Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Monday, September 24, 2012

गरीब जिये या मरे, उससे बाजार और राजनीति का क्या!

गरीब जिये या मरे, उससे बाजार और राजनीति का क्या!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

गरीब जिये या मरे, उससे बाजार और राजनीति का क्या!बाजार का तंत्र मुनाफा केंद्रित है। जिन पांच हजार व्यापारी परिवारों के खातिर विदेशी निवेश का विरोध हो रहा है, वे भी बाजार में शामिल हैं ​​और उनका कारोबार मुनाफा कमाने के लिए नहीं है, ऐसा बी कहा नहीं जा सकता। मुद्दा यह है कि गरीबों का हाड़ मांस चूसते रहने का ेकाधिकार किसे हो। राजनीतिक लड़ाई इसी वर्चस्व को लेकर है। बहिष्कृत निनानब्वे फीसद जनता के खिलाफ अश्वमेध के पुरोहित सभी हैं। बाजार और राजनीति से जुड़े तमाम लोग।कारपोरेट लालच के खिलाफ विश्वव्यापी शेयर बाजार कब्जा करो आंदोलन का कोई असर भारत में नहीं पड़ा। न बाकी​​ विश्व में साल भर में ही इसकी कोई खबर बन रही है। राजनीति बाजार के विरुद्ध नहीं है। राजनीति में रहने के लिए, वोट के लिए बाजार ​​के खिलाफ बोलना जरूर पड़ता है। व्यापारियों की हड़ताल हो गयी।भारत बंद भी हो गया। पर विदेशी निवेश के किलाफ राजनीतिक ​​सक्रियता महज बयानबाजी और खबरों तक ही सीमित क्यों है?अभी अभी संसद का मानसून सत्र प्रधानमंत्री के इस्तीफे की भाजपाई मांग की वजह से धुल गया। तो अल्पमत सरकार को गिराकर ​​जनविरोधी बाजार के खिलाफ जिहाद छेड़ने में राजनीति को परहेज क्यों है? संसद के विशेष अधिवेशन की मांग क्यों नही हो रही?

हालांकि देश के शेयर बाजारों में सोमवार को गिरावट का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 79.49 अंकों की गिरावट के साथ 18673.34 पर और निफ्टी 21.55 अंकों की गिरावट के साथ 5669.60 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 3.48 अंकों की तेजी के साथ 18756.31 पर खुला और 79.49 अंकों या 0.42 फीसदी गिरावट के साथ 18673.34 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18811.13 के ऊपरी और 18650.43 के निचले स्तर को छुआ।रिटेल में एफडीआई को लेकर उठे सियासी तूफान के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर इसकी जबरदस्त वकालत करते हुए इसे मौजूदा वक्त की जरूरत करार दिया है। मनमोहन ने कहा कि देश में विदेशी निवेश के लिए बेहतर माहौल बनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इसके लिए सुधारों से जुड़े कुछ और फैसले जल्द ही लेने के भी संकेत दिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा कंपनी कानूनों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार जल्द ही संसद में नया कंपनी विधेयक पेश करेगी।

सब राजनीतिक स्थिरता का राग अलाप रहे हैं। राजनीतिक स्थिरता की वजह से जनता के प्रति प्रतिबद्धता खत्म हो गयी अभी तो आर्थिक सुधारों से विदेशी निवेशकों की आस्था पाने के बाद बूम बूम बाजार है। रेटिंग संस्थाएं दबाव बना रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के बाद भारत स्थिक अमेरिकी राजदूत ने भी कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग में जाकर दीदी से मुलाकात कर ली। संसद को निष्क्रिय बनाकर मंत्रिमंडलीय फैसलों और अधिशासी आदेशों के जरिये दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों की जमीन बनाने वाले संसद का विशेष सत्र बुलाकर अनास्था प्रस्ताव लाने और कोलगेट वाली आक्रामकता जारी रखने में परहेज क्यों कर रहे हैं?सरकार से समर्थन वापसी के बाद ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पर पहला और सीधा निशाना साधा है। ममता ने फेसबुक पर एक चिट्ठी डाली है। ये चिट्ठी मनमोहन सिंह ने 2002 में लिखी है, जब वो राज्य सभा में विपक्ष के नेता थे। ममता का कहना है कि ये चिट्ठी बताती है कि उस वक्त मनमोहन सिंह भी एफडीआई के विरोधी थे।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि वह एक अक्तूबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर पार्टी के प्रदर्शन की अगुवाई करेंगी और खुदरा में एफडीआई, डीजल के दामों में बढोत्तरी और सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की संख्या सीमित करने के 'जन विरोधी' फैसलों को वापस लेने की मांग केंद्र से करेंगी।

फेसबुक पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, 'लड़ाई को हिम्मत और एकता से लड़ें. लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है। हमारी आवाज जनता की आवाज है। हमें अपनी आवाज तेज करनी चाहिए ताकि सरकार इस पर विचार करे।'

ममता ने कहा, 'हम इन मुद्दों को रेखांकित करने के लिए उपस्थित रहेंगे और केंद्र से जन विरोधी फैसलों को वापस लेने का आग्रह करेंगे।' पार्टी प्रमुख ने कहा कि आम आदमी के मुद्दों के लिए पार्टी की लड़ाई 'मां , माटी और मानुष' की मदद से पूरे देश में जारी है।उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से अपने फेसबुक प्रशंसकों को कहा कि वे अपने दोस्तों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहें।


केंन्द्र सरकार की ओर से खुदरा कारोबार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की हरी झंडी मिलने के साथ ही रिटेल क्षेत्र की दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी वालमार्ट ने भारत के खुदरा बाजार में उतरने के लिए कमर कस ली है।वालमार्ट एशिया के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी निदेशक स्काट प्राइस ने एक निजी टेलीविजन चैनल से साक्षात्कार में कहा कि वह भारत में अपने रिटेल स्टोर खोलने के लिए भारती के साथ बनाए गए संयुक्त उपक्रम में कुछ बदलाव करेगी और इसके बाद अगले कुछ हफ्ते के अंदर सरकार के पास आवेदन भेजेगी।प्राइस ने कहा कि भारती के साथ संयुक्त उपक्रम बनाना हमारे लिए काफी अच्छा अनुभव रहा है। यह संयुक्त उपक्रम आगे भी जारी रहेगा लेकिन एफडीआई की शर्तो को देखते हुए इसमें कुछ बदलाव की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने कहा कि एफडीआई की शर्तों के मुताबिक दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों में रिटेल स्टोर खोलने के लिए राज्य सरकारों से भी अनुमति लेनी होगी ऐसे में भारती के साथ मिलकर हमे सारी योजना बनाने के बाद संयुक्त रूप से सरकार के समक्ष आवेदन करना होगा।उन्होंने भारत में खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर उठ रहे विवाद पर कहा कि इसे लेकर इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। वालमार्ट के स्टोर में जो भी सामान उपलब्ध होंगे उनमें से 90 प्रतिशत सामान वालमार्ट स्थानीय कारोबारियों से ही जुटाएगा। उन्होंने कहा कि हम किसानों और उत्पादकों से सीधे संपर्क साधेंगे और इसके लिए अपनी लाजिस्टिक सेवाओं को मजबूत बनाएंगे।आम लोगों को कम कीमत पर अच्छी चीजें मिल सकेंगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय किराना दुकानों को वालमार्ट से कोई खतरा नहीं होगा। बड़े और छोटे बाजार दशकों से एक साथ चलते रहे हैं यह कोई नई व्यवस्था नहीं है।

मध्यावधि चुनाव हुआ तो बीसेक हजार रुपए खर्च होंगे? कोलगेट और स्पेक्ट्रमघोटालों में कितने लाख करोड़ हजम हो गये? बाकी घोटालों का उल्लेख न भी करें! विदेशी बैंकों में कितना कालाधन जमा है? उद्योगपतियों को हर बजट में कितने लाख करोड़ की छूट दी जाती है? क्या नया जनादेश इससे भी मंहगा है​?

क्या बाजार को या फिर राजनीति को कृषि संकट और उससे होने वाली भुखमरी और आत्महत्याओं की कोई चिंता है? सरकार ने खरीफ फसलों के उत्पादन पर अपना पहला पूर्वानुमान जारी किया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल खरीफ की पैदावार में करीब 10 फीसदी की कमी आ सकती है।इस साल पिछले साल के 9.15 करोड़ टन के मुकाबले करीब 8.5 करोड़ टन चावल की पैदावार होने का अनुमान है। दलहन की पैदावार में करीब 15 फीसदी की कमी आ सकती है।वहीं तिलहन की पैदावार भी 2 करोड़ टन के मुकाबले 1.88 करोड़ टन रहने का अनुमान है। साथ ही कपास की पैदावार पिछले साल के 3.5 करोड़ गांठ से घटकर करीब 3.34 करोड़ गांठ रहने का अनुमान है।
​​
​अरुण शौरी विनिवेश कार्यक्रम को अमली जामा पहनाने वाले हैं और वे खुलकर मनमोहनी सुधारों के हक में है। ममता बनर्जी केंद्र सरकार से समर्थन वापसी के बाद दिल्ली में जनांदोलन शुरू करनेवाली हैं, पर उनका वित्तमंत्री विदेशी निवेश के सबसे बड़े प्रवक्ताओं में हैं जो अर्थशास्त्री होने के ​​अलावा बाहैसियत फिक्की भारतीय उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी हैं। तो क्या राजनीति जनता के लिए बाजार के खिलाफ खड़ी हो सकती है?सनद रहे, विदेशी पूंजी का अबाध प्रवाह सुनिश्चित करने के बाद सामाजिक योजनाओं में सरकारी खर्च बढ़ाकर बाजार का विस्तार अगला ​​सरकारी कार्यक्रम है।हर हाथ में मोबाइल है और अब  दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि मोबाइल फोनधारकों को अगले साल से रोमिंग शुल्क नहीं देना होगा। उपभोक्ताओं की बल्ले-बल्ले!सरकार ने करीब 80 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत देते हुए महंगाई भत्ते में 7 फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इस योजना से केंद्र सरकार के खजाने पर सालाना करीब 7,408 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी 1 जुलाई 2012 से प्रभावी होगी। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता अब 65 फीसदी से बढ़कर 72 फीसदी हो गया है। इससे 55 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा।साथ ही सशस्त्र सेना कर्मियों के लिए पेंशन से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को बढाकर मूल वेतन का 72 प्रतिशत किया गया है। सरकारी बयान में कहा गया है कि महंगाई भत्ते में यह वृद्धि एक जुलाई 2012 से प्रभावी होगी।सरकार जिनके जरिये काम करती है, वे खुश रहें, तो बाकी लोगों की परवाह क्यों? शहरों में आवास की समस्या से निपटने में सरकार काफी हद तक कामयाब रही है। आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में 2012 तक घरों की कमी सिर्फ 23 फीसदी रह गई है। वहीं 2007 में ये आंकड़ा 37 फीसदी पर था।आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के मुताबिक चुनौतियां अभी बाकी है और आने वाले 5 सालों में करीब 2 करोड़ घरों की कमी होगी। इस में सबसे ज्यादा घरों की जरूरत बहुत कम आय वाले लोगों के लिए होगी।कर्ज भले ही सस्ता हो गया हो पर आपका हेल्थ इंश्योरेंस जल्द महंगा होने वाला है। देश की बड़ी इंश्योरेंस कंपनी में से एक ओरिएंटल इंश्योरेंस ने कहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम जल्द ही 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके लिए कंपनी ने इंश्योरेंस सेक्टर रेगुलेटर इरडा से इजाजत भी मांगी है।ओरिएंटल इंश्योरेंस के मुताबिक पिछले 6 साल से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम नहीं बढ़े हैं लेकिन कंपनियों की लागत लगातार बढ़ रही है। हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट में ओरिएंटल इंश्योरेंस का हिस्सा 60 फीसदी है।

जमीन अधिग्रहण बिल पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक 27 सितंबर को होगी। इस समूह में 12 सदस्य होंगे और इसकी अध्यक्षता कृषि मंत्री शरद पवार करेंगे।

जमीन अधिग्रहण बिल की कुछ शर्तों पर 5 मंत्रियों के असहमत होने के बाद कैबिनेट ने ये बिल जीओएम को भेजा है। अगर जरूरत हुई तो जीओएम इस बिल की शर्तों में बदलाव करने पर सुझाव देगा।

सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में जमीन अधिग्रहण बिल को पारित कराना चाहती है। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने अतिरिक्त सरकारी जमीनों की बिक्री के लिए ई-ऑक्शन करने की सिफारिश की है। सरकारी जमीन की बिक्री के देखरेख के लिए समिति गठित की जाएगी। ये समिति पीएसयू की जमीनों की बिक्री की भी निगरानी करेगी। सरकारी जमीन की बिक्री को लेकर नीति बनाने के लिए कैबिनेट नोट जारी कर दिया गया है।

सरकार ने जमीन अधिग्रहण बिल के तहत जिन शर्तों को जोड़ा है वो इस प्रकार हैं। जमीन अधिग्रहण बिल के मुताबिक जमीन अधिग्रहण के 3 महीने के भीतर किसानों को मुआवजा देना होगा। जमीन अधिग्रहण बिल के तहत यूज ऑफ लैंड को बदला नहीं जा सकता है मतलब जमीन जिस मकसद से अधिग्रहण की गई है उसे किसी और प्रोजेक्ट में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

अगर जमीन का इस्तेमाल रेल, हाइवे जैसे लीनियर प्रोजेक्ट के लिए किया जाना है तो एक से ज्यादा फसल वाली जमीन का भी अधिग्रहण किया सकता है। मौजूदा बिल के मुताबिक अगर जमीन का इस्तेमाल 10 साल तक नहीं होता है कि उसे जमीन के मालिक को लौटाने की बजाय राज्यों के लैंड बैंक में शामिल कर दिया जाएगा।

शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाते हुए कहा कि यदि मनमोहन सिंह ममता बनर्जी जैसे अपने सहयोगी को खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर नहीं समझा पाए तो इस बात की बिल्कुल संभावना नहीं बनती कि वह जनता को समझा लेंगे।'सामना' के मुखपत्र संपादकीय में ठाकरे ने कहा है कि 21 सितंबर को प्रसारित प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन सबसे हास्यास्पद और अभूतपूर्व था। उन्होंने कहा कि खुदरा में एफडीआई के कदम ने देश के व्यापारिक समुदाय को नाराज कर दिया है।ठाकरे ने कहा है कि इसके अलावा डीजल कीमतों में वृद्धि ने भी आम आदमी को ज्यादा पीड़ित किया है। इससे गरीबों के घर का चूल्हा बंद हो जाएगा। इसके बावजूद प्रधानमंत्री लोगों से आह्वान करते हैं कि वो उनका हाथ मजबूत करें। ठाकरे ने जनता को यह बताने के लिए मनमोहन सिंह की खिल्ली उड़ाई है कि 'रुपये पेड़ों पर नहीं लगते'।ठाकरे ने कहा कि जहां प्रधानमंत्री अत्यधिक वित्तीय संकट में होने की बात करते हैं, वहीं वह दरियादिली भी दिखाते हैं। ठाकरे ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दी गई रियायतों , खाद्य सुरक्षा पर सरकारी खर्च पर और मनरेगा पर सवाल खड़े किए। ठाकरे ने अनुमान जाहिर किया कि हम नहीं कह सकते कि प्रधानमंत्री का हाथ कितना मजबूत हुआ है। लेकिन देश की जनता मजबूत है और निश्चित रूप से कांग्रेस को सत्ता से बाहर फेंक देगी।

देश में निवेश को आकर्षित करने और कई सुधारवादी कदम उठाने के बाद सरकार ने आज बिजली वितरण कंपनियों के कर्ज पुनर्गठन प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा इस क्षेत्र को बड़ी राहत दी है। करीब एक दशक पहले भी केंद्र सरकार इसी तरह की पहल करते हुए राज्य बिजली बोर्डों के बकाया के लिए एक बारगी निपटान योजना लाई थी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के कर्ज पुनर्गठन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

वैसे चीनी की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं, उस पर अंदेशा यह है कि राशन की चीनी भी महंगी हो सकती है। यानी आम आदमी की थाली से सब्जी की तरह चाय में से शक्कर गायब होने की नौबत आ सकती है। कुल मिलाकर महंगाई विकराल रूप धारण करने को है!सरकार अब राशन की दुकानों पर मिलने वाली सस्ती चीने के दाम भी बढ़ाने की तैयारी कर रही है। सरकार के मुताबिक शक्कर की कीमत 13.20 रु से बढ़ाकर 25 रु किलो करने का प्रस्ताव है।सोमवार को होने वाली केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कायापलट हो सकती है। सू्त्रों के मुताबिक मौजूदा वितरण प्रणाली में लगभग 62 प्रतिशत का रिसाव है। चीनी के तेज़ी से बढ़ते दामों की जांच करने के लिए अब सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 42,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। नई प्रणाली में उपभोक्ताओं को एसएमएस के द्बारा राशन स्टाक की जानकारी दी जाएगी।

इसी के मध्य साख निर्धारण करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने मौजूदा वर्ष के भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान को पहले के 6.5 प्रतिशत की तुलना में एक प्रतिशत घटाकर साढ़े पांच प्रतिशत कर दिया है।सी रंगराजन के मुताबिक सुधार के संकेत दिख रहे हैं और 6 महीनों में अर्थव्यवस्था की हालत सुधरेगी।संस्था ने सोमवार को अपने बयान में कहा है कि हालांकि साल के दौरान एशिया प्रशांत के क्षेत्र में विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत रफ्तार रहेगी। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने इसी साल अप्रैल में भारत की साख को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किया था।गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एक तिमाही पहले के 5.3 प्रतिशत की तुलना में थोड़ा सुधार नजर आया था और यह 5.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी थी। संस्था ने चीन की जीडीपी को भी आधा प्रतिशत घटाकर 7.5 प्रतिशत और जापान की दो प्रतिशत की है। दक्षिण कोरिया की जीडीपी ढाई प्रतिशत, सिंगापुर की 2.1 प्रतिशत और ताईवान की 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।क्रिसिल पहले ही भारत के जीडीपी अनुमान को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर चुका है। एचएसबीसी ने भी जीडीपी अनुमान कम किया है। योजना आयोग ने हाल में संपन्न अपनी पूर्ण बैठक में 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जीडीपी के अनुमान को पहले के नौ प्रतिशत की तुलना में कम कर 8.2 प्रतिशत किया है।

रिटेल में एफडीआई, महंगे डीजल और सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों के मुद्दे पर केंद्र से समर्थन लेने वाली ममता बनर्जी अब सरकार के निशाने पर आ गई हैं। कड़वी गोलियों जैसे सख्त आर्थिक सुधार के फैसले ले रही सरकार ने अब कहा है कि यह काम पहले ही शुरू हो जाता, लेकिन ममता बनर्जी की तणमूल कांग्रेस और उसके जैसी अन्य पार्टियों की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि यदि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों का दबाव सरकार पर नहीं होता, तो रिटेल में एफडीआई, डीजल मूल्य वृद्धि और सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडरों पर नियंत्रण जैसे आर्थिक सुधार के फैसले पहले ही हो जाते। उन्होंने कहा, 'ये निर्णय पूरी तरह से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले हैं। यदि आर्थिक सुधार के ये फैसले पहले ले लिए गए होते, तो अब तक इनका असर दिखाई देने लगता।'

उन्होंने दावा किया कि यूपीए सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। कांग्रेसी नेता ने कहा, 'हमारी सरकार पूर्ण बहुमत में है और लोकसभा में इसके पास तीन सौ से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। इनमें उन पार्टियों के सांसद भी हैं, जो यूपीए को बाहर से समर्थन दे रही हैं।' उल्लेखनीय है कि 545 के सदन में सरकार को स्थिर बने रहे के लिए 273 सांसदों की आवश्यकता है।

एक कार्यक्रम के बाद आजाद यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों का पूरी ताकत से बचाव किया और कहा कि ये कदम अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं। आजाद ने कहा, 'प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि ये प्रसास नहीं किए गए तो 1991 के जैसे आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं जब देश का सोना तक गिरवी रखने की नौबत आ गई थी।' उन्होंने कहा, 'ऐसे समय जबकि पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का सामना कर रही है, भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को कामयाबी के साथ संतुलित रखा है।'

सरकार के समर्थन में शौरी

भाजपा भले ही डीजल की कीमतों में वृद्धि और रिटेल में एफडीआई का जमकर विरोध कर रही हो लेकिन उसके वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने इन्हें जायज ठहराते हुए वक्त की मांग बताया है। उन्होंने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी समय की जरूरत है। शौरी के अनुसार रिटेल में एफडीआई पर हो रहा हंगामा बेकार है क्योंकि इससे न किसी को नुकसान होगा और न फायदा। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यह कहते हुए तारीफ की कि 'पहली बार उन्होंने ने अपनी ताकत दिखाई है।

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk