पूंछ हिलाने लगी भारतीय राजनय अमेरिकी आका की जीहुजूरी में!सरकारें आईं और गईं, लेकिन सुधार की दिशा नहीं पलटी।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पूंछ हिलाने लगी भारतीय राजनय अमेरिकी आका की जीहुजूरी में!अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने वाशिंगटन में साफ किया है कि भारत आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ता रहेगा। इस संबंध में पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछले साल भारतीय आइटी कंपनियों ने अमेरिका में 2.8 लाख रोजगार के अवसर तैयार किए। इन कंपनियों ने अमेरिका में बीते साल पांच अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया।निरूपमा राव ने अमेरिकी व्यापारियों को आश्वस्त किया है कि भारत में आर्थिक सुधार का उफान लौट नहीं रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि भारत की विकास यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है।राव ने गुरुवार को एशिया सोसायटी में कहा कि भारत में 1991 से शुरू हुए आर्थिक सुधारों के इतिहास पर नजर डालिए। सरकारें आईं और गईं, लेकिन सुधार की दिशा नहीं पलटी।दूसरी ओर लंदन में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा है कि भारत सरकार बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर जल्द 'राजनीतिक बातचीत' शुरू करेगी।उन्होंने कहा कि इस मसले पर अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं किया जा सकता।अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भारत के 13वें राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी को बधाई देते हुए उन्हें अमेरिका व अमेरिकी लोगों का एक मजबूत सहयोगी बताया।वरिष्ठ अमेरिकी मंत्री माइक हैम्मर ने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ शानदार कामकाजी रिश्ता बनाया है, जिससे आप अच्छी तरह वाकिफ हैं। क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति के तौर पर भारत की महत्ता को हम मानते हैं और यही कारण है कि रिश्तों को मजबूत करने में हमारी काफी दिलचस्पी है। हैम्मर ने कहा कि अमेरिका क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति के तौर पर भारत की अहमियत को समझता है।हैम्मर ने प्रणब मुखर्जी के भारत के 13 वें राष्ट्रपति बनने पर उनको बधाई दी है और कहा है कि अमेरिका भारत के साथ आगे काम करना चाहता है। भारत अमेरिका व्यापार संबंधों और भारत में निवेश माहौल को लेकर अमेरिका में चिंता पर एक सवाल के जवाब में हैम्मर ने कहा कि अमेरिका हमेशा से अमेरिकी कारोबार और रोजगार अवसरों को बढ़ाने की उम्मीद करता है।
प्रणब के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद क्लिंटन ने एक वक्तव्य में कहा कि प्रणब ने अपने पूरे करियर में विभिन्न मुद्दों पर भारत-अमेरिका सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम किया। उन्होंने आगे भी भारत सरकार व वहां के लोगों के साथ काम करने की बात की।उन्होंने कहा कि हम साथ में अपने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्माण करेंगे और दोनों देशों के लोगों के अच्छे भविष्य के लिए अपने संबंध और मजबूत करेंगे।विदेश नीति को लेकर भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी के बीच कितने ही मतभेद हों, लेकिन जब भारत और जापान को समर्थन देने की बात आती है तो दोनों एक राय रखते हैं। वाशिंगटन के प्रतिष्ठित थिंकटैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट की ओर से ओबामा और रोमनी के चुनाव अभियान पर आयोजित एक चर्चा में इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों उम्मीदवार पाकिस्तान के लिए अमेरिकी नीति पर भी एक राय रखते हैं। अमेरिका में छह नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए ९ अगस्त, १९४२ को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के ठीक ७० वर्ष बाद देशभर के कारोबारी 'एफडीआई छोड़ो दिवस' की शुरुआत करने जा रहे हैं। कारोबारियों के मुताबिक जिस गैर लोकतांत्रिक तरीके से देश में करोड़ों कारोबारियों पर एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को थोपने की साजिश की जा रही है, उसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि 9 अगस्त को एफडीआई भारत छोड़ो दिवसके रूप में मनाया जाएगा जिस दौरान रिटेल में एफडीआई के खिलाफ पूरे देश में धरने व प्रदर्शन किए जाएंगे।
इस बीच उद्योग जगत की हस्तियों और विशेषज्ञों ने सरकार से राजनीति छोड़कर 'लोकतांत्रिक पूंजीवाद' के मॉडल के जरिए लोगों को आर्थिक वृद्धि और सुधारों की प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है।उद्योगपति आदि गोदरेज ने सोमवार को मुंबई में विश्व आर्थिक मंच की भारत आर्थिक शिखर बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम राजनीति को अलग रख दें और सुधारों के एजेंडा को आगे बढ़ाएं। इनके जरिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में आ रही कमी के रुख को पलटा जा सकता है।गोदरेज ने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटना और पारदर्शिता बढ़ाना भी काफी महत्वपूर्ण हैं।
योजना आयोग के सदस्य अरुण मैरा ने कहा कि वृद्धि के साथ समावेशी विकास की गति तेज किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कह रहे हैं कि वे उन निर्णयों में शामिल होना चाहते हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। हमारा अधिक लोकतांत्रिक बाजार और लोकतांत्रिक पूंजीवाद होना चाहिए।
सुजलान एनर्जी के प्रमुख तुलसी तांती ने कहा कि भारत को स्थिरता वाली अर्थव्यवस्था और सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर आईटी क्षेत्र की कंपनी टीसीएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन चंद्रशेखरन ने कहा कि सरकार को लोगों के फायदे के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर ध्यान देना चाहिए।
आर्थिक सुधारों पर टाइम मैग्जीन की ओर से 'अंडरअचीवर' कहे जाने के बाद लगातार आलोचना झेल रहे प्रधानमंत्री के पक्ष में अब कॉरपोरेट जगत के दिग्गज आ रहे हैं।
कुछसमय पहले ही प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा ने मनमोहन के पक्ष में खड़े होते हुए कहा था कि मौजूदा आर्थिक माहौल के लिए केवल मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। अब आइटी क्षेत्र के दिग्गज और विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी भी खुलकर मनमोहन के पक्ष में आ गए हैं।
कुछ समय पहले सरकार पर बिना नेतृत्व के काम करने का आरोप लगाने वाले प्रेमजी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आर्थिक सुधारों को रफ्तार देने के लिए उचित अवसर दिया जाना चाहिए।तिमाही नतीजों की घोषणा के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रेमजी ने कहा कि यह कहना बड़ा कठिन हैकि आर्थिक सुधार किस तरह से शुरू होने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी ली है। ऐसे में हमें (आर्थिक सुधारों पर) आशावादी होना चाहिए और उनको एक उचित अवसर दिया जाना चाहिए।
अमेरिकी मीडिया द्वारा, भारतीय सुधारों की मंद गति को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कड़ी आलोचना करने के बावजूद वाशिंगटन नई दिल्ली के साथ अपने रिश्ते को बहुत महत्वपूर्ण मानता है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्ने ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, भारत के साथ हमारा बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता है। कार्ने से टाइम पत्रिका द्वारा मनमोहन सिंह को फिसड्डी कहे जाने के आलोक में सिंह के बारे में ओबामा की राय के बारे में पूछा गया था।कार्ने से जब पूछा गया कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या उनके साथ अपने रिश्ते के बारे में राष्ट्रपति ओबामा क्या सोचते हैं, उन्होंने कहा कि इसके बारे में हमारी उनसे बातचीत नहीं हुई है।उन्होंने कहा, मेरा मतलब यह कि जैसा आप जानते हैं भारत के साथ हमारा बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता है, लेकिन इसके बारे में हाल में हमारी उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है।ज्ञात हो कि प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका टाइम ने हाल में मनमोहन सिंह को फिसड्डी करार देते हुए आश्चर्य व्यक्त किया था कि क्या 1991 के आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन खुद को उबार पाएंगे और भारत को उच्च विकास दर की पटरी पर वापस ला पाएंगे।
टाइम ने 16 जुलाई के अपने एशिया संस्करण में कहा था, जिस व्यक्ति ने 21 वर्ष पहले जिन उच्चाकांक्षाओं को जोरदार तरीके से लांच किया था, उस व्यक्ति का काम उन उच्चाकांक्षाओं व राष्ट्र की आपूर्ति क्षमता के बीच दूरी को कम करना होना चाहिए।
ओबामा का कहना है कि भारत को मुश्किल आर्थिक सुधार करने होंगे. क्योंकि भारत खुदरा कारोबार समेत कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश रोक रहा है। यही निवेश नौकरियाँ पैदा करता है और ये भारत के विकास के लिए भी जरूरी है।
ओबामा ने कहा, लोग कहते हैं कि अब भी भारत में खुदरा कारोबार समेत कई क्षेत्रों में निवेश करना मुश्किल है। भारत उस विदेशी निवेश को रोक रहा है या सीमित कर रहा है जो कि भारत और अमेरिका दोनों जगह नई नौकरियाँ पैदा करने के लिए जरूरी है। और भारत के विकास के लिए भी जरूरी है।
वह आगे कहते हैं,"भारत को मुश्किल आर्थिक सुधार करने की जरूरत है। भारत में इस बारे में सहमति बढ़ रही है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत को होड़ में रखने के लिए आर्थिक सुधारों के एक और दौर की जरूरत है।"
ओबामा के मुताबिक दुनिया की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर कम हो रही है।
राष्ट्रपति आगे कहते हैं, "हम ये नहीं होने देना चाहते कि विकसित देशों के चुनिंदा नेता वो फैसले लें जिनसे दुनिया भर के अरबों लोगों का जीवन प्रभावित हो. इसीलिए हमने जी-20 को दुनिया की अर्थव्यवस्था से जुड़े फैसले लेने के लिए मंच बनाया है. ताकि भारत जैसी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आवाज मिल सके।"
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ओबामा कहते हैं, "हमने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका बढ़ाई है।ये संस्थान भारत की सक्रिय भागीदारी की वजह से मजबूत हैं और मुश्किल आर्थिक सुधार कर रहा भारत अमेरिका का साझीदार बना रहेगा। हालांकि ये महत्वपूर्ण है कि इसे हाल के कुछ दशकों में भारत के शानदार विकास से जोड़कर देखा जाए।"
`अमेरिका और भारत : एक गहरी रणनीतिक साझेदारी का क्रियान्वयन` विषय पर अपने विचार रखते हुए राव ने कहा कि हाल के भारत-अमेरिका रणनीतिक संवाद से उभर रहे भावी सहयोग की सूची अभूतपूर्व है और इसमें मानवीय प्रयास के लगभग सभी क्षेत्र शामिल हैं।राव ने आलोचकों के इस तर्क पर सवाल खड़े किये, जिसमें कहा गया है कि भारत-अमेरिका सम्बंध अतिरंजित व दिशाहीन हैं। राव ने कहा, "साझेदारी परिणामदायक लाभांश हैं, जो ठोस हैं और हमारे दोनों देशों की जनता के जीवन पर सकारात्मक तरीके से असर डाल रहे हैं।"लेकिन राव ने कहा कि भारतीय कम्पनियों और कारोबारों के हित अमेरिका से आने वाली जोरदार आवाजों के बीच अनसुने कर दिए जाते हैं। वे आवाजें सुधार के मोर्चे पर कुछ और करने के लिए भारत से लगातार आग्रह कर रही हैं।
वाशिंगटन में एशिया सोसायटी के एक समारोह में राव ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने नई परियोजनाओं और विलय अधिग्रहण पर भारी निवेश किया है। इससे लाखों अमेरिकियों को नौकरी मिली है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बेरोजगारी की दर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र से काफी कम रही है। अमेरिका के साथ भारत के व्यापार संबंधों की उपलब्धियों को अमेरिका-चीन व्यापार के पैमाने पर नहीं तौला जाना चाहिए। भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के हितों की बात अक्सर अमेरिका की ओर से अनसुनी कर दी जाती है। जबकि अमेरिका लगातार भारत को सुधार प्रक्रिया पर आगे बढ़ने की बात कहता है। उनके मुताबिक, भारत का आकलन सतही तौर पर नहीं किया जाना चाहिए। मई में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी उनसे कह चुके हैं कि भारत के द्वार खुले हैं। सुधार प्रक्रिया बाधित नहीं होगी। भारत के विकास की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। राव बोलीं कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारी अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन दूसरे देशों से कहीं बेहतर रहा है। अर्थव्यवस्था के मूलभूत संकेतक मजबूत हैं। ऊंची बचत और निवेश दर, बढ़ता कार्यबल, साक्षरता में तेज उछाल, बढ़ती प्रति व्यक्ति आय, 3जी कनेक्टिविटी और इंजीनियरिंग और प्रबंधन क्षमता से लैस मानव संसाधन भारतीय अर्थव्यस्था को भविष्य में भी मजबूत बनाए रखने में सक्षम है।
शर्मा ने गुरुवार शाम लंदन में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार इस मुद्दे पर न केवल राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाने का प्रयास कर रही है, बल्कि वह सभी अंशधारकों मसलन किसानों, एसएमई तथा सामुदायिक समूहों के बीच सहमति बनाने को प्रयासरत है। शर्मा यहां वैश्विक निवेश सम्मेलन में भाग लेने आए हैं।
शर्मा ने कहा, ज्यादातर मुख्यमंत्री खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के समर्थन में हैं। वाम दलों को इस मुद्दे पर कुछ आपत्ति है। मुख्य विपक्षी दल का भी राजनीतिक एजेंडा है। वे अपनी जरूरत के हिसाब से बदलते रहते हैं।
शर्मा ने कहा कि इसे कब अधिसूचित किया जाएगा यह राजनीतिक फैसला है। हम इस पर सर्वसम्मति या हमेशा इंतजार नहीं कर सकते। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई का निर्णय पिछले साल नवंबर में लिया गया था, लेकिन संप्रग के सहयोगी तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के मद्देनजर इसे लागू नहीं किया जा सका।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने पिता और समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से अलग लाइन पर जाकर कहा कि उनकी पार्टी बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का समर्थन करेगी यदि इससे किसानों को फायदा होगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन में यादव ने कहा कि हम खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन यदि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई आएगी, तो इससे किसानों को नुकसान नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश भी विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लाने के लिए विदेशी निवेश चहता है। उन्होंने कहा कि सभी राज्य निवेश चाहते हैं। यदि देश में विनिर्माण क्षेत्र को नुकसान नहीं पहुंचता है, तो हम इसके पक्ष में हैं।बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में केंद्र द्वारा मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र पर राज्य सरकार शीघ्र निर्णय करेगी।मालूम हो कि बाजार में कमजोरी का माहौल देखा जा रहा है। लेकिन अब बाजार की नजर आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी पर है। 31 जुलाई को रिजर्व बैंक क्या दरों में कटौती करेगा, यही सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। आर्थिक सुधारों के मोर्च पर सरकार के सुस्त रवैए के बाद बाजार को आरबीआई से कई उम्मीदें हैं।
फार्मा सेक्टर में विदेशी निवेश के नियमों पर अंतिम फैसला अब प्रधानमंत्री के हाथ में है। सूत्रों के मुताबिक फार्मा सेक्टर में विदेशी निवेश के प्रस्तावों को लेकर सहमति बन गई है।इस मामले में मंत्रालयों के समूह की बैठक हुई। इस बैठक में फार्मा, स्वास्थ्य विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और डीआईपीपी के अधिकारी शामिल थे। विभागों में नए प्रोजेक्ट में एफडीआई के बाद जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन इनके रिसर्च एंड डेवलमेंट पर खर्च की सीमा को लेकर मतभेद थे।कंपनी में एफडीआई के बाद जरूरी दवाओं पर आरएंडडी खर्च बढ़ाकर 5 फीसदी करना होगा। स्वास्थ्य विभाग ने जेनेरिक की जगह नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (एनएलईएम) लाने का फार्मा विभाग का प्रस्ताव मान लिया है। अब ये सिफारिशें प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी जाएंगी। हालांकि नए फार्मा प्रोजेक्ट में एफडीआई की सीमा कितनी होगी अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
अमेरिका ने कहा कि भारत को और अधिक अमेरिकी निवेश आकर्षित करने के लिए रक्षा क्षेत्र में अधिकतम विदेशी निवेश की सीमा को बढाना चाहिए। अमेरिका ने लालफीताशाही की अड़चनों को दूर करते हुये भारत के साथ उच्च रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नजदीकी सहयोग पर भी जोर दिया है।
अमेरिका के उप रक्षामंत्री एस्टन कार्टर ने कहा कि अमेरिकी निर्यात नियंत्रण तथा प्रौद्योगिकी इंकार व्यवस्था को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए अमेरिका वास्तविक कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ढांचे को नये सिरे से संतुलित करने के लिहाज से भारत, अमेरिकी रणनीति में काफी महत्वपूर्ण है।
कार्टर ने स्पष्ट किया कि पुन:संतुलन किसी देश विशेष को लक्षित नहीं है। उन्होंने कहा, हमारा पुन: संतुलन चीन या अमेरिका या भारत या किसी भी अन्य देश या देशों के समूह के लिए नहीं है। यह शांतिपूर्ण एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए है जहां संप्रभु देश सुरक्षा तथा सतत संपन्नता का फायदा उठा सकते हैं। रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के सवाल पर कार्टर ने कहा, अगर भारत अपनी एफडीआई सीमा को बढाकर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर करता है तो इससे निवेश के लिए वाणिज्यिक प्रोत्साहन बढेगा।
फिलहाल भारत इस क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देता है। वैश्विक कंपनियां इस सीमा को बढाकर 74 प्रतिशत करने की मांग कर रही हैं। उन्होंने कहा, हम हमारे रक्षा संबंधों में नौकरशाही की बचीखुची अड़चनों को समाप्त करना चाहते हैं।
गिरते पड़ते शेयर बाजार की सेहत दुरुस्बात करने के लिए आखिरी दांव बतौर सरकार राजीव गांधी इक्विटी योजना को 15 अगस्त को जारी कर सकती है। इस योजना का उद्देश्य पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों को आकर्षित करना है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के अधिकारी बाजार नियामक सेबी के अधिकारियों के साथ अगले सप्ताह इस संबंध में मुलाकात करेंगे और योजना को अंतिम रुप देंगे।
अधिकारी ने कहा, 'राजीव गांधी इक्विटी योजना के अंतिम खाके को हमने सेबी के पास भेजा है और उम्मीद है कि इसे 15 अगस्त को जारी कर दिया जाएगा। इस मामले में योजना के संचालन को सरल बनाने के लिए सेबी के सुझाव की जरूरत है।' तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012.13 का बजट पेश करते समय इस योजना की घोषणा की थी। योजना के तहत 10 लाख रुपये सालाना से कम आय वाले खुदरा निवेशकों द्वारा 50,000 रुपये तक राशि निवेश करने पर आयकर में 50 प्रतिशत की कटौती दी जाएगी। निवेश पर तीन साल की बंधक अवधि होगी।
योजना का उद्देश्य पूंजी बाजार में छोटे निवेशकों को आकर्षित करना और बचत एवं निवेश को बढ़ावा देना है। सेबी ने पिछले महीने सरकार से कहा था कि वह इस योजना में म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश को प्राथमिकता दे। नए निवेशकों के लिए यह सुरक्षित होगा। खुदरा निवेशक इस योजना का लाभ जीवन में केवल एक ही बार उठा सकेंगे। सरकार की तरफ से पूंजी बाजार में निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए लाई गई यह पहली इक्विटी निवेश योजना है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में मौजूदा नरमी का दौर अगले दो-तीन साल जारी रहने का अनुमान लगाते हुए कारोबारी सूचना मुहैया करानी वाली प्रमुख वैश्विक एजेंसी डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) ने कहा कि 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5,500 अरब डालर की हो जाएगी।
डीएंडबी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अएण सिंह ने कहा घरेलू और वैश्विक कारकों के कारण वृद्धि में नरमी का रुख 2015 तक जारी रहेगी जिसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च वृद्धि की ओर बढ़ेगी। हमें उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2020 तक 5,500 अरब डालर तक पहुंच जाएगी।
सिंह ने कहा कि इसमें प्रमुख भूमिका बुनियादी ढांचे की वृद्धि, निवेश गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि, सेवा क्षेत्र और काम करने वाली आबादी के साथ साथ खपत और मांग बढ़ने की होगी। एजेंसी ने कहा कि हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था का भावी प्रदर्शन घरेलू वृद्धि को मजबूत करने और वैश्विक आर्थिक माहौल की स्थिरता पर निर्भर करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में बीमार (बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, उत्तरप्रदेश) राज्यों की भूमिका का जिक्र करते हुए डीएंडबी ने कहा कि मौजूदा दशक में भारत की वृद्धि में इनका उल्लेखनीय योगदान होगा। मौजूदा दशक में भारत की सफलता की कहानी समावेशी वृद्धि के नए दौर में प्रवेश करेगी।
डीएंडबी ने भारत 2020- अर्थव्यवस्था का दृष्टिकोण के दूसरे संस्करण में कहा कि भारत 1,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है लेकिन पिछले एक साल में उसकी चुनौतियां और जोखिम बढे़ हैं। सिंह ने कहा कि उम्मीद की जा सकती है कि अर्थव्यवस्था में प्रगति के साथ इन चुनौतियों का सामना सफलता के साथ कर लिया जाएगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha
হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!
मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड
Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!
हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।
In conversation with Palash Biswas
Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg
Save the Universities!
RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!
जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি
अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास
ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?
Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
Tweet Please
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
______________________________________________________
By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
No comments:
Post a Comment