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Sunday, January 13, 2013

मोदी प्रधानमंत्री बने या नहीं ,कारपोरेट लाबिइंग के अचूक हथियार जरूर बन गये हैं!

मोदी प्रधानमंत्री बने या नहीं ,कारपोरेट लाबिइंग के अचूक हथियार जरूर बन गये हैं!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

देशभर में मकर संक्राति और इलाहाबाद कुंभ का धार्मिक माहौल है। यह धार्मिकता खुले बाजार की सेहत के लिए बेहद अनुकूल है। रही सही कलर स्वामी विवेकानंद की १५०वीं जयती पर मनाये गये युवा उत्सव से पूरी हो गयी। भारत पाक सीमा तनाव से भड़के युद्धन्माद  ने आग में घी डालने का काम किया है। आर्थिक सुधारों को लागूकरने में सत्तावर्ग की आम सहमति देखते हुए संसद के बजट सत्र में कोई मुश्किल नही आने चाहिए। पर कारपोरेट लाबिंइंग भी अभूतपूर्व है।मोदी या मनमोहन सिंह या राहुल गांधी के विकल्पों पर मीडिया में खुलकर चर्चा हो रही है। इसी को​ ​ कारपोरेट लाबिइंग का हथियार बनाया गया है।'वाइब्रेंट गुजरात' कार्यक्रम में उद्योग जगत की तमाम बड़ी हस्तियों ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर तारीफों की बौछार की है। सुधारों के लिए रेटिंग संस्थाओं का दबाव तो है ही, वाइब्रेंट गुजरात के मौके पर नरेंद्र मोदी ​​को न केवल विकास पुरुष और विकास माडल बताया कारपोरेट इंडिया ने , बल्कि उन्हें महात्मा गाधी का  अवतार भी बना दिया। हालांक संघ​ परिवार में मोदी के प्रधानमंत्रित्व को लेकर घमासान मचा हुआ है और सत्ता के लिए धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर उसे घटक दलों का समर्थन बनाया रखना भी मुश्किल लग रहा है। पर मोदी को कारपोरेट इंडिया के इस खुले समर्थन से कांग्रेस की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। गुजरात​ ​ के इस उद्योग मेले में कारपोरेट इंडिया ने लोकलुभावन बजट के खिलाफ चेतावनी भी जारी कर दी है। अब वित्तमंत्री को उद्योग जगत को ​​खुश ऱकने के सारे उपाय करने होंगे। वहीं कांग्रेस को सुधारों के लिए बेहद जरुरी बीमा और पेंशन बिल जैसे वित्तीय विधेयक पास कराकर​ ​ लंबित परियोजनाओं को हरी झंडी देनी ही होगी। गार के तमाम प्रावधान ही खत्म नहीं करने हैं, वोडाफोन विवाद और स्पेक्ट्रम का मसला ​​सुलझाना होगा। कोयला ब्लाकों और तेल ब्लाकों के आबंटन में बाजार के हितों का ख्याल रखना होगा। डीटीएस के साथ साथ जीएसटी ​​लागू करना होगा। विनिवेश की गति तेज करनी होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर पर अनुदान बढ़ाना होगा। तमाम सेवाएं महंगी करनी होंगी। डीजल और चीनी की कीमतें विनियंत्रित करनी होंगी।केलकर कमेटी की सिफारिशों का हवाला देकर सरकार जल्द डीजल-एलपीजी के दाम बढ़ा सकती है। सब्सिडी आधार कार्ड के जरिये नकद भुगतान का गाजर दिखाकर सिरे से खत्म करना होगा। सामाजिक योजनाओं और योजना व्यय में कटौती करनी होगी।मोदी प्रधानमंत्री बने या नहीं ,कारपोरेट लाबिइंग के अचूक हथियार जरूर बन गये हैं! खास बात यह है कि सीमा पर तनाव के मद्दनजर जनभावनाओं को भड़काते हुएएलओसी पर बने तनाव को देखते हुए मोदी ने 'वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन' में हिस्सा लेने आए पाकिस्तानी डेलिगेशन को 'विनम्रता से' वापस जाने के लिए कह दिया।मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल वॉर्मिंग और आतंकवाद जैसी समस्याओं के समाधान में भारतीय आध्यात्मिकता की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसकी पूरी क्षमता के बारे में विश्व को अभी महसूस करना बाकी है।मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात को दुनिया के लिए 'भारत प्रवेश द्वार' बताते हुए आज उद्योगपतियों से कहा कि वह वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन के मंच का इस्तेमाल दुनिया को शोषण वाले आर्थिक मॉडल से दूर रहने का सकारात्मक संदेश देने के लिए करें।

मकर संक्रांति पर्व की पूर्व संध्या पर लोगों ने मनाने की तैयारी पूर्ण कर ली है। उत्तर प्रदेश में तीर्थराज के नाम से मशहूर प्रयाग (इलाहाबाद) शहर में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम तट पर सोमवार यानी मकर संक्रांति से महाकुंभ मेला शुरू हो जाएगा। इसी दिन पहला शाही स्नान भी है, जिसकी सारी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। सोमवार सुबह 5.57 बजे से स्नान शुरू होगा। भारी संख्या में आम लोगों के अलावा साधु संत और नागा मेले में पहुंच चुके हैं।

इसी बीच अर्थव्यवस्था और उद्योग में वृद्धि कम होने पर चिंता जाहिर करते हुए उद्योग मंडल सीआईआई ने कम होती आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए निवेश बढ़ाने को लेकर बजट में अनुकूल कदम उठाने को कहा है।वित्त मंत्रालय को भेजे अपने बजट पूर्व मांगपत्र में सीआईआई ने ऐसी पहल करने की मांग की जिससे अर्थव्यवस्था की वृद्धि को जल्द से जल्द लीक पर लाने में मदद की जा सके।सीआईआई ने कहा,'हाल में की गई पहल से निश्चित रूप से कारोबारी भरोसा बढ़ा लेकिन मौजूदा घरेलू और वैश्विक आर्थिक माहौल में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।'उद्योग मंडल ने निवेश फिर से शुरू करने के लिए कई कदम सुझाए हैं जिनमें अगले तीन से पांच से साल में संयंत्र और मशीनरी पर मूल्य ह्रास दर 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का सुझाव भी शामिल है।सीआईआई ने कहा कि ऐसे समय में जबकि निवेश पिछले साल के मुकाबले घटकर आधे पर आ गया है मूल्य ह्रास दर घटाने से उद्योग को ताजा निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।उद्योग मंडल ने कापरेरेट कर पर से अधिभार और उपकर हटाने की भी मांग की। साथ ही सीआईआई ने बुनियादी ढांचा और सेज कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर से मुक्त रखने का भी सुझाव दिया।सरकार को उम्मीद है कि कुछ खर्चों में बचत करके और विनिवेश तथा स्पेक्ट्रम से मिलने वाले राजस्व के बल पर वह राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.3 प्रतिशत के दायरे में रखने में सफल रहेगी।वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा,'खर्चों में कुछ बचत होने की उम्मीद है, इसके अलावा विनिवेश और स्पेक्ट्रम बिक्री से मिलने वाली राशि को देखते हुए राजकोषीय घाटा 5.3 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाएगा।'सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान बढ़ते सब्सिडी खर्च को देखते हुए राजकोषीय घाटे का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.3 प्रतिशत कर दिया। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने ईंधन सब्सिडी के बढ़ते खर्च को देखते हुए इसमें 28,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया। हालांकि, बजट में इसके लिए पहले से ही 43,000 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया था।

दूसरी ओर, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 30,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिए ऑयल इंडिया, एनटीपीसी, नाल्को सहित सात-आठ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश की तैयारी की है।अगले बजट में विनिवेश लक्ष्य चालीस हजार करोड़ कर दिये जाने की पूरी संभावना है।वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं और विनिवेश विभाग के सचिव डी.के. मित्तल ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े में ऑयल इंडिया लिमिटेड में विनिवेश होना तय है। उसके बाद फरवरी में एनटीपीसी और नाल्को में विनिवेश किया जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा,'विनिवेश लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।'सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक विनिवेश के जरिये 6,900 करोड़ रुपए ही जुटा सकी है। एनएमडीसी, हिन्दुस्तान कॉपर और एनबीसीसी में विनिवेश के जरिए यह राशि जुटाई गई। मित्तल ने कहा जनवरी के दूसरे पखवाड़े में ऑयल इंडिया में विनिवेश से करीब 2,500 करोड़ रुपए प्राप्त हो सकते हैं। फरवरी में एनटीपीसी और नाल्को में विनिवेश किया जा सकता है। मार्च में राष्ट्रीय केमिकल्स फर्टिलाइजर (आरसीएफ), स्टील अथॉरिटी, एमएमटीसी और भेल या फिर हन्दुस्तान कॉपर में विनिवेश किया जाएगा।एनटीपीसी में विनिवेश से सरकार को करीब 12,000 करोड़ रुपए तक प्राप्त हो सकते हैं। आसीएफ, सेल तथा एमएमटीसी में विनिवेश से प्रत्येक से 800 से 1,000 करोड़ रुपए के दायरे में प्राप्ति हो सकती है।

सरकार सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिए बजट में सोने पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है और लोगों को अन्य वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करने को प्रोत्साहित करने के लिए कर रियायतें ला सकती है।वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले दो महीनों में सोने का आयात काफी बढ़ा है। यह चिंता का कारण है। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है। बजट में कुछ घोषणा की जाएगी संभवत: आयात शुल्क बढ़ सकता है।उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम सोने के बढ़ते आयात पर पहले ही चिंता जता चुके हैं और इसकी मांग में नरमी लाने के लिए सोना आयात पर शुल्क बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इस समय, स्टैंडर्ड गोल्ड बार पर 4 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है, जबकि गैर-स्टैंडर्ड गोल्ड बार पर यह 10 प्रतिशत है।अधिकारी ने कहा कि सरकार सोने के उत्पादक इस्तेमाल के लिए योजना भी पेश कर सकती है। चिदंबरम 2013-14 के लिए आम बजट 28 फरवरी को पेश करेंगे।

वोडाफोन के प्रतिनिधि 2007 में किए गए अधिग्रहण से जुड़े कर के संबंध में अगले सप्ताह राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलेंगे। कंपनी को उक्त सौदे के मामले में करीब 11,200 करोड़ रुपए के कर का भुगतान करना है।वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा वोडाफोन के अधिकारी अगले सप्ताह राजस्व सचिव सुमित बोस और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की अध्यक्ष पूनम किशोर सक्सेना से मिलकर कर से जुड़े मामलों पर बातचीत करेंगे।राजस्व विभाग द्वारा हाल ही में भेजे गए कर संबंधी नोटिस के जवाब में वोडाफोन ने कहा कि उसका मानना है कि हचिसन व्हाम्पोआ के भारतीय दूरसंचार कारोबार के अधिग्रहण के मामले में उस पर 11.2 अरब डालर की कर अदायगी नहीं बनती।

रियालंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने कहा, "नरेंद्र भाई मोदी के रूप में हमारे पास ऐसा नेता है जो बहुत दूरदर्शी है. बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में गुजरात अग्रणीय राज्य रहा है। हमने गुजरात से शुरुआत की और हम यहां निवेश करने के लिए बार-बार आना चाहेंगे।"

रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने तो यहां तक कह डाला कि गांधी, पटेल, धीरूभाई और मोदी गुजरात के हीरो हैं। उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि मोदी के रूप में हमें विजनरी नेता मिला है। उन्होंने आगे कहा,'मुझे गर्व है कि रिलायंस एक गुजराती, भारतीय और ग्लोबल कंपनी है।

मुकेश अंबानी के छोटे भाई और उद्योगपति अनिल अंबानी ने एक तरह से नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की श्रेणी में रखा.उन्होंने कहा, "मैं आपके सामने एक और तस्वीर पेश करता हूं। दो अक्तूबर 1869- पोरबंदर, गुजरात: मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म, राष्ट्रपिता। 31 अक्तूबर- नादियाड़ गुजरात: सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म, भारत के लौह पुरूष. 28 दिसंबर 1932- चोरवाड़, गुजरात: धीरूभाई अंबानी का जन्म, भारत के सबसे महान उद्यमी। 17 सितंबर 1950-वाडनगर, गुजरात: नरेंद्र मोदी का जन्म।"

महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने कहा कि वो समय दूर नहीं जब गुजरात के मॉडल को देश के बाहर भी अपनाया जाएगा।

अनिल अंबानी ने मोदी को राजाओं का राजा करार देते हुए कहा, 'नरेंद्र भाई के पास विजन और लक्ष्य को लेकर अर्जुन की तरह एकाग्रता है।' उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की नेतृत्व क्षमता की वजह से ही भारत और विदेश के उद्यमी पिछले एक दशक से गुजरात की तरफ खींचे चले आ रहे हैं।'

अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदानी ने भी मोदी सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'पतंग हवा के साथ नहीं, बल्कि हवा के खिलाफ ऊंची उड़ती है। मैं मोदी के विजन और लीडरशिप की तारीफ करता हूं। मोदी न सिर्फ चुनाव लड़ रहे थे, बल्किन वह वाइब्रेंट गुजरात की भी प्लैनिंग कर रहे थे।'

कांग्रेस ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का तानाशाह बताया है।कांग्रेस ने मोदी की तुलना हिटलर से की दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने उद्योगपतियों को मोदी से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हुए मोदी को तानाशाह करार दिया।शनिवार को मुंबई में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए तिवारी ने कहा, १९३० में जर्मनी के उद्योगपितों का देश के शख्स के प्रति ऐसा ही आकर्षण था। इसका बुरा नतीजा पूरी दुनिया ने भुगता। इस तरह तिवारी ने मोदी और हिटलर का नाम लिए बगैर दोनों की तुलना कर दी।तिवारी ने गुजरात सरकार के विकास के दावों को खोखला बताते हुए कहा, बहुत ज्यादा वाइब्रेंट, वाइब्रेंट पड़ोसी राज्य में सुनने को मिल रहा है। कल्पना और वास्तविकता में फर्क होता है। हकीकत में अगर कहीं वाइब्रेंसी है तो वह महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में दूसरे राज्यों से कहीं ज्यादा विदेशी निवेश हुआ है।यही नहीं,कांग्रेस की इस हफ्ते जयपुर में होने वाली चिंतन शिविर बैठक में अगले आम चुनावों में नए सहयोगी दलों को तलाशने और भाजपा नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाली संभावित चुनौती के मुद्दों पर जोर रहने की संभावना है। पूरे देश को स्तब्ध कर देने वाली राष्ट्रीय राजधानी में हाल ही में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के आलोक में सत्र में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठने की उम्मीद है।

बीजेपी ने पाकिस्तान की ओर से सीजफायर तोड़ने के मसले पर केंद्र सरकार के रवैये के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। ऐसे में वाइब्रेंट गुजरात में पाकिस्तानी डेलिगेशन की मौजूदगी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती थी। बताया जा रहा है कि बॉर्डर पर जारी तनाव का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने 22 सदस्यों वाले पाकिस्तानी डेलिगेशन को वापस जाने के लिए कह दिया। इस डेलिगेशन ने शुक्रवार शाम को ही गुजरात से विदा ले ली। हालांकि, गुजरात सरकार ने इस मसल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।'कराची चेंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री' से आए 22 सदस्यों के डेलिगेशन को शुक्रवार को वाइब्रेंट गुजरात के ओपनिंग कार्यक्रम में भी हिस्सा लेना था, लेकिन उन्हें कहा गया कि वे बाहर न आएं। इस पर डेलिगेशन के मेंबर्स को अहमदाबाद के उसी होटल में रुकना पड़ा, जहां उन्हें ठहराया गया था। बताया जा रहा है कि डेलिगेशन के कुछ मेंबर सूरत और भरूच जाकर घूमना चाहते थे। ऐसे में उन्हें सूरत ले जाया गया, जिसके बाद पूरी सुरक्षा के साथ मुंबई भेज दिया गया। डेलिगेशन को अहमदाबाद में घूमने की इजाजत भी नहीं दी गई।

गौरतलब है कि वरिष्ठ भाजपा नेता और बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी यदि देश के प्रधानमंत्री होते तो पाकिस्तान कभी ऐसी हिम्मत नहीं करता।पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बर कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कमजोर प्रधानमंत्री के हाथों देश सुरक्षित नहीं रह सकता है। आज देश को एक मजबूत प्रधानमंत्री की आवश्यकता है।भाजपा नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ वार्ता करके दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में कार्रवाई की थी जिसके कारण ही बस सेवा समेत कई व्यापारिक कारोबार को आगे बढ़ाया गया।उन्होंने कहा कि वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान द्वारा कारगिल में की गयी सैनिक कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया गया था और इस युद्ध में भारत को विजय दिलाकर देश की मर्यादा की रक्षा की गई थी।सिंह ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का केन्द्र बन गया और सीमा पर उसके सैनिक बेवजह गोलियां चलाकर भारतीय सैनिकों की हत्याएं कर रहा है।

आईटी, पर्यावरण पर डब्ल्यूटीओ का समझौता नहीं मनेगा भारत

भारत का कहना है कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कुछ विकसित देशों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरणीय सामानों के बारे में पेश किए जा रहे किसी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि देश का मामना है कि इसका घरेलू उद्योग धंधों पर बहुत प्रतिकूल असर होगा।

अमेरिका सहित कुछ अन्य धनी देश चाहते हैं कि भारत तथा अन्य उदीयमान अर्थव्यवस्थाएं इन समझौतों में शामिल हों। धनी देश व्यापार में सुविधा (टीएफ), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), पर्यावरणीय उत्पाद तथा अंतरराष्ट्रीय सेवा- इन चार क्षेत्रों में समझौता चाहते हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि आईटी तथा पर्यावरणीय उत्पाद समझौते पर भारत अपनी अनिच्छा स्पष्ट रूप से दिखा चुका है। हम इस धारणा के खिलाफ हैं। टीएफ पर हमने ना नहीं कहा है लेकिन हम हालात पर विचार कर रहे हैं। जहां तक अंतरराष्ट्रीय सेवा समझौते का सवाल है हम इस पर दूरी से ही निगाह रखेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे।

इन चार मामलों में समझौते से होने वाले व्यापार फायदा इस पर हस्ताक्षर करने वालों के बीच ही बंटेगा। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका तथा यूरोप इन समझौतों पर हस्ताक्षर को बेचैन हैं और इनमें विकासशील तथा अल्प विकसित देशों के हितों को बाहर रखा गया है।

उन्होंने कहा कि विकसित देश दोहा दौर की व्यापार वार्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं जिनसे विकासशील व अल्पविकसित देशों के बजाय उन्हें अधिक फायदा हो।

अधिकारी ने कहा कि आईटी क्षेत्रवार समझौता है। पर्यावरणीय उत्पादन भी क्षेत्रवार समझौता होगा। तो वे क्या कर रहे हैं कि उन क्षेत्रों को चुन रहे हैं जहां विकसित देश मजबूत हैं। वे इनमें आपकी सहमति चाह रहे हैं क्योंकि अगर आप सहमत नहीं होते और कल समझौते में शामिल होने का फैसला करते हैं तो आपको लागत चुकानी होगी।

अधिकारी ने धनी देशों द्वारा गरीब व विकासशील देशों पर अपने एजेंडे थोपने का ज्रिक भी किया है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आईटी समझौते के तहत वे 357 उत्पादों को शामिल करना चाहते हैं जिनमें से 50 उत्पाद गैर आईटी खंड के हैं जिनमें वाशिंग मशीन, फ्रिज व विंडो एसी भी शामिल किए गए हैं।

राजकोषीय स्थिति और खराब हो सकती है: ऐसोचैम

उद्योग मंडल ऐसोचैम ने रविवार को कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति, देश की आर्थिक वृद्धि में गिरावट और वैश्विक नरमी के कारण राजकोषीय स्थिति और खराब हो सकती है।

ऐसोचैम ने कहा,'राजकोषीय समस्याओं से निपटने के लिये कदम उठाने की कम गुंजाइश, कम होती आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति पर कोई खास असर न होने के मद्देनजर देश की अर्थव्यवस्था संकटपूर्ण स्थिति में पहुंच सकती है। यह स्थिति 1991 के आर्थिक संकट जैसी होगी।'इसमें यह भी कहा गया कि वैश्विक आर्थिक स्थिति में संकट बरकरार रहने और बुनियादी ढांचे में और कमी होना भारत की वृद्धि की संभावनाओं के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।

ऐसोचैम की रपट में चेतावनी दी गई है,'यदि वक्त पर सही कदम नहीं उठाए गए तो हम कई वजहों से 1991 से सभी बुरी हालत में होंगे।' इसमें कहा गया कि लोक वित्त (सार्वजनिक व्यय) पर भारी दबाव के मद्देनजर राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद के 6.1 फीसद बराबर पहुंच सकता है।

कंपनियों की बिक्री दर घटी, अन्य आय बढ़ी: आरबीआई

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारतीय कंपनियों की बिक्री की वृद्धि दर में गिरावट आई है, जबकि उनकी अन्य आय बढ़ने से उन्हें शुद्ध लाभ में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज करने में मदद मिली है। रिजर्व बैंक के एक विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है।रिजर्व बैंक की ताजा मासिक बुलेटिन में प्रकाशित विश्लेषण के मुताबिक, गैर-वित्तीय निजी क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री पहली छमाही में 12.3 प्रतिशत बढ़ी जो इससे पिछली छमाही में 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। हालांकि, कंपनियों की अन्य आय से उन्हें शुद्ध लाभ में अच्छी वृद्धि हासिल करने में मदद मिली। बुलेटिन में 2012-13 की पहली छमाही के दौरान 2,832 सूचीबद्ध गैर सरकारी और गैर वित्तीय कंपनियों के निष्पादन का विश्लेषण किया गया है।

आगे बेहतर रहेगी जीडीपी ग्रोथः मोंटेक सिंह

देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर साफ नहीं दिख रही है। आज आईआईपी के आंकड़ों में इंडस्ट्री की ग्रोथ सुस्त देखी जा रही है। सरकार रिफॉर्म पर ताबड़तोड़ फैसले लेकर नई जान फूंकने की कोशिश तो कर रही है लेकिन महंगाई का रोड़ा आड़े आ रहा है। अभी एचएसबीसी ने कारोबारी साल 2013 के लिए ग्रोथ का अनुमान घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर देखा गया है और इसके चलते देश की जीडीपी ग्रोथ में कमी आई है।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में देश की ग्रोथ में सुधार देखा जाएगा। वित्त वर्ष 2013 के मुकाबले वित्त वर्ष 2014 में जीडीपी ग्रोथ बेहतर रहेगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना में देश की जीडीपी ग्रोथ औसतन 8 फीसदी रह सकती है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत पहले साल में 6 फीसदी और आखिरी साल में 9 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ आ सकती है।

मोंटेक सिंह का मानना है कि पिछले 3 सालों से वित्तीय घाटा काफी बढ़ गया है और चालू खाता घाटा भी ऊपरी स्तरों पर पहुंच गया है। इसे कम करने के सरकार उपाय कर रही है। इसे घटाने के लिए विदेशी निवेश में बढ़त होना काफी जरूरी है। सरकार के हाल के कदमों से विदेशी निवेश और पॉलिसी को लेकर काफी अच्छे संकेत मिले हैं और अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा सकता है।

सरकार को बड़े प्रोजेक्ट में हो रही देरी को दूर करने की जरूरत है। कई बड़े प्रोजेक्ट विभिन्न मंत्रालयों से अनुमति मिलने के लिए अटके पड़े हैं। इसके लिए एक कमेटी सीसीआई का गठन कर दिया है जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। सीसीआई के गठन के बाद बड़े प्रोजेक्ट में हो रही देरी पर लगाम लगेगी।




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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk