Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Tuesday, January 24, 2017

जब तक आधी आबादी उठ खड़ी नहीं आजाद,तब तक लोकतंत्र की हर लड़ाई अधूरी है। पलाश विश्वास


अब लड़ाई मैराथन है,यूपी के फर्राटे क आगे भी सोचें!

जब तक आधी आबादी उठ खड़ी नहीं आजाद,तब तक लोकतंत्र की हर लड़ाई अधूरी है।

पलाश विश्वास

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति का जो वीभत्स चेहरा सामने है,नतीजा कुछ भी हो हालात बदलने के आसार नहीं हैं।

इसबीच भक्तों के लिए खुशखबरी है कि नई विश्वव्यवस्था के ग्लोबल हिंदुत्व के ईश्वर आज रात ग्यारह बजे दुनिया के चार नेताओं से बात करने के बाद भारत के नेतृत्व से बतियायेंगे।ओबामा के लंगोटिया यार को डान डोनाल्ड ने भाव कुछ कम दिया है,ऐसा बी न सोचें।असल में हम तो उन्हीं के प्रजाजन हैं और वे स्वंय मनुमहाराज हैं।सबसे बड़े उपनिवेश को और चाहिए भी तो क्या,बताइये।लाइव देखिते रहिये चैनल वैनल।

यह भी मत कहिये कि भाई,हद है कि बलि,जब ट्रम्प ने यूएस इलेक्शन जीता था, तब मोदी उन्हें सबसे पहले फोन करने वाले नेताओं में शामिल थे।

अभी 2014 के बाद नरसंहारी अश्वमेध अभियान तेज जरुर हुआ है लेकिन हालात दरअसल 2014 से पहले कुछ बेहतर नहीं थे।नरसंहार के सिलसिले में यह फासिज्म का राजकाज कारपोरेट नरसंहार का हिंदुत्व एजंडा ग्लोबल है।प्रगति यही है।

हजारों बार पिछले पच्चीस सालों से घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा हम देते रहे हैं।उन्हें दोहराये बिना सिर्फ इतना कहना है कि हम एक के बाद एक नरसंहार के घटनाक्रम से होकर पंजाब की पांचों नदियां खून से लबालब,सारा का सारा गंगा यमुना नर्मदा ब्रह्मपुत्र कृष्णा कावेरी गोदावरी के उपजाऊ मैदानों से लेकर हिमालय, समुदंर, अरण्य, विंध्य, अरावली, सतपूड़ा,रेगिस्तान रण के साथ साथ एक एक जनपद को मरघट में तब्दील होने के नजारे देखते हुए मौजूदा मुकाम पर निःशस्त्र मौनी बाबा जय श्री जयश्री बजंरगी केसरिया हो चुके हैं।

पच्चीस साल के मुक्तबाजार के सफरनामे में फर्क सिर्फ यही है।

सारी विचारधाराओं का आत्मसमर्पण उपलब्धि है।

मौलिक अधिकारों का हनन उपलब्धि है।

सारे माध्यमों का,विधाओं,विषयों का अवसान है।

बहुलता विविधता सहिष्णुता अमन चैन का विसर्जन है।

दसों दिशाओं में आगजनी,हिंसा की दंगाई राजनीति है।

इतिहास के अंधेरे ब्लैकहोल में गोताखोरी है और ज्ञान मिथकों में सीमाबद्ध है।

नागरिक और मानवाधिकारों का हनन उपलब्धि है।

संविधान और कायादे कानून का कत्लेआम का नवजागरण है।

सारे राष्ट्रीय संसाधनों संपत्तियों का निजीकरण नीलामी विनिवेश उपलब्थि है।

बिल्डर प्रोमोटर माफिया राज उपलब्धि है।

रोजगार संकट आजीविका संकट पर्यावरण जलवायु संकट उपलब्धि है।

फिलवक्त कैशलैस डिजिटल इंडिया का फाइव जी स्टार पेटीएम जिओ बाजार बम बम है।हर बम परमाणु बम है।आगे भुखमरी मंदी और हिरोशिमा नागासाकी महोत्सव हैं।

फर्क यही है कि मुक्तबाजार में सबसे बड़ा रुपइया है,न बाप बड़ा है न भइया और न मइया।नोटबंदी के पहले जो हाल रहा है,अबभी वहीं हाल है।

नोटबंदी से पहले और बाद में भी डिजिटल कैशलैस इंडिया में नकदी की क्रयशक्ति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम परिवार से बेदखल हो गये हैं तो बच्चे लावारिश हो गये हैं और समाज संस्कृति सिरे से लापता हैं और हमारा सारा कामकाज और राजकाज मुक्तबाजार है।हम किसी देश के नहीं मुक्त बाजार के लावारिश गुलाम प्रजाजन हैं।

पंजाब में अस्सी के दशक से भी भयानक संकट सर्वव्यापी नशा है तो बाकी देश में भी नशा के शिकंजे में नई पीढ़ी है।

बांग्ला अखबारों में,चैनलों में  रोज रोज सिलिसलेवार ब्यौरा किसी न किसी टीनएजर या नवयुवा के नशे के शिकंजे में बाप,भाई,मां या दादी को मार देने या विवाहित युवक द्वारा पत्नी और बच्चों को निर्मम तरीके से मार देने का छप दीख रहा है।कलेजा चाक होने के बदले लोगों को इस खतरनाक केल से मजा आ रहे है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बच्चे सही सलामत हैं और रेस में सबसे तेज दौड़ रहे हैं।हालात उलट हैं।

टुजी थ्रीजी फोर जी फाइव जी दरअसल जी नहीं,उपभोक्ता वाद के चरणबद्ध स्टार है।हमारे बच्चे हत्यारों में,अपराधियों में,बलात्कारियों में शामिल हो रहे हैं।

यह संचार क्रांति भी नहीं है।विशुध उपभोक्ता क्रांति है।अपराध क्रांति भी है यह।

सूचना,जानकारी ज्ञान सिरे से लापता हैं।

तकनीक को छोड़ सारे विषय उपेक्षित हैं।

उच्च शिक्षा शोध के बदले तकनीक और सिर्फ तकनीक है।

ज्यादा से ज्यादा कमाने,ज्यादा से ज्यादा खर्च करने और ज्यादा से ज्यादा भोग की आपाधापी भगदड़ है।सुरसामुखी बेरोजगारी है।नशा है और बेलगाम अपराध बाहुबलि राज है।सारे बच्चे इस अपराध जगत के वाशिंदे बना दिये जा रहे हैं।हम बेपरवाह हैं।

हम बेपरवाह है कि हमारे बच्चे लावारिश भटक रहे हैं।

हर विधा माध्यम में मनोरंजन भोग कार्निवाल है।

अर्थव्यवस्था या उत्पादन प्रणाली के प्रबंधन के बजाय सत्ता वर्ग के लिए रंगबिरंगी योजनाओं में खैरात बांटकर लोकलुभावन बजट या मौके बेमौके मुआवजा,लाटरी या पुरस्कार सम्मान भत्ता के जरिये या फिर खालिस घोषणाओं से,टैक्स राहत,कर्ज-पैकेज के ऐलान से  सरकारी खर्च से वोटबैंक मजबूत बनाकर नकदी बढ़ाकर बाजार में आम जनता कासारा पैसा बचत जाममाल झोंककर अनंतकाल तक इलेक्शन जीतने का मौका है।

बजट इसीलिए वित्तीय प्रबंधन नहीं वोटबैंक प्रंबंधन है।नोटों की वर्षा है।

सेवा जारी है।तकनीक ब्लिट्ज है और मनोरंजन भारी है।

देश के संसाधनों का संसाधनों का क्या हो रहा है,मेहनतकशों और बहुजनों,बच्चों और औरतों के क्या हाल हैं,बुनियादी सेवाओं और जरुरतो का किस्सा क्या है,रोजगार और आजीविका का क्या बना,उत्पादन प्रणाली या अर्थव्यवस्था की सेहत के बारे में सोचने समझने की मोबाइल नागरिकों को कोई परवाह नहीं है।

मसलन वित्तीय घाटे के सरकारी आंकड़ों पर सीएजी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। सीएजी का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2016 में वित्तीय घाटा सरकारी अनुमान से 50,000 करोड़ रुपये ज्यादा हो सकता है।सीएजी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा बढ़ने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2016 में जीडीपी का 4.31 फीसदी वित्तीय घाटा होगा। वहीं सरकार का वित्तीय घाटा, जीडीपी का 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है। इस तरह, सीएजी के मुताबिक सरकारी अनुमान से 50,407 करोड़ रुपये ज्यादा घाटा संभव है

मसलन नोटबंदी के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कैबिनेट ने आज कई बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी है।चुनाव आयोग के निषेध के बाद यह सीधे पुल मारकर छक्का है।अलग पांच राज्यों की जनता को अलग से भरमाने के बजाय थोक भाव से आम जनता के बहुमत पर सीधा निवेश है।

खेती ,कारोबार चौपट है,नकदी है नहीं लेकिन गांवों में घर बनाने या पुराने घर के विस्तार के लिए कर्ज पर ब्याज में सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा फसल कर्ज पर से ब्याज में राहत दी गई है।

सरकारी दावा है कि गांवों में अब घर बनाना ज्यादा आसान होगा।

कर्ज किसे मिलेगा और किसे नहीं.जाहिर है कि यह हैसियत पर निर्भर होगा।

कैबिनेट ने गांवों में घर बनाने के लिए एक नई स्कीम को मंजूरी दी है।

गांवों में नए घर बनाने या पुराने घर के विस्तार के लिए 2 लाख तक के लोन में ब्याज में सब्सिडी देने की योजना है।

सरकारी खर्च बपौती धंधा है,अपनी अपनी राजनीति के लिए जितना चाहे खर्च करो क्या कर लेगा कोई आयोग या अदालत।

वहीं नोटबंदी की मार के बाद अब किसानों को जख्म पर सरकार मरहम लगाने में जुटी है। आज कैबिनेट में किसानों को राहत देने के कुछ फैसले लिए गए हैं। किसानों को फसल पर लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए 2 महीने की मोहलत दी गई है। नोटबंदी की वजह से किसानों को 2 महीने और मोहलत दी गई है।

कैबिनेट ने वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना को भी मंजूरी दी है। इसके अलावा आईएम बिल को भी कैबिनेट मंजूरी दे दी है। अब आईआईएम से एमबीए करने वालों को डिप्लोमा की जगह डिग्री मिलेगी।

और आम नागरिक बल्ले बल्ले हैं। छप्पर फाड़ सुनहले दिनों की उम्मीद में हम मजा लूटने के मकसद से रातोंरात केसरिया फौज में शामिल हो गये हैं।

रथी महारथियों के चेहरे बदल भी जायें तो जल जंगल जमीन आजीविका रोजगार नागरिकता मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर मेहनतकशों के हक हकूक और बुनियादी सेवाओं,जरुरतों और पहचान और वजूद से बेधखल बंचित बहुजनों की रोजमर्रे की जिंदगी में बदलाव के आसार कम ही हैं।

आजादी के बाद,गणतंत्र लागू होने के बाद एक और गणतंत्र दिवस के उत्सव से पहले तक बुनियादी अंतर समानता,न्याय और स्वतंत्रता के लक्ष्यों के मद्देनजर कभी नहीं आया है।हालात आजादी से पहले थे,उससे कहीं बदतर हैं।पहले कमसकम ख्वाब थेषख्वाबों को अंजाम देने के विचार थे।जनांदोलन थे।अब सिर्फ मुक्तबाजार है।मौकापरस्ती है।

बहरहाल तमिलनाडु में आत्मसम्मान वाया सिनेमा अब जल्लीकट्टू है। जल्लीकट्टू पर आज भी तमिलनाडु जल रहा है। यह भी अलग तरह का राममंदिर निर्माण है।

बुनियादी बदलाव की कोई सोच नहीं,कोई ख्वाब नहीं किसी भी भावनात्मक मुद्दे पर जब चाहो,तब पूरे देश को आग में झोंक दो।

आंदोलन भी सेलिब्रेटी शो लाइव सिनेमा ब्लिट्ज है।

जबकि जड़ों मे न खाद है और न पानी है।

न मिट्टी है कहीं किसी किस्म की।

सबकुछ हवा हवाई है।

बुनियादी मुद्दे और बुनियादी सवाल भी हवा हवाई है।

आज भी हजारों की संख्या में लोगों ने मरीना बीच पर जमा होकर विरोध प्रदर्शन किया। जल्लीकट्टू को कल तमिलनाडु विधानसभा में मान्यता मिलने के बाद आज चेन्नई पुलिस ने इसके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के बीच घुसकर असामाजिक तत्व माहौल बिगाड़ रहे हैं।

तमाशा अभी जारी है कि व जल्लीकट्टू बिल पास होने के बाद पड़ोसी राज्य कर्नाटक ने भी उनके कंबाला यानि भैंस दौड़ पर लगे प्रतिबंध को हटाने की केंद्र सरकार के सामने मांग रखी है।महाराष्ट्र में बैलगाड़ी आंदोलन जोर पकड़ रहा है।

गोवंश पर गहराते संकट पर संघ परिवार मौन है।

वहीं अभिनेता कमल हासन ने ट्वीट करके कहा कि वो जल्लीकट्टू के समर्थन वाले बिल की मांग 20 सालों से कर रहे हैं।

फिलवक्त पक्ष प्रतिपक्ष दोनों हिंदुत्व का मनुस्मृति पुनरूत्थान का मुक्तबाजार है।सूबे की सरकारें संघ परिवार की नहीं भी बनीं तो हालात में फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि सूबे का राजकाज सिरे से केंद्र की मेहरबानी है और सूबे में सरकार चाहे किसी की बने,केंद्र के साथ उसके नत्थी हो जाने और उसके जरिये केंद्र का केसरिया एजंडा पूरा होते रहने का सिलसिला जारी रहना नियति है।

मसलन ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव या बीजू पटनायक हो या चंद्रबाबू नायडु या हरीश रावत,आम जनता के हकहकूक पर कुठाराघात और आम जनता के विरोध के अधिकार,मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात या जल जमीन जंगल आजीविका से  बेदखली और अंधाधुंध शहरीकरण और अंधाधुंध औद्योगीकरण के एजंडा जस का तस रहना है।बहुजनों का दमन सर्वत्र है।स्त्री के विरुद्ध अत्याचार सुनामी सर्वत्र है।सर्वत्र मेहनतकशो का एक समान सफाया है।युवा हाथ सर्वत्र बेरोजगार हैं।

गौरतलब है कि बंगाल में 35 साल तक वाम शासन के दौरान भी सत्ता और राष्ट्र के चरित्र में बुनियादी परिवर्तन आया नहीं है या फिर बहन मायावती के चार चार बार यूपी के मुख्यमंत्री बन जाने से न अंबेडकर का मिशन तेज हुआ है और न मनुस्मृति राजकाज पर कोई अंकुश लगा है।

गौरतलब है कि 1914 से पहले 1991 के बाद बनी तमाम सरकारें अल्मत सरकारें रही हैं।संसद में हाल में हाशिये पर जाने वाला वाम भी लंबे समय तक कमसकम मनमोहन राजकाज के दस साल तक निर्णायक भी रहे हैं,लेकिन जनविरोधी नीतियों और कानून सर्वदलीय सहमति से बनते रहे हैं।संसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल तक को हाशिये पर रखकर राजकाज जारी है और हम इसे अभी भी लोकतंत्र कह रहे हैं।

अब राजनीति न कोई विचारधारा है, न बदलाव के ख्वाब है राजनीति और न उसमें जनता की आशा आकांक्षाओं की कोई छाप है।

धनबल बाहुबल की राजनीति विशुध जाति धर्म का समीकरण है जो साध लें ,वही सिकंदर है।यह बेहद खतरनाक स्थिति है कि आम जनता के पास कोई विकल्प नहीं है।

लोकतंत्र में बहुमत अभिशाप बन गया है।

जर्मनी ने इस बहुमत का मोल चुकाया है।

अब अमेरिका की बारी है।

हम आजादी के पहले दिन से किश्त दर किश्त मोल चुका रहे हैं।

शासकों को बदल डालने की गरज से हम पुराने या फिर नये शासक पहले से भी खराब चुन रहे हैं।वाम अवसान के बाद का परिवर्तन वही साबित हुआ है।

यूपी बिहार में सत्ता में बहुजनों की भागेदारी और बाकी देश में भी तमाम बहुजन सत्ता सिपाहसालार लेकिन न अस्पृश्यता खत्म हुई है और न जाति धर्म लिंग नस्ल के आधार पर भेदभाव खत्म हुआ है क्योंकि राजनीति में सिर्फ चेहरे बदल रहे हैं,सत्ता समीकरण बदल रहा है ,बाकी तंत्र मंत्र यंत्र और हिंदुत्व का एजंडा वही है,जिसके तहत भारत का विभाजन हो गया और बंटवारे का सिलसिला अबभी जारी है।

अमेरिका के हर शहर में महिलाओं की अगुवाई में लाखों महिलाओं के सड़कों पर उतर आने पर सविता बाबू ने सवाल किया कि ये लोग मतदान के दौरान क्या कर रहे थे।

संजोगवश खुद जिनके खिलाफ यह जनविद्रोह है,उन्हीं डोनाल्ड ट्रंप का सवाल भी यही है।मुद्दे की बात तो यह है कि वियतनाम युद्ध के बाद सत्ता के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों के इतने बड़े विरोध प्रदर्शन का कोई इतिहास नहीं है।

बहुमत जनादेश के बावजूद आधी आबादी और आधा से जियादा अमेरिका को नये राष्ट्रपति को अपना राष्ट्रपति मानने से इंकार किया है।

वाशिंगटन मार्च का नारा है,यह मैराथन दौड़ है,फर्राटा कतई नहीं है।

राजनीति भी दरअसल मैराथन दौड़ है,फर्राटा है नहीं।

बहुमत और जनादेश के दम पर जनता के हकहकूक को कुचलने रौंदने का हक हुकूमत को नहीं है।

यह कोई दासखत नहीं है कि एकदफा वोट दे दिया तो पांच साल तक चूं भी नहीं कर सकते।

सबसे बड़ी बात जो हम शुरु से बार बार कह रहे हैं,वह यह है कि जब तक आधी आबादी उठ खड़ी नहीं आजाद,तब तक लोकतंत्र की हर लड़ाई अधूरी है।

ऐसा भी कतई नहीं है कि अमेरिकी महिलाएं भारत की महिलाओं की तुलना में दम खम में कुछ ज्यादा मजबूत हैं या उनकी औसत शिक्षा भारत की महिलाओं से कुछ कम है।

पितृसत्ता और मनुस्मृति के दोहरे बंधन में भारत की महिलाएं जो सबसे ज्यादा मेहनतकश हैं,सिरे से या दासी ,या शूद्र या अस्पृश्य या बंधुआ या देवदासी हैं या सिर्फ देवी हैं और उनका कोई वजूद नहीं है।

मतलब  यह है कि आजादी से पहले हो गये सती प्रथा उन्मूलन,विधवा विवाह,स्त्री शिक्षा जैसे क्रांतिकारी सुधारों के बावजूद भारत में स्त्री सशक्तीकरण की कोई जमीन नहीं है।कुछ महिलाओं के सितारे की भांति चमक दमक के बावजूद भारत में स्त्री अभी अपने पांवों पर खड़ी नहीं हो सकती।सबसे पहले हकीकत की यह जमीन बदलने की अनिवार्यता है,जिसके बिना लोकतंत्र की कोई खेती सिरे से अंसभव है।

जब आधी आबादी पूरीतरह बंधुआ है और पंचानब्वे फीसद बहुजनों को जाति धर्म नस्ल भूगोल जीवन के हर क्षेत्र से हर हकहकूक से बेदखल कर दिया गया है,तब लोकतंत्र की खुशफहमी के सिवाय हमारी राजनीति क्या है,इस सबसे पहले समझ लें।

इस अल्पमत वर्चस्व की रंगभेदी पितृसत्ता के खिलाफ हमारी मर्द राजनीति खामोश है,इसलिए प्रतिरोध की जमीन कहीं बन ही नहीं रही है और न बहुमत के सिवाय अल्पमत की कहीं कोई सुनवाई है और न बंधुआ बहुजनों या आधी आबादी स्त्रियों की किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई या रिहाई है।

हिंदुत्व की मुख्यधारा से एकदम अलहदा आदिवासी भूगोल और हिमालयी क्षेत्रों में प्रतिरोध की संस्कृति शुरु से है क्योंकि वहां पितृसत्ता हो न हो,स्त्री का नेतृत्व स्थापित है।

उत्तराखंड,मणिपुर,झारखंड और छत्तीसगढ़ के अलावा  पूरे आदिवासी भूगोल में स्त्री की भूमिका नेतृत्वकारी है तो राष्ट्र और सत्ता के दमन के खिलाफ भी उनकी हकहकूक की आवाजें हमेशा बाबुलंद गूंजती रही हैं।

देश के बाकी भूगोल में यह लोकतंत्र अनुपस्थित है।

क्योंकि पितृसत्ता के भूगोल में कोई स्त्रीकाल नहीं है।

भारत में हालात बदलने के लिए गांव गांव से,हर जनपद से राजधानी की ओर  स्त्री मार्च का मैराथन शुरु करना जरुरी है।


No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk