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Wednesday, July 21, 2010

गांधी दर्शन से ही दुखों से मुक्ति

गांधी दर्शन से ही दुखों से मुक्ति

http://bhadas4media.com/sabh-seminar/5819-gandhi-darshan.html

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: असगर अली इंजीनियर का उदबोधन : उदयपुर : हिंसा मानव स्वभाव है, मानव की प्रकृति है लेकिन सत्य पर डटे रहने, इच्छाओं के शमन तथा लोभ, लालच की मुक्ति से अहिंसा को जिया जा सकता है। इसके लिए सत्ता व शक्ति को प्राप्त करने के मोह को छोडकर मानव सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाना होगा। यह विचार प्रसिद्ध सुधारवादी चिंतक डॉ. असगर अली इंजीनियर ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए।

असगर अली ने धर्म, मजहब की विस्तृत विवेचना करते हुए कहा कि हर धर्म, मजहब सत्य, अहिंसा, मानवीय गरिमा, मूल्य आधारित व्यवहार व स्वतंत्रता पर जोर देता है। लेकिन वर्तमान में धर्म-मजहब रिति-रिवाजों, कथित परम्पराओं, कर्मकाण्डों में जकड़ कर रह गया है। उन्होंने खात पंचायतों, आनर किलिंग के संदर्भ में कहा कि इन कथित परम्पराओं, जाति व समाज के अहम तथा पहचान के अभिमान का परिणाम है कि एक मां अपने बच्चे की हत्या कर देने में गर्व महसूस करती है।

वैश्वीकरण व उदारीकरण के संदर्भ में इंजीनियर ने कहा कि आधुनिक तकनीकी इच्छाओं, कृत्रिम आवश्यकताओं को जन्म देती है। इसकी पूर्ति के लिये अधिक उत्पादन होता है तथा उत्पादन के लिए कच्चा माल, सस्ता मानव श्रम हासिल करने में युद्ध व शोषण होते है। अमेरिका इसी कारण कांगो, वियतनाम, इराक पर बम युद्ध थोपता है।  असगर अली ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि जमीर, अन्तकरण की आवाज पर चलने, गांधी की तरह सियासत, राजनीति के बीच रहते हुए सत्य व अहिंसा को जीने तथा सत्याग्रह के पवित्र हथियार है। यंत्र से ही हम मानव समाज को अच्छा तथा भय, गरीबी, युद्ध से मुक्ति दिला सकते है।

संगोष्ठी के प्रारम्भ में ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने गांधीजी के जीवन मूल्यों, सत्य के साथ प्रयोग तथा हिन्द स्वराज के विचार पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा असगर अली व विषय से संभागियों को परिचित कराया। अध्यक्षता गांधीवादी चिंतक किशोर सन्त ने की तथा धन्यवाद ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयसिंह मेहता ने ज्ञापित किया। संगोष्ठी में स्वतंत्रता सेनानी एम0पी0 बया सहित मन्सूर अली, सज्जनकुमार ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. जेनब बानू ने किया।


नहीं बचाए जा सके विजय प्रताप सिंह

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विजय

विजय

: मंत्री पर हुए हमले में घायल पत्रकार की दिल्ली में मौत : कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' पर हुए हमले में गंभीर रूप से घायल पत्रकार विजय प्रताप सिंह ने मंगलवार को दम तोड़ दिया। विजय का इलाज दिल्ली में आर्मी अस्पताल में चल रहा था। बुधवार को परिजन शव लेकर इलाहाबाद आ जायेंगे। 12 जुलाई को मंत्री नंदी पर हुए हमले में राकेश मालवीय ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था।

जबकि मंत्री, पत्रकार, गनर, पीआरओ व दो अन्य घायल हुए थे। मंत्री नंदी को उसी दिन पीजीआई लखनऊ भेज दिया गया था। दूसरे दिन 13 जुलाई को गनर संजय सिंह को पीजीआई और पत्रकार विजय प्रताप सिंह को दिल्ली भेजा गया। वहां विजय प्रताप को आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार रात विजय प्रताप सिंह की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। वहां उनकी पत्‍‌नी व परिवार के अन्य सदस्य मौजूद हैं। बुधवार को वे पत्रकार विजय प्रताप का शव लेकर इलाहाबाद पहुंचेंगे।

विजय प्रताप सिंह इसी 30 जुलाई को 39 बरस के हो जाते. पर अपना जन्मदिन मनाने का मौका विजय ने किसी को नहीं

विजय प्रताप

विजय प्रताप

दिया। मौत से 9 दिन तक चले संघर्ष में जिंदगी विजयी न हो सकी। इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर रिपोर्टर विजय प्रताप सिंह ने करियर की शुरुआत इलाहाबाद में द लीडर अखबार से की थी। बाद में वे टाइम्स आफ इंडिया में चले गए। वे टीओआई के लिए इलाहाबाद समेत पूरे परिक्षेत्र कौशांबी, चित्रकूट, प्रतापगढ़, जौनपुर और मिर्जापुर भी कवर करते थे। विजय इंडियन एक्सप्रेस के साथ अप्रैल 2008 में जुड़े थे। विजय के परिवार में पत्नी शशि, पांच साल का बच्चा यश और 10 महीने की बिटिया अद्या है।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने गत 12 जुलाई को इलाहाबाद में आपराधिक घटना में घायल इंडियन एक्सप्रेस, इलाहाबाद के संवाददाता विजय प्रताप सिंह के असामयिक निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि विजय प्रताप सिंह एक जुझार, निडर एवं प्रतिभाशाली पत्रकार थे। उनके निधन से पत्रकारिता जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

पत्रकार विजय प्रताप सिंह की मृत्यु की खबर से पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई। जिलाधिकारी संजय प्रसाद ने गहरा दुख जताया है। उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डा. रीता बहुगुणा जोशी ने भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि मंत्री ने जब पहले ही अपने हमले की आशंका जतायी थी तो सुरक्षा में क्यों लापरवाही बरती गई। इस घटना में दो निर्दोष लोगों की अब तक जान जा चुकी है। उन्होंने प्रदेश सरकार से पत्रकार विजय प्रताप सिंह के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है।

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written by श्रद्धांजलि, July 21, 2010
विजय भाई को श्रद्धांजलि दी लखनऊ के पत्रकारों ने

उत्तर प्रदेश के संस्थागत वित्त मंत्री पर हुए हमले में घायल पत्रकार विजय प्रताप सिंह के निधन पर उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी और महामंत्री पीके तिवारी ने गहरा दुख जताया है। यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष रबींद्र सिंह और सचिव जेपी तिवारी ने भी शोक व्यक्त किया है। हसीब सिद्दीकी ने अपने शोक संदेश में कहा है क ईश्वर इस दुख को सहने की ताकत विजय प्रताप के परिवार को दे। हमले में घायल विजय प्रताप का कल दिल्ली के आर्मी अस्पताल में निधन हो गया। लखनऊ श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष सिद्धार्थ कलहंस और महासचिव विनीता रानी ने भी विजय प्रताप की आसमायिक मौत पर अफसोस जताया है। कलहंस ने प्रदेश सरकार से विजय प्रताप के परिवार को क्षतिपूर्ति की मांग भी की है।
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written by ashish shukla, July 21, 2010
विजय प्रताप जी तो आज हमारे बीच नहीं रहे लेकिन ऐसी वारदात को जिसनें अंजाम दिया है, उसे सजा मिलनी चाहिए। सगंम नगरी से आज एक पत्रकार ने 9 दिन चले संघर्ष से विदा ले लिया। संगम नगरी की ओर से श्रद्वांजलि देना चाहता हू।
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written by swarmil, July 21, 2010
बहती हवा सा था वो उड़ती पतंग सा था वो कहाँ गया उसे ........हमने एक दमदार पत्रकार खो दिया
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written by markanday mani gkp, July 21, 2010
wo bada rahimo-kariem hai mujhe ye siphat bhi ata kre
tujhe bhulne ki duaa karun to meri dua me asar n ho
WE MISS YOU....................
Markanday Mani TRipathi (gkp)

खबर लिखने की कीमत चुका रहे पत्रकार

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: स्वतंत्र पत्रकार हेमचंद पांडेय की कथित मुठभेड़ पर उठे सवाल : 'अघोषित आपातकाल में पत्रकारों की भूमिका' विषय पर संगोष्ठी : नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में जर्नलिस्ट फॉर पीपुल की ओर से 'अघोषित आपातकाल में पत्रकारों की भूमिका' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें आर्य समाज के नेता और समाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज देश में आपातकाल जैसी स्थितियां हैं। और ऐसी स्थितियां कमोबेश हर दौर में रहती हैं।

स्वतंत्र पत्रकार हेमचंद्र पांडेय और भाकपा (माओवादी) के प्रवक्ता कॉमरेड आजाद की कथित मुठभेड़ में पर सवाल उठाते हुए स्वामी जी ने उनकी शहादत को याद किया और कहा कि इस इस दौर में पत्रकारों को साहस के साथ खबरें लिखने की कीमत चुकानी पड़ रही है।

इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के सलाहकार संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने स्वतंत्र पत्रकार हेमचंद्र पांडेय और भाकपा माओवादी के प्रवक्ता आजाद की हत्या को शांति प्रयासों के लिए धक्का बताया। गौतम ने कहा कि आज राजसत्ता का दमन अपने चरम पर है। देश के अलग अलग हिस्सो में सरकार अलग-अलग तरीके पत्रकारों का दमन कर रही है। इसके खिलाफ चलने वाले हर संघर्ष को एक करके देखना होगा।

समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने कहा कि अब सरकारें अपने बताए हुए सच को ही प्रतिबंधित कर रही हैं। और जो भी इसे उजागर करने की कोशिश करता है उसे गोली मार दी जाती है। या देशद्रोही करार दे दिया जाता है। इस मौके पर अंग्रेजी पत्रिका हार्ड न्यूज के संपादक अमित सेन गुप्ता भी मौजूद थे। उन्होने कहा कि आज के दौर में पत्रकारित कारपोरेट घरानों के मालिकों के इशारे पर संचालित हो रही है। देश के अलग अलग हिस्से में हुई घटनाओं को अलग अलग तरीके से पेश किया जाता है। खासकर एक संप्रदाय विशेष के लिए मुख्यधारा की मीडिया पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। गुजरात दंगों और बाटला हाउस एनकाउंटर की रिपोर्टिग पर भी अमित सेन ने सवाल उठाए।

कवि और सामाजिक कार्यकर्ता नीलाभ ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता को बचाने के लिए एक सांस्कितक आंदोलन की जरूरत है। सरकारी दमन के मसले  पर हिंदी के लेखकों की चुप्पी पर  सवाल उठाते हुए उन्होने सांस्कृति कर्मियों, कलाकारों, चित्रकारों की एकता और आंदोलन की जरूरत पर बल दिया।

इस मौके पर पत्रकार पूनम पांडेय ने कहा कि आपातकाल केवल बाहर ही नहीं है बल्कि समाचार पत्रों के दफ्तर के अंदर भी एक किस्म के अघोषित आपातकाल का सामना करना पड़ता है। इस मौके पर हिंदी के तीन अखबारों (नई दुनिया, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण) के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। इन अखबारों ने पत्रकार हेमचंद्र पांडेय को पत्रकार मानने से ही इंकार कर दिया था।

इस मौके पर पत्रकार हेमचंद्र की याद में हर साल दो जुलाई को एक व्याख्यान माला शुरु करने की घोषणा की गई। इस गोष्ठी को समायकि वार्ता की मेधा, उत्तराखंड पत्रकार परिषद के सुरेश नौटियाल, जेयूसीएस के शाह आलम समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट, पीयूसीएल के संयोजक चितरंजन सिंह ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन पत्रकार भूपेन ने किया। इस कार्यक्रम में बड़ी तादात में पत्रकार, साहित्यकार,  सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे।


मैं बागी नहीं हूं : राकेश शर्मा

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: जागरण के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ प्रमाण जुटा रहा हूं, शीघ्र मुखातिब हूंगा : यशवंत जी, आपने मेरा दैनिक जागरण के बारे में किया गया खुलासा छापा, उसके लिए आपका धन्यवाद। परन्तु आपने 'बागी' शब्द का जो इस्तेमाल किया है, वह मेरे मामले में उपयुक्त नहीं है। मैं दैनिक जागरण का कोई बागी पत्रकार नहीं हूं। आपने बात की है बागी होने की तो, दोस्त, मैं बागी तब कहलाता जब मैं अखबार में रहते हुए यह काम करता।

वैसे, मेरे पास 'बागी' होने के आठ साल के दौरान बहुत कारण थे, लेकिन मैं तब भी बागी नहीं हुआ। आठ साल के दौरान अखबार ने मुझे वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं दिया, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। पिछले आठ साल से मुझे कन्वींस एलाऊंस के तौर पर मात्र 700 रुपये दिए गए, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। मेरे से जूनियर मेरे बराबर का वेतन लेते रहे लेकिन मैंने कभी वेतन वृद्धि के लिए नाक नहीं रगड़ी। मनमाने ढंग से मेरे तबादले किए गए, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। कई शीर्ष अधिकारियों ने नेताओं और धन पशुओं से मुलाकात करने के लिए दबाव बनाया, मैं तब भी बागी नहीं हुआ।

पिछले दो साल के दौरान फरीदाबाद में काम करने के बावजूद मुझे पे स्लिप पर कुरुक्षेत्र में ही स्थानांतरित दिखाया गया, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। पांच मई 2008 को फरीदाबाद स्थानांतरित करने के समय मैं अपने बच्चों के स्कूल एडमिशन पर 20 हजार रुपये से अधिक खर्च कर चुका था, कंपनी ने एक भी पैसा नहीं दिया, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। फरीदाबाद में शुरुआती दिनों में गृहस्थी जमाने के लिए 62 हजार रुपये की बीमा पालिसी 39 हजार में सरेंडर करने के बावजूद भी मैं बागी नहीं हुआ।

कई बार वेतन वृद्धि के लिए मांग करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होने पर कंपनी से लोन लेना पड़ा और उसका ब्याज चुकाया, तब भी मैं बागी नहीं हुआ। 26 दिसंबर 2009 को जब मेरे बच्चों की वार्षिक परीक्षा सिर पर थी, मेरा तबादला रोपड़ किया गया, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। कंपनी को मनमाने ढंग से हांकने वाले लोगों को मैंने खूब खरी-खोटी सुनाई और जिन लोगों पर विश्वास किया, उन्होंने ही पीठ में छुरा घोंपा लेकिन मैं बागी नहीं हुआ। मई 2008 से दिसंबर 2009 तक अखबार की सर्कुलेशन 46 हजार से 57 हजार पहुंची और विज्ञापन छापने वाले श्रेय बटोरने में जुटे रहे, मैं तब भी बागी नहीं हआ। श्रेय बटोरने में जुटे रहने वालों से कोई ये तो पूछता कि क्या विज्ञापन छापने से सर्कुलेशन बढ़ता है। इसके बावजूद भी मैं कभी बागी नहीं हुआ।

फरीदाबाद में कार्यालय के काम को प्रभावित करने वाले लोगों के खिलाफ मेरी बात नहीं सुनी गई, उलटे उनके साथ माननीय निशीकांत ठाकुर जी के रिश्तेदार संतोष ठाकुर मेरे खिलाफ साजिश रचते रहे, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। मुख्य संवाददाता को दरकिनार कर मुख्य महाप्रबंधक जी अपने रिश्तेदार संतोष ठाकुर के कहने पर मेरी राय लिए बगैर लोगों को पदोन्नत करते रहे, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। लोगों के स्थानांतरण में मुख्य संवाददाता को दरकिनार करने के मामले में भी मैं बागी नहीं हुआ। कार्यालय का संपादकीय प्रभारी होने के बावजूद नेताओं का नाम कांटने और छांटने में संतोष ठाकुर का हस्तक्षेप निरंतर रहने के बावजूद भी मैं बागी नहीं हुआ।

वर्ष 2008 की आगरा मीट के दौरान डबचिक में ठहराव के लिए प्रबंध करने के बावजूद वाहवाही मुख्य महाप्रबंधक के रिश्तेदार लूट ले गए, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवसिर्टी से विज्ञापन की डील नहीं होने पर जब संतोष ठाकुर मुंह लटकाए घूम रहे थे और मेरी मदद से उन्हें विज्ञापन मिलने पर भी मुझे कोई क्रेडिट नहीं मिला तो मैं तब भी बागी नहीं हुआ।

2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुझे चुनाव के लिए एडवरटोरियल की जिम्मेदारी सौंपने के बावजूद संतोष ठाकुर मेरे कनिष्ठ सहयोगियों के साथ बिना मुझसे बात किए नेताओं से डील करते रहे, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। विधानसभा चुनाव में 20 लाख रुपये से अधिक का एडवरटोरियल संतोष ठाकुर ने कार्यालय के सहयोगियों के साथ इकट्ठा किया (इस हिसाब की संतोष ठाकुर द्वारा तैयार की गई लिस्ट और उनके द्वारा दी गई नामों की पर्ची मेरे पास मौजूद है।) मीनाक्षी शर्मा और समाचार संपादक श्री कमलेश रघुवंशी के बीच ठन जाने के कारण जब मामला बिगड़ा तो मुझे सामने कर दिया गया। इसके बावजूद भी मैं बागी नहीं हुआ।

घर से 250 किलोमीटर दूर जिस शहर में मेरा कोई दुश्मन नहीं था, वहां अखबार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मेरे खिलाफ साजिशें रची जाती रहीं, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। यूनेस्को और यूएनडेसा की कांफ्रेंस में अमेरिका और फ्रांस जाने के लिए छुट्टी की अनुमति मांगे जाने पर फ्लाइट पकडऩे के दिन ही मुझे अनुमति प्रदान की गई, मैं तब भी बागी नहीं हुआ। दोस्त, अभी तो बहुत सी बातें ऐसी हैं जो मुझे याद नहीं है और उन पर मैं विरोध दर्ज करा सकता था, लेकिन मैं कभी बागी नहीं हुआ।

दैनिक जागरण में तीन साल बाद पत्रकारों के स्थानांतरण की मांग करने वाला मैं इकलौता पत्रकार था और आठ साल के दौरान चार तबादलों को स्वीकार करने वाला भी। मेरे साथ काम करने वाले कितने जूनियर को काम के मामले में प्रमोट किया है और कितनों ने मेरे उत्साह बढ़ाने पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्चतर शिक्षा की तरफ कदम बढ़ाया, इसकी एक लंबी फेहरिश्त है। फरीदाबाद तबादले के कारण दो साल तक अपनी एम.फिल. की डिग्री पूरी नहीं कर पाया और पी.एच.डी. का पंजीकरण नहीं करा पाया, उसके बावजूद भी मैं बागी नहीं हुआ। चाहता तो किसी दूसरी जगह आराम से नौकरी कर सकता था, लेकिन जानता हूं कि कौव्वा चाहे किसी भी देश के वातावरण में रह ले, उसका रंग काला ही होता है। ऐसा ही क्षेत्र मुझे पत्रकारिता का दिखाई दिया, इस कारण ही यह फील्ड छोड़ दिया।

बाकी रही मेरे इस सारे प्रयास की भूमिका तो इसका श्रेय आपको जाता है। पिछले छह महीनों से अपने काम को पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत रहा हूं, लेकिन पत्रकारिता जगत में होने वाली हलचल को जानने के लिए भड़ास4मीडिया को नियमित तौर पर देखता रहा हूं। आपके द्वारा पिछले दिनों छापी गई पेड न्यूज के संबंध में 72 पृष्ठ की रिपोर्ट में दैनिक जागरण प्रबंधन की ओर से अच्छे प्रत्याशियों के कामों को हाईलाइट करने को अपना दायित्व बताने की सीनाजोरी दिखाने के कारण पैदा हुए क्षोभ के कारण ही मैं यह सब करने के लिए प्रेरित हुआ, ताकि पत्रकारिता जगत की अंदरुनी गंदगी को सभी लोग जान सकें। इस संस्थान में कई ऐसे लोग हैं जिनके बाप की कोई मिल नहीं चलती लेकिन वे देखते ही देखते करोपड़पति हो गए, उनकी पोल भी पूरे प्रमाण के साथ खोलूंगा। प्रमाण जुटा रहा हूं शीघ्र ही फिर आपसे मुखातिब होऊंगा।

आपका

राकेश शर्मा

सड़क हादसे में प्रतिभाशाली पत्रकार की मौत

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अभिनय

अभिनय

वेबदुनिया के वरिष्ठ उपसंपादक रहे अभिनय कुलकर्णी (32) का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वे महाराष्ट्र में अपनी नई जिम्मेदारी ग्रहण करने जा रहे थे। रात पौने दो बजे दुर्घटना हुई। धुलिया-इंदौर महामार्ग पर पारोली चौफाली पर ट्रेक-बस में भिड़ंत हो गई। बताया जाता है कि मालेगांव से तेज रफ्तार से ट्रक आ रहा था और इसने इंदौर से मुंबई जा रही लक्जरी बस में टक्कर मार दी।

इस टक्कर में कुलकर्णी सहित चार लोगों की मृत्यु और 26 लोग घायल हो गए। दुर्घटना में मारे गए अन्य लोगों की शिनाख्त बाबू खान (47), फखरुद्दीन बोहरा (50) और नीला यशवंत रनपिसे (54) के रूप में की गई है। घायलों को निकट के एक निजी अस्पताल और धुले के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभिनय वेबदु‍‍निया मराठी में पिछले 3 वर्ष से कार्यरत थे। उनके परिवार में पत्नी, एक पुत्री, पिता और एक भाई हैं। अभिनय कुलकर्णी गत नौ वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में थे। एक प्रतिभावान पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति थी।

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भारतीय मीडिया

इतिश्री की ओर अग्रसर चंडीगढ़ प्रेस क्लब!

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देश का आकार में सबसे बड़ा, किसी समय सबसे अमीर और 'सिटी ब्यूटीफुल' के नाम को सार्थक करता अति खूबसूरत चंडीगढ़ प्रेस क्लब कंगाल हो जाने की कगार पर है. क्यों? कहानी लम्बी है. पहले इस क्लब का इतिहास समझ लें. फिर ताकत. फिर असलियत. मनु शर्मा के दादा और विनोद शर्मा के पिताश्री पंडित केदार नाथ शर्मा के घर से आये प्लेट, गिलासों, चम्मचों के सहारे सफ़रजदा हुआ यह क्लब.

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मीडिया हाउसों को चैन से न रहने दूंगा

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इंटरव्यू : एडवोकेट अजय मुखर्जी 'दादा' :  एक ही जगह पर तीन तीन तरह की वेतन व्‍यवस्‍था : अखबारों की तरफ से मुझे धमकियां मिलीं और प्रलोभन भी : मालिक करोड़ों में खेल रहे पर पत्रकारों को उनका हक नहीं देते : पूंजीपतियों के दबाव में कांट्रैक्‍ट सिस्‍टम को बढ़ावा दिया जा रहा है : जागरण ने अपने पत्रकारों का काशी पत्रकार संघ से जबरिया इस्तीफा दिलवा दिया :

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सांसद के दरवाजे पर खड़े रहे खेल रिपोर्टर

ग्वालियर : खेल पत्रकारों को उस वक्त अपमानजनक हालात का सामना करना पड़ा, जब वे सांसद यशोधरा राजे के निवास पर जा पहुंचे और सांसद के निवास के दरवाजे पर खड़े सांसद के खासमखास लोगों ने यह कहते हुए उन्हें भीतर जाने से रोक दिया कि यहां सिर्फ संपादकों को बुलाया गया है, खेल संवाददाताओं के लिए प्रवेश वर्जित है। मध्य प्रदेश सरकार के कहने पर विश्व की नंबर दो बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ग्वालियर आई थीं।

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सरकार की नजर में इंसाफ मांगने वाला नक्सली

डबवाली (डी.डी. गोयल) गांधी आश्रम दांतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) के संचालक हिमांशु कुमार ने कहा कि सरकार विदेशी कम्पनियों से सौदेबाजी करके देश के धन को लुटा रही है। माईनिंग के लिए सेना और पुलिस के बल पर गरीब लोगों की जमीन हथियाई जा रही है। इंसाफ मांगने वाले को नक्सली करार देकर उसकी हत्या कर दी जाती है। वे ऑप्रेशन ग्रीन हंट के विरोध में अपने भारत भ्रमण के दौरान डबवाली में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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संजय तिवारी ने दिया अंबरीश के आरोपों का जवाब

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15 जुलाई की शाम दिल्ली के गांधी दर्शन में प्रभाष जोशी को जानने मानने वाले कोई पांच सात सौ लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने उनके जाने के बाद पहला जन्मदिन मनाया. प्रभाष जी जब थे तब वे जन्मदिन पर भी अपनी उत्सवधर्मिता का पालन करते थे. ...

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मीडिया हाउसों को चैन से न रहने दूंगा

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इंटरव्यू : एडवोकेट अजय मुखर्जी 'दादा' :  एक ही जगह पर तीन तीन तरह की वेतन व्‍यवस्‍था : अखबारों की तरफ से मुझे धमकियां मिलीं और प्रलोभन भी : मालिक करोड़ों में खेल रहे पर पत्रकारों को उनका हक नहीं देते : पूंजीपतियों के दबाव में कांट...

श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार

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: साहित्य में शोषितों की आवाज मद्धिम पड़ी : अब कोई पक्ष लेने और कहने से परहेज करता है : अंधड़-तूफान के बाद भी जो लौ बची रहेगी वह पंक्ति में स्थान पा लेगी : समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि वह सभी विकल्पों, प्रतिरोध करने वाली शक्तिय...

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रंगरंगीला परजातंतर

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मधुरिमा

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Palash Biswas
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http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

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Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

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