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Sunday, June 19, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/19
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


डीयूःनामचीन स्कूलों में 60 से 97 फीसदी पहुंची कट ऑफ

Posted: 18 Jun 2011 11:29 AM PDT

पिछले 50 वर्षो के दौरान डीयू की दाखिला प्रक्रिया में जबरदस्त बदलाव आया है। 1970 के दशक में डीयू के नामचीन कॉलेजों में औसतन 55 से 60 फीसदी अंकों के बीच दाखिला हो जाता था। अब इनमें दाखिला 97 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को भी नहीं मिल रहा। डीयू के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह कहते हैं कि कॉलेज क्या करें? जब बोर्ड ही बच्चों को इतने नंबर देगा तो कट ऑफ ऊपर जाएगी ही। चालीस साल पहले और अब में बहुत अंतर है। जब बारहवीं नहीं ग्यारहवीं हुआ करती थी। डीयू के डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. जेएम खुराना कॉलेज टाइम की यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि 70 के दौर में इतनी मारा-मारी नहीं थी। किसी के 60 फीसदी अंक आ जाते थे तो गांवों में मिठाई बंटती थी। छात्र फ‌र्स्ट डिवजनर होता था। अब 60 फीसदी वालों को रेगुलर कोर्स में दाखिले के लाले पड़ रहे हैं। पिछले आठ सालों में सीबीएसई और अन्य बोर्डो ने जिस तरह से छात्रों को अधिक नंबर देने शुरू किए हैं, उससे कॉलेजों की कट ऑफ में अभी तक करीब 25 फीसदी इजाफा हो चुका है और प्रतिभाशाली छात्रों का हाल-बेहाल है। सोचने वाली बात तो यह है कि बारहवीं के सिलेबस में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। हां पेपर बनाने और उनकी मार्किंग स्कीम में कुछ बदलाव हुए हैं। जिससे अब अंग्रेजी, इतिहास और हिंदी में भी छात्रों के 100-100 अंक आ रहे हैं। डीयू के डिप्टी डीन प्रो. दिनेश सी. वाष्र्णेय बताते हैं कि उन्हें 1976 में हिंदू कॉलेज में दाखिला मिल गया था। तब कॉलेजों में छात्रों के नाम की मैरिट लिस्ट लगती थी। 58-59 फीसदी अंक वाले छात्र को आराम से दाखिला मिल जाता था। 62-63 फीसदी अंक वाले छात्र इक्का-दुक्का ही नजर आते थे। डीयू में कट ऑफ लिस्ट जारी करने का दौर आपातकाल के बाद आया। सन् 1970-80 के बीच तक साइंस का क्रेज था। इसके बाद व्यावसायिक दौर का चलन शुरू हुआ और डीयू में कॉमर्स कोर्स का क्रेज बढ़ा। जाकिर हुसैन कॉलेज के प्राचार्य डा. असलम मोहम्मद परवेज कहते हैं कि 1971 से अब तक का यूनिवर्सिटी दौर बहुत ही बदलाव वाला है। लेकिन यह बदलाव चैन सिस्टम पर आधारित हैं। जिस अनुपात में दिल्ली की जनसंख्या बढ़ी उस अनुपात में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों का निर्माण नहीं हो सका, जो नए कॉलेज व विश्वविद्यालय बने, वे आटे में नमक अनुपात के बराबर हैं। बोर्ड छात्रों को अधिक अंक दे रहे हैं क्योंकि बच्चों पर अभिभावकों का अत्याधिक दबाव है। वह बच्चों को हर प्रतियोगिता में श्रेष्ठ अंक बनाने वाली मशीन के रूप में देखना चाहते हैं। लोगों की सोच बदल रही है। शायद इसीलिए आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे हैं(एस के गुप्ता,दैनिक जागरण,दिल्ली,18.6.11)।

डीयूःसाइंस में 5, कॉमर्स में 1% की कमी के संकेत

Posted: 18 Jun 2011 11:20 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में पहली कटऑफ के आधार पर दाखिले होने का एक दिन बाकी है। कई कॉलेजों में पहली कटऑफ के आधार पर सीटें फुल हो चुकी हैं तो कुछ कॉलेजों में आधे से अधिक सीटें भर चुकी हैं। पर आउट ऑफ कैंपस के कई कॉलेजों में अभी दाखिले के मौके काफी हैं। नॉर्थ कैंपस के कई कॉलेजों में कॉमर्स और साइंस के विषयों की सीटें पूरी भर चुकी है।

रामलाल आनंद कॉलेज के प्राचार्य वी.के.शर्मा कहते हैं कि कई कोर्सो में दाखिले बेहतर हुए हैं। पर साइंस के कुछ कोर्सो में उम्मीद है कि चार से पांच प्रतिशत की गिरावट आएगी। हालांकि पिछले साल की तुलना में ये साइंस कोर्स में रूझान बढ़ा है। दयाल सिंह कॉलेज के प्राचार्य ए.के.बख्शी कहते हैं कि इस बार कटऑफ अधिक होने के बाद भी दाखिले काफी बेहतर हुए हैं। कॉमर्स हो या साइंस सभी में अभी तक बेहतर प्रतिक्रिया मिली है। इतना तय है कि साइंस कोर्स में दूसरी कटऑफ में अंतर ठीक आएगा।


देशबंधु कॉलेज इवनिंग के प्राचार्य एस.पी.अग्रवाल कहते हैं कि साइंस कोर्स में कटऑफ में चार से पांच प्रतिशत का फर्क आएगा। हालांकि कॉमर्स के कोर्स में कटऑफ में बढ़ा फर्क नहीं आएगा। कॉमर्स कोर्सों के कटऑफ में गिरावट एक प्रतिशत की ही आएगी। पीजीडीएवी कॉलेज सांध्य के प्राचार्य रामजी नारायण कहते हैं कि कॉमर्स कोर्स में दाखिले अच्छे हुए हैं। ऐसे में दूसरी कटऑफ में बहुत अधिक गिरावट की उम्मीद करना सही नहीं होगा।

दूसरी कटऑफ में कॉमर्स में दो प्रतिशत की गिरावट ही आएगी। रामलाल आनंद सांध्य कॉलेज के प्राचार्य डा. अशोक कुमार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि कॉमर्स कोर्स में दूसरी कटऑफ में ज्यादा अंतर नहीं पड़ेगा। दूसरी कटऑफ में कॉमर्स में एक से दो प्रतिशत तक ही गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि इस बार कटऑफ अधिक होने के बाद भी अधिक संख्या में छात्रों ने दाखिले लिए हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,18.6.11)।

आईआईएमसी परीक्षाओं के परिणाम घोषित, छात्राएं आगे

Posted: 18 Jun 2011 11:19 AM PDT

रतीय जन संचार संस्थान ने अपने सभी कोर्सो की वार्षिक परीक्षाओं के परिणामों की घोषणा कर दी है। यहां बेहतर प्लेसमेंट के साथ ही वार्षिक परीक्षा परिणामों में भी लड़कियों का बोलबाला रहा है। संस्थान के चार विभागों में से तीन में छात्रओं ने प्रथम स्थान हासिल किया है।

अंग्रेजी पत्रकारिता की वर्तिका माथुर ने 78.20 प्रतिशत और रेडियो टीवी की गीतांजलि तरागी ने 74.90 प्रतिशत अंको के साथ अपनी कक्षाओं में टॉप किया है। विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग की शिवानी तिवारी 70.40 प्रतिशत अंको के साथ प्रथम स्थान पर रहीं। वहीं हिंदी पत्रकारिता के कुलदीप मिश्र ने 74.60 प्रतिशत अंको के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। संस्थान टॉप करने वाले छात्रों को पुरस्कृत करता है।

आसान होगी डगर
भारतीय जनसंचार संस्थान की प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों को इस बार साक्षात्कार में पास होने के ज्यादा अवसर हैं। इसका कारण यह है कि साक्षात्कार के लिए इस बार पहले से कम छात्रों को चुना गया है। पिछले वर्षो में संस्थान की सीटों के अनुसार करीब तीन गुने छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था जबकि इस वर्ष हर सीट के लिए दो छात्र में प्रतियोगिता होगी। ऐसे में लिखित परीक्षा पास करने वाले छात्रों के पास फाइनल सलेक्शन के ज्यादा संभावना होगी।



हिंदी पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आनंद प्रधान ने बताया कि लिखित परीक्षा में सफल छात्रों के साक्षात्कार क्रमश: 27, 28,29 और 30 जून को आयोजित किए जाएंगे(लाईवहिंदुस्तान डॉटकॉम,18.6.11)।

नए इंजीनियरों व स्नातकों पर नौकरी का संकट गहराया

Posted: 18 Jun 2011 10:50 AM PDT

सेंट स्टीफेंस कालेज की शत प्रतिशत कटआफ सूची भले ही मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को नागवार गुजरी हो, मगर यह भी सच है कि इंजीनियरिंग और डिग्री कालेजों का स्तर गिरता जा रहा है । यहां से निकलने वाले लड़कों को 65 फीसद उद्योग जगत फेल कर रहा है या उनके काम से संतुष्ट नहीं है। उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उद्योग जगत की शीर्ष संस्था फिक्की ने सिब्बल को पत्र लिखकर सख्त कानून बनाने की मांग की है। उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर सिब्बल भी चिंतित हैं और वे जल्द ही देश भर के शिक्षा मंत्रियों की एक बैठक बुलाने जा रहे हैं जिसमें विविद्यालय अनुदान आयोग व केंद्रीय विविद्यालयों के विशेषज्ञों को भी बुलाया जा रहा है ताकि एक व्यापक नीति तैयार हो सके। मगर उससे पहले ही सेंट स्टीफेंस की कटआफ सूची ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। फिक्की ने तो उच्च एवं तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए न केवल सरकार को घेर लिया है, बल्कि अंदर की जानकारी का भी खुलासा किया है जिसके तहत कहा गया है कि स्तर एवं गुणवत्ता के आभाव का ही नतीजा है कि लाखों रुपए पढ़ाई में फूंकने के बाद इंजीनियरों व स्नातकों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि इन कालेजों में अच्छे संकायों की कमी है, इसलिए छात्रों को वह ज्ञान नहीं मिल पाता जो उन्हें चाहिए। हां उन्हें डिग्री जरूर मिल जाती है जबकि कुछ समय पहले तक किसी भी स्नातक या इंजीनियर को हाथों हाथ नौकरी में ले लिया जाता था और उसकी बेहतर सेवाओं के चलते कुछ समय बाद ही उस इंजीनियर को तरक्की मिलने लगती थी, मगर आज यह स्थिति नहीं है, क्योंकि इन कालेजों से निकलने वाले स्नातकों से जो उम्मीदें एक नियोजक को होती है उन्हें वे पूरा नहीं कर पाते। फिक्की के पत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा के गिरते स्तर के लिए सरकार भी जिम्मेदार है, क्योंकि जहां एक तरफ नए कालेज नहीं खुल रहे है, वहीं दूसरी तरफ जो पहले से कालेज हैं उनको नई तकनीकों से जोड़ा नहीं जा रहा है। फिक्की ने अपने पत्र की एक कापी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संसदीय समिति के अध्यक्ष आस्कर फर्नाडिज को भी भेजी है और मांग की है कि इस संबंध में संसद में चार विधेयक लंबित हैं उन्हें आगामी सत्र में पारित करवा कर उच्च शिक्षा के लिए व्यापक कार्यक्रम बनाया जाए। भारतीय श्रम रिपोर्ट 2007 का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस रिपोर्ट में व्यापक अध्ययन एवं सव्रे के बाद दावा किया गया था कि 57 प्रतिशत उच्च शिक्षा प्राप्त युवा उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने श्रम रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया अन्यथा उच्च शिक्षा से जुड़े चार-चार विधेयक संसद में पारित होने के लिए लंबित न पड़े होते। शिक्षा से जुड़े तो कई विधेयक हैं, मगर उच्च शिक्षा में सुधार लाने के लिए राष्टीय उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक, राष्ट्रीय उच्च शिक्षण संस्थान अधिमान्यता नियंतण्रप्राधिकरण विधेयक, विदेशी शिक्षा संस्थान विधेयक एवं मेडिकल, तकनीकी व विविद्यालय कदाचार विधेयक प्रमुख रूप से लंबित हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.6.1)।

डीयूःविद्यार्थियों को अब ईसीए की आस

Posted: 18 Jun 2011 10:40 AM PDT

बारहवीं में प्रतिशत है 85- 86 और चाहते हैं दिल्ली विविद्यालय के नामचीन कॉलेजों में दाखिला। विविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस के कॉलेजों में दाखिले का सपना लिए ऐसे विद्यार्थियों की नजर अब ईसीए कोटे से दाखिला लेने की है। विद्यार्थियों का कहना है कि सामान्य तरीके से तो उन्होंने अच्छे अंक होने के बावजूद दाखिला नहीं मिलेगा, इस कारण अब ईसीए के जरिए दाखिला लेंगे। उन्होंने कहा कि वे ईसीए के योग्य हैं और इसका प्रमाणपत्र उनके पास है। जिससे वे ईसीए कोटे से दाखिला लेंगे। हंसराज कॉलेज में इसी उम्मीद में शीना और याशिका घूमती नजर आई। शीना ने बताया कि उनका 12वीं में 86 प्रतिशत अंक है। शीना ने कहा कि वे बीकॉम में दाखिला चाहती हैं, लेकिन यहां बीकॉम में 95.75 फीसद कट ऑफ गई है। ऐसे में सामान्य वर्ग से दाखिला मिलना मुश्किल है। शीना ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने संगीत आदि के प्रमाणपत्र हासिल किए हैं, जिनका फायदा वे अब उठाएंगी। छात्रा याशिका ने बताया कि उनका 12वीं में 84.25 प्रतिशत अंक है, इस अंक के आधार पर आउट कैम्पस के कॉलेजों में तो दाखिला मिल सकता है, लेकिन वे नॉर्थ कैम्पस के कॉलेज में दाखिला चाह रही हैं और सामान्य वर्ग की कट ऑफ पर बीकॉम में दाखिला संभव नहीं है। इस कारण वे ईसीए के जरिए अब आवेदन करेंगी। छात्रा अंशु ने बताया कि उनका 88 प्रतिशत अंक है, लेकिन गणित न होने से उन्हें कॉमर्स में दाखिला नहीं मिल सका, इस कारण उन्होंने बीए प्रोग्राम में दाखिला लिया है। इसी प्रकार छात्रा सोनाक्षी ने बताया कि 91.25 फीसद अंक पर उन्हें रामजस कॉलेज में स्टेटिक्स ऑनर्स में दाखिला मिला है। छात्रा महिमा चौधरी ने बताया कि उनके 91 पर्सेट हैं और उन्होंने केट की परीक्षा दी, लेकिन उनका अंक 67 फीसद आया था और कट ऑफ 88 फीसद था, इस कारण हिन्दू कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाया लेकिन हंसराज में केट के बजाए कट ऑफ पर दाखिला हो रहा है(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.6.11)।

महाराष्ट्रः 10वीं बोर्ड के टॉप टेन में बेटियां

Posted: 18 Jun 2011 10:30 AM PDT

नागपुर संभाग के होनहारों ने कक्षा 10वीं की परीक्षा में दमदार प्रदर्शन के बदौलत विदर्भ का नाम रोशन कर दिया। शुक्रवार को महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से घोषित कक्षा 10वीं के नतीजे का ऐलान किया गया।

इस वर्ष लड़कियों ने मामूली अंतर से फिर बाजी मारी। गत वर्षो के मुकाबले इस वर्ष छात्रों ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए बेहतर प्रतिशत अंक हासिल किये हैं। विदर्भ में नागपुर के गजानन विद्यालय की छात्रा अस्मिता गेडेकर व अमरावती की तेजस्विनी वानखेड़े संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रही।

दोनों ही छात्राओं को कक्षा 10वीं की परीक्षा में 98.36 फीसदी अंक हासिल किये हैं। इन्हें 550 में से 541 अंक मिले हैं। विदर्भ में लड़कों में संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर पर शहर के सोमलवार हाई स्कूल के छात्र स्वानंद खानापुरकर तथा संजूबा हाई स्कूल के विद्यार्थी महिन सपकाल रहे। उन्हें 98.18 फीसदी अंक हासिल हुए।

दोनों विद्यार्थियों को 550 में से 540 अंक मिले हैं। इसी शाला के छात्र अभिनव शर्मा लड़कों में द्वितीय स्थान पर रहे। उन्हें 97.82 फीसदी अंक हासिल हुए। सोमवलवार विद्यालय रामदासपेठ की वृषाली धारगे ने 98 प्रतिशत अंक हासिल कर विदर्भ में लड़कियों में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।


जबकि तीसरे स्थान पर विद्यालय की ही छात्रा वैपणी जिले व भंडारा की दिशा मोरे रही। दोनों ही छात्राओं को 97.82 फीसदी अंक हासिल हुए हैं। नतीजे ऑन लाइन जारी होने से यह पता नहीं चल पाया है कि राज्य में प्रथम स्थान पर कौन विद्यार्थी रहा है। 
इसे लेकर दिन भर शहर में अटकलों का दौर जारी रहा। कई ऐसे विद्यार्थी भी हैं जिन्हें 99 फीसदी से लेकर शतप्रतिशत अंक हासिल हुए हैं। किन्तु इन विद्यार्थियों के अंकों में खेल कोटे के अंक जुड़े हैं। 

शिक्षा बोर्ड के नियमों के मुताबिक कोटे के तहत मिले अंकों की गणना मेरिट के लिए नहीं की जा सकती। इसके पूर्व शनिवार दोपहर 1 बजे शिक्षा बोर्ड की ओर से कक्षा 10वीं के नतीजे घोषित किये गए है। 

गत मार्च माह में ली गई परीक्षा में संभाग से कुल एक लाख 76 हजार 550 नियमित विद्यार्थी शामिल हुए थे। इसमें से 73.89 फीसदी अर्थात एक लाख 30 हजार 456 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। परिणाम में पिछले वर्ष के मुकाबले में 9.19 प्रतिशत की गिरावट हुई है। 

जबकि परीक्षा देनेवाले कुल 20 हजार 416 पुर्नपरीक्षार्थियों में से 6 हजार 784 अर्थात 33.23 फीसदी विद्यार्थी सफल हो पाएं हैं। शिक्षा बोर्ड के विभागीय अध्यक्ष सी. आर. बोरकर के मुताबिक संभाग का प्रतिशत परिणाम नियमित विद्यार्थियों की सफलता के अनुसार तय किया जाता है। 

संभाग में इस वर्ष गोंदिया जिले ने बेहतर प्रदर्शन किया। जिले का परिणाम सबसे अधिक 80.05 रहा, तो दूसरी ओर सबसे कम परिणाम चंद्रपुर जिले का 64.50 प्रतिशत है। नागपुर जिला प्रदर्शन के मामले में तीसरे स्थान पर है। जिले का परिणाम 76.47 रहा है। 

पूरे राज्य का परिणाम 71.04 प्रतिशत रहा है। संभाग में नियमित परीक्षा देनेवाली लड़कियों के उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 73.89 प्रतिशत रहा जबकि लड़कों के उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 72.82 है। 

पुणे प्रथम स्थान पर

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा फरवरी-मार्च 2011 में ली गई 10वीं की परीक्षा के नतीजे शुक्रवार को घोषित किये गए। राज्य में 71.04 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। 

इस वर्ष पुणे पैटर्न ने बाजी मारते हुए 80.39 प्रतिशत हासिल कर प्रथम स्थान लिया है। नकलमुक्त अभियान के कारण अमरावती विभाग के 43.32 प्रतिशत नतीजे आए जो कि सबसे कम है। जबकि 56.93 प्रतिशत नतीजे आने के कारण लातूर छठवें स्थान पर है। 

मंडल अध्यक्ष उज्‍जवला पाटील ने शनिवार को कहा कि बेस्ट फाइव के अनुसार ही नतीजे घोषित किये गए हैं। इस वर्ष 10वीं की परीक्षा के लिए राज्य से 16 लाख 32 हजार 748 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थीं।

गणित के नतीजे कम

विषय के अनुसार नतीजे देखे जाएं तो गणित के 8 प्रतिशत व विज्ञान के 5 प्रतिशत नतीजे कम आए हैं। इस वर्ष गणित के 72.28, विज्ञान के 87.39, मराठी के 90.94 आए हैं। हिंदी के 90.70, सामान्य गणित के 81.87 प्रतिशत नतीजे आए हैं। 

अमरावती फिसड्डी

सभी विभागीय मंडलों में सबसे कम 43.32 प्रतिशत छात्र अमरावती संभाग से उत्तीर्ण हुए हैं। अकोला सिर्फ 40.40 प्रतिशत नतीजा दे सका।
(दैनिक भास्कर,नागपुर,18.6.11)

यूपीःएमबीबीएस की साढ़े तीन सौ सीटें बढ़ेंगी

Posted: 18 Jun 2011 10:10 AM PDT

प्रदेश में मेडिकल में प्रवेश लेने वाले छात्रों को इस बार ज्यादा सीटें मिल सकेंगी। नये सत्र में प्रदेश के दो मेडिकल कालेजों के साथ ही अन्य कालेजों में भी सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। जुलाई में होने वाली काउंसलिंग में एमबीबीएस की साढ़े तीन सौ सीटों की बढ़ोतरी की गयी है। कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) से एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले ज्यादा छात्रों को राजकीय मेडिकल कालेज में पढ़ायी का मौका मिल सकेगा। राजधानी स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विविद्यालय समेत प्रदेश के सात मेडिकल कालेजों आगरा, इलाहाबाद, कानपुर, गोरखपुर, झांसी व मेरठ में एमबीबीएस की कुल 750 सीटें हैं। ऐसे में मध्यम आय वर्ग के छात्रों को राजकीय मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की सीट नहीं मिल पाती है। इसके बाद उन्हें होम्योपैथी व आयुव्रेद कालेजों में प्रवेश करना होता है। दूसरी ओर निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ायी पर चालीस से पचास लाख रुपये खर्च आने के कारण आम आदमी के लिए इसको वहन कर पाना संभव नहीं है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) को राजकीय मेडिकल कालेजों में सीटों की संख्या दोगुनी करने का प्रस्ताव भेजा था। एमसीआई ने इसमें संशोधन कर कुछ कालेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। इसमें चिकित्सा विविद्यालय की सीटों को 185 से बढ़ाकर दो सौ कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त आगरा में 128 को बढ़ाकर 150, झांसी व गोरखपुर में 50-50 को बढ़ाकर सौ-सौ करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि झांसी में सीटों की संख्या बढ़ाकर 150 करने की मांग की गयी थी पर इसे नये सत्र में पचास की ही बढ़ोत्तरी दी गयी है। इसके अतिरिक्त कन्नौज व अम्बेडकर नगर मेडिकल कालेज में भी नये सत्र से एमबीबीएस में प्रवेश का निर्णय लिया गय है। इसमें सौ-सौ सीटें निर्धारित की गयीं हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन कालेजोंमें 190 व 170 सीटें हैं उन्हें भी बढ़ाकर दो सौ करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए किसी अतिरिक्त संसाधन बढ़ाने की जरूरत नहीं है। एमसीआई ने इस पर सहमति भी जतायी है। बढ़ी हुई सीटों पर प्रवेश के लिए शासन को एमसीआई को अंडरटेकिंग देनी है(सुनंदा डे,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,18.6.11)।

यूपीपीसीएस (प्री) परीक्षा परिणाम के खिलाफ याचिका पर जवाब तलब

Posted: 18 Jun 2011 10:00 AM PDT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की वर्ष 2010 की पीसीएस (प्रारम्भिक) परीक्षा में तीन विषयों के प्रश्नोत्तर गलत होने के मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को आयोग व राज्य सरकार से 14 जुलाई तक जवाब मांगा है। याचिका में मांग की गयी है कि नये सिरे से परीक्षा परिणाम घोषित किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी व न्यायमूर्ति सभाजीत यादव की खंडपीठ ने संजय मिश्रा व दो अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया है। याचीगण का कहना था कि एक जून को पीसीएस (प्री) का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया है। समाजशास्त्र विषय में तीन प्रश्न, इतिहास में नौ प्रश्न तथा सामान्य ज्ञान के दो प्रश्नों के उत्तर गलत हैं। ऐसे में सही उत्तर देने वाले फेल व गलत उत्तर देने वाले पास घोषित हो सकते है। इससे सही अभ्यर्थी का चयननहीं हो सकेगा। याचिका में मांग की गयी है कि सही उत्तर के हिसाब से मूल्यांकन कर परिणाम घोषित किया जाय। न्यायालय ने फिलहाल याचीगण को किसी प्रकार अनुतोष नहीं दिया है(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,18.6.11)।

बिहारःएलएन मिश्रा संस्थान में चार नये कोर्स को मंजूरी

Posted: 18 Jun 2011 09:50 AM PDT

ललित नारायण मिश्र आर्थिक विकास एवं सामाजिक परिवर्तन संस्थान में अगले सत्र से चार नये पाठय़क्रमों को शुरू किया जायेगा। इसमें तीन वर्षीय एमबीए (एक्जीक्यूटिव), दो वर्षीय एमबीए (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार), दो वर्षीय एमबीए (फिनान्सियल मैनेजमेंट) व दो वर्षीय एमबीए (विपणन) की पढ़ाई प्रारंभ की जायेगी। अन्य सरकारी व निजी संस्थानों तथा कॉलेजों में भी वोकेशनल कोर्स के लिए नामांकन फॉर्म के लिए छात्रों की भीड़ उमड़ रही है। पटना विविद्यालय में एमए के लिए शनिवार से फॉर्म मिलेंगे व पटना कॉलेज में बीसीए की प्रवेश परीक्षा 22 जून को व बीबीए व बीएमसी की प्रवेश परीक्षा 23 जून को होगी। एल एन मिश्रा संस्थान के कुलसचिव शंकर झा ने बताया कि राज्य सरकार से नये कोर्स की अनुमति मिल गई है। वर्त्तमान में इस संस्थान में तीन स्नातकोत्तर डिग्री पाठय़क्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है, जिनमें दो वर्षीय एमबीए, दो वर्षीय एमएचआरएम व तीन वर्षीय एमसीए पाठय़क्रम चलाये जा रहे हैं। ये तीनों पाठय़क्रम राज्य सरकार, मगध विविद्यालय व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से अनुमोदित एवं मान्यता प्राप्त है। संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने इसके लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया है। संस्थान के निदेशक डॉ. कामेर मिश्र ने बताया कि अगले सत्र से इन पाठय़क्रमों की पढ़ाई आरंभ की जायेगी। इसके अतिरिक्त फॉर्म लेने के लिए छात्रों की भीड़ भी उमड़ने लगी है। जून के अंतिम सप्ताह में कॉलेजों में कट ऑफ लिस्ट जारी की जाएगी। एक जुलाई से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पटना विविद्यालय में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 22 जून निर्धारित है। जबकि मगध विविद्यालय के कॉलेजों में 30 जून तक फॉर्म भरे जाएंगे। एक जुलाई से दोनों ही विविद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इसके लिए कट ऑफ मार्क्‍स जल्द ही जारी कर दिये जाएंगे। पटना कॉलेज में बीए में तीन सौ सीटें हैं जबकि वीमेंस कॉलेज में बीए में 280 सीटें हैं। मगध महिला कॉलेज में बीए में तीन सौ सीट व बीएन कॉलेज में चार सौ सीटें हैं। बीएससी में साइंस कॉलेज में तीन सौ सीट व वीमेंस कॉलेज में 64 सीट, मगध महिला कॉलेज में तीन सौ सीट व बीएन कॉलेज में 175 सीटें उपलब्ध हैं। ये सारे कॉलेज राजधानी में छात्रों की पहली पसंद हैं। पटना व मगध विवि में नामांकन नहीं होने से छात्रों को निराश होने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि इसके बाद नालंदा ओपन विविद्यालय व इग्नू समेत राजधानी में मौजूद कई निजी संस्थानों में भी नामांकन के लिए राह खुली हैं। निजी संस्थानों में भी स्नातक व स्नातकोत्तर के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई(राष्ट्रीय सहारा,पटना,18.6.11)।

पटनाःकॅरियर मेला कल से,एडमिशन की ऑन स्पॉट व्यवस्था

Posted: 18 Jun 2011 09:40 AM PDT

विन एक्पलोसिव एंड मीडिया की ओर से 19 व 20 जून को स्थानीय तारामंडल सभागार में दो दिवसीय कॅरियर मेला का शुभारंभ किया जायेगा। मेला पूरी तरह नि:शुल्क है और इसमें देश के जानेमाने संस्थानों द्वारा स्टॉल लगाये जाएंगे जो छात्रों को कॅरियर संबंधी जानकारी देंगे। संस्था के विकास त्रिवेदी व एरा बिजनेस स्कूल के निदेशक डॉ. संजीव मारवाह ने ये बातें संवाददाता सम्मेलन में बताई। उन्होंने कहा कि मेले में प्लस टू से लेकर स्नातक उत्तीर्ण छात्र भाग ले सकते हैं। छात्रों के ऑन स्पॉट एडमिशन की भी व्यवस्था रहेगी। साथ ही छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा व संस्थानों के विषय में जानकारी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले सात-आठ जून को आसनसोल, 11 से 13 जून के बीच अगरतल्ला में वे सफल फेयर कर चुके हैं और अब पटना में भी यह जरूर सफल होगा। पटना के बाद रांची में भी यह फेयर आयोजित किया जायेगा(राष्ट्रीय सहारा,पटना,18.6.1)।

बिहार में शिक्षक पात्रता परीक्षाःहर जिले में फार्म पहुंचने पर परीक्षा तिथि की घोषणा

Posted: 18 Jun 2011 09:39 AM PDT

राज्य के सभी जिलों में शिक्षक पात्रता परीक्षा के फार्म पहुंचने के बाद ही परीक्षा की तिथि घोषित की जायेगी। राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने आज यहां जनता दरबार के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस बार विभाग किसी प्रकार की चूक नहीं करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हर जिले में अधिक से अधिक काउन्टर खोले जाने का भी निर्देश दिया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को कोई परेशानी न हो। विभाग ने इस बार अनुमंडल स्तर भी काउन्टर खोलने को सभी जिले के पदाधिकारियों को कहा है। एक अन्य सवाल के जवाब में प्रधान सचिव ने कहा कि मगध विविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन की राशि भेज दी है। वहां कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण शिक्षक- कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। कुलपति नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है, इस कारण सरकार चाह कर भी इसका निदान नहीं निकाल पा रही है। सीबीएसई प्रकरण को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री और वे खुद सीबीएसई के चेयरमैन से कॉपी की फिर से जांच कराये जाने का अनुरोध कर चुके हैं। राज्य भर के डीईओ और आरडीडीई के स्थानान्तरण-पदस्थापन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वरीयता का इसमें खयाल रखा गया है। बिहार गीत को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में विभागीय सचिव ने कहा कि तीन गीतों का चयन हो चुका है और अंतिम निर्णय होना अभी बाकी है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,18.6.11)।

गुरु नानकदेव यूनिवर्सिटीःभाषा में छात्र हुए कम,आईटी कोर्स बने पहली पसंद

Posted: 18 Jun 2011 09:20 AM PDT

समय के साथ न बदलने वाले कभी जमाने के साथ नहीं चल पाते। और अगर जमाने की गति पकड़ ली जाए तो सफलता आपके कदम चूम सकती है। मन में कुछ ऐसी ही उमंगें लिए शहर की लड़कियां अपडेट टेक्नोलॉजी कोर्सेज को ज्यादा महत्व दे रही हैं। जीएनडीयू के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले केवल पांच साल में ही इन कोर्सेज में लड़कों की बनिस्बत लड़कियों की संख्या बढ़ी है। इसे लेकर भास्कर ने विभिन्न कालेजों में जाकर लड़कियों से बातचीत की तो स्थिति अपने आप साफ हो गई। इस दौरान लगभग 50 लड़कियों से बात की गई, जिसमें से ज्यादातर आईटी व कंप्यूटर कोर्सेज में दाखिले को प्राथमिकता दी।

भाषा कोर्सों में स्टूडेंट कम
भास्कर के सर्वे के अनुसार 26 फीसदी लड़कियां कंप्यूटर, 18 फीसदी मीडिया, 5 फीसदी कामर्स और 3 फीसदी अन्य क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छुक दिखीं। खास बात यह है कि एमए इंग्लिश, पंजाबी, हिंदी, इकनॉमिक्स आदि में रुझान कम हुआ है। इसके अलावा 26 फीसदी लड़कियां जॉब के लिए मेट्रो शहरों में जाने को तैयार हैं, जबकि 19 फीसदी शहर, 4 फीसदी दोनों जगह और 1 फीसदी विदेश में जाकर जॉब करना चाहती हैं।


बदलाव की दरकार 
शहर की ज्यादातर लड़कियां थ्योरी की बजाय प्रेक्टिकल शिक्षा को प्राथमिकता देती हैं। सिमरन, करणप्रीत, अनहद, अमनप्रीत और ऋतु का कहना है कि शिक्षा में बदलाव की आवश्यकता है। केवल थ्योरी नहीं ज्यादा से ज्यादा वर्कशॉप पर बल दिया जाना चाहिए। 

पेरेंट्स का नजरिया बदला
हालांकि शहर की 40 फीसदी लड़कियों का मानना है कि आज के समय में पेरेंट्स का नजरिया काफी बदल चुका है। वह चाहते है कि उनकी बेटियां पढ़ लिखकर समाज में आगे बढ़े। जबकि दूसरी ओर 10 फीसदी लड़कियों के अनुसार आज भी पेरेंट्स का नजरिया रुढ़ीवाद में रहने वाले लोगों जैसा है(अवनप्रीत कौर,दैनिक भास्कर,अमृतसर,18.6.11)।

12वीं में फेल बिहार और झारखंड के छात्रों की उम्मीदें जगीं

Posted: 18 Jun 2011 10:25 AM PDT

बिहार तथा झारखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में छात्र 12वीं कक्षा में गणित और भौतिकी के पत्रों के पुनमरूल्यांकन की मांग के मद्देनजर सीबीएसई के अध्यक्ष विनित जोशी का कहना है कि पटना में 12वीं कक्षा का परिणाम पिछले वर्ष के जैसा ही है। कई मायने में पिछले वर्ष से बेहतर है। इंजीनियरिंग परीक्षा में उत्तीर्ण होने और 12वीं कक्षा में फेल होने के बारे में उन्होंने कहा कि मेरे समक्ष कुछ खबरें लाई गई हैं।'' उन्होंने कहा कि बोर्ड में पुनमरूल्यांकन का प्रावधान नहीं है लेकिन इंजीनियरिंग परीक्षा में पास होने और 12वीं कक्षा में फेल होने का कोई विशिष्ट मामला आता है तो इस पर गौर किया जा सकता है। बिहार व झारखंड में बड़ी संख्या में छात्रों को सीबीएसई की 12 वीं परीक्षा में गणित और भौतिकी में फेल कर दिए गए हैं या कम अंक मिले हैं। दूसरी ओर इनमें कई ऐसे छात्र हैं जो एआईईईई, बिट्स पिलानी और इंजीनियरिंग की अन्य प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। 12वीं कक्षा में गणित और भौतिकी में या तो फेल हुए है या खराब अंक के कारण उनका इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला नहीं हो रहा है। पटना में बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक सीबीएसई के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। आइसा जैसे छात्र संगठन पुनर्मूल्यांकन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि इसका कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। बहरहाल, इस मामले में बिहार में राजनीति गरमा गई है। रालोद नेता रामकृपाल यादव का कहना है कि, नीतीश चीन में हैं तो क्या हुआ। वह इस मामले में हस्तक्षेप तो कर सकते हैं।'' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा, '' यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रतियोगिता परीक्षा में अपनी मेहनत की बदौलत उत्तीर्ण होने के बादजूद छात्रों को गणित और भौतिकी में खराब अंक मिले हैं। पुनमरूल्यांकन की वाजिब मांग का माना जाना चाहिए।'' जद यू नेता शिवानंद तिवारी ने भी सीबीएसई को छात्रों की पुनमरूल्यांकन की वाजिब मांग को मानने का पक्ष लिया(राष्ट्रीय सहारा,पटना,18.6.11)।

दैनिक जागरण,दिल्ली संस्करण की रिपोर्टः
दो साल पहले इलाहाबाद जोन से अलग कर बनाए गए पटना सीबीएसई जोन में बिहार और झारखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में छात्र 12वीं कक्षा में गणित और भौतिकी के प्रश्नपत्रों में या तो फेल हो गए हैं या फिर अपेक्षा के अनुरूप कम नंबर आए हैं। लिहाजा पिछले सप्ताह से छात्र आंदोलन कर कॉपी के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जो छात्र गणित, फिजिक्स और केमेस्ट्री जैसे विषय में फेल हैं या कम अंक आए हैं, उनका चयन देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग परीक्षाओं आइआइटी, एआईईईई, बिट्स पिलानी और इंजीनियरिंग की अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में हो गया है। इस कारण उनका इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला लेना मुश्किल हो गया है। सीबीएसई का इस मामले में कहना है कि बोर्ड के नियमों में पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान नहीं है। सिर्फ नंबरों की गणना होती है। पटना में बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक सीबीएसई के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। आइसा जैसे छात्र संगठन पुनर्मूल्यांकन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि इसका कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि पटना में 12वीं कक्षा का परिणाम पिछले वर्ष जैसा ही है और कई मायने में पिछले वर्ष से बेहतर है। इंजीनियरिंग परीक्षा में उत्तीर्ण होने और 12वीं कक्षा में फेल होने के बारे में कुछ खबरें आई हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड में पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान नहीं है, लेकिन इंजीनियरिंग परीक्षा में पास होने और 12वीं कक्षा में फेल होने का कोई विशिष्ट मामला आता है, तो उस पर गौर किया जा सकता है।

उत्तराखंडःचंदोला मेडिकल कालेज में प्रवेश पर रोक

Posted: 18 Jun 2011 09:00 AM PDT

मानक पूरे न करने पर चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कालेज पर ताले पड़ने की नौबत आ गई है। केंद्रीय होम्योपैथी चिकित्सा परिषद की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने प्रदेश सरकार को जांच के निर्देश दिए हैं। इसमें मानकों के साथ कालेज में अध्ययनरत छात्रों के विषय में भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही केंद्र ने शैक्षिक सत्र 2011-12 के लिए कालेज में प्रवेश देने पर रोक लगा दी है। सूत्रों के अनुसार शासन की ओर से जांच दल गठित किया जा रहा है। मेडिकल कालेज के लिए फैकल्टी से लेकर अवस्थापना सुविधाओं के लिए मानक तय किए गए हैं। मानकों में कमी के चलते गत वर्ष देहरादून स्थित नारायण स्वामी डेंटल कालेज को बंद किया जा चुका है। इस वर्ष रुद्रपुर स्थित प्रदेश का पहला चंदोला होम्योपैथी मेडिकल कालेज पर केंद्र सरकार ने शिंकजा कस दिया है। गत कुछ सालों से कालेज प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव चल रहा है। छात्रों की ओर से कालेज प्रशासन पर कई बार अनियमितताओं के आरोप लग चुके हैं। शासन स्तर पर कालेज की जांच हो चुकी है। गत वर्ष छात्रों की डिग्री की मान्यता को लेकर विवाद हो चुका है। इस वर्ष छात्रों की ओर से फैकल्टी और अन्य मानक पूरे न किए जाने की शिकायत पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कालेज की जांच के लिए एक दल भेजा गया। केंद्रीय जांच दल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कालेज मानकों के अनुसार मूलभूत सुविधाओं को भी पूरा नहीं कर रहा है। मानकों के अनुसार कालेज में 36 नियमित और सात अस्थाई शिक्षक होने चाहिए, जबकि कालेज में मात्र 12 शिक्षक हैं। इसके अतिरिक्त आपरेशन थियेटर और लेबर रूम भी कार्य नहीं कर रहे हैं। नर्सिग व तकनीकी स्टाफ भी नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि मानकों के अनुसार होम्योपैथी कालेज में कम से कम 50 लोगों का स्टाफ होगा। यहां एक फार्मासिस्ट, एक डेंटल तकनीशियन, एक क्लर्क और एक डाटा एंट्री आपरेटर कार्य कर रहा है। इस आधार पर कालेज नान तकनीकी स्टाफ की आवश्यकता को भी पूरा नहीं कर रहा है। इसको देखते हुए केंद्र ने कालेज को वर्ष 2011-12 में बीएचएमएस कोर्स में प्रवेश न लेने के निर्देश दिए है। साथ ही कालेज प्रशासन से जांच दल की रिपोर्ट पर जवाब देने को कहा है। शासन के सूत्रों के अनुसार केंद्र ने प्रदेश सरकार को 75 दिन में कालेज की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही शैक्षिक सत्र वर्ष 2011-12 में कालेज में प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। महानिदेशक आयुष डा. पूजा भारद्वाज ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि चंदोला होम्योपैथी मेडिकल कालेज में प्रवेश पर रोक लगाने का केंद्र का पत्र उन्हें मिल चुका है। चंदोला होम्योपैथी मेडिकल कालेज में 50 सीटें है। इनमें से 25 सीट निजी और 25 सरकारी कोटे की है। कालेज के प्रबंधक दीप पंत ने कहा कि निजी सीटों पर कालेज प्रशासन की ओर से प्रवेश दे दिए गए हैं। इस संबंध में महानिदेशक ने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो निदेशक होम्योपैथी को इसकी जांच कराइ जाएगी और कालेज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से बीएएमएस की सीटों के लिए कराई जा रही यूएपीएमटी प्रवेश परीक्षा में कालेज के लिए काउंसिलिंग नहीं होगी(जितेंद्र नेगी,राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.6.11)।

हरिद्वार व ऋषिकेश संस्कृत नगरी घोषित

Posted: 18 Jun 2011 08:50 AM PDT

शासन ने प्रदेश के दो गांवों भैन्तोली व किमोठा को संस्कृत ग्राम और हरिद्वार व ऋ षिकेश को संस्कृत नगरी घोषित किया है। राज्य में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने के बाद सरकार की ओर से कई घोषणाएं की गई थीं। पूर्व में कैबिनेट ने संस्कृत ग्राम व संस्कृत नगर बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। इस संबंध में शासन ने कार्रवाई करते हुए बागेर के ग्राम भैन्तोली व चमोली के ग्राम किमोठा को संस्कृत ग्राम घोषित कर दिया है। साथ ही हरिद्वार और ऋषिकेश को संस्कृत नगरी घोषित किया गया है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.6.11)।

हिमाचलःमुफ्त यात्रा नहीं प्रोत्साहन राशि देगी सरकार

Posted: 18 Jun 2011 08:45 AM PDT

पांच से आठ किलोमीटर तक दूर स्कूलों के लिए सफर करने वाले छात्रों को अब सरकार मुफ्त यात्रा की बजाए प्रोत्साहन राशि देगी। इससे पूर्व सरकार ने निर्णय लिया था कि ऐसे छात्रों को बसों में मुफ्त यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी, मगर अब इसकी बजाए 200 रुपए से 300 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इस निर्णय पर मंत्रिमंडल शनिवार को मंजूरी दे सकती है।

हिमाचल प्रदेश प्राइवेट शिक्षा संस्थान (रेगुलेटरी कमीशन) का गठन दो माह के भीतर कर दिया जाएगा। इससे प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी सहित उच्च शिक्षण संस्थानों की मनमानी को रोका जा सकेगा। इसके लिए सरकार की तरफ से अध्यक्ष व दो सदस्यों के पद भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा चुके हैं, मगर अंतिम निर्णय लेना बाकी है। इस निर्णय पर भी मंत्रिमंडल बैठक में चर्चा होगी।


उल्लेखनीय है कि रेगुलेटरी कमीशन में अध्यक्ष व सदस्य पदों को भरने के लिए आयु सीमा 65 वर्ष निर्धारित की गई है। इस प्रक्रिया को ठीक उसी तरह अमल में लाया जाएगा, जिस तरह से हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के वीसी पद को हाल ही में भरा गया था। कमीशन के गठन के बाद निजी शिक्षण संस्थान के संतोषजनक ढंग से काम न करने पर उसे बंद करने की सिफारिश की जा सकती है। इसी तरह कमीशन शिक्षण संस्थान के स्टाफ और यहां पर अध्ययनरत छात्रों एवं उनके अभिभावकों की शिकायतों पर भी गौर करेगा। फीस का ढांचा भी कमीशन के निर्देशानुसार ही तय होगा। जमा दो स्तर से ऊपर का पाठ्यक्रम भी कमीशन अनुसार बनेगा। कमीशन के सेक्रेटरी पद की नियुक्ति प्रदेश सरकार की तरफ से की जाएगी। इसी तरह वार्षिक पड़ताल भी की जाएगी। 

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री 
शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान का कहना है कि प्रदेश सरकार अब पांच से दस किलोमीटर तक का सफर करने वाले छात्रों को मुफ्त बस यात्रा की बजाए 200 रुपए से 300 रुपए प्रोत्साहन राशि देगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार रेगुलेटरी कमीशन की तैनाती दो माह के भीतर कर देगी और इन मुद्दों पर मंत्रिमंडल बैठक में चर्चा होगी(दैनिक भास्कर,शिमला,18.6.11)।

डीयूःकैंपस की दूसरी लिस्ट भी पहली जैसी ही रहती है

Posted: 18 Jun 2011 08:30 AM PDT

पहली कट ऑफ लिस्ट से दाखिले के दूसरे दिन ही नार्थ कैंपस के कालेजों में 50 फीसदी सीटें भर चुकी हैं। इस लिस्ट से दाखिले के लिए अभी दो दिन बाकी हैं। कॉमर्स के साथ-साथ इस बार साइंस के कोर्स की कट ऑफ में भी जबरदस्त उछाल आया है। दाखिले के लिए ज्यादा मारामारी नार्थ और साउथ कैंपस के कुछ नामी कालेजों में रहती है। इन जगहों पर पहली हो या दूसरी कट ऑफ में कोई भारी अंतर नहीं रहता है, लेकिन तीन दर्जन आउट ऑफ कैंपस के कालेजों में आखिरी लिस्ट तक दाखिले की पूरी गुंजाइश बनी रहती है। जहां कैंपस के कॉलेजों की पहली और आखिरी कट ऑफ लिस्ट में विषयवार सिर्फ दो से तीन फीसदी का ही अंतर देखने को मिलता है, वहीं आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों की आखिरी लिस्ट में पहली लिस्ट के मुकाबले पांच से दस प्रतिशत का अंतर देखने को मिलता है जिसके कारण अंत तक दाखिले की स



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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