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Wednesday, July 27, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/26
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःबीटीसी कर लेंगे पर टीईटी में कैसे बैठेंगे?

Posted: 25 Jul 2011 10:49 AM PDT

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नये नियमों ने स्नातक स्तर पर प्रोफेशनल कोर्स उत्तीर्ण कर बीटीसी में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों के लिए नया संकट पैदा कर दिया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए एनसीटीई द्वारा बनाये गए इन नियमों ने स्नातक स्तर पर प्रोफेशनल कोर्स उत्तीर्ण कर बीटीसी 2010 में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती की दौड़ से बाहर कर दिया है। वजह यह है कि इन नियमों के तहत ऐसे अभ्यर्थी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में बैठने के हकदार ही नहीं हैं। प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता बीटीसी है। बीटीसी में प्रवेश के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक है। बीटीसी 2010 में प्रवेश के लिए सभी प्रकार के स्नातक पाठ्यक्रम मान्य थे। बीटीसी 2010 में बीए, बीएससी व बीकॉम के अलावा बीटेक, बीसीए व बीफार्मा सरीखे कोर्स करने वालों को भी दाखिला दिया गया। बीटीसी 2010 प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठ तक में शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता तय कर दी। शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया। 

स्नातक में पचास फीसदी अंक जरूरी
एनसीटीई के मुताबिक टीईटी में वही अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे जो 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में निर्धारित शैक्षिक योग्यता पूरी करते हों। इस अधिसूचना में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए स्नातक स्तर पर जो अर्हता निर्धारित की गई थी, उसमें सिर्फ बीए और बीएससी का उल्लेख था। चार मई 2011 को एनसीटीई ने इस अधिसूचना को संशोधित करते हुए बीए, बीएससी के साथ बीकॉम को भी शैक्षिक योग्यता में जोड़ा। इसी आधार पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शासन को राज्य में टीईटी के आयोजन का जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें टीईटी में शामिल होने के लिए बीटीसी के साथ स्नातक स्तर पर बीए, बीएससी व बीकॉम में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता रखी गई थी। बीटीसी 2011 के लिए भी एससीईआरटी ने शासन को जो संशोधित प्रस्ताव भेजा है, उसमें अनिवार्य शैक्षिक योग्यता में बीए, बीएससी व बीकॉम को ही शामिल करते हुए स्नातक स्तर के अन्य पाठ्यक्रमों को अमान्य कर दिया गया है। टीईटी के लिए सिर्फ बीए, बीएससी और बीकॉम की मान्यता के कारण स्नातक स्तर पर बीटेक, बीसीए, बीबीए और बीफार्मा जैसे प्रोफेशनल कोर्स उत्तीर्ण कर बीटीसी 2010 में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थी दो साल की ट्रेनिंग पूरी करने के टीईटी में शामिल नहीं हो पाएंगे। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षक नियुक्त होने के लिए बीटीसी सिर्फ एक शैक्षिक योग्यता है, नौकरी की गारंटी नहीं(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,25.7.11)।

क्रिमिनोलॉजी में करिअर

Posted: 25 Jul 2011 09:30 AM PDT

वर्तमान माहौल में अपराध पर काबू पाने के लिए क्रिमिनोलॉजी अथवा फॉरेंसिक विज्ञान की पढ़ाई जरूरी हो जाती है। क्रिमिनोलॉजी प्रोफेशनल्स का काम फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर अपराधी के खिलाफ कोर्ट में कानूनी तौर पर स्वीकृत सुबूत प्रस्तुत करने का होता है, ताकि उसे सजा दिलवाई जा सके। क्रिमिनोलॉजी में अपराध के प्रकार, अपराध के पीछे के कारणों, अपराध के संबंध में सरकारी कानूनों आदि की पढ़ाई की जाती है। इसका मनोविज्ञान, समाज विज्ञान और कानून से गहरा संबंध है।

कोर्स और योग्यता
क्रिमिनोलॉजी के तहत अंडरग्रेजुएट (बीए/बीएससी) कोर्स के लिए कला अथवा विज्ञान स्ट्रीम के साथ 12वीं पास विद्यार्थी पात्र हैं। इसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक और परास्नातक कोर्स उपलब्ध हैं। परास्नातक (एमए/एमएससी) में दाखिले के लिए विज्ञान अथवा कला वर्ग से स्नातक होना जरूरी है। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद में बीएससी (फॉरेंसिक साइंस) औैर बीएससी (क्रिमिनोलॉजी) दोनों ही पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।


कहां होगी जरूरत
अपराध विज्ञान विशेषज्ञ जांचकर्ताओं अथवा फॉरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की जरूरत अधिकतर राजकीय सेवा में है। पुलिस, कानूनी ढांचे, केंद्र और राज्य सरकार की जांच एजेंसियों आदि में इनकी जरूरत होती है। कुछ प्राइवेट एजेंसियों, स्वयंसेवी संगठनों में भी इनकी मांग होती है। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन (सीबीआई) में इनकी ज्यादातर नियुक्ति होती है। इन कोर्स को करने के बाद शिक्षण को भी कैरियर बनाया जा सकता है।

भविष्य की संभावना
भारत और दुनिया में जिस तेजी से अपराध बढ़ रहे हैं, उसकी तुलना में जांचकर्ताओं की संख्या बेहद कम है। ऐसे में भविष्य में इसके विशेषज्ञों के लिए अवसर और बढ़ेंगे। क्रिमिनोलॉजी के विद्यार्थी क्राइम इंटेलीजेंस एनालिस्ट, लॉ रिफॉर्म रिसर्चर, रीजनल क्राइम प्रिवेंशन को-ऑर्डिनेटर, ड्रग पॉलिसी एडवाइजर, कंज्यूमर एडवोकेट, एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन एनालिस्ट आदि के रूप में नियुक्ति पा सकते हैं। फॉरेंसिक साइंस कोर्स के बाद मेडिकल एक्जामिनर, क्राइम लेबोरेटरी एनालिस्ट, फॉरेंसिक पैथोलॉजिस्ट आदि बना जा सकता है।

प्रमुख संस्थान
-लोकनायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली, www.nicfs.nic.in
-पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, www.puchd.ac.in
-टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई, www.tiss.edu
-तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद, www.tmu.ac.in
-अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़, www.amu.ac.in
-यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ, लखनऊ, www.lkouniv.ac.in
-यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, पुणे, www.unipune.ac.in
-डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर, www.sagaruniversity.nic.in(विजय शर्मा,अमर उजाला,21.7.11)

टेक्सटाइल डिजाइनिंग में करिअर

Posted: 25 Jul 2011 08:30 AM PDT

वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। इसके अलावा वर्तमान माहौल में फैशन के क्षेत्र में भी जबरदस्त बूम दिखाई दे रहा है। ऐसे में टेक्सटाइल डिजाइनरों का महत्व पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ गया है। इसकी वजह यह है कि बेहतर टेक्सटाइल डिजाइनिंग से ही फैशन डिजाइनिंग को बल मिलता है। फैशन, आर्ट व डिजाइनिंग में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए टेक्सटाइल डिजाइनिंग एक बेहतर विकल्प है। टेक्सटाइल डिजाइनिंग फाइन आर्ट्स का ही रूप है, जो रोजगार उपलब्ध कराने में बेहद सक्षम है। टेक्सटाइल डिजाइनिंग के तहत वीविंग व प्रिंटिंग टेक्नीक, टेलरिंग व एम्ब्रॉयडरी टेक्नीक तथा पेंटिंग व कलरिंग टेक्नीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें फैब्रिक की सरफेस और स्ट्रक्चरल, दोनों ही तरह की डिजाइनिंग के बारे में बताया जाता है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रचलित डिजाइन के परंपरागत तरीकों से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया जाता है, जिसमें बीड्स तथा अन्य सजावटी सामानों की जानकारी भी शामिल है।

कैसे-कैसे कोर्स
विभिन्न संस्थानों में छात्रों के लिए इस फील्ड से संबंधित डिप्लोमा व पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम मौजूद हैं। डिप्लोमा कोर्स करने के बाद पीजी डिप्लोमा में एडमिशन लिया जा सकता है। पीजी स्तर पर स्पेशलाइज्ड कोर्सेज होते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों की अवधि अलग-अलग हो सकती है।


शैक्षणिक योग्यता
जो विद्यार्थी टेक्सटाइल डिजाइनिंग में डिप्लोमा करना चाहते हैं, उनके लिए 12वीं (किसी भी संकाय से) उत्तीर्ण होना जरूरी है। पीजी कोर्सेज के लिए टेक्सटाइल डिजाइनिंग या किसी भी अन्य विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है। इन पाठ्यक्रमों के लिए विभिन्न संस्थानों द्वारा एंट्रेस एग्जाम भी लिया जाता है। 

मौके हैं तमाम
फैशन बूम ने टेक्सटाइल डिजाइनरों के लिए भी कैरियर के तमाम रास्ते खोल दिए हैं, क्योंकि इस कारण इन 

प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ी 
है। इन्हें गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज, एक्सपोर्ट हाउसेज और रिटेलिंग बिजनेस में मौके मिलते हैं। निजी क्षेत्रों के अलावा सरकारी संस्थानों में भी अवसर मिलते हैं। सिल्क, हैंडलूम, खादी, जूट आदि के विकास को लेकर सरकार भी काफी प्रयत्नशील है। इसलिए संबंधित सरकारी संस्थानों में भी अवसर उपलब्ध हैं। आप चाहें तो डिजाइनिंग कंसल्टेंट या टीचर के रूप में भी इस फील्ड में अपनी सेवा दे सकते हैं।

प्रमुख संस्थान
-दि एपेरल ट्रेनिंग ऐंड डिजाइन सेंटर, नई दिल्ली 
कोर्स डिप्लोमा इन टेक्सटाइल डिजाइन 
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद 
कोर्स जीडीपीडी इन टेक्सटाइल डिजाइन
-डिजाइन एंड इनोवेशन एकेडमी (डीआईए), नोएडा 
कोर्स डिप्लोमा इन टेक्सटाइल डिजाइन
-एनआईएफटी, नई दिल्ली व अन्य केंद्र 
कोर्स डिप्लोमा इन फैशन ऐंड टेक्सटाइल डिजाइन
-पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, जयपुर 
कोर्स बीए ऑनर्स टेक्सटाइल डिजाइन
-दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा 
कोर्स पीजी डिप्लोमा इन टेक्सटाइल डिजाइन
www.dei.ac.in(गणेश कुमार पांडेय,अमर उजाला,21.7.11)

इवेंट मैनेजमेंट में करिअर

Posted: 25 Jul 2011 07:30 AM PDT

इवेंट मैनेजमेंट जॉब ओरिएंटेड कोर्स है। इस कोर्स को करने के बाद स्टूडेंट्स के पास जॉब के कई ऑप्शंस सामने आते हैं। साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स किसी भी स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद इस कोर्स को किया जा सकता है। रेग्युलर से ग्रैजुएशन कर रहे स्टूडेंट्स भी इस कोर्स में डिप्लोमा कर सकते हैं।

फोकस : इस फील्ड में बेहतर करियर बनाने के लिए पढ़ाई से ज्यादा आपके मैनेजमेंट स्किल्स काम आते हैं। आपको लोगों को मैनेज करना आना चाहिए। साथ ही थीम के अनुसार इवेंट को कैसे डिजाइन करें, यह क्षमता आपके ज्यादा काम आ सकती है। आपकी क्रिएटिविटी और प्लानिंग आपको इस प्रफेशन में काफी ऊंचाई पर पहुंचा सकती है।


जॉब ऑप्शंस : इस कोर्स को करने के बाद आप किसी भी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम कर सकते हैं। शुरुआत में शायद आपको मनचाहा पैकेज न मिले, लेकिन अनुभव बढ़ने के साथ माकेर्ट में आपकी डिमांड भी बढ़ती जाएगी। किसी छोटी कंपनी से शुरुआत करते हुए, बड़ी कंपनियों में आसानी से जॉब पाई जा सकती है। इस कोर्स को करने के बाद इवेंट मैनेजमेंट कंपनी, इवेंट मैनेजमेंट कंस्लटेंसी, होटल एंड ट्रैवल इंडस्ट्री और भी ऐसी कई फील्ड्स हैं, जिनमें आप जॉब कर सकते हैं। अगर जॉब में ज्यादा रुचि नहीं है, तो आप इस फील्ड में थोड़े अनुभव के बाद अपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी भी खोल सकते हैं। 

इंस्टिट्यूट : ऐसी बहुत सी यूनिवर्सिटीज हैं, जो इस कोर्स में डिप्लोमा और डिग्री करवाती हैं। अमेटी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इवेंट मैनेजमेंट डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूट, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, नैशनल इस्टिट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट से इस कोर्स को किया जा सकता है। किसी भी इंस्टिट्यूट को जॉइन करने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से जानकारी हासिल कर लें(शिल्पी भारद्वाज,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,25.7.11)।

हिन्दी सप्ताह की मोहताज हमारी हिन्दी

Posted: 25 Jul 2011 06:30 AM PDT

कल सुबह चाय की चुस्कियों के साथ अख़बार पढ़ रही थी कि अचानक बड़ी मधुर सी गाने की आवाज़ सुनाई दी- 'चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना' खिड़की से नीचे देखा तो चेहरा जाना पहचाना सा लगा और फिर याद आया कि ये तो हमारी हिन्दी भाषा है जो अपनी ही धुन मे गुनगुनाए जा रही है, मैने आवाज़ देकर उसे ऊपर बुलाया और पूछा कि क्या बात है बड़ी बेजार सी नज़र आ रही हो और ऊपर से ये गाना तो वो एक गहरी साँस खींच कर बोली हन भई अब क्या करें अपने ही देश मे अब हम तो बेगाने हो गये, हमारे साथ तो अब मेहमानो जैसा सुलूक किया जाता है. मैने पूछा कि क्या हुआ, बात कुछ समझ नही आई तब उसने बताया कि देखो ना कहने को तो हम राष्ट्रभाषा हैं, मातृभाषा हैं लेकिन हमें याद रखने के लिए वर्ष मे एक बार हिन्दी साप्ताह मनाया जाता है, हमारे बारे में खूब चर्चाएँ होती हैं कई प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं और हमारा खूब प्रचार-प्रसार किया जाता है और फिर उसके बाद सब भूल जाते हैं, में उसकी बातें सुनकर सोच मे डूब गयी और वो मुझे उसी हाल मे छोड़ कर अपनी राह पर चल दी, उसे जाता देखकर मैने उसकी बातों पर गौर किया तो पाया कि कितना सच कह गयी वो. वाकई मे हमारे हिंदू राष्ट्र मे हमारी राष्ट्रभाषा ही कितनी उपेक्षित सी है, आज हमने पाश्चात्य रहन-सहन को, ख़ान पान को कितने प्यार से अपनाया और साथ ही अँग्रेज़ी भाषा को तो हमने इस कदर आत्मसात कर लिया कि जैसे हमारी अपनी भाषा तो कोई थी ही नही. आज जब बच्चा बोलना सीखता है तो उसे "मॉम" बोलना सिखाया जाता है, अरे जो बच्चा माँ कहना नहीं सीखेगा वो मातृ शब्द ग़ूढ अर्थ कैसे जानेगा. आज माता-पिता अपने बच्चों को अँग्रेज़ी स्कूलों मे पढ़ाने मे, अँग्रेज़ी भाषा सीखने मे गर्व का अनुभव करते हैं- अच्छी बात है, कोई भी भाषा बुरी नही होती क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैचारिक आदान-प्रदान का यही सबसे सरल तरीका है पर यह सब किस कीमत पर- हम कब तक उधार मे ली गयी संस्कृति और भाषा पर गर्व करते रहेंगे, क्या हमारे पास हमारी कोई संस्कृति, भाषा नही है जिस पर हम गर्व कर सकें, गर्व से कह सकें की हम हिंदू हैं और हिन्दी हमारी भाषा है. यह कोई मुश्किल काम नही है बस हर किसिको अपने ही घर से इसकी शुरुआत करनी होगी और इसमे सबसे अहम भूमिका हम महिलाओं की ही है क्योंकि बच्चे का पहला स्कूल घर और पहली शिक्षिका माँ होती है(अर्चना शर्मा,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,25.7.11).

कोटाःनाम के लिए ही रह गए शोध

Posted: 25 Jul 2011 05:30 AM PDT

'शोध' समाज को नई दिशा देते हैं और देश में विकास के नए आयाम स्थापित करते हैं, लेकिन वर्तमान में हो रहे ज्यादातर शोध कागजों के पुलिंदे बनकर रह जाते हैं। विज्ञान संकाय में देश के नाम कोई बड़ी उपलब्घि नजर नहीं आती। शैक्षणिक नगरी कोटा में भी उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तीन विश्वविद्यालय तो स्थापित कर दिए गए, लेकिन ये विश्वविद्यालय अपने वास्तविक उद्देश्यों पर कितना खरा उतर रहे हैं, यह किसी से छिपाने की जरूरत नहीं है।
पैकेज की चाह
शैक्षणिक नगरी हो या देश के अन्य शहर, पढ़ाई तो सभी जगह हो रही है, लेकिन पढ़ाई के उद्देश्य बदलते जा रहे हैं। आईआईटी, आईआईएम और एम्स में अध्ययन को पहले शोध में सहायक माना जाता था, लेकिन अब इन संस्थानों में प्रवेश का उद्देश्य सिर्फ नौकरी में वेतन का बड़ा पैकेज प्राप्त करना ही रह गया है।
शिक्षा पर असर
औपचारिक शोध और पैकेज की चाह का असर शिक्षा पर भी नजर आ रहा है। स्नातक उपाघि प्राप्त करने के साथ ही युवा कंपनियों में रोजगार के लिए आवेदन कर देते हैं और आगे की पढ़ाई पर ध्यान कम हो जाता है।
डॉक्टर सा'ब कहलाने की चाह
शिक्षाविदों के अनुसार, वर्तमान में अधिकांश शोधार्थियों का उद्देश्य समाज को कुछ देना या अध्ययन-अध्यापन के जरिए किसी निष्कर्ष तक पहुंचना नहीं है। वे बस अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाना चाहते हैं। ऎसे में सिर्फ औपचारिकतावश शोध पूर्ण कर लिया जाता है।
सिर्फ परीक्षाएं करवानी हैं

शहर के विश्वविद्यालयों की हालत आज परीक्षा करवाने वाली एजेंसी से बढ़कर नहीं रह गई है। तीनों विवि के सामने सबसे बड़ी चुनौती शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ना नहीं, बल्कि समय पर परीक्षा करवाना और उनका समय पर परिणाम देना ही रह गया है। इसके लिए बहुत हद तक सरकार भी जिम्मेदार है, जिसने यहां संसाधन उपलब्ध नहीं करवाए।
सुविधाएं पर्याप्त नहीं
ज्ञान की शताब्दी में शोध को बढ़ावा दिए बिना देश का भला नहीं कर सकते। शोध को महत्व नहीं दिया जा रहा है। शोधार्थियों के लिए जो सुविधाएं दी जा रही हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं। दूसरा पहलू यह भी है कि पैसे की कमी नहीं है, लेकिन लोग प्रयास भी नहीं करते। अनुभवी फैकल्टीज को इसके लिए ज्यादा आगे आना चाहिए। -प्रो.आर.पी. यादव, कुलपति, तकनीकी विवि
कुछ हद तक दिखावा
यह सही है कि कुछ हद तक शोध सिर्फ दिखावा बन गया है। हमारा प्रयास रहता है कि शोध की गुणवत्ता बनी रहे। इसके लिए परीक्षाएं भी आयोजित करवाई जा रही है। शोधार्थी व शोध निदेशक दोनों की तरफ से गुणवत्ता में कमी आ रही है। सुधार तभी हो सकता है, जब सकारात्मक परिणाम को आधार मानकर शोध किया जाए। -प्रो.एस.सी. राजोरा, शोध निदेशक, कोटा विश्वविद्यालय
शैक्षणिक नगरी में हाल तकनीकी विश्वविद्यालय 
प्रदेश में तकनीकी शिक्षा का सबसे बड़ा संस्थान राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय यहां स्थापित है, लेकिन यहां शोध की गतिविघियां विश्वविद्यालय की स्थापना के पांच साल बाद शुरू हो सकी है। यहां करीब 1.75 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जबकि गत दो वर्षो में सिर्फ 12 विद्यार्थियों का शोध के लिए पंजीयन हुआ है।
कोटा विश्वविद्यालय 
सामान्य शिक्षा के इस विश्वविद्यालय में करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं। यहां वाणिज्य वर्ग में 35, विघि अध्ययन में 13, कला वर्ग में 280 व विज्ञान वर्ग में शोधार्थियों की संख्या 88 है। शोधार्थियों के लिए संसाधनों के अभाव भी है।
वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय 
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कड़े नियमों के बाद दूरस्थ शिक्षा से शोध कार्य बंद कर दिया गया। यहां गत दो वर्षो में शोध के लिए कोई पंजीयन नहीं हुआ।
(प्रमोद मेवाड़ा,राजस्थान पत्रिका,कोटा,25.7.11)

हरियाणाःएससी वर्ग की छात्राओं को मिलेगी छात्रवृत्ति

Posted: 25 Jul 2011 05:15 AM PDT

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति की छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि मुहैया कराई जाएगी। छात्रा के अभिभावकों की वाॢषक आय एक लाख रुपये से 2 लाख 40 हजार रुपये तक होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि छात्रा को वर्ष में एक बार यह राशि दी जाएगी छात्रा पास होने के पश्चात अगली कक्षा में उक्त योजना के अन्तर्गत राशि लेनी की पात्र होगी। इसके अतिरिक्त, जो छात्रा पोस्ट मैट्रिक स्कोलशिप स्कीम, अनुसूचित जाति तथा राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों में से किसी भी स्कीम की लाभपात्र होगी, तो वह इस स्कीम के लाभ की पात्र नहीं होगी। यदि कोई छात्रा गलत तथ्य देकर उक्त स्कीम का लाभ प्राप्त करती है, तो तथ्य गलत साबित होने पर उससे राशि वसूल की जाएगी।

उन्होंने बताया कि 10+2 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत जो छात्राएं तकनीकी व्यवसायी कोर्सों में डिप्लोमा जैसे कि बीसीए, नॄसग, डीफार्मा, बीएड तथा डीएड (जेबीटी) इत्यादि करेंगी वे हॉस्टलर के लिए 7000 रुपये और नॉन-हॉस्टलर के लिए 5000 रुपये की पात्र होंगी। इसी प्रकार, जो छात्राएं ग्रेजुएट विज्ञान, वाणिज्य कक्षा/कोर्सों जैसे बीकॉम/बीएससी प्रथम वर्ष से अंतिम वर्ष में पढ़ रही हैं, को हॉस्टलर के लिए 9000 रुपये और नॉन हॉस्टलर के लिए 7000 रुपये की पात्र होंगी।
इसी तरह से ग्रेजुएट कक्षाओं में तकनीकी तथा व्यवसायी कोर्सों में पढ़ रही हैं जैसे बीई/बीटैक/आईटी कम्प्यूटर/मेकेनिकल/इलैक्ट्रोनिक्स/इनफोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी तथा इलैक्ट्रिकल इत्यादि के प्रथम वर्ष से अंतिम वर्ष तक/बीसीए/ सीए/ आईसीडब्लयूए तथा सीएस में भी सभी कक्षाओं के लिए हॉस्टलर को 11,000 रुपये और नॉन हॉस्टलर को 9000 रुपये की राशि दी जाएगी। जो छात्राएं पोस्ट ग्रेजूएट विज्ञान, वाणिज्य में पढ़ रही हैं जैसे एमकॉम/एमबीए/एमएससी के लिए हॉस्टलर को 12,000 रुपये और नॉन हॉस्टलर को 10,000 रुपये तथा जो छात्राएं पोस्ट ग्रेजूएट तकनीकी तथा व्यवसायी कोर्सों जैसे एमई/एमटैक/एमएस/एमडी इत्यादि में पढ़ रही हैं, उन्हें हॉस्टलर के लिए 14,000 रुपये और नॉन हॉस्टलर के लिए 12,000 रुपये की राशि दी जाएगी(दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,25.7.11)।

राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुड़ेगा हिमाचल प्रदेश विवि

Posted: 25 Jul 2011 04:53 AM PDT

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शीघ्र ही राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुड़ेगा। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुडऩे वाला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय देश का आठवां विश्वविद्यालय होगा। अभी तक देश के सात विश्वविद्यालय राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुड़े हैं। ये घोषणा केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट ने आज हिमाचल प्रदेश विश्ïवविद्यालय के 42वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समापन समारोह के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुड़ जाने पर प्रदेश के दूरदराज के गांवों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क परियोजना के लिए 5990 करोड़ रुपए का बजट रखा है।

राजेश पायलट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों के लिए एक विशेष मोबाइल फोन स्कीम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश की ढाई लाख पंचायतों को ऑप्टिकल फाइवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा जिससे गांवों में इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी। देश की 22 भाषाओं के लोग अपनी भाषा में इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे। उनका कहना था कि देश में आज एक नई संचार क्रांति की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के सामने एक विश्ïव स्तर की चुनौती है। अब प्रतियोगिता दुनिया के उन देशों से है जो प्रगति की दौड़ में हमसे आगे थे। हमारे पास विश्ïव की सबसे बड़ी युवा शक्ति है और चीन एवं अमेरिका जैसे देश हमारी प्रगति से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि आज से दो दशक पहले बहुत कम लोगों के पास फोन सुविधा थी लेकिन आज 100 व्यक्ति पर 73 फोन हैं। उनका कहना था कि राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को जोड़े जाने से दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को घर बैठे नई-नई जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। इस नेटवर्क से महानगरों में बैठे वैज्ञानिक एवं अन्य विषय विशेषज्ञ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ग्रामीण विद्यार्थियों से बातचीत कर सकेंगे। इस नेटवर्क का समूचा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों को भी एक तोहफा दिया। उन्होंने घोषणा की कि अब ये वर्ग विद्यार्थियों को हासिल बीएसएनएल की कम दरों की मोबाइल स्कीम का लाभ उठा सकेंगे। अब उन्हें एसएमएस दस पैसे की दर पर और इंटरनेट की मुफ्त डाउनलोडिंग सुविधा 150 एमबी से ज्यादा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने अपने मंत्रालय के डाक संचार और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित हर मामले में हिमाचल प्रदेश को पूरी मदद देने का आश्ïवासन दिया।
पायलट ने युवाओं से अपील की कि वे अच्छाई व बुराई में अंतर पहचानें और राजनीति को साफ सुथरा बनाने के अभियान का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि जब पूरे समाज में भ्रष्टाचार और नैतिक गिरावट दिख रही है तो राजनेता भी इससे अछूते रहते। युवा वर्ग विशेषकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस संबंध में अपनी श्रेष्ठ भूमिका निभा सकते हैं(दैनिक ट्रिब्यून,शिमला,25.7.11)।

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की दूसरी काउंसिलिंग कल से

Posted: 25 Jul 2011 04:27 AM PDT

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कोर्स की दूसरी काउंसिलिंग मंगलवार से शुरू हो रही है। अभ्यर्थी 26 और 27 को फीस जमा कराने के बाद 28 जुलाई से आनलाइन च्वाइस लॉक कर सकेंगे। प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजों में 5000 से अधिक रिक्त सीटों के लिए यह काउंसिलिंग हो रही है।
यूटीयू की ओर से आयोजित पहली कांउसिलिंग में 6500 सीटों के लिए छात्र-छात्राओं ने च्वाइस लॉक की थीं। इनमें से 5449 सीटों का आवंटन हो गया है। प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों में कुल सीटें 10500 हैं, यानी अभी पांच हजार से अधिक सीटें रिक्त हैं। पहली काउंसिलिंग के बाद 26 तारीख तक अभ्यर्थियों को संबंधित कालेजों में एडमिशन लेना था। अब 26 जुलाई से रिक्त सीटों पर काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विवि से जारी कार्यक्रम के अनुसार दूसरी काउंसिलिंग के लिए 26 एवं 27 जुलाई को फीस जमा कराई जा सकती है। इसके बाद 28 से 31 जुलाई तक च्वाइस लॉक की जाएगी। पहली काउंसिलिंग में शामिल रहे जिन अभ्यर्थियों को सीट आवंटित नहीं हुई, उन्हें फीस नहीं देनी होगी(अमर उजाला,देहरादून,25.7.11)।

आगरा और मेरठ यूनिवर्सिटी में बीएड की 20 हजार सीटों का विकल्प शेष

Posted: 25 Jul 2011 04:10 AM PDT

बीएड 2011-12 की 20 हजार सीटें और बची हैं। कला, वाणिज्य, विज्ञान और कृषि संकाय की ज्यादातर सीटें अब आगरा और मेरठ यूनिवर्सिटी से संबद्ध महाविद्यालयों में ही खाली हैं, जिनका विकल्प लॉक करने से ज्यादातर अभ्यर्थी कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि आगरा और मेरठ विवि का शैक्षिक सत्र विलंबित है। मनमानी फीस वसूली जाती है और ढंग की मार्किगिं भी नहीं होती है। ऐसे में दाखिले का औचित्य बेकार हो जाता है।

बीएड काउंसिलिंग में प्रदेश के 11 राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध 971 महाविद्यालयों की 80 हजार से ज्यादा सीटों का विकल्प लॉक कर दिया गया है। 70 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को अलाटमेंट लेटर मिल चुके हैं और बाकी के लेटर सोमवार को जारी किए जाएंगे। काउंसिलिंग समन्वयक आरसी कटियार, डा. संदीप कुमार सिंह ने बताया कि रविवार सुबह विज्ञान, कृषि संकाय की 13276 सीटों और कला वाणिज्य संकाय की 14242 सीटों का विकल्प दिख रहा था। रात तक 7000 से ज्यादा सीटों का विकल्प लॉक हो गया है। बाकी की सीटों की काउंसिलिंग सोमवार को होगी। उन्होंने बताया कि कानपुर, जौनपुर, बरेली, झांसी, काशी विद्यापीठ वाराणसी, गोरखपुर, फैजाबाद विवि से संबद्ध महाविद्यालयों की सभी सीटों का विकल्प लॉक हो चुका है। अब आगरा और मेरठ विवि की सीटें खाली हैं, जहां शुरू से दाखिला लेने से अभ्यर्थी कतरा रहे हैं।
बीएड 2011-12 की दूसरी काउंसिलिंग तीन से सात अगस्त तक होगी। उच्च शिक्षा सचिव अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि सीटें खाली रहने की स्थिति में वे अभ्यर्थी दूसरे चरण की काउंसिलिंग में आ सकेंगे, जो कि पहले चरण की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो सके। प्रथम काउंसिलिंग से सीट अलाट कराने वालों को मौका नहीं मिलेगा। प्रथम काउंसिलिंग के बाद की वरीयता सूची में जगह बनाने वालों को भी रैंकवार बुलाया जा सकता है(अमर उजाला,कानपुर,25.7.11)।

राजस्थानःशिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति में भी आरक्षण!

Posted: 25 Jul 2011 04:07 AM PDT

शिक्षा विभाग की अनुकंपा नियुक्ति में भी आरक्षण की बात भले ही अटपटी लगे मगर विभाग की यह मंशा हाल में दिए गए दिशा-निर्देशों से जाहिर हुई है। विभाग के उच्चाघिकारियों से जिला शिक्षा अघिकारियों को मिले निर्देशों के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति आवेदनों में जाति और श्रेणी संख्या की अनिवार्यता के बाद ही आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। इसे नियमों के पीठ पीछे आरक्षण लागू करने जैसा ही माना जा रहा है।

अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन में जाति और जाति श्रेणी संख्या जरूरी रूप से लिखवाने की बाध्यता विभाग पहली बार कर रहा है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि इसके पीछे विशेष वर्गो को नियुक्ति में प्राथमिकता देने की मंशा हो सकती है। कई अन्य विभागीय गतिविघियों में केवल एससी और एसटी वर्ग को अघिक फायदा पहुंचाने के आरोप विभाग पर पहले भी लग चुके हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति में जाति और जाति श्रेणी संख्या के आधार पर सभी वर्गो के आवेदन पत्रों की छंटनी किया जाएगा। इसके बाद अभी तक मिले मौखिक निर्देशों के बाद एससी और एसटी वर्ग के मृतक आश्रित कर्मचारियों को पहले प्राथमिकता देने के लिए जिला शिक्षा अघिकारियों को कहा गया है। सभी अनुकंपा नियुक्ति को देने से पहले इनकी सूची शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल को दिखाई जाएगी और मंत्री से फाइनल होने वाली सूची को पहले निुयक्ति मिलेगी।


शिक्षक नेताओं का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई अगर होती है तो विभाग का साफ तौर पर जातिगत भेदभाव सामने आएगा और यह प्रक्रिया एक तरह से आरक्षण लागू करने जैसी प्रक्रिया हो जाएगी। जबकि अनुकंपा नियुक्तियों के मामले में किसी तरह की प्राथमिकता नहीं लागू की जा सकती है। मृतक कर्मचारियों के आवेदनों में पद की जगह पद देने की प्रक्रिया होती है और जिसमें पहले आवेदन को पहले मौका मिलता है।

इनका कहना है : अनुकंपा नियुक्ति में इस तरह की मंशा कर्मचारियों में रोष पैदा कर सकती है और जातिगत भेदभाव बढ़ सकता है। जाति और जाति श्रेणी संख्या के लिए आवेदन में दबाव नहीं डाला जा सकता है।
- शशिभूषण शर्मा, अतिरिक्त महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ

जाति और जाति श्रेणी संख्या आवेदन पत्र में लिखवाने के लिए अगर मृतक आश्रित कर्मचारियों के लिए जरूरी किया जा रहा है तो यह गलत है। इसके पीछे कुछ लोगों को प्राथमिकता देने की मंशा जाहिर होती है और इससे विरोध पैदा होगा।
- रामकृष्ण अग्रवाल, प्रदेशाध्यक्ष, शिक्षक संघ अरस्तु
(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,25.7.11)

ग्रेटर नोएडाःमिहिर भोज पीजी कॉलेज में मेन कोर्स के साथ-साथ मिलेगा ऐक्सट्रा ज्ञान

Posted: 25 Jul 2011 04:06 AM PDT

दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है। स्टूडेंट्स अब मेन कोर्स की पढ़ाई के साथ-साथ यहां से कंप्यूटर में डिप्लोमा कोर्स भी कर सकेंगे। कोर्स पूरा होने पर स्टूडेंट्स को डिप्लोमा दिया जाएगा। इस बाबत कॉलेज में 20 कंप्यूटर लगा दिए गए हैं। कंप्यूटर की ट्रेनिंग के लिए बाहर से टीचर आएंगे। यह सुविधा इस सेशन से ही शुरू हो जाएगी।

बता दें कि अभी तक दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में स्टूडेंट्स को कंप्यूटर की ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी। कॉलेज मैनेजमेंट का मानना है कि आज कंप्यूटर का ज्ञान छात्रों के लिए बहुत जरूरी है। कॉलेज के पिंसिपल डॉ. भरत सिंह यादव ने बताया कि कंप्यूटर एडेड लर्निंग प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट्स को डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स कराए जाएंगे।


कोर्स में कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा डीटीपी, इंटरनेट, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का भी कोर्स कराया जाएगा। कोर्स के लिए स्टूडेंट्स की अलग से क्लास लगाई जाएगी। 

यहां के स्टूडेंट्स पढ़ाई के दौरान सिविल सविर्सेज व अन्य कॉम्पिटिशन की भी तैयारी कर सकेंगे। इसके लिए यूजीसी की तरफ से 3 लाख रुपये कॉलेज को मिले हैं। कॉम्पिटिशन की तैयारी के लिए कॉलेज में 2 बैच में क्लासें लगाई जाएंगी। ओबीसी, एससीएसटी और अल्पसंख्यक कैटिगरी के बच्चों को इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। 

कॉलेज की लाइब्रेरी भी इस सेशन से हाईटेक हो जाएगी। कॉलेज में 3 लाख रुपये खर्च कर नई किताबें मंगवाई गई हैं। स्टूडेंट्स को सभी कोसेर्ज की किताबें मिलेंगी। इसके अलावा सिविल सविर्सेज, रेलवे, दिल्ली पुलिस, यूपी पुलिस, डीएसएसबी, एसएससी आदि कॉम्पिटिशन की किताबें भी लाइब्रेरी में मिलेंगी। लाइब्रेरी में रीडिंग रूम भी तैयार किया गया है(नवभारत टाइम्स,ग्रेटर नोएडा,25.7.11)।

गाजियाबाद का कांशीराम डिग्री कॉलेजःबिना शिक्षक वाले कॉमर्स विभाग में आवेदन की भरमार

Posted: 25 Jul 2011 04:05 AM PDT

नए सेशन में मान्यवर कांशीराम गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में जहां बीकॉम कोर्स में एडमिशन के लिए जमकर आवेदन आ रहे हैं, वहीं कॉलेज में इस सब्जेक्ट के एक भी टीचर नहीं हैं। इस कोर्स में एडमिशन के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को कॉलेज प्रशासन इस समस्या से वाकिफ करवा रहा है। इसके बावजूद यहां 430 फॉर्म जमा हो चुके हैं।

कॉलेज प्रशासन के सामने परेशानी है कि वह एडमिशन तो ले लेंगे, लेकिन क्लासेज कैसे होगी। इस समस्या की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी जा चुकी है, फिर भी यहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है।


कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. पूनम सिंह का कहना है कि यदि टीचर की नियुक्ति नहीं हुई तो वैकल्पिक इंतजाम किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि कॉलेज में एकमात्र बीकॉम की टीचर डा. नुपूर अग्रवाल ने फरवरी महीने में ही कॉलेज से चली गईं। तब से क्लासेज चलाने में प्रॉब्लम आ रही हैं।
 
शुरुआत में जैसे-तैसे मैनेज कर लिया गया, लेकिन अब मुश्किल आएगी क्योंकि फर्स्ट इयर से थर्ड इयर तक के स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए कई टीचरों की जरूरत होगी। कॉलेज में बीकॉम की 80 सीटें हैं। इन सीटों के लिए अब तक 430 फॉर्म जमा हो चुके हैं। बीकॉम के ऐसे सब्जेक्ट जो अन्य टीचर्स पढ़ा सकते है उनकी मदद ली जाएगी। इसके अलावा थर्ड इयर के बेस्ट स्टूडेंट्स फर्स्ट इयर की क्लास ले सकते हैं(रानू पाठक,नवभारत टाइम्स,गाजियाबाद,25.7.11)।

राजस्थानः45 की उम्र में 66 को सरकारी नौकरी

Posted: 25 Jul 2011 04:02 AM PDT

करीब 45 साल की उम्र में 66 महिलाओं को सरकारी नौकरी की सौगात मिलने वाली है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास ने राज्य सरकार से मंजूरी ले ली है। मामला महिला एवं बाल विकास विभाग में पिछले दस सालों से संविदा पर तैनात महिला पर्यवेक्षकों का है। विभाग ने अब इन सभी को नियमित करने का फैसला कर जल्द नियुक्ति देने का निर्णय कर लिया है।

महिला पर्यवेक्षकों की कमी झेल रहे विभाग ने 2002 में लगभग 66 पर्यवेक्षकों को ठेके पर तैनात किया गया था। इसके बाद पर्यवेक्षकों ने नियमित करने की मांग करते हुए विभागीय मंत्री से लेकर आला अघिकारियों तक से गुहार लगाई। काफी समय बाद विभाग ने इनको संविदा पर तैनात कर 34 सौ रूपए मानदेय देना शुरू कर दिया। लगभग दस साल से संविदा नौकरी कर रही इन महिलाओं पर्यवेक्षकों को 54 सौ रूपए मानदेय दिया जा रहा है।


अब इन्हें नियमित करने की तैयारी है। विभाग के अफसर और कर्मचारियों की मानें तो यह पहला मौका है जब इस तरह संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक का कहना है कि मेरी पूरी सर्विस में पहला अनुभव है जब इस तरह का फैसला किया गया है। संविदा पर काम कर रही महिलाओं को नियमित कर महिला सुपरवाइजर बनाया जा रहा है। जल्द ही इनको सरकारी आदेश भी जारी कर दिए जाएंगे(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,25.7.11)।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का फिजिकल एजुकेशन पाठ्यक्रम

Posted: 25 Jul 2011 03:42 AM PDT

पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब। जी हां इस कहावत का यूज अक्सर पैरंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने को लेकर करते हैं। लेकिन यह अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। अब खेल-कूद करने वाले न सिर्फ शानदार करियर बनाकर खूब पैसा कमा रहे हैं, बल्कि दुनिया में अपना और अपने देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं।

यही वजह है कि आजकल युवाओं का रुझान खेल की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। छोटे शहरों से निकले बडे़ खिलाडि़यों ने आज फिजिकल एजुकेशन का दायरा बढ़ा दिया है। सुशील कुमार, अल्का तोमर और अंजू चौधरी कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं। अब इस फील्ड में भी बेहतरीन करियर की संभावनाएं पैदा होने लगी हैं। लिहाजा स्टूडेंट्स अब फिजिकल एजुकेशन को बेहतर करियर के रूप में देखने लगे हैं।

यदि आपका भी इंट्रेस्ट स्पोर्ट्स में है, तो आप इस फील्ड में अपना शानदार करियर बना सकते हैं। 12वीं के बाद ग्रैजुएशन में फिजिकल एजुकेशन लेकर आप या तो एक बेहतरीन खिलाड़ी बन सकते हैं, या फिर टीचर बनकर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। आज के टाइम में लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता को देखते हुए फिटनेस ट्रेनर का बिजनेस भी एक अच्छा ऑप्शन बन सकता है। सीसीएस यूनिवसिर्टी से संबद्ध गौतमबुद्धनगर के 4 कॉलेजों में बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन में 3 साल का डिग्री कोर्स कराया जाता है।

जॉब का बढ़ता दायरा

देश में स्पोर्ट्स के क्रेज को बढ़ते देख सरकार भी इस ओर काफी ध्यान दे रही है। अब प्राईवेट स्कूलों के अलावा सरकारी स्कूलों में भी स्पोर्ट्स टीचर रखे जा रहे हंै। इसके अलावा हर कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर बहाल किए जा रहे हैं। आजकल लोग हेल्थ को लेकर काफी सजग हो रहे हैं। ऐसे में बॉडी फिटनेस के लिए जिम और ट्रेनिंग सेंटर का बिजनेस भी अच्छा आप्शन हो सकता है।

लड़कियों के लिए भी है बेहतर


सायना नेहवाल और सानिया मिर्जा की तरह आज कई लड़कियां स्पोर्ट्स में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। रेसलिंग की बात करें, तो अल्का तोमर, प्रियंका, ज्योति और अंजू चौधरी जैसे कई नाम हैं, जो इंटरनैशनल लेवल पर अपना परचम लहरा चुकी हैं। यह कोर्स गर्ल्स के लिए भी बेस्ट है। 
कौन कर सकता है अप्लाई 

12 वीं में 40 प्रतिशत अंकों के साथ पास होने वाले स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कोर्स के दौरान स्टूडेंट्स को उसकी योग्यता के अनुसार प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका दिया जाता है। 

क्या है एडमिशन की प्रक्रिया 

फिजिकल एजुकेशन में एडमिशन के लिए 30 जुलाई तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। इसके बाद अपने पसंदीदा कॉलेज में फॉर्म जमा करें। कॉलेजों में मेरिट लिस्ट लगने के बाद आप एडमिशन ले सकते हैं। एडमिशन की लास्ट डेट 7 अगस्त है। 

कौन-कौन से होते हैं खेल 

नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन (एनसीपीई) के डायरेक्टर सुशील राजपूत का कहना है कि उनके कॉलेज से कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में स्टूडेंट्स को कुश्ती, कबड्डी, योगा, मार्शल आर्ट, जूडो, हैंडबॉल, बॉलीबॉल, फुटबॉल, हॉकी, बास्केटबॉल, एथलिटिक्स व क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाती है। 

कहां से कर सकते हैं कोर्स 

- नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन , धूमानिकपुर दादरी 

सीटें -140 

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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