यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एकजुट!
यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एकजुट!
सरकार नहीं गिरेगी, इससे आश्वस्त डा. मनमोहन सिंह, उनकी सरकार और कारपोरेट अर्थशास्त्री नरसंहार के एजंडे को अमल में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले। भारतीय जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी सर्वात्मक आक्रमण में इतनी तेजी कभी नहीं देखी गयी।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पाकिस्तान के अधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह की क्रांतिकारी भावना और इस उपमहाद्वीप में ब्रितानी शासकों के खिलाफ उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए पूर्वी शहर लाहौर में एक चौराहे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखा है। अधिकारियों ने बताया कि शदमान चौक को अब भगत सिंह चौक के नाम से जाना जाएगा। उल्लेखनीय है कि मार्च 1931 में लाहौर जेल में भगत सिंह को फांसी दे दी गई थी। यह वही स्थान है जहां बाद में चौराहा बनाया गया।लेकिन शहादेआजम भगत सिंह अब हमारे नायक नहीं है। होते तो विदेशी कंपनियों की गुलामी में जीने के लिए हम इतने बेताब नहीं होते।जिस साम्राज्यवाद के खिलाफ जल जंगल जमीन के हक हकूक के लिए भगत सिंह और दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने शहादतें दी है, खुले बाजार बने देश को उसी वैस्विक साम्राज्यवाद के हवाले कर दिया है सत्तावर्ग ने और हमारे रगों में खून नहीं खौलता।
अश्वमेध यज्ञ थमने के आसार नहीं है। ममता दिल्ली से विदेशी पूंजी के खिलाफ जंग लड़ने के लिए दिल्ली में है तो वामपंथी उनपर तीखा प्रहार करने में लगे हैं। जबकि यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एक जुट हैं। सरकार नहीं गिरेगी, इससे आश्वस्त डा. मनमोहन सिंह, उनकी सरकार और कारपोरेट अर्थशास्त्री नरसंहार के एजंडे को अमल में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले। भारतीय जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी सर्वात्मक आक्रमण में इतनी तेजी कभी नहीं देखी गयी।शायद यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसी राज्य के मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन होगा।सोशल मीडिया जैसे ट्विटर, फेसबुक और बंगाल में सार्वजनिक सभाओं के माध्यम से उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए पहले ही कह दिया है कि 'आर्थिक सुधार के नाम पर केंद्र सरकारलोगों को लूट रही है।' उसके बाद बनर्जी अपना विरोध प्रदर्शन संप्रग के द्वार पर लाने जा रही हैं। टेलीविजन पर जारी उनके बयान को कोलकाता में बड़े पर्दों पर दिखाए जाने की संभावना है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के आर्थिक सुधारों- खुदरा क्षेत्र में एफडीआई, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमा तय किए जाने और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ 1 अक्टूबर को प्रदर्शन करेंगी। इसके उलट जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राजग संयोजक शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अभी आराम से रहें। हम संसद में संप्रग के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएंगे, लेकिन यह तय है कि अगले चुनाव में मनमोहन हवा हो जाएंगे। जनता हमेशा के लिए उन्हें सबक सिखा देगी।'राजनीति में नैतिकता के महत्व पर जोर देते हुए यादव ने कहा, 'जब हवाला कांड में मेरा नाम घसीटा गया तो मैंने कोर्ट का फैसला आने से पहले इस्तीफा दे दिया। बाद में अदालत से क्लीन-चिट मिली। इस बीच मैं प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन देवगौड़ा बने।' शरद यादव ने रविवार को पटना में एफडीआइ से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार यात्रा जैसे विषयों पर अपनी बातें रखीं। कहा कि वह दिल्ली में ममता बनर्जी की रैली में शामिल होंगे। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जनता को जागरूक करने देश में हर जगह जाएंगे। मनमोहन ने इंदिरा गांधी को भी पीछे छोड़ दिया है। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी तो इसे वापस भी ले लिया था। मनमोहन ने तो एफडीआइ के जरिए 25 करोड़ लोगों के पेट पर ताला लगाने का काम किया है। 2जी स्पेक्ट्रम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि पॉलिसी का मतलब यह नहीं कि लूट की छूट हो। कोयले की भी लूट हुई है। आवंटित कोल-ब्लॉक का 10 प्रतिशत नवीन जिंदल के पास है, जो कांग्रेस सांसद हैं। उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 58,000 करोड़ हो गया है, जो सरकारी कंपनी 'सेल' के 38,000 करोड़ के टर्न-ओवर से बहुत अधिक है। अभी एक पखवाड़े पहले ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सबसे बड़े सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था।बनर्जी शनिवार से ही दिल्ली में हैं। उनके साथ 19 सांसद मिलकर एक बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं। दिलचस्प है कि यहीं पर वाम दलों के साथ समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और तेलगूदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी 20 सितंबर के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान विरोध प्रदर्शन किया था और गिरफ्तारी दी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाइन अमेरिकापरस्त और इजराइल समर्थक है। मनमोहन सिंह ने जो कारपोरेट आर्थिक क्रांति कर दी, उसकी नींव तो वाजपेयी की विदेश नीति से मजबूत हुई। वाजपेयी भले ही अस्वस्थता के कारण अब सियासत में सक्रिय न हों, लेकिन भाजपा उन्हीं की राजनीतिक लाइन पर चलती रहेगी। आगामी चुनाव के लिए कमर कस चुकी पार्टी की सूरजकुंड बैठक से तो यही संकेत मिला है। वाजपेयी की लाइन पर चलते हुए भाजपा ने एनडीए प्लस की योजना पर अमल करने के लिए सूरजकुंड बैठक में विवादित मुद्दों से दूरी बना ली।अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का संकल्प हो या कश्मीर में धारा 370 हटाने का मामला, सूरजकुंड में इन विवादित मुद्दों को लेकर एक शब्द भी सुनाई नहीं दिया। भाजपा का सबसे ज्यादा जोर केंद्र की यूपीए सरकार को कोसने पर रहा। इसी के साथ एनडीए शासन में अटल सरकार की उपलब्धियों का भी बखान होता रहा।लेकिन यह मामला गरजने तक सीमित है, बरसने की कोई योजना नहीं है।
एअर इंडिया को बेचने की पूरी तैयारी हो गयी है। नीति तैयार है, अमल में लाने की देरी है। इसके बाद स्टेट बैंक आफ इंडिया और जीवन बीमा निगम की बारी। विमानन क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की छूट का मकसद ही था कि एअर इंडिया को बेच दिया जाये और निजी विमानन कंपनियों को राहत दे दी जाये, जो संकट में हैं।घाटे में चल रही राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया का आंशिक रूप से निजीकरण किया जाना चाहिए। कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेशक कंपनी के मुनाफे को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे और साथ ही वे उसकी परिचालन संबंधी समस्याओं को भी हल करने का प्रयास करेंगे।भारतीय कंपनी मामलों के संस्थान (आईआईसीए) की अध्ययन रिपोर्ट नागरिक उड्यन क्षेत्र का प्रतिस्पर्धा ढांचा में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा एयरलाइन के परिचालन के लिए पूंजी लाने से एयर इंडिया के कुछ परिचालनगत मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। वहीं सरकारी धन का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए हो सकेगा।हालांकि, नागरिक उड्यन मंत्री अजित सिंह ने हाल में एयर इंडिया के निजीकरण की संभावना से इनकार किया है, क्योंकि सरकार एयरलाइन के पुनर्गठन के लिए 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाल रही है।आईआईसीए ने विमानन क्षेत्र के प्रतिस्पर्धा संबंधी मुद्दों के विश्लेषण के लिए नाथन इंडिया को सलाहकार नियुक्त किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एयर कारपोरेशन एक्ट 1953 के कानूनी ढांचे के अनुसार सरकार राष्ट्रीय एयरलाइन को पूंजीगत खर्च के लिए धन उपलब्ध करा सकती है और साथ ही संभावित राहत पैकेज भी दे सकती है।उधर,वेतन नहीं मिलने पर किंगफिशर एयरलाइंस के अभियंताओं का एक समूह रविवार की शाम हड़ताल पर चला गया जिससे उड़ानें प्रभावित हो रही हैं।किंगफिशर सूत्रों ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के अभियंता रविवार शाम से हड़ताल पर चले गए हैं। वह अपने सात महीने के बकाया वेतन का तुरंत भुगतान चाहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि हड़ताल के कारण कुछ उड़ानों में देर हुई है। फिलहाल प्रबंधक रैंक के अभियंताओं की सेवाएं ली जा रही हैं। डीजीसीए के नियमों के मुताबिक अभियंता द्वारा प्रमाणित नहीं होने पर विमान उड़ान नहीं भर सकता है।
भारत सरकार की आर्थिक नीतियां अब जनहित में नहीं, बाजार के हित में बनती है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारतीय रिजर्व बैंक की है। कृषि या औद्योगिक उत्पादन में सुधार कोई प्राथमिकता नहीं है। उद्योगपतियों को छूट खत्म करके राजस्व घाटा और विदेशी कर्ज कम रकरने की कोई कोशिश नहीं है। सरकारी खर्च सामाजिकयोजनाओं के बहाने बढ़ाकर उपभोक्ता भाजार के विस्तार की रणनीति है।इसीके तहत भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा ने बीजिंग में कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक नरमी से अधिक तेजी से उबर सकता है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यत: घरेलू खपत से संचालित चलती है। पर उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि देश को अपना घर अच्छी तरह संभाल कर चलना होगा। सिन्हा ने बातचीत में कहा कि निराशा की भावना तथा उत्साह के स्तर में कमी जैसे विश्वाव के कारकों से भी अर्थव्यवस्था प्रभावित करता है।उन्होंने कहा कि चीन व भारत की दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर वैश्विक आर्थिक नरमी का असर रहा है लेकिन मुख्यत: घरेलू खपत से संचालित अर्थव्यवस्था के कारण भारत तेजी से उबर सकता है। एक सवाल में जवाब में सिन्हा ने कहा कि लेकिन इसके लिए हमें अपने घर को अच्छी तरह संभाल कर चलना होगा। घरेलू अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहते हुए हम निर्यात क्षेत्र के प्रदर्शन से कम प्रभावित होंगे। यह हमारी ताकत सबित हो सकती है। लेकिन हमें अपने सारे प्रयासों के बीच तालमेल बिठाना होगा।इस सवाल पर कि आर्थिक वृद्धि में नरमी पर काबू पाने के लिए भारत को क्या कदम उठाने चाहिए तो सिन्हा ने कहा कि हमें मुद्रास्फीति पर काबू करना पाना होगा। अगर हम इस पर काबू पा लेते हैं तो वृद्धि परिदृश्य अच्छा होगा। एक बार वृद्धि शुरू होने के बाद स्थितियां बेहतर हो जाती हैं। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति दहाई अंक में 10.03 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक बार बार कहता रहा है कि उसकी मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने पर केंद्रित रहती है।
सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) से जुड़े कराधान मुद्दों को देख रही पार्थसारथी शोम समिति सोमवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सौंप सकती है।वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पार्थसारथी शोम समिति की अंतिम रिपोर्ट एक अक्टूबर, 2012 को वित्त मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जुलाई में कर विशेषज्ञ पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति को गार पर विदेशी एवं घरेलू निवेशकों की चिंताओं का समाधान निकालने का काम सौंपा गया। समिति चिदंबरम को अपनी रिपोर्ट का मसौदा एक सितंबर को सौंप चुकी है।सरकार ने बाद में विशेषज्ञ समिति का दायरा बढ़ाकर उसमें अनिवासी करदाताओं की चिंताओं को भी शामिल कर दिया।
इसी बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार से केजी-6 फील्डस से उत्पादित गैस की कीमत एक अप्रैल, 2014 से तीन गुनी करने का प्रस्ताव किया है। इससे गैस का दाम 13 डॉलर प्रति यूनिट के आस-पास तक जा सकता है।अभी कंपनी को अपनी गैस सरकार नियंत्रित 4.205 डॉलर प्रति इकाई के भाव पर बेचना पड़ रहा है जहां एक इकाई 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) ऊर्जा के बराबर है। जबकि बाजार में इस समय गैस का दाम इसका तीन गुना तक है।आरआईएल की इस परियोजना में दस प्रतिशत की साक्षेदार निको रिसोर्सेज ने कहा है कि जून, 2012 में आपरेटर (आरआईएल) ने कच्चे तेल के मूल्य मूल्य पर आधारित फार्मूले के अनुसार गैस मूल्य तय करने का प्रस्ताव सरकार को सौंपा है। यह प्रस्ताव एक अप्रैल, 2014 से बिक्री के नए अनुबंधों के संबंध में है।कंपनी ने कहा कि अगर इस फार्मुले को मंजूरी मिल जाती है तो इससे 100 डॉलर प्रति बैरल के कच्चे तेल के आधार पर गैस की दर 13 डॉलर प्रति यूनिट तक होगी।
वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर विजय केलकर समिति की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े नाजुक दौर से गुजर रही है। लगातार दूसरे साल राजकोषीय घाटा एक बड़े अंतर से अपने बजटीय लक्ष्य से चूक सकता है- यह सकल घरेलू उत्पाद का 6.1 फीसदी रह सकता है जो बजट अनुमान से पूरा एक फीसदी अधिक है। भारत में एक जनसांख्यिकी उभार देखने को मिल रहा है, हर साल लाखों लोग कामगार फौज में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में विकास में तेजी लाने के लिए वित्तीय प्रयासों की जरूरत होगी, अन्यथा जनसांख्यिकी लाभ एक श्राप बन जाएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो लगभग 1991 जैसा संकट पैदा हो सकता है। समिति ने 2012-13 में राजकोषीय घाटा कम कर जीडीपी का 5.2 फीसदी करने का सुझाव दिया है। हालांकि इनमें से कुछ सुझाव जिनमें कर नीति पर भी सुझाव शामिल है, के लिए कानून में बदलाव लाने की जरूरत होगी। सुझाव दिया गया है वह यह है कि संप्रग सरकार प्रत्यक्ष कर विधेयक पर धीरे कदम बढ़ाए। कर और जीडीपी के अनुपात को बढ़ाने की जरूरत है, इसे निकट अवधि में कम करने की नहीं। रिपोर्ट में सबसे खास बात यह दोहराना है कि खाद और ईंधन सब्सिडी को हमेशा जारी नहीं रखा जा सकता (और यह कि खाद्य सब्सिडी को तत्काल नहीं बढ़ाया जाना चाहिए)। साथ ही धीरे धीरे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करना जरूरी है और इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए। साथ ही सरकारी खरीद की ऊंची दर को ध्यान में रखते हुए राशन की दुकानों पर मिलने वाले खाद्य उत्पादों के दाम भी बढ़ाने होंगे।
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