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Wednesday, July 6, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/5
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


अंतरिक्ष विज्ञान में संभावनाएं

Posted: 04 Jul 2011 11:29 AM PDT

सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला, इन्हें आज भला कौन नहीं जानता, लेकिन इस नाम और शोहरत के पीछे है स्पेस के प्रति इनका लगाव और स्पेस साइंस का अनलिमिटेड स्कोप। अगर आप साइंस स्टूडेंट हैं और 12वीं के बाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो स्पेस साइंस के क्षेत्र में उम्दा करियर का आगाज कर सकते हैं। आज भारत खुद इस फील्ड में जानामाना नाम है।

स्कोप
विभिन्न विषयों के जानकार स्पेस साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं, जैसे- एस्ट्रोफिजिक्स, गैलैक्टिक साइंस, स्टेलर साइंस, रिमोट सेंसिंग, हाइड्रोलॉजी, कार्टोग्राफी, नॉन अर्थ प्लैनेट्री साइंस, बायॉलॉजी ऑफ अदर प्लेनैट्स, एस्ट्रोनॉटिक्स, स्पेस कोलोनाइजेशन, क्लाइमेटोलॉजी आदि। आगे चलकर स्पेस साइंस में स्कोप का बढ़ना तय है, देखा जाए तो इस फील्ड में डिमांड सप्लाई के बीच गैप है। इस फील्ड में स्पेस साइंटिस्ट के अलावा मेट्रोलॉजिकल सर्विस, एनवायरनमेंटल मॉनिटरिंग, एस्ट्रोनॉमिकल डाटा स्टडी आदि के साथ भी जुड़ा जा सकता है।

योग्यता
अब तो आप 12वीं के बाद इसरो द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग एग्जाम पास कर सीधे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की सोच सकते हैं। इस फील्ड में काम करने के लिए विभिन्न विषयों के जानकारों की जरूरत होती है, जैसे- मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्यूनिकेशन और कंप्यूटर इंजीनियरिंग। अगर आप ऑलरेडी बी. टेक या एमएससी हैं, तब भी आगे स्पेस साइंस से जुड़े सब्जेक्ट्स में स्पेशलाइजेशन कर इस फील्ड में आ सकते हैं। मटीरियल साइंस, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मेडिसिन, साइकोलॉजी आदि के स्टूडेंट्स के लिए भी इस फील्ड में स्कोप है। इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का अनुभव रखने वालों को भी रोजगार के मौके मिलते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल आदि सब्जेक्ट्स में सटिर्फिकेट कोर्स करने वालों के लिए भी अवसर होते हैं।

सैलरी
नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, विक्रम सारा भाई स्पेस सेंटर, सतीश धवन स्पेस सेंटर आदि के अलावा विभिन्न सरकारी संस्थानों में साइंटिस्टों की जरूरत होती है। इन्हें सभी तमाम सुविधाओं के साथ अच्छा-खासा वेतन भी दिया जाता है। किसी खास प्रॉजेक्ट पर काम करने वाली टीम में फ्रेशर को एक रिसर्चर के तौर पर शामिल किया जा सकता है। इसरों द्वारा समय समय पर विभिन्न क्षेत्र के साइंटिस्ट/इंजीनियर के लिए भतीर् चलती रहती है। भारत से बाहर नासा में भी भारतीय काफी संख्या में हैं और अच्छा नाम कर रहे हैं।


इंस्टीट्यूट्स 
भारत में अब कई यूनिवसिर्टियों और इंस्टीट्यूट्स में स्पेस साइंस और इससे जुड़े सब्जेक्ट्स जैसे, रिमोट सेंसिंग, कार्टोग्राफी, हाइड्रोलॉजी, मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड प्रोसेसिंग, एटमोसफरिक साइंस, क्लाइमेटोलॉजी वगैरह की पढ़ाई उपलब्ध है। हालांकि इस फील्ड में ग्रैजुएशन, पीजी और रिसर्च प्रोग्राम्स के लिए साल 2007 में 'इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी' की स्थापना की गई। इस इंस्टिट्यूट में एवियोनिक्स और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.टेक. के अलावा पांच वर्षीय इंटिग्रेटिड मास्टर्स इन एप्लाइड साइंस प्रोग्राम भी चलाया जाता है। इसरो भी स्पेस साइंस से जुड़े कई कोर्स कराता है। इसके अलावा पुणे यूनिवर्सिटी से स्पेस साइंस में एमएससी की डिग्री ली जा सकती है। गुजरात और आंध्र यूनिवर्सिटी में स्पेस साइंस में पीजी डिप्लोमा कोर्स भी है। विदेश में भी ऐडमिशन लिया जा सकता है। 

इंस्टिट्यूट्स 

- इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी, तिरुवनंतपुरम। 

- एमएससी स्पेस साइंस - पुणे यूनिवर्सिटी 

- पीजी डिप्लोमा स्पेस साइंस- गुजरात और आंध्र यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - अन्ना यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - आईआईटी मुंबई 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - रूड़की यूनिवर्सिटी 

- एमएससी कार्टोग्राफी - मद्रास यूनिवर्सिटी 

- एम. एससी एटमोसफेरिक साइंस - कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी 

- एम. एससी क्लाइमेटोलॉजी - पुणे यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक हाइड्रोलॉजी - आंध्र यूनिवर्सिटी 

- डिप्लोमा इन हाइड्रोलॉजी - रुड़की यूनिवर्सिटी 

- कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, अमेरिका 

- यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो, अमेरिका 

- अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना 

- स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका 
(निर्भय कुमार,नभाटा,29.6.11)

झारखंड का परीक्षाफल है शिक्षा पर एक गंभीर प्रश्न

Posted: 04 Jul 2011 11:00 AM PDT

अरस्तू ने कहा था कि नेतृत्व के खराब कमरें और अदूरदर्शिता का खामियाजा बिना किसी गलती के भी आम जनता को भुगतना पड़ता है। आज यह बात पूरे भारत पर लागू होती दिख रही है-खासकर शिक्षा के क्षेत्र में। झारखंड का एक ताजा मामला इसका प्रमाण भी है। सचमुच झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद विकास का अभाव, भ्रष्टाचार, माओवाद आदि के बीच झारखंड की सरकार और शासन-व्यवस्था ने राज्य का मजाक बना दिया है। हालात सिर्फ राजनीतिक परिक्षेत्र के खराब न होकर सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रों तक के खराब हैं। झारखंड में इंटरमीडिएट के परीक्षाफल से उपजी परिस्थितियों ने पूरे देश के सामने शिक्षा प्रणाली को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो सीबीएसई या अन्य राज्यों के बोर्डो के इंटरमीडिएट के रिजल्ट के बाद विद्यार्थी विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेकर अपने स्वर्णिम भविष्य की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन झारखंड में इंटरमीडिएट के परीक्षाफल के बाद आक्रोश और निराशा-हताशा का आलम छाया हुआ है। महज 41 प्रतिशत विद्यार्थी ही कामयाब हुए हैं। साइंस के मात्र 28 फीसदी छात्र सफल हुए। ऐसी ही स्थिति कॉमर्स की भी है। कला विषयों की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। बड़ी संख्या में अनेक विद्यार्थी ऐसे हैं, जो देश की विभिन्न इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा में अच्छे रैंक से उत्तीर्ण हुए हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि इंटर की परीक्षा में फेल हो गए हैं। इन मेधावी विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में शून्य अंक तक दिए गए हैं। विद्यार्थी इतने बदहवास-निराश हो चले हैं कि दो ने आत्महत्या कर ली है। अन्य कई विद्यार्थियों ने भी इस तरह के प्रयास किए। अनेक अवसादग्रस्त हो गए हैं। इस समय पूरे देश में जहां छात्र अपने सुखद भविष्य के सपने देख रहे हैं, वहीं झारखंड के छात्र क्रमिक अनशन, भूख हड़ताल और आंदोलन पर उतरे हुए हैं। आक्रोश इतना ज्यादा है कि झारखंड इंटरमीडिएट शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ व अखंड प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ इस मामले में एक मंच पर मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने को कूद पड़े हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की प्रतिक्रिया शुरू से ही अत्यंत ढीली-ढाली और निराशापूर्ण रही- खास तौर से मानव संसाधन विभाग और झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की, जो इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार है। झारखंड सरकार की ही तरह झारखंड एकेडमिक काउंसिल में पूरी अव्यवस्था छाई हुई है। न मूल्यांकन प्रणाली निश्चित है और न ही परीक्षक। किस प्रणाली के आधार पर कॉपी की जांच हो रही है, शिक्षकों को नहीं पता है। प्रदेश की मैट्रिक व इंटर शिक्षा सीबीएसई सिलेबस पर आधारित है। मूल्यांकन पद्धति पुराने ढर्रे पर (बिहार वाली) ही चल रही है। हालांकि, बिहार में मूल्यांकन पद्धति में बदलाव हो चुका है। मूल्यांकन से पूर्व मुख्य परीक्षक व परीक्षकों को मार्किंग स्कीम या जांच कार्य को संपादित करने के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है। प्रभाव रिजल्ट पर दिख रहा है। वर्ष 2010 का भी रिजल्ट खराब रहा था। विज्ञान में महज 30 प्रतिशत विद्यार्थी ही पास हो सके थे। रांची में कॉलेज के प्राचार्यो की एक बैठक में खराब रिजल्ट के लिए पूरी तरह जैक को जिम्मेदार ठहराया गया है और सभी कॉलेजों ने एक सुर में कहा कि जैक व कॉलेजों के बीच संवादहीनता है। दवाब में आकर सरकार और झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन आधे अधूरे तरीके से। छात्र कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहे थे, पर जैक ने शाही फरमान जारी कर दिया है कि किसी भी स्थिति में कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं हो सकता है। केवल स्क्रूटनी हो सकती है। इस संबंध में छात्रों का कहना है कि गड़बड़ रिजल्ट देने के बाद इस प्रकार की बातें ठीक नहीं हैं। सचमुच पौने दो लाख छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार और झारखंड एकेडमिक काउंसिल का रवैया जरा भी सहानुभूतिपूर्ण नहीं है। यहां यह समझ लिया जाए कि स्क्रूटनी में कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं होता सिर्फ किसी प्रश्न में अगर अंक न दिए गए हों तो अंक दे दिए जाते हैं, जबकि पुनर्मूल्यांकन में पूरी जांच फिर से होती है। जब सीबीएसई के पैटर्न पर नया सिलेबस बना तो उसी पद्धति पर चरणबद्ध मार्किंग और मार्किंग स्कीम के तहत कॉपियों की जांच होनी चाहिए। चरणबद्ध मार्किंग में प्रश्नों के उत्तर को चार या पांच चरणों में बांट दिया जाता है। प्रत्येक चरण के लिए अंकों का निर्धारण होता है। अगर छात्र एक चरण में भी सही उत्तर देता है तो उसे अंक मिलता है, केवल अंतिम उत्तर न मिलने और अन्य भाग के सही रहने पर छात्रों को 80 फीसदी अंक तक दिए जाते हैं। यह अपने आपमें एक सही और संतुलित पद्धति भी है, लेकिन वहां के मानव संसाधन विभाग और जैक ने इसको पूर्णरूपेण लागू करने में कोई तत्परता नहीं दिखाई और कोई जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय उलटे शिक्षकों और छात्रों को ही दोषी ठहराया। झारखंड का मूल निवासी होने के नाते मैंने इस संदर्भ में जैक के अध्यक्ष से फोन पर बात की कि विद्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। मैंने सुझाव दिया कि स्क्रूटनी की बजाय कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन ही सही हल है, लेकिन उन्होंने इस सुझाव को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि झारखंड के कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं होता। यह कहकर उन्होंने फोन पटक दिया। यहां यह बताना जरूरी है कि कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन गैरकानूनी और असामान्य स्थिति नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में ही कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन होता रहता है। अमेरिका के अनेक विश्वविद्यालयों में प्राध्यापन के दौरान पुनर्मूल्यांकन तो छोडि़ए हमें विद्यार्थियों को कॉपियां तक दिखानी पड़ती थीं। एक अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए झारखंड में पुनर्मूल्यांकन के लिए अगर कानून और नियमों में संशोधन करना पडे़ तो इससे पीछे नहीं हटना चाहिए। आखिर ऐसा करने से कौन-सा आसमान टूट पड़ेगा। हमारे संविधान में संशोधन लगातार होते रहते हैं। अरस्तू के समय में लोकतंत्र नहीं था, लेकिन आज के लोकतांत्रिक समय में सरकार और अधिकारी क्या आम जनता के हित में कभी सोचेंगे? कम से कम शिक्षा के क्षेत्र में तो हमारे नीति-नियंताओं को नियम-कायदों और परंपराओं की आड़ लेना समाप्त करने के लिए आगे आना ही चाहिए(प्रो. निरंजन कुमार,दैनिक जागरण,दिल्ली,4.7.11)।

असम में शिक्षामंत्री-शिक्षकों में टकराव

Posted: 04 Jul 2011 10:45 AM PDT

असम में शिक्षा मंत्री डा. हिमंत विश्व शर्मा और राज्य के कालेज शिक्षकों के बीच टकराव की सिथति पैदा हो गई है।

शिक्षा मंत्री के बनने के बाद से डा. शर्मा राज्य के शिक्षा में व्यापक बदलाव के लिए अभियान चला रहे हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षक सिर्फ पढ़ाने का काम करें। जो शिक्षक राजनीति या पत्रकारिता कर रहे हैं, वे भी तय कर लें कि उन्हें क्या करना है। शिक्षक का काम जारी रखना है तो दूसरे काम छोड़ने होंगे। इसके लिए जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं।

सरकार का यह निर्देश राजनीति करने वाले शिक्षक हजम नहीं कर पा रहे हैं। असम में ऐसे शिक्षकों की अच्छी संख्या है, जो सक्रिय राजनीति के साथ शिक्षण का काम भी कर रहे हैं। कई तो विधायक या मंत्री रह चुके हैं। चुनाव में हारने के बाद वे अपने शिक्षण के पेशे में लौट आते हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री चाहते हैं कि शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए उन्हें सिर्फ पढ़ाना होगा। इस पर वे कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं।


लेकिन राजनीति कर रहे शिक्षकों ने इस शिक्षा मंत्री की तानाशाही बताया है। अगप के पूर्व विधायक रहे नगांव कालेज के शिक्षक गिरींद्र बरुवा ने कहा कि यह तो सरासर अन्याय है। सरकारी कालेज के शिक्षक राजनीति नहीं कर सकते हैं, लेकिन सरकार से मदद पाने वाले कालेजों के शिक्षक राजनीति करने को स्वतंत्र हैं(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,4.7.11 में गुवाहाटी की रिपोर्ट))।

डीयूःविदेशी भाषा कोर्स में फ्रेंच व जर्मन ज्यादा लोकप्रिय

Posted: 04 Jul 2011 10:30 AM PDT

विदेशी भाषा कोर्स में फ्रेंच व जर्मन छात्रों की पहली पसंद है। हालांकि स्पेनिश और इटेलियन भाषा में भी छात्रों की रूचि है, लेकिन मारा-मारी छात्रों में फ्रेंच और जर्मन भाषा कोर्स को लेकर रहती है। खुद दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारी भी इस बात से इत्तफाक रखते हैं।


विदेशी भाषा कोर्स में दाखिले के लिए २४ जून को प्रवेश परीक्षा हुई थी। फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और इटेलियन कोर्स में करीब १२० सीट के लिए सैकड़ों छात्रों ने प्रवेश परीक्षा दी थी। परीक्षा के परिणाम घोषित हो चुके हैं। कोर्स में दाखिला मैरिट के आधार पर होना है। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि छात्रों की रुचि सबसे ज्यादा फ्रेंच व जर्मन कोर्स करने में रहती है। 

प्रत्येक कोर्स में ३९ सीट है। अधिकारी के मुताबिक फ्रेंच व जर्मन कोर्स में सीट फुल हो जाने के बाद छात्र स्पेनिश और इटेलियन कोर्स में दाखिला तो ले लेते हैं, लेकिन कुछ दो-तीन कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज करने के बाद कोर्स छोड़ देते हैं। ऐसे में वह छात्र जिनका नाम पहली लिस्ट में नहीं आ सका, दूसरी लिस्ट में उनकी उम्मीद एक बार फिर दोबारा बंध जाती है। अगर स्पेनिश और इटेलियन कोर्स में या फिर दूसरे कोर्स में भी दाखिला लेने के बाद कुछ छात्र नाम वापस लेते हैं तो ५ जुलाई को विश्वविद्यालय दूसरी लिस्ट जारी करेगा(नई दुनिया,दिल्ली,4.7.11)।

यूपी में नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की जरूरत पर सवाल

Posted: 04 Jul 2011 10:15 AM PDT

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने राज्य सरकार से वर्ष 2012-13 में प्रदेश में नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान खोलने और उन्हें मान्यता देने की जरूरत के बारे में जानकारी मांगी है। इस संबंध में एनसीटीई के उपाध्यक्ष एसवीएस चौधरी ने राज्य सरकार को पत्र भेजा है। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के परिप्रेक्ष्य में राज्यों में शिक्षकों की जरूरत को देखते हुए एनसीटीई ने यह जानकारी तलब की है ताकि नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को खोले जाने और उन्हें विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने की मान्यता दिए जाने के बारे में नीति निर्धारित की जा सके। अध्यापक शिक्षा से जुड़े बीएड, एमएड, डीपीएड, बीपीएड, एमपीएड, डीएलएड, डीईसीएड जैसे पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए कॉलेजों को एनसीटीई मान्यता देता है। तेजी से खुलते जा रहे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसलिए एनसीटीई ने वर्ष 2011-12 के दौरान सार्वजनिक सूचना जारी कर कई राज्यों में शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता देने पर रोक लगा दी थी। प्रदेश में प्रशिक्षित शिक्षकों की जबर्दस्त कमी को देखते हुए शासन ने पिछले साल एनसीटीई से मांग की थी वर्ष 2011-12 के लिए वह बीएड व अध्यापक शिक्षा से जुड़े अन्य पाठ्यक्रमों के लिए राज्य में मान्यता देना शुरू कर दे। शिक्षा के अधिकार के संदर्भ में शिक्षकों की कमी को देखते हुए एनसीटीई ने नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को खोलने और उन्हें मान्यता देने के बारे में नीति निर्धारित करने की जरूरत महसूस कर रहा है। वर्ष 2012-13 में शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के संचालन की मान्यता देने के लिए एनसीटीई पहली अगस्त से 30 सितंबर तक इच्छुक संस्थाओं से आवेदन प्राप्त करेगा, इसलिए उसने राज्य सरकार का पक्ष जानना चाहा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

मध्यप्रदेशःबिना शिक्षकों के चल रहे हैं स्कूल

Posted: 04 Jul 2011 10:00 AM PDT

सीधी जिले की कठलाहवा प्राथमिक शाला में कोई शिक्षक नहीं है। पास के ही एक स्कूल के शिक्षक को उक्त स्कूल का दायित्व सौंप रखा है। रीवा जिले का हाईस्कूल बेहरावत प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहा है। शासकीय स्कूलों में शिक्षा के बुरे हाल है। किसी स्कूल में शिक्षक नहीं है, तो कई स्कूल एक शिक्षक के ही भरोसे चल रहे है। बिना शिक्षकों के स्कूल व एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चलने पर तीन से चार सौ बच्चों को पढ़ाने की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। राज्य सरकार शासकीय स्कूलों की सुदृढ़ व्यवस्था करने के लाख दांवे कर रही हो, लेकिन शासकीय स्कूलों में छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम वर्ष 2010 में लागू हो चुका है। अधिनियम को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार डेढ़ लाख नए शिक्षकों की भर्ती का ऐलान कर चुके है। लेकिन उस पर वर्ष 2011 के नए शिक्षा सत्र में भी अमल नहीं किया गया है। प्रदेश में प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की संख्या करीब 2 लाख 87 हजार है। जबकि प्रदेश में आठवीं तक छात्रों की संख्या 1 करोड़ 64 लाख चार हजार है। संख्या अनुपात से प्रदेश में 38 छात्रों पर एक शिक्षक है। जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। इसके लिए करीब डेढ़ लाख शिक्षकों की आवश्यकता होगी। 

अतिथि शिक्षकों से चल रहा काम : 
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की कमी को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। स्थायी व्यवस्था न होने से अतिथि शिक्षक भी बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा रूचि नहीं लेते है(नीरज गौड़,दैनिक जागरण,भोपाल,4.7.11)।

लखनऊ विविःपीएचडी के लिए आवेदन शुरू

Posted: 04 Jul 2011 09:45 AM PDT

लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए आवेदन आज से शुरू हुए। लविवि की वेबसाइट पर आवेदन फार्म अपलोड कर दिए गए हैं। आवेदन फार्म भरने की अंतिम तिथि 25 जुलाई रखी गई है। प्रवेश परीक्षा 7 अगस्त को होगी। परीक्षा के समन्वयक प्रो. पद्मकान्त ने बताया कि अभ्यर्थी मंगलवार से फीस जमा कर सकते हैं। अभ्यर्थी सीटों की उपलब्धता देखने के बाद ही आवेदन करें। उल्लेखनीय है कि लविवि प्रशासन ने पीएचडी की सीटें जेआरएफ के भरने का निर्णय लिया था। केवल सात पाठ्यक्रमों में ही जेआरएफ से सीटें भरी जा सकीं। चालीस से अधिक कोर्सो में अभी भी पीएचडी के लिए सीटें खाली हैं। लविवि प्रशासन ने इस सीटों को सामान्य अभ्यर्थियों से भरने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन सात अगस्त को किया जाएगा। आवेदन फार्म चार जुलाई को जारी कर दिए जाएंगे। प्रो.पद्मकान्त ने बताया कि प्रवेश परीक्षा फार्म भरने से पहले वेबसाइट पर दिशा-निर्देश दिखाई पड़ेंगे। एक क्लिक पर सीधे सीटों की संख्या वेबसाइट दिखाई दे जाएगी। यदि सीट उपलब्ध नहीं है तो अभ्यर्थी को आवेदन करने की जरूरत नहीं है। जिन पाठ्यक्रमों में सीटें खाली हैं छात्र उन्हीं में आवेदन करें। दिशा-निर्देश का पालन करने के बाद ही अभ्यर्थी चालान प्राप्त कर सकेगा। अभ्यर्थी मंगलवार से फीस जमा कर सकेंगे। फार्म भरने के बाद छात्र उसका एक प्रिंट भी अपने पास रखें(दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

यूपी में में कॉलेजों की बाढ़ लेकिन छात्रों का सूखा

Posted: 04 Jul 2011 09:30 AM PDT

पिछले कुछ सालों से प्रदेश में इंजीनियरिंग संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है। 90 के दशक में मात्र पांच कॉलेजों से बढ़कर उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (अब जीबीटीयू एवं एमटीयू) के आज 800 से अधिक कॉलेज हो गए हैं। वर्ष 2005 से अब तक कॉलेजों की संख्या चार गुना तक बढ़ी है। वहीं इससे ठीक विपरीत पिछले दो सालों से छात्र संख्या निरंतर घटती जा रही है। यूपीटीयू से संबद्ध कॉलेजों में वर्ष 2005 के बाद बी-टेक, बी-फार्मा, एमबीए, एमसीए, बी-एचएमसीटी और बी-आर्क सभी कोर्स संचालित होने लगे थे। तब बी-टेक के कॉलेज 84, एमबीए के कॉलेज 93 और एमसीए के कॉलेज 87 थे। एमसीए के कॉलेज वर्ष 2009 तक बड़ी तेजी से बढ़कर 131 पहुंचे लेकिन वर्ष 2010 में कॉलेज सिमट गए और संख्या 134 ही हो सकी। उधर, बीटेक कॉलेज 302 और एमबीए के कॉलेज 407 तक पहुंच गए हैं। कुछ कॉलेजों में दोनों कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं वह संख्या इनमें कॉमन है। 25 नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को और हरी झण्डी दी जा चुकी है। इस वक्त प्रदेश में जीबीटीयू और एमटीयू से संबद्ध कॉलेजों की कुल संख्या 800 के पार पहुंच गई है। वहीं छात्रों की बात करें तो राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या वर्ष 2009 के बाद घटना शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा गिरावट बी-टेक में दर्ज की गई है। एमबीए में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या भी वर्ष 2009 से पहले की तुलना में काफी कम है, हालांकि यह पिछले साल से दो हजार बढ़ी जरूर है। एमसीए का आंकड़ा इस बार दस हजार की संख्या भी नहीं छू सका। जानकार कहते हैं कि यूपीटीयू का ब्रांड नेम बदलना भी इस दुर्दशा के पीछे प्रमुख कारण है। वे मानते हैं कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में मची मनमाफिक फीस वसूली की लूट और शिक्षा की घटती गुणवत्ता के कारण छात्रों का मोह बी-टेक, एमबीए, एमसीए के प्रति घटता जा रहा है(पारितोष मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

यूपीःसीपीएमटी अभ्यर्थियों को राहत

Posted: 04 Jul 2011 09:15 AM PDT

कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) के हजारों अभ्यर्थियों के लिए राहत मिली है। सीपीएमटी के परिणाम में कैटेगरी रैंक (आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए अलग से बनने वाली रैंक) को लेकर जो गड़बडि़यां थीं, उन्हें बुंदेलखंड विवि ने सुधार दिया है। बीती एक जुलाई को शाम सात बजे अपडेट किया हुआ रिजल्ट विवि की वेबसाइट पर डाल दिया गया है। ध्यान रहे इस बार सीपीएमटी आयोजित कराने का जिम्मा बुंदेलखंड विवि का था। लगभग 61 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। 15 जून को इसका परिणाम आया था। अभ्यर्थी अंकतालिका को लेकर संतुष्ट थे लेकिन कैटेगरी रैंक में गड़बड़ी को लेकर उनमें असंतोष था। इस मुद्दे को 22 जून को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। मामले की गंभीरता को समझते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी इसका संज्ञान लिया। अपर निदेशक डॉ. केसी रस्तोगी के मुताबिक परिणाम निकलने के बाद उनके पास तमाम अभ्यर्थियों की शिकायतें पहुंची थीं। सभी अभ्यर्थियों की शिकायत कैटेगरी रैंक को लेकर थी। डॉ. रस्तोगी ने बताया कि जब अभ्यर्थियों की शिकायतें सही पाई गई तो निदेशालय की ओर से बुंदेलखंड विवि को रिजल्ट को सुधारने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इससे पहले सीपीएमटी में ऐसी गलती कभी नहीं हुई थी। 

रैंक से बदलती है किस्मत : 
सीपीएमटी में सीमित सीटें हैं। लिहाजा काउंसिलिंग के दौरान रैंक की भूमिका अहम है। एक रैंक के अंतर से कॉलेज बदल सकता है। महज एक रैंक से पीछे होना किसी का एक साल खराब कर सकता है। क्या थी गलती : छात्रों को गलती तब पकड़ में आई जब उन्होंने अपने ही कुछ साथियों के नतीजे देखे। कुछेक अभ्यर्थियों की कैटेगरी रैंक ऐसे अभ्यर्थियों से नीचे (खराब) थी, जो जनरल रैंक में उनसे काफी पीछे थे। नियमत: जो जनरल रैंक में आगे होता है वही कैटेगरी रैंक में भी आगे रहता है(दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटीःबीसीए भाग एक में पास से ज्यादा फेल

Posted: 04 Jul 2011 09:00 AM PDT

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी का खेल, बीसीए में अधिकतर विद्यार्थी फेल। जीएनडीयू के घोषित बीसीए भाग एक के परीक्षा परिणाम में गुरु नानक कालेज नकोदर सहित कई ऐसे कालेज हैं जिनका एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ। अधिकतर कालेजों में पास से ज्यादा फेल विद्यार्थियों की कतारें लगी हैं। जीएनडीयू का परीक्षा परिणाम इस बार 41.49 फीसदी रहा है। इससे पहले जीएनडीयू के घोषित बीबीए भाग एक का परीक्षा परिणाम भी 28.24 प्रतिशत ही रहा था। ऐसे में विद्यार्थियों व प्रोफेसरों पर सवालिया निशान लग गया है।
कृषि प्रधान राज्य पंजाब का युवा आज बिजनेस व आईटी के क्षेत्र की तरफ भाग रहा है। अभिभावक भी बच्चों को इन कोर्सो के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। काउंसलिंग सेल भी विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। वह विद्यार्थियों को महंगे कोर्सो के लिए प्रेरित कर कालेज प्रबंधकों की जेब भर रहे हैं।
बीसीए भाग एक का परीक्षा परिणाम
गुरु नानक कालेज नकोदर 3 फेल, 3 कंपार्टमेंट, 2 आरएल व पास कोई नहीं। माता गंगा ग‌र्ल्स कालेज तरनतारन पास 11, फेल 48, कंपार्टमेंट 16, आरएल 2 व रद 1, गुरु नानक नेशनल कालेज फॉर वूमन नकोदर फेल 17, पास 14, कंपार्टमेंट 12 व गैरहाजिर एक। बाबा बुड्डा कालेज बीड़ साहिब तरनतारन फेल 22, पास 18, कंपार्टमेंट 10, आरएल 1 व गैरहाजिर दो। एमजीएसएम जनता कालेज करतारपुर फेल 35, पास 41, कंपार्टमेंट 18, आरएल दो, गैरहाजिर चार। एचएमवी फेल 37, पास 62, कंपार्टमेंट 51, आरएल एक व गैरजाहिर पांच, लायलपुर खालसा कालेज फेल 58, पास 29, कंपार्टमेंट 38, गैरहाजिर पांच, सेंट सोल्जर कालेज कोएजुकेशन फेल 29, पास 30, कंपार्टमेंट 16, आरएल 3, गैरजाहिर चार। गुरु अर्जुन देव सरकारी कालेज तरनतारन फेल 33, पास 5, कंपार्टमेंट 5, आरएल 1, गैरहाजिर 2, रद 2। जीजीएस खालसा कालेज सरहाली फेल 28, पास 4, कंपार्टमेंट 6, गैरहाजिर एक। गुरु नानक कालेज बटाला फेल 22, पास 5, कंपार्टमेंट 12, गैरहाजिर 3, रद एक। श्री रघुनाथ ग‌र्ल्स कालेज जंडियाला फेल 31, पास 4, कंपार्टमेंट 7, आरएल 6, गैरहाजिर तीन रहे। जीएनडीयू के अन्य कालेजों का भी यही हाल है(कुसुम अग्निहोत्री,दैनिक जागरण,जालंधर,4.7.11)।

यूपीःनौ हजार अल्पसंख्यक छात्रों को मिलेगी स्कालरशिप

Posted: 04 Jul 2011 08:45 AM PDT

केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना से नौ हजार छात्र लाभान्वित हो सकेंगे। चालू माह में फार्म जमा किए जाएंगे। सालाना छात्रवृत्ति का लाभ कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक के छात्रों को मिलेगा। योजना का लाभ लेने के लिए विभाग की वेबसाइट से फार्म डाउनलोड कर चालू माह में जमा किया जा सकता है। नियम और शर्तों को पूरा करने पर पात्र घोषित किए जाने पर उन्हें स्कालरशिप मिल सकेगी।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार की स्कालरशिप योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। नौ हजार अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को इससे नवाजने की तैयारी है। विद्यार्थी चाहे किसी भी विद्यालय अथवा मदरसे में पढ़ता हो, निर्धारित अर्हता पूरी करने पर उसे स्कालरशिप का लाभ मिलेगा। यह लाभ कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक के छात्रों को मिलेगा। शर्त यह होगी कि पिछली कक्षा में लाभार्थी के 50 प्रतिशत से अधिक नंबर हों। एक से हाईस्कूल तक छात्र के अभिभावकों की आय एक लाख और कक्षा 11 से स्नातकोत्तर तक की आय दो लाख होना अनिवार्य है। लाभ लेने के लिए विद्यार्थियों को आय प्रमाणपत्र लगाना आवश्यक होगा।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बिनोद कुमार जायसवाल ने बताया कि चालू माह में फार्म भर कर उनके कार्यालय में किसी भी कार्यदिवस में जमा किए 
जा सकते हैं। श्री जायसवाल ने बताया कि फार्म नेट पर उपलब्ध हैं। जिन्हें डाउनलोड किया जा सकता है। स्कालरशिप के लिए किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोलना अनिवार्य है। 
कक्षा-छात्रवृत्ति की धनराशि 
एक से पांच तक-1000 रुपए 
छह से हाईस्कूल-1000 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
हास्टलर-6000 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
11 और इंटर-1400 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
हास्टलर-6000 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
स्नातक-1850 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
हास्टलर 6000 हजार और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
स्नातकोत्तर-2350 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक) 
हास्टलर-6000 रुपए और फीस (अधिकतम चार हजार तक)(अमर उजाला,वाराणसी,4.7.11)

यूपीःपालीटेक्निक की ७२ हजार से ज्यादा सीटें भरी जाएंगी

Posted: 04 Jul 2011 08:30 AM PDT

प्रदेश की सरकारी, अनुदानित और निजी क्षेत्र की पालीटेक्निक में दाखिले के लिए ११ जुलाई तक काउंसिलिंग कराई जा सकती है। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। पांच जुलाई कौ प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा की अध्यक्षता और प्राविधिक शिक्षा निदेशक, संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के सचिव की मौजूदगी वाली बैठक में काउंसिलिंग का अंतिम शेड्यूल जारी किया जाएगा। काउंसिलिंग बौर्ड ३० जुलाई से पहले काउंसिलिंग कराकर दाखिला प्रक्रिया पूरी करना चाहता, ताकि अगस्त के पहले सप्ताह तक कक्षाएं चलाई जा सकें।

यूपी में २३७ सरकारी, अनुदानित और गैर-सरकारी पालीटेक्निक में ७२ हजार से ज्यादा सीटें भरी जानी हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद कौ पालीटेक्निक की मान्यता के करीब ४५ नए प्रस्ताव भी मिले हैं। इस पर मुहर लगी तौ कुछ सीटें बढ़ सकती हैं। राजकीय पालीटेक्निक के प्रधानाचार्य जीएस राय ने बताया कि इस बार प्रदेश के १३ शहरौं में काउंसिलिंग हौगी। आगरा और वाराणसी कौ पहली बार काउंसिलिंग केन्द्र बनाया गया है। राजकीय पालीटेक्निक कानपुर में भी काउंसिलिंग कराई जाएगी। उन्हौंने बताया कि ९ से ११ जुलाई के बीच काउंसिलिंग शुरू हौने की संभावना है। हालांकि अंतिम फैसला शासन की हाई पावर कमेटी कौ लेना है। 

सरकारी पालीटेक्निक की सीटें २६१८०
अनुदानित पालीटेक्निक की सीटें १०८४०
निजी पालीटेक्निक की सीटें ३४०७०
अन्य विभाग द्वारा संचालित पालीटेक्निक की सीटें २४०

सरकारी पालीटेक्निक ७८ 
अनुदानित पालीटेक्निक १९
निजी पालीटेक्निक १३५
अन्य विभाग की पालीटेक्निक ५
(अमर उजाला,कानपुर,4.7.11)

उत्तराखंडःबीएड प्रशिक्षितों के लिए टीईटी की बाध्यता पर एतराज

Posted: 04 Jul 2011 08:10 AM PDT

बीएड प्रशिक्षित महासंघ के बैनर तले आयोजित बैठक में महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष बलदेव सिंह भंडारी ने कहा कि राज्य सरकार बीएड प्रशिक्षितों को टीईटी परीक्षा के लिए बाध्य कर रही है। जबकि केंद्र सरकार के राजपत्रों में इसका कोई उल्लेख नहीं है। रविवार को नगर पालिका परिसर में महासंघ के बैनर तले प्रशिक्षित युवाओं की बैठक में श्री भंडारी ने बेरोजगार युवाओं से मंगलवार को देहरादून में प्रदेश सरकार के खिलाफ आहूत महारैली में जुटने का आह्वान किया। प्रशिक्षित युवाओं को संबोधित करते हुए श्री भंडारी ने कहा कि प्रदेश सरकार को टीईटी नियमों की सही जानकारी ही नहीं है। कहा कि भारत सरकार के राजपत्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि टीईटी परीक्षा केवल बीएल एड व डीएल एड प्रशिक्षितों के लिए है। बीएड प्रशिक्षितों के लिए टीईटी परीक्षा का कोई प्रावधान राजपत्रों में नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दोहरे मापदंडों को अपना कर बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय कर रही है। प्रदेश महासचिव मनवीर सिंह रावत ने कहा कि प्रशिक्षित युवा टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए संघर्ष करते रहेंगे जिसकी शुरूआत महासंघ द्वारा विशिष्टि बीटीसी के बारह हजार पदों पर नियुक्तियों की मांग को लेकर महारैली से होगी(राष्ट्रीय सहारा,ऋषिकेश,4.7.11)।

आईआईएमसी को मिल सकता है 'राष्ट्रीय महत्व' के संस्थान का दर्जा

Posted: 04 Jul 2011 07:50 AM PDT

देश का सर्वश्रेष्ठ जनसंचार संस्थान जल्द ही आईआईटी और एम्स जैसे संस्थानों की श्रेणी में आ सकता है क्योंकि सरकार इसे 'राष्ट्रीय महत्व' के संस्थान का दर्जा देने पर विचार कर रही है।
संस्थान में एम. ए., एम. फिल और पीएचडी जैसे शैक्षणिक कार्यक्रमों को भी शुरू करने की योजना है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अगले छह वर्ष के लिए तय की गई रणनीतिक योजना के मुताबिक कानून बनाकर 'आईआईएमसी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया जाएगा जिस तरह का दर्जा आईआईटी, एम्स, निफ्ट आदि को प्राप्त है। इस तरह यह डिग्री देने वाला संस्थान बन जाएगा।'
राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर उन राज्यों में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की नयी शाखाएं खोलने की भी योजना है। राज्यों को इस बात के लिए मनाया जाएगा कि वे दस से 15 एकड़ जमीन नि:शुल्क मुहैया कराएं और वर्ष 2015-16 से पाठ्यक्रमों की शुरुआत के लिए अस्थाई स्थान उपलब्ध कराएं। आईआईएम का मुख्य परिसर दिल्ली में होने के अलावा इसकी एक शाखा फिलहाल उड़ीसा के ढेंकनाल में है और जम्मू-कश्मीर, केरल, मिजोरम और महाराष्ट्र में भी नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की योजना है(दैनिक ट्रिब्यून,दिल्ली,4.7.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
देश के प्रमुख जन संचार संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन (आइआइएमसी) को सरकार एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) और आइआइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी) जैसे संस्थानों की तरह राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा आइआइएमसी में एमए, एम फिल और पीएचडी जैसे अतिरिक्त शैक्षणिक कार्यक्रम की शुरुआत करने की योजना भी तैयार की जा रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अगले छह वर्षो की योजना के मुताबिक आइआइएमसी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने के लिए एक विधेयक पारित किया जाएगा। इसके साथ ही इसे उपाधि देने का अधिकार भी दिया जाएगा। योजना में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों से उनके राज्यों में आइआइएमसी की शाखा खोलने की बात की जाएगी। 2015-16 से पाठ्यक्रम की शुरुआत के लिए राज्यों को अस्थाई रूप से 15 से सोलह एकड़ भूमि आवंटित करने के लिए भी कहा जाएगा। वर्तमान में उड़ीसा के ढेंकनाल में आइआइएमसी की एक क्षेत्रीय शाखा है। संस्थान जम्मू-कश्मीर, केरल, मिजोरम और महाराष्ट्र में शाखा खोलने का प्रस्ताव है। योजना का उद्देश्य आइआइएमसी के नाम और उसके कार्यक्रमों को उसके क्षेत्र के संस्थानों के साथ बातचीत करके बढ़ाने का है। इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहायता कोष द्वारा शोध एवं प्रशिक्षण के लिए धन पाए जाने पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त संस्थान डेवलपमेंट जर्नलिजम, कॉपोरेट कम्यूनिकेशन, और मीडिया मैनेजमेंट में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम की शुरुआत भी कर सकता है।।

छत्तीसगढ़ःस्कूलों में मोबाइल पर लगेगा प्रतिबंध

Posted: 04 Jul 2011 07:30 AM PDT

होलीक्रास स्कूल कांपा के पीटीआई द्वारा छात्रा को अश्लील पत्र देने के खुलासे के बाद पुलिस ने स्कूलों को अलर्ट रहने को कहा है। यही नहीं स्कूलों में मोबाइल के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगाने का पत्र एसएसपी दिपांशु काबरा सभी स्कूलों को भेजने जा रहे हैं।

खासकर कैमरे वाले मोबाइल को लेकर पुलिस की चिंता कहीं ज्यादा है।कक्षा में अध्यापन के दौरान शिक्षक भी मोबाइल का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। कैमरे वाले मोबाइलों पर बेहद सख्ती से पाबंदी लगाने का प्रस्ताव है। पुलिस अफसरों ने इसका खाका तैयार कर लिया है। मंगलवार तक शहर के तमाम छोटे-बड़े स्कूलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का फरमान पहुंच जाएगा।

मोबाइल के संबंध में प्राचार्यो के नाम से चिट्ठी जारी की जा रही है। यह निर्णय खासतौर पर कन्या शाला या ऐसी स्कूलों में अमल में लाया जाएगा जहां छात्र-छात्राएं एक साथ अध्ययनरत हैं। पुलिस ने यह निर्णय छात्राओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिहाज से लिया है।

यही नहीं स्कूलों में महिला पीटीआई शिक्षक रखने का सुझाव भी स्कूल प्रबंधन को दिया जाएगा। पुलिस अफसरों का मानना है कि इस सिस्टम के जरिये छात्राओं को अधिक से अधिक सुरक्षा दी जा सकेगी। पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न थानों के माध्यम से शहर के सभी स्कूलों की सूची तैयार कर ली है।


जिला शिक्षा अधिकारी को भी यह पत्र भेजा जाएगा। उन्हें भी इस सिस्टम को गंभीरता से अमलीजामा पहनाने में सहयोग करने को कहा जाएगा। पिछले दिनों होलीक्रॉस कांपा स्कूल के पीटीआई टीचर विजय नायडू ने स्कूल की ही एक छात्रा को अश्लील पत्र दिया। उसके बाद पुलिस अधिकारियों को ध्यान इस ओर गया। खुद एसएसपी काबरा ने स्वीकार किया है कि इन दिनों लड़कियों को प्रताड़ित करने के ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं।


कई बार लड़कियां समझ ही नहीं पाती कि उनके साथ क्या हो रहा है। मोबाइल और उसमें आ रही नई तकनीकों से भी लड़कियों की परेशानी बढ़ गई है। सुरक्षा के लिहाज से इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सभी स्कूलों को यह पत्र भेजे जाएंगे।

मानवाधिकार आयोग ने भी लिखी थी चिट्ठी

स्कूलों में मोबाइल पर प्रतिबंध को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी स्कूलों में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाने प्राचार्यो को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी के बाद स्कूल प्रबंधन ने केवल नोटिस बोर्ड पर मोबाइल न लाने का आदेश चस्पा कर अपनी ड्यूटी पूरी कर दी थी(दैनिक भास्कर,रायपुर,4.7.11)।

सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अब कोई नहीं आएगा तृतीय श्रेणी

Posted: 04 Jul 2011 07:10 AM PDT

सुखाडिया विश्वविद्यालय में अब स्नातकोत्तर कक्षाओं में कोई भी विद्यार्थी तृतीय श्रेणी नहीं आएगा। परिणाम से तृतीय श्रेणी वर्ग ही हटा दिया गया है। विश्वविद्यालय ने सत्र 2011-12 मे सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के साथ ही परीक्षा व परिणाम पद्धति में भी परिवर्तन किया है।
यह नई पद्धति विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय के सभी स्नातकोत्तर कक्षाओं में लागू होगी। हालांकि यह नई प्रणाली विश्वविद्यालय के तीनों संघटक महाविद्यालयो में ही शुरू की जा रही है। अगर संबद्ध महाविद्यालय भी यह पैटर्न अपनाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए विश्वविद्यालय को सूचित करना होगा।
परिणाम में अब प्रथम श्रेणी विशेष योग्यता के साथ, प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी ये तीन ही वर्ग होंगे। विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 48 प्रतिशत अंक लाने होंगे। 75 प्रतिशत लाने वाले विद्यार्थी को प्रथम श्रेणी विशेष योग्यता के साथ दर्जा मिलेगा और 60-74.99 प्रतिशत अंक लाने वालों को प्रथम श्रेणी व साठ प्रतिशत से कम व 48 प्रतिशत से अघिक अंक लाने वाले द्वितीय श्रेणी कहलाएंगे।

कम्यूनिकेशन व व्यक्तित्व विकास कोर्स
सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ कम्यूनिकेशन स्किल व व्यक्तित्व विकास का



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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