Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Saturday, June 18, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/18
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


100 प्रतिशत कट-ऑफःअव्यावहारिक है मानदंड

Posted: 17 Jun 2011 11:25 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ कालेजों ने प्रवेश प्रक्रिया के पहले दौर में जिस तरह 12वीं की परीक्षा में केवल 99-100 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्रों को ही दाखिले के योग्य माना उससे देश भर के लोगों का चकित होना स्वाभाविक है। इतनी ऊंची कट ऑफ लिस्ट के बाद यदि वे अभिभावक भी बेचैन हो उठे जो भविष्य में अपने बच्चों को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने का सपना देख रहे हैं तो इसके लिए उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता। इस पर आश्चर्य नहीं कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने इतनी ऊंची कट ऑफ लिस्ट पर अफसोस जाहिर किया, लेकिन इस समस्या के लिए केवल दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों को कठघरे में खड़ा कर कर्तव्य की इतिश्री नहीं की जानी चाहिए। इसमें दो राय नहीं कि इतनी ऊंची कट ऑफ लिस्ट छात्रों और अभिभावकों को हताश करने वाली है, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि 12वीं की परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा प्रतिशत अंक पाने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह सही है कि सौ प्रतिशत अंक पाने वाले दो-चार छात्र ही होंगे, लेकिन नब्बे प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्रों की गिनती करना मुश्किल है। एक तथ्य यह है कि जहां 90 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्रों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है वहीं कालेजों की सीटें सीमित बनी हुई हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों में 54000 सीटें हैं, जबकि प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या सवा लाख से अधिक होने का अनुमान है। इस स्थिति में कालेजों के लिए अपनी कट-ऑफ लिस्ट ऊंची रखना मजबूरी है। कालेज चाहकर भी सभी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकते। इसमें संदेह नहीं कि प्रवेश के लिए 100 अथवा 99 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता अव्यावहारिक भी है और अनुचित भी, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय की इस अव्यावहारिकता से एक लाभ यह हुआ कि उच्च शिक्षा की एक गंभीर समस्या सतह पर आ गई। इस समस्या का समाधान आश्चर्य अथवा अफसोस प्रकट कर नहीं किया जा सकता। यह सही समय है कि इस समस्या के मूल कारणों की पहचान कर उनका निवारण किया जाए। आज जैसी समस्या दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्रों के समक्ष है वैसी ही देश के अन्य हिस्सों के छात्रों के सामने भी है और इसका मूल कारण यह है कि गुणवत्ता प्रधान उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान गिने-चुने हैं। देश में कुछ राज्य तो ऐसे हैं जहां दिल्ली विश्वविद्यालय के स्तर का एक भी विश्वविद्यालय नहीं। परिणाम यह है कि एक बड़ी संख्या में छात्र बेहतर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आने के लिए विवश होते हैं। हो सकता है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की चाह रखने वाले छात्रों को दिलासा देने में समर्थ हो जाएं, लेकिन उन्हें यह स्मरण रखना चाहिए कि दिल्ली ही देश नहीं है। इसमें संदेह है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय अथवा राज्य सरकारें छात्रों को गुणवत्ता प्रधान उच्च शिक्षा दिलाने के प्रति गंभीर हैं। निश्चित रूप से यह उनकी गंभीरता का सूचक नहीं माना जा सकता कि निजी क्षेत्र उच्च शिक्षा संस्थानों का निर्माण करने में लगा हुआ है। उच्च शिक्षा में निजी क्षेत्र का सहयोग लिया ही जाना चाहिए, लेकिन यदि केंद्र अथवा राज्य सरकारें यह सोच रही हैं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के सहयोग मात्र से समस्या का समाधान हो जाएगा तो यह सही नहीं(संपादकीय,दैनिक जागरण,दिल्ली,17.6.11)।


नई दुनिया(16.6.11) का संपादकीय भी देखिएः
भिन्न कॉलेजों के कट-ऑफ मार्क्स देखकर इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए इच्छुक विद्यार्थियों के जहां होश गुम हैं, वहीं उनके माता-पिता और अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। यों तो दाखिले के इच्छुक विद्यार्थी प्रति वर्ष प्रतिस्पर्धा के बढ़ते जाने से दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के भी कट-ऑफ मार्क्स उच्च होते जाने के अभ्यस्त हैं लेकिन इस साल तो कट-ऑफ मार्क्स इतने उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं कि अधिकांश विद्यार्थियों को दाखिला मिलना असंभव ही लगता है। दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट-ऑफ सूची विद्यार्थियों के लिए किसी भयानक दुःस्वप्न जैसी लगती है। इससे विद्यार्थियों में निराशा है क्योंकि उन्हें अपना सपना बिखरता नजर आ रहा है। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी आर्ट्स और कॉमर्स के लिए कट-ऑफ मार्क्स १०० प्रतिशत है। इसी तरह इन्हीं विषयों के लिए हिंदू कॉलेज का कट-ऑफ मार्क्स ९९ प्रतिशत और लेडी श्रीराम कॉलेज का ९७ प्रतिशत है। पिछले साल की तुलना में इस साल के कट-ऑफ मार्क्स में ५-१० प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन कट-ऑफ सूचियों को देखकर लोग अचंभित हैं और उन्हें इस पर सहसा विश्वास भी नहीं हो रहा है, यहां तक कि फेसबुक और ट्वीटर पर भी इस बारे में चिंता जताई जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने ट्वीटर पर लिखा है-"इस तरह के कट-ऑफ मार्क्स से तो मैं पत्राचार पाठ्यक्रम कर रहा होता क्योंकि तब मैं पासकोर्स में भी दाखिला नहीं पा सकता था।" केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को भी यह नागवार गुजरा है और यही कारण है कि उन्होंने इस कट-ऑफ मार्क्स को अतार्किक बताया है और वाइस चांसलर से इस मामले में अपील करने के लिए कहा है। कहना न होगा कि कपिल सिब्बल की चिंता मूल रूप से आम विद्यार्थियों एवं उनके माता-पिता की चिंताओं के ही सापेक्ष है। इसमें कोई शक नहीं कि दूसरी, तीसरी और चौथी सूची में कट-ऑफ मार्क्स नीचे आएगा लेकिन इसने आम विद्यार्थियों के मन में तो दहशत भर ही दी है। यह कितनी हैरत की बात है कि एक तरफ सरकार विद्यार्थियों के दिमाग से परीक्षा का बोझ दूर करने के लिए दसवीं की बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बना दिया है और दूसरी तरफ उसी की अधीनता में चल रहे कॉलेज कट-ऑफ मार्क्स बढ़ाते जा रहे हैं। बेहतर होगा कि इस विसंगति को दूर किया जाए, वरना सबके लिए शिक्षा का उद्देश्य ही पराजित हो जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को इसके लिए विशेष प्रयत्न करना चाहिए।

डीयूःअंकों के खेल में उलझकर रह गए छात्र

Posted: 17 Jun 2011 11:15 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के दौरान छात्रों में कटऑफ से जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर असमंजस जारी है। एक तरफ जहां आसामन छूती कटऑफ उनके लिए परेशानी है तो दूसरी तरफ कौन से विषय में कौन सा राइडर है इसको लेकर छात्र दुविधा में है।

बड़ी परेशानी ये है कि कई छात्रों को इस बात का इल्म नहीं है कि कटऑफ में साइंस के छात्रों के लिए कितनी छूट है और कितनी बढ़ोतरी है। जिसकी वजह से छात्रों पशोपेश में है। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की तर्ज पर दिल्ली विश्वविद्यालय के ही कॉलेज किरोड़ीमल में कटऑफ का आंकड़ा सौ प्रतिशत से भी अधिक है।

कॉमर्स में केएमसी की कटऑफ 97 प्रतिशत है पर जिन छात्रों के पास अंग्रेजी के साथ बिजनेस स्टडीज, अंग्रेजी, इकोनामिक्स, मैथ में से तीन विषय नहीं है उनके लिए चार प्रतिशत अतिरिक्त कटऑफ है यानी यह 101 हो जाएगी।


ऐसे में साइंस के छात्रों के लिए यहां मौके नहीं है। दूसरी तरफ डीयू के एक कॉलेज में छात्रों में अंग्रेजी को लेकर असमंजस की स्थिति है। कॉलेज फंक्शनल इंग्लिश के आधार पर दाखिला दे रहा है। ऐसे में कई छात्रों के लिए यहां दाखिले में मुश्किलें आ रही है।
(प्रियंका सरीन,लाईव हिंदुस्तान डॉटकॉम,17.6.11)

डीयूःकोर्स नहीं कॉलेज रख रहा छात्रों के लिए मायने

Posted: 17 Jun 2011 11:05 AM PDT

क्या कभी ऐसा सुना है कि बीकॉम की शिक्षा लेने वाला छात्र नामी कॉलेज के चक्कर में बीए पास कोर्स में दाखिला ले ले! दिल्ली विश्वविद्यालय में इन दिनों दाखिला लेने वाले बहुत से छात्र इस पैंतरे को अपनाते नजर आ रहे हैं। छात्रों के इस तरीके से कॉलेज प्रशासन भी हैरत में है। दाखिला लेने वाले कई छात्र कोर्स की परवाह किए बगैर नामी-गिरामी कॉलेज में सीट रिजर्व करा लेना चाहते हैं। इसी का नतीजा है कि पहली कटऑफ के दूसरे ही दिन कई कॉलेजों में दाखिले के दरवाजे बंद होते दिख रहे हैं।


किरोड़ीमल कॉलेज के बीए प्रोग्राम में दाखिला लेने वाली ज्योतिका का कहना है कि उन्होंने यह फैसला मजबूरी में लिया है क्योंकि एसआरसीसी में बीकॉम में दाखिला नहीं मिला। ऐसे में केएमसी में दाखिला लेने के लिए दूसरे विषय का चयन कर लिया। डीयू में दाखिला ले चुके अमरेंद्र ने बताया कि उन्हें हंसराज कॉलेज के बीए ऑनर्स इकोनॉमिक्स में दाखिला लेना था। कटऑफ कम होने के कारण हिंदू कॉलेज के हिंदी ऑनर्स में दाखिला लिया।

करनाल के रहने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. ए.के सिंह ने अपने बेटे आदित्य सिंह का दाखिला किरोड़ीमल कॉलेज के बीए प्रोग्राम में कराया है। जबकि उसका पसंदीदा कोर्स बीकॉम है। उन्होंने कहा कि हिंदू कॉलेज के बीकॉम में दाखिला मिलता तो बीए नहीं चुनते(जयप्रकाश मिश्र,लाईव हिंदुस्तान डॉटकॉम,17.6.11)।

डीयूःसीटें पूरी, दूसरी कटऑफ से आस कम

Posted: 17 Jun 2011 10:53 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली कटऑफ ने भले ही सौ का आंकड़ा छू लिया हो पर इस कटऑफ में ही कई कॉलेजों में हाउसफुल का बोर्ड लग गया हो। इनमें नार्थ कैंपस के नामी-गिरामी कॉलेज भी हैं। पहली कटऑफ के आधार पर दाखिले के दो दिन बाकी है ऐसे में इन कॉलेजों में सीटों की संख्या, निर्धारित संख्या के मुकाबले काफी अधिक हो जाएगी। इस स्थिति में इन कॉलेजों में दूसरी कटऑफ आने के आसार कम है।

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में बीकॉम ऑनर्स की सीटों पर दाखिले का आंकड़ा सामान्य वर्ग में 378 पहुंच गया तो इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ये आंकड़ा 67 पहुंच गया है। बीकॉम ऑनर्स और इकोऑनर्स में सीटों की संख्या क्रमश : 252 और 62 है।

कॉलेज के प्राचार्य पी.सी.जैन कहते हैं कि दो दिन में ही कॉलेज में निर्धारित सीटों से अधिक सीटें भर गई है। अभी दाखिले के दो दिन शेष है ऐसे में उम्मीद है कि ये बीकॉम ऑनर्स में आंकड़ा 450 को छू सकता है। ऐसी स्थिति में दूसरी कटऑफ आएगी पूछने पर जैन ने कहा कि चूंकि अभी दाखिले के दो दिन शेष है ऐसे में ये कहना कि दूसरी कटऑफ आएगी मुश्किल है, जल्दबाजी होगा। पर दूसरी कटऑफ आना मुश्किल लग रहा है।
हिंदू कॉलेज में भी बीकॉम ऑनर्स की सीटें 115 पहुंच चुकी है जबकि इकोनॉमिक्स ऑनर्स में 48 दाखिले हो चुके हैं। बीकॉम ऑनर्स में सीटों की संख्या 65 है जबकि इकोनॉमिक्स ऑनर्स में सीटें 55 है। हिंदू कॉलेज के प्राचार्य विनय श्रीवास्तव ने कहा कि पहली कटऑफ में ही जितनी सीटें है उससे अधिक दाखिले हो चुके हैं। साथ ही अभी दो दिन दाखिले और करने हैं। ऐसे में इन कोर्सो में दूसरी कटऑफ का आना मुश्किल है और संभवत : इनमें दूसरी कटऑफ नहीं आएगी।

मिरांडा हाऊस
दाखिले के दूसरे ही दिन डीयू के कई कॉलेजों में सीटों से ज्यादा दाखिले लिए जा चुके हैं। नार्थ कैंपस के मिरांडा हाऊस में कई कोर्सो में दाखिले निर्धारित सीटों से ज्यादा हुए हैं। कॉलेज की प्राचार्या डा. प्रतिभा जॉली ने बताया कि अब तक कई कोर्सों की सीटें भर चुकी हैं। इनमें से कुछ कोर्सो में सीटों से अधिक दाखिले लिए गए हैं जिनमें इकोनॉमिक्स ऑनर्स, पॉलिटिकल सांइस ऑनर्स, मैथ ऑनर्स शामिल हैं। इसके अलावा कुछ कोर्सों की आधी और कुछ की आधी से ज्यादा सीटें भर चुकी हैं।


दौलतराम कॉलेज
दूसरे दिन तक कॉलेज में कुल 1100 सीटों में से 516 सीटें भर चुकी हैं। कॉलेज की प्राचार्या डा. सुषमा टंडन ने बताया कि दूसरे दिन कॉलेज के कई कोर्सो में ज्यादातर सीटें भर चुकी हैं। छात्र सबसे ज्यादा इकोनॉमिक्स आनर्स और कॉमर्स में दाखिले ले रहे हैं। कई कोर्सो जैसे इकोनॉमिक्स ऑनर्स, बीकॉम ऑनर्स, बीकॉम पास में सीटों से ज्यादा दाखिले लिए जा चुके हैं। इन कोर्सो की दूसरी कटऑफ नहीं आएगी। इसके अलावा यह भी उम्मीद है कि जिन कार्सो में आधी या उससे ज्यादा सीटें भर चुकी हैं वह भी दूसरी लिस्ट में भर जाएंगे।

आई पी कॉलेज 
यहां कई कोर्सो में सीटें लगभग आधी भर चुकी हैं। अभी दाखिले के दो दिन और बाकी हैं। हालांकि हमारे बीएससी मैथ ऑनर्स की सभी सीटें (68) भर चुकी हैं। अभी तक के दाखिला प्रक्रिया से हम संतुष्ट हैं। दाखिले शुरू होने से पहले सभी को डर था कि नए बदलाव छात्रों और कॉलेजों के लिए मुश्किल बन सकते हैं। 

कमला नेहरू कॉलेज
कॉलेज की मीडिया प्रवक्ता डा. गीतेश ने बताया कि पहले दिन दाखिला प्रक्रिया धीरे रही पर दूसरे दिन तक वह सामान्य हो गई है। कॉलेज में कई कोर्सो में सीटें आधी से ज्यादा भर चुकी हैं। अगले दो दिनों में स्थिति स्प्ष्ट हो जाएगी। उम्मीद है कि पहली कटऑफ में ही कई कोर्सो में दाखिले पूरे हो सकते हैं। दूसरे दिन कॉलेज में 361 दाखिले हुए। इनमें अब तक इंग्लिश ऑनर्स और सोशोलॉजी ऑनर्स में सबसे ज्यादा दाखिले लिए गए हैं।
(अनुराग मिश्र,लाईव हिंदुस्तान डॉटकॉम,17.6.11)

हरियाणा लोक सेवा आयोगःमौखिक परीक्षा में जुड़ सकेंगे प्रारंभिक के अंक

Posted: 17 Jun 2011 10:45 AM PDT

लोक सेवा आयोग जैसी भर्ती एजेंसियां चाहें तो प्राथमिक परीक्षा के अंकों को मौखिक परीक्षा में जोड़ सकती हैं।

हरियाणा लोक सेवा आयोग के इस फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाओं पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि भर्ती एजेंसी परिस्थितियों के मुताबिक प्राथमिक परीक्षा के अंकों को मौखिक परीक्षा में जोड़ सकती है। जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस गुरदेव सिंह की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि यह संविधान के समानता के अधिकार की अनदेखी नहीं है।

हरियाणा सरकार के इस फैसले के खिलाफ रणबीर सिंह खरब व अन्यों की तरफ से याचिका दायर कर सवाल उठाया गया था कि क्या प्राथमिक परीक्षा के अंकों को मौखिक परीक्षा में जोड़ा जा सकता है(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,17.6.11)।

एएमयू के स्कूलों का विस्तार होगा

Posted: 17 Jun 2011 10:30 AM PDT

अलीगढ़ मुस्लिम विविद्यालय के स्कूलों का शीघ्र ही विस्तार किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास 126 करोड़ का एक प्रस्ताव भेजा गया, जिसे शीघ्र ही मंजूरी मिलने वाली है। यहां एक खास मुलाकात में एएमयू के वाइस चांसलर पीके अब्दुल अजीज ने कहा कि देशभर भर से बहुत उम्मीद लेकर हजारों बच्चे विविद्यालय में स्कूली शिक्षा के दाखिले के लिए आते हैं, लेकिन आवश्यकता अनुसार व्यवस्था नहीं होने से उनमें बहुत को निराश होना पड़ता है। इसी के मद्देनजर उक्त प्रस्ताव भेजा गया। जिसके मंजूर होने के बाद स्कूलों का विस्तार किया जाएगा और आवश्यक व्यवस्था की जाएगी। अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि यह निराधार हैं इसलिए मैं इतना ही कहूंगा 'सांच को आंच नहीं।' श्री अजीज ने कहा कि एक वीसी की हैसियत से मेरी पहली जिम्मेदारी इदारे का वकार कायम रखना और शिक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखना है, जिसके लिए मैं कटिबद्ध हूं। इसी का परिणाम हैकि पिछले चार वर्षो के कार्यकाल में बहुत सी अनियमित व्यवस्थाएं अब सुधर गई हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि एएमयू की प्रवेश परीक्षा के केंद्र देश भर में स्कथापित किये गए हैं। 2011 में तो श्रीनगर और पटना में भी केंद्र बनाए गए। इन केंद्रों पर इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा ली गई है। उन्होंने बताया कि पिछले चालीस सालों से एक बड़ी समस्या नॉन टीचिंग स्टाफ की पेंडिंग चली आ रही थी, जिसका हल निकाला जा चुका है। तकरीबन पांच हजार नॉन टीचिंग कर्मचारी या तो रिटायर हो चुके या एक्सपायर कर गए थे, उनकी पेंशन आदि की रिलीज के मामले पेंडिंग थे, जिनका निपटारा हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि अब इदारे का केंद्रीय विविद्यालयों में रिसर्च पब्लिकेशन के क्षेत्र में तीसरा स्थान है। उन्होंने बताया कि छात्र संघ चुनाव उनके दौर का सबसे कड़वा अनुभव है। दरअसल शिक्षण संस्थानों में राजनीति माहौल को खराब करती है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,17.6.11)।

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में किसान की बेटियों ने किया कमाल

Posted: 17 Jun 2011 10:15 AM PDT

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी ने एमए राजनीति विज्ञान के प्रथम सेमेस्टर व तृतीय सेमेस्टर के नतीजे घोषित किए जिसमें अम्बाला कैंट के आर्य गल्र्स कालेज की पांच छात्राओं ने यूनिवर्सिटी मेरिट में जगह बनाई।

उल्लेखनीय बात यह है कि तीन छात्राएं ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं और किसान की बेटियां हैं। तृतीय सेमेस्टर में डॉली ने यूनिवर्सिटी में दूसरा और रजनी ने दसवां स्थान प्राप्त किया जबकि प्रथम सेमेस्टर में कुमारी नेहा ने यूनिवर्सिटी में सातवां, नेहा चौहान ने 16वां व जसविंद्र ने 17वां स्थान प्राप्त किया है।

कालेज की प्रिंसिपल डा.नीना बेदी, विभागाध्यक्ष डा.स्वर्ण लता शर्मा, डा. अनुपमा आर्य व गुरमीत ने छात्राओं व उनके माता-पिता को बधाई दी।

रोजाना 4 घंटे की पढ़ाई

संभालखा की नेहा चौहान लेक्चरर बनना चाहती है। नेहा रोजाना चार घंटे पढ़ाई करती है। नेहा की उपलब्धि इसलिए भी खास क्योंकि उसके पिता राजपाल सिंह किसान हैं। उसे कालेज आने के लिए रोजाना 16 किलोमीटर का सफर बस में तय करना पड़ता है।

अकसर बस उनके स्टॉपेज पर रुकती ही नहीं थी या रुकती भी तो बस चालक पास होल्डर्स को चढ़ने नहीं देते थे। कई बार उसे ऑटो से आना पड़ता था या पिता उसे कालेज में छोड़कर जाते थे। नेहा कहती है कि मेरे परिवार के सहयोग की वजह से वो अपना सपना पूरा करने की तरफ बढ़ रही है।


12 किलोमीटर का सफर

गांव कलरेहड़ी की जसविंद्र कौर के पिता गुरमीत सिंह भी किसान हैं। मगर जसविंद्र शिक्षिका बनना चाहती है। अपने इस सपने का पूरा करने के लिए जसविंद्र को रोजाना साइकिल पर 12 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। बारिश व गरमी में उसकी दिक्कत और बढ़ जाती है क्योंकि रास्ता भी खराब है। 

जसविंद्र के मां-बाप कम पढ़े लिखे हैं मगर बेटी को पढ़ाने के लिए हर सहयोग कर रहे हैं। पिता का सपना है कि बेटी पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो। कई बार तो पिता खुद मुझे कालेज छोड़ने आते हैं ताकि बेटी की पढ़ाई में बाधा न पड़े। 

बहनों से ली प्रेरणा

बोह गांव की डॉली का अरमान समाज सेविका बनने का है। उसके पिता अशोक कुमार भी किसान हैं। पिता मैट्रिक तक पढ़े हैं मगर अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उन्होंने बेटियों को कह रखा है कि जितना चाहो उतना पढ़ो। 

डॉली की एक बहन आशु एम कॉम कर चुकी है जबकि दूसरी निशा ने एमए की है। अब डॉली भी उन्हीं की राह पर चल रही है। डॉली को भी घर से छह किलोमीटर का सफर तय करने में ऑटो रिक्शा या साइकिल का सहारा लेना पड़ता है। कुछ दिन मेहनत करने से आप सफलता नहीं पा सकते(दैनिक भास्कर,अम्बाला,17.6.11)।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालयःएक क्लिक में एडमिशन, पेपर और डिग्री

Posted: 17 Jun 2011 10:00 AM PDT

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अब दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों की परेशानियां अब दूर होने जा रही हैं। साथ ही छात्रों के लिए भी अब खुशखबरी है। विश्वविद्यालय जुलाई माह से डिस्टेंस एजुकेशन ब्रांच को ऑनलाइन करने जा रहा है।

इसके तहत सभी छात्र ऑनलाइन एडमिशन ले सकेंगे, पढ़ाई कर सकेंगे, परीक्षा दे सकेंगे, अपना रिजल्ट देख सकेंगे और साथ ही अपनी डिग्री भी प्राप्त कर सकेंगे। इस स्कीम के शुरू होते ही एमडीयू प्रदेश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय बन जाएगा जो छात्रों को ऑनलाइन डिस्टेंस एजुकेशन की सुविधा देगा। इस सुविधा को शुरू करने के लिए विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन विभाग ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनेजमेंट (एनआईएएम) के साथ गुरुवार को एमओयू भी साइन कर लिया।

एक साथ कर सकेंगे दो कोर्स


विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन डिस्टेंस डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों को डिस्टेंस के साथ-साथ एक रेगुलर कोर्स करने भी छूट दी है। पहले छात्र एक समय में एक ही कोर्स कर सकते थे। 
एडमिशन, डेटशीट और परीक्षा के लिए होगा ऑप्शन 

इस सिस्टम के तहत अब साल में एक बार नहीं चार बार एडमिशन लेने का ऑप्शन होगा। नए सिस्टम के तहत छात्र जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में दाखिला ले सकेंगे। इसके साथ ही छात्र अपनी सुविधा अनुसार साल में चार बार में से कभी भी परीक्षा दे सकेंगे। इसके लिए छात्रों को जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च का ऑप्शन दिया जाएगा। छात्रों को अपनी सुविधा के हिसाब से ही अपनी डेटशीट चुनने की भी आजादी होगी। 

बीच में छोड़ सकेंगे कोर्स 

छात्र बीच में ही किसी भी साल में कोर्स को छोड़ सकेगा। उसके बाद भी अगर छात्र दोबारा एडमिशन लेना चाहते हैं तो कभी भी दोबारा उसी कोर्स में अगले साल में एडमिशन ले सकेगा। 

चैटिंग, एसएमएस और ई-मेल सुविधा भी मिलेगी 

पढ़ाई के लिए सारा स्टडी मैटीरियल ऑनलाइन ही उपलब्ध होगा। छात्र चाहेंगे तो उनके लिए स्पेशल प्रोफेसर की ऑनलाइन कक्षाएं भी लगाई जाएंगी। छात्रों को प्रैक्टिस के लिए टेस्ट प्रश्न पत्र भी मिलेंगे। साथ ही चैटिंग, एसएमएस और ई-मेल सुविधा भी उपलब्ध होगी। 

दो घंटों में घोषित होगा रिजल्ट 

परीक्षा देने के बाद छात्रों को अब महीनों तक रिजल्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। परीक्षा देते ही मात्र दो घंटे में ऑनलाइन रिजल्ट आ जाएगा। साथ ही एक ही दिन में छात्रों को अपनी मार्कशीट और कुछ दिनों में डिग्री भी ऑनलाइन मिल जाएगी। 

इस सिस्टम के शुरू होने से एजुकेशन प्रक्रिया में काफी हद तक सुधार हो सकेगा। छात्र और विश्वविद्यालय अधिकारी दोनों की परेशानियां कम होंगी। अभी यह निर्णय नहीं हो सका है कि फिलहाल जुलाई माह से यह सुविधा कितने डिस्टेंस कोर्सो के लिए उपलब्ध होगी। इस संबंध में जल्दी ही विश्वविद्यालय द्वारा गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।""

कुलदीप ऑन लाइन सिस्टम प्रोजेक्ट मैनेजर(दैनिक भास्कर,गुड़गांव,17.6.11)

उप्र में छह हजार स्कूलों की स्थापना पर विचार

Posted: 17 Jun 2011 09:45 AM PDT

मानव संसाधन विकास मंत्रालय उत्तर प्रदेश में छह हजार स्कूल खोलने पर विचार कर रहा है। राज्य सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत पांच हजार प्राइमरी और एक हजार जूनियर हाई स्कूलों की स्थापना का प्रस्ताव भेजा था। उल्लेखनीय है पिछले दिनों राज्य के शिक्षा मंत्री डा. राकेश धर त्रिपाठी ने मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिख कर कहा था कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां पर छात्रों की संख्या सर्वाधिक है। इसलिए स्कूलों की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विचार-विमर्श किया है। मगर अभी तक इसके कोई मंजूरी नहीं दी गई है। इस प्रस्ताव को मंजूर करने से पहले मंत्रालय वित्त मंत्रालय से बात करेगा। क्योंकि उत्तर प्रदेश ने केंद्र से धन की मांग की है। उल्लेखनीय है इससे पहले मानव संसाधन मंत्रालय ने राज्य में 12 हजार प्राइमरी स्कूल और तीन हजार जूनियर हाई स्कूल और 1.10 लाख संचालित स्कूलों में 20 हजार कमरों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय का यह भी तर्क है कि राज्य में नए विद्यालय खोलने के बजाए पहले से संचालित स्कूलों की क्षमता बढ़ाने के लिए नए कमरों के निर्माण और शिक्षकों की नियुक्ति से वहां की समस्या का समाधान किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में साक्षरता स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार का विशेष जोर है। इस वहां की साक्षरता दर 69.72 फीसद है जबकि देश की साक्षरता दर 74.04 फीसद है। राज्य में महिलाओं की साक्षरता दर 59.26 फीसद है जबकि पुरुषों की यह दर 65.46 फीसद है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,17.6.11)।

सेंट स्टीफंस : कॉलेज की 1- 1 सीट के लिए 5-5 दावेदार

Posted: 17 Jun 2011 09:30 AM PDT

सेंट स्टीफंस कॉलेज में एक सीट के लिए कम से कम पांच दावेदार सामने हैं। कॉलेज की कुल 420 सीटों के लिए 2 हजार दावेदार सामने आए हैं। कॉलेज ने बृहस्पतिवार शाम साक्षात्कार के लिए चयनित हुए 2 हजार विद्यार्थियों की सूची जारी कर दी। अब इसके बाद किसी तरह की साक्षात्कार सूची जारी नहीं की जाएगी। कॉलेज में दाखिले के लिए इस बार कुल 21 हजार आवेदन आये थे। कॉलेज ने आवेदन के आधार पर बुधवार को जारी कटऑफ में .50 से 5 फीसद का इजाफा किया है। जबकि गिरावट 4 फीसद तक की गई है। कॉलेज का सर्वाधिक कटऑफ अर्थशास्त्र ऑनर्स में 97.50 तक गया है। कॉलेज में दाखिले के लिए साक्षात्कार 20 जून से अर्थशास्त्र ऑनर्स में दाखिले से शुरू किये जाएंगे। कॉलेज में बृहस्पतिवार को दाखिले के लिए साक्षात्कार सूची दोपहर में आनी थी, लेकिन यह देर शाम तक आई। इस कारण आवेदनकर्ता विद्यार्थी दिन में जब कॉलेज पहुंचे तो उन्हें साक्षात्कार सूची नहीं मिली और वे परेशान होकर वापस लौट गये। हालांकि कॉलेज में उन्हें बता दिया गया कि साक्षात्कार की सूची वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। लेकिन विद्यार्थी दिनभर तो क्या देर शाम तक वेबसाइट पर लिस्ट को खोलने का प्रयास करते रहे, लेकिन लिस्ट के पूरी तरह से अपलोड न होने के कारण बार-बार लिंक पर क्लिक करने पर कॉलेज सेलिब्रेशन डे का ब्योरा खुलता रहा है। कॉलेज के एडमिशन कमेटी के प्रवक्ता केएम मैथ्यू ने कहा कि दरअसल लिस्ट पूरी तरह से अपलोड न होने के चलते यह स्थिति हो रही है। उन्होंने बताया कि कॉलेज ने अर्थशास्त्र ऑनर्स, इतिहास ऑनर्स और अंग्रेजी ऑनर्स की एक-एक सीट के लिए चार-चार विद्यार्थियों को, बीए प्रोग्राम की एक सीट के लिए पांच विद्यार्थियों को और संस्कृत, फिलॉस्फी और साइंस कोर्सेज की एक-एक सीट के लिए 6-6 विद्यार्थियों बुलाया जाएगा। दाखिले में सीटों का बंटवारा : कॉलेज के दाखिले में आरक्षण में सबसे ज्यादा कोटा जो 50 फीसद का है, वह क्रिश्चियन समुदाय के लिए रखा गया है। इसमें 20 फीसद कोटा चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया से जुड़े क्रिश्चियनों के लिए है, जबकि बाकी 20 फीसद कोटा जनरल क्रिश्चियन के लिए और 10 फीसद कोटा पहले अनुसूचित जनजाति (एसटी), शहीद सैन्यकर्मियों के बच्चों और दलित क्रिश्चियनों के लिए था। इसमें से दलित क्रिश्चियन के कोटे को हटा दिया गया है। इसी प्रकार, बाकी 50 फीसद कोटे में 40 फीसद कोटा जनरल कैटीगरी के लिए और बाकी 10 फीसद एससी-एसटी और विकलांग वर्ग के लिए रखा गया है। साक्षात्कार में क्या होगा : शैक्षणिक योग्यता को परखा जाएगा। शिक्षा से इतर गतिविधियां मसलन, एक्स्ट्रा को-करिकुलर एक्टिविटीज को देखा जाएगा। साक्षात्कार में सामान्य ज्ञान से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,17.6.11)।

पंजाबी मेधावियों की पसंद सेना नहीं

Posted: 17 Jun 2011 09:15 AM PDT

भारतीय सेना में मेधावी छात्राएं शामिल हों, इसके लिए देश को अभी कुछ और इंतजार करना होगा। भारतीय सेना के तीनों अंगों में शामिल होना अभी भी मेधावी छात्राओं की पसंद नहीं है। छात्राएं सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम करना तो चाहतीं लेकिन सेना में जाने से वो अभी भी कतराती हैं।

दैनिक भास्कर ने दसवीं और 12 वीं कक्षा में जिले में टॉप करने वाली छात्राओं से सेना में शामिल होने के बारे में पूछा तो किसी ने भी हामी नहीं भरी। लड़कियां अभी भी सेना में जाने से डरती हैं और वह डर उनके मन से निकल भी नहीं रहा है। सेना के पूर्व अफसर इसके लिए शिक्षा प्रणाली और मल्टीनेशनल कंपनियों के लोक लुभावने सैलरी पैकेजों को जिम्मेदार मानते हैं। लड़कियों व अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरत है।

राज्य सरकार की तरफ से युवाओं को सेना में आने के लिए प्रेरित करने के लिए नियुक्ति रिटायर्ड ब्रिगेडियर जी जे सिंह का कहना है कि लड़कियों को स्कूली स्तर पर सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित नहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तरनतारन और मानसा जिले से 225 के करीब लड़कियों को सेना के विभिन्न विभागों में भेजा है। उन्होंने मेधावी छात्राओं से अपील की है कि वो करियर के लिए सेना को जरूर चुने ताकि सेना को इंटेलीजेंट अफसर मिलते रहें।

टॉपर्स का कहना है

शिवांगी सूद: बारहवीं कक्षा की ऑटर्स स्ट्रीम में सीबीएसई स्कूलों में शहर में पहले स्थान पर रही। शिवांगी आईपीएस बनकर समाज सेवा करना चाहती है लेकिन सेना में शामिल नहीं होना चाहती।
नीलिता: बारहवीं कक्षा की मेडिकल स्ट्रीम में सीबीएसई स्कूलों में शहर में प्रथम। सेना में जाना नहीं चाहती।
संजना: पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा में जिले की टॉपर। प्रोफेसर बनेगी लेकिन सेना में नहीं जाना चाहती।
मुस्कान: पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा में जिले की टॉपर। सेना में नहीं जाना चाहती।
अमृत कौर: दसवीं कक्षा में जिले में दूसरे स्थान पर। सेना में नहीं जाना चाहती।

थल सेना में संभावनाएं
कम्युनिकेशन, मेडिकल, नर्सिग ऑफिसर, लॉ ब्रांच में, आर्मी सप्लाई कोर

जल सेना में संभावनाएं
टेक्निकल सर्विसेज, एजुकेशनल कोर

वायु सेना में संभावनाएं
पायलट, डोमेस्टिक ब्रांच, टेक्निकल ब्रांच व इंजीनियरिंग ब्रांच में अच्छे अवसर हैं(दैनिक भास्कर,लुधियाना,17.6.11)।

डीयू : जो पा गए मंजिल वो खुश, बाकी लौटे निराश

Posted: 17 Jun 2011 09:00 AM PDT

दिल्ली विविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में बृहस्पतिवार से दाखिला शुरू हो गया, इसी के साथ विद्यार्थियों व उनकेअभिभावकों की दौड़भाग भी शुरू हो गई। पहले दिन जहां कटऑफ प्रतिशत और कोर्स क्राइटेरिया पूरी करने वाले विद्यार्थियों की खुशी का ठिकाना नहीं था, वहीं कोर्स क्राइटेरिया पूरी न करने वाले और कटऑफ में न आने वाले विद्यार्थी निराश होकर लौट गये। दरअसल, कटऑफ में न आने वाले विद्यार्थी कॉलेजों में इस मकसद से पहुंचे थे कि कहीं कटऑफ और कॉलेज की क्राइटेरिया में कोई फर्क तो नहीं। हालांकि दाखिले की औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान कॉलेजों की मनमानी से भी विद्यार्थी तनाव में नजर आए। मसलन, हंसराज कॉलेज में दाखिले के लिए फीस केवल ड्राफ्ट से लिये जाने, हिन्दू कॉलेज द्वारा प्रत्येक कोर्स के लिए निर्धारित फीस से 50 रुपये अधिक लेने व किरोड़ीमल कॉलेज द्वारा प्रोविजनल मार्कशीट को स्वीकार न करने से विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा भीड़ बीएससी ऑनर्स, बीकॉम, बीकॉम ऑनर्स, बीए प्रोग्राम और इकनॉमिक्स ऑनर्स कोर्सेज में दाखिले के लिए दिखी। सभी कॉलेजों में दाखिले के लिए हर कोर्स के अलग-अलग रूम बनाए गए थे। कैम्पस के कॉलेजों में तो दाखिले के पहले दिन खासी भीड़ रही। सुबह से लेकर दोपहर दो बजे तक कैम्पस की सड़कों पर यातायात का दबाव बना रहा। जाम के कारण विद्यार्थियों को कॉलेज पहुंचने में भी दिक्कत हुई। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर कॉलेज और कैम्पस के चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। गल्र्स कॉलेज के बाहर सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मी तैनात दिखीं। नहीं चले प्रोविजनल सर्टिफिकेट : किरोड़ीमल कॉलेज के प्रवेश द्वार पर सुबह जब विद्यार्थी दाखिले के लिए पहुंचे तो अंदर जाने का रास्ता खुदा और उखड़ा हुआ देखकर परेशान हो उठे। कॉलेज प्रशासन द्वारा किसी कारणवश कॉलेज के मुख्य रास्ते को बाधित कर दिया गया था। विद्यार्थियों को साइड में बनी पार्किग से निकलकर दाखिला लेने के लिए जाना पड़ा। छात्रा विनीता, रीमा और अनिता ने कहा कि कॉलेज का रास्ता दाखिले के पहले दिन ही बाधित मिलेगा, इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। कॉलेज में पहले दिन हरियाणा शिक्षा बोर्ड के कई विद्यार्थी दाखिले के लिए प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेकर पहुंच गये। काउंटर पर जैसे ही उन्हें बताया गया कि ओरिजनल सर्टिफिकेट लाना होगा, वे कॉलेज प्राचार्य डॉ भीमसेन के पास पहुंच गए। डॉ भीमसेन ने उन्हें समझाया कि कॉलेज प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर दाखिला नहीं ले सकता है। इसके लिए उन्हें डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर से लिखित में अनुमति लानी होगी। इसके बाद नाराज होकर विद्यार्थी वापस लौट गये। विद्यार्थी राम दांगी, सुदीप, दिनेश, ज्येन्द्र आदि का कहना था कि कॉलेज स्कूल प्राचार्य द्वारा दिए गए प्रोविजनल सर्टिफिकेट को भी नहीं मान रहे हैं। जबकि कुछ कॉलेज अंडरटेकिंग लेकर दाखिला दे रहे हैं। कॉलेज में बीए अर्थशास्त्र, बीए पालिटिकल साइंस आनर्स, हिन्दी ऑनर्स और अंग्रेजी ऑनर्स समेत अन्य ऑनर्स पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वालों की संख्या काफी कम दिखी। जबकि बीए प्रोग्राम और बीकॉम प्रोग्राम में दाखिले की भीड़ ज्यादा थी। कॉलेज के एक शिक्षक ने बताया कि ऑनर्स कोर्स में सीटें कम होने के कारण भीड़ कम रहती है। कैश नहीं केवल डिमांड ड्राफ्ट से लेंगे फीस : हंसराज कॉलेज में फीस केवल डिमांड ड्राफ्ट से लिये जाने की नई शर्त से विद्यार्थी और अभिभावक खासे परेशान हुए। जब विद्यार्थी दाखिला फॉर्म भरकर उसकी जांच कराने और फीस देने के लिए लाइन में लगे तो पता चला कि अब डिमांड ड्राफ्ट बनाना पड़ेगा। फिर क्या था कॉलेज में बने बैंक में डिमांड ड्राफ्ट बनाने के लिए भारी भीड़ लग गई। कई विद्यार्थी डिमांड ड्राफ्ट नहीं बनवा पाये, अब उन्हें शुक्रवार को यह काम करना होगा। तय फीस से 50 रुपये अधिक लिए : हिन्दू कॉलेज में प्रत्येक कोर्स में दाखिले के लिए तय फीस से 50 रुपये अधिक लिये गये। दरअसल. कॉलेज प्रबंध समिति ने प्रॉस्पेक्टस पहले छपवा लिये गये थे। बाद में प्रत्येक कोर्स में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई थी। जब प्रॉस्पेक्टस से अधिक फीस ली गई तो विद्यार्थी चकरा गये। उन्हें बाद में बताया गया कि प्रॉस्पेक्टस फीस बढ़ोतरी से पहले छप गये। सत्यवती में प्रोविजनल सर्टिफिकेट की नो टेंशन : सत्यवती कॉलेज में जिन राज्य शिक्षा बोर्ड के विद्यार्थियों के पास 12वीं का मूल अंक पत्र नहीं था, उनके प्रोविजनल सर्टिफिकेट स्वीकार किये जा रहे हैं। कॉलेज की ओर से विद्यार्थियों को फैक्स से दस्तावेज तक मंगाने की सुविधा दी गई थी। विद्यार्थियों की दाखिला संबंधी सभी तरह की जानकारी के कटआउट कॉलेज परिसर में लगाए गए थे। कॉलेज प्राचार्य डॉ. शम्सुम इस्लाम ने बताया कि विकलांग विद्यार्थियों को कॉलेज गेट से लेकर कॉलेज के रूम तक लाने का व्यवस्था की गई है। दाखिले के लिए ले जाएं ये दस्तावेज दसवीं का प्रमाणपत्र (डेट ऑफ बर्थ वाला) बारहवीं कक्षा की मार्कशीट बारहवीं का प्रोविजनल/ करेक्टर सर्टिफिकेट छह पासपोर्ट साइज कलर फोटोग्राफ स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट ओबीसी (नॉन क्रीमी लेयर का प्रमाणपत्र विद्यार्थी के नाम पर होना चाहिए) एससी-एसटी और विकलांग वर्ग : विविद्यालय की ओर से प्रदान की गई एडमिशन स्लिप अवश्य लाएं। सभी मूल प्रमाणपत्रों और उनकी फोटोकॉपी दोनों लेकर जाएं। डीयू एडमिशन हेल्पलाइन नार्थ कैम्पस- 27662507 व 27662508 साउथ कैम्पस- 24116752 व 24116753 दाखिला संबंधी शिकायत करें ग्रीवांस कमेटी को : सभी तरह की शिकायतों को न सिर्फ कॉलेज स्तर पर बल्कि डीयू स्तर पर भी देखा जाएगा। डीयू इसके लिए सभी कॉलेजों को ग्रीवांस कमेटी बनाने की हिदायत दे चुकी है। डीयू स्तर पर ग्रीवांस कमेटी नॉर्थ व साउथ कैम्पस में काम करेंगी। इसके अलावा हर कॉलेज की ग्रीवांस कमेटी होगी, जहां विद्यार्थी अपनी दाखिला संबंधी शिकायत कर सकते हैं। शिकायत के लिए सबसे पहले विद्यार्थी को कॉलेज की कमेटी में शिकायत करनी होगी। यदि उन्हें यहां न्याय नहीं मिल तो वे डीयू स्तर की कमेटी में शिकायत कर सकते हैं। डीयू कुल सीटें-54000 जनरल वर्ग-27270 ओबीसी-14580 एससी-एसटी-12150
(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,17.6.11)

राजस्थान में आरक्षण विरोधःसरकार हावी, कर्मचारी पस्त

Posted: 17 Jun 2011 10:18 AM PDT

सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू कराने की कोशिश कर रहे कर्मचारियों ने बांहों पर काली पट्टी बांध कर विरोध तो जताया, लेकिन सुबह ही ऑफिस पहुंच गए। मिशन 72 से जुड़े कर्मचारी रैली तो नहीं कर पाए लेकिन दोपहर डेढ़ बजे एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल के नाम उनके सचिव को ज्ञापन सौंपा।
नौकरी के दौरान पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को हटाने और आरक्षण संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मनवाने के लिए राज्य के एससी एसटी को छोड़कर अन्य वर्ग के कर्मचारी व अधिकारी इस प्रकार के आंदोलन में उतर आए हैं। मिशन 72 की ओर से शुक्रवार को उद्योग मैदान में चेतावनी रैली आहूत की गई थी, लेकिन सरकार ने इस रैली को अनुमति नहीं दी। इसके बाद सभी कर्मचारियों व अधिकारियों ने काला दिवस मनाने की घोषणा की थी।
छह माह तक रैली नहीं : बुधवार मध्य रात्रि के बाद जारी आदेश में अगले 90 दिनों के लिए कर्मचारियों के धरने, प्रदर्शन और रैली पर रोक लगा दी गई है। ये आदेश सभी वर्गो के सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी गुट के हों। फील्ड ड्यूटी में रहने वाले कर्मचारियों को भी शुक्रवार को ऑफिस में बैठने के आदेश दिए गए हैं। बिना सक्षम आदेश अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को बिना वेतन अवकाश और सेवा विच्छेद की श्रेणी में माना जाए। वैसे सरकार के इस फैसले ने मिशन-72 से जुडे सरकारी कर्मचारियों को हिला कर रख दिया है।

क्यों जारी किया आदेश: आदेश में तर्क दिया गया है कि रैली-प्रदर्शन से समाज में तनाव फैलेगा और कानून व्यवस्था बिगड़ेगी। आदेश के अनुसार बिना रैली और सभा किए कोई भी कर्मचारी ज्ञापन देने को इन आदेशों से मुक्त रखा गया है।



क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के 5 फरवरी, 2010 के फैसले को यथावत रखा जिसमें री गेनिंग की व्यवस्था को खत्म करने संबंधी राज्य सरकार की दो अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया गया था।> मिशन 72 का कहना है कि पदोन्नति में आरक्षण अब खत्म हो चुका है क्योंकि राज्य सरकार ने 25 अप्रैल, 2008 की अधिसूचना जारी करने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के एम नागराज प्रकरण में दिए फैसले के मुताबिक क्वांटीफाएबल डाटा एकत्रित नहीं किया था।> नागराज प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें चाहें तो पदोन्नति में आरक्षण और वरिष्ठता दे सकती है, लेकिन इससे पहले तीन बिंदुओं (1) पिछड़ापन (2) पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अभाव और (3) प्रशासनिक दक्षता और कार्यकुशलता का क्वांटीफाएबल डाटा एकत्र करे।> सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए के.के. भटनागर समिति का गठन किया है।> मिशन 72 के अनुसार वरियता सूचियां दुबारा बनाई जाए और भटनागर समिति की सिफारिशें भविष्य से लागू की जाए न कि पिछली तारीखों से।
चुनावों में सिखाएंगे सबक : मिशन-72 संघर्ष समिति अध्यक्ष पीपी बिडयासर ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी कर कोर्ट की अवमानना कर रही है। राज्य सरकार के इस रवैये से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ गया है जिसका जवाब कर्मचारी प्रदेश में आगामी चुनावों में देंगे।
भटनागर समिति को चुनौतीः समता आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में भटनागर समिति के गठन को चुनौती देते हुए अवमानना याचिका दायर की हुई है। जिसके अनुसार पदोन्नति में आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार समिति का गठन कैसे कर सकती है। इस पर सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
(दैनिक भास्कर,जयपुर,17.6.11)

दैनिक जागरण की रिपोर्ट भी देखिएः
सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण के विरोध पर राजस्थान सरकार और कर्मचारियों के ब



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk