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Sunday, April 26, 2015

पहली मई से पहले क्या करें हम? पूरे देश को जोड़ने का यह मौका है।बेकार न जाने दें। फासिस्ट संघपरिवार को और उसकी कारपोरेट केसरिया सरकार को सुखीलाला के मुनाफे के अलावा न मनुष्यता की परवाह है और न प्रकृति या पर्यावरण की।

पहली मई से पहले क्या करें हम?

पूरे देश को जोड़ने का यह मौका है।बेकार न जाने दें।

फासिस्ट संघपरिवार को और उसकी कारपोरेट केसरिया सरकार को सुखीलाला के मुनाफे के अलावा न मनुष्यता की परवाह है और न प्रकृति या पर्यावरण की।


पलाश विश्वास

पूरे देश को जोड़ने का यह मौका है।बेकार न जाने दें।


आपको जनजागरण अभियान के वास्ते मुक्तबाजारी फासिस्ट जायनी नरमेध संस्कृति और जनसंहारी राजकाज के बारे में जनता के बीच जाने के लिए सामग्री चाहिए,तो हम हस्तक्षेप को जनसुनवाई का राष्ट्रीयमंच बनाने के एजंडे के तहत तमाम तथ्यों,सूचनाओं,खबरों और विशेषज्ञों का विश्लेषण रोज प्रकाशित कर रहे हैं।


आप प्रिंटनिकालकर इस सामग्री को भी प्रसारित कर सकते हैं और जो नेट पर हैं,उन्हें शेयर कर सकते हैं।व्हाट्सअप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।


कृपया निरंतर हस्तक्षेप, http://www.hastakshep.com/

जुड़े रहें।


फासिस्ट संघपरिवार को और उसकी कारपोरेट केसरिया सरकार को सुखीलाला के मुनाफे के अलावा न मनुष्यता की परवाह है और न प्रकृति या पर्यावरण की।


नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने का हिंदू साम्राज्यवादियों का शाश्वत एजंडा है।नेपाल में आये भूकंप से मानवीयआधर पर अपने विस्तारवादी योजनाओं को अंजाम देने का मौका बनाने में लगा है संघपरिवार और मदद की आड़ में अनंत हस्तक्षेप की तैयारी है।


हम नेपाल ही नहीं,इस महादेश के सारे नागरिकों को अपना स्वजन मानते हैं और युद्ध और गृहयुद्ध के विरुद्ध हैं।


भारतीय जनता मजबूती के साथ संकट कीघड़ी में नेपाली जनता के साथ है।

संघ परिवार लेकिन इस आपदा की आड़ में तमाम आर्तिक मुद्दों पर बहस को रफा दफा करने लगा है।सोशल मीडिया पर नासा की चेतावनी के बहाने अंतरिक्ष से पराबैंगनी रश्मि के भारत में देर रात हमले का वाइरस संदेश यज्ञों का नया सिलसिला शुरु करने का खुल्ला आवाहन है।


कारपोरेट मीडिया की महिमा अपरंपार है और उससे भी भारी महिमा है सोशल मीडिया पर सक्रिय संघियों की।नेपाल के भूकंप के बाद व्हाट्सअप से रायपुर मौसम कार्यालय के हवाले से चेतावनी जारी कर दी गयी कि बिहार झारखंड में देर रात भूकंप आनेवाला है जो रेक्टरस्केल पर 13.2 होगा।


देर रात को फोन आते रहे कंफर्म करने के लिए।


हमने जवाब में कहा कि अगर इतना बड़ाभूकंप आने को है तो करने को कुछ नहीं है।कहीं से हमारे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है।


दहशत का माहौल ऐसे जान बूझकर बनाया जा रहा है।किसी रायपुर मौसम कार्यालय से भूकंप की  ऐसी चेतावनी जारी हो सकती है या नहीं,हमें मालूम नहीं है।नेपाल में आये भूंकप के बारे में हालांकि कोई चेतावनी जारी हुई नहीं।


पहली मई से पहले क्या क्या घटित होने वाला है,वह संघ परिवार को ही मालूम होगा।हम कोशिश करें कि चाहे कुछ भी हो जाये,अस्मिताओं के आर पार मई दिवस पर मेहनतकश जनता और पूरे देश को लामबंद करने का अभियान हर कीमत पर चलाना है और अभी बचे हुए दिनों में उसकी तैयारी करनी है।


हमें यह आलेख कल लिखना था।लेकिन जब अपने घर में तबाही का मंजर होता है,तो आपका ध्यान उधर जाता है।नेपाल के इस भूकंप का असर चीन में भी हुआ है।तो एवरेस्ट पर भी हिमस्खलन की आशंका है।7.9 के इस भूकंप से भारत में जो असर हुआ है  तो नेपाल में और नेपाल के सीमावर्ती भारतीयइलाकों के दुर्गम इलाकों में लोग कितने सकुशल होगे,इसका शायद कोई सूचना हमें कभी न मिल सकें।


पहली मई को कोई अचरज नहीं कि महामहिम बिजनेस फ्रेंडली प्रदानमंत्री राष्ट्र के नाम कोई संदेश प्रसारित करें या पिर मंकी बातें जारी हों जिसमें श्रमिक कल्याण के बखान हों।


वे अंबेडकर का अपहरण कर सकते हैं तो मई दिवस का अपहरण भी कर सकते हैं।


याद रखना है कि हम केसरिया कारपोरेट रंग के खिलाफ सारेर रंगों के इंद्रधनुष बनाकर इस कायनात और इंसानियत को उसकी मुकम्मल रुह के साथ बचाने की मुहिम चला रहे हैं।


2010 में मूलनिवासी ट्रस्ट से मेरी पुस्तक प्रणव का बजट पोटाशियम सायोनाइड प्रकाशित हुआ था जो भारत मुक्ति मोर्चा की दिल्ली रैली में जारी हुई थी।बामसेफ में सक्रिय तमाम लोगों के पास यह पुस्तक होगी जिसमें हमने कर प्रणाली में किये जाने वाले सुधारों की व्यापक चर्चा की थी।जिसमें खासतौर पर डीटीसी और जीएसटी की चर्चा है।हमारे भाषण की भी सीडी डीवीडी देशभर के कार्यकर्ताओं समर्थकों के पास होंगे।


हमलोग बामसेफ के माध्यम करीब पंद्रह सालों से राष्ट्रीय सम्मेलन से लेकर जिला और महकमा के कार्यक्रमों में भी देशभर में एलपीजी यानी उदारीकरण निजीकरण और ग्लोबीकरण पर लगातार चर्चा करते रहे हैं।जिसकी वीडियो रिकार्डिंग भी खूब हुई है।


तमाम विशेषज्ञों से लेकर हमारे वक्तव्य यू ट्यूब पर उपलब्ध हैं।तमाम पुस्तकें छापी गयीं।लाखों की तादाद में सीडी डीवीडी वितरित है।अब उनके व्यापक इस्तेमाल जनजागरण में करने का सही मौका है।


राष्ट्रीय आंदोलन की टाइम लाइन लेकिन लगातार बदलती रही और आखिरी बार पिछले लोकसभा चुनावों से ऐन पहले राष्ट्रीया आंदोलन के एजंडे समेत बामसेफ को भी सत्ता की राजनीति में समाहित कर दिया गया।


इसके बावजूद बामसेफ आंदोलन अलग अलग धड़ों में जारी है।हमने इन धड़ों के साथ सभी अंबेडकरी गुटों और सारे अंबेडकरियों की एकता के लिए भरसक कोशिश की और बुरी तरह नाकाम रहे।हमारे अनेक साथी इन धड़ों में अब भी हैं।हम उनके बी संपर्क में हैं।उनसे भी निवेदन है कि यह मौका गवांए नहीं।


पंद्रह साल तक आर्थिक मुद्दों पर लगातार चर्चा और हर साल बजट का व्यापक पैमाने पर विश्लेषण की वजह से आज बामसेफ के ज्यादातर कार्यकर्ता अस्मिता की राजनीति को तिलांजलि देकर देश जोड़ो और मुक्तबाजार का प्रतिरोध करो के लिए सहमत है।


यह नवउदारवाद की संतानों की फासिस्ट सत्ता के खिलाफ हमारी कुल पूंजी है।


अब हम लोगों ने आर्थिक सुधारों के लिए जो जनजागरण चलाया,जो साहित्य घरों में हैं और जो सीडी डीवीडी घरों में पड़ी हैं,बामसेफ के बाहर निकले और बामसेफ में अब भी रह गये कार्यकर्ताओं समर्थकों से निवेदन है कि वे उन्हें झाड़ पोंछकर निकालें और उनके साथ जनता के बीच जाकर जनजागरण का काम करें।


वे खुद नेतृत्व करें इस अभियान का और हमसे संपर्क करें या नहीं,इसकी हम शिकायत नहीं करने जा रहे हैं।दूसरे जो लोग ऐसा जनजागरण चलाना चाहे,उनसे भी यही निवेदन है।


सवाल राजनीति का नहीं है।बुनियादी मसला अर्थव्वस्था का है और इससे इस प्रकृति पर्यावरण  मनुष्यता और सभ्यता के सारे अहम मसले ताने बाने की तरह जुड़े एक दूसरे से गूंथे हुए हैं।


हमें उम्मीद है कि संगठन के मुद्दे पर भले ही मतभेद हो,आर्थिक मुद्दों पर अब भी हम लोग सहमत हैं।अलग अलग भी लोग काम कर सकते हैं।अलग अलग जनजागरण भी चला सकते हैं।


अब भाषणबाजी,सेमीनार या सम्मेलनों से कोई मसला नहीं हल होने वाला है।देश व्यापी जन सुनवाई का वैकल्पिक मंच हमें तैयार करने होेंगे।


मीडिया के भरोसे नहीं,अपने पास पहले से उपलब्ध प्रिंट और विजुअल कांटेट के साथ सीधे जनता के बीच जाना है और उन्हें हकीकत नये सिरे से बताना है।


अगर हम सबको साथ लेकर चलने को तैयार हैं तो हमारे पास देशभर में हजारों कार्यकर्ता अब तैयार हैं जो चाहे तो पहली मई से ही राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत कर सकते हैं।


हम जो काम पहले कर चुके हैं,वह चूंकि बामसेफ के मंच से ही किया हुआ है,इसलिए हम बामसेफ के कार्यकर्ताओं और समर्थकों जो लगभग निष्क्रिय हैं,उन्हें फिर सक्रिय करने के लिए उनको यह कार्यक्रम दे रहे हैं।इसका कतई मतलब यह नहीं है कि यह जनजागरण सिर्फ बामसेफ के अंदर बाहर के लोग करेंगे।


हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि देशभर के हमारे साथी आर्थिक मुद्दों पर ही देश जोड़कर राज्यतंत्र बदलने का आंदोलन शुरु करना चाहते हैं और हमें देश के नब्वे फीसद जनता को अस्मिताओं के आर पार इस मुक्त बाजारी कयामत के प्रतिरोध में खड़ा करना है।चूंकि बामसेफ के जरिये भारी पैमाने पर आर्थिक मुद्दों पर कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो गया है,तो हमे राष्ठ्रीय आंदोलन के सिलसिले में हमारे साथियों की इस दक्षता और विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना ही होगा।


मई दिवस से पहले अभी काफी वक्त है,केसरिया कारपोरेट राज के कयामती तिलिस्म के खिलाफ खड़े हैं जहां भी जो लोग हैं,मई दिवस के मौके पर उन सबमें संवाद और समन्वय का पड़ाव भी हम पार कर लेते हैं तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करने का अगला पड़ाव भी हम तय कर लेगें।



यह हमारी आत्मघाती अर्थव्यवस्था के लिए भारी चेतावनी है कि कयामत हमारे सर पर नाच रही है और हम बेखबर है।बिजनेस फ्रेंडली राजकाज के कल्कि अवतार मदर इंडिया के सुखी लाला ही है,जिनका सरोकार बाजार से है, इंसानियत से नहीं।



इंसानियत बची रहेगी या नहीं फासिस्टों को इसकी चिंता सताती नहीं है बल्कि उनके एजंडा में तो गैर नस्ली,विधर्मी गैर जरुरी जनसंख्या का सफाया होता है और इसका पुख्ता इंतजाम हो गया है।


जो लोग फर्जी चेतावनी से या भूंकप के झटकों से बेहद घबड़ा रहे हैं,वे तनिक दिलोदिमाग पर तबाही के इस मंजर पर गौर करें।


सुंदरलाल बहुगुणा भूमि उपयोग को मनुष्यता और सभ्यता के लिए सबसे खतरनाक मानते हैं।पहाड़ों में कृषि का अंत हो गया है। हिमालय में भारत से लेकर चीन तक कारोबारियों का अखंड साम्राज्य है और उनकी सोच मुनाफावसूली के दायरे से बाहर किसी मानवीय संवेदना को महसूस ही नहीं कर सकता।महाजनी सभ्यता का स्थाईभाव यही है।


भुखमरी ,अकाल और प्राकृतिक आपदाएं मुनाफावसूली के सबसे बड़े मौके पैदा करती हैं और जब सत्ता मुनाफावसूली का पर्याय हो तो राजकाज का मतलब मुनाफावसूली के लिए ऐसे मौके बार बार बनाने का होता है।


इसीलिए हम बार बार इतिहासबोध पर जोर देते हैं।इसीलिे हम बार बार सामाजिक यथार्थ की पड़ताल अर्थव्यवस्था के आइने में करते हैं,जिनमें मानवीय त्रासदियां भी शामिल हैं।हमारे हिसाब से पर्यावरण चेतना के बिना अर्थव्यवस्था और सामाजिक यथार्थ के मायने समझना असंभव है।इसीलिए हम बार बार सामाजिक बदलाव और राज्यतंत्र में बदलाव के लिए आर्थिक मामलों की समझ और पर्यावरण चेतना को अनिवार्य मानते हैं।


पूरे देश को जोड़ने का यह मौका है।बेकार न जाने दें।

बहुत हुआ इंतजार,अब वर्गीय सत्ता के खिलाफ वचितों का राष्ट्रीय आंदोलन शुरु होना ही चाहिए।


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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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