वे गला भी रेंत रहे हैं तो बेहद प्यार से । सहलाते हुए। रोते काहे को?
आंखें बंद नहीं हैं? अमीर लोगों पर 'थोड़ा अधिक' कर लगाने का नमूना है तमाम जरुरी सेवाओं की मूल्यवृद्धि!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अमीर लोगों पर 'थोड़ा अधिक' कर लगाने का नमूना है तमाम जरुरी सेवाओं की मूल्यवृद्धि!कांग्रेस को २०१४ को चुनाव जीतना है और युवराज की ताजपोशी भी हो गयी है । जाहिर है कि सत्ता पर्तिष्टान की भाषा बदल रही है। वे गला भी रेंत रहे हैं तो बेहद प्यार से । सहलाते हुए।रोते काहे को? चिदंबरम हो या ट्राई सुर जानबूझकर विषपान की है। नीलकंठ बन रहे हैं अपने आर्थिक सुधारों के नये मसीहा।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार फिर देश के अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाने की बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा है कि देश में इस बात पर बहस चल रही है कि अमीरों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए या नहीं। ऐसी बहस में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।कुछ का कहना है कि सरकार घूमफिर कर उन्हीं चुनिंदा लोगों पर टैक्स काबोझ बढ़ाने की तैयारी कर रही है जो पहले से ही टैक्स देते है। हलांकि कुछ ये भी मानते हैं कि सरकार अगर सुपर रिच पर टैक्स लगाना ही चाहती है तो ये इतना ज्यादा नहीं होना चाहिए कि सिस्टम में टैक्स चोरी को बढ़ावा मिलने लगे।वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि बहुत अमीर लोगों पर 'थोड़ा अधिक' कर लगाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाना चाहिए। पिछले दो दिनों में विदेशी निवेशकों के साथ अपनी बैठक में चिदंबरम एक स्थायी कर व्यवस्था पर जोर देते रहे हैं।उन्होंने कहा, 'मैं स्थायी कर दरों में विश्वास करता हूं। हालांकि, मुझे यह मानना होगा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था और सरकार को और संसाधनों की जरूरत है, तब बहुत धनी लोगों को स्वेच्छा से थोड़ा अधिक भुगतान करना चाहिए।' जरा मुलाहिजा फरमाये! चिदंबरम ने कैसे सिंगापुर के निवेशक समुदाय के सामने भारत के आर्थिक सुधारों का खाका पेश किया! हालांकि उन्होंने यह भी कबूल किया कि 2014 में होने वाले आम चुनावों के बाद अस्थिर सरकार के गठन की संभावना सुधारों के लिए खतरा बनी हुई है। लेकिन उन्होंने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि सरकार वित्त क्षेत्र के विवादास्पद सुधार विधेयकों पर सहमति बनाने के लिए विपक्ष के साथ लगातार बातचीत कर रही है। भारत द्वारा जनरल ऐंटी अवॉयडेंस रूल्स (गार) में संशोधन करने के कुछ दिन बाद चिदंबरम सिंगापुर लैंड हुए।निवेशकों को लुभाने के लिए विदेश दौरे पर गए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कांग्रेस नीत सरकार के लिए बैटिंग भी शुरू कर दी है।कर आधार का विस्तार करने की ओर उठाये जा रहे कदमों पर चिदंबरम ने कहा कि सरकार का राजस्व प्रत्येक वर्ष 20 फीसदी तक बढऩे का अनुमान है।उन्होंने कहा है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव में अगर केंद्र में अस्थिर सरकार बनती है तो यह सुधारों के लिए बड़ा खतरा होगा। हालांकि उन्होंने सुधारों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही अगले माह संसद के बजट सत्र के दौरान पेंशन और इंश्योरेंस बिल के पास होने का भरोसा भी जताया। नए गार नियम अब 1 अप्रैल 2016 से लागू होंगे, लेकिन दोहरे कराधान से बचने के लिए भारत और सिंगापुर के बीच हुए समझौते (डीटीएए) को ये नियम ताक पर नहीं रख सकते हैं।इसी बीच दावोस से खबर आयी है कि स्विटजरलैंड अगले महीने से भारत समेत अन्य देशों के अनुरोध पर व्यक्तियों के समूह के बारे में बैंकिंग तथा अन्य ब्योरा उपलब्ध करा सकेगा, हालांकि उनकी व्यक्तिगत पहचान का खुलासा नहीं करेगा। हालांकि इसके लिये जरूरी है कि अनुरोध में यह साबित करना होगा कि संबंधित व्यक्तियों पर कर चोरी का मामला बनता है।दूसरी ओर, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोयला ब्लाक आबंटन मामले की अब तक की जांच से पता चला है कि सरकारी संसाधनों के आबंटन में सरकारी प्राधिकारियों ने अनियमितता की और इस समय करीब 300 कंपनियां उसकी जांच के दायरे में हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन समेत विभिन्न विशेषज्ञों ने अधिक अमीर लोगों पर ऊंची दर से कर लगाए जाने की जरूरत पर बल दिया है।कल, विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने कहा था कि अधिक धनी लोगों पर ऊंची दर से कर लगाए जाने के सुझाव 'राजनीतिक' रूप से सही है, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को वास्तव में लागू करने की सरकार की इच्छाशक्ति पर संदेह जताया। वहीं, औद्योगिक संगठनों ने सरकार से इस पर विचार नहीं करने का आग्रह किया है।गौरतलब है कि अमीरों से ज्यादा वसूली का सुझाव सबसे पहले प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार सी. रंगराजन ने ही दिया था।
बदलती हुई रणनीति के रहस्य का खुलासा तो सुधारों के दूसरे बड़े कारीगर वाणिज्यमंत्री कमलनाथ ने दावोस में निवेशकों के सामने यह कहकर कर ही दिया है कि आगामी लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। कमलनाथ ने दावोस में यह भी कहा कि कहा कि सत्यम फर्जीवाड़े के बाद भारत में रेगुलेटरी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा।
इसी बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा है कि नियामक ने दूरसंचार ऑपरेटरों को कॉल दरें और अन्य सेवाओं के शुल्क तय करने की खुली छूट दी हुई हुई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी आंखें बंद हैं। शुल्क दरों में बदलाव की लगातार निगरानी की जा रही है। ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने कहा, 'सहिष्णुता का मतलब यह नहीं है कि हमारी आंखें बंद हैं। इसका मतलब है कि हमने आपरेटरों में विश्वास रखा है और हम जानते हैं कि बाजार में प्रतिस्पर्धा है।'
ट्राई के चेयरमैन ने कहा कि यदि किसी बाजार में प्रतिस्पर्धा की वजह से शुल्क दरें कम हो रही हैं, तो वहां नरमी बरतना उचित है। अभी तक भारत में मोबाइल की कॉल दरें दुनिया में सबसे कम दरों में गिनी जाती हैं। अब दूरसंचार कंपनियां दरों में लगातार इजाफा कर रही हैं। भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, आइडिया सेल्युलर तथा वोडाफोन जैसी प्रमुख कंपनियों ने कॉल दरों में इजाफा किया है। इन चारों ऑपरेटरों की बाजार हिस्सेदारी 65 फीसदी है। नवंबर, 2012 तक इन ऑपरेटरों के नेटवर्क पर मोबाइल कनेक्शनों का आंकड़ा 58.41 करोड़ था। बताया जाता है कि आइडिया सेल्युलर, वोडाफोन और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों ने पिछले चार माह में कॉल दरों में 20 से 33 फीसदी का इजाफा किया है। वहीं पिछले एक माह के दौरान एयरटेल, वोडाफोन तथा आइडिया सेल्युलर जैसी कंपनियों ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं की दरों में 25 से 30 फीसदी का इजाफा किया है। इसके अलावा अब एयरटेल और आइडिया सेल्युलर ने कॉल दरों बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का सहारा लिया है। इसके तहत मुफ्त मिनटों में 10 से 25 फीसदी की कटौती की गई है, वहीं विशेष दर वाले वाउचर्स के दाम बढ़ाए गए हैं। वोडाफोन ने भी संकेत दिया है कि वह भी ऐसा ही कदम उठाएगी। ट्राई के चेयरमैन ने हालांकि ऑपरेटरों द्वारा लगातार कॉल दरों में इजाफे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा,'अलग सवाल और मुश्किल सवाल यह है कि आज एक ने ऐसा किया, दो दिन बाद दो अन्य ने ऐसा किया। क्या उनके बीच किसी प्रकार का गठजोड़ है।' एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने इस मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) तथा ट्राई से संपर्क किया है। टेलीकॉम वॉचडॉग के सचिव अनिल कुमार ने सीसीआई के समक्ष अपनी शिकायत में कहा है कि यह बढ़ोतरी साठगांठ कर की गई है। यह पूरी तरह गैरकानूनी, अनुचित और मनमाना कदम है।
जरा समझिये जनाब, रइसों को राहत देने के लिए गार को दफनाने के बाद क्या कुछ करने जारही है सरकार! चिदंबरम ने एक चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'इसका मतलब यह नहीं है कि कर की दर स्थायी नहीं होनी चाहिए। मुझे लगता है कि हमारी कर की दरों में स्थायित्व होना चाहिए, लेकिन हमें इस बहस पर विचार करना चाहिए कि क्या बहुत धनी लोगों को कुछ मौकों पर थोड़ा अधिक भुगतान करने को कहा जाना चाहिए।'हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, 'यह उनका विचार नहीं है, बल्कि एक चर्चा है जो मैंने सुनी है और मैं इसे दोहरा रहा हूं।' अगले महीने पेश किए जाने वाले बजट पर चिदंबरम ने कहा कि चुनाव को ध्यान में रखकर बजट नहीं बनाया जाता। चुनाव बजट से 14 महीने दूर है। बजट एक जिम्मेदार बजट होगा।'
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर 28 फरवरी को वह यह दिखा सकें कि सरकार ने राजकोषीय घाटा 5.3 प्रतिशत से नीचे रखा और अगर बजट अनुमानों से पता चलता है कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत से नीचे रहेगा तो वह अगले साल राजस्व वृद्धि में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद कर सकते हैं।
चिदंबरम ने कहा, 'मैं समझता हूं कि यह वह समय होगा जब रेटिंग एजेंसियों को यहां से आगे बढऩे पर विचार करना चाहिए। मेरा मतलब परिदृश्य में सुधार और रेटिंग में सुधार से है।'
स्विस वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नया कर प्रशासनिक सहायता कानून एक फरवरी से अमल में आएगा और इस आशय का प्रस्ताव स्विटजरलैंड की संघीय अदालत ने पारित किया है।
पिछले कुछ साल से स्विटजरलैंड की सरकार पर स्विस बैंकों की गोपनीयता खत्म करने को लेकर खासा वैश्विक दबाव है। इसी दबाव के मददेनजर यह कदम उठाया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि स्विस बैंक दूसरे देशों में गलत तरीके से कमाये गये धन के पनाहगाह के रूप में काम करते हैं और अपने ग्राहकों की गोपनीयता प्रावधानों का हवाला देकर खातों के बारे में जानकारी साझा नहीं करते।
स्विटजरलैंड की सरकार उन देशों के साथ सूचनाओं को साझा करती है, जिनके साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान का समझौता या कर संधि है। ऐसे देशो में भारत भी शामिल है। लेकिन अबतक व्यक्तियों के समूह के बारे में अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाता है।
विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक में भाग लेने दावोस आये अधिकारी ने कहा कि नया कर प्रशासनिक सहायता कानून (टीएएए) के अगले महीने से अमल में आने के साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ समूह के अनुरोध को स्वीकार किया जाएगा।
स्विस फेडरल काउंसिल के प्रस्ताव के अनुसार स्विस बैंक के ग्राहकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये इस बारे में स्पष्टीकरण जरूरी है कि मामला कर चोरी का है। कानून को स्विटजरलैंड की संसद ने 28 सितंबर 2012 को मंजूरी दी। इस पर 17 जनवरी को जनमत संग्रह कराया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
टीएएए के एक फरवरी 2013 को अमल में आने के बाद वह दोहरा कर संधि से संबद्ध मौजूदा अध्यादेश का स्थान लेगा। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा दो देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये नये अंतरराष्ट्रीय मानक तय किये जाने के बाद यूरोपीय देश ने यह निर्णय किया है।
ओईसीडी विकसित देशों का संगठन है और कर तथा अन्य आर्थिक मुददों पर वैश्विक नीति मानक तैयार करता है। जानकारी उस स्थिति में नहीं दी जाएगी, जब कर चोरी या अन्य अपराध के बारे में ठोस संकेत नहीं होंगे। अगर सूचना केवल कुछ दिलचस्प जानकारी हासिल करने के लिये मांगी जाती है, तो स्विस अधिकारी उसे देने से मना कर सकते हैं।
दावोस: शहरी विकास एवं संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने भारत में नीतिगत निष्क्रियता को खारिज करते हुए कहा कि दरअसल देश-विदेश के निवेशकों को भारत से काफी उम्मीदें हैं इसलिए नीतिगत पहल करने में कुछ दिनों के ठहराव को भी निष्क्रियता मान लिया जाता है।
विश्व आर्थिक मंच की बैठक (डब्ल्यूईएफ) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कमलनाथ ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ने सुधारों को बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। यहां तक कि यूरोप और अमेरिका में भी इतने सुधार नहीं हुए हैं जितने कि भारत में हुए।
नाथ ने कहा, 'भारत में हाल के दिनों में भारी संख्या में सुधार हुए हैं और यह किसी भी देश के लिए सबसे बड़ी पहल होगी। किसी भी देश चाहे अमेरिका हो या यूरोप कही भी इतना उदारीकरण नहीं हुआ जितना भारत में हुआ है।' उन्होंने कहा 'यूरोप में दबाव का कुछ असर हुआ इसलिए कुछ समय के ठहराव को निष्क्रियता के तौर पर देखा जाने लगा। यह गलत संकेत था जिसे ठीक करने की जरूरत है।' वह मंच की बैठक के दौरान सीआईआई और बोस्टन कंसल्टिंग समूह द्वारा आयोजित सत्र में बोल रहे थे।
नाथ ने इस सवाल के जवाब में कि भारत के बुनियादी ढांचा और अन्य क्षेत्रों में और अधिक विदेशी निवेश क्यों नहीं आ रहा है? उन्होंने कहा कि निवेशक भारत से बहुत अधिक उम्मीद करते हैं।
संसदीय मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे नाथ ने कहा 'एक धारणा विकसित हो गई है कि या तो वृद्धि की बहार या फिर मंदी। भारत से उम्मीद के मामले में कोई मध्य मार्ग नहीं है इसलिए थोड़े से ठहराव को निराशा के तौर पर देखा गया। इसकी वजह से कंपनियों के मुनाफे में आई थोड़ी सी गिरावट को बहुत खराब स्थिति के तौर पर देखा गया क्योंकि पहले वृद्धि बहुत अधिक थी।'
बहरहाल, उन्होंने कहा कि भारत को अगले पांच साल में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1,000 अरब डालर के निवेश की उम्मीद है ताकि आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके।
गौरतलब है कि मोबाइल फोन खरीदने पर भले ही आपको सौगात मिल रही हो, लेकिन मोबाइल सर्विस देने वाली कंपनियों ने यूजर्स की जेब काटने की पूरी तैयारी कर ली है। प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों ने 2जी डाटा प्लान को महंगा करने के महज एक माह बाद अब अपने ग्राहकों और उनके रिश्तेदारों एवं मित्रों के बीच होने वाली बातचीत को भी महंगा कर दिया है। दरअसल, इन कंपनियों ने अब स्पेशल टैरिफ वाउचर्स की दरें भी बढ़ा दी हैं। इनमें भारती एयरटेल भी शामिल है। कंपनियों ने इसके अलावा ग्राहकों को दी जा रही 'फ्री मिनट्स' की अवधि भी घटा दी है। इसी तरह बोनस कार्ड के तहत ग्राहकों को दी जाने वाली रियायतों को भी अब तर्कसम्मत बना दिया गया है। जाहिर है, इन कदमों से कुछ टेलीकॉम सर्किलों में वॉयस कॉल दरें अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारती एयरटेल ने 'फ्री मिनट्स' को 10 से लेकर 25 फीसदी तक घटा दिया है। वहीं, भारती एयरटेल ने स्पेशल टैरिफ वाउचर्स की कीमतों में 5 से लेकर 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसी तरह आइडिया सेल्युलर ने भी विभिन्न सर्किलों में कुछ प्रमोशनल ऑफर वापस ले लिए हैं।
एयरटेल के प्रवक्ता ने कहा, 'मुख्य दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हमने ज्यादातर सर्किलों में ग्राहकों को दिए जाने वाले प्रमोशनल लाभ अब घटा दिए हैं। इसी तरह फ्री मिनट्स की अवधि भी अब कम कर दी गई है।' वहीं, आइडिया सेल्युलर के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि खुद को प्रतिस्पर्धी बनाने के मकसद से आइडिया ने कुछ प्रमोशनल ऑफर वापस ले लिए हैं। इस बीच, वोडाफोन ने प्रतिद्वंद्वी कंपनियों द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया है।
प्रीपेड ग्राहक प्रभावित
टेलीकॉम कंपनियों ने बढ़ती लागत के दबाव में ये कदम उठाए हैं। ये खासकर प्रीपेड ग्राहकों को प्रभावित करेंगे। देश के कुल मोबाइल फोन ग्राहकों में करीब 95 फीसदी प्रीपेड कनेक्शन वाले ही हैं।
और क्या कदम
बोनस कार्ड के तहत ग्राहकों को दी जाने वाली रियायतों को भी बनाया गया तर्कसम्मत
एयरटेल के कदम
'फ्री मिनट्स' को 10 से लेकर 25 फीसदी तक घटाया
स्पेशल टैरिफ वाउचर्स की कीमतें 5 से लेकर 15 फीसदी तक बढ़ाईं
सरकार की गैस के दाम दोगुना करने की सिफारिश
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कैबिनेट को गैस की कीमतें लगभग दो गुना करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसी साल से कीमतें 4.2 डॉलर एमबीटीयू से बढ़ाकर 8-8.5 एमबीटीयू करने का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज की गैस के दाम 2014 से बढ़ाने का प्रस्ताव है।
पहले मई 2010 में गैस की कीमते 1.79 डॉलर एमबीटीयू से बढ़ाकर 4.2 डॉलर एमबीटीयू की गई थीं। मौजूदा भाव मार्च 2014 तक के लिए था। बाजार को अप्रैल 2014 से कीमतों में वृद्धि की उम्मीद थी। 2010 में कीमतें बढ़ने से कंपनियों का एपीएम गैस कारोबार मुनाफे में आ गया था।
गैस दाम दुगने करने की सिफारिश से ओएनजीसी, ऑयल इंडिया को फायदा मिलेगा जबकि गेल, आईजीएल, फर्टिलाइजर और पावर कंपनियों के लिए ये खबर नुक्सानदायक है।
गेल, आईजीएल, फर्टिलाइजर और पावर कंपनियों के लिए गैस की कीमतें बढ़ने से लागत बढ़ेगी। गेल के पेट्रोकेमिकल मार्जिन पर असर दिखेगा जहाँ से आय का करीब 1/3 हिस्सा आता है। वहीं आईजीएल के मार्जिन पर दबाव संभव है।
हालांकि एपीएम गैस की कीमतें बढ़ने का सरकार को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया सरकार को एपीएम गैस पर 10 फीसदी की रॉयल्टी देते हैं।
टेलिकॉम कंपनियों पर सांठगांठ का शक!
एयरलाइंस कंपनियों की तरह क्या टेलीकॉम कंपनियों के बीच सांठगांठ शुरू हो गई है। बुधवार को भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया के बाद आज रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने भी दाम बढ़ाने के संकेत दिए है। हालांकि ऐसा नहीं कि कॉल दरें इतनी ज्यादा बढ़ोतरी पर ट्राई चुप है।
ट्राई को भी टेलिकॉम कंपनियों के कॉल दरों में बढ़ोतरी करने के फैसले में सांठगांठ की बू आ रही है। ट्राई चेयरमैन राहुल खुल्लर ने कहा है कि अगर वो इसमें दखल नहीं दे रही है तो इसका मतलब ये नहीं कि उन्होंने आंखें बंद कर रखी हैं। आज एक कंपनी ने दाम बढ़ाए, दो दिन बाद दूसरी कंपनियां दाम बढ़ाएं, कहीं कोई सांठगांठ तो नहीं।
हालांकि टेलिकॉम कंपनियों ने महंगी लागत का हवाला देकर कॉल दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। लेकिन सभी टेलिकॉम कंपनियों के मिलकर दाम बढ़ाने से सवाल उठ रहे हैं। भारती एयरटेल ने कॉल दरें 1 रुपये प्रति मिनट से बढ़ाकर 2 रुपये प्रति मिनट कर दी हैं। आइडिया ने कॉल दरों को 72 पैसे प्रति मिनट से बढ़ाकर 1.2 रुपये प्रति मिनट कर दिया है। वोडाफोन ने कॉल दरों को महंगा करने के साथ ऑफर्स वापस ले लिए हैं।
इस बीच एक कंज्यूमर एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने कॉल दरें बढ़ाए जाने के खिलाफ कंपिटीशन कमिशन में शिकायत की है। इस एनजीओ के सेक्रेटरी अनिल कुमार ने कहा है कि टेलिकॉम कंपनियों ने मिलकर दाम बढ़ाए हैं और नियम इसकी इजाजत नहीं देते, कानूनन ये अवैध है। दरों में इस तरह की बढ़ोतरी जायज नहीं है, इसलिए इसके खिलाफ सीसीआई में शिकायत की है।
कोल ब्लॉक आवंटन में हुई अनियमितता : CBI
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोयला ब्लाक आबंटन मामले की अब तक की जांच से पता चला है कि सरकारी संसाधनों के आबंटन में सरकारी प्राधिकारियों ने अनियमितता की और इस समय करीब 300 कंपनियां उसकी जांच के दायरे में हैं।
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में जांच एजेन्सी ने कहा है कि वह 1993 से और विशेष रूप से 2006 से 2008 के दौरान कोयला आबंटन के मामले में प्रत्येक कंपनी के खिलाफ जांच की जा रही है।
हलफनामे के अनुसार जांच एजेन्सी को पता चला है कि 1993 से ही कोयला ब्लाक आबंटन और खदानों के विकास के लिये ठेका देने तथा सरकार के अधीन वर्ग के तहत सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने में अनियमिततायें हुयी हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने कोयला मंत्रालय द्वारा सरकारी वितरण वर्ग के तहत आवंटित कोयला ब्लाक की खदानों के विकास के लिये ठेका देने में नियमों और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जांच एजेन्सी ने कहा है कि जांच ब्यूरो के निर्देशक ने करीब एक लाख 60 हजार पन्नों की सात सौ फाइलों की छानबीन के लिये जांचकर्ताओं का विशेष दल गठित किया है।
हलफनामे में कहा गया कि संयुक्त उद्यम बनाने के लिये संबधित प्राधिकारियों ने पारदर्शी प्रणाली नहीं अपनायी और इस प्रक्रिया में अपेक्षित सावधानी नहीं बरती गयी। निजी पक्षों के साथ संयुक्त उद्यमों या खदानों के विकास के ठेके देने में कुछ लोक सेवकों के निहित स्वार्थ थे। यह भी संदेह है कि इस प्रक्रिया में कई निजी कंपनियों को अनावश्यक लाभ भी मिला है।
हलफनामे के अनुसार इस मामले की जांच में एजेन्सी 'व्यापक और विस्तृत' दृष्टिकोण अपना रही है और संसद में खदान और खनिज संशोधन बिल, 2008 पेश करने में विलंब के बारे में आरोपों पर भी गौर कर रही है। हलफनामे में कहा गया है कि तीन सौ से अधिक कंपनियों को कोयला ब्लाक के आबंटन से संबंधित मामलों की तफतीश पर विचार हो रहा है। अभी तक 12 कंपनियों के मामले में जांच पूरी हो चुकी है और इनमें से नौ कंपनियों के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
जांच एजेन्सी ने न्यायालय के समक्ष उन कंपनियों की सूची भी पेश की जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इनमें जस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्रा लिमिटेड, एएमआर आयरल एंड स्टील प्रा लि, जेएलडी यवतमाल एनर्जी लि, नवभारत पावर लि, विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लि, ग्रेस इंडस्ट्रीज लि, विकाश मेटल एंड पावर लि, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं।
एजेन्सी ने कहा कि जांच की गोपनीयता और निष्पक्षता कायम रखने के इरादे से ही वह सारी जानकारी का खुलासा नहीं कर रही है।
कोयला ब्लाक के आबंटन में कथित अनियमितताओं के आरोपों पर शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद जांच एजेन्सी ने यह हलफनामा दाखिल किया है।
रेलवे के क्लाक रूम, लॉकर शुल्क में बढ़ोतरी
यात्री किराये में वृद्धि के बाद अब रेलवे ने अमानती सामान घर (क्लाक रूम) और लॉकर के शुल्क में भी बढ़ोतरी कर दी है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे ने अमानती सामान घर और लाकर शुल्कों में संशोधन करने का निर्णय किया है। नया शुल्क एक फरवरी से लागू होगा।
लॉकर में अपना सामान रखने के लिए अब लोगों को 24 घंटे के लिए पांच रूपये के स्थान पर 20 रूपये देने होंगे। बाद के प्रत्येक 24 घंटे के लिए शुल्क 30 रूपया होगा वहीं क्लॉक रूम का शुल्क भी पहले 24 घंटे के लिए 10 रूपये से बढाकर 15 रूपया कर दिया गया है। अगले प्रत्येक 24 घंटे के लिए शुल्क 20 रूपया हो जायेगा। वर्ष 2001 के बाद यह पहला मौका है जब लॉकर और क्लाक रूम की दरों में संशोधन किया गया है।
आर्थिक तंगी से जूझ रही रेलवे ने 22 जनवरी से सभी श्रेणी के अपने किराये में बढोत्तरी की है। गौरतलब है कि पैसे की कमी के कारण रेलवे की कई परियोजनाओं को पूरा करने में देरी हो रही है जिसमें सुरक्षा समेत रेलवे की आधुनिकरकरण की योजनाएं शामिल हैं।
वालमार्ट के खिलाफ आरोपों की जांच होगी
सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन कथित आरोपों की जांच करेंगे कि रिटेल कंपनी वालमार्ट भारत में लाबिंग गतिविधियों में शामिल थी ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया । यह जानकारी सरकार के एक मंत्री ने दी ।
इस मुद्दे पर संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा हुआ था । विपक्षी दलों की आपत्तियों के बाद संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने ऐलान किया था कि सरकार जांच के लिए तैयार है और जांच कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे ।
इस बीच सूत्रों ने बताया कि लाबिंग गतिविधियों को लेकर हाल ही मीडिया खबरों की जांच होगी । साथ ही यह जांच भी की जाएगी कि वालमार्ट ने भारतीय कानून के खिलाफ भारत में कोई गतिविधि की या नहीं ।
कारोबारी हितों को आगे बढाने के लिए अपने पक्ष में मत कायम करने का प्रयास लाबिंग है । निगमित कार्य मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक जांच समिति बनने के तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी ।
व्यवहारिक गतिविधियां तय करे कंपनियां : सरकार
सरकार ने कंपनियों से कहा कि वे बाजारों में उचित व्यवहारिक गतिविधियां सुनिश्चित करें और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने वाली प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों से बचें। बाजार को जागरूक बनाने के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अधिकारियों के साथ देश की प्रमुख कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों से आज मुलाकात की। बैठक के दौरान पायलट ने यह संदेश दिया कि उपभोक्ता का हित सर्वोपरि है।
पायलट ने यहां कंपनी के कार्यकारियों को संबोधित करते हुए कहा, 'यदि हम इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर काम करते हैं कि उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा कैसे करनी है तो इस बारे में प्रतिस्पर्धा ही आगे बढ़ने का एकमात्र कार्यक्रम है।' मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कहीं उपभोक्ताओं पर उनकी कुछ क्षेत्रों की गैर प्रतिस्पर्धी गतिविधियों का बोझ तो नहीं पड़ रहा।
उन्होंने कहा कि आज की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है कि कंपनियों के खिलाफ बाजार में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने और गैर प्रतिस्पर्धी समझौते की शिकायतें बढ़ रही हैं। पायलट ने कहा कि प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने का उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना होगा जहां लोग बाजार पर एकाधिकार अथवा गुटबाजी बनाकर कारोबार नहीं करें।
मंत्री ने कहा, 'हमारे पास कई क्षेत्रों से जुड़े नियामक हैं और हमारे पास सीसीआई है लेकिन उन्हें उचित वक्त पर एक दूसरे से बात करनी चाहिए।' हाल में सीसीआई ने विभिन्न व्यापार संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी ताकि उन्हें स्वस्थ कारोबार के बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति पर काम कर रहा है और कुछ पक्षों ने सरकारी कंपनियों के क्षेत्राधिकार में पहुंचने में आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया है।
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हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।
In conversation with Palash Biswas
Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg
Save the Universities!
RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!
जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি
अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास
ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?
Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
______________________________________________________
By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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