Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Wednesday, July 20, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/20
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःबीटीसी मामले में ली जाएगी कानूनी सलाह

Posted: 19 Jul 2011 11:31 AM PDT

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से बीटीसी की मान्यता हासिल करने वाली अल्पसंख्यक संस्थाओं को सीटें भरने का अधिकार देने के बारे में बेसिक शिक्षा विभाग न्याय विभाग से सलाह लेगा। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में यह तय हुआ। संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धर्म तथा भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार है। प्राय: यह देखा गया है कि लाभ कमाने के मकसद से अल्पसंख्यक संस्थाएं अन्य धर्म के छात्रों से मनमानी फीस वसूल कर उन्हें अपने यहां प्रवेश दे देती हैं। एनसीटीई की 25 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को अपनी फीस तय करने का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होगा। एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं द्वारा कैपिटेशन फीस वसूलने पर भी प्रतिबंध है। यह अधिसूचना अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को अपने यहां की सीटों पर प्रवेश देने के अधिकार के बारे में खामोश है। उधर टीएमए पई फाउंडेशन व अन्य बनाम कर्नाटक सरकार व अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट 2002 में यह कह चुका है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के संचालन में राज्य की कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। एनसीटीई से बीटीसी की मान्यता हासिल करने वाली प्रदेश में सात संस्थाएं हैं। अदालत के आदेश पर शासन ने इनमें से एक संस्था को बीटीसी की सभी सीटें स्वयं भरने का अधिकार दे दिया है। एक अन्य संस्था ने बीटीसी की सभी सीटें खुद भरकर इस सिलसिले में अदालत का दरवाजा खटखटाया है। एटा की एक संस्था मुस्लिम वेलफेयर एजुकेशनल सोसाइटी जिसके चार बीटीसी कॉलेज हैं, ने भी शासन से 100 प्रतिशत सीटें खुद भरने का अधिकार दिये जाने की मांग की है। प्रदेश में अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों में दाखिलों के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इस मसले पर विचार करने के लिए मंगलवार को हुई बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण, न्याय और बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के अलावा एनसीटीई के उप सचिव सुनील यादव भी मौजूद थे। बैठक में यह तय हुआ कि इस बारे में न्याय विभाग का परामर्श ले लिया जाए ताकि अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों के लिए कोई नीति बनायी जा सके(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.7.11)।

लखनऊ विविःपीजी आवेदन 25 तक

Posted: 19 Jul 2011 11:28 AM PDT

लखनऊ विश्र्वविद्यालय में पीजी आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा कर 25 जुलाई कर दी गई है। स्नातक अंतिम वर्ष के परीक्षा परिणाम आने में हो रही देरी के चलते यह कदम उठाया गया है। हालांकि रविवार को बीएससी तृतीय वर्ष का परिणाम जारी कर दिया। अब बीए, बीएससी और बी-कॉम तीनों कक्षाओं के अंतिम वर्ष का परिणाम जारी हो चुका है। लविवि के प्रवक्ता प्रो.एसके द्विवेदी ने बताया कि सभी परिणाम लविवि की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है। लखनऊ विश्र्वविद्यालय से पीजी, एमफिल, एलएलएम, एलएलबी त्रिवर्षीय, पीजी डिप्लोमा, प्रोफिशिएंसी और डिप्लोमा करने के इच्छुक अभ्यर्थी 25 जुलाई तक प्रवेश फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है। अभ्यर्थियों को लविवि की वेबसाइट इन पर जाकर फॉर्म भरना होगा। फॉर्म भरने की पूरी प्रक्रिया वेबसाइट पर चरणबद्ध तरीके से समझायी गई है। परीक्षा में उपस्थित अंकपत्र में अनुपस्थित बी-कॉम अंतिम वर्ष का रिजल्ट आते ही परिणामों का इंतजार कर रहे सैकड़ों विद्यार्थियों के चेहरे पर मायूसी छा गई है। अंकपत्रों में बड़े पैमाने पर हुई गड़बडि़यों से छात्र-छात्राएं परेशान हैं। वाणिज्य विभाग में लगभग 50 बच्चों ने शिकायत की है कि वे परीक्षा में शामिल हुए थे जबकि अंकपत्र में उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया है। इसके अलावा कुछ ऐसी शिकायतें भी हैं जिनमें विद्यार्थी या उसके अभिभावकों के नाम गलत छपे हुए हैं। कुछ के तो विषय ही नहीं हैं। ऐसी ही शिकायतें बीए अंतिम वर्ष के अंकपत्रों में भी सामने आयी थीं। गलतियों वाले अंकपत्र के कारण विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गई है। अब छात्र-छात्राएं सुधार के लिए विभागों के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि इस बीच पीजी में आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाने से ऐसे विद्यार्थियों को कुछ राहत मिली है(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.7.11)।

सेना में धार्मिक शिक्षकों की भर्ती

Posted: 19 Jul 2011 11:27 AM PDT

सेना में धार्मिक शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। पंडित, ग्रंथी और मौलवी की भर्ती सेना की सभी क्षेत्रीय भर्ती कार्यालयों पर होगी। छह अगस्त तक अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए निकटतम भर्ती कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।पंडित के लिए स्नातक पास युवा आवेदन कर सकते हैं। 

एनसीसी कैडेटों की भर्ती : सीनियर डिवीजन, सीनियर विंग एनसीसी कैडेटों की एनसीसी एयरविंग में भर्ती के लिए 26 वर्ष की आयु वाले बालक बालिकाओं से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। हाईस्कूल पास एनसीसी कैडेट 28 जुलाई तक महानगर स्थित पांच यूपी एयर स्क्वाड्र्न एनसीसी कार्यालय से आवेदन प्राप्त किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी एनसीसी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
भर्ती फार्म : जीपीओ सहित प्रदेश के 169 डाकघरों में 20 जुलाई से सिपाही भर्ती फार्म मिलेंगे। इच्छुक अभ्यर्थी किसी भी डाकघर से 50 रुपये मूल्य का सिपाही भर्ती फार्म खरीद सकते हैं, जिस डाकघर से फार्म लिया जाएगा वहीं जमा भी होगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.7.11)।

राजस्थान में शिक्षण के अवसर

Posted: 19 Jul 2011 11:26 AM PDT

आप यदि राजस्थानी संस्कृति में रचे बसे हैं और आप शिक्षा क्षेत्र से जुड़ना चाहते हैं तो राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक) के लिए 4,326 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। इसमें 1,963 पद सामान्य वर्ग के लिए है। 
अर्हताएं : 
शैक्षिक योग्यता : इच्छुक उम्मीदवार को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विविद्यालय से किसी भी विषय से स्नातक या उसके समतुल्य परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए और राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा भी जरूरी है। अनुभव : पांच वर्ष अध्यापन का अनुभव होना चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार को देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी का व्यावहारिक ज्ञान एवं राजस्थान की संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए। 

उम्र सीमा :
आवेदक की उम्र पहली जनवरी, 2012 को 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए और न ही 35 साल से अधिक। आरक्षण और उम्र में छूट केवल राजस्थान के निवासियों के लिए है। 

परीक्षा केंद्र :
आवेदकों की संख्या के आधार पर राजस्थान के जिला मुख्यालयों पर परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। परीक्षा अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह या सितम्बर माह में लिया जाएगा। 

चयन प्रक्रिया :
लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों की कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी। इसी मेधावी सूची के आधार पर मैरिट में आए उम्मीदवारों से सभी रिक्त पदों को भरा जाएगा। लिखित परीक्षा के तहत दो पेपर हैं। पहला प्रश्नपत्र दो सौ अंकों का है और दूसरा प्रश्नपत्र तीन सौ अंकों का है।

राजस्थान म बनिए वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक)


प्रथम प्रश्नपत्र : इसमें एक सौ प्रश्न बहुवैकल्पिक होंगे। इसके लिए दो घंटे निर्धारित किया गया है। यह चार भागों में बांटा गया है। पहले भाग में राजस्थान की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामान्य जानकारी संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 80 अंक निर्धारित किये गये हैं। दूसरे भाग में राजस्थान की समसामायिक घटनाओं से संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे, इसके लिए 20 अंक निर्धारित है। तीसरे भाग में भारत की सामान्य जानकारी संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 60 अंक निर्धारित किये गये हैं। प्रश्न पत्र का चौथा भाग 40 अंक का है। इस भाग में शिक्षा से जुड़े मनोविज्ञान संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। 
दूसरा प्रश्नपत्र : यह प्रश्नपत्र इच्छुक उम्मीदवार के विषय से संबंधित है। इसके लिए ढाई घंटे निर्धारित किये गये हैं। इसमें डेढ़ सौ अंकों के लिए बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। शेष अंकों के लिए प्रश्न लघुत्तरीय और दीर्घउत्तरीय होंगे। इस प्रश्नपत्र को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर के विषय संबंधी जानकारी पूछे जाएंगे, इसके लिए 180 अंक निर्धारित किया गया है। दूसरे भाग में स्नातक स्तरीय प्रश्न विषय संबंधी होंगे। इसके लिए 80 अंक निर्धारित किये गये हैं, जबकि तीसरे भाग में संबंधित विषय को पढ़ाने के तरीके को समझने के लिए प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 40 अंक निर्धारित किये गये हैं। रणनीति परीक्षा में सफलता के लिए सबसे पहले लिखित परीक्षा के सिलेबस को गहराई से समझना जरूरी है। सिलेबस को समझने के बाद रुटीन बनाकर तैयारी करनी चाहिए। लिखित परीक्षा के दोनों प्रश्नपत्र महत्वपूर्ण हैं। किसी को भी कमतर आंकना ठीक नहीं है। लिखित परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में राजस्थान संबंधी सौ अंकों के प्रश्न पूछे जाएंगे। इसे ध्यान में रखते हुए 'राजस्थान : एक परिचय' पुस्तक पढ़ना जरूरी है। बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को रिवाइज करने से लिखित परीक्षा में काफी हद तक मदद मिलेगी। समसामायिक घटनाओं की जानकारी को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है। पढ़ाई करते समय महत्वपूर्ण तत्थों को नोट करना चाहिए और नोट किए तत्थों को रोजाना देखना चाहिए चूंकि नियुक्ति राजस्थान प्रदेश के लिए है, इसके लिए जरूरी है राजस्थान संबंधी समसामायिक घटनाओं, नियुक्तियों संबंधी प्रश्नों के अलावा, राजस्थान से संबंधित तमाम जानकारियों पर पकड़ बनानी चाहिए।
(दीपक राजा,राष्ट्रीय सहारा,19.7.11)

विद्यार्थियों को मिल सकती हैं और सुविधाएं

Posted: 19 Jul 2011 11:22 AM PDT

आसान शर्तो पर विद्यार्थियों को एजुकेशन लोन देना भले ही बैंकों को महंगा साबित पड़ रहा हो, लेकिन सरकार इस संबंध में बैंकों को कोई रियायत देने के पक्ष में नहीं है। उलटे सरकार एजुकेशन लोन के नियमों को और ज्यादा उदार बनाने के लिए नए निर्देश जारी करने की तैयारी में है। अलबत्ता बैंकों को ये अधिकार दिया जा सकता है कि वे उन शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को कर्ज देने से मना कर दें, जिनके पुराने विद्यार्थियों से कर्ज वापस लेने में परेशानी हुई हो। सूत्रों के मुताबिक भारतीय बैंक संघ (आइबीए) बहुत जल्द ही एजुकेशन लोन स्कीम के मौजूदा स्वरूप में बदलाव का दिशानिर्देश जारी करेगा। इसके तहत छात्रों को कर्ज लौटाने के लिए अब 10 वर्ष तक का समय दिया जाएगा। अभी कर्ज लौटाने के लिए छात्रों को अधिकतम सात वर्ष का समय मिलता है। वैसे बैंक तो चाहते हैं कि कर्ज लौटाने की मौजूदा अवधि को सात से घटाकर पांच साल कर दिया जाए, लेकिन सरकार का कहना है कि परिपक्वता अवधि ज्यादा होने की वजह से न सिर्फ विद्यार्थियों पर बोझ कम होगा, बल्कि बैंकों के लिए अपने सालाना खाते-बही में कम समायोजन करना होगा। दरअसल, पिछले दिनों वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ बैठक में सरकारी बैंकों ने एजुकेशन लोन में बढ़ते फंसे कर्जे (एनपीए) का मसला उठाया था। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान ही एजुकेशन लोन के वर्ग में 1600 करोड़ रुपये का नया एनपीए बना है। बैंकों ने पिछले वर्ष 43,074 करोड़ रुपये का शिक्षा कर्ज वितरित किया था(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.7.11)।

केपीओ का बढ़ता स्कोप

Posted: 19 Jul 2011 11:20 AM PDT

चूंकि केपीओ भारत में बतौर करियर ऑप्शन के तौर पर उभर रहा है इसलिए संस्थान कार्य की जरूरतों के हिसाब से स्किल डेवलप करने के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग प्रदान नहीं देते। बावजूद इसके, कई संस्थान शॉर्ट-टर्म ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्सेज और ट्रेनिंग प्रोग्राम डिप्लोमा लेवल पर प्रदान करते हैं। ऐसे संस्थानों का मुख्य उद्देश्य प्रोफेशनल्स को ट्रेन करना है ताकि इस फील्ड में वे बेहतर कर सकें।


क्या है केपीओ- केपीओ यानी 'नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग' एक नया कॉन्सेप्ट या प्रोसेस है, जो भारत में तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। केपीओ आउटसोर्सिग की ही प्रक्रिया है, जिसमें ज्ञान, जानकारियों से संबंधित कार्य या अलग-अलग कंपनियों के ट्रेंड प्रोफेशनल्स द्वारा जानकारियों को संचालित किया जाता है। आमतौर पर कार्य देश से दूर विदेशों से संचालित होते हैं, ताकि खर्च बचाया जा सके। केपीओ कॉस्ट सेविंग्स, हाइली स्किल्ड मै नपावर की उपलब्धता, परिचालन-संबंधी कुशलता व कार्यक्षमता, मौजूदा रिलेशनशिप और इंडियन डोमेस्टिक मार्केट के विस्तार के कारण भारत में तेजी से बढ़ने वाला इंडस्ट्री बनता जा रहा है। केपीओ आउटसोर्सिग सर्विसेज का मु ख्य फायदा कॉस्ट रिडक्शन, स्टैंर्डड ऑपरेशनल एफिशिएंसी, एक्सपर्ट मैनपावर, टाइम सेविंग, प्रॉफिट इन्क्रिमेंट्स है। सरल शब्दों में कहें तो वैल्यू चेन में बीपीओ का यह अपवॉर्ड शिफ्ट है। पुरानी बीपीओ कंपनियां जो कस्टमर केयर सपोर्ट प्रोवाइड कराती थीं, अब वही इस वैल्यू चेन को ऊपर की ओर ले जाने में जुट गई हैं। बीपीओ में जहां प्रोसेस एक्सपर्टीज पर फोकस होता है वहीं केपीओ में नॉ लेज एक्सपर्टीज पर फोकस किया जाता है। केपीओ में बड़े स्तर पर स्पेसिफिक डॉमेन स्किल्ड टैलेंटेड इंजीनियर्स, लॉयर्स, कंप्यूटर लिटरेट्स, सीए, डॉक्टर्स और अन्य प्रोफेशनल्स भी अट्रैक्ट हो रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 3 लाख से भी अधिक जॉब भविष्य में केपीओ सेक्टर में उपलब्ध होंगी। जहां बीपीओ अपनी ऊंचाइयों पर है वहीं अब केपीओ का भविष्य उज्ज्वल है, जो आउटसोर्सिग सेक्टर में बहुत बड़ी क्रांति है। ऐसे में कह सकते हैं कि केपीओ नया सेक्टर है, जो इन्टेलेक्चुअल, एनालिटिकल और बुद्धिमान लोगों के लिए लॉन्ग-टर्म जॉब प्रोवाइड करता है, जिसमें बीपोओ सेक्टर के मुकाबले पे-स्केल काफी हाई होती है। इस फील्ड में सफलता हासिल करने के लिए आपको डाटा आउटसोर्सिग और इनफॉम्रेशन के प्रति रुझान, योग्यता होनी चाहिए। साथ ही, बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स, आत्मविास और अंग्रेजी पर बेहतर कमांड भी जरूरी है। बीपीओ की ही तरह केपीओ की कार्य प्रक्रिया है जैसे दोनों ही फील्ड में बतौर टीम वर्क काम करने के साथ लगातार कई घंटों और रोटेशनल शिफ्ट में भी कार्य करना पड़ता है।
केपीओ हाई एंड प्रोसेसेज- जैसे वैल्यूएशन, रिसर्च, इनवेस्टमेंट रिसच्रेज, पेटेंट फिलिंग, लीगल और इंश्योरेंस क्लेम, प्रोसेसिंग आदि सर्विसेज में शामिल होता है। इन सभी टास्क को पूरा करने के लिए केपीओ में बेहतर एजुकेशनल बैकग्राउं ड वाले कैंडिडेट्स की जरूरत होती है। जिन कैंडिडेट्स की एजुकेशन और एनालिटिकल एबिलिटीज बेहतर होती है, वे इस फील्ड में आगे बढ़ने का सोच सकते हैं। फिलहाल भारत में चेन्नई औ र बेंगलू रू ही इस फील्ड के मुख्य सेंटर्स हैं। फार्मा, बायोटेक, डाटा इंटिग्रेशन (एकीकरण) और मैनेजमेंट सर्विसेज, फाइनेंशियल सर्विसेज, रिसर्च और एनालिटिक्स, टेक्नोलॉजी रिसर्च, कंप्यूटर-एडेड सिम्युलेशन और इंजीनियरिंग में भी केपीओ के लिए ढेरों संभावनाएं हैं। साथ ही, यह प्रोफेशनल सर्विसेज जैसे बिजनेस रिसर्च, लीगल सर्विसेज, फाइनेंशियल एनालिसिस और मैनेजमेंट कंसल्टिंग को भी शामिल करता है। केपीओ मार्केट्स, कॉम्पटीशन, प्रोडक्ट्स और सर्विसेज पर रिसर्च प्रदान करने के अलावा बिजने स एडमिनिस्ट्रेशन में ऑर्गनाइजेशन एफेक्टिवनेस को एन्हैंस करता है, जिसमें ये सभी तेजी से विकसित हो रहे बिजनेस दायरे में डील करने में सहायता करते हैं।

कोर्स- चूंकि केपीओ भारत में बतौर करियर ऑप्शन के तौर पर उभर रहा है इसलिए संस्थान कार्य की जरूरतों के हिसाब से स्किल डेवलप करने के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग प्रदान नहीं देते। बावजूद इसके, कई संस्थान शॉ र्ट -टर्म ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्सेज और ट्रेनिंग प्रोग्राम डिप्लोमा लेवल पर प्रदान करते हैं। ऐसे संस्थानों का मुख्य उद्देश्य प्रोफेशनल्स को ट्रेन करना है ताकि इस फील्ड में वे बेहतर कर सकें। कोर्स करने के लिए छात्रों को किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से किसी भी फील्ड में ग्रेजुएट होना होगा।

करियर प्रॉस्पेक्ट्स- केपीओ इंडस्ट्री के ग्रोथ करने से भारत में अधिक से अधिक युवा इस फील्ड में करियर संवारने के लिए इसका चुनाव कर रहे हैं। उचित व उपयुक्त कोर्स करने के बाद आप चाहें तो केपीओ फर्म के साथ रिसर्च और डेवलपमेंट, एडवांस वेब एप्लीकेशन, फाइनेंशियल, कंसल्टेंसी और सर्विसेज, बिजनेस और टेक्निकल एनालिसिस, बिजनेस और मार्केट रिसर्च, लीगल सर्विस, ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी, डाटा एनालिटिक्स आदि में कार्य कर सकते हैं। भारत में कार्यानुभव प्राप्त करने के बाद आपको विदेशों में भी कार्य करने के बेहतर मौके प्राप्त हो सकते हैं।

वेतन- भारत में केपीओ इंडस्ट्री के बढ़ने का मुख्य कारण इसकी अट्रैक्टिव सैलरी पैकेज भी है। इसलिए, यदि आप कहीं जॉब करते हैं तो शुरुआत में कहीं भी 8 से 12 हजार के बीच सैलरी पा सकते हैं। अनुभवी प्रोफेशनल्स इस क्षेत्र में 4 से 6 लाख सालाना कमा सकते हैं।

संस्थान- चूंकि केपीओ अभी ग्रोथ ही कर रहा है इसलिए कुछ ही संस्थान भारत में कोर्स उपलब्ध कराते हैं ताकि ट्रेंड प्रोफेशनल्स इस क्षेत्र में बेहतर काम कर सकें। बेंगलूरू में एकसेलॉन संस्थान इस फील्ड में कोर्स उपलब्ध कराती है।

(अंशुमाला,राष्ट्रीय सहारा,19.7.11)

सेरामिक इंजीनियर के तौर पर करिअर

Posted: 19 Jul 2011 11:19 AM PDT

इंजीनियरिंग की समृद्ध और प्रगतिशील शाखा में से एक है सेरामिक इंजीनियरिंग। सेरामिक इं जीनियरिं ग के क्षेत्र में सेरामिक (मिट्टी) मैटीरियल्स के निर्माण और उसके प्रयोग के लिए विभिन्न तकनीक का इस्तेमाल होता है। कई इंजीनियरिंग एप्लीकेशंस को मैटीरियल्स के रूप में सेरामिक गुणों से फायदा मिलता है

सेरामिक्स, फाइन आर्ट तो है ही, साथ ही सिरामिक मैटीरियल्स की और भी कई खूबियां होती हैं। अगर किसी नये ऑफिस के बिल्डिंग का डिजाइन तैयार करना हो या बेडरूम के लिए नया वास बनवाना हो, तो हमें सेरामिक इंजीनियर की जरूरत पड़ती है। यह ऐसा इंजीनियर है, जो हमारी कल्पना को रेखांकित करके उसे हकीकत में बदलता है। कई अरब डॉलर वाला सिरामिक इंडस्ट्री प्रोसेस्ड मैटीरियल्स और रॉ मैटीरियल्स को, जिन्हें वह सीधे धरती (मिट्टी, बालू आदि) से लेता है, उपयोगी वस्तुओं जैसे स्पार्क प्लग्स, ग्लास, इलेक्ट्रॉनिक कम्पो नेंट्स, न्यूक्लियर मैटीरियल्स, रॉकेट कम्पोनेंट्स यहां तक कि टेबलवेयर तक में बदल देता है।

कार्य की प्रकृति


सेरामिक इंजीनियर कई तरह के प्रोडक्ट्स डेवलप करता है- जैसे स्पेस शटल के लिए प्रोटेक्टिव टाइल्स, दांतों के लिए सेरामिक फीलिंग, अनब्रेकेबल डिनर सेट और टेलिस्कोप लेंसेस आदि। सेरामिक वचरुअली कई इंडस्ट्री में काम आता है, जहां तापरोधी चीजों की मांग ज्यादा होती है। सेरामिक इंजीनियर्स सेरामिक मैटीरियल्स के अध्ययन, उनके व्यवहार, कार्य और प्रयोग के विशेषज्ञ होते हैं। ये नॉनमैटेलिक इनऑग्रेनिक मैटीरियल्स को कई तरह के सेरामिक प्रोडक्ट्स में बदलने की विधि का विकास करते हैं- जैसे ग्लासवेयर, फाइबर ऑप्टिक्स प्रोडक्ट्स, सीमेंट और ईटों से लेकर स्पेस व्हीकल की कोटिंग, माइक्रो-इले क्ट्रॉनिक्स, न्यूक्लियर फ्यूल के कम्पोनेंट और पॉल्युशन कंट्रोल डिवाइस आदि तक। सेरामिक इंजीनियर का मुख्य कार्य रिसर्च , प्रोडक्ट डेवलपमेंट और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग होते हैं। इस क्षेत्र के इंजीनियर्स लगातार नये-नये आइडियाज के साथ ही डिफिकल्ट प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के उपाय भी बताते हैं। वे अपने वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग मौजूदा उत्पादों की जगह नये उत्पादों के अनुप्रयोग के लिए करते हैं। प्रोडक्शन के लिए तैयार किये गये सैम्पल को कलर, सर्फेस फिनिश, टेक्सचर, स्ट्रेंथ और यूनिफॉर्मिटी और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के करेक्शन के लिए इंजीनियर्स द्वारा ही लेबोरेटरी में टेस्ट किया जाता है। जहां तक जिन रॉ मैटीरियल्स का प्रयोग किया जाता है, उन्हें भी लैब में टेस्ट किया जाता है। सेरामिक इंजीनियर्स सेल्स विभाग में भी कार्य करते हैं, जहां उन्हें कस्टमर्स की आवश्यकताओं के आधार पर भविष्य के रिसर्च का मार्गदर्शन मिलता है। मात्र एक केमिकल सोर्स के जरिये सेरामिक इंजीनियर उपयोग की कई चीजें तैयार कर लेता है, जैसे स्पेस शटल की रक्षा करने वाले हीट टाइल को डेवलप करना और भविष्य के सुपरसोनिक स्पेस प्लेन को दोबारा धरती के वातावरण में समायोजित होते वक्त मिलने वाले जबर्दस्त हीट से बचाने का उपाय खोजना। मनुष्य के शरीर में रिप्लेस करने के लिए से रामिक टीथ, बोन्स और ज्वाइंट्स बनाना या फिर किसी डिजीज पर चल रहे शोध को लगातार चलाने के लिए एडवांस मेडिकल इक्युपमेंट्स को इम्प्रूव करना। फाइबर ऑप्टिक्स केबल्स को इम्प्रूव करना, जिसके जरिये डॉक्टर्स मानव शरीर के अंदर देखते हैं और मनुष्य की आवाज को बिना किसी रुकावट के समुद्र के अंदर से हजारों मील की दू र तय करने की सुविधा देना। जॉब प्रॉस्पेक्टस सेरामिक इंजीनियर्स इस प्रोफेशन के साइंटिफिक और प्रोडक्शन जैसे दोनों पहलुओं का अनुभव करता है। साथ ही, ये एडमिनिस्ट्रेटर्स, प्रो जेक्ट सुपरवाइजर्स, सेल्स इंजीनियर्स या सेरामिक मै टीरियल्स प्रयो ग करने वाली फर्म में टेक्निकल कंसल्टेंट के रूप में करियर बना सकता है। सेरामिक इंजीनियर्स के लिए करियर के कई ऑप्शन मौजूद होते हैं जैसेकर्इ सेरामिक इंजीनियर न्यूक्लियर फील्ड में भी काम करते हैं क्योंकि सेरामिक फ्यूल मैटीरियल्स न्यूक्लियर पावर जेनरेशन को संभव बनाता है। इस टेक्नोलॉजी के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री विकसित क्षेत्र है, क्योंकि यहां ट्रांजिस्टर और इंटीग्रेटेड सर्किट के लिए इंसुलेटर के रूप में सेरामिक का प्रयोग किया जाता है। रिफ्रैक्टरी सेरामिक की आवश्यकता आयरन और एल्युमीनियम को रिफाइन करने के लिए पड़ती है , इसलिए इस इंडस्ट्री में खासतौर पर इस तरह के इंजीनियर्स की आवश्यकता पड़ती है। नया क्षेत्र है- फाइबर ऑ प्टिक्स, जिसकी टेलीकम्युनिकेशन औ र मेडिकल इंडस्ट्री में प्रभावशाली पकड़ है और जब से विज्ञान में सेरामिक कम्पोनेंट्स का प्रयोग शुरू हुआ है, तब से सेरामिक इंजीनियर्स यहां मुख्य भूमिका निभाने लगे हैं। कोर्स और योग्यता सेरामिक टेक्नोलॉजी के बै चलर्स प्रोग्राम में भाग लेने के लिए न्यूनतम योग्यता फिजिक्स, कैमेस्ट्री और मैथ्स विषय के साथ बारहवीं में हाई परसेंटेज है। कई इंजीनियरिंग कॉलेज चार वर्षीय बीई, बीटेक इन सेरामिक्स कोर्स भी ऑफर करते हैं। इंजीनियरिंग की किसी भी शाखा के समान ही सेरामिक इंजीनियरिंग में भी दाखिला लिखित परीक्षा के आधार पर ही होता है। पे-पैकेज सेरामिक इंजीनियर की शैक्षिक योग्यता और अनुभव के साथ ही कार्य स्थल और कार्य के प्रकार के आधार पर वेतन में भिन्नता पाई जाती है। फ्रेशर्स को कम से कम 25,000 से 40,000 प्रतिमाह तक मिल सकता है। 

(सपना,राष्ट्रीय सहारा,19.7.11)

नोएडाःडिग्री कॉलेज में प्रवेश का काउंटडॉउन शुरू

Posted: 19 Jul 2011 11:15 AM PDT

सेक्टर-39 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को फॉर्म जमा करने का अंतिम दिन होगा। इसके बाद से यहां प्रवेश का मुख्य काउंट डाउन शुरू हो जाएगा। अभी तक महाविद्यालय में कुल 2070 फॉर्म जाम हो चुके हैं। 21 जुलाई को यहां पहली कट ऑफ लिस्ट जारी होनी है। उल्लेखनीय है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों में 17 जुलाई ऑन लाइन पंजीकरण का अंतिम दिन रहा। 19 जुलाई फॉर्म जमा करने का अंतिम दिन है और अभी तक बीए, बीकॉम और बीएससी तीनों ही पाठ्यक्रमों में महाविद्यालय के पास आए फॉर्म का आंकड़ा दो हजार की संख्या को पार कर गया है। प्रोफेसर डीसी शर्मा ने बताया कि उनके पास लगभग 2070 फॉर्म आ चुके हैं और इनमें से 1920 फॉर्म ऑन लाइन सीसीएसयू भेजे जा चुके हैं। सोमवार को बीए में लगभग 55, बीकॉम में 70 और बीएससी में 320 फॉर्म जमा हुए। शनिवार तक बीए में 900, बीकॉम में 690 और बीएससी के 300 फॉर्म जमा हो चुके थे। कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में 400, बीकॉम में 180 और बीएससी में 160 सीट स्वीकृत हैं। वहीं तीन बार सीट बढ़ाने के बाद बीए में सीटों की संख्या 620, बीकॉम में 288 और बीएससी में 280 हो गई हैं। कुल 2500 फॉर्म बिके हैं। इनमें से लगभग दो हजार से अधिक फॉर्म जमा हो चुके हैं। कॉलेज में 1188 सीटों की संख्या के हिसाब से फॉर्म की बिक्री लगभग दोगुनी है। इसे में सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर मारामारी रहेगी। कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में ऑन लाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि 17 जुलाई थी। ऑन लाइन और महाविद्यालय के पंजीकरण फॉर्म जमा करने का अंतिम दिन 19 जुलाई है(दैनिक जागरण,नोएडा,19.7.11)।

छत्तीसगढ़ः9वीं की किताब में कमाल, सरगुजा में है अचानकमार!

Posted: 19 Jul 2011 04:45 AM PDT

सरकारी स्कूल के 9वीं के छात्रों को जैसी जानकारियां छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम दे रहा है, उनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम बच्चों का भविष्य गढ़ने को लेकर कितना संजीदा है।
किताब में बताया गया है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व सरगुजा में है, जबकि सामान्य सी जानकारी है कि यह बिलासपुर जिले में है। पुस्तक में गलतियों की लंबी फेहरिस्त है। हैरत की बात है कि अब तक न तो शिक्षकों ने इसकी शिकायत की और न ही माशिमं के अफसरों का ध्यान इस ओर गया।
छत्तीसगढ़ पाठच्य पुस्तक निगम की किताबें अब ज्ञान देने से ज्यादा गुमराह करने लगी हैं। सरकारी किताबों में गलत जानकारी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। नया मामला 9वीं कक्षा की विज्ञान की किताब का है। इस किताब में ढेरों गलतियां हैं।
हैरत में डाल देने वाली गलती अचानकमार से जुड़ी है। देशभर में अचानकमार घने जंगलों, दुर्लभ वन्य प्राणियों और आने-जाने के लिहाज से सुविधाजनक स्थान के तौर पर जाना जाता है। हर कोई जानता है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर जिले में है।

जिला मुख्यालय से यह महज 60 किलोमीटर दूर है, लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम ने यह तथ्य प्रकाशित करते समय इसकी तस्दीक करने की जरूरत नहीं समझी। 9वीं की विज्ञान किताब के 'छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधन' खंड के अध्याय 23 में पेज नंबर 292 में अचानकमार को सरगुजा में बताया गया है। जाहिर है, इसे पढ़कर छात्र गुमराह ही होंगे।


प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान:
किताब में गलतियों की गिनती यहीं खत्म नहीं होती। इसमें प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान होने की जानकारी दी गई है। इसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती, कांगेर घाटी और कुटरू को राष्ट्रीय उद्यान बताया गया है, जबकि प्रदेश में सिर्फ 3 राष्ट्रीय उद्यान हैं। कुटरू अभयारण्य है। इसके साथ पेज नंबर 293 में बादलखोल को प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य बताया गया है। बादलखोल क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे छोटा अभयारण्य है। यह मात्र 104 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। तैमोर पिंगला प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यह 604 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।

ये हैं गलतियां
- अचानकमार को सरगुजा में होना बताया गया है, जबकि वह बिलासपुर जिले में है।
- प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान बताए गए हैं, जबकि फिलहाल तीन राष्ट्रीय उद्यान है। इंद्रावती, कांगेर घाटी और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान हैं। कुटरू अभयारण्य है।
- कांगेर घाटी को कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान लिखा गया है।
- बादलखोल को सबसे बड़ा अभयारण्य बताया गया है, जबकि यह सबसे छोटा है।
- सरगुजा का तैमोर पिंगला अभयारण्य सबसे बड़ा है, जो 608.52 वर्ग किमी में फैला है। सबसे छोटा तैमोर पिंगला है, जो 104.45 वर्ग किमी में है(अनुपम सिंह,दैनिक भास्कर,बिलासपुर,18.7.11)।

डीयूःहिन्दू कॉलेज में लटके स्पोर्ट्स और ईसीए के दाखिले

Posted: 19 Jul 2011 03:09 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में स्पोर्ट्स-ईसीए (एक्स्ट्रा कॅरिकुलम एक्टिविटी) कोटे के दाखिले एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। कॉलेज में उपलब्ध ईसीए-स्पोर्ट्स कोटे की करीब तीन दर्जन सीटों के लिए तैयार दाखिला सूची पर कॉलेज प्रिंसिपल प्रो.विनय कुमार श्रीवास्तव ने रोक लगा रखी है।

उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को इन दाखिलों को लेकर शिकायत मिली है और जब तक वहां से हरी झंडी नहीं मिलेगी, दाखिले नहीं होंगे। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रिंसिपल की इस बात को सिरे से नकार दिया है और स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है।

कॉलेज के इस रवैये के चलते दाखिले की आस लगाए बैठे छात्र और उनके अभिभावक बेहद परेशान हैं। 21 जुलाई से नया सत्र शुरू हो रहा है और उनका दाखिला अभी तक नहीं हो सका है।

हिन्दू कॉलेज में ईसीए दाखिला कमेटी का कामकाज देख रहे डॉ.राजेश कुमार ने बताया कि उन्होंने दो अलग-अलग चरणों में अंजाम दी गई ट्रॉयल प्रक्रिया के बाद 15 छात्र-छात्राओं का चयन किया था।

संस्कृत व हिन्दी में उम्मीदवार उपलब्ध न होने के चलते इनके कोटे की दो सीटें खाली रह गई हैं। डॉ.कुमार ने बताया कि 15 उम्मीदवारों की अंतिम सूची प्रिंसिपल को 12 जुलाई को ही सौंप दी गई है लेकिन न जाने क्यों इस सूची को रोक कर रखा गया है। कुछ ऐसा ही हाल स्पोर्ट्स कोटे का भी है।


यहां भी ट्रॉयल के बाद 12 जुलाई को अंतिम सूची प्रिंसिपल को दी गई थी लेकिन आज तक इसकी घोषणा नहीं की गई है। कॉलेज प्रिंसिपल प्रो. विनय कुमार श्रीवास्तव से जब इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि दाखिलों को लेकर मिली शिकायत के मद्देनजर फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशों से इस प्रक्रिया को रोका गया है। जैसे ही वहां से हरी झंडी मिलेगी, सूची जारी कर दी जाएगी। 
डीयू डीन कॉलेज प्रो. सुधीश पचौरी से जब इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि अभी तक उन्हें इस मामले से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली है और यदि कोई शिकायत आएगी तो ही कार्रवाई कर पाना संभव है। 

जबकि डीन छात्र कल्याण प्रो.जेएम खुराना का कहना था कि स्पोर्ट्स व ईसीए कोटे के दाखिले हिन्दू ही नहीं बल्कि डीयू के सभी कॉलेज अपने स्तर पर अंजाम दे रहे है। ऐसे में उनकी दाखिला प्रक्रिया में विश्वविद्यालय छात्र कल्याण कार्यालय का कोई हस्तक्षेप नहीं है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.7.11)।

राजस्थानःसमय भी लगता है, भर्ती पूरी भी नहीं होती

Posted: 19 Jul 2011 02:16 AM PDT

राज्य सरकार शिक्षकों की नई-नई भर्तियां तो निकाल देती हैं, लेकिन भर्ती एवं नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने में दो-तीन साल लगा दिए जाते हैं। ऎसे में शिक्षकों के लिए तरस रहे विद्यालयों को शिक्षक नहीं मिल पाते हैं। यही स्थिति शिक्षा विभाग की ओर से 2008 में निकाली गई द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती की है जिसकी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है और नई भर्तियां निकाली दी गई हैं।


दरअसल, राजस्थान लोक सेवा आयोग ने अगस्त 2008 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। जिसके तहत 5590 पदों के लिए आवेदन मांगे गए। लेकिन जुलाई 2010 में 3357 पद और शामिल कर लिए गए और दोबारा आवेदन मांगे गए। करीब ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद विषयवार परीक्षा शुरू हुई, जो छह माह तक चली।

इस वर्ष जून में परीक्षाओं का परिणाम भी जारी कर दिया गया, लेकिन अभी तक चयनित शिक्षकों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है। राजस्थान शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के अध्यक्ष संदीप कलवानियां का कहना है कि सरकार को समय पर भर्ती पूरी करने के लिए ठोस कार्य योजना बनानी चाहिए। ताकि शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सकें(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,19.7.11)।

जम्मूःकालेज खुलते ही हड़ताल शुरू

Posted: 19 Jul 2011 02:15 AM PDT

सेंट्रल यूनिवर्सिटी को जम्मू में शुरू किए जाने की मांग को लेकर यंग पैंथर्स के आंदोलन के सोमवार को कक्षाओं का बहिष्कार करवाया। सोमवार को कालेज खुलने के पहले दिन ही कक्षाओं को चलने नहीं दिया गया। यंग पैंथर्स के कार्यकर्ताओं ने शहर के मुख्य कालेजों साइंस, कामर्स, एमएएम कालेज में कक्षाओं का बहिष्कार कर प्रदर्शन प्रदर्शन किया।

यंग पैंथर्स के नेता लवकेश गांधी तथा इशान चौधरी ने कहा कि जम्मू के हक के लिए वे लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। प्रताप सिंह ने कहा कि अब युवा जम्मू के साथ भेदभाव को समाप्त करवाने के लिए अंतिम युद्ध पर निकले हुए हैं। अगर सरकार विवि को शुरू करने के लिए शीघ्र कोई कदम नहीं उठाती तो यंग पैंथर्स आंदोलन को और तेज करेंगे।


दूसरी तरफ कंप्यूटर साइंस पालिटेक्निक के डिप्लोमा के छठे समेस्टर के पेपर में प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर होने का आरोप लगाते हुए छात्रों ने सोमवार को परीक्षा का बहिष्कार किया। छात्रों ने कालेज में प्रदर्शन करते हुए इस विषय कर दोबारा से परीक्षा लिए जाने की मांग की ।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि एडवांस कंप्यूटर आर्किटेक्ट विषय के पेपर में 70 प्रतिशत प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर से थे। एनआईटीएस केंद्र में परीक्षा दे रहे पालिटेक्निक कालेज के छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया और कालेज आकर प्रदर्शन किया। इन छात्रों का कहना है कि प्रश्नपत्र पाठयक्रम पर ही आधारित हो, इसको सुनिश्चित करना टेक्निकल बोर्ड की पूरी-पूरी जिम्मेदारी बनती है(दैनिक भास्कर,जम्मू,19.7.11)।

राजस्थानःएसबीसी को आरक्षण जल्द

Posted: 19 Jul 2011 02:12 AM PDT

शिक्षण संस्थाओं में विशेष पिछड़ा वर्ग के छात्रों को इसी सत्र से पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर सरकार परीक्षण कराएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बीच सोमवार देर रात हुई बातचीत में यह भी सहमति बनी कि नौकरियों में शेष चार प्रतिशत आरक्षण का लाभ हाइकोर्ट के निर्देश पर हो रहे सर्वे के पूरा होने के बाद ही मिल पाएगा।
मुख्यमंत्री निवास पर डेढ़ घंटे चली बातचीत के बाद कर्नल बैंसला ने सरकार की मंशा को पाक-साफ बताते हुए जल्द समाधान की उम्मीद जाहिर की है। उन्होंने कहा कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों में से बकाया रहे 28 मुकदमे भी सरकार वापस लेने पर राजी हो गई है।

इस बार नहीं रूकेंगी पटरियां: कर्नल बैंसला ने कहा कि आंदोलन के दौरान पटरियां रोकना ही एकमात्र रास्ता नहीं है। इसके लिए दूसरे रास्ते भी हैं। सर्वे के लिए सरकार की अेार से नवम्बर तक का समय मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने जल्द ही सर्वे प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया है। लेकिन जब मंशा सही हो, तो समय कोई मायने नहीं रखता।
ऊर्जा मंत्री डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वार्ता सौहार्द्धपूर्ण माहौल में हुई है। विकास अध्ययन संस्थान जल्द ही सर्वे कार्य पूरा करने जा रहा है। शिक्षण संस्थाओं में पांच प्रतिशत आरक्षण इसी सत्र से देने की मांग पर उनका विभाग परीक्षण कर रहा है। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि परीक्षण हाईकोर्ट के निर्देशों के विपरीत नहीं है(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,19.7.11)।

झारखंडःविवि शिक्षकों को नहीं मिलेगा यात्रा भत्ता

Posted: 19 Jul 2011 02:11 AM PDT

राज्य के पांचों विश्वविद्यालय के शिक्षकों को ट्रेवलिंग अलाउंस (यात्रा भत्ता) नहीं मिलेगा। यह रोक मानव संसाधन विकास विभाग (एचआरडी) ने लगाई है। इस संबंध में एचआरडी ने विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।

सैलरी स्टेटमेंट दुबारा बन रहा है

आरयू प्रशासन ने नए वेतनमान (छठा) के तहत शिक्षकों का सैलरी स्टेटमेंट तैयार कर लिया था। इसमें यात्रा भत्ता भी शामिल था। एचआरडी से निर्देश मिलने के बाद आरयू प्रशासन को फिर से सैलरी स्टेटमेंट तैयार करना पड़ रहा है। इस वजह से शिक्षकों के खाते में वेतन की राशि भेजने में विलंब हो रहा है।

कैबिनेट ने लिया था फैसला

विश्वविद्यालय शिक्षकों को राज्य कर्मियों की तरह यात्रा भत्ता देने के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा गया था। स्वीकृति मिलने के बाद यात्रा भत्ता देने संबंधी सूचना भी जारी हुई थी। सरकार के इस निर्णय का विभिन्न शिक्षक संगठनों ने स्वागत भी किया था।

एचआरडी ने गलती सुधारी है


विश्वविद्यालय शिक्षकों को यात्रा भत्ता देने संबंधी निर्णय गलती से कैबिनेट में ले लिया गया था। विभाग ने इसमें सुधार करते हुए यात्रा भत्ता पर रोक लगाई है। निर्णय का शुद्धि पत्र जारी कर दिया गया है।"" आरएन त्रिपाठी, उच्च शिक्षा निदेशक

उग्र आंदोलन करेंगे शिक्षक 

विश्वविद्यालय शिक्षकों को यात्रा भत्ता नहीं मिला तो विभागीय अधिकारियों के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा। यात्रा भत्ता देने के निर्णय के बाद उसे वापस लेना गलत है। यह तो अधिकार को छीनने का प्रयास है। इस निर्णय का हर स्तर पर विरोध होगा।"" 
डॉ. विजय कुमार पीयूष, सचिव, फुटाज(राकेश,दैनिक भास्कर,रांची,19.7.11)

इकोनॉमिक रिसर्च में अदभुत रूप से कमाल हैं शुभदा राव

Posted: 19 Jul 2011 02:09 AM PDT

शुभदा राव ने अपने करियर की शुरुआत मुंबई यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक के प्लानिंग एंड ट्रेजरी विभाग से की। इस समय शुभदा राव यस बैंक में प्रेसीडेंट और मुख्य अर्थशास्त्री हैं। यहां पर वे इकॉनोमिक्स रिसर्च यूनिट का कार्य देखती हैं। बैंक के लिहाज से महत्वपूर्ण आर्थिक विषयों की जानकारी जुटाकर एक मजबूत डाटाबेस तैयार करना उनकी जिम्मेदारी है। उन्हें अपने संस्थान को भविष्य की संभावनाओं और आशंकाओं से लगातार अवगत कराते रहना पड़ता है।


आर्थिक क्षेत्र में लंबे समय काम के अनुभव की बदौलत उन्होंने एक ऐसी अनुसंधानिक डिजाइन तैयार की है, जो कंपनियों को निवेश संबंधी मामलों में बेहतरीन मार्गदर्शन देती है। उनके द्वारा दी गई आर्थिक हालात की जानकारियां बेहद सटीक साबित होती हैं, जो आर्थिक नीतियों में काफी मददगार साबित होती हैं। विगत मई माह में एक चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था कि अभी लगभग तीन महीने महंगाई इसी तरह बढ़ती रहेगी और ऐसा ही हो रहा है। इसके अलावा शुभदा राव बैंक की ब्याज दरों और विनिमय दर के साथ-साथ बैंक की अन्य परिसंपत्तियों के संदर्भ में सही-सही आंकड़े जुटाने और आकलन करने का जिम्मा संभालती हैं। 
यस बैंक से पहले शुभदा ने 'बैंक साउंडनेस एंड मैक्रोइकॉनोमिक पॉलिसी' नाम से अतिरिक्त प्रोजेक्ट चलाने के लिए एक आर्थिक सलाहकार संस्था का गठन किया, जिसने आरबीआई (भारतीय रिजर्ब बैँक) की निगरानी में काम किया। उन्होंने 'कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज' में चीफ इकॉनोमिस्ट, 'बैंक ऑफ बड़ोदा' में इकॉनोमिस्ट एंड हेड 'क्राइसिल एडवाइजरी सर्विसेज' में भी बतौर सलाहकार काम किया।

शुभदा राव
<div style="text-alig



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk