उत्पीड़न के शिकार अहिंदू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार और नागरिक आधिकार भारतीय गणतंत्र में कितना सुरक्षित है!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
उत्पीड़न के शिकार अहिंदू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार और नागरिक आधिकार भारतीय गणतंत्र में कितना सुरक्षित है, इसकी कायदे से खोज पड़ताल की जाये तो हैरतअंगेज नतीजे सामने आते हैं।हिंदुत्व की विचारधारा सरकार और प्रशासन के हर स्तर पर इतने महीन तरीके से काम कर रही है कि वंचितों खासकर अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए न्याय सबसे दुर्लभ हो गया है। असमानता और वैषम्य अपनी जगह है, लेकिन पीड़ितों के साथ भेदभाव की स्थिति सबसे भयावह है।
वैषम्य के खिलाफ स्वतंत्रता से पूर्व देशभर में दलित मूलनिवासी आंदोलन के तेज होने के बाद हिंदुत्व की विचारधारा सामने आयी जिसका अंतिम लक्ष्य हिंदू राष्ट्र है और घोषित शत्रू गैर हिंदू तमाम जमात शासकर मुसलमान और ईसाई है। पर वास्तव में यह मनुस्मृति व्यवस्था के लिए अछूतों औ पिछड़ों के बिना शर्त समर्थन हासिल करने और उसे जायज ठहराने की अचूक रणनीति है। आरक्षण विरोधी आंदोलनों, सिखों के नरसंहार, राम मंदिर आंदोलन और गुजरात नरसंहार के जरिये हिंदुत्व की विचारधारा और आंदोलन को नई शक्ति और ऊर्जा मिली है।बाबासाहेब अंबेडकर के आर्थिक विचारों का परित्याग करके आईडेंटीटी पालिटिक्स और सोशल इंजीनियरिंग में भागेदारी के परिमाम स्वरूप दलित और मूलनिवासी आंदोलन हाशिये पर है और अलग अलग द्वीपों में बंटा है, जिसका मामूली असर भी नहीं है। समाज और संस्कृति के ब्राह्मणीकरण,खुला बाजार की अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर ब्राह्मणीवर्चस्व से अछूत, आदिवासी और पिछड़े समुदायों के बड़े अंश ने हिंदुत्व की विचारधारा के आगे आत्म समर्पण कर दिया है। इसलिए मनुस्मृति व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित हो गयी है और निशाने पर अल्पसंख्यक हैं। हिंदुत्व आंदोलन ने मुसलमानों और दीगर अल्पसंख्यकों के प्रति लगातार जो घृणा अभियान छेड़ा हुआ है, उससे सामाजिक न्याय और जाति उन्मूलन के मुद्दे गैरप्रासंगिक हो गये हैं। अंबेडकर की पूजा होती है जिससे हिंदुत्व के एजंडे को कोई फर्क नहीं पड़ता है।लेकिन अंबेडकर की विचारधारा को कचरापेटी में डाल दिये जाने के नतीजतन आज दलित आदिवासी और पिछड़े हिंदुत्व के एजंडे के मुताबिक मुसलमानों, ईसाइयों और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ लाम बंद हैं।
सरकारी कामकाज और प्रशसन के बर्ताव में इसका गहरा असर हुआ है। १९८४ में आपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखविरोदी ङिंसा में इस प्रवृत्ति की खतरनाक अभिव्यक्ति हुई थी, जो गुजरात नरसंहार में दोहरायी गयीं। पर देश की सिविल सोसाइटी, मीडिया, लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष ताकतों ने लगता है कि हिंदुत्व की दलित आदिवासी पिछड़ा विरोधी मनुस्मृति पोषक हिंदुत्व की सांप्रदायिकता की मार्केटिंग का कायदे से विश्लेषम नहीं किया।उत्तरप्रदेश में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से मनुस्मृति विरोधी राजनीति में हिंदुत्व का वर्चस्व कायम होने लगा है, जिससे उत्तर प्रदेश समेत समूचे उत्तरभारत में अल्पसंख्यकों की जीना हराम हो गया है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना ससंद के द्वारा 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के नियमन के साथ हुई थी।कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 23 अक्टूबर, 1993 को अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक समुदायों के तौर पर पांच धार्मिक समुदाय यथा मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध तथा पारसी समुदायों को अधिसूचित किया गया था। 2001 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या में पांच धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिषत 18.42 है ।इस सिलसिले में मानवाधिकार जन निगरानी समिते के अध्ययन गौरतलब है:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित विशेष कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सांप्रदायिक ताक़तों पर कटु हमला किया. उन्होंने कहा कि वे सभी संगठन, विचारधाराएं एवं व्यक्ति, जो हमारे इतिहास को तोड़ते-मरोड़ते हैं, धार्मिक पूर्वाग्रहों को हवा देते हैं और धर्म के नाम पर आमजनों को हिंसा करने के लिए उकसाते हैं, देश के लिए विनाशकारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हर प्रकार की सांप्रदायिकता से लोहा लिया है, चाहे उसका स्रोत कोई भी संगठन रहा हो।बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों की सांप्रदायिकता में कोई फर्क़ नहीं है और देश के लिए दोनों ही बराबर ख़तरनाक हैं।सोनिया के इस बयान पर प्रसिद्ध चिंतक राम पुनियानी जी का मंतव्य गौर तलब है। उन्होंने कहा है कि यद्यपि यह वक्तव्य स्वागत योग्य है, परंतु अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक वर्गों की सांप्रदायिकता के बीच कोई विभेद न करने का सोनिया गांधी का दृष्टिकोण उचित नहीं जान पड़ता।सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष को उनके पति के नाना एवं आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचार याद दिलाना आवश्यक है। पंडित नेहरू ने कहा था कि यद्यपि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक, दोनों ही वर्गों की सांप्रदायिकता बुरी है, तथापि बहुसंख्यक वर्ग की सांप्रदायिकता देश के लिए कहीं अधिक घातक है, क्योंकि वह राष्ट्रवाद का लबादा ओढ़े रहती है। अल्पसंख्यक वर्ग की सांप्रदायिकता अधिक से अधिक विघटनकारी प्रवृत्तियों को जन्म दे सकती है। वह बहुसंख्यक वर्ग की सांप्रदायिकता को भड़काती भी है और उसे वे बहाने देती है, जिनके सहारे उस वर्ग विशेष के सांप्रदायिक तत्व अपनी गतिविधियां बढ़ाते जाते हैं. लेकिन यह मानना अनुचित होगा कि अगर अल्पसंख्यक वर्ग न भड़काए तो बहुसंख्यक वर्ग की सांप्रदायिक ताक़तें निष्क्रिय रहेंगी। वे तब भी वही करेंगी, जो भड़काए जाने पर करती हैं.अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता को एक ही पलड़े पर तौलना कांग्रेस की उन धर्मनिरपेक्ष नीतियों के विरुद्ध है, जिनकी नींव पंडित नेहरू ने रखी थी। हमारे देश में सांप्रदायिक राजनीति और सांप्रदायिक हिंसा दोनों के पीछे बहुसंख्यक वर्ग की सांप्रदायिकता है। बहुसंख्यक सांप्रदायिकता का प्रभाव क्षेत्र अत्यंत व्यापक है, उसने समाज के सोचने के तरीक़े को बदल दिया है, उसने देश का ध्यान आम लोगों की मूल आवश्यकताओं से हटाकर राम मंदिर जैसे अनावश्यक मुद्दों पर केंद्रित कर दिया है। शाहबानो मामले को अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताक़तों ने बहुत उछाला था और इससे निश्चित रूप से देश को हानि हुई थी, परंतु यह हानि राम मंदिर आंदोलन के कारण देश को हुए नुक़सान के सामने कुछ भी नहीं थी। राम मंदिर आंदोलन ने पहले समाज को धार्मिक आधार पर विभाजित किया, फिर बाबरी मस्जिद को ढहाया और उसके बाद देश भर में मुसलमानों के ख़िला़फ भयावह हिंसा की। अलबत्ता दोनों प्रकार की सांप्रदायिकता में कुछ समानताएं भी हैं. दोनों ही सामंती और मध्यम वर्ग के हितों की पैरोकार हैं। ये वे वर्ग हैं, जो अपने विशेषाधिकार और समाज में अपनी उच्च स्थिति को बनाए रखना चाहते हैं।
इसके उलट हिंदुत्ववादी दलील कुछ इस तरह होती है:
आज इस्लाम को आतंकवाद के घिनौने शब्द से विश्व-बिरादरी जोड़कर देख रही है। विभिन्न हिस्सों में पनप रहे आतंक के स्वरूप में अधिकांश संगठन "जिहाद" के नाम पर, मजहब के नाम पर मुसलमानों के जहन में नफरत पैदा कर उन्हें अतिवादी सोच की ओर ढकेल रहे हैं। कभी पश्चिमी सभ्यता के खिलाफ, कभी भारतीय संस्कृति के खिलाफ बरगला कर अपने नापाक मन्सूबों को अन्जाम दे रहे हैं। चन्द कट्टरपन्थी तन्जीमे आतंकवादी घटनाओं के जरिये विश्व सभ्यता को नष्ट करने में जरा भी हिचक नहीं दिखा रही हैं। अधिकांश घटनाओं में मुस्लिम कट्टरपन्थी संगठनों का हाथ होने के कारण, विश्व के अधिकांश मुखिया इन्हें "इस्लामी आतंकवाद" का नाम देकर सारे मुसलमानों को एक ही नजरिये से देख रहे हैं।
हालांकि भारत में मुस्लिम वर्ग की स्थिति अन्य देशों से बेहतर है उन्हें लोकतन्त्र में सारे अधिकार प्राप्त है जो बहुसंख्यकों को मिले हुए हैं। बावजूद इसके कहीं न कहीं कट्टरपन्थियों का दबाव समाज पर कुछ हद तक अभी भी बरकरार है। इसी वजह से स्वतन्त्रता के पश्चात आज भी ये वर्ग कुछ खास तरक्की न कर सका। इस गंगा-जमुनी संस्कृति में समाज के अनेक पहलुओं पर बिना समझौता किए, विवेक व सहनशीलता के बिना सामाजिक समरसता व सामंजस्य स्थापित करना एक कठिन काम है।
यही मुस्लिम समाज की प्रगति में बाधक हो रहा है। इसके बिना इस एक तबके को मुख्य धारा में जोड़ना निश्चय ही एक विचारणीय प्रश्न है। जम्मू-कश्मीर में वर्षो से सीमापार आतंकवादी घटनाओं तथा पूर्व में मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद, दिल्ली की तमाम वारदातों से भारतीय मुस्लिम समाज के अन्य तबकों से एक बार पुन: उपेक्षित सा हो गया है। लोगों में मुसलमानों के प्रति सदैव एक आशंका बनी रहती है, इसी कारण मुस्लिम भी अपने को असुरक्षित व असहज महसूस करने लगा है, उसके विश्वास में कमी आई है। अत: आवश्यकता है आज ऎसे मुस्लिम समाज की जो इस्लामिक शिक्षाओं का अनुकरण कर मानवीय मूल्यों पर आधारित ऎसा ढांचा तैयार करे जो अपने पड़ोसियों का दिल जीत सके। आपस में शांति व सहयोग के जरिये आत्मविश्वास जाग्रत कर सके। शंकाओं का निवारण मिल बैठ कर हो। जब भारत का संविधान अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक के समान सारे अधिकार देता है तो अल्पसंख्यकों को भी राष्ट्रीय मसलों पर बहुसंख्यक वर्ग की आस्था का ध्यान रखकर उसे राजनैतिक व सांप्रदायिक नजरिये से न देखते हुए देशहित में जो सही हो, उस पर हम सब की मंजूरी होना चाहिए।
भारत के गृह मंत्रालय के संकल्प दिनांक 12.1.1978 की परिकल्पना के तहत अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई थी जिसमें विषेशरूप से उल्लेख किया गया था कि संविधान तथा कानून में संरक्षण प्रदान किए जाने के बावजूद अल्पसंख्यक असमानता एवं भेदभाव को महसूस करते हैं । इस क्रम में धर्मनिरपेक्ष परंपरा को बनाए रखने के लिए तथा राश्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करने पर विषेश बल दे रही है तथा समय-समय पर लागू होने वाली प्रशासनिक योजनाओं, अल्पसंख्यकों के लिए संविधान, केंद्र एवं राज्य विधानमंडलों में लागू होने वाली नीतियों के सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु प्रभावषाली संस्था की व्यवस्था करना । वर्ष 1984 में कुछ समय के लिए अल्पसंख्यक आयोग को गृह म़ंत्रालय से अलग कर दिया गया था तथा कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत नए रूप में गठित किया गया ।राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना ससंद के द्वारा 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के नियमन के साथ हुई थी।कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 23 अक्टूबर, 1993 को अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक समुदायों के तौर पर पांच धार्मिक समुदाय यथा मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध तथा पारसी समुदायों को अधिसूचित किया गया था। 2001 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या में पांच धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिषत 18.42 है ।
भारत सरकार पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंक्यकों के उत्पीड़न के मामले पर तो मुखर हो जाती है पर भारत में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध निरंतर जारी घृणा अभियान और सांप्रदायिकता के खिलाफ खामोशी बरतते हुए नरम हिंदुत्व के जरिये वोट बैक राजनीति साधती है। पाकिस्तान ौर बांग्लादेश की घटनाएं भारत में मुसलमानों के प्रति हर बार नये सिरे से घृणा अभियान शुरू करने के मौके बनाती है। मसलन पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनकी इच्छा के खिलाफ मुस्लिम लड़कों से शादी कराये जाने और मंदिर एवं गुरूद्वारों को अपवित्र करने की खबरों पर भारत ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह पड़ोसी देशों की सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभायें।विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस बारे में लोकसभा में दिये बयान में कहा कि इस विषय को पड़ोसी देश की सरकार के साथ पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है। पाकिस्तान में, खासतौर पर सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न तथा उन्हें धमकाए जाने की घटनाओं की जानकारी मिली है।उन्होंने कहा कि इसके अलावा पूर्व में हमें अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों का अपहरण कर उनकी हत्या करने और पाकिस्तान में उनके धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने या उनमें अनाधिकृत रूप से प्रवेश करने की खबरें भी मिली हैं।कृष्णा ने कहा कि यह पाकिस्तान सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय भी शामिल हैं, के प्रति अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करे। विदेश राज्य मंत्री प्रनीत कौर ने कहा, सरकार ने बांग्लादेश में मंदिरों और पाकिस्तान में भी मंदिरों तथा गुरूद्वारों को अपवित्र करने तथा वहां पर विध्वंस की घटनाओं से संबंधित रिपोर्टें देखी हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 के शिमला समझौते में विशेष तौर पर एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की व्यवस्था है, फिर भी, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न संबंधी रिपोर्टों के आधार पर सरकार ने विगत में इस मामले को पाकिस्तान के साथ उठाया है।उन्होंने कहा कि भारत द्वारा यह मामला उठाए जाने पर पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वह इस परिस्थिति से पूरी तरह वाकिफ है और अपने सभी नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण की देखरेख करती है।कृष्णा ने सदन को सूचित किया कि पाकिस्तान सरकार की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वहां के राष्ट्रपति ने सिंध प्रांत में मीरपुर मथेलो से एक हिंदू लड़की का अपहरण करके उस क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा उसका धर्मांतरण किए जाने संबंधी रिपोर्टों को गंभीरता से लिया है। राष्ट्रपति ने इस मामले की पारदर्शी एवं त्वरित जांच करने और इस जघन्य अपराध में लिप्त व्यक्ति के खिलाफ, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून सम्मत कार्रवाई करने के लिए कहा है।विदेश मंत्री ने बताया कि पड़ोसी देश में हिंदू लड़कियों के साथ अक्सर होने वाली ऐसी घटनाओं पर वहां के कई संसद सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों तथा सिविल सोसायटी ने भी चिंता जतायी है और देश में अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों की रक्षा करने से संबंधित कानूनों के क्रियान्वयन की मांग की है।पाकिस्तान सरकार द्वारा उसके अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने की उम्मीद जताते हुए कृष्णा ने पाकिस्तानी लोगों और वहां की सरकार से अपील की कि वे अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हुए उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए हर संभव कदम उठाएं।
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मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड
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Save the Universities!
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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
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Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
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By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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