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Thursday, April 2, 2015

सोने की चिड़िया का पेट चीरने लगी है संसदीय राजनीति और सारे हीरे जवाहिरात देशी विदेशी पूंजी के हवाले पलाश विश्वास

सोने की चिड़िया का पेट चीरने लगी है संसदीय राजनीति और सारे हीरे जवाहिरात देशी विदेशी पूंजी के हवाले

पलाश विश्वास

Ankur (film) - Wikipedia, the free encyclopedia

en.wikipedia.org/wiki/Ankur_(film)

Ankur (Hindi: अंकुर, Urdu: اَنکُر, translation: The Seedling) is an Indian colour film of 1974. It was the first feature film directed by Shyam Benegal and the debut ...

Plot - ‎Characters - ‎Motif of the seedling - ‎Social issues

Ankur Hindi Chalchitra - YouTube

Video for ankur▶ 125:11

www.youtube.com/watch?v=o3R6gmRzXAA

Oct 31, 2011 - Uploaded by kamyogi

Laxmi lives a poor lifestyle in a small village in India along with her husband, Kishtaya, who is a deaf-mute ...


सोने की चिड़िया का पेट चीरने लगी है संसदीय राजनीति और सारे हीरे जवाहिरात देशी विदेशी पूंजी के हवाले।फिर दोहरा रहा हूं क्योंकि सोने की चिड़िया के मिथक पर लिखे रोजनामचे को अमलेंदु ने हस्तक्षेप पर लगाया नहीं है।


भारत सोने की चिड़िया अब भी है और उस सोने की चिडि़या से मालामाल होने वाले लोग हमें उल्लू बनाते रहे हैं यह कहते हुए कि अंग्रेज सोने की चिड़िया को लूटकर ले गये हैं।



संसदीय राजनीति का ताजा स्टेटस सोनिया के खिलाफ रंगभेदी टिप्पणी नहीं है।


भारतीय मनुस्मृति सत्ता का हिंदू साम्राज्यवादी चरित्र ही रंगभेदी है।


मीडिया में हम लोग खुदै उसी रंगभेद का शिकार हैं।पदोन्नति का वेतनमान मिल रहा है लेकिन पदोन्नति का पत्र नहीं मिल रहा है।जो पदोन्नति नहीं कर सकते वे बाकी सबकुछ कर रहे हैं क्यांकि पदोन्नति हमारी लंबित है।


सुप्रीम कोर्ट कहते हैं कि नजर रख रहा है मजीठिया लागू करने पर।ग्रेडिंग मनमुताबिक और पदोन्नति का वेतनमान देने के बावजूद पदोन्नति नहीं।


सुप्रीम कोर्ट की खुली अवमानना है और हम अदालत में चले भी जायें तो न्याय हमें मिलना नहीं है।सच सामने है और भारत के सुप्रीम कोर्ट का सच से कितना वास्ता है,हम कहेंगे तो अवमानना हो जायेगी।


सोनिया पर रंगभेदी टिप्पणी पर ऐतराज से  पहले भारतीय समाज और जीवन के हर क्षेत्र में,हर शाख पर काबिज उल्लूओं के व्यवहारिक रंगभेद का पहले विरोध तो करें।


रंगभेद से जिनका वर्चस्व बना हुआ है,बोलने लिखने और छपने की आजादी भी उन्हींकी है।महिमा उन्ही की है दसों दिशाओं में।


हम तो घुसफैठिये हैं।पत्रकारिता में चालीस साल बिता देने के बावजूद हम पत्रकारिता में न नागरिक हैं और नागरिक अधिकार हमें हैं।हम लोग शुरु से शंटिंग में हैं।साहित्य में किसी ने घास नहीं डाला और पत्रकारिता में फिर वहीं अश्वेत अछूत हैं।


जब पवित्रतम गाय की यह कथा है तो बाकी देश के बहुजनों की कथा व्यथा का क्या कहने।


सोनिया पर टिप्पणी से जिन्हें तकलीफ हैं,वे हमारे साथ बरते जा रहे रंगभेदी भेदभाव के खिलाफ जाहिर है कि कभी न बोलेंगे।बोलेंग तो बात दूर तलक जायेंगी।


बहुजनों को मनुष्य भी जो समझने की भूल न करें ,उन्हें सोनिया जी की चिंता ही सता सकती है।जात कुजात गासियां खाने के जनमजात अब्यसत हमें मत सिखाइये कृपया कि रंगभेद क्या बला है।हमारा वास्ता रंगभेद के शिकार पहाडों से भी है।पिघलते ग्लेशियर में दफन होकर भी हमारी हस्ती मिटती नहीं है,इसकी तकलीफ जिन्हें हैं,वे रंगभेद पर पादते हैं।


यह संसदीय राजनीति का दस्तूर भी है कि फर्जी मुद्दों पर ध्यान भटका दो,फिर जिसे छह इंच छोटा करना है उसे अठारह इंच का बना दो।


मसलन  भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष की ओर से कड़े विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार ने कहा है कि इस मामले में उनको मनाने का प्रयास जारी है। संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि विधेयक में हम विपक्ष के सुझावों को भी शामिल करेंगे। उम्मीद है कि इस मुद्दे पर सभी पक्षों के बीच सहमति बन जाएगी। सभी वरिष्ठ मंत्री विपक्ष के नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए अध्यादेश में नौ आधिकारिक संशोधन किए गए हैं। विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के लिए सरकार और संशोधन को तैयार है।


जाहिर है बिल यह भी पास होकर रहेगा।यूंभी कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि भूमि अधिग्रहण बिल में वो सरकार के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। आवाज़ संपादक संजय पुगलिया के साथ खास मुलाकात में दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार बिल में किए गए बदलाव को लेकर सामने आये तो बात जरूर होगी। उन्होंने कहा कि भूमि बिल का श्रेय बीजेपी लेना चाहती है, भूमि बिल पर सबके साथ बात होनी चाहिए। मोदी जी को अपना रवैया छोड़ना होगा। बिल से पहले सरकार को सभी पक्षों से बात करनी चाहिए थी।


पास हो या नहीं फर्क नहीं पड़ता।जो ममता बनर्जी भूमि अधिग्रहण के सख्त खिलाफ हैं,सत्ता में भी वे इस जिहाद की वजह से हैंं और असलियत यह है कि उनके राज्य में गांव के गांव फर्जी दस्तावेजों के आदार पर बेदखल हो रहे हैं।मुआवजा या जमीन की कीमत दूसरे लोगों की जेब में।यह महामारी है।हम जानते नहीं हैं कि बाकी राज्यों का फंडा क्या है।


सुंदरवन में डकैती की खबरें तो मीडिया में छपती है लेकिव वहां और बाकी बंगाल में जो प्रामोमोटर बिल्डर सिंडिकेट राज में लोग अपनी जमीन जायदाद से रोज बेदखल हो रहे हैं,उसके लिए कानून का सहारा कुछ नहीं चाहिए।


इस कानून का तकाजा तो विरोध और प्रतिरोध के दायरे में लंबित कारपोरेट योजनाओं को चाली करने से है।कारपोरेट के अलावा जो महाजनी सभ्यता जारी है,उसे न कानून की परवाह है और न व्यवस्था की।


कृपया गूगल मैप पर इंडिया मिनर्ल्स का नक्शा देख ले और फिर समझ लें कि देश की अकूत प्राकृतिक संपदा को पूंजी के हवाले करने की संसदीय राजनीति के बिलियनर मिलियनर रंग बिरंगे लोग आर्थिक सुधारों के लिए क्यों और कैसे कैसे क्या क्या नाटक रच रहे हैं।नरमेध राजसूय के पुरोहितों का समझ लें।


शेयर बाजार को मोदी जमाने में ग्रोथ पच्चीस फीसदी से ज्यादा हो गया है जो हर हाल में बढ़ता जायेगा।सांढ़ों और घोड़ों की बेलगाम दौड़ का खुल्ला मैदान यह देश है।


रिजर्व बैंक का निजीकरण हो गया और मजा देख लीजिये कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) आज 80 साल का हो गया। 80वें स्थापना दिवस पर आरबीआइ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई पहुंचे। उनके साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस भी मौजूद थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने आरबीआइ गर्वनर रघुराम राजन व उनकी टीम को बधाई दी। आरबीआइ के काम को सराहते हुए उन्होंने कहा कि मैं यहां गरीबों के लिए कुछ मांगने आया हूं। अगले 20 साल में बैंक उनके घर तक पहुंचे। उनकी ताकत की वजह से ही जीरो बैलेंस वाले खाते में भी 14हजार करोड़ रुपये जमा हो गए।


इस समावेशी विकास के नतीजे कितने प्रलंयकर हैं,जो मारे जा रहे हैं,उनको नहीं मालूम,बाजार के चकाचौंध में खड़े धर्मांध लोग इसका मतलब कैसे बूझ लेंगे,हमरा सरद्रद लेकिन यही है।


नए वित्त वर्ष का बाजार ने शानदार स्वागत किया है और पहले ही दिन बाजार में 300 अंकों से ज्यादा की तेजी देखी गई है। सेंसेक्स निफ्टी करीब 1.25 फीसदी की तेजी के साथ बंद हुए हैं। मिडकैप शेयरों में 1.5 फीसदी और स्मॉलकैप शेयरों में 2.35 फीसदी के उछाल के साथ बंद मिला है।


मनीकंट्रोल के मुताबिक नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो गई है। नए वित्त वर्ष में सरकार के सामने इकोनॉमी की रफ्तार बढ़ाने की बड़ी चुनौती है। क्योंकि इंडस्ट्री की ग्रोथ अभी बहुत भरोसा जताने वाली नहीं नजर आ रही है। नजरें रिजर्व बैंक की ओर भी हैं। क्या वो 7 अप्रैल की पॉलिसी में ब्याज दरों में कटौती करेगा। सवाल ये है कि पॉलिसी के जो बड़े एलान किए गए हैं उन्हें लागू करने के लिए एक्शन भी हो रहा है। यहां इन्ही मुद्दों पर की जा रही है खास चर्चा।


अभी तक मोदी सरकार ने कुछ बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें बीमा बिल पास कराना, रक्षा, रेलवे में एफडीआई की सीमा बढ़ाना, डीजल का डीरेगुलेशन, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया पर जोर, जन धन योजना के तहत 12 करोड़ से ज्यादा नए बैंक खाते खोलना, नई गैस पॉलिसी को मंजूरी और प्रोजेक्ट्स की मंजूरी के नियम आसान करना आदि जैसे कदम शामिल हैं।


लेकिन अब सरकार के पास रिफार्म को और आगे बढ़ाने और एक्शन के लिए ज्यादा वक्त नहीं है। नए वित्त वर्ष में सरकार के समाने कई चुनौतियां हैं। सरकार के लिए ग्रोथ बढ़ाना एक बड़ी चुनौती हैं। आईआईपी ग्रोथ में सुस्ती देखने को मिल रही है। इसके साथ ही कोर सेक्टर के आंकड़े भी कमजोर रहे हैं। भूमि बिल भी सरकार के लिए बड़ी मुश्किल बना हुआ है। जीएसटी लागू करने पर सबकी नजरें लगी हुई हैं। बेमौसम बारिश से महंगाई बढ़ने की आशंका भी उत्पन्न हो गई है।


कोर सेक्टर ग्रोथ फिसलती नजर आ रही है अक्टूबर 2014 में ये 6.3 फीसदी थी, जबकि जनवरी 2015 में ये 1.4 फीसदी पर आ गई। वहीं महंगाई और चालू खाते का घाटा काबू में नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरबीआई ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करेगा? क्या रिफार्म को लेकर सरकार बोल्ड है? क्या वित्त वर्ष 2016 एक्शन का साल होगा?


http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=116968


मिथकों की माया निराली है।मिथक की व्याख्या कोई भी कुछ भी बता सकता है।हमारे धर्म अधर्म कर्म अकर्म उन मिथकों के दायरे में सीमाबद्ध है और देश की आम जनता इन्हीं मिथकों के तिलिस्म में कैद हैं और हम हकीकत का समाना कर नहीं रहे हैं।


मैंने अमलेंदु से बार बार कहा है कि इस सोने की चिड़िया के मिथक का सच खोलना जरुरी है।लेकिन न अमलेंदु और न वे तमाम लोग जो कृपा पूर्वक मुझे सुनते या पढ़ते हैं,मेरे इस वक्तव्य का आशय समझ पा रहे हैं।


इस देश में झारखंड नहीं होता और न कोयला खानें होतीं तो मेरे पत्रकार बनने का कोई इरादा कभी न था।झारखंड  और भारत की औद्योगिक उत्पादन प्रणाली को समझने के लिए सीधे जेएनयू से मैं अपरिचित मदनकश्यप के भरोसे अपने मित्र उर्मिलेश के कहने पर कुछ दिन झारखंड में  बिताने के लिए कड़कती हुई उमस के मध्य तूफान एक्सप्रेस से मुगलसरायउतरकर पैसेंजर गाड़ी से धनबाद पहुंच गया था और कवि मदन कश्यप ने मुझे गुरुजी दिवंगत ब्रह्मदेव सिंह शर्मा के दरबार में पेश कर दिया था और गुरुजी ने ही हाथ पकड़कर मुझे पत्रकारिता का अ आ क ख ग सिखाया।


तब पत्रकारिता में अपने होने का सबूत देने में इतना उलझ गया कोयला खदानों में कि फिर भद्रसमाज में होने का अहसास न हुआ और न आगे पढ़ाई जारी रखने की कभी इच्छा हुई।


1980 से हम कोयला को काला हीरा मानते रहे हैं  और अचानक  हमारे  जादूगर प्रधानमंत्री  ने राउरकेला में पहुंचकर ऐलान कर दिया कि उनने कोयला को हीरा बना दिया है।प्रधानमंत्री बनने के बाद बुधवार काे पहली बार ओडिशा पहुंचे नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं हिसाब देने आया हूं।


प्रधानमंत्री ने कोयला घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि हमने कोयले को हीरा बना दिया। 204 कोयला खदानों से देश को एक रुपया भी नहीं मिला था। अब केवल 20 खदानों के आवंटन से ही 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मिल चुके हैं।


इस पर फुरसत मिली तो फिर चर्चा करेंगे।


सविता बाबू भूखी प्यासी अमृतसर एक्सप्रेस से पहली अप्रैल की रात साढ़े बारह बजे नजीबाबाद जंक्शन सही सलामत पहुंच गयीं और वाहां से मायके की गाड़ी में मायके।उनका फोन बंद है।


इसी बीच विवेक देबराय  पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा है कि निजी कंपनियों को यात्री गाड़ी और मालगाड़ी चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके लिए निजी कंपनियों को इंजन, वैगन, कोच और लोकमोटिव निर्माण का काम सौंप देना चाहिए। देबराय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे को कल्‍यानार्थ कामकाजों और आरपीएू प्रबंधन से दूर रहना चाहिए। रेलवे अभी हॉस्‍पीटल और स्‍कूलों का संचालन कर रही  है. जिससे रेलवे को अलग रहने की बात कही गयी है।

कमिटी ने सभी मौजूदा प्रोडक्‍शन यूनिटों के स्‍थान पर रेलवे मैनुफैक्‍चरिंग कंपनी  बनाने का सुझाव भी दिया है। इसके अलावा इस कमिटी में रेलवे स्‍टेशनों की जिम्मेदारी अलग कंपनी के हाथों में देने की भी बात कही गयी है।  रेलवे बोर्ड में टिकट दलालों पर अंकुश लगाने की भी बातकही गयी है। इसके लिए पीआरएस सिस्टम में जरूरी फेरबदल किया जा रहा है।



इसी बीच न्यूनतम पांच रुपये किराये के देश में प्लेटफार्म टिकट दस रुपये का हो गया है।सर्विस टैक्स बढ़ने से रेल किराया बढ़ गया है और रिलायंस के कंधे पर सवार इफारमेशन टेक्नालाजी मार्फत इजरायली पूंजी की महक भारत में तेज हो गयी है।


इसी बीच उत्तराखंड और समूचे हिमालय क्षेत्र की लाइफलाइन सेवा डेढ़ सौ साल से भी चली आ रही पुरानी सेवा मनी ऑर्डर से बंद हो रही है।


पोस्ट ऑफिस ने अपनी सुविधाओं को तेज बनाने के लिए मनी आर्डर की जगह ई मनी आर्डर सेना शुरू की है, आज से ये लागू हो गया है, पिछले लंबे समय से मनी आर्डर सेवा चल रही थी, जिन्होंने भी इसका इस्तेमाल किया होगा उन्हें याद होगा कि कैसे दो चार पंक्तियों के संदेश के साथ भेजे गए पैसे २-३ या ज्यादा दिनों में अपनी मंजिल तक पहुंचते थे। १०० साल पुरानी मैनुएल मनिऑर्डर सेवा आज से इतिहास बन जाएगी।


इसी बीच लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी 2015-20) का ऐलान किया है। अगले पांच साल के लिए जारी इस नीति के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस' पर जोर दिया गया है। निर्यात से जुड़ी कई योजनाओं की जगह सर्विस एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (SEIS) और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (MEIS) नाम की दो नई स्कीम शुरू की गई हैं। पुरानी स्‍कीमों के फायदों को इन्‍हीं में समाहित कर दिया गया है। नई नीति के जरिए सरकार 2020 तक वस्‍तुओं व सेवाओं के निर्यात को 900 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहती है।


इसी बीच अमेरिका की शह पर संयुक्त अरब सेना शिया संप्रदाय से लड़ने लगी है और ममता बनर्जी और मुकुल राय में सुलह हो गयी है तो विहिप नेता प्रवीण तोगाड़िया पर बंगाल में निषेधाज्ञा लागू हो गयी है।


इसी बीच भारत के गृहमंत्री ने बंगाल की सरजमीं से ऐलान किया है कि वे बांग्लादेशियों को गोमांस खाना बंद कर देंगे।


फिर धर्मोन्मादी तूफान जोरों पर है और देश भर में किसान असमय बरसात से माथे पर हाथ धरे सोच रहे हैं कि आत्महत्या करें या न करें।


कल मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत की थी कि उत्तराखंड जाने वाली या उत्तराखंड से गुजरने वाली ट्रेनों में खाने पीने का कोई बंदोबस्त नहीं है।


अमृतसर एक्सप्रेस तो स्वर्णमंदिर के दरवाजे तक पहुंचता है तो पर्यटन और धार्मिक पर्यटन के लिए अति महत्वपूर्ण मंजिल तक पहुंचने की कवायद जब नरकयंत्रणा है तो बाकी देश में गैर मेट्रो ठिकानों पर जाने वाली ट्रेनों की कुछ तो सुधि लें निजीकरण के मार्फत यात्री सहूलियतें और सुरक्षा का रेल बजट पीपीपी पेश करने वाली सरकार।


देश डिजिटल है और तुरंत पीएमओ रिपोटिंग से आनलाइन कंप्लेन का फार्म भेज दिया गया जिसे मैंने भर दिया और रेलवे शिकायत विभाग ने उसे पाने की सूचना भी देदी है।नागरिकों को ऐसी पावती से सुशासन का आभास हो जाता है लेकिन हालात कितने बदलते हैं,देखना अभी बाकी है।


बहरहाल मैं मजे में हूं।पड़ोसियों कीमहिमा है कि मुझे अभी रसोई में जाना नहीं पड़ रहा है।चायपानी से लेकर खाना पीना और दफ्तर का टिफिन भी वे बारी बारी ठीक से पहुंचा रहे है।अभी अभी काना खा लेने का दसियों बरा तकादा हो चुका है।


सविताबाबू लेकिन मायके में ज्यादा दिनों तक ठहरने वाली नहीं हैं और पखवाड़े भर में आ धमकेंगी।इस बीच देर रात और सुबह सुबह कुछ पुरानी फिल्में देख सकता हूं।

इसी सिलसिले में आज सुबह अंकुर देखी तो कल देर रात लीडर।


अंकुर हमने अशोक टाकीज या फिर कैपिटल हाल में देखी थी,ठीक से याद नहीं है।यह दीवार देखने से पहले का वाकया है।गिरदा और मोहन साथ थे।गिरदा को फिल्म का आखिरी दृश्य बहुत भाया।

मीडिया में हमारी हालत अंकुर की लक्ष्मी से कोई बेहतर लेकिन नहीं है।


जमींदार पुत्र सूर्या (अनंत नाग) अपनी रखैल गर्भवती लक्ष्मी (शबाना) के गूंगे बहरे पति कृश्नैय्या (साधू मेहेर)की वापसी पर समझ लेता है कि वह उसे पीटने चला आ रहा है।


वह जिस बच्चे के थामे डोर के भरोसे पंतंग उड़ा रहा था,पंतग उसे थमाये अपने आदमियों से कृश्नैय्या क पकड़वाकर भीतर से कोड़े लाकर बेरही से उसे धुन देता है तो शबाना आकर अपने पति से लिपट कर सूर्या को शाप देने लगती है निरंतर विलाप के मध्य।


सूर्या की नई नवेली पत्नी(प्रिया तेंदुलकर),जिसने आते ही लक्ष्मी को घर बाहर किया भीतर से थरथराये पति के मुकातिब होती है तो जिनने पकड़ा कृश्नैय्या को,उन्हीं लोगों ने सहारा देकर उसे उठाया और लक्ष्मी अपने पति को लेकर लड़खड़ाती हुई अपने डेरे की तरफ निकल पड़ी और दूसरे लोग भी तितर बितर हो गये।


तभी पंतग की डोर थामने वाले बच्चे ने एक पत्थर उठाया और दे मारा सूर्या की खिड़की पर।


गिरदा आजीवन उस बच्चे की तलाश में रहे और मैं बी उस बच्चे की तलाश में हूं।शबाना कितनी बड़ी अभिनेत्री है एकदम शुरुआत से और कितनी जटिल भूमिका को निभा सकती है,उससे बड़ी बात यह है कि इस फिल्म में जमीन की मिल्कियत,सामंती शोषण,कृषि अर्थव्यवस्था और उत्पादन संबंधों का जटिल ताना बाना पेश है,जो समांतर फिल्मों का कथ्य भी रहा है।


समांतर फिल्मों से पहले भी पचास और साठ के दशकों की फिल्मों और यहां तक कि व्ही शांताराम की फिल्मों में सामाजिक यथार्थ से टकराने का सिलसिला जारी रहा है।वैजयंती माला से बड़ी कयामत भारतीयसिनेमा में कोई दूसरी नहीं हुई।


आम्रपाली ,ज्वेलथीफ,संगम,नया दौर, लीडर, मधुमति जैसी फिल्मों में उनकी नृत्यकला और उनके अभिनय के जादू का तोड़ अब भी नहीं निकला। तो राजकपूर की आवारा का वह स्वप्नदृश्य यथार्थ के समांतर लाजवाब है।


दो बीघा जमीन और मदर इंडिया जैसी फिल्मों से आज भी भारतीय कृषि अर्थव्यवस्ता की विसंगतियां साफ साफ नजर आती हैं।


भरतीय फिल्मों,साहित्य,कला माध्यमों में और भारतीय पत्रकारिता में सत्तर के दशक तक जो यथार्थ से टकराने की ,मिथकों को और फंतासी को तोड़ने की लगातार लगाातार कोशिशें होती रही हैं,उसके उलटअब सारे माध्यम और सारी विधायें ऊसर प्रदेश हैं,जहां कोई वनस्पति उगता नहीं है और सीमेंट के जंगल में दस दिगंत व्यापी मृगमरीचिका मुक्तबाजार है।


फंतासी लाजवाब है और मिथ्या मिथकों में हम जी भी रहे हैं और मर भी रहे हैं।


शोषक अत्याचारी सामंत की खिड़की पर पत्थर उठाकर मारने वाला बच्चा कहीं नहीं है और कहीं भी नहीं है।आज का सबसे बड़ा सामाजिक यथार्थ लेकिन यही है।


धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के खिलाफ संसदीय राजनीति का पर्दाफाश बंगाल के बेहतर कहीं नहीं हुआ है।शारदा फर्जीवाड़ा की सीबीआई जांच का फंडा तो पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय को क्लीन चिट मिलने से हो ही गया।क्षत्रप साधो का रसायन डाउ कैमिकल्स है।


मोदी दीदी के मिले जुले धर्मोन्माद से वाम हाशिये पर है।वाम वापसी असंभव हो गयी है।


अब रोजवैली के खिलाफ ईडी की सक्रियाता से एकमात्र वाम आधार त्रिपुरा की जोर नाकाबंदी हो रही है।माणिक सरकार कटघरे में हैं और दीदी सिरे से बरी हैं।


तो दीदी ने मुकुल राय को सलाह दी है कि वे संयम से रहें तो तृणमूल में उन्हें उनकी पुरानी हैसियत वापस मिल जायेगी।


लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी बांग्लादेशी घुसपैठियों के किलाफ आग उगल रहे थे तो दीदी अलपसंख्यकों का तरणहार बनते हुए मोदी को जेल भेजने का ऐलान करते हुए केंद्र में दंगाबाज सरकार न बनने देने का दावा कर रही थीं।


तब से लेकर अबतक अमित शाह,मोहन भागवत और प्रवीण तोगाड़िया बंगाल में अपने लश्कर के साथ बेरोकटोक शत प्रतिशत हिंदुत्व  का अभियान चला रहे हैं।दीदी ने किसी को रोका नहीं।


राज्यसभा में जमीन अधिग्रहण बिल लटक जाने के बावजूद बाकी सारे जरूरी बिल ममता बनर्जी की अगुवाई में धर्मनिरपेक्ष क्षत्रपों के समर्थन से पारित हो गये।


जमीन अधिग्रहण के लिए अध्यादेश फिर लागू होने जा रहा है और लौह पुरुष को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस और बाबरी विध्वंस के मूक महानायक नरसिंह राव के महिमामंडन के मध्य सोनिया गांधी के खिलाफ रंगभेदी टिप्पणी से नये सिरे से रामंदिर भव्य बनाने के लिए बच्चा बच्चा राम का माहौल बनाया जा रहा है।


अब कोलकाता नगरनिगम के चुनाव प्रचार के लिए मोदी कोलकाता अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक नहीं आ रहे हैं लेकिन हिंदुत्व के आतंक के मारे सारे के सारे मुसलमान दीदी को वोट डाले ,ऐसा इंतजाम मोदी और उनके सिपाहसालारों ने कर दिया है।


तोगड़िया बाकी देश में भले एटम बम हो,बंगाल के लिए वे पटाखा भी नहीं हैं।दीदी ने उनको एटम बम बना दिया है।


हमें कभी यह साबित करने का मौका नहीं मिला और न मिलने वाला है कि अखबार कैसे चलाया जा सकता है।


जिस मसीहा के महिमामंडन के लिए कहा जा रहा है कि आज के मुकाबले हिंदुत्व की चुनौती कभी और कहीं ज्यादा थीं,उनकी विद्वता और हैसियत के मुकाबले मेरी दो कौड़ी की औकात नहीं है।


हमारे हिसाब से हिंदुत्व की सुनामी तो राममंदिर आंदोलन की शुरुआत कायदे से होने से पहले,राजीव गांधी के राममंदिर के ताला तुड़वाने से बहुत पहले आपरेशन ब्लू स्टार और सिखों के नरसंहार के जरिये पैदा हो गयी थी,जब समूचा सत्ता वर्ग और सारा मीडिया सिखों के सफाये पर तुला हिंदुत्वका आवाहन कर रहा था।


उन दिनों के अखबारों में तमाम मसीहावृंद के सुभाषित पढ़ लें तो जाहिर हो जायेगा कि वे हिंदुत्व का कैसे मुकाबला कर रहे थे।


हमारे आदरणीय मित्र आनंद स्वरुप वर्मा ने अस्सी के दशक के मीडिया के उस युंगातकारी भूमिका पर सिलसिलेवार लिखा है।


हमने दिल्ली में उनसे मिलकर और अभी हाल में फोन पर उनसे अनुरोध किया है कि भारतीय मीडिया के कायाकल्प के उस दशक के सच को किताब के रुप में जरुर सामने लाये थो तमाम दावेदारों के दावों का निपटारा हो जाये।हमने वे तमाम आलेख अपने ब्लागों के लिए और हस्तक्षेप के लिए आनंद जी से मांगे हैं।मिलते ही हम साझा करेंगे।


हमारी समझ से ग्लोबल हिंदुत्व के मुक्तबाजारी हिंदू साम्राज्यवाद का यह निरंकुश दौर पूंजी वर्चस्व समय में अमेरिका और इजराइल के दोहरे उपनिवेश भारत में भारतीय कृषि,भारतीय कारोबार और भारतीय उद्योग और समूची अर्थव्यवस्था के साथ सारी कायनात को मिटाने वाला अप्रतिरोध्य मनुस्मृति शासन है।


इसीलिए बहुजनों के हिंदुत्व और शत प्रतिशत हिंदुत्व के एजंडे को हम बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार तो क्या सिखों के नरसंहार से भी ज्यादा खतरनाक मानते हैं।


सारे माध्यम अब केसरिया है और कारपोरेट भी।


सारी विधायें अब कारपोरेट हैं और केसरिया भी और हर जुबान पर देशी विदेशी पूंजी का ताला है और तमाम उजले चेहरे करोड़ों के रोजाना भाव बिक रहे हैं।


हमारे हिसाब से इससे पहले सारे विधर्मियों के सफाया का इतना खुल्ला एजंडा डंके की चोट पर लागू करने वाला हिंदू साम्राज्यवाद का कोई राजकाज नहीं रहा है जो केसरिया है और कारपोरेट भी।

जो वाशिंगटन और तेलअबीब के सहयोग से आम भारतीय जनगण का पूरा सफाया करने पर तुला है।



भारतीय इतिहास में इससे बड़ा कोई दुस्समय आया है कि नहीं,हम नहीं जानते।


हमारी औकात चाहे जो हो,हमारी हैसियत चाहे जो हो,हम इस दुस्समय को यूं गजरते हुए कयामत बरपाने से पहले कम से कम दम भर चीखेंगे जरुर आखिरी सांस तक।


अपने अपने हित में कीर्तनिया संप्रदाय भले ही इस सामाजिक यथार्थ के दस दिगंत को झुठलाने का प्रयास करें,हमारा कोई दांव चूंकि कहीं नहीं है और हम आदतन अंकुर के उस बच्चे की तरह खिड़कियों पर पत्थर उठाकर मारनेवाले हैं,चाहे अंजाम कुछ भी हो।


गौरतलब है कि कोयला को हीरा बनाते वक्त प्रधानमंत्री भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के राउरकेला स्थित इस्पात संयंत्र में आधुनिकीकरण एवं विस्तार क्षमता को राष्ट्र को समर्पित करने यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि इस्पात उत्पादन में हम अमेरिका को पीछे छोड़ चुके हैं और अगला लक्ष्य चीन को पछाड़ना होना चाहिये।


सरकार का 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम इसमें बहुत मददगार होगा। मोदी ने कहा कि जिस देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम उम्र की हो उसे कोई भी लक्ष्य हासिल करने में मुश्किल नहीं होनी चाहये। विस्तारीकरण के बाद राउरकेला इस्पात संयंत्र की क्षमता 20 लाख टन सालाना से बढ़कर 45 लाख टन वार्षिक हो गयी है।


प्रधानमंत्री ने राउरकेला के योगदान को सराहा। कहा कि राउरकेला इस्पात संयंत्र में उत्पादित लोहा देश की सैन्य शक्ति बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत सामरिक शक्ति बनने का सपना देख रहा है और इसमें राउरकेला इस्पात संयंत्र का बहुत बड़ा योगदान रहेगा।


उन्होंने राउरकेला को 'लघु भारत' बताते हुए कहा कि राजनीति का स्वभाव पुरानी बातों को भुला देना होता है, लेकिन मैं राजनेता नहीं आपका सेवादार हूूं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ कच्चा माल बेचने से देश आगे नहीं बढ़ेगा। खनिज सम्पदा का इस्तेमाल देश के औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिये। देश में मौजूद कच्चे माल पर आधारित उद्योग लगाकर नयी औद्योगिक क्रांति के प्रयास किये जाने चाहिये।


नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी 2015-20) का ऐलान


इसी बीच मीडिया खबरों के मुताबिक लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी 2015-20) का ऐलान किया है। अगले पांच साल के लिए जारी इस नीति के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस' पर जोर दिया गया है। निर्यात से जुड़ी कई योजनाओं की जगह सर्विस एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (SEIS) और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (MEIS) नाम की दो नई स्कीम शुरू की गई हैं। पुरानी स्‍कीमों के फायदों को इन्‍हीं में समाहित कर दिया गया है। नई नीति के जरिए सरकार 2020 तक वस्‍तुओं व सेवाओं के निर्यात को 900 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहती है। इसके लिए वैल्यू एडीशन, घरेलू उत्पादन और नए बाजारों की तलाश पर जोर दिया गया है। लेकिन सस्ते कर्ज की उम्मीद लगाये निर्यातकों को ब्याज सब्सिडी नहीं मिलने से निराशा हुई है।

बुधवार को नई विदेश व्‍यापार नीति जारी करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नई पॉलिसी से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि उन्होंने माना कि इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की अड़चनों को दूर करना बड़ी चुनौती है। साथ ही विश्‍व बाजार में हम कमजोर मांग का सामना कर रहे हैं। नई नीति में मोदी सरकार ब्‍याज छूट और सब्सिडी की बजाय कारोबारी की प्रक्रिया को सरल बनाने और इनसेंटिव के जरिए प्रोत्साहन का रास्ता चुना है।

2020 तक 900 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्‍य

वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि सरकार का मकसद वर्ष 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। इससे विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा दो फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी तक पहुंच सकती है।

निर्यात प्रक्रिया होगी आसान

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही पुरानी योजनाओं को इन दोनों स्‍कीम के तहत लाया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि ट्रांजेक्‍शन कॉस्‍ट को कम करने के लिए 21 विभागों को नामित किया गया है, जो निर्यात संबंधी प्रक्रिया को सरल बनाएंगे। इसके अलावा राज्‍यों को निर्यात की रणनीति बनाने में केंद्र की मदद दी जाएगी।

डिफेंस, फार्मा पर फोकस, जीरो डिफेक्‍ट उत्‍पाद बनाने पर जोर

नई विदेश व्‍यापार नीति में भी सरकार ने जीरो डिफेक्‍ट उत्‍पाद बनाने पर जोर दिया है। वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि नई पॉलिसी का फोकस हाई वैल्‍यू ऐडेड उत्‍पादों के निर्यात पर फोकस किया गया है। इसमें पर्यावरण के अनुकूल उत्‍पाद बनाने की बात भी कही गई है। सीतारमण ने कहा कि नई नीति लेबर को प्रोत्‍साहित करने वाले उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देगी। भारतीय उत्‍पादों को नई पहचान दिलाने के लिए सरकार एक ब्रांडिंग कैंपेन भी शुरू करेगी।

सेज को उबारने की कवायद

नई नीति में लगभग नाकाम को चुके स्पेशल इकोनामिक जोन (SEZ) को उबारने की कवायद के तहत MEIS और SEIS में मिलने वाली सुविधाओं का फायदा सेज इकाइयों को मिलेगा। इसके साथ ही चैप्टर-3 का फायदा भी सेज इकाइयों को मिलेगा।

ई-कॉमर्स को बढ़ावा देगी नई नीति

नई विदेश व्‍यापार नीति ई-कॉमर्स कंपनियों को भी निर्यात के लिए प्रोत्‍साहित किया जाएगा। ये रियायतें खासतौर पर नौकरियां पैदा करने वाले सेक्‍टरों से निर्यात पर मिलेंगी। कूरियर या फॉरेन पोस्‍ट ऑफिस के जरिए ई-कॉमर्स प्‍लेटफार्म का इस्‍तेमाल कर निर्यात करने वाली कंपनियों को MEIS का लाभ मिलेगा। हालांकि, यह फायदा सिर्फ 25 हजार रुपये तक के कंसाइनमेंट पर ही मिलेगा।

नई विदेश व्‍यापार नीति की खास बातें-

  • नई नीति को जोर निर्यात को बढावा देने, नौकरियां पैदा करने और वैल्‍यू एडिशन पर है।

  • वस्‍तुओं के साथ-साथ सर्विस एक्‍सपोर्ट को बढ़ावा देने पर ध्‍यान दिया गया है। इसके लिए सरकार सब्सिडी के बजाय इंसेंटिव देने का रास्‍ता चुना है।

  • बुनियादी ढांचा सुधारने और कारोबार में आसानी

  • एक्‍सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए ब्रांडिंग कैंपेन शुरू होगा।

  • नए उद्यमियों को ट्रेनिंग दी जाएगी

  • श्रम आधारित उद्योगों से निर्यात को बढ़ाया दिया जाएगा। वैल्यू एडिड, कृषि उत्‍पाद, कमोडिटी, हाई-टेक प्रोडक्‍ट, इको फ्रेंडली और ग्रीन प्रोडक्‍ट पर जोर देने के साथ जीरो डिफेक्ट प्रोडक्ट के निर्यात पर जोर होगा।

  • निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई पुरानी योजनाओं की बजाय दो बड़ी योजनाएं- 'मर्चेंडाइज एक्‍सपोर्ट फ्राम इंडिया' (एमईआईएस) और 'सर्विस एक्‍सपोर्ट फ्राम इंडिया' (एसईआईएस) नाम की दो नई योजनाएं शुरू।

  • ड्यूटी ड्राबैक के फायदे इन नई योजनाओं के तहत दिए जाएंगे।

  • ईपीसीजी स्‍कीम के तहत निर्यात आब्लीगेशन को पच्चीस फीसदी किया जाएगा। घरेलू खरीद को बढ़ावा दिया जाएगा।

  • नई योजनाओं के फायदे विशेष आर्थिक क्षेत्रों यानी सेज को भी मिलेंगे। चैप्‍टर तीन के तहत अब सेज को भी मिल सकेगी। लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। इससे सेज को बढ़ावा मिलेगा।

  • टैरिफ रेशनलाइजेशन के तहत 850 टैरिफ लाइन कवर होंगी।

  • राज्‍यों से निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र के साथ तालमेल बनाने को बढ़ावा दिया जाएगा। केंद्र सरकार राज्‍यों को उनकी निर्यात रणनीति बनाने में मदद करेगी। इसके अलावा एक काउंसिल फॉर ट्रेड प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बनाई जाएगी, जिसमें राज्‍यों की भागीदारी रहेगी।

  • ट्रांजेक्‍शन कॉस्‍ट को कम करने के लिए 21 विभागों को नॉमिनेट किया गया है, जो निर्यात संबंधी प्रक्रिया काे सरल बनाएंगे।

  • अब हर एक्‍सपोर्ट अप्रैजल तिमाही आधार पर होगा।

  • नई नीति में नए बाजारों की तलाश को महत्‍व दिया गया है।

  • कृषि उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ज्‍यादा इनसेंटिव दिए जाएंगे।

  • EPCG स्‍कीम के तहत एक्‍सपोर्ट आब्‍लिगेशन में 25 फीसदी की रियायत दी गई है। इससे घरेलू उत्‍पादन को प्रोत्‍साहन मिलेगा।

  • विदेश व्‍यापार नीति की सालाना समीक्षा के बजाय अब ढाई साल में समीक्षा की जाएगी।

  • विनिर्माण क्षेत्र और रोजगार सृजन में छोटे और मध्यम पैमाने के उद्यमों के महत्व को देखते हुए 'सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के 108 समूहों की पहचान की गई है।

के आर चोकसी सिक्योरिटीज के देवेन चोकसी और ट्रेडस्विफ्ट ब्रोकिंगके संदीप जैन बता रहे हैं कि चौथी तिमाही में कंपनियों के लिए क्या क्या राहत की खबरें रही और किन खबरों के चलते कंपनियों के नतीजों पर खराब असर हो सकता है।


बैकिंग-फाइनेंस नतीजे कैसे रहेंगे


यूबीएस का अनुमान


यूबीएस के मुताबिक चौथी तिमाही में बैंकिंग और फाइनेंस में एसेट क्वॉलिटी कमजोर ही रहेगी। हालांकि गैस प्राइस पूलिंग, कोल नीलामी के चलते एनपीए की दिक्कत कम होगी। बैंकों की रीस्ट्रक्चरिंग में बढ़ोतरी का अनुमान है। चौथी तिमाही में एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक की लोन ग्रोथ 20 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है और इंडसइंड बैंक, यस बैंक की लोन ग्रोथ 23-27 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। इस दौरान बैंकों के मार्जिन स्थिर रहेंगे। वहीं दूसरी ओर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के नतीजे काफी मजबूत होंगे। कर्ज की कमजोर मांग, मार्जिन पर दबाव, ज्यादा प्रोविजनिंग से आईडीएफसी पर दबाव बना रहेगा।


यूबीएस के मुताबिक एसबीआई, एचडीएफसी बैंक में एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस में निवेश किया जा सकता है। यूबीएस के मुताबिक एमएंडएम फाइनेंशियल से निवेशकों को दूर रहना चाहिए।


आईटी सेक्टर

आईटी सेक्टर में क्रॉस करेंसी की चिंताएं बनी हुई हैं। डॉलर के मुकाबले बड़ी करेंसीज 4-10 फीसदी कमजोर हो सकती हैं और नए प्रोजेक्ट शुरू होने में देरी हो सकती है। नॉर्थ अमेरिका में मौसम के अनियमित हालात के चलते वहां से ऑर्डर में कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि टॉप 5 कंपनियों की डॉलर आय ग्रोथ तिमाही दर तिमाही 2-2.5 फीसदी गिरने का अनुमान है। ज्यादातर कंपनियों की डॉलर आय ऑर्गेनिक ग्रोथ +1 फीसदी या -1 फीसदी रहने का अनुमान है। ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 1 फीसदी से -1 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान है। टेक महिंद्रा का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 2 फीसदी गिरने का अनुमान है और मैनेजमेंट का कमेंट सतर्क का रह सकता है।


ऑटो सेक्टर

ऑटो सेक्टर पर बेमौसम बारिश का असर नतीजों पर दिखेगा और वित्त वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में बिक्री कमजोर रहने के कारण कंपनियों की ज्यादा डिस्काउंट देने की गुंजाइश कम है। हालांकि ऑटो सेक्टर के लिए राहत की खबर है कि नए लॉन्च से बिक्री को सपोर्ट मिलेगा। मीडियम और हैवी कमर्शियल व्हीकल प्लेयर्स से अच्छे नतीजों की उम्मीद है वहीं टू-व्हीलर बिक्री स्थिर रह सकती है।


कैपिटल गुड्स सेक्टर

इस बार पावर में ऑर्डर काफी कम रहे हैं और कैपिटल गुड्स सेक्टर में रिकवरी काफी धीमी रही हैं। कंपनियों पर मार्जिन बनाए रखने, वर्किंग कैपिटल बढ़ाने पर फोकस रखने का दबाव है। वित्त वर्ष 2016 की दूसरी छमाही में ही रिकवरी की उम्मीद है।


रियल एस्टेट सेक्टर

चौथी तिमाही में रियल एस्टेट में नए लॉन्च ज्यादा नहीं हुए हैं जबकि एनसीआर मार्केट में दबाव लगातार जारी है। कंपनियों का सेल्स वॉल्यूम बढ़ने पर फोकस होगा। रियल एस्टेट के लिए कुछ राहत की खबरें ये हैं कि मुंबई में कुछ प्रोजेक्ट्स की बिक्री बढ़ रही है। बंगलुरू, पुणे का मार्केट अब भी मजबूत बना हुआ है।


फार्मा सेक्टर

फार्मा सेक्टर पर यूएसएफडीए की सख्ती का असर चौथी तिमाही में देखा जा सकता है और जबकि इस दौरान रुपये में कमजोरी से आय बढ़ेगी और घरेलू कारोबार मजबूत रहने की उम्मीद है।


एफएमसीजी सेक्टर

चौथ तिमाही में एफएमसीजी का डिमांड आउटलुक कमजोर रहा है और सिगरेट मार्जिन को बनाए रखना आईटीसीके लिए चुनौती है। बेमौसम बारिश की वजह से ग्रामीण बिक्री पर असर देखा जा सकता है। हालांकि एग्री सेक्टर से कच्चा माल इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की लागत घटेगी और शहरों में ऑपरेट करने वाली कंपनियों में रिकवरी की उम्मीद है।


मेटल सेक्टर

आयरन ओर की किल्लत होने से इंपोर्ट बढ़ रहा है और कोयला ब्लॉक की नीलामी पर भी खर्च हुआ है जिससे कंपनियों की बैलेंसशीट पर दबाव है। डिमांड घटने से कंपनियां बड़े केपैक्स से बच रही हैं। हालांकि मेटल सेक्टर में कच्चा माल सस्ता होने से स्टील कंपनियों को फायदा भी हो रहा है।


टेलीकॉम सेक्टर

चौथी तिमाही में टेलीकॉम कंपनियों के वॉल्यूम पर दबाव देखा गया है और स्पेक्ट्रम नीलामी पर बड़ा खर्च हुआ है।भारती एयरटेल का अफ्रीकी कारोबार दबाव में आया है और इसका असर नतीजों पर देखने को मिलेगा।

http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=116966



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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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