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Friday, July 8, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/8
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


डीयू के एनएसआईटी की फर्स्ट कट ऑफ

Posted: 07 Jul 2011 11:29 AM PDT

डीयू से जुड़े नेताजी सुभाष इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनएसआईटी) में अंडरग्रैजुएट लेवल पर इंजीनियरिंग के छह कोसेर्ज की पहली कट ऑफ लिस्ट जारी कर दी गई है। एनएसआईटी एआई ट्रिपल ई की ऑल इंडिया रैंकिंग के आधार पर एडमिशन होता है। एनएसआईटी में सीटों की संख्या करीब 700 है। यहां पर भी दिल्ली के कैंडिडेट के लिए 85 पर्सेंट सीटें रिजर्व होती है। स्टूडेंट्स की ऑनलाइन चॉइस के आधार पर यह कट ऑफ जारी की गई है।

एनएसआईटी को भी यूनिवसिर्टी बनाने की तैयारी की जा रही है। हालांकि इस साल जो स्टूडेंट्स एनएसआईटी में एडमिशन लेंगे, उन्हें डीयू की डिग्री ही मिलेगी क्योंकि अभी एनएसआईटी को यूनिवसिर्टी में तब्दील करने में समय लगेगा और माना जा रहा है कि अगले साल से ही इंस्टिट्यूट को यूनिवसिर्टी का दर्जा मिल सकेगा।


दिल्ली रीजन में जनरल कैटिगरी में 6248 तक रैंक लाने वाले स्टूडेंट्स को सीट ऑफर की गई है। जबकि ओबीसी कैटिगरी में 15047, एससी कैटिगरी में 73258, एसटी कैटिगरी में 178109 तक रैंकिंग वाले स्टूडेंट्स की सीट ऑफर हुई है। एनएसआईटी में जिन कोसेर्ज में एडमिशन लिया जा सकता है, उनमें इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेन्टेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेसिस एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग, इन्फॉमेर्शन टेक्नॉलजी और बायो- टेक्नॉलजी हैं। एनएसआईटी डीयू से जुड़ा संस्थान है और दिल्ली सरकार इस संस्थान को अनुदान देती है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,7.7.11)।

इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में बीएड के लिए कड़ा मुक़ाबला

Posted: 07 Jul 2011 11:15 AM PDT

राइट टु एजुकेशन एक्ट लागू होने के बाद देश में टीचिंग की फील्ड में अवसरों की अब कोई कमी नहीं है। सरकारी स्कूलों में तो टीचर्स की काफी पोस्ट अभी खाली हैं और इन पोस्ट के लिए सिलेक्शन प्रोसेस शुरू हो चुका है। यही वजह है कि बीएड कोर्स स्टूडेंट्स की पसंद बन चुका है। आईपी यूनिवसिर्टी में बीएड की 2,220 सीटें हैं और इन सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें तो 3016 रैंक पर एडमिशन क्लोज हो गए थे। यह कोर्स यूनिवसिर्टी के 22 सेल्फ फाइनेंसिंग इंस्टिट्यूट्स में चलता है। जहां बीबीए व बीसीए कोर्स सेकंड शिफ्ट में भी चलते हैं लेकिन बीएड कोर्स केवल र्फस्ट शिफ्ट में ही है।

बढ़ रहे हैं बीएड में चांस

यूनिवसिर्टी ने सेकंड शिफ्ट में भी कोर्स शुरू करने की कोशिश की थी लेकिन एनसीटीई से सेकंड शिफ्ट की मंजूरी नहीं मिली है। आईपी में बीएड का कोर्स एक साल का है। यूनिवसिर्टी के मुताबिक बीएड करने के बाद स्टूडेंट्स सरकारी और प्राइवेट स्कूल में जॉब करते हैं और काफी स्टूडेंट्स को जॉब मिल जाती है। खास बात यह है कि चाहे डीयू हो या आईपी, हर जगह बीएड कोर्स में स्टूडेंट्स की ऐप्लीकेशन हर साल बढ़ रही हैं। स्कूल टीचिंग में मौके भी बढ़ रहे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की ही बात करें तो यहां पर टीचर्स की हजारों पोस्ट खाली हैं।

इस कोर्स की काउंसलिंग शुरू हो चुकी है और 25 जुलाई के बाद सेकंड काउंसलिंग होगी। पिछले साल र्फस्ट काउंसलिंग में 2182 तक रैंक लाने वाले स्टूडेंट्स को एडमिशन का चांस मिला था। इस कोर्स में एडमिशन विड्रॉ करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या कम होती है और यही वजह है कि सेकंड काउंसलिंग में पिछले साल 3016 रैंक लाने वाले स्टूडेंट्स को ही मौका मिला था।


किस रैंक तक मिला था एडमिशन 

इंस्टिट्यूट में रैंक की बात करें तो गीतारतन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज एंड ट्रेनिंग में दिल्ली जनरल कैटिगरी में पिछले साल 9 रैंक वाले स्टूडेंट का पहला एडमिशन हुआ था और लास्ट रैंक 453 थी। एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन में दिल्ली जनरल का पहला रैंक 39 और लास्ट 1503 था। महाराजा सूरजमल इंस्टिट्यूट में दिल्ली जनरल का र्फस्ट रैंक 25 और लास्ट रैंक 633 था। प्रदीप मेमोरियल कॉम्प्रिहेंसिव कॉलेज ऑफ एजुकेशन में दिल्ली जनरल का लास्ट रैंक 2335। 

आरसी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में 2381, सीरी फोर्ट कॉलेज ऑफ कंप्यूटर टेक्नॉलजी एंड मैनेजमेंट में 1174, ललिता देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस में 2366, कस्तूरी राम कॉलेज ऑफ एजुकेशन में 2257, गुरु राम दास कॉलेज ऑफ एजुकेशन में 1366, कमल इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड एडवांस्ड टेक्नॉलजी में 1616, सेंट लॉरेंस कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन में 1411 रैंक था। 

आईपी के किन इंस्टिट्यूट्स में है बीएड कोर्स 

ऐमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन, एम-ब्लॉक, साकेत - 100 सीटें 

भगवान महावीर जैन र्गल्स कॉलेज ऑफ एजुकेशन, दिल्ली- रोहतक रोड हरियाणा -100 सीटें 

बी.के. इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नॉलजी, मेन नरेला रोड विलेज, घेवरा -100 सीटें 

बीएलएस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी मैनेजमेंट, बहादुरगढ़ -100 सीटें 

दिल्ली टीचर ट्रेनिंग कॉलेज, नजफगढ़ - 100 सीटें 

गीतारतन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज एंड टेक्नॉलजी सेक्टर 7, रोहिणी -120 सीटें 

गुरु नानक कॉलेज ऑफ एजुकेशन (सिख माइनोरिटी इंस्टिट्यूट), रोड नंबर 75, पंजाबी बाग -100 सीटें 

गुरु राम दास कॉलेज ऑफ एजुकेशन, वेस्ट ज्योति नगर, शाहदरा - 100 सीटें 

आइडियल इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नॉलजी, 16-एक्स, कड़कड़डूमा, विवेक विहार -100 सीटें 

इंस्टिट्यूट ऑफ वोकेशनल स्टडीज (मुस्लिम माइनोरिटी इंस्टिट्यूट), एफसी-31, डीडीए इंस्टिट्यूटशनल एरिया, शेख सराय-2 -100 सीटें 

कालका इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड एडवांस्ड स्टडीज, कालका पब्लिक स्कूल कैंपस, अलकनंदा -100 सीटें 

कमल इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड एडवांस टेक्नॉलजी, के-1 ब्लॉक, मोहन गार्डन -100 सीटें 

कस्तूरी राम कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन, विलेज करोनी, नरेला -100 सीटें 

ललिता देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस, 847-848, मंडी रोड, विलेज मंडी - 100 सीटें 

महाराजा सूरजमल इंस्टिट्यूट, सी-4 जनकपुरी पुरी -100 सीटें 

प्रदीप मेमोरियल कॉम्प्रिहेंसिव कॉलेज ऑफ एजुकेशन, प्रताप विहार, किराड़ी एक्सटेंशन, नांगलोई -100 सीटें 

आर. सी. इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, गोपाल नगर, नजफगढ़ -100 सीटें 

संत हरी दास कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन, नजफगढ़ -100 सीटें 

सीरी फोर्ट कॉलेज ऑफ कंप्यूटर टेक्नॉलजी एंड मैनेजमेंट, प्लॉट नंबर 8, सेक्टर 25, रोहिणी -100 सीटें 

सेंट लारेंस कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन, गीता कॉलोनी -100 सीट 

वी. डी. इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, कृष्ण विहार, सुल्तानपुरी -100 सीटें
(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,7.7.11)

डीयूःफेलियर्स और बंकर्स को सेमेस्टर का गिफ्ट

Posted: 07 Jul 2011 11:03 AM PDT

डीयू में सेमेस्टर सिस्टम का बड़ा फायदा र्फस्ट ईयर के उन रेगुलर स्टूडेंट्स को मिलेगा, जो इस बार या तो फेल हो गए हैं या कम हाजिरी या दूसरी वजह से एग्जाम नहीं दे पाए। यूनिवसिर्टी ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि फर्स्ट ईयर के ऐसे सभी स्टूडेंट्स को अपने-अपने कॉलेजों में री-एडमिशन मिल पाएगा, यानी ये एक बार फिर से रेगुलर स्टूडेंट्स की तरह कॉलेजों में पढ़ाई कर सकेंगे।

पहले जो स्टूडेंट्स फेल हो जाते थे या एग्जाम नहीं देते थे, उन्हें एक्स स्टूडेंट्स माना जाता था और वे क्लास अटेंड नहीं कर सकते थे। एक्स स्टूडेंट्स के तौर पर र्फस्ट ईयर पास करने के बाद ही वे सेकंड ईयर में कॉलेज जॉइन कर सकते थे। इसका फायदा फर्स्ट ईयर के उन स्टूडेंट्स पर पड़ेगा, जिन्होंने पिछले साल एनुअल सिस्टम में चलने वाले कोसेर्ज में एडमिशन लिया था। यह नियम सिर्फ इसी साल ही लागू रहेगा।


पिछले साल डीयू ने साइंस के 13 कोसेर्ज में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया था। साइंस के इन 13 कोसेर्ज में र्फस्ट ईयर के जो स्टूडेंट्स फेल हो गए हैं, उन्हें अपने कॉलेज में र्फस्ट ईयर में री-एडमिशन नहीं मिलेगा बल्कि उन्हें एक्स स्टूडेंट की तरह ही पढ़ाई करनी होगी। दरअसल, इस साल डीयू में ग्रैजुएशन लेवल का हर कोर्स सेमेस्टर के दायरे में आ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए यूनिवसिर्टी ने यह नोटिफिकेशन जारी किया है। 
यूनिवसिर्टी का कहना है कि पिछले साल स्टूडेंट्स ने एनुअल सिस्टम में चलने वाले कोसेर्ज में एडमिशन लिया था और इनमें से जो स्टूडेंट इस बार फेल हो गए हैं, उन्हें इस साल सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई करवाने के लिए री-एडमिशन दिया जा रहा है। अगर इन्हें एक्स स्टूडेंट्स माना जाता तो इन्हें एनुअल सिस्टम में ही पढ़ाई करनी पड़ती लेकिन अब ये स्टूडेंट्स भी सेमेस्टर कोसेर्ज में पढ़ सकेंगे। 

यूनिवसिर्टी के डिप्टी रजिस्ट्रार (ऐकडेमिक) रामदत्त का कहना है कि इस साल ग्रैजुएशन के सभी कोसेर्ज में सेमेस्टर लागू हो रहा है और अगले साल र्फस्ट ईयर के जो स्टूडेंट्स फेल होंगे, उन्हें री-एडमिशन का मौका नहीं मिलेगा। यह नोटिफिकेशन इसलिए लागू किया गया है ताकि किसी कॉलेज में र्फस्ट ईयर में दो सिस्टम न चलें और सिर्फ सेमेस्टर ही हो। जिस कॉलेज का जो स्टूडेंट होगा, उसे उसी कॉलेज में एडमिशन मिल सकेगा। 

इस नोटिफिकेशन का फायदा उन स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा होगा, जो कम हाजिरी के चलते इस बार एग्जाम में नहीं बैठ पाए। हर कॉलेज में इस बार कम हाजिरी के चलते स्टूडेंट्स को एग्जाम देने से रोका गया है। दयाल सिंह कॉलेज में तो ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या काफी ज्यादा है। एग्जाम देने से रोके गए स्टूडेंट्स ने काफी हंगामा किया था लेकिन यूनिवसिर्टी ने उन्हें राहत नहीं दी। सेमेस्टर स्कीम में अब साल में दो बार एग्जाम होंगे और स्टूडेंट्स को हाजिरी पर खास ध्यान देना होगा। 

उधर, कॉलेजों के सामने नई परेशानी खड़ी हो सकती है। दरअसल, पहले ही कॉलेजों में रेकॉर्ड एडमिशन हो रहे हैं और अब जब फेल हुए स्टूडेंट्स या कम हाजिरी के चलते रोके गए स्टूडेंट्स को फिर से र्फस्ट ईयर में एडमिशन देना होगा तो सवाल यही है कि उन स्टूडेंट्स को कैसे एडजस्ट करेंगे। क्लासरूम में सीमित जगह होती है और कॉलेजों को इस साल कई अलग सेक्शन भी बनाने पड़ सकते हैं(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,7.7.11)। 

डीयूःलास्ट कट ऑफ में भी ओबीसी के लिए बेहतर चांस

Posted: 07 Jul 2011 10:47 AM PDT

डीयू की पांचवीं और आखिरी कट ऑफ लिस्ट शुक्रवार को आ रही है और अधिकतर कॉलेजों की लिस्ट में ओबीसी के लिए काफी चांस होंगे। कैंपस कॉलेजों में भी अभी ओबीसी कैटिगरी के एडमिशन पूरे नहीं हुए हैं। किरोड़ीमल कॉलेज की बात करें, तो यहां बीए, बीकॉम, इंग्लिश ऑनर्स समेत कई कोसेर्ज में ओबीसी को एडमिशन का चांस मिलेगा।

हालांकि केएमसी में बीकॉम कोर्स में तो जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स को भी चांस मिल सकता है। जानकारी के मुताबिक, केएमसी में बीकॉम कोर्स में जनरल कैटिगरी की करीब 10 सीटें अभी खाली हैं और कॉलेज इस कोर्स की पांचवीं लिस्ट भी जारी कर सकता है। मैथ्स ऑनर्स, इकनॉमिक्स ऑनर्स, स्टैटिसटिक्स ऑनर्स जैसे कोसेर्ज में ओबीसी की काफी सीटें बची हुई हैं।

आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों की बात करें, तो कुछ कोसेर्ज में ओबीसी के लिए फुल चांस हैं। रामलाल आनंद कॉलेज में इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में ओबीसी कैटिगरी की सीटें बची हुई हैं। लास्ट कट ऑफ लिस्ट से जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स को तो खास उम्मीद नहीं करनी चाहिए, लेकिन ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट्स को इस लिस्ट में भी पूरा चांस मिलेगा। जिन कॉलेजों ने अब तक जनरल और ओबीसी कैटिगरी की कट ऑफ में 10 पर्सेंट तक का गैप नहीं रखा है, वह गैप इस लिस्ट में नजर आएगा(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,7.7.11)।

ढांचे ही नहीं,शिक्षक और शिक्षण को भी करना होगा मज़बूत

Posted: 07 Jul 2011 07:30 AM PDT

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संसदीय समिति ने देश की प्राथमिक शिक्षा से जुड़े दो प्रमुख ज्वलंत मुद्दों पर राज्य सरकारों से जवाब-तलब किया है। इसमें पहला मुद्दा मिड-डे मील में बढ़ते भ्रष्टाचार का है तो दूसरा प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की नामांकन संख्या में आ रही लगातार गिरावट का है। उल्लेखनीय है कि मिड-डे मील योजना स्कूलों में गरीब तबकों के बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए लागू की गई थी और उम्मीद की गई थी कि इससे स्कूलों में ड्रापआउट रेट अर्थात बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या की दर को घटाने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ उनका पोषण स्तर भी ठीक रहेगा। उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड समेत आधा दर्जन राज्यों ने इस योजना की धनराशि दूसरे मदों में खर्च करने की बात स्वीकार की है। इसे लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर करने के साथ ही योजना प्रबंधन के तौर-तरीकों पर भी नए सिरे से विचार करने की बात कही है। देश में सर्वप्रथम मिड-डे मील योजना 1960 में तमिलनाडु में शुरू हुई थी। योजना की सफलता देखते हुए बाद में इसका अनुकरण गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान सरकारों ने भी किया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के विस्तार में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करना था। 28 नवंबर 2001 को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश के बाद यह योजना देश के सभी सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शुरू हुई, लेकिन मिड-डे मील योजना आज भ्रष्टाचार का एक लाभकारी साधन बनकर रह गई है। पिछले साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने बच्चों की शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाते हुए शिक्षा अधिकार कानून लागू किया। इसके लिए प्राथमिक शिक्षा के मद में अतिरिक्त बजट दिया गया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहा। आंकड़े बताते हैं मिड-डे मील योजना ने देश की प्राथमिक शिक्षा का बहुत भला नहीं किया है। 2007 के बाद से पूरे देश में प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या में अच्छी-खासी गिरावट आई है। 2008 से 2010 के बीच कक्षा एक से लेकर कक्षा चार तक के बच्चों का नामांकन 26 लाख घटा है। केवल उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो पिछले दो वर्षो में दस लाख नामांकन घटे हैं। इसके अलावा बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु में भी बच्चों का नामांकन लगातार घट रहा है। इस मामले में असम सर्वाधिक प्रभावित राज्य है। आजादी के बाद 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी। इसके तहत ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, अनौपचारिक शिक्षा तथा महिला समाख्या के अलावा आंध्र प्रदेश में बेसिक शिक्षा परियोजना, राजस्थान में लोक जुंबिश तथा उत्तर प्रदेश में सर्वशिक्षा अभियान तथा जिला प्राथमिक शिक्षा जैसे प्रमुख कार्यक्रम रहे हैं। इन सभी परियोजनाओं का मूल उद्देश्य बुनियादी शिक्षा के माध्यम से देश में सामाजिक न्याय और समानता स्थापित करना था। पिछले छह दशकों में देश की प्राथमिक शिक्षा में तीस गुना तथा उच्च प्राथमिक शिक्षा में चालीस गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई है। बावजूद इसके प्राथमिक शिक्षा की तस्वीर धुंधली नजर आती है। छह से 14 वर्ष तक के दो करोड़ बच्चों में से आधे बच्चे भी स्कूलों तक नहीं पहुंच रहे हैं और मिड-डे मील योजना के बावजूद भी ड्रापआउट दर बहुत अधिक है। शिक्षा का बुनियादी ढांचा कमजोर है तथा शिक्षण दिनचर्या भी उबाऊ है। उच्चतम न्यायालय के मुताबिक पूरे देश में लगभग 1800 स्कूल टेंट और पेड़ों के नीचे चल रहे हैं। 24 हजार स्कूलों में पक्के भवन नही हैं। एक लाख से भी अधिक स्कूलों में पीने के पानी का प्रबंध नहीं है तथा 45 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालयों जैसी सुविधाओं का अभाव है। लाखों शिक्षकों के पद आज भी रिक्त हैं। राज्य सरकारें बजट की कमी का तर्क देकर अल्प वेतन पर शिक्षामित्र, शिक्षाकर्मी तथा पैरा टीचर्स की नियुक्ति करके कामचलाऊ व्यवस्था चला रही हैं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद 14 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा देना आज संवैधानिक मजबूरी बन गई है, लेकिन इस हेतु बजट के लिए हमें विदेशी संस्थाओं का मुंह ताकना पड़ता है। विकास के जिस अंग्रेजी मॉडल का अनुकरण किया गया उससे हमारी मातृभाषा से जुड़ी प्राथमिक शिक्षा पृष्ठभूमि में चली गई। देश की संसद को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून बनाने में छह दशक लग गए। नि:संदेह आज राष्ट्र की प्राथमिक शिक्षा से जुड़ी मिड-डे मील योजना के संचालन में भ्रष्टाचार एक गंभीर चिंता का विषय है। देश के प्राथमिक शिक्षा के बुनियादी ढांचे के निरंतर कमजोर होने का यह परिणाम रहा कि राष्ट्र के अहसास से जुड़ी बुनियादी सस्थाएं भी कमजोर होती चली गई। इस संबंध में भ्रष्टाचार का समाजशास्त्र बताता है कि जब लोग अपने राष्ट्र के नैतिक चरित्र से कट जाते हैं तो उनमें चारित्रिक विचारधारा का लोप होने लगता है। देश की बुनियादी शिक्षा तक उनके लिए स्वार्थसिद्धि और खुदगर्जी का साधन बन जाती है। राष्ट्र में जवाबदेही के वातावरण का निर्माण हो, इसके लिए प्राथमिक शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण संस्थाओं पर राष्ट्रीय प्रतिबद्धता से जुड़े लोगों का आसीन होना जरूरी है। प्राथमिक शिक्षा किसी भी देश की रीढ़ होती है और जब किसी देश की रीढ़ टूटती है तो आकर्षक से आकर्षक इमारतें भी भरभराकर गिरने लगती हैं। देश की प्राथमिक शिक्षण संस्थाओं के साथ आज भी यह क्रम जारी है। यदि देश में मिड-डे मील जैसी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करना है तो प्राथमिक शिक्षा के बुनियादी ढांचे को न केवल मजबूत बनाना होगा, बल्कि शिक्षक व शिक्षण की गुणवत्ता को भी बढ़ाना होगा। इस काम को किए बिना प्राथमिक शिक्षण को मजबूत नहीं बनाया जा सकता( डॉ. विशेष गुप्ता,दैनिक जागरण,7.7.11)।

बिहारःस्कूलों में धूल चाट रहीं 80 लाख की किताबें

Posted: 07 Jul 2011 06:50 AM PDT

नि:संदेह राज्य सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा में गुणात्मक बदलाव की खातिर कई कदम उठाए गए हैं। उनमें से बच्चों के लिए लागू बोधिवृक्ष कार्यक्रम भी है। मगर निचले स्तर पर प्रशासनिक लापरवाही से एक अच्छी योजना का क्या हश्र होता है? इसकी बानगी भी बोधिवृक्ष कार्यक्रम ही है। स्कूलों में यह योजना लागू है! इसके संबंध में शायद अधिकारियों को भी ठीक से जानकारी नहीं हो। इसलिए पहले इस योजना के बारे में जान लें। भगवान गौतम बुद्ध को जिस बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उसी वृक्ष के नाम से दो वर्ष पहले बोधिवृक्ष वाचन उन्नयन कार्यक्रम शुरू की गई थी। उद्देश्य था-कक्षा एक से पांच तक के बच्चों में समझ कर पढ़ने की क्षमता विकसित करने का। प्रत्येक जिले में पूरी योजना एक कैलेंडर के रूप में स्कूलों को सौंपी गई थी। तब पटना जिले में भी इस योजना को लेकर आधिकारिक तौर पर कई दावे किए गए थे। जिले के 2852 प्राथमिक एवं 1085 मध्य विद्यालयों में करीब 80 लाख रुपये से ऊपर के किताबें भेजी गई थीं। राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने अधिकारियों को बोधिवृक्ष कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कमान सौंपी थी। शुरू में इस कार्यक्रम का काफी प्रचार-प्रसार भी हुआ था। मगर निचले स्तर के अधिकारियों की लापरवाही से यह कार्यक्रम बीच में ही दिशाहीन होती चली गई..।

बच्चे बोले-मजेदार थीं किताबें
बोधिवृक्ष कार्यक्रम की खोज-खबर लेने के दरम्यान सोमवार को मध्य विद्यालय, सैदपुर और चिरैयाटांड में हैरतंगेज जानकारी मिली। शिक्षकों ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी किताबें बक्से और आलमारी में बंद है। इस पर किताबों को देखने की जिज्ञासा जगी..। वाकई क्लास वन और टू के बच्चों में रंगीन एवं सचित्र किताबें समझ कर पढ़ने की क्षमता विकसित करने के मकसद से बेजोड़ व्यवस्था की गई थी। इसके बारे में कई बच्चां ने हौसले से बोला-अंकल, मजेदार किताबें थीं, चित्रों को देखते ही पाठ समझ में आ जाता था.. बच्चों में उमंग देख कर यह अहसास हुआ कि खेल-खेल में शिक्षा देने की एक अच्छी योजना कैसे लापरवाह अधिकारियों की भेंट चढ़ गई?(दीनानाथ साहनी,दैनिक जागरण,पटना,7.7.11)

यूपीःप्रवक्ता परीक्षा का रिजल्ट घोषित

Posted: 07 Jul 2011 06:30 AM PDT

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की प्रवक्ता की लिखित परीक्षा का रिजल्ट बुधवार की देर शाम को घोषित किया गया। यह जानकारी चयन बोर्ड के सूत्रों ने दी है। प्रवक्ता के कुल 900 पदों के लिए करीब सवा दो लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। एक सीट पर तीन-तीन अभ्यर्थियों को पास कराया गया है। सबसे ज्यादा सीटें हिन्दी, अर्थशास्त्र, भूगोल, अंग्रेजी और रसायन विज्ञान विषय में है। चयन बोर्ड के सचिव नवल किशोर ने बताया कि प्रवक्ता परीक्षा का रिजल्ट चयन बोर्ड की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। सफल अभ्यर्थियों को इण्टरव्यू से 21 दिन पहले काल लेटर भेजा जाएगा। अगर किसी अभ्यर्थी को काल लेटर नहीं मिल पाता है, तो वह चयन बोर्ड कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,7.7.11)।

यूपीःनये डिग्री कालेजों के लिए भूमि बैंक बनाएगा उच्च शिक्षा विभाग

Posted: 07 Jul 2011 06:10 AM PDT

प्रदेश में नये राजकीय डिग्री कालेजों को खोलने के लिए भूमि की किल्लत दूर करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग लैण्ड बैंक बनाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिलाधिकारियों से सम्पर्क कर ऐसी व्यवस्था करायें, ताकि भूमिदान के इच्छुक लोग राज्य के विकास के लिए स्वेच्छा से भूमिदान कर सकें। उच्च शिक्षा मंत्री डा. राकेशधर त्रिपाठी ने बताया कि चार महाविद्यालयों के भवन उच्च शिक्षा विभाग को दे दिये गये हैं और आधा दर्जन अन्य महाविद्यालयों के पूरे होने की रिपोर्ट मिल गयी है। उन्होंने निर्माण एजेन्सियों के समयबद्ध तरीके से काम पूरा करने पर संतोष जताया। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राजकीय डिग्री कालेजों में प्रयोगशालाओं के संचालन में रसायनों व उपकरणों की कमी को दूर करने के निर्देश दिये जा चुके हैं, इसके बाद भी लैबों का सुचारू रूप से संचालन न किया गया तो क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने सम्बद्धता के मामलों को समय से निपटाने के लिए सभी विविद्यालयों को हिदायत दी है ताकि इसमें देरी का खमियाजा छात्रों को न भुगतना पड़े। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में राजकीय डिग्री कालेज खोलने के लिए भूमि सबसे बड़ी दिक्कत है। जिलाधिकारियों को शिक्षण संस्थाओं के लिए जमीन मुहैया कराने में कई वर्ष लग जाते हैं। नतीजतन, पालीटेक्निक, आईटीआई और इंजीनियरिंग तथा राजकीय डिग्री कालेज खोलने में जमीन सबसे बड़ी बाधा साबित होती है। सरकार की लैंड बैंक बनाने की योजना इन समस्याओं को निस्तारण करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है, लेकिन भूमिदान के इच्छुक लोगों की तलाश करना भी टेढ़ी खीर साबित होनी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,7.7.11)।

नालंदा विश्वविद्यालयःदो नए पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी

Posted: 07 Jul 2011 05:50 AM PDT

नोबल विजेता प्रो. अम‌र्त्य सेन की अध्यक्षता में नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्र्वविद्यालय के शासी निकाय की बुधवार को हुई बैठक में 2013 से दो कोर्स (पाठ्यक्रम) आरंभ करने का निर्णय हुआ। यह राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये अस्थायी भवन में शुरू होगा। विश्र्वविद्यालय भवन के डिजाइन एवं निर्माण के लिए शीघ्र ग्लोबल टेंडर निकाले जाएंगे। बैठक में विश्र्वविद्यालय के नियम एवं परिनियम पर देर तक विमर्श हुआ और उन्हें मंजूरी दी गयी। शासी निकाय की अगली बैठक अक्टूबर के मध्य में बीजिंग (चीन) में होगी। करीब दस घंटे तक चली बैठक में शासी निकाय के अन्य सदस्य चीन के पूर्व विदेश मंत्री जार्ज यो, हारवर्ड विश्र्वविद्यालय के डा. सुगाता बोस, सिटी यूनिवर्सिटी आफ न्यूयार्क के तानसेन सेन, जापान के शूशू नाकासिनि, बीजिंग विश्र्वविद्यालय के वांग वी, विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्वी) संजय सिंह, विश्र्वविद्यालय की कुलपति डा. गोपा सब्बरवाल और जदयू सांसद एनके सिंह शामिल हुए। एक सदस्य लार्ड मेघनाथ देसाई उपस्थित नहीं हो सके। बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में प्रो.सेन ने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं, नियम-परिनियम, फैकल्टीज, पढ़ाई का पैटर्न आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। विश्र्वविद्यालय के नियम-परिनियम को अंतिम रूप दे दिया गया। बैठक में विश्र्वविद्यालय के लिए एक इंटरनेशनल एडवाइजरी पैनल का गठन किया गया है, जिसका अध्यक्ष जार्ज यो बने हैं। शासी निकाय की अगली बैठक बीजिंग में मध्य अक्टूबर में होगी। उन्होंने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय विश्र्वविद्यालय के निर्माण में आसियान देशों के अलावा चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएसए एवं रूस सहयोग दे रहे हैं। प्रो. सेन ने कहा-पिछले दिनों कैम्बि्रज विश्र्वविद्यालय में जब मैंने प्राचीन नालंदा विश्र्वविद्यालय पर लेक्चर दिया, तो बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी उत्सुकता दिखायी। उनके अनुसार नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्र्वविद्यालय का निर्माण कुछ सालों के लिए नहीं, बल्कि सदियों के लिए किया जाएगा। इस कारण इसके डिजाइन एवं निर्माण में समय लगेगा। गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। यह अंतरराष्ट्रीय धरोहर के रूप में विकसित होगा। एक्सेल ने इसके लिए एक डिजाइन दिया है(दैनिक जागरण,पटना,7.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटी के के 181 कालेजों में बढ़ी 10 फीसदी फीस

Posted: 07 Jul 2011 05:30 AM PDT

खाद्य पदार्थो की महंगाई से जूझ रही पब्लिक को पंजाब यूनिवर्सिटी ने जोर का झटका दिया है। पंजाब और चंडीगढ़ में शिक्षा पर भी विद्यार्थियों को जेब ढीली करनी पड़ेगी। यूनिवर्सिटी से संबद्ध पंजाब और चंडीगढ़ के करीब 181 कालेजों में इसी सत्र से सब कोर्सों में 10 प्रतिशत फीस बढ़ाई जा रही है। फीस केवल प्राइवेट कालेजों में ही बढ़ेगी। इसकी अधिसूचना वीरवार को जारी कर दी जाएगी। बीकॉम कोर्स में हो सकता है कि 10 प्रतिशत से भी ज्यादा फीस बढ़े लिहाजा इस पर वीरवार को अंतिम फैसला होगा। कमेटी के सदस्य जीके चतरथ ने इस मामले की आधिकारिक पुष्टि की है। प्राइवेट कालेज प्रबंधन लगातार फीस बढ़ाने के मामले में यह दुहाई देते रहे हैं कि एक तो यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कांट्रेक्ट टीचरों का वेतन 25800 करने का आदेश दे दिया है। इसके अलावा कालेजों में इनफ्रास्ट्रक्चर जुटाने में काफी खर्च आने लगा है, लिहाजा कालेजों की फीस बढ़नी चाहिए। बुधवार देर शाम फीस बढ़ाने को लेकर मामले में बनी कमेटी की बैठक हुई। बैठक में प्रिंसिपलों ने सवाल उठाया कि पिछले काफी समय से प्राइवेट कालेजों में फीस नहीं बढ़ पाई है लिहाजा यूनिवर्सिटी को फीस बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। इससे पहले सीनेट की बैठक में भी कालेजों में फीस बढ़ोतरी का मुद्दा जोर-शोर से उठा था लेकिन कई सीनेट सदस्यों ने फीस बढ़ाने का जोरदार विरोध किया था जिसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले में कमेटी गठित कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। दूसरी और विद्यार्थियों को शिकायत रहती थी कि यूनिवर्सिटी का कालेजों पर कोई कंट्रोल नहीं है। कालेज अलग-अलग कोर्सो में अलग-अलग फीस वसूलते हैं। फीस लेने के मामले में कालेजों में एकरूपता नहीं है। विद्यार्थियों ने कई कालेजों की लिखित शिकायतें भी यूनिवर्सिटी से की है। देव समाज कालेज फार वूमेन सेक्टर 45 बी की शिकायत बुधवार को पीयू प्रबंधन के पास पहुंची। करीब एक दर्जन छात्र छात्राओं का आरोप है कि कालेज प्रबंधन ने प्रॉस्पेक्ट्स में बीकॉम के लिए 12800 रुपये फीस लिखी है लेकिन उनसे 23500 रुपये वसूले जा रहे हैं जबकि उन्होंने मेरिट में भी स्थान बनाया है। इसी शिकायत को आधार बनाकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बुधवार देर शाम विभिन्न कालेजों में एक फीस स्ट्रक्चर तय करने वाली कमेटी की मीटिंग बुलाई थी। बैठक में कालेजों के प्रिंसिपल फीस बढ़ाने के मुद्दे पर एकजुट नजर आए। इसमें तय किया गया कि गरीब और विकलांग छात्र छात्राओं को फीस में 10 प्रतिशत की राहत दी जाएगी। बीकॉम के दाखिले मेरिट बनने के बाद क्योंकि शुरू हो चुके हैं, लिहाजा इस कोर्स की फीस बढ़ाने का फैसला कल वीरवार की बैठक में लिया जाएगा। जिन विद्यार्थियों से ज्यादा फीस चार्ज की गई है, उन्हें रकम वापस दी जाएगी। उधर सेल्फ फाइनेंस कोर्सो में बैठक में फीस घटाने का फैसला लिया गया। फीस कितनी घटेगी, इस पर फिलहाल राय नहीं बन पाई है(साजन शर्मा,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,7.7.11)।

नालंदा विश्वविद्यालय भी इग्नू की राह पर

Posted: 07 Jul 2011 05:10 AM PDT

जरूरत पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्र्वविद्यालय की शाखाएं विदेशों में भी खोली जायेंगी। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2012 में यहां पढ़ाई शुरू हो जायेगी। फिलहाल राजगीर (नालंदा) स्थित पुराने अनुमंडल कार्यालय का जीर्णोद्धार किया गया है, जहां विश्र्वविद्यालय के मुख्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। अधिग्रहीत 467 एकड़ जमीन की बाउंड्री बनवाने के लिए राशि निर्गत की जा चुकी है। सात जुलाई 2011 को नोबेल पुरस्कार विजेता विश्र्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री अम‌र्त्यसेन राजगीर आने वाले हैं। वे विवि के कुलपति गोपा सबरवाल के साथ अधिग्रहीत जमीन देखने जायेंगे। इसके अलावा वे विवि के प्रशासनिक भवन में भी कुछ पल बीता सकते हैं। जब तक विश्र्वविद्यालय का अपना भवन तैयार नहीं हो जाता, निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर एवं अन्य सरकारी बिल्डिंगों में ही पढ़ाई शुरू कराने का प्रस्ताव है। विश्र्वविद्यालय का मुख्यालय राजगीर में होगा। एक्ट के अनुसार विश्र्वविद्यालय को चलाने के लिए कई पद सृजित किये गये हैं, जिसमें चांसलर, वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस आफिसर, बोर्ड के अन्य पांच अन्य सदस्य होंगे। विश्र्वविद्यालय के चांसलर व वाइस चांसलर को केन्द्र सरकार के विदेश मंत्रालय के सचिव स्तर का दर्जा प्राप्त होगा। इसके अलावा कमेटी में बिहार सरकार के मनोनीत दो एवं केन्द्र सरकार के तीन सदस्य होंगे। संचालन कमेटी को बिहार सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं केन्द्र सरकार के विदेश विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सहयोग करेंगे। चांसलर गवर्निग बाडी के सदस्य होंगे। चांसलर व वाइस चांसलर विजिटर द्वारा नियुक्त किये जायेंगे। रजिस्ट्रार एवं फाइनेंस अफसर की नियुक्ति नियम व शर्तो के अनुसार की जायेगी। विश्र्वविद्यालय में सात विषयों की पढ़ाई होगी, जिसमें बुद्धिष्ट सदी, हिस्टोरिकल स्टडी, इंटरनेशनल रिलेशन्स, पीस स्टडी, बिजनेस मैनेजमेंट, लैंग्वेज लिटरेचर, इकोनोमिक्स एवं इवायरमेंटल स्टडी शामिल है। विजिटर के रूप में पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम विश्र्वविद्यालय की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। अस्तित्व में आने के बाद विश्वविद्यालय का प्रबंधन देश या जरूरत पड़ने पर विदेशों में भी अपने केन्द्र खोल सकता है। बशर्ते गवर्निग बाडी की मंजूरी हो। बता दें कि विश्र्वविद्यालय की परिकल्पना तत्कालीन राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। आठ वर्ष पूर्व जब डा.कलाम हरनौत रेल कोच फैक्ट्री के शिलान्यास के मौके पर नालंदा आये थे तो उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से नालंदा विवि को पुनर्जीवित करने की चर्चा की थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने इस विचार को गंभीरता से लिया और नये कलेवर में अंतरराष्ट्रीय नालंदा विवि की स्थापना करने की पहल शुरू कर दी। सर्वप्रथम एशियाई देशों को विवि की स्थापना से जोड़ने की बात हुई। अभी तक इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं(संतोष कुमार,दैनिक जागरण,बिहारशरीफ,7.7.11)।

गढ़वाल विविःप्रशासन की लेटलतीफी कहीं बिगाड़ न दे सेमेस्टर सिस्टम का ढर्रा

Posted: 07 Jul 2011 04:50 AM PDT

स्नातक परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने में गढ़वाल विविद्यालय की लेटलतीफी सेमेस्टर सिस्टम पर भारी पड़ सकती है। परिणाम घोषित न होने के कारण पीजी कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है। पहले ही साल में सेमेस्टर सिस्टम के पटरी से उतरने के आसार बनते जा रहे हैं। गढ़वाल विविद्यालय सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों में इस साल से पीजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू करने जा रहा है। यह सब कुछ छात्रों की सुविधा व स्तरीय शिक्षा देने के लिए की रही है। विविद्यालय सत्र 2011-12 का शैक्षणिक कैलेंडर भी घोषित कर चुका है जिसके अनुसार पीजी के पाठय़क्रमों में एडमिशन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 16 जुलाई व एडमिशन की अंतिम तिथि 30 जुलाई निर्धारित की गई है। इसके बाद दो अगस्त से शिक्षण कार्य शुरू होना है। इसके अलावा पहले सेमेस्टर की परीक्षा के लिए फार्म जमा करने की अंतिम तिथि एक अक्टूबर, जबकि परीक्षा दिसम्बर में कराने का प्रस्ताव किया। वैसे तो यह कैलेंडर विवि के अपने परिसरों में लागू होता है, लेकिन परीक्षा फार्म जमा करने व परीक्षा की तिथि महाविद्यालयों पर भी लागू होता है। यदि महाविद्यालयों में एडमिशन प्रक्रिया लेट हुई तो इसका असर परीक्षा पर पड़ेगा। सब कुछ समय से हो इसके लिए सबसे पहले परीक्षा परिणाम घोषित होना जरूरी है। गौरतलब है कि विवि से सम्बद्ध एक भी महाविद्यालय में पीजी स्तर पर एडमिशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। कारण अभी तक 2011 की स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा का परिणाम ही घोषित नहीं हो सका था, जबकि जुलाई का पहला सप्ताह बीच चुका है। ऐसे में एडमिशन प्रक्रिया का लेट होना तय है। क्योंकि परिणाम घोषित होने के बाद कम-से कम चार-पांच दिन कालेजों में मार्कशीट पहुंचने में लग जाएगा। साथ ही मार्कशीट वितरण के लिए डीएवी जैसे कालेज को कम से कम 10 दिन चाहिए। इसके बाद शुरू होगा एडमिशन फार्म भरने का कार्य। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। डीएवी पीजी) कालेज में सत्र 2010-11 में एलएलबी में एडमिशन लेने वाले छात्रों की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा आज तक नहीं हुई है, जबकि नियमानुसार अब तक दो सेमेस्टर की परीक्षा हो जानी चाहिए थी। लॉ के छात्रों को तीन साल की डिग्री चार साल में मिलेगी। एक जुलाई को विवि में हुई बैठक में अनेक महाविद्यालयों ने 30 जुलाई तक एडमिशन प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थता भी जता दी थी। बहरहाल परीक्षा परिणाम घोषित न होने से छात्रों में भी बेचैनी बढ़ती जा रही है। परीक्षा परिणाम घोषित न होने से पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लटके '' समय से एडमिशन, समय से परीक्षा के लिए परीक्षा परिणाम जल्दी घोषित करना चाहिए। इसमें विलम्ब होने का असर परीक्षाओं के भविष्य पर पड़ता है। मार्कशीट मिलने के बाद कम से 20 दिन एडमिशन प्रक्रिया पूरी करने के लिए चाहिए। विवि को भी इसकी लिखित जानकारी दे दी गई है।''
-डा. बीएल नौटियाल प्राचार्य (डीएवी पीजी कालेज)(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,7.7.11)

यूपीःबीपीएल को अब सीधे खाते में छात्रवृत्ति

Posted: 07 Jul 2011 04:30 AM PDT

गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले छात्र-छात्राओं को छात्रवृति अब सीधे उनके खातों में जमा की जाएगी। इससे छात्रवृत्ति या शुल्क प्रतिपूर्ति में अब शैक्षणिक संस्थान धांधली नहीं कर सकेंगे। शासन ने शैक्षिक सत्र 2011-12 के लिए छात्रवृत्ति की वितरण प्रक्रिया में संशोधन कर दिया है। अनुसूचित जाति, जनजाति को छोड़कर अन्य छात्रों की छात्रवृत्ति समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका भी अब सीमित कर दी गयी है। अब मुख्य भूमिका मास्टर डाटा बेस की होगी। इसके साथ ही हर छात्र को एक यूनीक नंबर भी आवंटित किया जाएगा। प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप मिश्र की ओर से शिक्षा विभाग के सभी प्रमुख अधिकारियों, मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को इस बाबत बुधवार को दिशा निर्देश जारी किया गया है। समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बलविंदर कुमार ने बताया कि शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि उन्हीं मान्यता प्राप्त संस्थाओं के छात्रों को दी जाएगी जिनका विवरण मास्टर डाटा बेस में अंकित होगा। सबसे पहले राजकीय व राजकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं के छात्र-छात्राओं को शुल्क प्रतिपूर्ति दी जाएगी। अन्य संस्थाओं में सबसे निर्धन छात्रों को धनराशि पहले प्रदान की जाएगी। खास बात यह होगी कि छात्रों के खाते में धनराशि ट्रांसफर होते ही मास्टर डाटा बेस में यह अंकित हो जाएगा। छात्र भी जान सकेंगे कि उनके खाते में धनराशि आ चुका है और शासन के पास भी इसका ब्योरा रहेगा। प्रमुख सचिव ने बताया कि कोई गड़बड़ी न हो सके इसके लिए सभी कामों की समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। मास्टर डाटा बेस में 31 अगस्त 2011 तक ही नये मान्यता प्राप्त विद्यालय जोड़े जा सकेंगे। इसके बाद निर्णय लेने का अधिकार जिलाधिकारी की संस्तुति पर मंडलायुक्त को होगा(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,7.7.11)।

इलाहाबाद विश्वविद्यालयःदाखिले की दौड़ तो पूरी हुई, अब रहेंगे कहां

Posted: 07 Jul 2011 04:10 AM PDT

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया आधी से ज्यादा पूरी हो गई है। स्नातक कक्षाओं में दाखिले अंतिम चरण में हैं। 11 जुलाई से नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होगा। इसके बावजूद छात्रों के रहने की अभी भी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। हालांकि, छात्रावासों के आवंटन के लिए फार्म भरे जा रहे हैं, लेकिन छात्र भी यह जानते हैं हॉस्टल पाना आसमान से तारे तोड़ने जैसा है। स्नातक की सभी कक्षाओं में लगभग पांच हजार छात्रों का प्रवेश होना है। इसके अतिरिक्त त्रिवर्षीय व पंचवर्षीय विधि स्नातक और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में लगभग दो हजार से अधिक छात्रों का प्रवेश होना है। दाखिला ले चुके छात्र हॉस्टल आवंटन के लिए भी फार्म भर रहे हैं। इसकी अंतिम तिथि 15 जुलाई है। इसके और भी बढ़ने की संभावना है, पर मुख्य सवाल यह है कि आखिर इतने अधिक छात्रों के रहने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने क्या व्यवस्था कर रखी है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो विश्वविद्यालय के कुल 14 छात्रावास हैं। इनमें 9 बालकों के लिए और पांच बालिकाओं के लिए हैं। इनमें 1,444 छात्रों और 1,141 छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। इसके अलावा पांच छात्रावास ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं। ये केवल पुरुष छात्रों के लिए हैं। छात्रावास आवंटन में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू है। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए 15 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 27 प्रतिशत, शाराीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए तीन प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। एक अनुमान के मुताबिक बमुश्किल हर सत्र में महज 500 छात्र ही कमरे छोड़ते हैं। अगर हर सत्र में एडमीशन लेने वाले छात्रों की संख्या से इसकी तुलना करें तो यह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होता है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण आरके सिंह कहते हैं कि हर एडमीशन लेने वाले को तो शायद ही कभी आवास मुहैया कराया जा सका हो। अलबत्ता एक ग‌र्ल्स कॉलेज और राधाकृष्णन छात्रावास की ऊपरी विंग तैयार होने से इस सत्र में 375 अन्य छात्र-छात्राओं को आवास मुहैया कराया जा सकता है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,7.7.11)।

उत्तराखंडः'नैक' मामले में विश्वविद्यालयों-कॉलेजों को राहत

Posted: 07 Jul 2011 03:50 AM PDT

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायनन परिषद (नैक) को मान्यता के मामले में विविद्यालयों और कॉलेजों को राहत मिली है। केंद्र सरकार ने गजट में संशोधन कर अब एक्रिडेशन की अवधि एक साल बढ़ा दी गई है। जहां यह पहले अप्रैल 2011 थी अब इसे बढ़ाकर अप्रैल 2012 कर दिया गया है। यानी कॉलेजों व विवि को अप्रैल 2012 तक अपना एक्रिडेशन करा लेना होगा। बता दें कि नैक देश में विविद्यालयों



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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