Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Tuesday, April 22, 2014

अलविदा गाबो

अलविदा गाबो

Posted by Reyaz-ul-haque on 4/18/2014 02:15:00 PM



गाब्रिएल गार्सिया मार्केस और उनके युवावस्था के पत्रकार मित्र प्लीनीयो आपूलेयो मेन्दोज़ा के बीच हुई एक लम्बी बातचीत पुस्तक फ्रेगरेंस ऑफ गुआवा  की शक्ल में छपी थी. उसी किताब से एक अध्याय. उनके परिवार के बारे में जानिए.  

अलविदा उस्ताद.
–कबाड़खाना

मेरे भीतर सबसे स्पष्ट और निरंतर स्मृति लोगों की बनिस्बत उस मकान की है आराकाटाका में जिसके भीतर मैं अपने नाना-नानी के साथ रहा था. यह लगातार आने वाला एक स्वप्न है जिसे मैं आज भी देखता हूं. और अपने पूरे जीवन में हर दिन में जब भी जागता हूं मुझे अनुभूति होती है, चाहे वह वास्तविक हो या काल्पनिक, कि मैंने सपने में देखा है कि मैं सपने में उस घर के भीतर था. ऐसा नहीं है कि मैं वापस वहां गया होऊं; किसी भी उम्र में, या बिना किसी विशेष वजह के - पर मैं तो वहीं हूं - जैसे मैंने उसे कभी छोड़ा ही नहीं था. आज भी मेरे सपनों में रात समय का वह निषेध बनी हुई है जिसने मेरे पूरे बचपन को घेरा हुआ था. यह एक बेकाबू झुरझुरी थी जो हर शाम जल्दी शुरू होकर मेरे नींद को कोंचती रही थी जब तक कि मैं दरवाजे़ की दरार से भोर का होना नहीं देख लेता था. मैं बहुत ठीक-ठाक इसके बारे में नहीं बता सकता पर मेरे ख़्याल से वह निषेध इस तथ्य में निहित था कि रात के समय मेरी नानी के सारे प्रेत और आत्माएं साकार हो जाया करते थे. कुछ उस तरह का हमारा सम्बंध था. एक तरह का अदृश्य धागा जो हमें परामानवीय संसार से बांधे रखता था. दिन के समय मेरी नानी का जादुई संसार मुझे सम्मोहित किये रखता था - मैं उसमें डूबा रहता था, वह मेरा संसार था. लेकिन रात को वह मुझे भयभीत करता था. आज भी, जब मैं दुनिया के किसी हिस्से के किसी अजनबी होटल में अकेला सोया होता हूं, मैं अक्सर डरा हुआ जागता हूं, अंधेरे में अकेला होने के भय से हिला हुआ, और शांत होकर वापस सो जाने में हमेशा मुझे कुछ मिनट लगते हैं. वहीं मेरे नानाजी, नानी के अनिश्चितता भरे संसार में संपूर्ण सुरक्षा का प्रतिनिधित्व किया करते थे. उनके होने पर मेरी सारी चिंताएं गायब हो जाती थीं. मुझे दोबारा वास्तविक संसार के ठोस धरातल पर खड़े होने का बोध होता था. अजीब बात यह थी कि मैं अपने नाना जैसा होना चाहता था - यथार्थवादी, बहादुर, सुरक्षित - लेकिन नानी के संसार में झांकने का निरंतर लालच मुझे वहीं ले जाया करता था.

अपने नाना के बारे में मुझे बतलाओ. कौन थे वो? उनके साथ तुम्हारा कैसा रिश्ता था?

कर्नल निकोलास रिकार्दो मारकेज़ मेहीया - यह उनका पूरा नाम था - एक ऐसे शख़्स थे जिनके साथ संभवतः मेरी सबसे बढि़या बनती थी और जिनके साथ मेरी आपसी समझदारी सबसे ज़्यादा थी. लेकिन करीब पचास साल बाद पलटकर देखता हूं तो लगता है कि उन्होंने संभवतः कभी भी इस बात का अहसास नहीं किया. पता नहीं क्यों पर इस अहसास ने, जो पहली बार मुझे किशोरावस्था में हुआ था, मुझे बहुत खिन्न किया है. यह बहुत कुंठित करने वाला होता है क्योंकि यह एक लगातार बनी रहने वाली कचोट के साथ जीने जैसा है जिसे साफ़-सपाट कर लिया जाना चाहिए था पर वह अब नहीं हो सकेगा क्योंकि मेरे नाना की मौत तब हो चुकी थी जब मैं आठ साल का था. मैंने उन्हें मरते हुए नहीं देखा क्योंकि उस वक्त मैं आराकाटाका से बहुत दूर था, और मुझे यह समाचार नहीं दिया गया हालांकि जहां मैं रह रहा था उस घर के लोगों को मैंने इस बाबत बात करते हुए सुना. जहां तक मुझे याद पड़ता है, मुझ पर इस समाचार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तो भी एक वयस्क के तौर पर जब भी मेरे साथ कुछ भी विशेषतः अच्छी घटना होती है तो मुझे अपनी प्रसन्नता सम्पूर्ण नहीं लगती क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरे नाना उसे जान पाते. इस तरह से एक वयस्क के तौर पर मेरी तमाम ख़ुशियों पर इस एक कुंठा का कीड़ा लगा रहता है, और ऐसा हमेशा होता रहेगा.

क्या तुम्हारी किसी किताब का कोई चरित्र उनके जैसा है?

'लीफ़ स्टॉर्म' का बेनाम कर्नल एकमात्र चरित्र है जो मेरे नानाजी से मिलता-जुलता है. असल में वह पात्र उनके व्यक्तित्व और आकृति की बारीक प्रतिलिपि है. हालांकि यह एक व्यक्तिगत सोच है क्योंकि उपन्यास में कर्नल का बहुत वर्णन नहीं है और संभवतः पाठकों के मन में बनने वाली छवि मेरी सोच से फ़र्क हो सकती है. मेरे नानाजी के एक आंख गंवाने की घटना किसी उपन्यास का हिस्सा बनने के लिहाज से अतिनाटकीय हैः वे अपने दफ्तर की खिड़की से एक सफेद घोड़े को देख रहे थे जब उन्हें अपनी बांई आंख में कुछ महसूस हुआ; उन्होंने अपना हाथ उस पर रखा और बिना किसी दर्द के उनकी बांई आंख की रोशनी चली गई. मुझे इस घटना की याद नहीं है पर बचपन में मैंने इसके बारे में बातें सुनी थीं और हर दफ़े आखिर में मेरी नानी कहा करती थीं, "उनके हाथ में आंसुओं के अलावा कुछ नहीं बचा." 'लीफ़ स्टॉर्म' के कर्नल में यह शारीरिक कमी बदल दी गई है - वह लंगड़ा है. मुझे पता नहीं मैंने उपन्यास में यह लिखा है या नहीं पर एक बात मेरे दिमाग़ में हमेशा थी कि उसका लंगड़ापन एक युद्ध की चोट का परिणाम था. इस शताब्दी के शुरूआती वर्षों में कोलंबिया में हुए 'हज़ार दिनी युद्ध' के दौरान क्रांतिकारी सेना में मेरे नाना ने कर्नल की पदवी हासिल की थी. उनकी सबसे स्पष्ट स्मृति मेरे लिए इसी तथ्य से सम्बंधित है. उनके मरने से ठीक पहले उनके बिस्तर पर उनका निरीक्षण करते हुए एक डॉक्टर ने (मुझे पता नहीं क्यों) उनके पेड़ू के पास एक घाव का निशान देखा था. "वो एक गोली थी" मेरे नाना बोले. उन्होंने मेरे साथ गृहयुद्ध के बारे में अक्सर बातचीत की थी और उन्हीं के कारण उस इतिहास-काल में मेरी दिलचस्पी पैदा हुई जो मेरी सारी किताबों में आता है लेकिन उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया था कि वह घाव एक गोली का परिणाम था. जब उन्होंने डॉक्टर को यह बात बताई, मेरे लिये वह एक महान गाथा के प्रकट होने जैसा था.

मैं हमेशा सोचता था कि कर्नल ऑरेलियानो बुएनदीया तुम्हारे नानाजी से मेल खाता होगा....

नहीं, कर्नल ऑरेलियानो बुएनदिया मेरे नाना की मेरी इमेज से बिल्कुल उलट है. मेरे नाना गठीले थे, उनकी रंगत दमकभरी थी और मेरी याददाश्त में वे सबसे बड़े भोजनभट्ट थे. इसके अलावा, जैसा मुझे बाद में ज्ञात हुआ, वे एक भीषण स्त्रीगामी थे. दूसरी तरफ़ कर्नल ऑरेलियानो बुएनदिया देखने में जनरल राफ़ाएल उरिबे उरिबे जैसा है और उन्हीं का जैसा सादगीपूर्ण जीवन का हिमायती भी. मैंने उरिबे उरिबे को कभी नहीं देखा पर नानी बताती थीं कि वे एक दफ़े आराकाटाका आये थे और उन्होंने अपने दफ्तर में मेरे नाना और अन्य पूर्व-सैनिकों के साथ कुछ बीयर की बोतलें पी थीं. उनकी जो छवि मेरी नानी की मन में थी वह 'लीफ़ स्टॉर्म' में उस फ्रांसीसी डाक्टर के वर्णन से मेल खाती है जो कर्नल की पत्नी आदेलाइदा के मन में हैः वह कहती है कि जब वह उसे पहली बार देखती है उसे वह एक सिपाही जैसा नजर आता है. गहरे भीतर मुझे पता है कि उसे वह जनरल उरिबे उरिबे जैसा नजर आता था.

अपनी मां के साथ अपने सम्बंधों को तुम किस तरह देखते हो?

मेरी मां के साथ मेरे संबंधों की सबसे बड़ी ख़ासियत बचपन से ही उसकी गंभीरता रही है. संभवतः वह मेरे जीवन का सबसे गंभीर संबंध है. मुझे यक़ीन है कि एक भी ऐसी बात नहीं है जो हम एक दूसरे को न बता पाएं और ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर हम बात न कर सकें लेकिन हमारे दरम्यान हमेशा एक पेशेवर औपचारिकता जैसी रही है न कि अंतरंगता. इस बारे में बता पाना मुश्किल है पर यह ऐसा ही है. शायद ऐसा इस कारण भी था कि जब मैं नाना जी की मृत्यु के बाद अपने माता-पिता के साथ रहने गया तो मैं अपने बारे में सोच सकने लायक बड़ा हो चुका था. उनके लिये मेरे आने का मतलब यह रहा होगा कि उनके अनेक बच्चों के साथ (बाकी सारी मुझसे छोटे थे) एक बच्चा और आ गया है जिससे वह असल में बात कर सकती थीं और जो घरेलू समस्याओं का समाधान करने में उनकी सहायता करता. उनका जीवन कठोर और पुरुस्कारहीन था - कई दफ़े वे भीषण गरीबी में रही थीं. इसके अलावा हम बहुत लंबे समय तक एक छत के नीचे नहीं रहे क्योंकि कुछ साल बाद जब मैं बारह का था, पढ़ने के लिये मैं पहले बारान्कीया और फिर जि़पाकीरा चला गया. तब से हमारी मुलाकातें बहुत संक्षिप्त रही हैं, शुरू में स्कूल की छुट्टियों के वक्त और बाद में जब भी मैं कार्तागेना जाता हूं - वह भी साल भर में एक बार से ज़्यादा कभी नहीं होता और कभी भी दो सप्ताह से ऊपर नहीं. इसके कारण हमारा संबंध दूरीभरा हो गया है. इसने एक विशेष औपचारिकता का निर्माण भी किया है जिसके कारण हम एक दूसरे के साथ तभी खुल पाते हैं जब गंभीर होते हैं. हालांकि, पिछले बारह-एक सालों से, जब से मेरे पास साधन हैं, हर इतवार को एक ही समय पर मैं उन्हें टेलीफोन करता हूं, चाहे संसार के किसी भी हिस्से में होऊं. बहुत कम दफ़े जब मैं ऐसा नहीं कर पाया हूं, वह तकनीकी दिक्कतों के कारण हुआ है. ऐसा नहीं है कि मैं 'अच्छा बेटा' हूं जैसा कहा जाता है. मैं औरों से बेहतर नहीं हूं पर मैं ऐसा इसलिये करता हूं कि मैंने हमेशा सोचा है कि इतवार को टेलीफ़ोन करना हमारे संबंधों की गंभीरता है हिस्सा है.

क्या यह सच है कि तुम्हारे उपन्यासों की चाभी उन्हें आसानी से मिल जाती है?

हां, मेरे तमाम पाठकों में सबसे अधिक 'इंन्स्टिंक्ट' और निश्चय ही सबसे अधिक सूचनाएं उन्हीं के पास होती हैं और वे मेरी किताबों के चरित्रों के पीछे के वास्तविक लोगों को पहचान लेती हैं. यह आसान नहीं है क्योंकि मेरे तकरीबन सारे पात्र कई अलग-अलग लोगों और थोड़ा बहुत ख़ुद मेरे हिस्से की बनी पहेलियों जैसे होते हैं. इस बाबत मेरी मां की विशेष प्रतिभा इस बात में वैसी ही है जैसे किसी पुराशास्त्री को उत्खनन के दौरान पाई गई चन्द हड्डियों की मदद से किसी प्रागैतिहासिक जीव का पुनर्निर्माण करना होता है. जब वे मेरी किताबें पढ़ती हैं तो स्वतः ही उन सारे हिस्सों को मिटा देती हैं जो मैंने जोड़े होते हैं और वे उस मुख्य हड्डी को, उस केंद्रबिंदु को पहचान लेती हैं, जिसके इर्द-गिर्द मैंने अपने पात्र का सृजन किया होता है. कभी-कभी जब वे पढ़ रही होती हैं आप उन्हें कहते हुए सुन सकते हैं, "ओह बेचारा मेरा कोम्पाद्रे , तुमने उसे एक वास्तविक पैंज़ी के फूल में बदल दिया है", मैं उन्हें कहता हूं कि वह पात्र उनके कोम्पाद्रे जैसा नहीं है, लेकिन ऐसा मैं यूं ही कहने के लिये कह देता हूं क्योंकि वे जानती हैं कि मैं जानता हूं कि वे जानती हैं.


तुम्हारा कौन सा स्त्री-पात्र उन जैसा है?

'क्रोनिकल ऑफ़ अ डैथ फोरटोल्ड' तक मेरा कोई भी पात्र उन पर आधारित नहीं था. 'वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ़ सोलिड्यूड' की उर्सुला इगुआरान में उनके चरित्र के कुछ हिस्से हैं पर उर्सुला और भी कई स्त्रियों से बनी हैं जिन्हें मैंने जाना है. सच तो यह है कि उर्सुला मेरे लिये इस लिहाज़ से एक आदर्श स्त्री है कि उसमें वे सारी बातें हैं जो मेरे हिसाब से एक स्त्री में होनी चाहिये. आश्चर्य की बात यह है कि इसका बिल्कुल विपरीत सच है. जैसे-जैसे मेरी मां बूढ़ी होती जा रही हैं वे उर्सुला की उस विराट छवि जैसी बनती जा रही हैं और उनका व्यक्तित्व उसी दिशा में बढ़ रहा है. इस कारण 'क्रोनिकल ऑफ़ अ डैथ फोरटोल्ड' में उनका प्रकट होना उर्सुला के पात्र का दोहराव लग सकता है पर ऐसा नहीं है. यह पात्र मेरी मां की मेरी इमेज का ईमानदार चित्र है और इसीलिये उसका नाम भी वही है. उस पात्र के बारे में उन्होंने एक ही बात कही जब उन्होंने देखा कि मैंने उनका दूसरा नाम, सांटियागा, इस्तेमाल किया है. "हे ईश्वर" वे बोलीं "मैंने पूरी जि़न्दगी इस भयानक नाम को छिपाने की कोशिश में बिताई है और अब यह सारी दुनिया में तमाम भाषाओं में फैल जाएगा."

तुम कभी भी अपने पिता के बारे में बात नहीं करते. उनकी क्या स्मृतियां हैं तुम्हारे पास? अब तुम उन्हें कैसे देखते हो?

जब मैं तैंतीस साल का हुआ तो मुझे अचानक अहसास हुआ कि मेरे पिताजी भी इतने ही सालों के थे जब मैंने उन्हें अपने नाना-नानी के घर में पहली बार देखा था. मुझे यह बात अच्छी तरह याद है क्योंकि उस दिन उनका जन्मदिन था और किसी ने उनसे कहा, "अब तुम्हारे उम्र ईसामसीह जितनी हो गई है." सफ़ेद ड्रिल सूट और स्ट्रा बोटर पहने हुए वे छरहरे, गहरी रंगत वाले एक बुद्धिमान और दोस्ताना व्यक्ति थे. तीस के दशक के एक आदर्श कैरिबियाई 'जैन्टलमैन'. मजे़ की बात यह है कि हालांकि अब वे अस्सी के हैं और काफी ठीकठाक हालत में हैं, मैं अब भी उन्हें वैसा नहीं देखता जैसे वे अब हैं बल्कि वे हमेशा मुझे वैसे ही दिखते हैं जैसा उन्हें मैंने पहली बार अपने नाना जी के घर में देखा था. हाल ही में उन्होंने अपने एक दोस्त से कहा था कि मैं सोचता था कि मैं शायद उन मुर्गियों में से था जो बिना किसी भी मुर्गे की मदद से पैदा हो जाती हैं. उन्होंने यह बात मज़ाक में कही थी. उनका परिष्कृत 'ह्यूमर' शायद थोड़ी सी उलाहना से भी भरा था क्योंकि मैं हमेशा अपनी मां के साथ अपने संबंधों के बारे में बात करता हूं - उनके साथ कभी-कभार ही. वे सही भी हैं. लेकिन मैं उनके बारे में बात इसलिये नहीं करता क्योंकि असल में मैं उन्हें जानता ही नहीं, कम से कम उतना तो नहीं जानता जितना मां को जानता हूं. ऐसा अब जाकर हुआ है जब हम दोनों करीब-करीब एक ही उम्र के हैं (जैसा मैं कभी-कभी उनसे कहता भी हूं) कि हमारे बीच शांत समझदारी का एक बिंदु आया है. मैं इसके बारे में बता सकता हूं शायद. जब आठ की उम्र में मैं अपने माता-पिता के साथ रहने गया था मेरे भीतर पहले ही से पिता की एक मजबूत छवि बन चुकी थी - मेरे नानाजी की, न सिर्फ़ मेरे पिता मेरे नानाजी जैसे नहीं थे वे उनके बिल्कुल उलटे थे. उनका व्यक्तित्व, अधिकार के बारे में उनके विचार और बच्चों के साथ उनका संबंध - सब कुछ बिल्कुल भिन्न था. यह बिल्कुल मुमकिन है कि उस उम्र में मैं अचानक आये उस परिवर्तन से प्रभावित हुआ होऊं और इसी कारण किशोरावस्था तक मुझे अपना संबंध उनके साथ बहुत मुश्किल लगने लगा हो. मुख्यतः ग़लती मेरी थी. उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाये मुझे निश्चित कभी पता नहीं होता था. मुझे नहीं पता था उन्हें ख़ुश कैसे किया जाय और उनके कठोर स्वभाव को मैंने ग़लती से समझदारी की कमी समझ लिया था. इसके बावजूद मेरे विचार से हमने इस संबंध को ठीक-ठाक निभा लिया क्योंकि हमारे बीच कोई गंभीर झगड़ा कभी नहीं हुआ.

दूसरी तरफ़, साहित्य के प्रति मेरी रुचि के लिए मैं बहुत सीमा तक उनका आभारी हूं. अपनी युवावस्था में वे कविताएं लिखा करते थे, और हमेशा छुप कर नहीं; और जब आराकाटाका में टेलीग्राफ़ आपरेटर थे वे वायलिन बजाया करते थे. उन्हें साहित्य सदा पसंद आया है और वे बढि़या पाठक हैं. जब हम उनके घर जाते हैं हमें कभी नहीं पूछना होता कि वे कहां होंगे क्योंकि हमें पता होता है कि वे अपने शयनकक्ष में कोई किताब पढ़ रहे होंगे. उस पागल घर में वही इकलौती शांत जगह है. आपको कभी पक्का पता नहीं होता कि खाने पर कितने लोग होंगे क्योंकि वहां अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त असंख्य बच्चों, पोते-पोतियों, भतीजे-भतीजियों की बढ़ती-घटती जनसंख्या का आवागमन लगा रहता है. पिताजी को जो मिलता है, उसे पढ़ते हैं - श्रेष्ठ साहित्य, अख़बार-पत्रिकाएं, विज्ञापनों के हैण्डआउट, रेफ़्रीजरेटर की मैनुअल - कुछ भी. मुझे और कोई नहीं मिला जिसे साहित्य के कीड़े ने इस कदर काटा हो. बाक़ी की बातों के हिसाब से देखें तो उन्होंने अल्कोहल की एक बूंद नहीं पी, न सिगरेट पी लेकिन उनके सोलह वैध बच्चे हुए और भगवान जाने कितने और. आज भी वे मेरी जानकारी में सबसे फु़र्तीले और स्वस्थ अस्सी वर्षीय व्यक्ति हैं और ऐसा लगता नहीं कि उनका तौर-तरीक़ा बदलेगा - बल्कि ठीक उल्टा ही सच है.


तुम्हारे सारे दोस्तों को तुम्हारे जीवन में मेरसेदेज़ की भूमिका के बारे में पता है. मुझे बताओ तुम्हारी मुलाकात कहां हुई, तुम्हारी शादी कैसे हुई और ख़ास तौर पर यह कि तुम यह दुर्लभ काम - एक सफल विवाह कैसे कर सके?

मेरसेदेज़ से मेरी मुलाकात सुक्रे में हुई, जो कैरीबियाई तट के बस भीतरी इलाक़े का एक क़स्बा है जहां हम दोनों के परिवारों ने कई साल बिताये थे और जहां हम दोनों अपनी छुट्टियों में जाया करते थे. उसके पिता और मेरे पिता लड़कपन के दोस्त थे. एक दिन, 'स्टूडेंट्स डांस' के दौरान, जब वह केवल तेरह की थी, मैंने उससे शादी करने का प्रस्ताव किया. अब मुझे लगता है कि वह प्रस्ताव एक तरह से ऐसा था कि सारे पचड़े खत्म किये जाएं और उस संघर्ष से बचा जाये जो उन दिनों एक गर्लफ्रैंड ढूंढ़ने के लिये करना पड़ता था. उसने उसे ऐसा ही समझा होगा क्योंकि हमारी मुलाकातें कभी-कभार होती थीं और बेहद हल्की-फुल्की, लेकिन मेरे ख़्याल से हम दोनों में से किसी को भी इस बात का संदेह नहीं था कि सब कुछ एक दिन वास्तविकता बन जाएगा. वास्तव में यह कहानी, बिना किसी सगाई वगैरह के, दस वर्ष बाद असलियत बनी. बिना जल्दीबाज़ी और हड़बड़ी के हम सिर्फ दो लोग थे जो अंततः उस निश्चित घटना का इंतज़ार कर रहे थे. हमारे विवाह के पच्चीस साल होने को हैं और हमारा कोई भी गंभीर विवाद नहीं हुआ है. मैं समझता हूं कि इसका रहस्य यह है कि हम चीज़ों को अब भी उसी तरह देखते हैं जैसे शादी से पहले देखा करते थे. विवाह, जीवन की ही तरह अविश्वसनीय रूप से मुश्किल होता है क्योंकि आप को हर रोज़ नये सिरे से शुरूआत करनी होती है और ऐसा जि़न्दगी भर किये जाना होता होता है. यह एक सतत और अक्सर क्लांत कर देने वाला युद्ध होता है, पर अंततः उसके लायक भी. मेरे एक उपन्यास का एक पात्र इस बात को अधिक कच्चे शब्दों में यूं कहता हैः "प्यार एक ऐसी चीज़ है जिसे आप सीखते हैं."

क्या मेरसेदेज़ ने तुम्हारे किसी चरित्र की रचना को प्रेरित किया है?

मेरे किसी भी उपन्यास का कोई भी पात्र मेरसेदेज़ जैसा नहीं है. वह 'वन हंड्रेड ईयर्स ऑ सॉलीट्यूड' में अपने ही रूप में अपने ही नाम के साथ एक कैमिस्ट के बतौर दो बार आती है और उसी तरह वह दो दफ़े 'क्रोनिकल ऑफ़ ए डैथ फ़ोरटोल्ड' में भी आती है, मैं उसका बहुत अधिक साहित्यिक इस्तेमाल नहीं कर पाया हूं - इसके पीछे एक ऐसा कारण है जो बहुत काल्पनिक लग सकता है पर है नहीं - मैं अब उसे इतनी अच्छी तरह जानता हूं कि मुझे जरा भी गुमान नहीं कि वास्तव में वह कैसी है?

तुम्हारे सारे दोस्तों को तुम्हारे जीवन में मेरसेदेज़ की भूमिका के बारे में पता है. मुझे बताओ तुम्हारी मुलाकात कहां हुई, तुम्हारी शादी कैसे हुई और ख़ास तौर पर यह कि तुम यह दुर्लभ काम - एक सफल विवाह कैसे कर सके?

मेरसेदेज़ से मेरी मुलाकात सुक्रे में हुई, जो कैरीबियाई तट के बस भीतरी इलाक़े का एक क़स्बा है जहां हम दोनों के परिवारों ने कई साल बिताये थे और जहां हम दोनों अपनी छुट्टियों में जाया करते थे. उसके पिता और मेरे पिता लड़कपन के दोस्त थे. एक दिन, 'स्टूडेंट्स डांस' के दौरान, जब वह केवल तेरह की थी, मैंने उससे शादी करने का प्रस्ताव किया. अब मुझे लगता है कि वह प्रस्ताव एक तरह से ऐसा था कि सारे पचड़े खत्म किये जाएं और उस संघर्ष से बचा जाये जो उन दिनों एक गर्लफ्रैंड ढूंढ़ने के लिये करना पड़ता था. उसने उसे ऐसा ही समझा होगा क्योंकि हमारी मुलाकातें कभी-कभार होती थीं और बेहद हल्की-फुल्की, लेकिन मेरे ख़्याल से हम दोनों में से किसी को भी इस बात का संदेह नहीं था कि सब कुछ एक दिन वास्तविकता बन जाएगा. वास्तव में यह कहानी, बिना किसी सगाई वगैरह के, दस वर्ष बाद असलियत बनी. बिना जल्दीबाज़ी और हड़बड़ी के हम सिर्फ दो लोग थे जो अंततः उस निश्चित घटना का इंतज़ार कर रहे थे. हमारे विवाह के पच्चीस साल होने को हैं और हमारा कोई भी गंभीर विवाद नहीं हुआ है. मैं समझता हूं कि इसका रहस्य यह है कि हम चीज़ों को अब भी उसी तरह देखते हैं जैसे शादी से पहले देखा करते थे. विवाह, जीवन की ही तरह अविश्वसनीय रूप से मुश्किल होता है क्योंकि आप को हर रोज़ नये सिरे से शुरूआत करनी होती है और ऐसा जि़न्दगी भर किये जाना होता होता है. यह एक सतत और अक्सर क्लांत कर देने वाला युद्ध होता है, पर अंततः उसके लायक भी. मेरे एक उपन्यास का एक पात्र इस बात को अधिक कच्चे शब्दों में यूं कहता हैः "प्यार एक ऐसी चीज़ है जिसे आप सीखते हैं."

क्या मेरसेदेज़ ने तुम्हारे किसी चरित्र की रचना को प्रेरित किया है?

मेरे किसी भी उपन्यास का कोई भी पात्र मेरसेदेज़ जैसा नहीं है. वह 'वन हंड्रेड ईयर्स ऑ सॉलीट्यूड' में अपने ही रूप में अपने ही नाम के साथ एक कैमिस्ट के बतौर दो बार आती है और उसी तरह वह दो दफ़े 'क्रोनिकल ऑफ़ ए डैथ फ़ोरटोल्ड' में भी आती है, मैं उसका बहुत अधिक साहित्यिक इस्तेमाल नहीं कर पाया हूं - इसके पीछे एक ऐसा कारण है जो बहुत काल्पनिक लग सकता है पर है नहीं - मैं अब उसे इतनी अच्छी तरह जानता हूं कि मुझे जरा भी गुमान नहीं कि वास्तव में वह कैसी है?
(कबाड़खाना से साभार)

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk