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Saturday, January 26, 2013

Tehri Dam oustees languish for the basic amenities even though the government earns from the projects

Tehri Dam oustees languish for the basic amenities even though the government earns from the projects

The State government in Uttrakhand must have earned at least 1000cr from the electricity generated by the Tehri dam project on National River Ganga and this is a recurring incoming yet in the ongoing Supreme Court case between N.D Juyal and Shekhar Singh V/S GOI and another, the former government in its affidavit on the delay in rehabilitation work gave the reason that T.H.D.C has not provided funds for rehabilitation.The court had directed THDC in November 2011 to provide for a paltry 102.99 cr for the same. Even now the reason given to the SC for the delay in rehabilitation work is said to be lack of funds.

Before it come power the present Chief Minister Shri Vijay Bahuguna had conceded that the rehabilitation work was not being properly done. In response to the destruction of villages around the Tehri Dam during the monsoon in 2010 he had suggested that the state government should spend the earnings generated by the hydro electric projects on the project affected people. This line of thought is in consonance with the Power ministry's guideline for the development of hydroelectricity projects sites dated 23 may 2006 which on page 10 states that the income so generated should be spend on project affected people .

Guideline

2.3 Provision of 12% free power to the home state Government of India, vide its O.M. dated 17th May, 1989 have approved that "since the Home States are increasingly finding it difficult to locate alternative land and resources for rehabilitation of the oustees in hydro-electric projects. They, need to be suitably assisted by giving incentives, such as the (proposed) 12% free power, to enable them to take care of the problems of rehabilitation in the areas affected by the hydro-electric projects.

Without such assistance and incentives, considerable hydel potential of the country would remain unutilized. Accordingly, the State Government shall be entitled to realize 12% free power from the project for local area development and mitigation of Guidelines for development of Hydro Electric Projects Sites hardships to the project affected people in line with the Govt. of India policy".

Further in this context the basic amenities mentioned below are nonexistent and if at all they exist ,they are of very poor quality, even at rural rehabilitation sites like Pathari part-1,2,3&4, the dam oustees in the rural area of Haridwar have not been properlly rehabilitated, even after 30 years 70% of them do not have land rights. These rehabilitation sites lack basic infrastructure like electricity, water, irrigation, transportation, health post, bank post office PDS, panchayat, mandir, roads, drains so much so these sites do not have picketed fence or a wall to keep out the wild animals. People have been fending off for themselves and have built houses on their own. In not so distant past on 11 June 2012, Shri Rajesh Nautiyal Assitant Executive Engineer at the shivilak nagar rehabilitation office in Haridwar division said that 4 cr have been sanctioned for the rehabilitation work but none for providing the basic infrastructures.

Matu Jansangthan had sent a letter on behalf of oustees, sign by Vimalbhai And Puran Singh Rana , Balwant Singh Pnawar and Jagdish Rawat (in Hindi, attached) to the Chife Minister Shri Vijay Bahuguna demanding that his government can do is spend the income (getting 12% free electricity form the Tehri and Koteshwer Dam) being generated to rehabilitate the dam oustees by providing them land holding with clear titles after sorting out with the central Ministry of Environment and Forest, provide the promised free electricity as per the Power ministry guidelines and set up committees of locals and project effected people to monitor and ensure quality in the provision of essential infrastructure and services at the rehabilitation sites.

Vimalbhai And Puran Singh Rana 

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विस्थापितों ने मांगा राज्य को मिल रही मुफ्त बिजली में अपना हक


उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय नदी गंगा पर बने टिहरी बांध के ग्रामीण विस्थापितों ने राज्य को मिल रही मुफ्त बिजली में अपना हक मांगा है। 24 जनवरी को मुख्यमंत्री को दिये गये पत्र में उनसे मांग की गई है कि लिखा है कि राज्य सरकार को टिहरी बांध से मिलने मुफ्त बिजली संबधी सरकारी आदेश का जिक्र करते हुये पत्र में कहा गया है कि टिहरी बांध से मिल रही मुफ्त आमदनी को विस्थापितों पर खर्च किया जाये। पत्र साथ में है। जिसमें विस्तार से विषय को उठाया गया है।


विमलभाई]  पूरणसिंह राणा

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सेवा में]

श्रीमान विजय बहुगुणाजी

माननीय मुख्यमंत्री]

4] सुभाष रोडमुख्यमंत्री कार्यालय]

उत्तराखण्ड सचिवालय]

देहरादूनउत्तराखण्ड-248001

फोन न0-0135-2650433] 2655177 फैक्स-2712827


संदर्भः टिहरी बांध के ग्र्रामीण पुनर्वास स्थलों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करें।


टिहरी बांध से मिल रही मुफ्त आमदनी को विस्थापितों पर खर्च करे।


मान्यवर]


टिहरी बांध से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है जिससे राज्य सरकार कोप्रतिदिन आमदनी भी हो रही है। जो आजतक करीबन् हजार करोड़ होगी। आपमाननीय सुप्रीम कोर्ट में टिहरी बांध पर चल रहे एनडीजुयाल  शेखर सिंहबनाम भारत सरकार और पुनर्वास पर चल रहे मुकद्दमों से परिचित होंगे ही।पूर्व राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में पुनर्वास ना होने का कारण टिहरीहाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन ¼टीएचडीसी]½ द्वारा पैसा नही देना बतायाथा। कोर्ट ने नवम्बर 2011 ¼टीएचडीसी]½ आदेश में पूर्व राज्य सरकारद्वारा मांगी गयी 102-99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।

अभी भी माननीय सुप्रीम कोर्ट में पुनर्वास कार्य पूरा ना होने का कारण पैसे कीकमी बताई जा रही है। आपने भी पिछले कई चुनावों में बार&बार पूर्व राज्यसरकार के बारे में कहा था कि वो टिहरी बांध विस्थापितों का पुनर्वास कार्य सहीनही कर रही है। ंआपने 2010 के मानसून में टिहरी बांध झील के आसपास केगांवों की तबाही के संदर्भ में भी कहा था कि राज्य सरकार को टिहरी बांध सेमिलने मुफ्त बिजली से जो आमदनी हो रही है उसे टिहरी बांध विस्थापितों केलिये खर्च करना चाहिये। आपका यह सुझाव ऊर्जा मंत्रालय की "Guidelines for development of Hydro Electric Projects Sites" 23 मई 2006 के अनुरूप हैजिसमें पेज 0 10 पर लिखा है कि बांध से दी जाने वाली मुफ्त बिजली कीआमदनी को बांध विस्थापितों पर खर्च किया जाये।


नीति का संबधित हिस्साः-

2.3 Provision of 12% free power to the home state Government of India, vide its O.M. dated 17th May, 1989 have approved that "since the Home States are increasingly finding it difficult to locate alternative land and resources for rehabilitation of the oustees in hydro-electric projects. They, need to be suitably assisted by giving incentives, such as the (proposed) 12% free power, to enable them to take care of the problems of rehabilitation in the areas affected by the hydro-electric projects.


Without such assistance and incentives, considerable hydel potential of the country would remain unutilized. Accordingly, the State Government shall be entitled to realize 12% free power from the project for local area development and mitigation of Guidelines for development of Hydro Electric Projects Sites hardships to the project affected people in line with the Govt. of India policy".


इसी संदर्भ में हम कहना चाहते है किः-

पथरी भाग 1] 2] 3 व हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले टिहरी बांध विस्थापितों के मामले 30 वर्षाे से लंबित है। यहंा लगभग 40 गांवो के लोगो को पुनर्वासित किया गया है। यहंा 70 प्रतिशत विस्थापितों को भूमिधर अधिकार भी नही मिल पाया है। बिजलीपानीसिंचाईयातायातस्वास्थय]बैंकडाकघरराशन की दुकानपचांयत घरमंदिरपितृकुटटीसड़कगुल]नालियंा आदि और जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु दिवार व तार बाढ़ तक भी व्यवस्थित नही है। बीसियों वर्षो से यह सुविधायें लोगो को उपलब्ध नही हो पाई है। यदि कहीं पर किसी तरह से कुछ व्यवस्था बनी भी है तो स्थिति खराब है। स्कूल भी कुछ ही वर्षो पहले बना है वो भी मात्र 10वीं तक है। प्राथमिक स्कूलों की इमारतें बनी है पर अघ्यापक नही है। स्वाथ्य सेवायें तो है ही नही। रास्ते सही नही है तो निकासी नालियां भी नही है। यातायात की सुविधायें भी नही है। लोगों को मात्र जगंल में छोड़ दिया गया है। अपने बूते पर विस्थापितों ने मकान बनाये है।

11 जून 2012 को हरिद्वार क्षेत्र के शिवालिक नगर स्थित पुनर्वास कार्यालय के अधिकारी उप-अधिशासी अभियंता श्री राजेश नौटियाल ने बताया की हरिद्वार पुनर्वास क्षेत्र के लिये करोड़ रुपये की मंजूरी हुई है। पैसा आने पर ही काम शुरु होगा। किन्तु इन कामों में उपरलिखित कोई भी काम नही है। जबकि यह मूलभूत समस्यायें है।

टिहरी बांध से मिलने मुफ्त बिजली से जो आमदनी हो रही है उसे टिहरी बांध विस्थापितों के लिये खर्च करना चाहिये। पथरी भाग 1] 2] 3 व हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले टिहरी बांध विस्थापितों के 30 वर्षाे से लंबित कार्यो के निपटान के लिये इस राशि का उपयोग करना चाहिये।

आपसे हमारी मांग है कि निम्नलिखित विषयों पर तुरंत कार्यवाही का आदेश करेंः-


  • भूमिधर अधिकार तुरंत दिये जाये। यदि वन भूमि की समस्या है तो इस बारे में आप केंद्रीय पर्यावरण एंव वन मंत्रालय से स्वंय बात करें और विस्थापितों को भूमि अधिकार दिलायें।

  • ऊर्जा मंत्रालय की नीति के अनुसार विस्थापितों को मुफ्त बिजली दिये जाने के प्रावधान को लागू करें। इस विषय में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से बात करें।

  • शिक्षास्वाथ्यययातायातसिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधायें तुरंत पूरी की जाये। इन कार्यो के लिये टिहरी बांध परियोजना सेजिसमें कोटेश्वर बांध भी आता हैमिलने वाली 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के पैसे का उपयोग किया जाये।

  • सभी कार्यों के लिये विस्थापितों की ही समितियंा बनाकर काम दिया जाये ताकि कार्य की गुणवत्ता बने और सही निगरानी भी हो सके।


इस समय केन्द्र व राज्य में आपकी ही सरकार है। नये बांधों को बनाने से पहले कार्यरत बांधों के विस्थापन-पर्यावरण की समस्याओं का निदान आवश्यक व न्याय की मांग है।


अपेक्षा में


विमलभाई]   पूरणसिंह राणा]  बलवंत सिंह पंवार]     जगदीश रावत



-- 
Matu Jansangthan
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