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Monday, July 14, 2014

नेट समय में बुरबक बनाओइंग की मीठी गोली

नेट समय में बुरबक बनाओइंग की मीठी गोली

पलाश विश्वास

आज जनसत्ता के पहले पेज पर पुण्य प्रसूण वाजपेयी ने मोदी का बजट और अमेरिकी मुनाफा शीर्षक आलेख में एकदम सही लिखा है कि मोदी के बजट ने बुनियादी संरचनाओं,रक्षा उपक्रम और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जिस तरह दुनिया को भारत के लिए ललचाया है, उसने मनमोहनइक्नामिक्स से कई कदम आगे छलांग लगा दी है। गौरतलब है कि मीडिया के मुताबिक मंदी से जूझ रही देश की इकोनॉमी के अच्छे दिन वाले हैं। क्योंकि सत्ताव्रग और एकाधिकारी कारपोरेट नजरिए से दरअसल बेसरकारी करण को विनिवेश कहने वाले केसरिया ब्रिगेड के धर्मयोद्धा प्रधानमंत्री की कारपोरेट सरकार ने अपने पहले बजट में साफ कर दिया है कि मुक्तबाजार की  इकोनॉमी की सेहत से कोई समझौता नहीं होगा। और अगर इसके लिए कोई कड़वी दवा की जरूरत होगी तो वो इससे भी नहीं हिचकेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में भरोसा जताया कि वो 4.1 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि पुरानी तारीखों से टैक्स वसूलने का कोई इरादा नहीं है। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि देश 7-8 फीसदी की ग्रोथ जल्द हासिल करेगा।


जनसत्ता के पोर्टल में यह आलेख उपलब्ध नहीं है,वरना हम उसे इस आलेख के साथ नत्थी जरुर करते।


रिटायर होने से पहले मुझे यह लिखते हुए शुकुन मिल रहा है कि शायद जनसत्ता एकमात्र अखबार है,जिसने साफ साफ बजट लीड में लिखा कि यह न मीठी गोली है और न कड़वी।जबकि अपवाद छोड़ दें तो समूचा मीडिया इस राष्ट्रद्रोही बजट को मीठी गोली साबित करने में लगी है।


बजट इम्पैक्ट का ब्यौरा सिर्फ अंग्रेजी के आर्थिक अखबारो में धुआं धुआं है और उस पर शेयर बाजार की सांढ़ संस्कृति।अहमदाबाद में भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह के बेटे जय की कालेज फ्रेंड के साथ सगाई का ब्यौरा सिलसिलेवार है,लेकिन बजटब्लैक आउट घनघोर है।जबकि फिच, सीएलएसए और नोमूरा जैसी टॉप ग्लोबल एजेंसियों को भरोसा है कि बजट में हुईं घोषणाएं इंफ्रा कंपनियों के लिए लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होगी।बिल्डर प्रोमोटर राज का यह सुसमय है।


हर सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश,टैक्स नेटवर्क को कारपोरेटदेशी विदेशी कंपनियों को परेशान न करने का फतवा,डाइरेक्ट टैक्स को़ड,आधार योजना,सेज,इंडस्ट्रीयल कारीडोर,जीएसटी,विनिवेश अश्वमेध,इक्विटी बेसिक कंपनियों को टैक्स राहत,सब्सिडी खत्मकरने की योजना,सामाजिक योजनाओं को रियल्टी से जोड़ने का उपक्रम,बुलेट ट्रेन समेत हीरक बुलेट कारीडोर,सौ स्मार्टसिटीज,श्रम कानूनों और कर प्रणाली में सुधार,स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक बिकने को तैयार,सरकारी बैंकों में सराकी शेयर 51 पीसद से कम कर देना,ओएनजीसी और कोल इंडिया को नीलामी पर चढ़ा देना,रेलवे का निजीकरण,पीएफ पेंशन ग्रेच्युटी को बाजार में खपाना,रोजगार का खात्मा और लंबित परियोजनाओं को हरी झंडी,पर्यावरण निषेध,दश व्यापी भूमि अधिग्रहण और बेदखली का रोडमैप इतने सारे कार्यक्रम बिना प्रतिरोधे,बिना संसदीय राजनीतिक हस्तक्षेप वैदिकी कर्मकांड की विशुद्ध रीति मुताबिक सुसंपन्न और भारतीय मीडिया देश बेचो कार्यक्रम के इस महाकार्निवाल को ब्राजील के विश्वकप में शकीरा जलवा में बदलने को एढ़ी चोटी का जोर लगा रहे है ताकि बकरे की अम्मा को पता ही नहीं चले  कि उसकी खैरिअत दुआएं बेमतलब है और बकरा हलाल है।



गौर करें कि  इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन, रियल्टी सेक्टर के लिए काफी अच्छा बजट है। आरईआईटी को मंजूरी, टैक्स नियमों पर सफाई, पावर कंपनियों के लिए टैक्स हॉलिडे का एक्सटेंशन, रोड डेवलपमेंट के लिए अच्छी पूंजी का आवंटन मिलने से इंफ्रा सेक्टर को काफी राहत मिल सकती है और प्रोजेक्ट्स में तेजी आ सकती है।बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के लिए बॉन्ड जारी करने के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने एसईजेड के रिवाइवल की घोषणा की है। मौजूदा बजट इंफ्रा और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बेहतरीन रहा है। बैंकों को इंफ्रा सेक्टर के लिए कर्ज देने में दिक्कत ना हो इसके लिए वित्त मंत्री ने कदम उठाए हैं।


गौर करें कि काला धन भी मोदी के मैनिफेस्टो में बड़ा एजेंडा था और वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर लगाम लगाने के पूरे उपाय किए जाएंगे। ग्रोथ के रास्ते में सब्सिडी बड़ा स्पीड ब्रेकर है। वित्त मंत्री ने साफ किया कि फूड और ऑयल सब्सिडी जरूरतमंदों को ही दी जाएगी। वित्त मंत्री ने जीएसटी का फॉर्मूला भी इसी साल लाने का भरोसा जताया। यही नहीं, पिछली तारीख से टैक्स पर भी उन्होंने सरकार का स्टैंड साफ कर दिया।इस ऐलान से जाहिर तौर पर विदेशी निवेशकों को काफी राहत मिलेगी। मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में साफ कर दिया कि ग्रोथ उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। संदेश साफ है कि अच्छे दिन तभी आएंगे जब इकोनॉमी दुरुस्त होगी, देश में निवेश बढ़ेगा और रोजगार के मौके पैदा होंगे।


पुनश्चः विदेशी निवेशकों की अटल अडिग आस्था ही मुक्त बाजारी अर्थव्यवस्था की नींव है,उसकी उत्पादन प्रणाली और श्रमशक्ति कतई नहीं।एफआईआई के टैक्स पर सफाई से देश में विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है। वहीं रिटेल निवेशकों के लिए 3-4 साल के नजरिए से बाजार में निवेश का बेहतरीन मौका है।बाजार पिछले 6 महीने से बुल रन में चल रहा है और अगले कुछ महीनों, सालों तक बाजार में बड़ी तेजी बने रहने का अनुमान है। बाजार में गलोबल दिक्कतों या मॉनसून में कमजोरी से होने वाली गिरावट पर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बाजार में दोबारा खरीदारी का मौका होगा।



भाषाई अखबारों में राजनीति की खबरें मनोरंजन और घृणा अभियान बतौर छापी जाती हैं लेकिन राजकाज का खुलासा होता नहीं है। सत्तासंघर्ष ही मीडिया का पेड न्यूज समय है और बुनियादी मुद्दे और खास तौर पर अर्थव्यवस्था और उत्पादन प्रणाली मुख्यधारा मीडिया के लिए गुप्त तंत्र विधी है जिसकी चर्चा निषिद्ध है।


नीति निर्धारण प्रक्रिया का खुलासा नैव नैव च।


कारपोरेट कार्निवाल के केसरिया मुलम्मे है समूचा सूचना तंत्र नेटवर्क।विशुद्ध धर्मोन्माद की यह नील छवि परिष्कार है।


जनसत्ता के संपादकों से मेरे मधुर संबंध नहीं रहे हैं।


मैं माननीय ओम थानवी को उनकी इस संपादकीय नीति के लिए धन्यवाद कहने की हैसियत में नहीं हूं लेकिन एक पाठक और स्वतंत्र नागरिक के हिसाब से देश की जनता तक बजटरहस्य का पर्दा उठाने के लिए सार्वजनिक तौर पर आभार तो व्यक्त कर ही सकता हूं और 25 साल की जनसत्ताई चाकरी के लिए अफसोस न करने की सौगात देने के लिए निजी तौर पर आभार।


जाहिर है कि  बजट पेश होते न होते निषिद्ध नमो को अमेरिका यात्रा के लिए न्यौता के बावजूद यह छुपाने की कोशिश खूब हो रही है कि हिंदुत्व के इस कारपोरेट बजट में देश बेचो का पुख्ता इंतजाम किया गया है।इसी वजह से कारपोरेट दुनिया और जायनी विश्वव्यवस्था मोदी का मुरीद हो गया है।


ब्रिक्स में भारतीय मीडिया नरेंद्र मोदी को विश्वनेता बनाने की मुहिम में जुट गया है,जबकि भारतीय राजनीति की दशा और दिशा पूरे दक्षिण एशिया को मुक्त बाजार का उन्मुक्त आखेटगाह के एजंडे तक सीमित है।


मोदी के विश्वविजय के मध्य लेकिन गाजा पट्टी पर सोमवार को इजरायली हमले के 7वें दिन दो लोगों की मौत हो जाने से अब मृतकों की संख्या बढ़कर 172 हो गई है। हमले में अब तक 1230 लोग घायल हुए हैं। इससे पहले इजरायल ने रविवार को गाजा पट्टी पर हमला किया, जिसमें दस की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र की एक मददगार एजेंसी के मुताबिक, गाजा पट्‌टी स्थित बेत लाहिया शहर में  करीब 70 हजार रिहाइशी लोग घरों को छोड़कर भाग चुके हैं। यूएन ने 17000 फलस्तीनी लोगों के लिए शरणार्थी कैम्पों की स्थापना की है।

वहीं, इजरायली पुलिस ने बताया है कि दक्षिणी लेबनान की ओर से सोमवार इजरायल पर दो रॉकेट दागे गए। शुक्रवार से अब तक लेबनान की ओर से तीन बार इजरायल पर रॉकेट दागे गए। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है। लेबनान की सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रॉकेट आधी रात के बाद दागे गए थे।




तेल युद्ध के विध्वंसकारी हितों से टकराये बिना,गाजा में इजरायली हमले के खिलाफ नेतृत्वकारी भूमिका निभाये बिना,जनसंहारी सुधारों और कालाधन रिसाईकिल वाली एफडीआई के बूते छत्तीस इंच का सीना नेईमार है या फिर मेसी,जो कारपोरेट और रियल्टी का माडल है,राष्ट्रीयता का प्रतीक नहीं।


और यह साबित करने के लिए चाहे वेदों,उपनिषदों,महाकाव्यों,पुराणों,स्मृतियों को नये सिरे से लिख दें भगवा वाहिनी, मगर सत्य वहीं लातिन अमेरिकी मलबा है।जिस नींव पर खड़ा है ग्लोबीकरण का यह हवामहल।


मनमोहन को खारिज करके केसरिया जनादेश प्रकल्प के कार्यभार का समुचित निर्वाह कर दिया गया है।लेकिन अखबारों के पन्नों पर चैनलों में  कड़वी दवा न मिलने के लिए जो सर्वव्यापी हाहाकार रचा जा रहा है,वह नेट समयमें बुरबक बनाओइंग की मीठी गोली के सिवाय कुछ नहीं है।


दरहकीकत दसों गोल दाग दिये गये हैं भारतीय बहुसंख्य जनता के खिलाफ और हम ब्राजील या अर्जेंटीना के विश्वविजय का जश्न मनाते मनाते जर्मन मशीन और तकनीक के कायल हो गये हैं।गौरतलब है कि रियो डि जिनेरियो में रिकॉर्डधारी मिरोस्लोव क्लोस की जगह मैदान पर उतरने वाले मारियो गोएट्जे के अतिरिक्त समय में किए गोल की बदौलत जर्मनी ने आज यहां रोमांचक फाइनल में अर्जेंटीना को 1-0 से हराकर चौथी बार फुटबॉल विश्व कप का खिताब जीता। निर्धारित समय गोलरहित बराबरी पर छूटने के बाद 113वें मिनट में आखिर में वह क्षण आया, जब दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों को बहु प्रतीक्षित गोल देखने को मिला। यह गोल उस गोएट्जे ने किया जिन्हें विश्व कप में सर्वाधिक 16 गोल करने वाले क्लोस की जगह 87वें मिनट में मैदान में भेजा गया था।


हम शकीरा का नृत्य देखते रहे,लाखों अर्जेंटिनी ब्राजीली समर्थकों के शोक में भी शरीक होते रहे,लेकिन ब्राजील के अंतःस्थल में जो रक्तक्षरण है और अर्जेंटीना ब्राजील समेत जो लातिन अमेरिका है,वहां साम्राज्यवाद और मुक्त बाजार के निरंतर प्रतिरोध में किसी भी स्तर पर शामिल होने को तैयार नहीं हैं हम।


कुल मिलाकर हम भारतीय भारत राष्ट्र के नागरिक हैं ही नहीं अब हम वैश्विक मुक्तबाजार के अमेरिकी उपनिवेश ऐसे काले गुलाम हैं जो तमाम अस्मिताओं में बंटा हुआ है और बेजुबान तो है ही,अंधे भी हैं और बहरे भी हैं।


हमें न अपने आस पड़ोस का होश है और न अपने अपने कुंए से बाहर की दुनिया का हवास।सिर्फ सबकुछ भोगल लेने की हवस है और रेतीली आंधी में शुतुरमुर्ग बन जाने की दक्षता है।


हम गोरा बनते जा रहे हैं और कालों की दुनिया से हमारा कोई सरोकार नहीं है। हम जाति में कैद है और नस्ली रंगभेद से हमें कोई परहेज भी नहीं है।


हमारे लिए कश्मीर,मणिपुर और मध्यभारत गाजा पट्टी है और वहां इजराइली हमलों से हमें कुछ भी लेना देना नहीं है।


यह मुत्यु उपत्यका हमारा नही है और चाहे यह सेज बने कि स्मार्ट मेगा सिटी या इसे उठाकर अमेरिका इजराइल को बेच दिया जाये,हम बजरंगियों को इससे कुछ लेना देना नहीं है।


भारतीय जनता के ,भारतीय लोकगणराज्य के,भारतीय लोकतंत्र के,भारत के संविधान के ,भारत की संप्रभुता के इस महाविध्वंस से अभी बेखबर है केसरिया राष्ट्रवाद की पैदल सेनाएं।


कोई माई का लाल किसी तरह की शोक गाथा लिखने को तैार नहीं है इस प्रचंड देहसमय के आध्यात्मकाल में।अभिव्यक्ति ने खुदै अपने होंठों पर ताले जड़ दिये हैं और विधाएं काल सेंटर में तब्दील हो गयी हैं।




इस पर तुर्रा यह कि मोदी सरकार ने देश को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। डिजिटल इंडिया के रोडमैप की पहली झलक वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले बजट भाषण में दिखाई दी। स्मार्ट सिटी हो, डिजिटल क्लासरूम या ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए कदम, सरकार ने देश को पूरी तरह से डिजिटल बनाने पर काम शुरू कर दिया है। 100 स्मार्ट सिटीज विकसित करने के प्रोजेक्ट पर 7000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने का ऐलान किया गया है।


जाहिर है कि फ्यूचर इंडिया पूरी तरह से डिजिटल होगा। स्मार्ट सिटीज, डिजिटल क्लासरूम, पेपरलेस ऑफिस - ये सब भविष्य के भारत की तस्वीरें होंगी। इन तस्वीरों को साकार करने के लिए मोदी सरकार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने जा रही है। सरकार ने पूरे देश को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की योजना बनाई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस ब्रॉडबैंड कार्यक्रम पर 24000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है।


करोड़पतियों,अरबपतियों की संसद में इस दिगंतव्यापी अश्वमेध के रंग बिरंगे पुरोहितों की क्या भूमिका है और निरंकुश जनसंहार एजंटा के कार्यान्वयन की क्या दिशा है,इसी से समध लें कि लोकसभा में ट्राई संशोधित बिल पास हो गया है। जबकि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति के मसले पर कांग्रेस राज्यसभा में अकेली पड़ गई है।बीएसपी, एसपी, एडीएमके के साथ ही टीएमसी ने अचानक यू टर्न ले लिया है और कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है। आप को बता दें कि राज्यसभा में भी ट्राई संशोधित बिल पास होने के रास्ते साफ होते दिख रहे हैं। बीएसपी और एसपी ने ट्राई संशोधन बिल का विरोध नहीं करने का फैसला किया। जयललिता की एडीएमके भी इस मसले पर एनडीए के साथ नजर आ रही है। वहीं टीएमसी भी इस बिल का विरोध नहीं करेगी।


कायदा कानून बिगाड़ने का व्याभिचार का यह वैदिकी समय है।


हम जब कहते हैं कि बाटलैस भारतीयअर्थव्यवस्था की वित्तीय नीतियां हैं ही नहीं,शुरु से नहीं रही है।भारतीय अर्थव्वस्था का समूचा तंत्र जाति व्यवस्था की अस्पृश्यता की तरह बहिस्कार के सिद्धात पर डीफाल्टेड है,अर्थ विशेषज्ञों को भारी आपत्ति होती है।वित्तीय नीतियों की क्या कहें ,कई दशकों से हमारी सरकारें भी विदेशी तय करते रहे हैं।प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री वासिंगटन बनाता है तो वित्तीय नीतियां विश्व व्यवस्था की तमा युद्धक एजंसियां तैयार करती हैं।हम सिर्फ उसका अनुमोदन करते हैं और उसी मुताबिक आंकड़े,ग्राफितक्स और परिभाषाें गढ़ देते हैं।


हमने पहले ही गरीबी की परिभाषा और उत्पादन आंकड़ों की चर्चा की है और अब पेश हैं मंहगाई कम होने के आंकड़े।अच्चे दिन साबित करने के आंकड़े।किराने की दुकान हो या सब्जी बाजार,बुनियादी जरुरतें हो या बुनियादी सेवाएं,सबकुछ विनियंत्रित ,सबकुछ विनियमित,निजीकरण की धूम इतनी प्रलयंकर।


बाजार में आग लगी है।लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि मंहगाई कम हो गयी है।महंगाई के मोर्चे पर चौतरफा घिरी सरकार को बड़ी राहत मिली है। जून में होलसेल प्राइस इंडेक्स में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जून में थोक महंगाई दर घटकर 5.43 फीसदी हो गई है ध्यान रहे कि मई में महंगाई दर 6.01 फीसदी थी। जून में थोक महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई है, लेकिन अप्रैल की थोक महंगाई दर संशोधित होकर 5.20 फीसदी से बढ़कर 5.55 फीसदी हो गई है। साथ ही महीने दर महीने आधार पर जून में कोर महंगाई दर 3.8 फीसदी से बढ़कर 3.9 फीसदी हो गई है। जून में खाने-पीने की महंगाई दर 8.14 फीसदी हो गई है। मई में यह 9.5 फीसदी थी।


इसके साथ ही गार चर्चा पर भी गौर करें कि कैसे इसे नये सिरे से खारिज करने का माहौल बनाया जा रहा है।सरकार ने जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स (गार) को 1 अप्रैल 2015 से लागू करने की बात कह दी है। इसे यूपीए सरकार ने 2016 तक के लिए टाल दिया था। हालांकि‍, राजस्‍व सचि‍व शक्‍ति‍कांत दास ने कहा है कि‍ जरूरी नहीं कि‍ सरकार इसे 2015 में ही लागू करे। हमारे पास काफी समय है और जल्‍द ही गार की समीक्षा शुरू की जाएगी। मोदी सरकार की मुसीबत यह है कि‍ वह कर प्रणाली में पारदर्शि‍ता लाने और दुनि‍या भर के देशों से टैक्‍स चोरी की जानकारी बांटने के लि‍ए समझौता कर चुकी है। दूसरी ओर, वि‍देशी नि‍वेशक इससे खफा होकर अपना नि‍वेश बाहर नि‍कालने के बारे में सोच सकते हैं।


इसी मुताबिक सांढ़ों का अजब गजब खेल है और बाजार में गिरावट गहराती जा रही है और सेंसेक्स 25000 के नीचे आ गया है। वहीं निफ्टी भी 7450 के नीचे आ गया है। आईटी, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर ड्युरबेल्स शेयरों की पिटाई से बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बिकवाली का दबाव बढ़ गया है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 107 अंक यानि 0.4 फीसदी की गिरावट के साथ 24,917 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 29 अंक यानि 0.4 फीसदी गिरकर 7,431 पर कारोबार कर रहा है।


अब फिर बजट को देखें।प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं जानते हैं कि ग्रोथ की गाड़ी रफ्तार तभी पकड़ेगी जब इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। लिहाजा सरकार के पहले बजट में मोदी का विजन साफ दिखा है। इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और इंफ्रास्ट्रक्चर को चमकाने के लिए बजट में कई बड़े फैसले लिए गए हैं।


बेहतर ट्रांसपोर्टेशन से तरक्की की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है। इस बात को वित्त मंत्री ने बखूबी समझा है। बजट में एनएचएआई यानि नेशनल हाईवे अथॉरिटी को करीब 38 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला हुआ है। वित्त मंत्री ने बताया कि मौजूदा कारोबारी साल में एनएचएआई 8000 किलोमीटर सकड़ बनाएगी। इसके अलावा नॉर्थ-ईस्ट हाईवे के लिए 3000 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यही नहीं गंगा ट्रांसपोर्ट योजना पर सरकार ने 4200 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। वित्त मंत्री ने साफ किया इलाहाबाद से हल्दिया के बीच जलमार्ग बनाया जाएगा।


इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए पोर्ट और एयरपोर्ट पर खासा फोकस किया गया है। मौजूदा वित्त वर्ष में 16 नए पोर्ट प्रोजेक्ट दिए जाएंगे। कांडला और जेएनपीटी में एसईजेड बनाने का फैसला भी सरकार ने किया है। वित्त मंत्री ने बताया कि नए एयरपोर्ट पीपीपी यानि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए डेवलप किए जाएंगे। मोदी सरकार ने 7 शहरों में इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला किया है। इसके अलावा लखनऊ, सूरत, रायबरेली समेत 6 शहरों में टेक्सटाइल क्लस्टर बनाए जाएंगे।


स्मार्ट शहरों का वादा निभाने के लिए मोदी ने पहला कदम रख दिया है। बजट में 100 स्मार्ट शहरों के लिए 7060 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यही नहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीपीपी के जरिए कम से कम 500 मॉडल शहर बनाए जाएंगे। इसके अलावा लखनऊ और अहमदाबाद मेट्रो रेल के लिए शुरुआत में 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।


एनर्जी सेक्टर पर भी मोदी का खास फोकस है। सोलर पावर के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि सीबीएम प्रोजेक्ट्स के विकास पर जोर दिया जाएगा साथ ही पुराने और बंद पड़े कुओं को भी रिवाइव करेंगे। यही नहीं पीपीपी मॉडल पर 15,000 किमी गैस पाइपलाइन बिछाए जाएगी। बजट में एलान तो हो गया, देखना होगा कि इन पर अमल कब तक होता है और ये प्रोजेक्ट पूरे कब तक होते हैं।



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