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Tuesday, May 20, 2014

কাকে কাকে রেজ্জাক সোমনাথ বানাবেন কামরেড,লাল দুর্গে পদ্মময় হিন্দুত্বের জয়ডন্কা! किस किस को निकालोगे कामरेड,बंगाल केसरिया हुआ जाये!

কাকে কাকে রেজ্জাক সোমনাথ বানাবেন কামরেড,লাল দুর্গে পদ্মময় হিন্দুত্বের জয়ডন্কা!

किस किस को निकालोगे कामरेड,बंगाल केसरिया हुआ जाये!

এক্সকেলিবার স্টিভেন্স বিশ্বাস

কাকে কাকে রেজ্জাক সোমনাথ বানাবেন কামরেড,লাল দুর্গে পদ্মময় হিন্দুত্বের জয়ডন্কা!

৬ মে প্রধানমন্ত্রী পদে শপথ নেবেন নরেন্দ্র মোদী। মঙ্গলবার সংসদীয় দলের নেতা নির্বাচিত করা হয় তাঁকে। এর পরই এদিন রাষ্ট্রপতির সঙ্গে দেখা করতে যায় এনডিএ-র প্রতিনিধি দল। দলে ছিলেন রাজনাথ সিং, সুষমা স্বরাজ, লালকৃষ্ণ আডবানি, চন্দ্রবাবু নায়ডু, অরুণ জেটলি। রাষ্ট্রপতির সঙ্গে দেখা করে বেরিয়ে রাজনাথ সিং জানান, ২৬ মে সন্ধে ৬টা নাগাদ প্রধানমন্ত্রী পদে শপথ নেবেন নরেন্দ্র মোদী। জানা গিয়েছে, রাষ্ট্রপতি ভবনের ফোরকোর্টে শপথ গ্রহণ করবেন নমো। উপস্থিত থাকবেন প্রায় সাড়ে তিন হাজার অতিথি। সওয়া তিনটে নাগাদ রাষ্ট্রপতির সঙ্গে দেখা করেন নরেন্দ্র মোদী। সেখানে নমো-কে অভ্যর্থনা জানান প্রণব মুখোপাধ্যায়।


কোথায় লুকিয়ে আছেন কমরেড?

কোথায় ধর্মনিরপেক্ষতার পতাকা?

কোথায় সাম্রাজ্যবাদের বিরোধিতা?

কোথায় মুক্ত বাজারী গণহত্যার প্রতিরোধ?

কোথায় প্রাটি সংগঠন?

কোথায় গণ সংগঠন?

কোথায় পার্টি নেতৃত্ব?

কোথায পোলিট ব্যুরো?

কোথায বৈপ্লবিক মতাদর্শ

এই সময়: ভোটের ফল প্রকাশের পর তিন দিন কেটে গেলেও রাজ্য জুড়ে রাজনৈতিক হিংসা কমার কোনও লক্ষণ নেই৷ জেলায় জেলায় বিরোধীদের উপর হামলার অভিযোগ উঠছে শাসক দলের বিরুদ্ধে৷ কোথাও রাজ্যস্তরের বাম নেতা আক্রান্ত, কোথাও বিরোধী দলের অফিস আক্রান্ত, আবার কোথাও বিরোধী দলের সমর্থকরা ঘরছাড়া৷ কোনও কোনও এলাকায় শাসকদলের দুই গোষ্ঠীর মধ্যেও গোলমাল হচ্ছে৷ বিরোধীদের অভিযোগ, সর্বত্রই পুলিশ এবং প্রশাসন নিষ্ক্রিয় ভূমিকা নিচ্ছে৷



बहुसंख्य ओबीसी वोट बैंक के केसरियाकरण से भारत जीतने का करिश्मा कर दिखाने के बाद जिस बंगाल में सत्ताव्रग से ओबीसी को नत्थी करके बहुजन राजनीति का बाजा बजाकर वर्ण वर्चस्वी सत्ता बहाल है भारत विभाजन के बाद से लेकर अबतक,वहां भी सत्ता पर कब्जा करने की संघ परिवार की अब सर्वोच्च प्राथमिकता है।


बाबा रामदेव के प्रत्याशी गायक बाबुल सुप्रिय संसद पहुंच ही चुके हैं तो संघाधिपति मोहन भागवत का शिविर बंगाल के रायगंज में कांग्रेस की दीपादासमुंशी को हराकर माकपा के मोहम्मद सलीमके जरिए हासिल लाल इलाके में लग चुका है।


अब बंगाल में संघ केसरिया कुनबा पलक पांवड़े बिछाकर अमित साङ के इंतजार में हैं।

मोदी के खिलाफ जिहाद का ऐलान करने वाली अग्निकन्या ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में बढ़त के साथ कोलकाता के दोनो लोकसभा सीटों में एक चौथाई वोट हासिल करके दूसरे नंबर पर रह गयी भाजपा ने बंगाल में अब वामदलों और कांग्रेस दोनों को पीछे धकेल कर सही मायने में विपक्ष का रुतबा हासिल कर लिया है।


कोलकाता के चौदह वार्ड और राज्य के दर्जनों विधानसभा इलाके केसरिया रंग से सराबोर है।


कोलकाता नगर निगम का चुनाव सामने है।संघ परिवार बंगाल की सत्ता हासिल करने के लिए अब सुहागरात को ही बिल्ली वध पर तुल गया है।नजर 2016 के विधानसभा चुनावों पर है।


लोकसभा के पराजित तमाम भाजपा प्रत्याशियों को संगठन की जड़ें मजबूत करने के लिए मोर्चाबंद कर दिया गया है।


दीदी के कब्जे से मतुआ वोटबैंक में भी बड़ी सेंध लगाने में कामयबी हासिल की है नमो लहर ने तो अकेले बांकुड़ा में ही ग्यारह प्रतिशत वाम वोट भाजपा उम्मीदवार को स्थानांतरित हो जाने से नौ बार के सांसद वासुदेव आचार्य को हार का मुंह देखना पड़ा।


बंगालभर में औसतन सात फीसद वाम वोट केसरिया हो गया है।जबकि नमो लहर के खिलाफ मौजूदा माकपा नेतृत्व ने कोई प्रतिरोध इसी उम्मीद से नहीं किया किया कि केसरिया वोटों की वजह से उन्हें वापसी का रास्ता केकवाक लग रहा था,जो जमींदोज बारुदी सुरंगों से अटा निकला और तमाम शूरवीर कामरेड खेत रह गये।


इसके विपरीत तृणमूल के दो फीसद वोट ही भाजपा हिस्से में गया क्योंकि दीदी ने तुरंत नमो के खिलाफ मोर्चा लगाने में देरी नहीं की।


अब भी वाम कब्जे के आसनसोल में जहां साठ फीसद मतदाता हिंदीभाषी हैं और आदतन केसरिया हैं,जो अब तक माकपा को जिताते रहे हैं,नमो लहर में उनकी घर वापसी हो गयी,पूर्व नक्सली व तृणमूली ट्रेड यूनियन नेता दोला सेन को जिता न पाने के अपराध में वहां से मंत्री मलयघटक का इस्तीफा ले चुकी हैं दीदी,निकायों के तृणमूलियों पर भी कार्रवाई हो रही है।


अब देखना है कि कोलकाता में केसरिया लहर के कारण किस किस पर कहर बरपता है।


दूसरी ओर,जिस मांग को लेकर किसान सभा के सर्वभारतीय नेता और पूर्व मंत्री रज्जाक मोल्ला को माकपा नेतृत्व ने बाहर का दरवाजा दिखा दिया,अब वह मांग वायरस हो कर सुनामी बनने लगी है।


माकपाई छात्र संगठन एसएफआई और युवा संगठन डीवाईएफ के अलावा पार्टी के बड़े नेता कांति गांगुली और सुजन चक्रवर्ती के फेसबुक वाल पर पोस्टरों की महामारी है तो पार्टी दफ्तरों पर भी पोस्टरबाजी होने लगी है माकपा के महासचिव प्रकाश कारत,सीताराम येचुरी,वृंदा कारत से लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य,वाम मोर्चा चेयरमैन विमानबोस के खिलाफ।


इस लोकसभा चुनावों के नतीजों के मुताबिक त्रिपुरा के लोकसभा क्षेत्रों में माणिक सरकारी की अगुवाई में माकपा प्रत्याशियों को साठ फीसद से ज्यादा वोट मिले हैं तो केरल में भी वाम लकतांत्रिक मोर्चे की सीटें दोगुणी हो गयी है जबकि बंगाल में मामूली वोटों के अंतर से ही वामपक्ष को दो सीटे कुल मिल पायी है।


रायगंज में मतदान तीसरे चरण में या बाद होता तो मोदी की घुसपैठिया विरोधी वक्तृता से हुए ध्रूवीकरण में सलीम की जीत भी मुश्किल थी।


जिस बंगाल में सत्ता बचाये रखने के खातिर कामरेडों ने दिल्ली की सत्ता के साथ और देश भर के अस्मितावाहक क्षत्रपों से लगातार समझौते किये और जनवादी राजनीति की संस्कृति को समझौतावादी संसोधनवादी बना दिया,उसी बंगाल में लाल के सीधे केसरिया हो जाने से कामरेडों की सेहत पर असर हो न हो,उन्हें शर्म आये, न आये लेकिन अबतक पार्टी और विचारधारा के लिए जान तक कुर्बान करने वाले कैडरों में गुस्सा है।


इस पर तुर्रा यह कि भाकपा और माकपा दोनों की राष्ट्रीयदल हैसियत भी दांव पर।


किस किस को निकालोगे कामरेड?



माकपाइयों की पोपुलर मांग है कि तुरंत कामरेड प्रकाश कारत को महासचिव पद से हटाकर उनकी जगह माणिक सरकार को यह जिम्मेदारी दी जाये।


सुजन चक्रवर्ती को राज्य माकपा सचिव,सूर्यकांत मिश्र को वाममोर्चा चेयरमैन और सलीम को भावी मुख्य मंत्री का चेहरा बनाने की जोरदार मुहिम शुरु हो गयी है।


বিধানসভার পৃথক আসন চেয়ে চিঠি রেজ্জাকের



এই সময় দেখুনঃ

তিন মাস কেটে গেলেও বহিষ্কারের চিঠি হাতে না পাওয়ায় বিধানসভার অধ্যক্ষের কাছে সভায় পৃথক আসনের জন্য চিঠি দিলেন রেজ্জাক মোল্লা৷ বহিষ্কৃত এই প্রবীণ সিপিএম বিধায়কের চিঠি পেয়ে বিধানসভার অভ্যন্তরে এবং সভার বাইরে তাঁর বসার পৃথক বন্দোবস্ত করছেন অধ্যক্ষ বিমান বন্দ্যোপাধ্যায়৷ আগামী ৬ জুন থেকে বিধানসভায় বাজেট অধিবেশনের দ্বিতীয় পর্ব শুরু হচ্ছে৷ প্রায় একমাস চলবে এই অধিবেশন৷ রাজ্য সরকারের বিভিন্ন দপ্তরের বাজেট পেশ হওয়া ছাড়াও একাধিক বিল এই অধিবেশনে আসছে বলে বিধানসভা সূত্রে খবর৷


যদিও সমস্ত দপ্তরের বাজেট এই অধিবেশনে পেশ হবে কি না তা নিশ্চিত নয়৷ কারণ গত কয়েক বছর বিভাগীয় বাজেট গিলোটিনে পাঠানোর দৃষ্টান্ত রয়েছে৷ যা নিয়ে তুমুল সমালোচনার মুখেও পড়তে হয়েছিল রাজ্য সরকারকে৷ যে কারণে এ বার বিভাগীয় বাজেট গিলোটিনে পাঠানোর সম্ভবনা কম বলে বিধানসভা সূত্রের খবর৷ এদিকে বিধানসভার অধিবেশন এগিয়ে আসায় বহিষ্কৃত সিপিএম নেতা রেজ্জাক মোল্লা কোথায় বসবেন, তা নিয়ে প্রবল জল্পনা তৈরি হয়েছে৷ ২৬ ফেব্রুয়ারি সিপিএম রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলী রেজ্জাক মোল্লাকে বহিষ্কার করে৷ এরপর প্রায় তিন মাস কেটে গেলেও রেজ্জাক মোল্লা দলের তরফে বহিষ্কারের কোনও চিঠি হাতে পাননি৷ যদিও বহিষ্কৃত সদস্যকে দলের বহিষ্কারের সিদ্ধান্ত চিঠি দিয়ে জানানো নিয়ম বলে সিপিএম নেতাদের একাংশের বক্তব্য৷ রেজ্জাককে বহিষ্কারের চিঠি যেমন দেওয়া হয়নি, তেমনই সিপিএম পরিষদীয় দলের তরফেও প্রবীণ এই নেতার আসন পরিবর্তনের কথা বিধানসভার অধ্যক্ষকে জানানো হয়নি৷ এমনই দাবি করছেন স্বয়ং রেজ্জাক৷


রাজ্যের প্রাক্তন ভূমিমন্ত্রীর বক্তব্য, 'দলের কোনও সদস্যকে বহিষ্কার করা হলে সেই সদস্যকে দলীয় সিদ্ধান্ত চিঠি দিয়ে জানাতে হয়৷ এটাই দলের কর্মপদ্ধতি, কিন্ত্ত আজ পর্যন্ত সিপিএম আমাকে চিঠি দিয়ে দলীয় সিদ্ধান্ত জানায়নি৷' বিষয়টি অস্বস্তিকর হওয়ায় সিপিএম রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য তথা দক্ষিণ ২৪ পরগনা জেলা সম্পাদক সুজন চক্রবর্তী সাফাই, 'বহিষ্কারের সিদ্ধান্ত চিঠি দিয়ে জানাতে হয় কি না সেটা আমার জানা নেই৷ বহিষ্কারের কথা তো প্রকাশ্যে ঘোষণা করা হয়েছে৷' বিধানসভায় বাম বেঞ্চের প্রথম সারিতে বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্র, সুশান্ত ঘোষ, আনিসুর রহমানের পাশে এতদিন বসতেন রেজ্জাক মোল্লা৷ সিপিএমের তরফে তাঁর আসন বদল করা নিয়ে কোনও উচ্চবাচ্য না হওয়ায় বিধানসভা শুরু হলে রেজ্জাক প্রবল বিড়ম্বনায় পড়তেন৷ ট্রেজারি বেঞ্চের কটাক্ষর মুখে পড়তে হত তাঁকে৷ এর আগে রাজ্যসভা নির্বাচনের সময় তিন বাম বিধায়ক যখন দলবদল করেছিলেন, তখন তাঁদের আসন বদল করার জন্য বামেদের তরফেই অধ্যক্ষকে অনুরোধ জানানো হয়েছিল৷ রেজ্জাকের ক্ষেত্রে সিপিএম ধীরে চলো লাইন নেওয়ায় রেজ্জাক নিজেই চিঠি দিয়ে অধ্যক্ষের কাছে পৃথক আসনের জন্য চিঠি দিয়েছেন৷ তাঁর বক্তব্য, 'অধ্যক্ষকে আমি চিঠি দিয়েছি, লবিতে বসার পৃথক জায়গা বরাদ্দ করা হয়েছে, তবে সভার ভিতরের আসন এখনও নির্দিষ্ট হয়নি৷' অধ্যক্ষ বিমান বন্দ্যোপাধ্যায় জানিয়েছেন, 'রেজ্জাক সাহেবের চিঠি পেয়েছি তাঁকে আসন-বরাদ্দ নিয়ে সিদ্ধান্তও জানিয়েছি৷'



কোচবিহারে আক্রান্ত উদয়ন

সোমবার কোচবিহারের ১ নম্বর ব্লকের ঘুঘুমারিতে ফরওয়ার্ড ব্লকের জেলা সম্পাদক এবং বিধায়ক উদয়ন গুহের উপর হামলার অভিযোগ ওঠে৷ দিনহাটা থেকে গাড়িতে কোচবিহারের দিকে আসছিলেন উদয়নবাবু৷ ঘুঘুমারির কাছে তাঁর গাড়িতে বাঁশ, লাঠি ইত্যাদি নিয়ে আত্রমণ করা হয়৷ সেখানে টিইউসিসি-র একটি অফিস ভাঙচুর করা হয়৷ পরে জেলার বাম নেতারা পুলিশ সুপারের কাছে গিয়ে দোষীদের শাস্তির দাবি করেন৷ পুলিশ সুপার অনুপ জয়সওয়াল জানান, তিনি অভিযোগ পেয়েছেন৷ প্রয়োজনীয় ব্যবস্থা নেওয়া হবে৷ ঘুঘুমারিরই বারুইপাড়া এলাকায় এ দিন এক বিজেপি সমর্থকের উপরও তৃণমূল হামলা চালায় বলে অভিযোগ৷ তার পর বাজারের চারটি দোকানে ভাঙচুর এবং লুঠপাট চলে৷


হাওড়ায় আক্রান্ত সিপিএম

উদয়নারায়ণপুর থানার উত্তর মানশ্রী গ্রামে ভোটের ফল প্রকাশের পর থেকেই শাসকদলের হামলা চলছে বলে সিপিএমের অভিযোগ৷ এলাকার শতাধিক পুরুষ ঘরছাড়া৷ বেশ কিছু বাড়িতে ভাঙচুর চালানো হয়েছে বলে সিপিএমের জেলা সম্পাদক বিপ্লব মজুমদার জানিয়েছেন৷ তিনি জানান, এলাকাটি বাম প্রভাবিত বলে ভোটের আগে থেকেই নানা হুমকি দেওয়া হচ্ছিল মানুষদের, যাতে তাঁরা ভোট দিতে যেতে না পারেন৷ এত সবের পরও ফলাফলে দেখা গিয়েছে, ওই এলাকায় সিপিএমের পক্ষে খুব খারাপ ভোট পড়েনি৷ তার পর থেকেই অত্যাচার শুরু হয়েছে৷ চাঁদু মালিক, বীণা মালিক প্রমুখ বাসিন্দা জানান, তাঁরা আগে সিপিএম করতেন৷ এখন তৃণমূল করেন৷ তা সত্ত্বেও এ বার তাঁদের ভোট দিতে দেওয়া হয়নি৷ স্থানীয় তৃণমূল বিধায়ক সমীর পাঁজা অবশ্য অভিযোগ অস্বীকার করে বলেন, 'উত্তর মানশ্রীতে যা হয়েছে, তার সঙ্গে রাজনীতির কোনও সম্পর্ক নেই৷ একটি চোলাই ভাটি তোলাকে কেন্দ্র করে দু'পক্ষের মধ্যে গোলমাল হয়েছে৷


হুগলিতে অভিযুক্ত তৃণমূল

গোঘাটের হাজিপুরে এক ব্যক্তিকে এ দিন সকালে ব্যাপক মারধর করে তৃণমূল সমর্থকরা৷ পুরোনো একটি ঘটনার জের টেনে সিপিএম সমর্থক কাজি ফেলার বাড়িতে হামলা চালানো হয়৷ তাঁকে বাড়িতে না-পেয়ে ছেলে কাজী নজরুল ইসলামকে পার্টি অফিসে নিয়ে এসে মারধর করা হয়৷ আশঙ্কাজনক অবস্থায় তাঁকে কামারপুকুর হাসপাতালে ভর্তি করা হয়েছে৷


বদনগঞ্জ এলাকায় সিপিএম কর্মী গণেশ চন্দরের দোকানে ভাঙচুর চালানো হয়৷ খানাকুলে মিছিল শেষে তৃণমূল সমর্থকরা এক ডাক্তারের চেম্বারে হামলা করে৷ পরে পুলিশ গিয়ে পরিস্থিতি সামাল দেয়৷ তৃণমূলের জেলা সভাপতি তপন দাশগুপ্ত অবশ্য দাবি করেন, বড় কিছু হয়নি৷ পরিস্থিতি নিয়ন্ত্রণেই আছে৷'


ধনেখালিতে পুলিশ হেফাজতে মৃত তৃণমূল কর্মী কাজি নাসিরুদ্দিনের হত্যা-মামলার অন্যতম সাক্ষী সাবেদ আলিও শাসকদলের সমর্থকদের আক্রমণের শিকার হয়েছেন৷ ভোটের ফল প্রকাশের পর থেকেই তিনি পালিয়ে বেড়াচ্ছেন৷ তাঁর দুই ছেলে, এক মেয়ে, স্ত্রী এবং মা বাড়িতে কোনও রকমে আতঙ্কে দিন কাটাচ্ছেন৷ তিনি গোটা ঘটনাটি সিবিআইকে জানিয়েছেন৷ সাবেদ বলেন, 'তৃণমূলের জন্মলগ্ন থেকে আমি দল করছি৷ নাসিরের মৃত্যুতে তৃণমূল নেতাদের নাম জড়িয়ে যেতেই আমার উপর দলের লোকরা অত্যাচার শুরু করে৷


রবিবার গভীর রাতে ধনেখালিরই হারপুর এবং মল্লিকপুরে সিপিএম কর্মীদের মারধর করে তৃণমূল৷ তার প্রতিবাদে এলাকার মহিলারা এ দিন থানার সামনে বিক্ষোভ দেখান৷ পুলিশ জানিয়েছে, অভিযোগ খতিয়ে দেখা হচ্ছে৷


সুজনকে রাজ্য সম্পাদক করার দাবি ফেসবুকে




শাশ্বতী মজুমদার


বর্ধমান: বাম কৃষক আন্দোলনের পীঠস্থান বর্ধমান থেকে সিপিএমের রাজ্য নেতৃত্বে পরিবর্তনের দাবি উঠল৷ বিমান বসুর পরিবর্তে সুজন চক্রবর্তীকে রাজ্য সম্পাদক করার দাবি ফেসবুকে তুলেছেন সিপিএম কর্মীরাই৷ কাটোয়া থেকে প্রকাশিত সিপিএম প্রভাবিত সান্তাহিক 'কাটোয়ার কলম' ওই পোস্টটিতে লাইক দিয়ে শেয়ার করায় হইচই পড়ে গিয়েছে৷ দলের জেলা সম্পাদক অমল হালদার ও অপর প্রভাবশালী সিপিএম নেতা তথা বর্ধমানের প্রাক্তন পুরপ্রধান আইনুল হকের ফেসবুক অ্যাকাউন্টেও পোস্টটি ট্যাগ করা হয়েছে৷ শুধু রাজ্য সম্পাদক নয়, বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান পদেও বদল দাবি করা হয়েছে৷ সঞ্জয় কাঞ্জিলাল নামে এক ডিওয়াইএফআই কর্মীর ওই পোস্টে সূর্যকান্ত মিশ্রকে ফ্রন্ট চেয়ারম্যানের দায়িত্বে আনার কথা বলা হয়েছে৷ তাছাড়া মহম্মদ সেলিমকে মুখ্যমন্ত্রী পদপ্রার্থী করে ২০১৬-এর বিধানসভা নির্বাচনে যাওয়ার প্রস্তাবও রয়েছে ওই পোস্টে৷


এই নিয়ে শোরগোল পড়ে যাওয়ায় সান্তাহিক পত্রিকাটি তো বটেই, সিপিএম নেতারা এর সঙ্গে তাঁদের সম্পর্ক অস্বীকার করতে শুরু করেন৷ আটশোরও বেশি মানুষের লাইক পড়ে যাওয়ার পর সোমবার সন্ধের পর পোস্টটি তুলে নেওয়া হয়৷ যে নেতাদের অ্যাকাউন্টে ওই পোস্ট ট্যাগ করা হয়েছিল, তাও সরিয়ে নেওয়া হয়৷ দায়িত্ব অস্বীকার করতে গিয়ে পরস্পর বিরোধীও মন্তব্যও করেন সিপিএম নেতারা৷ 'কাটোয়ার কলমে'র ফেসবুকে লাইক দিয়ে পোস্টটি শেয়ার করা হলেও সাপ্তাহিকটির সম্পাদক দেবপ্রসাদ মুখোপাধ্যায় বলেন, 'কেউ একজন আমাদের ফেসবুক অ্যাকাউন্টে পোস্টটি ট্যাগ করেছেন৷ পোস্টটির সঙ্গে আমরা সহমত নই৷'


সিপিএমের বর্ধমান জেলা সম্পাদক অমল হালদারের অত্যন্ত ঘনিষ্ঠ বলে পরিচিত পত্রিকাটির সম্পাদক এ কথা বললেও বাস্তব হল, তাঁর পত্রিকা পোস্টটি লাইক ও শেয়ার করেছে৷ নেতৃত্ব বদলের ডাক দিয়ে ওই পোস্টে লেখা হয়েছে, 'প্রয়োজন গভীর আত্মবিশ্লেষণ, দৃষ্টিভঙ্গির পরিবর্তন৷ নিজেদের আজকের সময়োপযোগী করে তোলা৷ এই দুর্দিনে নেতৃত্বের জাতীয় স্তর থেকে জেলাস্তর পর্যন্ত সম্পুর্ণ পরিবর্তন ঘটিয়ে দলের ভাবমূর্তি ও দৃষ্টিভঙ্গি চাঙা করা৷' সেই সঙ্গে অবামপন্থী কাউকে ওই পোস্টে লাইক বা কমেন্ট না-করার আবেদনও জানানো হয়েছে৷ কিন্ত্ত হু হু করে ওই পোস্টে লাইক ও কমেন্ট পড়তে থাকে৷


তাঁদেরই একজন নীলাদ্রি সরকার পরে 'এই সময়'কে বলেন, 'প্রয়োজনীয়তা আছে, তাই পোস্টটি লাইক করেছি৷' আর একজন রবিশঙ্কর সাহা জানান, 'পোস্টের বক্তব্য একশো শতাংশ সঠিক৷ বামপন্থীদের বাঁচাতে এই পরিবর্তন অত্যন্ত জরুরি৷' কেউ কেউ কমেন্টে বলেন, টিভি চ্যানেলে বসে কমিউনিস্ট আন্দোলন হয় না৷ কারও বক্তব্য, দুর্নীতিগ্রস্ত পার্টিকর্মীদের তাড়ানো উচিত৷ যদিও সিপিএমের বর্ধমান জেলা কমিটির সদস্য আইনুল হক বলেন, 'আমার অ্যাকাউন্ট হ্যাক করা হয়েছে৷ আমি ওই পোস্টে লাইকও করিনি, কমেন্টও দিইনি৷' আর দলের জেলা সম্পাদক অমল হালদার বলেন, 'নির্বাচনী বিপর্যয়ের পর অনেকেই মনে করছেন আমরা শেষ হয়ে গিয়েছি৷ কিন্ত্ত বামপন্থীদের এত সহজে শেষ করা যায় না৷' সিপিএমের বর্ধমান জেলা সম্পাদক অমল হালদারের ঘনিষ্ঠ বলে পরিচিত পত্রিকাটির সম্পাদক এ কথা বললেও বাস্তব হল, তাঁর পত্রিকা পোস্টটি লাইক ও শেয়ার করেছে৷ ওই পোস্টে লেখা হয়েছে, 'প্রয়োজন গভীর আত্মবিশ্লেষণ, দৃষ্টিভঙ্গির পরিবর্তন'৷

http://eisamay.indiatimes.com/state/copy-on-sujan-chakrobarty/articleshow/35376441.cms






দেবাঞ্জন মিত্র

May 16 at 8:34pm

ভোটের ফলাফল দেখে আর ভোট পর্বের প্রথম থেকে শেষ অবধি দেখে যা মনে হয়েছে বলছি -একটু মিলিয়ে দেখে নিন আপনার ভাবনার সঙ্গে মেলে কি না ?

দেওয়াল লিখতে দেয় নি । বি,জে,পি ও কিন্তু তেমন দেওয়াল পায় নি । দলের ভিতরে দল এখনো বিরাজমান । চায়ের দোকান অফিস আদালতে তা প্রকাশ পেয়েছে । আক্রান্ত কর্মীরা পাশে পায় নি নেতাদের ফলে ভয় ঘিরে ধরেছিল তাদের । বহু নেতা জানেন না নির্বাচন কমিশন কে কিভাবে সন্ত্রাস জানাতে হয় । ব্যাক্তিগত স্বার্থ, পছন্দ অপছন্দ ভোটের কাজের ক্ষেত্রে প্রাধান্য পেয়েছে ।ভুল মেনে নেওয়ার পরিবর্তে যেমন খুশী বুঝিয়ে শান্ত রাখার চেস্টা অব্যাহত। বিজেপি ঝড় না মেনে নেওয়া । মমতা বিরোধীতা যত ছিল বিজেপির ভয়ঙ্কর রুপের কথা ততটা না বলা । হিন্দীভাষী মানুষের ভোট চিত্র পরিবর্তন উপলব্ধি না করা । এলাকায় গ্রহনযোগ্য নয় এমন মানুষকে নিয়ে প্রার্থীর প্রচার । প্রার্থীর চেয়ে আমি কি করেছি তার প্রচার বেশী করা ।আমি পার্টি সদস্য তাই আমি সব জানি বুঝি খারাপ কাজ করি কেউ কিছু বলতে পারবে না এমন মনোভাব দেখিয়ে পার্টির কাছের মানুষগুলিকে দূরে সরিয়ে দেওয়া ।মানুষের সঙ্গে একাত্ম না হয়ে নিজেদের আলাদা সারিতে রাখা । নতুন প্রজন্মের কর্মীদের মতামতকে অগ্রাধিকার না দেওয়া । চিরাচরিত ধারায় প্রচার করা ।প্রতিটি বিষয়ে আমি প্রমান নিজে তাই এই কথাগুলো লিখলাম ।

২০১৫ এবং ২০১৬ তে আবার দুটো লড়াই । এই ত্রুটি যাদের আছে নেতৃত্ব অনুগ্রহ করে তাদের একটু অন্য কাজ দিয়ে সরিয়ে রেখে নতুন প্রজন্মকে দায়িত্ব দিন । আশা করি আমরা এগোতে পারবো । সমাজতন্ত্রের বিকল্প হতে পারে না ।


মোদীর শপথে মমতার 'না'



এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: সৌহার্দ্য এবং সংঘাতের মধ্যে সংঘাতের পথই বাছলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। মঙ্গলবার মোদীর শপথ গ্রহণের দিন-ক্ষণ চূড়ান্ত হওয়ার পরই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় জানিয়ে দিলেন শপথ গ্রহণ অনুষ্ঠান বয়কট করছেন তিনি।


মমতা-মোদী সম্পর্ক বরাবরই তিক্ত। ব্রিগেডের জনসভায় মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের প্রতি নরম মনোভাব দেখালেও, তাতে সায় দেননি মুখ্যমন্ত্রী। পরে রাজ্যে বার বার প্রচারে এসে মুখ্যমন্ত্রীর বিরুদ্ধে আক্রমণ শানিয়েছিলেন নমো। শ্রীরামপুরের সভায় তাঁর বক্তৃতার পর, সম্পর্ক আরও তিক্ত হয়ে পড়ে মমতা-মোদীর। কিন্তু জয়ের পর বরফ গলানোর চেষ্টাও চলেছিল বিজেপি শিবিরের পক্ষ থেকে।


শপথ গ্রহণ অনুষ্ঠানের জন্য নিমন্ত্রণ জানিয়ে আগেই চিঠি এসেছিল নবান্নে। কিন্ত্ত সে সময় মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় কিছু জানাননি৷ এমনকি সোমবার পর্যন্ত মোদীকে রীতিমাফিক শুভেচ্ছাও জানাননি তিনি৷ '৯৬ সালে প্রধানমন্ত্রী হয়েছিলেন অটলবিহারী বাজপেয়ী৷ তখন বাংলার মুখ্যমন্ত্রী জ্যোতি বসু৷ তিনিও বলেছিলেন, 'শুভেচ্ছা জানাইনি, জানাবও না৷' তাঁর দল সিপিএমও বয়কট করেছিল বাজপেয়ীর শপথ অনুষ্ঠান৷


শপথ অনুষ্ঠানে আমন্ত্রিতের তালিকা ভাবী প্রধানমন্ত্রীর সঙ্গে আলোচনা করে স্থির করা হয়৷ অতএব ধরেই নেওয়া যায়, মুখ্যমন্ত্রীকে আমন্ত্রণ জানিয়েছেন স্বয়ং মোদী৷ শুধু মমতাই নন, অ-বিজেপি সব মুখ্যমন্ত্রী এবং দলনেতা-নেত্রীদের ওই অনুষ্ঠানে আমন্ত্রণ জানানো হচ্ছে৷ ফল ঘোষণার দিনই মোদী বলেছিলেন, তাঁর কাছে কেউ শত্রু নন৷ সকলকে সঙ্গে নিয়েই তিনি চলতে চান৷


তাত্‍পর্যপূর্ণ হল, ভোটে ঘোর মোদী-বিরোধী এআইএডিএমকে নেত্রী তথা তামিলনাড়ুর মুখ্যমন্ত্রী জয়ললিতা কিন্ত্ত মোদীকে শুভেচ্ছা জানিয়েছেন৷ জয়ললিতাকে পাশে নিয়েই ভোটের আগে ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার চেষ্টা করেছিলেন মমতা৷ ফল প্রকাশের পরও তামিল নেত্রীর সঙ্গে তৃণমূল সম্পর্ক রক্ষা করে চলেছে৷ তারা চাইছে, দু'দল মিলে প্রধান বিরোধী জোট গড়ে তোলা, যাতে বিরোধী নেতা এবং ডেপুটি স্পিকারের পদটি কংগ্রেসের হাতছাড়া হয়৷ কিন্ত্ত মোদী প্রশ্নে এখনও পর্যন্ত মমতা ও জয়ললিতার অবস্থানের ফারাক রয়েছে৷ জয়ললিতার পার্টি ইতোমধ্যেই সংসদে এনডিএ-কে সমর্থন করবে বলে জানিয়েছে৷ অন্ধ্রপ্রদেশের ওয়াইএসআর কংগ্রেস নেতা জগন্মোহন রেড্ডিও এ দিন নরেন্দ্র মোদীর সঙ্গে দেখা করে বেরিয়ে এসে জানিয়েছেন, তাঁরাও এনডিএ-কে সমর্থন করবেন৷ এর ফলে রাজ্যসভায় সংখ্যাগরিষ্ঠতা না-থাকার যে কাঁটা নরেন্দ্র মোদীর সামনে রয়েছে, সেটাও অনেকটা দূর হতে পারে৷ তখন রাজ্যসভায় বিল পাস করানোর ক্ষেত্রে তাঁকে খুব বেশি অসুবিধায় পড়তে হবে না৷ বিজেপি সূত্রের খবর, মোদী চান, রাজনৈতিক বিরোধীরা যেন তাঁর বিরুদ্ধে কোনও অভিযোগ করার সুযোগ না পান৷ সে জন্য তিনিও সহযোগিতার নীতি নিয়ে চলবেন৷ রাজ্য সরকারগুলির সঙ্গে অযথা কোনও বিরোধে যাওয়া হবে না, বরং তাদের প্রতি যতটা সম্ভব সাহায্যের হাত বাড়িয়ে দেওয়া হবে৷ বিনিময়ে তিনিও ওই দলগুলির কাছ থেকে সহায়তা আশা করছেন৷ বিশেষ করে রাজ্যসভায় বিজেপি সংখ্যালঘু৷ ফলে নানা বিল পাশ করাতে বিজেপি-সহ বিরোধীদের সমর্থন দরকার হবে৷ কিন্ত্ত রাজনৈতিক বাস্তবতার কারণেই তৃণমূলের পক্ষে বিজেপির পাশে দাঁড়ানো কঠিন৷ কারণ, রাজ্যে তা হলে ভোট হারাতে হতে পারে৷ বস্ত্তত সেই কারণেই তৃণমূলের তরফে মোদীর শপথ অনুষ্ঠান বয়কটের সিদ্ধান্ত নেওয়া হল। কারণ, নির্বাচনী প্রচারে বিরোধীরা বারে বারেই অভিযোগ করেছে, গুজরাট দাঙ্গায় অভিযুক্ত মোদী মুখ্যমন্ত্রী হওয়ার পর মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তাঁকে ফুল পাঠিয়ে শুভেচ্ছা জানিয়েছিলেন৷


আগামী সেপ্টেম্বর-অক্টোবরে মহারাষ্ট্র, হরিয়ানা ও ঝাড়খণ্ডে বিধানসভা নির্বাচন হবে৷ লোকসভার প্রবণতা বজায় থাকলে তিনটি রাজ্যেই বিজেপি বা এনডিএ-র সরকার গড়ার কথা৷ তার পর রাজ্যসভাতেও বিজেপি-র আসনসংখ্যা বাড়বে৷ তবে তার জন্য কিছুটা সময় লাগবে৷


জগন্মোহন রেড্ডির অবশ্য মোদীর সঙ্গে দেখা করার অন্য উদ্দেশ্য ছিল৷ সেই উদ্দেশ্যটা হল, নিজেকে বাঁচানোর৷ ষোলো মাস জেলে থাকার পর জামিনে মুক্তি পেয়েছেন জগন্মোহন৷ এখন রাজ্যে চন্দ্রবাবু ও কেন্দ্রে নরেন্দ্র মোদী আসার পর যদি আবার তাঁর একই অবস্থা হয়, তা হলে তাঁর দুর্গতির শেষ থাকবে না৷ তাই ভবিষ্যতের কথা ভেবেই সম্ভবত বলেছেন, 'আমি মোদী সরকারকে শর্তসাপেক্ষে সমর্থন করব৷'


সুসময় ও সাফল্য অনেক কিছুই বদলে দেয়৷ এমনকী যাঁরা একসময় মোদীর ডাকে সাড়া না-দিয়ে মুখ ফিরিয়ে নিয়েছিলেন, তাঁরাও নতুন করে তাঁর সঙ্গে সম্পর্ক ভাল করতে চাইছেন৷ যেমন বাবুলাল মারান্ডি৷ লোকসভা ভোটের আগে মারান্ডির দলের সঙ্গে জোট করতেও রাজি ছিলেন মোদী৷ কিন্ত্ত মারান্ডি তখন রাজি হননি৷ কিন্ত্ত মোদী হাওয়ায় ঝাড়খণ্ডে কংগ্রেসের পাশাপাশি মারান্ডির দলও উড়ে গিয়েছে৷ হারের পর মারান্ডি এখন মোদীর সঙ্গে যোগাযোগ করে রফা করতে চাইছেন৷




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