পরিস্থিতিতে অন্য আঞ্চলিক দলগুলির সঙ্গে যোগাযোগ করছেন কংগ্রেস নেতারা৷ পাশাপাশি শরদ পাওয়ার কথা বলতে শুরু করেছেন জয়ললিতা, নবীন পট্টনায়েক, জগনমোহন রেড্ডিদের সঙ্গে৷ এই তিনটি দলই এনডিএ-তে যোগ দেওয়ার প্রাথমিক ইঙ্গিত দিতে শুরু করেছে৷ কিন্ত্ত ইউপিএ নেতৃত্বের আশা, শেষ মুহূর্তে বিজেপি বা এনডিএ-র আসন সংখ্যা প্রত্যাশার থেকে অনেকটাই কম হতে পারে৷ এবং তা যদি হয়, তবে বিকল্প সরকার গড়ার লক্ষ্যে ঝাঁপাবেন সনিয়া৷ কংগ্রেসে এখন সেই লড়াইয়েরই সেই প্রস্ত্ততি চলছে৷


তবে সনিয়া শেষ মুহূর্ত পর্যন্ত বিকল্প সরকার গঠনের সম্ভাবনাকে জিইয়ে রাখতে চান৷ কংগ্রেস সূত্রের খবর, মায়া-মমতা-মুলায়মের সঙ্গে সনিয়ার কথা হয়েছে৷ তাঁদের কাছ থেকে হতাশ হওয়ার মতো খবর এখনও আসেনি৷ মায়াবতীর ধারণা, তিনি উত্তরপ্রদেশে তিরিশটি আসন পাবেন৷ মায়াকে পাশে পাওয়ার জন্য নরেন্দ্র মোদীও চেষ্টা করেছিলেন৷ কিন্ত্ত বসপা নেত্রী তাতে সাড়া দেননি৷ আসলে মায়াবতীর চিন্তাটা অন্য জায়গায়৷ বিজেপি এ বার উত্তরপ্রদেশে দলিত ভোট পাওয়ার জন্য প্রবল চেষ্টা করেছে৷ এমনকি অমিত শাহ-সহ বিজেপি নেতাদের দাবি, তাঁরা মায়াবতীর দলিত ভোট ভাঙাতে সফল হয়েছেন৷ সেটাই বসপা নেত্রীর চিন্তার বিষয়৷ সে জন্যই তিনি মোদীর সঙ্গে হাত মেলাতে প্রাথমিক ভাবে অন্তত উত্সাহী হননি৷ সমাজবাদী পার্টিও বলেছে , খুব খারাপ করলে মুলায়ম গোটা পনেরো আসন পাবেনই৷ এ ছাড়া কংগ্রেস নেতারা তেলেঙ্গানা রাষ্ট্রীয় সমিতির নেতা কে চন্দ্রশেখর রাও, ওয়াইএসআর কংগ্রেসের জগনমোহন রেড্ডির সঙ্গেও যোগাযোগ করছেন৷


এর মধ্যেই আজ দলের মুখপাত্রদের ক্লাস নেবেন রাহুল গান্ধী৷ ভোটের ফল প্রকাশের আগের দিন এই ক্লাসের একটাই উদ্দেশ্য৷ কী ভাবে হারের ব্যাখ্যা দেওয়া হবে, সেই কৌশল জানানো৷ ইতিমধ্যেই কংগ্রেস নেতারা সম্ভাব্য হারের কথা ভেবে রাহুল-বাঁচাও অভিযানে নেমে পড়েছেন৷ নানা সুরে তাঁরা বলছেন, নির্বাচনের ফলাফলের সঙ্গে রাহুল গান্ধীর কোনও যোগ থাকতে পারে না৷ তবে কংগ্রেস না-চাইলেও এই নির্বাচনে হারের দায় রাহুলের উপরেও বর্তাবে৷ বুধবারই অরুণ জেটলি বলেছেন, মোদীর সঙ্গে টেক্কা দিতে রাহুল যে চরম ব্যর্থ সে কথা স্বীকার করার সাহস নেই কংগ্রেসের৷ সমান্তরাল একটা চেষ্টা চালাচ্ছেন শরদ পাওয়ারও৷ তিনিও জয়ললিতা, বিজেডি, জগনমোহন-সহ আঞ্চলিক দলের নেতাদের সঙ্গে কথা বলছেন৷ তাঁরও লক্ষ্য বিজেপির বাইরে সরকার গঠন করা৷ সেটা তৃতীয় ফ্রন্টেরও হতে পারে৷ অন্তত পাওয়ারের তাতে কোনও আপত্তি নেই৷ তবে সনিয়া শেষ মুহূর্ত পর্যন্ত বিকল্প সরকার গঠনের সম্ভাবনাকে জিইয়ে রাখতে চান৷


মোদীর প্রধানমন্ত্রিত্বের স্বপ্নে বাদ সাধতে সনিয়ার অস্ত্র মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়, মায়াবতী এবং মুলায়ম সিং যাদব৷ এই তিন আঞ্চলিক নেতার সঙ্গেই যোগাযোগ রাখছেন সনিয়া নিজে৷ কংগ্রেস সভানেত্রীর আশা, এই তিনটি দল মিলে ৭৫ বা তার থেকে বেশি সংখ্যক আসন পেতে পারে৷

http://eisamay.indiatimes.com/election-news/sonia-expecting-substitute-govt-trying-to-take-help-of-maya-and-mamata/articleshow/35143833.cms


আজ দুপুরের ভেতরই পরিষ্কার হয়ে যাবে কে বসছেন মসনদে

লোকসভা নির্বাচন '১৪

কাওসার রহমান ॥ আর মাত্র কয়েক ঘণ্টার অপেক্ষা। বিশ্বের বৃহত্তম গণতন্ত্রের নয়া অধ্যায় রচনার আর মাত্র কিছুটা সময়। রাত পোহালেই জানা যাবে কে আসছেন ভারতের ক্ষমতায়। শুক্রবারই প্রকাশ হতে চলেছে ষোড়শ লোকসভা নির্বাচনের ফল। একদিকে উৎকণ্ঠা, অন্যদিকে প্রস্তুতি। এ উৎকণ্ঠায় আছেন রাজনৈতিক দলের নেতাকর্মী থেকে শুরু করে সমর্থকরাও। সাধারণ ভারতবাসীও সে দিকেই তাকিয়ে।? সব মিলিয়ে বৃহস্পতিবার দেশজুড়ে চিত্রটা ছিল এমনই উত্তেজনায় টানটান।

বুথফেরত সমীক্ষার ফলাফল যতই বিজেপির জয়ের ইঙ্গিত দিক না কেন, শেষ মুহূর্ত পর্যন্ত মোদিকে ঠেকাতে মরিয়া হয়ে চেষ্টা চালাচ্ছেন সোনিয়া গান্ধী। তবে কংগ্রেস নেতৃত্বের আর তর সইছে না! বুথফেরত সমীক্ষায় ভরাডুবি অবশ্যম্ভাবী জেনে ফল ঘোষণার আগেই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে সম্ভাব্য প্রধানমন্ত্রী হিসেবে 'প্রোজেক্ট' করে সরকার গঠনের অঙ্ক কষা শুরু করেছে কংগ্রেস।

কংগ্রেসের অন্যতম শীর্ষনেতা রশিদ আলভি বলেন, 'কেন্দ্রে ধর্ম নিরপেক্ষ সরকার গড়তে যদি সব আঞ্চলিক দল এগিয়ে আসে, তবে আমরা পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নেতৃত্বে সরকার গঠনে পূর্ণ সমর্থন করব। নরেন্দ্র মোদিকে প্রধানমন্ত্রীর গদি থেকে দূরে রাখতে এটা খুবই জরুরী।'

তিনি আরও জানান, এটা নিশ্চিত যে, কংগ্রেসের পক্ষে এবার সরকার গড়া 'অলীক স্বপ্ন'। তবে ধর্মনিরপেক্ষ সরকার গড়তে কংগ্রেস তাদের সমর্থন দিতে পিছপা হবে না। মমতাকে নেতৃত্ব করার প্রসঙ্গে তিনি বলেন, 'প্রথম থেকেই তিনি সাম্প্রদায়িক দলগুলো থেকে দূরে থেকেছেন। ফলে তিনিই তৃতীয় ফ্রন্টের যোগ্য নেত্রী হতে পারেন।'

অবশ্য এক্সিট পোলের ফল বেরোতেই সাজ সাজ রব পদ্ম শিবিরে। দলের প্রধানমন্ত্রী পদপ্রার্থী নরেন্দ্র মোদিকে নিয়ে হবু সরকার গঠনের বিযয়ে গভীর আলোচনায় ব্যস্ত বিজেপি শীর্ষ নেতৃত্ব। তবে শুধু ক্যাবিনেট গঠন নিয়েই নয়, নির্বাচনী প্রচারের দোরগোড়ায় দলের মধ্যে জেগে ওঠা বিক্ষিপ্ত অসন্তোষ ও গোষ্ঠীদ্বন্দ্ব নিয়েও চিন্তিত নেতারা। ইতোমধ্যে অভিভাবক সঙ্ঘ পরিবারের তরফ থেকেও পরামর্শ মিলেছে, সরকার গঠন করলেও দলীয় সংহতি ও শক্তি বৃদ্ধির দিকে যেন যথেষ্ট নজর রাখা হয়।

লোকসভা নির্বাচনের ভোটে ফল ঘোষণার সকল প্রস্তুতি সম্পন্ন করেছে নির্বাচন কমিশন। আজ শুক্রবার সকাল ৮টা থেকে ভোট গণনা শুরু হবে। দুপুরের মধ্যেই ফলের স্পষ্ট আভাস মিলবে। তবে সম্পূর্ণ ফল পেতে সন্ধ্যা হয়ে যাবে। তবে গোটা দেশের ফল প্রকাশ রাতের মধ্যেই শেষ করা যাবে বলে মনে করছে কমিশন। মানুষের মনে এখন নানান প্রশ্ন। এককভাবে দিল্লীর মসনদ দখল করতে পারবে বিজেপি? নরেন্দ্র মোদির ঠিকানা কি হবে ৭ নম্বর রেসকোর্স? নাকি ক্ষমতা বিন্যাসে ফের তৃতীয় শক্তির উত্থান?

গণনা ঘিরে প্রার্থী থেকে কাউন্টিং এজেন্ট, পোলিং এজেন্টদের মধ্যে এ দিন হয়েছে দফায় দফায় বৈঠক। রাজ্যের বিভিন্ন আসনের প্রার্থীরা যারা ভোটের পর বাড়ি ফিরেছিলেন, তাঁরাও হাজির হয়েছেন নিজেদের এলাকায়। দেশজুড়ে বুথফেরত সমীক্ষায় স্পষ্ট ইঙ্গিত বিজেপি কেন্দ্র সরকার গঠন করার ক্ষেত্রে এগিয়ে রয়েছে। একই সঙ্গে কংগ্রেসের ফলাফল শোচনীয়। সত্যিই কি তাই হতে চলেছে?

স্ব-স্ব রাজ্যেই ভোট গণনা হবে। নির্বাচন কমিশন জানিয়েছে, ইভিএম যে স্ট্রং রুমে রাখা রয়েছে সেখানে সিসিটিভি বসানো হয়েছে। কঠোর নিরাপত্তার মধ্য দিয়ে ইভিএম আনা হয়েছে ভোট গণনা কেন্দ্রে। ভারতে সাধারণত ডিএম কার্যালয়ে ভোট গণনা হয়, তবে কোন জেলায় যদি বেশি সংসদীয় এলাকা থাকে, তা অন্যত্র গোনা হয়। প্রথমে গোনা হবে পোস্টাল ব্যালট। এগুলো গণনা শেষ হওয়ার আধঘণ্টার মধ্যে ইভিএম গণনা শুরু। গণনা কেন্দ্রে থাকছে বড় বোর্ড। প্রতি রাউন্ডের ফলাফল এ্যাসিস্ট্যান্ট রিটার্নিং অফিসাররা ওই বোর্ডে লিখে দেবেন। প্রতিটি টেবিলে যে গণনা হবে তার ফটোকপি এজেন্টদের দেয়া হবে। এই প্রথম এ ধরনের পদক্ষেপ নিয়েছে নির্বাচন কমিশন। এর থেকে এজেন্টরা জানতে পারবেন তাঁর দলের প্রার্থী কোন টেবিলের গণনায় কত ভোট পেয়েছেন। একটি কেন্দ্রে প্রতিটি দলের একজন করে এজেন্ট থাকতে পারবেন। গণনা কেন্দ্র থেকেই বেসরকারী ফল ঘোষণা করা হবে। পরে নির্বাচন কমিশন চূড়ান্ত ফল ঘোষণা করবে।

বৃহস্পতিবার দুপুরে দিল্লীতে বিজেপি ও কংগ্রেসের কেন্দ্রীয় কার্যালয় ঘুরে দেখা গেছে, একস্থানে উৎসবের আয়োজন চলছে, অন্যখানে রাজ্যের নীরবতা। অশোকা রোডের বিজেপি কার্যালয় বেশ জমজমাট। নেতাদের পাশাপাশি গণমাধ্যমের সাংবাদিকদের ভিড় বাড়ছে। ভেতরে নির্বাচনের ফল দেখার জন্য রুমে রুমে বসানো হচ্ছে বড়পর্দার টিভি। ভেতরের মাঠে টাঙ্গানোর জন্য তৈরি করা হচ্ছে বিশাল প্যান্ডেল। ১৪ হাজার মিটারের প্যান্ডেল টাঙ্গানো হবে বিজেপি কার্যালয়ের মাঠে। আজ দিনভর খাওয়া-দাওয়া ফ্রি। এ জন্য চলছে রান্নার আয়োজন।

চার-পাঁচটি মিডিয়া কক্ষের সবই সাংবাদিকদের পদচারণায় মুখর। বাইরে সরাসরি সম্প্রচারের জন্য চ্যানেলগুলোর সারি সারি গাড়ি। গাছগাছালির ছায়াঘেরা পরিবেশে চারদিকে বিপুলসংখ্যক আইনশৃঙ্খলা রক্ষাকারী বাহিনীর সদস্য সক্রিয় রয়েছেন। আয়োজন চলছে পুরো অফিস আলোকসজ্জা করার।

অন্যদিকে আকবর রোডে অবস্থিত কংগ্রেস অফিস যেন এক নিঝুমপুরী। সাংবাদিকদের পদচারণা ছাড়া নেই নেতানেত্রীদের পদচারণা। তবে সাংবাদিকদের ভিড় রয়েছে। ফলাফলের আগে ও পরে প্রতিক্রিয়া জানতে সাংবাদিকরা ভিড় জমাচ্ছেন। ওখানেও চলছে দলটির মাঠে প্যান্ডেল টাঙ্গানোর আয়োজন। তবে দীর্ঘদিনের পুরনো এই রাজনৈতিক দলটির অফিস দেখে মনে হয়েছে, পরাজয়ের আগেই দলটি পরাজয় বরণ করে বসে আছে। তবে উভয় দলের নেতারাই এখন ফল জানতে যার যার এলাকায় অবস্থান করছেন। ফল ঘোষণার পর তারা দিল্লীতে ফিরতে শুরু করবেন।

http://www.dailyjanakantha.com/news_view.php?nc=15&dd=2014-05-16&ni=172968


শরিকদের রাস টেনে ধরতে চান মোদি

এনডিএ চেয়ারম্যান ও থাকবেন বিজেপি নেতা

শরিকদের ওপর নিয়ন্ত্রণ রাখতে এনডিএর চেয়ারম্যান পদটিও নিজের হাতে রাখতে চান নরেন্দ্র মোদি।

১৯৯৮ সালে এনডিএ গঠনের সময় থেকেই অটলবিহারী বাজপেয়ী এনডিএ চেয়ারম্যান। প্রধানমন্ত্রী পদের পাশাপাশি জোটের দায়িত্বও সামলেছেন। এখন সক্রিয় রাজনীতি থেকে অবসর নিলেও খাতাকলমে এনডিএ চেয়ারম্যান তিনিই। শুক্রবার নির্বাচনের ফল বেরোনোর পর সরকার গড়ছেন, এটা ধরে নিয়েই বিজেপি নেতৃত্বের কাছে এবার ওই পদ চেয়ে দাবি পেশ করেছেন মোদি। বিজেপি নেতাদের কেউ কেউ অবশ্য চাইছেন, মোদি প্রধানমন্ত্রী হলে লালকৃষ্ণ আদভানিকে মর্যাদা দিতে এনডিএর চেয়ারম্যান করা হোক। কিন্তু তাঁর প্রধানমন্ত্রী প্রার্থী পদের বিরোধিতা করা আদভানী শরিকদের সঙ্গে সম্পর্ক রক্ষার দায়িত্বে থাকুন, এটা মোদি চান না। তিনি দলকে বুঝিয়েছেন, প্রধানমন্ত্রীর সঙ্গে শরিকদের সরাসরি যোগাযোগ থাকলে কাজ করতে সুবিধা হবে। এই যুক্তিতেই বাজপেয়ীকে এনডিএর চেয়ারম্যানের দায়িত্ব দেয়া হয়েছিল। বিজেপি নেতাদের অনেকের ধারণা, দল এবং জোট এই দুয়েরই রাশ নিজের হাতে রাখতে চান মোদি। সেই কারণে রাজনাথ সিংকে মন্ত্রিসভায় এনে অমিত শাহকে বিজেপি সভাপতি পদে বসানোর একটা প্রস্তাব দেয়া হচ্ছে মোদির ঘনিষ্ঠ মহল থেকে। তবে সঙ্ঘ পরিবারকে এ ব্যাপারে রাজি করানো যাবে কিনা, বলা কঠিন। বিজেপিকে পুরোপুরি মোদির নিয়ন্ত্রণে ছেড়ে দেয়ার ব্যাপারে সঙ্ঘ পরিবারের একটা বড় অংশের আপত্তি রয়েছে। তবে মোদি নিজের ঘুঁটি সাজানোর কাজ শুরু করে দিয়েছেন। লোকসভা ভোটের ফল বেরোতে দিন দুয়েক বাকি থাকলেও। সন্ধ্যায় গান্ধীনগরে নিজের বাসভবনে রাজনাথ, নিতিন গডকড়ী, অরুণ জেটলির সঙ্গে বসে মন্ত্রিসভা গঠনের রূপরেখা নিয়ে আলোচনা করেছেন তিনি। রাজনাথ বলেন, শুক্রবার ফল প্রকাশের পর শনিবার দলের সংসদীয় বোর্ড দিল্লীতে বৈঠকে বসে মন্ত্রিসভা ও অন্যান্য পদে নিয়োগের বিষয়টি চূড়ান্ত করবেন। মোদিও সেই বৈঠকে থাকবেন। ওই দিন মোদি বারানসীও ঘুরে আসতে পারেন। দিল্লীতে নতুন সরকার গঠন হলে লালকৃষ্ণ আদভানি, সুষমা স্বরাজের মতো প্রবীণদের কী ভূমিকা হবে, তা নিয়ে অবশ্য বৈঠকে বসার আগেই আলোচনা সেরে ফেলেন বিজেপি নেতৃত্ব।

বুধবার রাজনাথ ও গডকড়ী পৃথকভাবে দেখা করেন আদভানি ও সুষমার সঙ্গে। বিজেপি সূত্রের মতে, আদভানির মতো সুষমাও অতীতে মোদির নামে আপত্তি তুলেছিলেন। তাই এই দল সরকার গড়লে এই দুই নেতার ভূমিকা কী হবে, তা আগাম ঠিক করে নেয়া জরুরি। তাঁদের কাছে লোকসভার স্পীকার, যোজনা কমিশনের চেয়ারম্যান বা জাতীয় উন্নয়ন পরিষদের মতো কোন সংস্থার প্রধান হওয়ার তিনটি প্রস্তাব রাখা হয়। সূত্র : ওয়েবসাইট


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BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk