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Tuesday, November 10, 2015

अमेरिका से सावधान पुनश्च तीन नी कर दी हमरी नीलामी।परमाणु दायबद्धता खत्म और सांसदों की चांदनी। लोकतंत्र के हमाम में सारे के सारे नंगे। वसंत के वज्र निनाद अब जन आकांक्षा कारपोरेट युद्ध, विश्वासघात और जनसंहार की संस्कृति के विरुद्ध। गिरदा की अंत्येष्टि के साथ नैनीताल, उत्तराखंड के सक्रिय प्रतिरोध का युग क्या समाप्त होगा? पलाश विश्वास Monday, August 23, 2010

अमेरिका से सावधान पुनश्च तीन

नी कर दी हमरी नीलामी।परमाणु दायबद्धता खत्म और सांसदों की चांदनी। लोकतंत्र के हमाम में सारे के सारे नंगे। वसंत के वज्र निनाद अब जन आकांक्षा कारपोरेट युद्ध, विश्वासघात और जनसंहार की संस्कृति के विरुद्ध। गिरदा की अंत्येष्टि के साथ नैनीताल, उत्तराखंड के सक्रिय प्रतिरोध का युग क्या समाप्त होगा?

पलाश विश्वास

Monday, August 23, 2010

http://basantipurtimes.blogspot.in/2010/08/blog-post_23.html


दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.


(विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' से)

लोकगायक गिर्दा का देहावसान



उत्तराखण्ड के विख्यात क्रान्तिधर्मी लोकगायक गिर्दा का कुछ क्षण पहले देहावसान हो गया.

उनके अथक रचनाकर्म को हमारा सलाम और उनके परिजनों, मित्रों को गहरी सहानुभूति.

दुःख की इस घड़ी में इस से अधिक क्या कहा जा सकता है, 
http://kabaadkhaana.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html

परमाणु जवाबदेही बिल में बदलावों को हरी झंडी

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎२०-०८-२०१०‎
कैबिनेट ने परमाणु जवाबदेही विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी है जिसका मकसद परमाणुबिजली के 150 अरब डॉलर के भारतीय बाजार को दुनिया की कंपनियों के लिए खोलना है. शनिवार को यह बिल संसद में पेश हो सकता है. बुधवार को एक संसदीय पैनल ने विधेयक में कुछ बदलावों की सिफारिश की. इनमें हादसे की स्थिति में मुआवजे को तीन गुना करना और निजी कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाना शामिल है. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, "पैनल ने ...

भारत ने की ओबामा को तोहफा देने की तैयारी

दैनिक भास्कर - ‎२०-०८-२०१०‎
नई दिल्ली. कैबिनेट ने आज न्यूक्लिर लायबिलिटी बिल या परमाणु जवाबदेही विधेयक को मंजूरी दे दी है। न्यूक्लियर लायबिलिटी बिल से विपक्ष की आपत्तियों के बाद अब 'एंड' शब्द हटा दिया गया है। संसद के मॉनसून सत्र में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। ऐसे में सरकार इसे जल्द से जल्द पास कराना चाहेगी। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा है कि जब यह विधेयक संसद में पेश होगा तब पार्टी बिल का अंतिम ड्राफ्ट देखकर ही कोई प्रतिक्रिया देगी। ...

  1. परमाणु जवाबदेही बिल के लिए समाचार

  2. परमाणु जवाबदेही बिल पर नया बखेड़ा‎ - 10 घंटे पहले

  3. परमाणु जवाबदेही बिल को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर मुश्किल में आ गई है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और वामपंथी पार्टियों ने बिल में किए गए सरकार के संशोधनों को नकार दिया है. ...

  4. डी-डब्लू वर्ल्ड - 3 संबंधित आलेख »


  5. परमाणु जवाबदेही बिल में बदलावों को ...

  6. 20 अगस्त 2010 ... कैबिनेट ने परमाणु जवाबदेही विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी है जिसका मकसद परमाणु बिजली के 150 अरब डॉलर के भारतीय बाजार को दुनिया की कंपनियों के लिए खोलना है.

  7. www.dw-world.de/dw/article/0,,5927731,00.html - संचित प्रति

  8. परमाणु जवाबदेही बिल पर नया बखेड़ा ...

  9. 23 अगस्त 2010 ... परमाणु जवाबदेही बिल को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर मुश्किल में आ गई है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और वामपंथी पार्टियों ने बिल में किए गए सरकार के संशोधनों को नकार दिया ...

  10. www.dw-world.de/dw/article/0,,5934507,00.html

  11. विगत 24 घंटे से अधिक परिणाम प्राप्त करें

  12. परमाणु जवाबदेही बिल पर नोट से पल्ला ...

  13. 19 जून 2010 ... केंद्र सरकार परमाणु जवाबदेही बिल पर स्थाई समिति की बैठक में वितरित एक नोट से शुक्रवार को खुद को.

  14. www.bhaskar.com/.../nat-nuclear-accountability-bill-1073632.html - संचित प्रति

  15. परमाणु बिल की राह में विपक्ष का ...

  16. परमाणु जवाबदेही बिल के मसौदे में 18 संशोधन करने के बावजूद इसकी राह में नई बाधाएं खड़ी हो गई हैं। भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उस मसौदे में थोड़ा बदलाव किया है जिस पर उसके ...

  17. www.bhaskar.com/.../NAT-left-not-haapy-with-nuclear-liability-bill-in-its-present-form-1284474.html

  18. www.bhaskar.com से और अधिक परिणामों को दिखाएँ

  19. विगत 24 घंटे से अधिक परिणाम प्राप्त करें

  20. 125 करोड़ का राहत पैकेज,Hindi news channel,Top Ten ...

  21. 17 अगस्त 2010 ... संसद में कल परमाणु जवाबदेही बिल पेश किए जाने की उम्मीद है। इस बिल को सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से पहले पास कराना चाहती है। बिल को पास करने की ...

  22. www.p7news.com/HindiNews_desh_5930 - संचित प्रति

  23. परमाणु जवाबदेही बिल पर नया बखेड़ा ...

  24. परमाणु जवाबदेही बिल पर नया बखेड़ाडी-डब्लू वर्ल्डपरमाणु जवाबदेही बिल को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर मुश्किल में आ गई है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और वामप...

  25. news.social-bookmarking.net/.../83212 - संयुक्त राज्य अमेरिका - संचित प्रति

  26. BBC Hindi - भारत - परमाणु दायित्व रिपोर्ट ...

  27. 18 अगस्त 2010 ... इसके पहले विपक्षी दलों ने इस बात पर चिंता जताई थी कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में विदेशी कंपनियां आसानी से अपनी जवाबदेही से बच ...

  28. www.bbc.co.uk/.../100818_nuke_liability_pa.shtml - संचित प्रति - iGoogle में जोड़ें

  29. विवाद बनेगा बिल संशोधन

  30. 22 अगस्त 2010 ... परमाणु जवाबदेही बिल में किया गया ताजा संशोधन के कारण बिल पर नया विवाद उठ खड़ा हो सकता है। ताजा संशोधन के तहत किए गए प्रावधानों को किसी दुर्घटना की स्थिति में आपरेटर ...

  31. www.peoplessamachar.co.in/index.php?option=com...id...

  32. विगत 24 घंटे से अधिक परिणाम प्राप्त करें

  33. परमाणु बिल पर भाजपा ने हाथ खींचे!

  34. 23 अगस्त 2010 ... उन्होंने कहा कि अगर परमाणु आपूर्तिकर्ताओं को जवाबदेही के दायरे में नहीं लाया गया तो वामपंथी पार्टियां ... इससे पहले केबिनेट ने बिल के 18 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी। ...

  35. www.mauryatv.com/index.php?option=com...view...

  36. विगत 24 घंटे से अधिक परिणाम प्राप्त करें

  37. परमाणु बिल के राह में विपक्ष का दखल ...

  38. नई दिल्ली: परमाणु जवाबदेही बिल के मसौदे में 18 संशोधन करने के बावजूद समस्याएं बनी हुई हैं. भाजपा और वामपंथी दलों का कहना है कि वे मौजूदा स्वरूप में बिल का विरोध करेंगे. ...

  39. c24news.com/?p=22852

  40. विगत 24 घंटे से अधिक परिणाम प्राप्त करें

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  41. इसके लिए अनुवादित अंग्रेज़ी परिणाम देखें:

  42. परमाणु जवाबदेही बिल (Nuclear Accountability Bill)




नी कर दी हमरी नीलामी। उत्तराखंड में चार दशकों से गूंजता वह लोक स्वर अब स्मृतिभर है।

जब सबकुछ बिकाऊ है। खुल्ला खेल फर्रूखाबादी अमेरिकी युद्ध बाजार का उपनिवेश है। इंडिया सेल पर है। कामयाबी का मतलब बिकाऊ होना है। तो ऐसे में गिराबल्लभ जैसे अराजक विद्रोही लोक कवि का होना अनहोनी के सिवाय क्या है। बिकने के लिए अब भी बचे रहे लोगों को आजादी मिल गयी कि पुन४विचार कर लें कि आखिर विचारधारा और दृष्टि से क्या हासिल होने वाला है।

गिरदा और उनके कुख्यात हुड़के की थाप अब किसी की नींद में खलल की वजह नहीं होंगी यकीनन। अंत्येष्टि संपन्न हो गयी सखा दाज्यू के घर में बरसों से रह रहे गिराबल्ल्भ के आशियाने के कुछेक मील दूर भवाली नैनीताल मार्ग पर पहाड़ के ठलान पर स्थित श्मशान घाट पर। सविता के बार बार कोंचते रहने के कारण, यह जानते हुए कि कोई फोन उछाने की हालत में न होगा और मुझसे भी कुछ सांत्वना का वाक्य बंध बन नहीं पायेगा, मुझे दोस्तों से सम्पर्क साधने की कोशिश करनी पड़ी और मजा देखिये कि सत्तर के दसक में हमारी कारगुजारियों से परेशान प्रोफेसर बटरोदी ने ही फोन उठाया। रूंधते हुए बोले कि एक युग का अवसान हो गया। फिर कहा कि नीचे टावर नहीं है। वे सड़क तक पहुंच चुके थे। बोले कि तूहीन और प्रेम फूट फूट कर रो रहे थे। तूहीन बीसेक साल का गिरदा का बेटा। इसी साल हमारे डीएसबी से बीकाम पास। प्रेम उर्फ पेमा, उनका दत्तक पुत, जिसकी शादी हो गयी।

बटरोही ने कहा कि सारे दोस्त जमा हो गये। पर वीरेनदा नहीं आ पाये। शमशेर वहां है। चनौंदा से मोहन भी नहीं आ पाया। नवीन जोशी जरूर लखनऊ से आ गया है। रात को राजीव लोचन साह मिले फोन पर। कुछ बोलने की हालत में न थे। मुझे उनके बिलखने की आवाज आ रही थी। हरुआ दाढ़ी और पवन राकेश, शेखर पाछक और उमा भाभी, सखा दाज से लेकर नैनी झाल के गर्भ से फूटती रुलाई का ज्वालामुखी ने जैसे घेर रखा है मेरा वजूद।

सविता को भारी शिकायत है कि मैंने लिखना छोड़ दिया है। वह कंप्यूटर पर नहीं बैछती और ब्लागिंग को बेमतलब बताती है। पिताजी की मौत से पहले तक उनकी प्रतिबद्धता को नाकामी और अराजकता मानने वाली सविता को अच्छी तरह मालूम है कि तारा चंद्र त्रिपाठी ने हमें भविष्य के लिए तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर हम पर तो असली असर गिरदा का ही है। गिरदा का तेवर और दृष्टि के कारण ही समझौते हमसे हो नहीं पाता। हम उस गिरदा के तिलस्म में कैद है जो कि कलक्टर पर भी थूक सकता था। शेखर के साथ, नैनीताल समाचार यीम के साथ रात रात भर, दिन दिन भर अक्षर अक्षर के लिए मर मिटने को तैयार गिराबल्लभ ही पत्रकारिता में हमारे गुरु हैं, प्रभाष जोशी या रघुवीर सहाय नहीं।

राजीव ने कहा कि स्त्र दसक के उस समय को याद करो। क्या क्या याद करूं। रजूली मालूशाही की चरम रोमांटिकता, जागर के संवाद, हुड़के की थाप, नगाड़े खामोश हैं, अंधेर नगरी चौपट राज, बाढ़, भूस्खलन. चिपको, नशा नहीं रोजगार दो, वसंत का वज्रनिनाद, आपातकाल का विरोध,भूकंप, पंतनगर गोलीकांड, युगमंच से लेकर संगीत नाटक  विगाग के कार्यालय, तल्ली के डाट, मल्ली बाजार , नैनीताल क्लब के पास नन्हे पेमा के साथ गिरदा, मुहब्बत के लिए बेताब गिरदा, अशोक जलपान गृह में दरबार, एक लिहाफ में सारे क्रांतिकारी, छलड़ी, हरेला, सुरा और शराब, बनारस और कोलकाता में गिरदा- किसे छोड़ूं किसे याद करूं। सविता की कुछेक मुलाकाते हुईं थीं। आखिरी बार वसीयत में डबिंग के लिए आए थे तब। पहली बार हमारी शादी के बाद जब नैनीताल गये थे तब। मेरठ में रहते हुए एक बार केलाखान के उनके नये ठिकाने और हीरा भाभी से उसका मुलाकात। तूहीन तब तीनेक साल का था। टुसु पांच साल का। पिताजी के निधन पर जब सारे दोस्त और डीएसबी के प्राध्यापक प्राध्यापिकाए गिरदा राजीव शेखर मोहन की अगुवाई में घर आए थे, तब सविता वहां नहीं थी। लेकिन अस्पलाल में गिरदा के भरती होने की खबर के बाद से उसकी बेचैनी एक मिनट के लिए खतम न हुई होगी। अपने कालेज जीवन का सबसे ज्यादा वक्त अपन सहपाठियों, मित्रों के बजाय हमसे कमसकम पन्द्रह साल बड़े गिरदा के साथ हमने बिताये। पल पल साथ रहे। फिर पहाड़ में कभी कोई घटना हुई क्या , जिसमें गिरदा हाजिर न रहा हो।

गिरदा का तेवर बेहद आक्रामक था। उसे साधने वाले महज दो या तीन लोग थे। हरुआ दाढ़ी, पवन राकेश और शेखर पाठक। मेरी तो गिरदा से बात बात पर ठन जाती थी। हम दोनों तन जाते थे। आखिर बाच का रास्ता शेखर ही निकालते थे। चंद्रेश शास्त्री की गिरदा काफी इज्जत करते थे। बटरोही से तकराते थे और नवीन जोशी से बेहद प्यार करते थे। वीरेन डंगवाल, आनन्द स्वरुप वर्मा और शमशेर सिंह बिष्ट, विपिन त्रिपाठी, निर्मल जोशी, जहूर और पीसी तिवाड़ी सारे के सारे गिरदा के तेवर में निष्णात।

आंदोलन, प्रतिरोध, कला, साहित्य और नाटक को लोककला लोकगीत लोकभाषा की सख्त जमीन पर खड़े होकर वज्र समान ताकत देना गिरदा की ही सीख थी। इसलिए बाजारू साहित्य और कला की हम मुरीद नहीं हैं। कुछ भी करते हुए, लिखते हुए, हर वक्त डर बना रहता जवाबदेही का। जितन आत्मीय थे, जितने संपर्कप्रवीण, उतने ही कठोर हो सकते थे गिरदा। जवाबतलब में वे एकदम बेरहम थे। नौकरी आधे वक्त पर ठोड़ दी। घर छोड़ दिया। पुश्तैनी जायदाद छोड़ दी। जनेऊ संस्कृते ले हमेशा नफरत करते रहे। किसी की परवाह नहीं की। साहित्य हो, या राजनीति, फिल्म हो या कला, गीत , संगीत , नृत्यया आंदोलन, जनपक्षधरता उनका निर्णायक कसौटा थी। जिस पर खरा न उतरने पर वे विश्व विजेता को भी खारिज कर देते थे। चिपको के दौरान उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के नेता थे शमशेर। पर सारथी थे गिरदा ही। वे ही तय करते थे दिशा।

नैनीताल क्लब अग्नकांड से पहले वनों की नीलामी के खिलाफ मोहन और मैंने गिरफ्तारी नहीं दी। मुझे तब गिरफ्तारी देने, धरना , प्रदर्शन के कानून तोड़ो गांधीवादी तौर तरीके एकदम नापसंद थे। इस पर तुर्रा यह कि नैनीताल क्लब के ?फूंके जाने तक, पुलिस के गोली चलाने तक मेरी चिंता शरणार्थियों और तराई  तक सीमाबद्ध थी। पहाड़ और पर्यावरण हमारे सरोकार में नहीं थे। ज्यादातर छात्रों के । पर उस दिन के उस गांधीवादी विद्रोह, जिसके नायक गिरदा ही थे, हम सबको पर्यावरण कार्यकर्ता बना गया। रातोंरात हम पहाड़ी हो गये। नैनीताल क्लब फूंक दिया गया था। जबरद्सत छात्र विद्रोह के कारण शाम तक सारे साथी छूट गये थे। रात को मालरोड पर शराब में चूर गिरदा से टकराया तो ढिमरी ब्लाक का उल्लेख करते हुए गिरदा ने सिरफ इतना कहा कि तुम्हारे पिताजी लने तो अपने लोगों के लिए कमीज उतार दी थी, तुम क्या उतारोगे। आज तक यह चुनौती ब्रह्मदैत्य की तरह, बेताल की तरह मुझ पर हावी है। णैं इस चुनौती की गिरफ्त से शायद क भी मुक्त हो पाऊं। गिरदा हमारे लिए मरे ही नहीं हैं। वे हमारे  सपनों में, हमारे यादों में, हमारे सरोकारों में हमेशा एक चुनौती बनकर , हुड़के की जबरदस्त थाप बनकर, वसंत का वज्रनिनाद बनकर आते रहेंगे।

जन संस्कृति, सौंदर्यबोध, बिम्ब संयोजन, वर्ग चेतना, विचारधार का पाछ तो हम लोग गिरदा से पहले से ही लेते रहे हैं, उस रात महज एक सवाल से गिरदा हमेशा के लिए मेरी पहचान, मेला अवस्थान और मेरा नजरिया तय कर गये। राष्ट्रीयता और पहचान के मुद्दे झारखंड आने से पहले गिरदा ने साफ कर दिये थे। पर बाढ़ और भूस्खलन के दरम्यान आंधी पानी, अंधेरा की परवाह किये बिना जंगल जंगल, पगडंडी पगडंडी , शिखर शिखर, घाटोयों से लेकर घाटियों तक बेखटके भटकने का जब्जा गिरदा ने ही तय किया। इसलिए १९७८ में गंगोत्री बाढ़ हो, या मणिपुर नगोलैंड या मध्य भारत का वधस्थल, दंडकारणय हो या महानगर का जंगल, हमें डर नहीं लगता। हम गिरदा केसा थ मिलने के बाद जानते थे मस्ती से जूझते जाने , लड़ते जाने, बिना समझौते तेवर के सा जीने का ना म आत्म हत्या के विरुद्ध विद्रोह है।

परमाणु जनदायित्व विधेयक में सरकार ने फिर कुछ ताजा संशोधन किए हैं। इससे विवाद बढ़ सकता है। दरअसल, ताजा संशोधनों को परमाणु हादसा होने की हालत में सप्लायर की जवाबदेही कम करने वाला माना जा सकता है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को 18 सिफारिशों को स्वीकृति दी थी। इनमें से एक सिफारिश के अनुसार, ऑपरेटर क्षतिपूर्ति का दावा तभी कर सकता है, जब संयंत्र में हादसा जानबूझकर किया गया हो।

संशोधित उपबंध 17 के मुताबिक, परमाणु हादसे की क्षतिपूर्ति का भुगतान धारा छह के अनुरूप होगा। इसके बाद की जिम्मेदारी परमाणु प्रतिष्ठान के ऑपरेटर की होगी। क्षतिपूर्ति का अधिकार निम्नलिखित आधार पर होगा-
(क) यह अधिकार करार में लिखित हो।

(ख) परमाणु हादसा आपूर्तिकर्ता या उसके कर्मचारी ने किया हो, यह 'इरादतन' एटमी खतरा पहुंचाने के लिए किया गया हो, खराब मानकों वाली सामग्री की आपूर्ति, खराब उपकरण या सेवाओं अथवा साम्रगी से हुआ हो, उपकरण या सेवाओं के आपूर्तिकर्ता की गंभीर लापरवाही की वजह से हुआ हो।

(ग) परमाणु हादसा एटमी क्षति पहुंचाने के 'इरादे' से किसी व्यक्ति के चूक या गड़बड़ी से हुआ हो।
विशेषज्ञों की मानें तो नए विवाद की जड़ उपबंध ख और ग में परमाणु हादसे के संबंध में 'इरादा' शब्द है। इससे आपूर्तिकर्ता जिम्मेदारी से बच निकलने में कामयाब हो सकता है, क्योंकि ऐसी दुर्घनाओं में किसी का 'इरादा' साबित करना बेहद मुश्किल होगा।

इस संशोधन के अलावा यह विधेयक 17 अन्य संशोधनों के साथ 25 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि न तो मूल विधेयक और न ही स्थायी संसदीय समिति की सिफारिश में इस तरह के संशोधनों का जिक्र था।

सरकार ने इसी सप्ताह धारा 17 के उपबंध क और ख के बीच 'और' शब्द के इस्तेमाल को लेकर हुए विवाद के बाद ऐसा किया था। दरअसल, भाजपा और वामदलों ने कहा था कि 'और' शब्द के इस्तेमाल से हादसा होने की हालत में आपूर्तिकर्ता की जिम्मेदारी कम हो जाती है। इसके बाद सरकार ने 'और' शब्द को निकाल दिया, लेकिन धारा 17 में 'इरादे' शब्द को जोड़ दिया।

भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि इससे आपूर्तिकर्ता की जिम्मेदारी बेहद कम हो जाती है। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि वे क्या कह रहे हैं। आपदा, आपदा होती है। कौन भला कबूलेगा कि उसने यह जानबूझकर किया है। यह बेतुका है।' उन्होंने कहा कि जब संसद में विधेयक पेश किया जाएगा, तब हम इस पर अपनी रणनीति तय करेंगे।

परमाणु दायित्‍व विधेयक-2010 पर विचार करने वाली संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि परमाणु प्रतिष्‍ठान में किसी हादसे के लिए संबंधित कंपनी को ही जिम्‍मेदार ठहराए जाने की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए और इसके लिए हर्जाने की रकम 500 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1500 करोड़ रुपये की जानी चाहिए। विज्ञान व तकनीक मंत्रालय से जुड़ी स्‍थायी संसदीय समिति की यह रिपोर्ट बुधवार को संसद के दोनों सदनों में रखी गई। समिति ने विधेयक में मुआवजे का दावा किए जाने के लिए मियाद 10 साल से बढ़ा कर 20 साल किए जाने का प्रस्‍ताव शामिल करने की भी सिफारिश की है।
समिति की रिपोर्ट पेश किए जाने के दौरान दोनों सदनों में हंगामा हुआ। लोकसभा में राजद प्रमुख लालू यादव और सपा अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव ने आरोप लगाया कि सरकार ने भाजपा के साथ समझौता कर लिया है। उनका दावा था कि इसके तहत गुजरात में मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी और सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड में फंसे मोदी के करीबी अमित शाह को सीबीआई जांच में फायदा पहुंचाया जाएगा। बदले में भाजपा संसद में परमाणु जवाबदेही विधेयक का समर्थन करेगी। राज्‍यसभा में रिपोर्ट रखे जाने के दौरान वामपंथी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया।

परमाणु दायित्व विधेयक-2010 क्या है?

परमाणु दायित्व विधेयक -2010 ऐसा क़ानून बनाने का रास्ता है जिससे किसी भी असैन्य परमाणु संयंत्र में दुर्घटना होने की स्थिति में संयंत्र के संचालक का उत्तरदायित्व तय किया जा सके. इस क़ानून के ज़रिए दुर्घटना से प्रभावित लोगों को क्षतिपूर्ति या मुआवज़ा मिल सकेगा। सरकार ने 500 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्‍तावित किया है। विधेयक के विरोधी इसे काफी कम और परमाणु कारोबारियों के हित में बता रहे हैं।

अमरीका और भारत के बीच अक्तूबर 2008 में असैन्य परमाणु समझौता पूरा हुआ। इस समझौते को ऐतिहासिक कहा गया था क्योंकि इससे परमाणु तकनीक के आदान-प्रदान में भारत का तीन दशक से चला आ रहा कूटनीतिक वनवास ख़त्म होना था। इस समझौते के बाद अमरीका और अन्य परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों से भारत को तकनीक और परमाणु सामग्री की आपूर्ति तब शुरु हो सकेगी जब वह परमाणु दायित्व विधेयक के ज़रिए एक क़ानून बना लेगा।

कैसे होगी क्षतिपूर्ति?

इस विधेयक के मसौदे में प्रावधान किया गया है कि क्षतिपूर्ति या मुआवज़े के दावों के भुगतान के लिए परमाणु क्षति दावा आयोग का गठन किया जाएगा। विशेष क्षेत्रों के लिए एक या अधिक दावा आयुक्तों की नियुक्ति की जा सकती है। इन दावा आयुक्तों के पास दीवानी अदालतों के अधिकार होंगे।

क्या है विवाद?

इस विधेयक पर विपक्षी दलों ने कई आपत्तियाँ दर्ज की थीं जिसके बाद इसे सरकार ने टाल दिया था और इसे संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था। समिति की सिफ़ारिशें आ जाने के बाद अब विपक्षी दलों से चर्चा के आधार पर सरकार विधेयक में आवश्यक प्रावधान करेगी। कहा जा रहा है कि सरकार ने मुख्‍य विपक्षी पार्टी भाजपा को इस बारे में राजी कर लिया है।

एक विवाद मुआवज़े की राशि को लेकर था। पहले संचालक को अधिकतम 500 करोड़ रुपयों का मुआवज़ा देने का प्रावधान था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की आपत्ति के बाद सरकार ने इसे तीन गुना करके 1500 करोड़ रुपए करने को मंज़ूरी दे दी है। कहा गया है कि सरकार ने कहा है कि वह समय-समय पर इस राशि की समीक्षा करेगी और इस तरह से मुआवज़े की कोई अधिकतम सीमा स्थायी रूप से तय नहीं होगी।

दूसरा विवाद मुआवज़े के लिए दावा करने की समय सीमा को लेकर था. अब सरकार ने दावा करने की समय सीमा को 10 वर्षों से बढ़ाकर 20 वर्ष करने का निर्णय लिया है।

तीसरा विवाद असैन्य परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश देने को लेकर था। कहा जा रहा है कि सरकार ने अब यह मान लिया है कि फ़िलहाल असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए नहीं खोला जाएगा और सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ही इस क्षेत्र में कार्य करेंगे।

विवाद का चौथा विषय परमाणु आपूर्तिकर्ताओं को परिवहन के दौरान या इसके बाद होने वाली दुर्घटनाओं को लिए जवाबदेह ठहराने को लेकर है। विधेयक का जो प्रारूप है वह आपूर्तिकर्ताओं को जवाबदेह नहीं ठहराता।

आख़िरी विवाद का विषय अंतरराष्ट्रीय संधि, कन्वेंशन फॉर सप्लीमेंटरी कंपनसेशन (सीएससी) पर हस्ताक्षर करने को लेकर है। यूपीए सरकार ने अमरीका को पहले ही यह आश्वासन दे दिया है कि वह इस संधि पर हस्ताक्षर करेगा लेकिन वामपंथी दल इसका विरोध कर रहे हैं।

क्या है सीएमसी पर हस्ताक्षर करने का मतलब

सीएमसी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिस पर हस्ताक्षर करने का मतलब यह होगा कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में दावाकर्ता सिर्फ़ अपने देश में मुआवज़े का मुक़दमा कर सकेगा। यानी किसी दुर्घटना की स्थिति में दावाकर्ता को किसी अन्य देश की अदालत में जाने का अधिकार नहीं होगा।

वैसे यह संधि थोड़ी विवादास्पद है, क्योंकि इसमें जो प्रावधान हैं, उसकी कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है। सीएसई पर वर्ष 1997 में हस्ताक्षर हुए हैं लेकिन दस साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।

क्या-क्या हैं प्रावधान?

राजनीतिक दलों से हुई चर्चा और संसद की स्थाई समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर सरकार अब मौजूदा विधेयक में संशोधन करेगी। इसके बाद संशोधित विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी दी जाएगी फिर इसे संसद में मंज़ूरी के लिए पेश किया जाएगा।

इसलिए यह कहना फ़िलहाल कठिन होगा कि वास्तव में विधेयक में सरकार क्या-क्या प्रावधान करती है लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ने जिन बिंदुओं पर समझौते की हामी भरी है वह सब नए प्रारूप में शामिल होंगे।

कब तक होगा?

असैन्य परमाणु समझौते के तहत परमाणु तकनीक और सामग्री मिलना तभी शुरू हो सकेगा जब परमाणु दायित्‍व विधेयक पारित होकर क़ानून बन जाएगा। इसलिए सरकार इसे जल्‍दी ही पारित कराना चाहेगी, लेकिन विपक्षी दबाव के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है। अब भाजपा के सकारात्‍मक रुख को देखते हुए उम्‍मीद है कि सरकार की मंशा पूरी होगी। सरकार नवंबर से पहले इसे क़ानून का रूप देना चाहती ताकि जब अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आएं तो भारत पूरी तरह से तैयार रहे।

परमाणु जवाबदेही बिल के मसौदे में 18 संशोधन करने के बावजूद इसकी राह में नई बाधाएं खड़ी हो गई हैं। भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उस मसौदे में थोड़ा बदलाव किया है जिस पर उसके और सरकार के बीच सहमति बनी थी।

परमाणु जवाबदेही बिल पर नया बखेड़ा

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎10 घंटे पहले‎
परमाणु जवाबदेही बिल को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर मुश्किल में आ गई है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और वामपंथी पार्टियों ने बिल में किए गए सरकार के संशोधनों को नकार दिया है. बीजेपी ने इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया है. बिल के विरोधियों का कहना है कि इसके मौजूदा प्रावधानों के हिसाब से हादसा हो जाने पर पीड़ितों को मुआवजा दिला पाना मुश्किल होगा. भारत में अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों को परमाणु बिजली क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत ...

विवादास्पद संशोधन के रहते परमाणु विधेयक को समर्थन नहीं: भाजपा

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎6 घंटे पहले‎
परमाणु दायित्व विधेयक में विवादास्पद संशोधनों को फिर से शामिल करने पर भाजपा ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए सोमवार को कहा कि अगर इन प्रावधानों को हटाया नहीं गया तो उसके लिए संसद में इसका समर्थन करना संभव नहीं होगा। पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने यहां संवाददताओं से कहा, 'सरकार छुप्पा-छिप्पी का खेल क्यों खेल रही है। सरकार देश से छल क्यों कर रही है। हम हैरान हैं। हम स्तब्ध हैं और प्रस्तावित संशोधनों पर हमारी गहरी ...

संशोधित परमाणु दायित्व विधेयक पर भी आपत्तियां

खास खबर - ‎15 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। संशोधित परमाणु दायित्व विधेयक पर भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और वामपंथी पार्टियों ने आपत्ति ख़डी की है। संशोधित विधेयक पर बुधवार को संसद में चर्चा होनी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कहा कि लगता है कि जिस मसौदा विधेयक पर सहमति बनी थी, उसमें और भी ग़डबडियां हुई हैं। जबकि वाम दलों ने आरोप लगाया है कि विधेयक में किया गया नया संशोधन भी विदेशी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के पक्ष में है। ...

परमाणु विधेयक की राह में नए अवरोध, विपक्षी ने लिया आड़े हाथ

आज तक - ‎२२-०८-२०१०‎
संसद में पेश किये जाने से दो दिन पहले परमाणु दायित्व विधेयक की राह में नयी मुश्किलें पैदा हो गयी हैं क्योंकि भाजपा और वाम दलों ने विधेयक के मसौदे में नये बदलावों के जरिये आपूर्तिकर्ता के दायित्व को 'कमजोर' करने के लिये सरकार को आड़े हाथ लिया है. भाजपा और वाम दलों ने विधेयक के मसौदे में किये गये एक संशोधन पर आशंकाएं जताते हुए कहा है कि इसके जरिये गंभीर लापरवाही या खराब आपूर्ति करने के नतीजतन परमाणु हादसा होने की स्थिति में ...

परमाणु विधेयक में खामियां ही खामियां : वाम

प्रभात खबर - ‎२२-०८-२०१०‎
नयी दिल्ली : परमाणु दायित्व विधेयक में सरकार द्वारा प्रस्तावित नये संशोधनों की आलोचना करते हुए वाम दलों ने रविवार को कहा कि नये बदलावों से परमाणु संयंत्रों के लिये उपकरण मुहैया कराने वाले आपूर्तिकर्ताओं का दायित्व तय करना नामुमकिन हो जायेगा. माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा महासचिव एबी वर्धन, फ़ॉरवर्ड ब्लॉक के नेता देवव्रत विश्वास और आरएसपी के अवनी रॉय ने यहां एक वक्तव्य जारी कर कहा कि संशोधन में प्रस्तावित 17 (बी) असल ...

परमाणु दायित्व विधेयक पर भाजपा, वाम का ताजा गतिरोध

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎२२-०८-२०१०‎
परमाणु दायित्व विधेयक की राह में भाजपा और वाम दलों ने रविवार को तब ताजा अवरोध पैदा कर दिए जब उन्होंने कहा कि वे आपूर्तिकर्ता के दायित्व को कम करने की किसी भी कोशिश का विरोध करेंगे। भाजपा और वाम दलों ने विधेयक के मसौदे में किये गये एक संशोधन पर आशंकाएं जताते हुए कहा है कि इसके जरिए गंभीर लापरवाही या खराब आपूर्ति करने के नतीजतन परमाणु हादसा होने की स्थिति में विदेशी कंपनियों के अधिकारों की रक्षा की जा रही है। ...

संदेह के घेरे में परमाणु दायित्व विधेयक

बीबीसी हिन्दी - ‎२२-०८-२०१०‎
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद परमाणु दायित्व विधेयक को लेकर निश्चिंत हो चुकी सरकार के लिए फिर एक मुसीबत खड़ी हो गई है. सांसदों को सौंपी गई संशोधनों की सूची में उपबंध 17(बी) पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. सरकार ने असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक के मसौदे में जो ताज़ा संशोधन किए हैं उसके अनुसार परमाणु हादसा होने की स्थिति में परमाणु संयंत्र के संचालक से क्षतिपूर्ति का दावा तभी किया जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि ...

एटमी बिल पर विवाद के नए नुक्ते

दैनिक भास्कर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली परमाणु जनदायित्व विधेयक में सरकार ने फिर कुछ ताजा संशोधन किए हैं। इससे विवाद बढ़ सकता है। दरअसल, ताजा संशोधनों को परमाणु हादसा होने की हालत में सप्लायर की जवाबदेही कम करने वाला माना जा सकता है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को 18 सिफारिशों को स्वीकृति दी थी। इनमें से एक सिफारिश के अनुसार, ऑपरेटर क्षतिपूर्ति का दावा तभी कर सकता है, जब संयंत्र में हादसा जानबूझकर किया गया हो। संशोधित उपबंध 17 के ...

परमाणु विधेयक में ताजा बदलाव से उठ सकता है नया विवाद

प्रभात खबर - ‎२१-०८-२०१०‎
नयी दिल्ली : सरकार ने असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक के मसौदे में जो ताजा संशोधन किये हैं, उनके चलते ताजा विवाद उठने की संभावना है क्योंकि संशोधनों को परमाणु हादसा होने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता से क्षतिपूर्ति मांगने के ऑपरेटर के अधिकार को कमजोर कर देने के रूप में देखा जा सकता है. केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को जिन 18 सिफ़ारिशों को मंजूर किया, उनमें से एक सिफ़ारिश कहती है कि अगर किसी ऑपरेटर को आपूर्तिकर्ता से क्षतिपूर्ति ...

परमाणु दायित्व विधेयक पर भाजपा ने हाथ खींचे!

Patrika.com - ‎२२-०८-२०१०‎
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद परमाणु दायित्व विधेयक लेकर निश्चिंत हो चुकी सरकार के लिए एक मुसीबत खड़ी हो गई है। सांसदों को सौंपी गई संशोधनों की सूची में उपबंध 17(बी) पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार ने असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक के मसौदे में जो ताजा संशोधन किए हैं उसके अनुसार परमाणु हादसा होने की स्थिति में परमाणु संयंत्र के संचालक से क्षतिपूर्ति का दावा तभी किया जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि ...

उधर, वामदलों ने दो-टूक कहा है कि वे आपूर्तिकर्ता के दायित्व को कम करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह बिल संभवत: बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा। इस पर खासा हंगामा मचने के आसार हैं। भाजपा और वामदलों को एक संशोधन विशेष को लेकर आशंका है कि इससे परमाणु हादसे की स्थिति में आपूर्तिकर्ता विदेशी कंपनी को संरक्षण मिलेगा।

धारा 17 की शब्दावली पर विवाद :सारा विवाद धारा 17 की शब्दावली को लेकर चल रहा है। यह धारा आपूर्तिकर्ता विदेशी कंपनी के दायित्व से जुड़ी है। संशोधित मसौदे के मुताबिक परमाणु संयंत्र का संचालक आपूर्तिकर्ता से मुआवजा तब मांग सकेगा, जब-

(ए) उसके ऐसे अधिकार का उल्लेख सौदे में लिखित रूप से हो,
(बी) परमाणु दुर्घटना घटिया या खराब उपकरणों की आपूर्ति की वजह से हुई हो,
(सी) परमाणु दुर्घटना किसी व्यक्ति की मंशा या चूक के कारण हुई हो।

पिछले हफ्ते पहले दोनों उपबंधों को जोड़ने वाले 'और' शब्द को हटा दिया गया था। अब भाजपा का आरोप है कि सरकार ने भाषा में बदलाव करके 'मंशा' शब्द को जोड़ दिया है। कहीं नहीं था 'मंशा' शब्द : खास बात यह है कि न तो बिल के मूल मसौदे और न ही संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों में 'मंशा' शब्द का कहीं उल्लेख था।

पीएम को बिल आसानी से पास होने का भरोसा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भरोसा है कि परमाणु जवाबदेही बिल के शब्दों को लेकर भाजपा से कोई टकराव नहीं होगा। उन्होंने अपने सिपहसालारों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि यह बिल संसद में आसानी से पारित हो। सूत्रों के मुताबिक, सरकार बिल से उन सभी शब्दों को वापस ले लेगी जिन पर भाजपा को एतराज है।

प्रधानमंत्री का मानना है कि जब सरकार भाजपा के 17 सुझावों को स्वीकार कर चुकी है तो आपूर्तिकर्ता के दयित्व से जुड़े एक अन्य सुझाव को मंजूर करने में कोई हर्ज नहीं है। दुनियाभर में सिर्फ चार आपूर्तिकर्ता हैं। इनमें से दो पहले से भारत में काम कर रहे हैं। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है जो बिल पारित होने में बाधक बने।


वामदल इन संशोधनों पर सहमत नहीं हो सकते। मंशा शब्द जोड़ना हास्यास्पद और अतार्किक है। कोई आपूर्तिकर्ता यह नहीं मानेगा कि हादसा जानबूझकर हुआ है।-डी राजा, भाकपा नेता

प्रथम दृष्ट्या ऐसा लगता है कि सरकार ने सहमति वाले मसौदे में बदलाव किया है। अब जो शब्दावली जोड़ी गई है, उससे आपूर्तिकर्ता का दायित्व काफी हद तक खत्म कर दिया गया है। हम नए तथ्यों का अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद रुख तय करेंगे।-अरुण जेटली, राज्यसभा में विपक्ष के नेता

इस मसले पर सरकार खुले दिमाग से काम रही है। व्यापक आम सहमति बनाने के पूरे प्रयास किए गए हैं।-मनीष तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता

    
Source: BBC Hindi   |   Last Updated 16:00(18/08/10)
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विनोद वर्मा

बीबीसी संवाददाता, दिल्ली




    




परमाणु दायित्व विधेयक-2010 क्या है?

परमाणु दायित्व विधेयक -2010 ऐसा क़ानून बनाने का रास्ता है जिससे किसी भी असैन्य परमाणु संयंत्र में दुर्घटना होने की स्थिति में संयंत्र के संचालक का उत्तरदायित्व तय किया जा सके. इस क़ानून के ज़रिए दुर्घटना से प्रभावित लोगों को क्षतिपूर्ति या मुआवज़ा मिल सकेगा.

अमरीका और भारत के बीच अक्तूबर 2008 में असैन्य परमाणु समझौता पूरा हुआ. इस समझौते को ऐतिहासिक कहा गया था क्योंकि इससे परमाणु तकनीक के आदान-प्रदान में भारत का तीन दशक से चला आ रहा कूटनीतिक वनवास ख़त्म होना था.

इस समझौते के बाद अमरीका और अन्य परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों से भारत को तकनीक और परमाणु सामग्री की आपूर्ति तब शुरु हो सकेगी जब वह परमाणु दायित्व विधेयक के ज़रिए एक क़ानून बना लेगा.


कैसे होगी क्षतिपूर्ति?

इस विधेयक के आरंभिक प्रारुप में प्रावधान किया गया है कि क्षतिपूर्ति या मुआवज़े के दावों के भुगतान के लिए परमाणु क्षति दावा आयोग का गठन किया जाएगा. विशेष क्षेत्रों के लिए एक या अधिक दावा आयुक्तों की नियुक्ति की जा सकती है.

इन दावा आयुक्तों के पास दीवानी अदालतों के अधिकार होंगे.


क्या है विवाद?

इस विधेयक पर विपक्षी दलों ने कई आपत्तियाँ दर्ज की थीं जिसके बाद इसे सरकार ने टाल दिया था और इसे संसद की स्थाई समिति को भेज दिया गया था. अब स्थाई समिति ने अपनी सिफ़ारिशें संसद को दे दी हैं.

इसके आधार पर और विपक्षी दलों से हुई चर्चा के आधार पर सरकार विधेयक में आवश्यक प्रावधान करेगी.

    
एक विवाद मुआवज़े की राशि को लेकर था. पहले इसके लिए विधेयक में संचालक को अधिकतम 500 करोड़ रुपयों का मुआवज़ा देने का प्रावधान था लेकिन भारतीय जनता पार्टी की आपत्ति के बाद सरकार ने इसे तीन गुना करके 1500 करोड़ रुपए करने को मंज़ूरी दे दी है. कहा गया है कि सरकार ने कहा है कि वह समय समय पर इस राशि की समीक्षा करेगी और इस तरह से मुआवज़े की कोई अधिकतम सीमा स्थाई रुप से तय नहीं होगी.

दूसरा विवाद मुआवज़े के लिए दावा करने की समय सीमा को लेकर था. अब सरकार ने दावा करने की समय सीमा को 10 वर्षों से बढ़ाकर 20 वर्ष करने का निर्णय लिया है.

तीसरा विवाद असैन्य परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश देने को लेकर था. कहा जा रहा है कि सरकार ने अब यह मान लिया है कि फ़िलहाल असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए नहीं खोला जाएगा और सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ही इस क्षेत्र में कार्य करेंगे.

विवाद का चौथा विषय परमाणु आपूर्तिकर्ताओं को परिवहन के दौरान या इसके बाद होने वाली दुर्घटनाओं को लिए जवाबदेह ठहराने को लेकर है. विधेयक का जो प्रारूप है वह आपूर्तिकर्ताओं को जवाबदेह नहीं ठहराता.

आख़िरी विवाद का विषय अंतरराष्ट्रीय संधि, कन्वेंशन फॉर सप्लीमेंटरी कंपनसेशन (सीएससी) पर हस्ताक्षर करने को लेकर है. यूपीए सरकार ने अमरीका को पहले ही यह आश्वासन दे दिया है कि वह इस संधि पर हस्ताक्षर करेगा लेकिन वामपंथी दल इसका विरोध कर रहे हैं.

क्या है सीएमसी पर हस्ताक्षर करने का मतलब

सीएमसी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिस पर हस्ताक्षर करने का मतलब यह होगा कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में दावाकर्ता सिर्फ़ अपने देश में मुआवज़े का मुक़दमा कर सकेगा. यानी किसी दुर्घटना की स्थिति में दावाकर्ता को किसी अन्य देश की अदालत में जाने का अधिकार नहीं होगा.

वैसे यह संधि थोड़ी विवादास्पद है, क्योंकि इसमें जो प्रावधान हैं, उसकी कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है. उल्लेखनीय है कि सीएसई पर वर्ष 1997 में हस्ताक्षर हुए हैं लेकिन दस साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है.


क्या-क्या हैं प्रावधान?

    
राजनीतिक दलों से हुई चर्चा और संसद की स्थाई समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर सरकार अब मौजूदा विधेयक में संशोधन करेगी. इसके बाद संशोधित विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी दी जाएगी फिर इसे संसद में मंज़ूरी के लिए पेश किया जाएगा.

इसलिए यह कहना फ़िलहाल कठिन होगा कि वास्तव में विधेयक में सरकार क्या-क्या प्रावधान करती है लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ने जिन बिंदुओं पर समझौते की हामी भरी है वह सब नए प्रारूप में शामिल होंगे.


क्या इसकी कोई समय सीमा है?

यह भारत का अंदरूनी मामला है कि वह परमाणु दायित्व विधेयक को कब संसद से पारित करता है और कब इसे क़ानून का रुप दिया जा सकेगा. लेकिन यह तय है कि असैन्य परमाणु समझौते के तहत परमाणु तकनीक और सामग्री मिलना तभी शुरु हो सकेगा जब यह क़ानून लागू हो जाएगा.

लेकिन ऐसा दिखता है कि भारत सरकार नवंबर से पहले इसे क़ानून का रुप देना चाहती ताकि जब अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आएँ तो भारत पूरी तरह से तैयार रहे.
http://www.bhaskar.com/article/NAT-nuclearliability-qna-vv-1269951.html?PRV=

सांसदों के भत्ते में 10 हजार रुपये का इजाफा                
आज तक ब्‍यूरो | नई दिल्‍ली, 23 अगस्त 2010 | अपडेटेड: 12:49 IST
सांसदों के वेतन को लेकर चल रहा विवाद सुलझ गया है. कैबिनेट ने सांसदों के भत्ते में और दस हजार रुपए की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.
इससे पहले कैबिनेट ने सांसदों का वेतन करीब तीन गुना बढ़ाने को अपनी मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसे कम बताते हुए लालू-मुलायम की अगुवाई में लोकसभा में सांसदों ने जोरदार हंगामा किया था. सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सांसदों का भत्ता दस हजार रुपया बढ़ाने का फैसला किया गया.  संसदीय क्षेत्र भत्ता और दफ्तर खर्च भत्ता 5-5 हजार रुपये बढ़ाया गया है.
पिछले दिनों लालू-मुलायम के हंगामे की आवाज केंद्र सरकार के कानों तक पहुंच ही गई. लालू-मुलायम समेत कई सांसदों ने आवाज उठाई थी कि उनकी तनख्वाह तिगुनी करने पर जो मुहर लगाई गई है, वो नाकाफी है. सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई.
दरअसल, कैबिनेट ने सांसदों की तनख्वाह तीन गुना कर दी थी, लेकिन जनता के प्रतिनिधियों को तिगुने वेतन पर भी संतोष नहीं हुआ. उन्हें ये नहीं भा रहा है कि उनकी बेसिक सैलरी 16 हज़ार से बढ़कर 50 हज़ार हो गई है. दैनिक भत्ता 1 हज़ार से बढ़कर 2 हज़ार हो गया.
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http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/37501/9/76/1

सांसदों के भत्ते में दस हज़ार की बढ़ोतरी

सुशीला सिंह
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
वेतन में तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी के बावजूद कुछ सांसद ख़ुश नहीं हैं.
भारत में सांसदो का भत्ता 10,000 रुपए और बढ़ा.
वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अड़े सांसदो को शांत करने की कोशिश करते हुए सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सांसदों के भत्तों में 10 हज़ार रुपए और बढ़ाने को मंजूरी दे दी है.
सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया.
अब सांसदो को चुनाव क्षेत्र भत्ता और दफ़्तर ख़र्च के लिए प्रति महीने पांच-पांच हज़ार रुपए अतिरिक्त दिए जाएगे.
इन रुपयों पर कर में भी छुट दी गई हैं.

वामदलों की नाराज़गी

वामदलों का कहना है कि जिस तरीक़े से वेतन वृद्धि की गई है हम उसके ख़िलाफ़ है.
सीपीएम पोलित ब्युरो के सदस्य और राज्यसभा सांसद सीताराम यचुरी का कहना है कि ''एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसमें सांसद शामिल न हों बल्कि वेतन आयोग में एक नियम जोड़ा जाना चाहिए जो सांसदों का वेतन तय करे.''
यचुरी ने कहा कि जब संसद में ये प्रस्ताव लाया जाएगा तो सीपीएम इसका समर्थन नहीं करेगा और न ही वे बहस में शामिल होंगें.''
दरअसल शुक्रवार को ही कैंद्रीय मंत्रिमंडल ने सांसदों का वेतन तीन गुना बढ़ाया था जिसके मुताबिक़ अब हर सांसद का वेतन 16 हज़ार से बढ़कर 50 हज़ार रुपए प्रति माह हो जाएगा.
लेकिन इस बढ़ोत्तरी पर भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ राष्ट्रीय जनता दल,बहुजन समाज पार्टी,समाजवादी पार्टी जनता दल (युनाइटेड),शिवसेना और अकाली दल के सांसदो ने नाराज़गी ज़ाहिर की थी.

नया तरीक़ा अपनाने की वकालत

भागलपुर से सांसद और बीजेपी के प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन का कहना है कि सांसदों का वेतन सम्मानजनक होना चाहिए लेकिन हम ये हमेशा से कहते आए है कि एक ऐसा तरीक़ा बनाया जाना चाहिए ताकि सांसद अपना वेतन ख़ुद न निर्धारित करें.
शाहनवाज़ ने कहा कि कैबिनेट ने भत्ता तो बढ़ाया है लेकिन अगर हम घर से मदद न ले तो संसदीय क्षेत्र के लिए ख़र्च पूरा नहीं पड़ता, जैसे दूसरे मूलकों में एक संस्था सांसदों का वेतन तय करती है वैसे ही भारत के सांसदों के लिए भी किया जाना चाहिए.
संयुक्त संसदीय समिति ने ये प्रस्ताव दिया था कि की सांसदों का वेतन 16 हज़ार रुपए से बढा़कर 80 हज़ार कर दिया जाए लेकिन कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर 50 हज़ार रुपए प्रति माह करने का फ़ैसला किया था.
सांसदों को दफ़्तर के लिए और चुनाव क्षेत्र के लिए प्रति माह 20-20 हज़ार रुपए भत्ता मिलता था जिसे बढ़ाकर 40-40 हज़ार कर दिया गया था लेकिन अब कैबिनेट के ताज़ा फ़ैसले के बाद अब ये 45-45 हज़ार हो गया हैं.
शुक्रवार को इस मुद्दे पर संसद में बीजेपी,सपा,आरजेडी,बसपा और जेडी(यु) के सांसदों ने काफ़ी हंगामा किया था और सांसदों का अपमान बंद करो के नारे भी लगाए थे.
भारत के सांसदों के नए वेतन की तुलना में अमरीका में सांसदों का वेतन 13 गुना , कनाडा में 11 गुना और ब्रिटेन में आठ गुना ज़्यादा है.
जानकारों के मुताबिक़ ये विवाद अंतहीन बहस का विषय है.
जंहा एक तबक़ा ये कह रहा है कि वेतन के साथ साथ सांसदों को मिलने वाली सुविधाओं को भी देखा जाना चाहिए तो दूसरा पक्ष वेतन पर ज़ोर देता है.
बहरहाल एक सवाल ये भी है कि वेतन राजनीति के लिए है या फिर जन सेवा के लिए.

   

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सांसदों के वेतन में और इजाफा मुमकिन

आज तक - ‎3 घंटे पहले‎
सांसदों की तनख्वाह में और बढ़ोत्तरी हो सकती है. केंद्र सरकार सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में सांसदों की तनख्वाह बढ़ाने के मामले में फिर विचार करेगी. पिछले दिनों लालू-मुलायम के हंगामे की आवाज केंद्र सरकार के कानों तक पहुंच ही गई. लालू-मुलायम समेत कई सांसदों ने आवाज उठाई थी कि उनकी तनख्वाह तिगुनी करने पर जो मुहर लगाई गई है, वो नाकाफी है. सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए अब कैबिनेट की बैठक बुलाई है. प्रधानमंत्री आवास पर ...

सांसदों के भत्ते में दस हज़ार की बढ़ोतरी

बीबीसी हिन्दी - ‎4 घंटे पहले‎
वेतन में तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी के बावजूद कुछ सांसद ख़ुश नहीं हैं. भारत में सांसदो का भत्ता 10000 रुपए और बढ़ा. वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अड़े सांसदो को शांत करने की कोशिश करते हुए सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सांसदों के भत्तों में 10 हज़ार रुपए और बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. अब सांसदो को चुनाव क्षेत्र भत्ता और दफ़्तर ख़र्च के ...

सांसदों को संतुष्ट करने का प्रयास, वेतन 10 हजार और बढ़ाया

खास खबर - ‎11 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। सरकार ने रूठे सांसदों को संतुष्ट करने के लिए सोमवार को उनके वेतन-भत्तों में और इजाफा कर दिया है। आज सुबह हुई कैबिनेट बैठक में सांसदों के वेतन में दस हजार रूपए और संसदीय क्षेत्र एवं दफ्तर खर्च भत्ते में 5-5 हजार रूपए और बढ़ाने का फैसला किया गया। गौरतलब है कि कैबिनेट में पिछले सप्ताह सांसदों का वेतन 16 हजार रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 50 हजार रूपए करने का फैसला किया था, लेकिन लालू-मुलायम समेत कई सांसद इससे खुश नहीं हुए ...

सांसदों की सैलरी और 10 हजार बढ़ी

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎9 घंटे पहले‎
वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे सांसदों को शांत करने के लिए सरकार ने उनके भत्ते 10 हजार रुपये और बढ़ा दिए हैं. पिछले हफ्ते सैलरी में 300 प्रतिशत वृद्धि के बावजूद कई पार्टियों के सांसद और ज्यादा वेतन चाहते हैं. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सांसदों का कार्यालय और निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 5-5 हजार रुपये बढ़ाने का फैसला किया गया. पिछले हफ्ते ही सरकार ने सांसदों का वेतन 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार ...

सांसदों की सैलरी 10 हजार रुपये और बढ़ेगी

एनडीटीवी खबर - ‎11 घंटे पहले‎
सांसदों की तनख्वाह 10 हजार रुपये और बढ़ने जा रही है। इस पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। सांसदों को अब दफ्तर और संसदीय क्षेत्र भत्ते के लिए 5−5 हजार रुपये और दिए जाएंगे। इस तरह अब सांसदों को ऑफिस भत्ते के लिए 45 हजार और संसदीय क्षेत्र भत्ते के लिए भी 45 हजार रुपये दिए जाएंगे, जबकि बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये ही रहेगी। कुल मिलाकर अब सांसदों की तनख्वाह 1 लाख 60 हजार रुपये हो जाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार ...

सांसदों का भत्ता 10000 और बढ़ा, इससे आगे बढ़ोतरी से इंकार

देशबन्धु - ‎2 घंटे पहले‎
नई दिल्ली ! केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को सांसदों के भत्तों में 10000 रुपये की अतिरिक्त वृध्दि को मंजूरी दे दी। इसमें निर्वाचन क्षेत्र एवं कार्यालय भत्तों में पांच-पांच हजार रुपये की बढ़ोतरी शामिल है। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने वेतन में 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सोमवार को सांसद वेतन वृध्दि संबंधी विधेयक पर पुनर्विचार हुआ। ...

सांसदों के भत्तों में और 10 हजार रुपए प्रतिमाह की वृद्धि

प्रभात खबर - ‎10 घंटे पहले‎
नयी दिल्लीः सांसदों का वेतन और बढ़ाए जाने की संसद सदस्यों के एक वर्ग की मांग के बारे बीच का रास्ता निकालते हुए सरकार ने उनके भत्तों में दस हजार रुपए प्रतिमाह की वृद्धि करने का आज फ़ैसला किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में सांसदों के कार्यालय और चुनाव क्षेत्र भत्तों में पांच-पांच हजार की बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. सपा, राजद, जदयू और बसपा सहित कई दलों के सदस्य हाल ही में ...

सांसदों का भत्ता 10 हजार बढ़ा

Patrika.com - ‎7 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। सांसदों की वेतन वृद्धि को लेकर मचे बवाल के बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए सांसदों को 10 हजार रूपए भत्तों के रूप में देने का फैसला किया है। केन्द्रीय केबिनेट ने आज हुई बैठक में सांसदों का वेतन बढ़ाने संबंधी बिल में संशोधन करते हुए 10 हजार रूपए अतिरिक्त भत्ता देने पर मुहर लगा दी है। अब सांसदों को 50 हजार रूपए की सैलरी के अलावा 5 हजार रूपए ऑफिस भत्ता और 5 हजार रूपए संसदीय क्षेत्र भत्ता दिया जाएगा। ...

क्यों न बढ़े सांसदों का वेतन

दैनिक भास्कर - ‎14 घंटे पहले‎
सांसदों के वेतन बढ़ाए जाने को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा विवाद अब भी जारी है और जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि यह आगे भी जारी रहेगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह गतिरोध है क्यों? दूसरी बात, इसे कौन लोग सबसे ज्यादा तूल दे रहे हैं? क्या जो बातें मीडिया में आ रही हैं, वे पूरी तरह संतुलित हैं या एकतरफा हैं? साथ ही, सांसदों के वेतन बढ़ने से सबसे ज्यादा चिंतित कौन हैं और हैं तो क्यों? लोग यह तर्क देते हैं कि ...

भविष्य में आयोग के हवाले होगी वेतन वृद्धि!

दैनिक भास्कर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली . अमूमन सभी राजनीतिक दल के सांसदों का दबाव देखते हुए केंद्र सरकार भले ही इस बार वेतन बढ़ोतरी का फैसला संसदीय समिति की सलाह पर कर रही हो, लेकिन भविष्य में खुद को इस विवाद से दूर रखने की कवायद भी शीर्ष स्तर पर शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्षी दल इस बात पर सहमत नजर आ रहे हैं कि आगे से सांसदों के वेतन-भत्ते बढ़ाने का फैसला कोई आयोग या अधिकारप्राप्त समूह करे तो बेहतर होगा। भारतीय जनता पार्टी की ओर से खुद ...

300 फीसदी इंक्रीमेंट पर भड़के लालू-मुलायम, 500 फीसदी की मांग

दैनिक भास्कर - ‎२०-०८-२०१०‎
नई दिल्ली. सांसदों का वेतन 300 फीसदी बढ़ाने के फैसले पर कैबिनेट का मन चार दिन में ही बदल गया, पर सांसदों का मन इससे नहीं भरा। शुक्रवार को कैबिनेट ने सांसदों के वेतन बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके बावजूद लोकसभा में जोरदार हंगामा हुआ। इस वजह से सदन की कार्यवाही तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सांसदों ने 300 फीसदी की वेतन बढ़ोतरी पर नाखुशी जताते हुए इसे 500 फीसदी किए जाने की जोरदार मांग की। आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद ...

और बढ़ेगा सांसदों का वेतन

दैनिक भास्कर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली सांसदों के वेतन में तीन सौ फीसदी बढ़ोतरी के बावजूद नाखुश नेताओं को सरकार ने आश्वस्त किया है कि उनका वेतन अभी और बढ़ाया जाएगा। पिछले दो दिनों से सांसदों का वेतन सोलह हजार से बढ़ाकर पचास हजार रुपए किए जाने को नाकाफी बताकर लोकसभा में हंगामा करने और समानांतर संसद चलाने वाले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, सपा प्रमुख मुलायम सिंह और बसपा नेता दारा सिंह चौहान को वित्त मंत्री और सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने वायदा किया कि ...

तीन गुना वेतन बढने पर भी सांसद मांगे ओर

खास खबर - ‎२०-०८-२०१०‎
मुंबई। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सांसदों के वेतन में तीन गुना और भत्तों में दोगुने की वृद्धि संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी लेकिन इस वृद्धि से असंतुष्ट सांसदों ने लोकसभा की कार्यवाही में बाधा पैदा की। सांसदों का वेतन 16 हजार रूपये प्रति माह से बढ़ाकर 50 हजार रूपये करने का प्रस्ताव है। मंत्रिमंडल की बैठक में वेतन और भत्तों में वृद्धि संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी गई। सांसदों का कहना है कि उनका वेतन संसदीय समिति की ...

सांसद वेतन वृद्धि विवाद समाप्त

खास खबर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली। सरकार के संकटमोचक केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की, तीन गुना वेतन वृद्धि से भी असंतुष्ट सांसदों से मुलाकात के बाद सांसदों की वेतन वृद्धि को लेकर पैदा हुआ विवाद शनिवार को समाप्त हो गया। सांसद, वेतन में 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी किए जाने की मांग कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि सरकार वेतन में थो़डी और बढ़ोतरी पर विचार कर सकती है। मुखर्जी ने शनिवार सुबह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और समाजवादी ...

सांसदों की मांग पर सरकार झुकी, वेतन पुनरीक्षण का दिया आश्वासन

खास खबर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली। सांसदों के वेतन-भत्तों में वृदि्ध को लेकर चल रहा गतिरोध शनिवार को सरकार के आश्वासन के बाद खत्म हो गया है। सरकार ने सांसदों को आश्वासन दिया है कि वह केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई सांसदों की वेतन वृदि्ध का पुनरीक्षण करेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वेतन गतिरोध के समाधान के लिए शनिवार सुबह राजद प्रमुख लालू प्रसाद, उनके सहयोगी सपा प्रमुख मुलायम सिंह और भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे से मुलाकात की। ...

सांसदों की परिलब्धियां बढ़ सकती हैं

That's Hindi - ‎२१-०८-२०१०‎
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को कहा कि सरकार, नियम 193 के तहत चिकित्सा परिषद विधेयक पर लोकसभा में चर्चा कराए जाने पर भी राजी हो गई है। सूत्रों ने कहा कि मुखर्जी के साथ बैठक में वेतन बढ़ोतरी का मुद्दा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने उठाया। बैठक में संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण तथा वी.नारायणस्वामी भी उपस्थित थे। वामपंथी पार्टियों ने बैठक में ...

65 हजार रुपये महीना हो सकता है सांसदों का वेतन

एनडीटीवी खबर - ‎२१-०८-२०१०‎
सांसदों का वेतन 16 हजार रूपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये मासिक किए जाने के कैबिनेट के फैसले से कई पार्टियों के सांसदों के असंतुष्ट होने के बाद अब संभावना है कि इसे बढ़ाकर 65 हजार रुपये किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सांसद वेतन विधेयक कब पेश किया जाएगा, इस बारे में अभी फैसला नहीं किया गया है क्योंकि यदि विपक्ष की मांग मानकर सरकार वेतन 50 हजार रुपये मासिक से अधिक करना तय करती है तो इसे कैबिनेट नए सिरे से मंजूरी देगी। ...

सांसदों को 4 दिन में दूसरा इंक्रीमेंट, 10000 रुपये और बढ़ी तनख्वाह

दैनिक भास्कर - ‎11 घंटे पहले‎
नई दिल्ली. कैबिनेट ने सोमवार को सांसदों को 10000 रुपए प्रति माह का अतिरिक्त इंक्रीमेंट दे दिया। ये रकम उनके भत्तों में जोड़ी गई है। लेकिन इसे अंतिम मंजूरी संसद में मिलेगी। सांसद 300 फीसदी वेतन बढ़ोतरी से नाराज थे और लोकसभा में उन्होंने इसे लेकर विरोध भी किया था। सांसद मूल वेतन में 500 फीसदी बढ़ोतरी चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया था। शनिवार को वित्त मंत्री और सरकार के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी ने विपक्षी नेताओं की ...

सांसदों की वेतन वृद्धि का मुद्दा सुलझा

वेबदुनिया हिंदी - ‎२१-०८-२०१०‎
सांसदों का वेतन तीन गुना बढ़ाए जाने के बावजूद इस पर असंतोष प्रकट करते हुए कई दलों के सदस्यों द्वारा पिछले दो दिनों से संसद की कार्यवाही बाधित किए जाने और लोकसभा में 'लालू प्रसाद के नेतृत्व में नई सरकार' गठित किए जाने के 'स्वांग' के बाद राजग संयोजक शरद यादव ने कहा कि यह मामला सुलझ गया है और अब संसद सामान्य रूप से चलेगी। शरद यादव ने लोकसभा में बताया कि सरकार ने आक्रोशित सदस्यों को आश्वासन दिया है कि वेतन वृद्धि मुद्दे पर उनकी ...

सांसदों के वेतन पर विवाद खत्म, संसद में शांति

खास खबर - ‎२१-०८-२०१०‎
नई दिल्ली। सांसदों की उम्मीद से कम वेतन वृद्धि से नाराज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और समाजवादी पार्टी (सपा) मुलायम सिंह यादव से सरकार के संकटमोचक केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की मुलाकात के बाद इस मुद्दे पर गतिरोध शनिवार को समाप्त हो गया। सांसदों के वेतन में 300 प्रतिशत की वृद्धि का विरोध कर रहे नेताओं और सरकार के बीच हुए समझौते की जानकारी नहीं मिल सकी लेकिन लोकसभा में शनिवार को कोई विरोध नहीं ...

सांसद वेतन वृद्धि विधेयक पर पुनर्विचार करेगी कैबिनेट

खास खबर - ‎11 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सोमवार को होने वाली बैठक में सांसदों के वेतन वृद्धि संबंधी विधेयक पर पुनर्विचार होगा और संशोधन किए जाएंगे। इस विधेयक के प्रारूप को पिछले सप्ताह मंजूरी दी गई थी। इस विधेयक में सांसदों का वेतन तिगुना बढ़ाने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव का उन सदस्यों ने जमकर विरोध किया जो वेतन में पांच गुणा वृद्धि की मांग कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि कर के दायरे में न आने वाले भत्तों जैसे निर्वाचन ...

सांसदों के वेतन में 10 हजार का और इजाफा

खास खबर - ‎12 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को सांसदों के वेतन-भत्तों में और इजाफा कर दिया है। कैबिनेट ने सांसदों के वेतन में दस हजार रूपए और संसदीय क्षेत्र एवं दफ्तर खर्च भत्ते में दस-दस हजार रूपए और बढ़ाने का फैसला किया है। गौरतलब है कि कैबिनेट में पिछले सप्ताह सांसदों का वेतन 16 हजार रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 50 हजार रूपए करने का फैसला किया था, लेकिन लालू-मुलायम के क़डे विरोध और लोकसभा में भारी हंगामे के बाद वित्त मंत्री ...

बढ़े वेतन से नाखुश सांसदों का हंगामा

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎२०-०८-२०१०‎
भारत सरकार ने सांसदों का वेतन 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है. लेकिन विपक्षी सांसदों की मांग है कि इसे 80 हजार रुपये किया जाए. इस मुद्दे पर शुक्रवार को लोकसभा में खासा हंगामा हुआ. सांसदों की वेतन वृद्धि के मुद्दे पर जब सदन में "सांसदों का अपमान बंद करो" और "संसदीय समिति की रिपोर्ट को लागू करो" जैसे नारे गूंजने लगे तो स्पीकर मीरा कुमार को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. समाजवादी पार्टी, बीएसपी, जेडी (यू), ...

वेतन 16से50 हजार हुआ, भत्ते भी बढ़े, फ़िर भी सांसद नाखुश

प्रभात खबर - ‎२०-०८-२०१०‎
नयी दिल्ली: सांसदों के वेतन में तीन गुना वृद्धि (तीन सौ फीसदी) को केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी. सांसदों के वेतन अब 16 हजार रुपये से बढ़ कर 50 हजार रुपये हो जायेंगे. इसके अलावा अन्य भत्तों को भी दोगुना कर दिया गया है. सांसदों की पेंशन भी आठ हजार रुपये से बढ़ा कर 20 हजार रुपये कर दी गयी है. जो सांसद पांच साल से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें पांच साल के बाद अतिरिक्त कार्यकाल के लिए पेंशन के तौर पर हर साल ...

नाखुश सांसदों ने किया हंगामा, कहा और बढ़े वेतन

प्रभात खबर - ‎२०-०८-२०१०‎
नयी दिल्लीः सांसदों का वेतन तीन गुना बढ़ाए जाने के कैबिनेट के फ़ैसले से असंतुंष्ट सपा, बसपा, राजद और जदयू के सदस्यों ने इसे संसदीय समिति की सिफ़ारिशों के अनुरूप करने की मांग को लेकर लोकसभा में आज भारी हंगामा किया जिसके कारण सदन की बैठक कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई. सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लालू और मुलायम सिंह ने सांसदों के वेतन बढ़ाये जाने के बारे में कैबिनेट के फ़ैसले का विषय उठाया. उन्होंने कैबिनेट के फ़ैसले का ...

सांसदों का वेतन और बढ़ा सकती है सरकार !

प्रभात खबर - ‎२२-०८-२०१०‎
नयी दिल्ली : कैबिनेट द्वारा मंजूर की गयी प्रस्तावित बढोत्तरी से नाखुश सांसदों के एक वर्ग को संतुष्ट करने के लिये सरकार संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते में बीस से तीस हजार तक का और इजाफ़ा करने पर सहमत हो सकती है. इस मुद्दे पर कल वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ भाजपा, राजद, सपा और जद (यू) नेताओं ने मुलाकात की. इसी के बाद से सांसदों के वेतन-भत्तों में और भी बढोत्तरी हो सकने की बात विपक्षी खेमे में की जा रही है. विपक्ष के सूत्रों ...

सांसदों की वेतन वृद्धि

प्रभात खबर - ‎२२-०८-२०१०‎
भारत की तुलना किन अर्थो में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर और संयुक्त राज्य अमेरीका से की जा सकती है? क्या इन देशों में भारत की तरह गरीबी, अशिक्षा, भुखमरी, बेरोजगारी और कुपोषण है? जिन देशों के सांसदों का वेतन भारत के सांसदों के वेतन से कई गुणा अधिक है वे देश पिछड़े और अविकसित नहीं हैं. भारत में राजनीति का पेशा और व्यवसाय बनना नव उदारवादी अर्थव्यवस्था के दौर में अधिक हुआ है. ...

लालच और निर्लज्जता का दुखद अध्याय

दैनिक भास्कर - ‎२२-०८-२०१०‎
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक सप्ताह पहले जो संयम दिखाया था, उसे तोड़ते हुए सांसदों के वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी के विधेयक को मंजूरी दे दी। लेकिन वेतन में तिगुनी और भत्तों में दोगुनी बढ़ोतरी भी हमारे सासंदों को संतुष्ट नहीं कर सकी। इसे और ज्यादा बढ़ाने के लिए उन्होंने संसद के भीतर व बाहर जैसा हंगामा किया, वह हमारी राजनीति में लालच और निर्लज्जता का एक और दुखद अध्याय है। किसी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी ग्रहण कर ली, किसी ने ...

200फीसदी से ज्यादा का इजाफा, फिर भी नाखुश है सांसद

दैनिक भास्कर - ‎२१-०८-२०१०‎
सरकार ने सांसदों के वेतन में 200 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी का फैसला लिया है। अब इनका मूल वेतन 16 हजार रुपये स बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा करीब लाख रुपये की सुविधाएं अलग से। इसके वावजूद ये खुश नहीं नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को सुबह हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। इससे पहले की मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला टाल दिया गया था। ...

3 गुना बढ़ोतरी पर भी नाखुश

Business standard Hindi - ‎२०-०८-२०१०‎
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सांसदों के वेतन वृद्धि को मंजूरी दिए जाने के बाद अब सभी सांसदों की मासिक आमदनी बढ़कर 1.02 लाख रुपये हो गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज सुबह हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बारे में गठित सांसदों की समिति की सिफारिशों पर विचार करने के बाद उनका मूल वेतन 16 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रति महीना करने को मंजूरी दे दी है। हालांकि समिति ने सांसदों के मूल वेतन में पांच गुना बढ़ोतरी कर ...




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नक्सलियों के निशाने पर चिदंबरम सहित 22 नेता

खास खबर - ‎11 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। नक्सलियों के निशाने पर केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम सहित 22 प्रमुख नेता हैं। इनमें गृह सचिव जीके पिल्लई सबसे ऊपर हैं। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक नक्सलियों ने यह एलान किया है कि जो नक्सली कैडर चिदंबरम और पिल्लई पर हमला करेगा, उन्हें भारी इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, उ़डीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत भाजपा के कुछ ब़डे नेता भी इस ...

नक्सलियों के निशाने पर चिदंबरम सहित 22 नेता

आज तक - ‎12 घंटे पहले‎
देश के बड़े राजनेता नक्सलियों के टार्गेट पर हैं. खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और गृह सचिव जी के पिल्लई मुख्य तौर पर निशाने पर हैं. यह भी एलान किया गया है कि जो नक्सली केडर चिदंबरम और पिल्लई पर हमला करेगा उन्हें भारी इनाम दिया जाएगा. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, उड़ीसा के मुख्यंत्री नवीन पटनायक समेत बीजेपी के कुछ बड़े नेता भी इस ...

मनमोहन और कई बड़े नेता नक्सलियों के निशाने पर

मेरी खबर.कोम - ‎14 घंटे पहले‎
नई दिल्ली: सीआरपीएफ और आम जनता के बाद अब नक्सलियों की नजर देश के प्रधानंमंत्री मनमोहन सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, केन्द्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर है। सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने एक बैठक की है। इस बैठक में नक्सलियों ने अपने आगे की रणनीति बनाई। इसके साथ ही उन्होंने बैठक में दो दर्जन वीआईपी व बड़े अधिकारियों की लिस्ट बनाई जो उनके निशाने पर हैं। ...

चिदंबरम, 22 नेता नक्सली हिट लिस्ट में

SamayLive - ‎14 घंटे पहले‎
चिदंबरम के अलावा 22 अन्य बड़े नेताओं पर भी नक्सली ख़तरा मंडरा रहा है। नेताओं पर नक्सली ख़तरे का खुलासा आईबी ने किया है। इंटेलिजेंस ब्यूरो का कहना है कि चिदंबरम और पिल्लई के अलावा रमन सिंह और नवीन पटनायक नक्सलियों के निशाने पर हैं। इनके अलावा बीजेपी की कुछ वरिष्ठ नेता भी नक्सलियों की हिट लिस्ट में हैं। नेताओं के अलावा नक्सलियों ने डीआईजी स्तर से ऊपर के कई अधिकारियों को भी अपना निशाना बनाया है। ख़बर है कि 15 अगस्त के बाद...

नक्सलियों के निशाने पर चिदंबरम और रमन सिंह !

Patrika.com - ‎15 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। नक्सलियों के निशाने पर देश के कई बड़े नेता व अधिकारी हैं। इनमें गृह मंत्री पी.चिदंबरम, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, केन्द्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में नक्सलियों की एक बैठक हुई। इसमें दो दर्जन वीआईपी व बड़े अधिकारियों की लिस्ट बनाई गई । इसमें नक्सलियों के बड़े नेताओं ने तय किया कि आजाद की मौत का बदला लेने के लिए बड़े नेताओं व अधिकारियों की ...

उमर ने घाटी में शांति की दुआ माँगी

वेबदुनिया हिंदी - ‎43 मिनट पहले‎
PTI जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने पिता फारूक अब्दुला और अन्य परिजनों के साथ सोमवार को यहाँ विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार पर जियारत कर घाटी में शीघ्र अमन-चैन होने की मन्नत माँगी। उमर अब्दुला ने दरगाह परिसर में मन्नत का धागा भी बाँधा। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अब्दुला ने पिता फारूक अब्दुल्ला और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तीसरे प्रहर कड़े सुरक्षा प्रबंध के बीच गरीब ...

उमर अब्दुल्ला ने घाटी में अमन चैन की मन्नत मांगी

खास खबर - ‎4 घंटे पहले‎
अजमेर। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिता फारूक अब्दुल्ला और अन्य परिजनों के साथ आज यहां सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार पर जियारत कर घाटी में शीघ्र अमन चैन होने की मन्नत मांगी। उमर ने दरगाह परिसर में मन्नत का धागा भी बांधा। सूत्रों के अनुसार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिता फारूक अब्दुल्ला और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तीसरे पहर गरीब नवाज की मजार पर देश में अमन चैन और ...

अजमेर में जियारत करेंगे उमर अब्दुल्ला

खास खबर - ‎9 घंटे पहले‎
जयपुर। अजमेर स्थित सूफी संत ख्याजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दगाह में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने पूरे परिवार के साथ सोमवार को जियारत कर दुआ मांगेगे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उमर अब्दुल्ला परिवार सहित अपनी निजी यात्रा पर कल जयपुर पहुंचे थे। अब्दुल्ला की जयपुर और अजमेर यात्रा को देखते हुए सुरक्षा के कडे़ इन्तजाम किए गए हैं।

अजमेर में जियारत कर दुंआ मांगेगे उमर

प्रभात खबर - ‎13 घंटे पहले‎
जयपुर: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने परिवार के साथ आज अजमेर स्थित विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत कर दुंआ मांगेगे. पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उमर अब्दुल्ला परिवार समेत अपनी निजी यात्रा पर कल जयपुर पहुंचे थे. अब्दुल्ला की जयपुर और अजमेर यात्रा को देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये हैं.

फारूक अब्दुला ने दरगाह में जियारत की

Patrika.com - ‎5 घंटे पहले‎
अजमेर। केन्द्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला एवं जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज सूफी संत हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जियारत की। फारूक अब्दुल्ला एवं उमर अब्दुल्ला दोपहर करीब तीन बजे सूफी संत की दरगाह पहुंचे और उन्होंने दरगाह में अकीदत के फूल पेश कर जियारत की। अब्दुल्ला परिवार को खादिम मोईन ने जियारत कराई। इस अवसर पर अंजुमन समिति की ओर से अब्दुल्ला परिवार का तवरर्ख किया गया। ...

उमर अब्दुल्ला आज अजमेर में

दैनिक भास्कर - ‎19 घंटे पहले‎
अजमेर. जम्मू व कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सोमवार को दरगाह जियारत करेंगे। उनकी अजमेर यात्रा को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। खुफिया महकमे पहुंचे कार्यक्रम के मुताबिक उमर अब्दुल्ला सुबह करीब 9.30 बजे जयपुर रवाना होकर सड़क मार्ग से अजमेर आएंगे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे की ओर से एक टीम उमर अब्दुल्ला के लिए गठित कर दी गई है। पुलिस को भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम के लिए कहा है। माना जा रहा है कि ...
सोमवार,23 अगस्त, 2010 को 09:41 तक के समाचार
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क्यों न बढ़े सांसदों का वेतन

    
Source: Jitendra Kumar   |   Last Updated 09:43(23/08/10)
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इससे पहले
         

    
                        
सांसदों के वेतन बढ़ाए जाने को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा विवाद अब भी जारी है और जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि यह आगे भी जारी रहेगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह गतिरोध है क्यों? दूसरी बात, इसे कौन लोग सबसे ज्यादा तूल दे रहे हैं? क्या जो बातें मीडिया में आ रही हैं, वे पूरी तरह संतुलित हैं या एकतरफा हैं? साथ ही, सांसदों के वेतन बढ़ने से सबसे ज्यादा चिंतित कौन हैं और हैं तो क्यों?

लोग यह तर्क देते हैं कि जब देश में इतनी गरीबी है, तो किस आधार पर गरीबों के इन प्रतिनिधियों को इतनी मोटी तनख्वाह दी जानी चाहिए। सांसदों की तनख्वाह बढ़ाए जाने के खिलाफ तर्क देने वालों का तो यहां तक कहना है कि यह गरीब देश की जनता का अपमान है। अगर दोनों बातों को एक साथ रखकर देखें, तो ये तर्क काफी महत्वपूर्ण लगते हैं, लेकिन तर्क देने वाले लोगों के ऊपर नजर डालें तो उनकी करनी और कथनी, दोनों ही अटपटी लगती है।

सांसदों की तनख्वाह न बढ़ाने की हिमायत करने वाले अधिकांशत: वे लोग हैं जो कहीं विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं, नौकरशाह हैं या फिर वे पत्रकार हैं जो किसी न किसी अखबार या समाचार चैनल में बड़े ओहदे पर काम करते हैं। कॉलेज, विश्वविद्यालय या सरकारी महकमे में काम करने वालों की तनख्वाह पहले ही केंद्र सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिश लगाकर कई गुना बढ़ा दी है।

जो पत्रकार किसी न्यूज चैनल या अखबार में बड़े ओहदे पर काम करते हैं, उनकी भी तनख्वाह न्यूनतम 50 हजार रुपए प्रतिमाह है। फिर ऐसे लोगों द्वारा इस तरह के तर्क का क्या मतलब है। और तो और, प्रधानमंत्री के एक पूर्व मीडिया सलाहकार और वर्तमान में एक अखबार के संपादक ने तो एक टीवी चैनल पर यहां तक कहा कि सांसदों की वेतन वृद्धि लोकतंत्र का अपमान है। सबसे मजेदार बात यह है कि इसी सलाहकार के समय छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू की गई थी और आज वह खुद भारी वार्षिक वेतन पर काम कर रहे हैं!

खैर, जो लोग यह तर्क देते हैं कि जब देश की 78 फीसदी जनता 20 रुपए रोजाना से कम पर जिंदगी जी रही है तो उसके प्रतिनिधियों की तनख्वाह इतनी क्यों होनी चाहिए, क्या सचमुच उन्हें यह पता नहीं है कि ये सांसद किसी भी रूप में उनके प्रतिनिधि नहीं हैं जिनके नाम पर उनकी तनख्वाह बढ़ाए जाने का विरोध किया जा रहा है।

अगर 1991 से संसद में हुई बहस को देखा जाए, तो इस बात के प्रमाण मिलेंगे कि गिने-चुने सांसदों औऱ अवसरों को छोड़कर कभी भी हाशिए के 78 फीसदी लोगों के हित की बात नहीं उठी है। जिन मजदूरों की बात हालिया दिनों में भारतीय संसद में उठी है, वे गुड़गांव के हीरो होंडा के 'मजदूर' थे जिनकी 2005 में पुलिस ने बर्बरता से पिटाई की थी।

हमें यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि वास्तव में वे हीरो होंडा के व्हाइट कॉलर 'मजदूर' थे, जो किसी भी परिस्थिति में देश के 78 फीसदी मजदूरों में शामिल नहीं हैं। इसलिए जो लोग सोचते हैं कि सांसद अवाम की बहुसंख्य जनता के प्रतिनिधि हैं, वे जान-बूझ कर लाचार और मजबूर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

फिर भी, जिस परिस्थिति में सांसद काम करते हैं, उनकी तनख्वाह में बढ़ोतरी जरूरी है। अजरुन सेनगुप्ता ने यूपीए के पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही कहा था कि देश के 78 फीसदी लोग 20 रुपए प्रतिदिन पर जिंदगी बसर कर रहे हैं। फिर भी केंद्र सरकार ने देश के तीन फीसदी सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में बेतहाशा वृद्धि कर दी थी, जिसके दबाव में सभी राज्य सरकारों को छठे वेतन आयोग की सिफारिश माननी पड़ी, जबकि उस दिन भी देश के 78 फीसदी गरीबों के बेहतरी के लिए काम किए जाने की जरूरत थी। लेकिन उस दिन देश के मध्य वर्ग ने इस वेतन बढ़ोतरी का जोरदार स्वागत किया था।

जो लोग सांसदों की वेतन वृद्धि के खिलाफ तर्क देते हैं, क्या उनके पास इस बात का कोई जवाब है कि इन सांसदों को पांच साल में कम से कम एक बार तो जनता के बीच जाना ही पड़ता है जिससे वे दोबारा चुने जाने की बात कर सकें। सांसदों के घर पर उनके चाहने या ना चाहने के बावजूद क्षेत्र की जनता पहुंच ही जाती है जिनके लिए सांसद को दरवाजा खोलना ही पड़ता है।

लेकिन क्या उनके मन में कभी देश के उन नौकरशाहों के लिए यह सवाल उठता है, जिनकी इतनी मोटी पगार के बाद भी कोई जवाबदेही नहीं है। जो लोग कहते हैं कि उन्हें इतनी महत्वपूर्ण जगहों पर इतना बड़ा घर मिला है, वे भूल जाते हैं कि यह बना ही सांसदों के लिए था। और वैसे भी सांसदों के वेतन में पिछले आठ वर्षो से कोई इजाफा नहीं हुआ है।

कुल मिलाकर सांसदों के वेतन का विरोध करने वाले मध्यवर्गीय लोग दरअसल अपने ही भाई-बंधुओं के खिलाफ हैं क्योंकि वर्षो के अनुभव तो यही बताते हैं कि संसद में आम लोगों की बात होनी बंद हो गई है। 
http://www.bhaskar.com/article/NAT-why-pay-of-mps-should-not-be-hiked-1286788.html

जनकवि "गिरदा" नहीं रहे, हमने उनको संजोया ही नहीं

         
22 August 2010 5 Comments
              
♦ विनीत कुमार
जनकवि गिरदा नहीं रहे। बीमारी के बाद उनका हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी आंतों में छेद हो गया था, जिसकी वजह से इंफेक्शन फैल गया। वे लंबे समय से दिल की बीमारी से भी पीड़ित थे। गिरदा का जन्म अल्मोड़ा ज़िले के गांव ज्योली हौलबाग में 1945 में हुआ था। वे जनता के हर आंदोलन में साथ रहे। चाहे वो जंगल बचाने का आंदोलन हो या नशा नहीं, रोजगार दो आंदोलन। उत्तराखंड निर्माण के आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी। अपने विनीत ने उन पर कुछ लिखा है, जो हम यहां आपको पढ़ा रहे हैं : मॉडरेटर

पहाड़ी फिल्‍म दाएं या बाएं का दृश्‍य। गिरदा के साथ हैं युवा अभिनेता दीपक डोबरियाल

जेएनयू के प्रोफेसर और अपने मित्र पुष्‍पेश पंत के साथ गिरदा

गीतकार गायक नरेंद्र सिंह नेगी और शेखर पाठक के साथ जन गीतकार गिरदा

इस अलसायी और मेरे लिए लंबे समय से ह्रासमेंट में धकेलती आयी दुपहरी में अविनाश ने जैसे ही बताया कि गिरदा नहीं रहे तो सोने-सोने को होने आयी आंखों में बरबस आंसू आ गये। अविनाश ने उनकी उन तस्वीरों की ताकीद की, जिसे कि हमने दून रीडिंग्स के दौरान देहरादून में लिये थे। हमें एकबारगी अपनी गलती का एहसास हुआ कि हम क्यों एक ऐसे फोटो पत्रकार साथी के भरोसे रह गये, जिन्होंने हमें इस बिना पर ज्यादा तस्वीरें नहीं लेने दी कि वो सब दे देंगे और उन्‍होंने जो भी तस्वीरें लीं, उसे आज तक भेजी नहीं। हम गिरदा की तस्वीरें खोजने की पूरी कोशिश में जुटे हैं।
गिरदा के बारे में न तो हमें बहुत अधिक जानकारी है और न ही वो जो अब तक गाते आये हैं, उसकी कोई गहरी समझ। कविता और गीत के प्रति एक नकारात्मक रवैया शुरू से रहा है, इसलिए इसकी जानकारी मं शुरू से बाधा आती रही है। सुबह के विमर्श और तीन घंटे के लिए मसूरी से लौटने के बाद पेट में हायली रिच खाना गया तो न तो कुछ और सुनने की इच्छा हो रही थी और न ही कुछ कहने की। हम कुर्सी में धंसकर सोना चाहते थे, बैठना नहीं। तभी गिरदा दूसरे सत्र में मंच पर होते हैं। ये वो सत्र रहा, जिसमें गिरदा सहित बाकी लोगों ने उत्तराखंड के लोगों के दर्द को गाकर या कविता की शक्ल में हमसे साझा किया। गिरदा ने जब गाना शुरू किया, तो लगातार भीतर से आत्मग्लानि का बोध होता रहा। दो तरह की पनीर, करीब 80-90 रुपये किलो के चावल, रायता और तमाम रईसजादों का खाना खाकर जब हम जंगली साग रांधने (पकाने) की बात गिरदा के स्वर में सुनने लगे तो ऐसा होना स्वाभाविक ही था। गिरदा के गीत सुनकर हमें उबकाई आने लगी। हमारा जिगरा इतना बड़ा तो नहीं कि लोगों के दर्द को सुनकर अपना सुख और प्लेजर को लात मार दें लेकिन उस समय जो खाया था, उसकी उबकाई हो जाती और फिर गिरदा को सुनता, तब उन गीतों के साथ न्याय हो पाता।
गिरदा के गाने की जो आवाज थी, वो इतनी बारीक लेकिन दूर तक जानेवाली। इतनी दूर जानेवाली कि देहरादून, मसूरी की पहाड़ि‍यों में जो वीकएंड, हनीमून मनाने आते हैं, गरीबी और भूखमरी पर विमर्श करने आते हैं, कॉर्पोरेट की टेंशन लेकर यहां चिल्ल होने आते हैं, उन सबके कलेजे में नश्तर की तरह चुभती चली जाए। वो अपने गीतों में हद तक लोगों के बेशर्म होने का एहसास भरते। गिरदा को सुनने से तिल-तिलकर मरते हुए गीतकार के सामने से गुजरने का एहसास होता, जिसका हर अंतरा, हर मुखड़ा सुनने के बाद कब्र और नजदीक होती जाती। मफल्ड ड्रम की हर बीट जैसे मुर्दे को कब्र के नजदीक ले जाती है। उनको सुनने से ऐसा लगता था कि दूर कोई पहाड़ की तलहटी में ऐसा शख्स गा रहा है, जिसके पेट तीर से छलनी हो और गले में खून जमा हुआ है।
डेढ़ से दो घंटे के सेशन में गिरदा को सुनकर हम सचमुच पागल हो गये थे। छूटते ही हमने तय किया कि उनके कुछ गीतों की हम अलग से रिकार्डिंग करेंगे। लोग उनकी सीडी, कैसेट निकालने की बात कर रहे थे लेकिन उसमें उलझनें जानकर हमने तय किया था कि कुछ नहीं तो रिकार्ड करके यूट्यूब पर डाल देंगे। मैं तब अकेले गिरदा के पास गया और कहा कि ऐसा कुछ करना चाहते हैं। वो बच्चे की तरह खुश हो गये। साथ में अविनाश ने भी ऐसा करने में बहुत उत्साह दिखाया। लेकिन हम दिल्ली आते-आते तक ऐसा नही कर सके। उस रात डिनर में गिरदा अपनी मौज में थे। हिमांशु शेखर, पुष्पेश पंत और दिल्ली से गये तमाम साहित्यकारों के बीच वो उफान पर थे… सब तरह से। लेकिन हम उनका कोई भी गीत रिकार्ड न कर पाये।
देहरादून के होटल में देर रात हमने उनके लिए सिर्फ इतना लिखा – गिरदा ने हमें पागल कर दिया
तीन घंटे की थकान लेकर जब हम वापस होटल अकेता के सेमिनार हॉल में दाखिल हुए, तब गिरदा ने अपना जादू-जाल फैलाना शुरू ही किया था। गिरदा अपने गानों में उत्तराखंड के भूले-बिसरे चेहरों और यादों को फिर से अपनी आवाज के जरिये सामने लाते हैं। वो जब भी गाते हैं, उनकी आवाज पहाड़ी जीवन के संघर्षों को दर्शाती है। इन्होंने फैज की कई कविताओं का अनुवाद भी किया है। गिरदा ने जब हमें सुनाया कि चूल्हा गर्म हुआ है, साग के पकने की गंध चारों ओर फैल रही है और आसमान में चांद कांसे की थाली की तरह टंगा है, तो बाबा नागार्जुन आंखों के आगे नाचने लग गये। यकीन मानिए आप गिरदा को सुनेंगे तो पागल हो जाएंगे। मैं दिल्ली आते ही उनके गाये गीतों का ऑडियो लोड करता हूं।
लेकिन, हम उस दिन से लेकर आज दिन तक कोई ऑडियो अपलोड नहीं कर पाये। जब अब तक नहीं किया तो क्या कर पाएंगे? सोचता हूं तो लगता है कि हम गिरदा के कुछ गाने अगर रिकार्ड करते तो क्या खर्चा जाता। गिरदा तो हमसे लगातार बस बीड़ी मिलती रहने की शर्त पर गाने को तैयार थे।(विनीत कुमार। युवा और तीक्ष्‍ण मीडिया विश्‍लेषक। ओजस्‍वी वक्‍ता। दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से शोध। मशहूर ब्‍लॉग राइटर। कई राष्‍ट्रीय सेमिनारों में हिस्‍सेदारी, राष्‍ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। ताना बाना और टीवी प्‍लस नाम के दो ब्‍लॉग। उनसेvineetdu@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)
विनीत कुमार की बाकी पोस्‍ट पढ़ें : mohallalive.com/tag/vineet-kumar
http://mohallalive.com/2010/08/22/peoples-poet-girda-died/

र उसे नैनीताल रवाना किया था. तब उसने सदा की तरह नेह से गले लगाते हुए उसने कहा था- 'मैं बिल्कुल ठीक हूं. मेरी बिल्कुल चिन्ता मत करना. ओके, फिर मिलेंगे'.

अब कभी मिलना नहीं हो पाएगा. हालांकि उससे जुदा होना भी कैसे हो पाएगा? वह यहीं रहेगा हम सबके बीच, गाता- मुस्कराता हुआ. उसकी ज्यादा फिक्र करने पर वह कहता भी था- ''...क्या हो रहा है मुझे. और मान लो कुछ हो भी गया तो मैं यहीं रहूंगा. तुम लोग रखोगे मुझे जिन्दा, तुम सब इत्ते सारे लोग.''

सन् 1943 में अल्मोड़ा के ज्योली ग्राम में जन्मे गिरीश तिवारी को स्कूली शिक्षा ने जितना भी पढऩा- लिखना सिखाया हो, सत्य यह है कि समाज ही उसके असली विश्वविद्यालय बने.

उत्तराखण्ड का समाज और लोक, पीलीभीत-पूरनपुर की तराई का शोषित कृषक समाज, लखनऊ की छोटी-सी नौकरी के साथ होटल-ढाबे-रिक्शे वालों की दुनिया से लेकर अमीनाबाद के झण्डे वाले पार्क में इकन्नी-दुअन्नी की किताबों से सीखी गई उर्दू और फिर फैज, साहिर, गालिब जैसे शायरों के रचना संसार में गहरे डूबना, गीत एवं नाट्य प्रभाग की नौकरी करते हुए चारुचन्द्र पाण्डे, मोहन उप्रेती, लेनिन पंत, बृजेन्द्र लाल साह की संगत में उत्तराखण्ड के लोक साहित्य के मोती चुनना और उससे नई-नई गीत लडिय़ां पिरोना, कभी यह मान बैठना कि इस ससुरी क्रूर व्यवस्था को नक्सलवाद के रास्ते ही ध्वस्त कर नई शोषण मुक्त व्यवस्था रची जा सकती है, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के भूमिगत क्रांतिकारी साथियों से तार जोड़ लेना... रंगमंच को सम्प्रेषण और समाज परिवर्तन का महत्वपूर्ण औजार मानकर उसमें विविध प्रयोग करना, फिर-फिर

शुरुआती दौर में काली शेरवानी, करीने से खत बनी दाढ़ी और टोपी पहन कर वह प्रसिद्ध गीतकार नीरज के साथ कवि- सम्मेलनों का लोकप्रिय चेहरा भी हुआ करता था. लेकिन समाज के विश्वविद्यालयों में निरन्तर मंथन और शोधरत गिर्दा को अभिव्यक्ति का असली ताकतवर माध्यम लोकगीत-संगीत में ही मिला और एक लम्बा दौर अराजक, लुका-छिपी लगभग अघोरी रूप में जीने के बाद उसने लोक संस्कृति में ही संतोष और त्राण पाया. तभी वह तनिक सांसारिक हुआ, उसने शादी की और हमें वह हीरा भाभी मिली जिन्होंने गिर्दा की एेसी सेवा की कि गिरते स्वास्थ्य के बावजूद गिर्दा अपने मोर्चों पर लगातार सक्रिय रहे. गिर्दा के जाने पर हमें अपने सन्नाटे की चिन्ता है, लेकिन आज हीरा भाभी के खालीपन का क्या हिसाब!

हमारी पीढ़ी के लिए गिर्दा बड़े भाई से ज्यादा एक करीबी दोस्त थे लेकिन असल में वे सम्पूर्ण हिन्दी समाज के लिए त्रिलोचन और बाबा नागार्जुन की परम्परा के जन साहित्य नायक थे. जून 19६5 में लगी इमरजेंसी के विरोध में और फिर जनता राज की अराजकता पर वे 'अंधा युग' और 'थैंक्यू मिस्टर ग्लाड का अत्यन्त प्रयोगधर्मी मंचन करते थे तो लोकवीर गाथा 'अजुवा-बफौल' के नाट्य रूपांतरण 'पहाड़ खामोश हैं' और धनुष यज्ञ के मंचन से सीधे इन्दिरा गांधी को चुनौती देने लगते थे. कबीर की उलटबांसियों की पुनर्रचना करके वे इस व्यवस्था की सीवन उधेड़ते नजर आते तो उत्तराखण्ड के सुरा-शराब विरोधी आन्दोलन में लोक होलियों की तर्ज पर 'दिल्ली में बैठी वह नार' को सीधी चुनौती ठोकते नजर आते थे.

वन आन्दोलन और सुरा-शराब विरोधी आन्दोलन के दौर में उन्होंने फैज अहमद फैज की क्रांतिकारी रचनाओं का न केवल हिन्दी में सरलीकरण किया, बल्कि उनका लोक बोलियों में रूपान्तरण करके उन्हें लोकधुनों में बांधकर जनगीत बना डाला. उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में तो उनका आन्दोलकारी- रचनाकार अपने सर्वोत्तम और ऊर्जस्वित रूप में सामने आया. जब यूपी की मुलायम सरकार उत्तराखण्ड आन्दोलन के दमन पर उतारू थी, देखते ही गोली मारने का आदेश था तो 'गिर्दा' रोज एक छन्द हिन्दी और कुमाऊंनी में रचते थे जिसे 'नैनीताल समाचार' के हस्तलिखित न्यूज बुलेटिन के वाचन के बाद नैनीताल के बस अड्डे पर गाया जाता था. इन छन्दों ने उत्तराखण्ड में छाए दमन और आतंक के सन्नाटे को तोड़ डाला था. ये छन्द 'उत्तराखण्ड काव्य के नाम से खूब चर्चित हुए और जगह-जगह गाए गए.

उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद उनका रचनाकार और भी सचेत होकर लगातार सक्रिय और संघर्षरत रहा. हर आन्दोलन पर वे अपने गीतों के साथ सबसे आगे मोर्चे पर डट जाते थे. नदी बचाओ आन्दोलन हो या कोई भी मोर्चा, गिर्दा के बिना जैसे फौज सजती ही नहीं थी.

अब गिर्दा सशरीर हमारे बीच नहीं रहे. अपनी विस्तृत फलक वाली विविध रचनाओं और अपने साथियों-प्रशंसकों की विशाल भीड़ में गिर्दा जीवित रहेंगे. लेकिन यह तय है कि उसके बिना चीजें पहले जैसी नहीं होंगी. उत्तराखण्ड की लोक चेतना और सांस्कृतिक प्रतिरोध के नित नए और रचनात्मक तेवर अब नहीं दिखेंगे. हां, जन-संघर्षों के मोर्चे पर 'गिर्दा' के गीत हमेशा गाए जाएंगे, ये गीत हमें जगाएंगे, लेकिन हुड़के पर थाप देकर, गले की पूरी ताकत लगाने के बावजूद सुर साधकर, हवा में हाथ उछालकर और झूम-झूम कर जनता का जोश जगाते गिर्दा अब वहां नहीं होंगे.

लेखक नवीन जोशी दैनिक हिंदुस्तान, लखनऊ के वरिष्ठ स्थानीय संपादक हैं. उनका यह लिखा दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित हो चुका है. वहीं से साभार लेकर इसे यहां प्रकाशित किया गया है.

http://www.bhadas4media.com/article-comment/6260-girda-death.html
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गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा'

बाबा हम तुम्हें बहुत याद करते हैं

बाबा हम तुम्हें बहुत याद करते हैं

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on July 14, 2010

इस साल इत्तफाक ऐसा हुआ कि एक ओर 35 साल पहले का 25 जून 1975, इमर्जेंसी वाला दिन याद आ रहा था तो दूसरी ओर 26 जून, ज्येष्ठ पूर्णिमा बाबा नागार्जुन का जन्मदिन। वह भी शताब्दी वर्ष। इस पर इन सब बातों को खचोरने के लिये बनारस से प्रो. वाचस्पति का फोन। तो जाहिर है [...]

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साल का एहतेराम

साल का एहतेराम

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on January 9, 2010

  वक्त का सिलसिला यों ही चलता रहा और करता रहा बागियों  को सलाम ! यों  गुजरता रहा रात-दिन जुल्म से हर बगावत से पाता नया इक मुकाम। अपने–अपने समय के मेरे बागियो इस समय का तुम्हारे समय को सलाम ! हर बगावत ने जो भी नया कुछ रचा- गीत, नग्मा, रुबाई, गजल को सलाम [...]

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इस बार : गिर्दा

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on February 15, 2009

होली 2008 में उत्तराखंड निकाय चुनावों की मारामार से गुजर रहा था। तब हमने होलियाना अभिव्यक्ति दी – मेरि बारी, मेरि बारी, मेरी बारी, अलिबेर होलिनैकि रङतै न्यारी काटी में मूताणा का लै काम नि ए जो, भोट माङण हुँणी भै ठाड़ी।। अलिबेर….. फिर 1 सितम्बर, ऐन खटीमा काण्डा 1994 का दिन, 5 सितम्बर और [...]

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'बलिया' नाम जलधार

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on August 15, 2008

(इस गीत की प्रेरणा-नाल और तर्ज बहुप्रचलित पारम्परिक होली-'नदी यमुना के तीर कदम चढ़ि कान्हा बजै गयो बाँसुरिया' से सीधे-सीधे जुड़ी है।) नदी वार, तट पार चलो रे करें यात्रा नदियों की। हाँ! करें यात्रा नदियों की। कहाँ से उपजी कहाँ समाई कहाँ भई जलधार चलो रे करें यात्रा नदियों की। 'ताल' से उपजी, 'गौला' [...]

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होली-2008 : मेरि बारी, मेरि बारी, मेरि बारी,

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on April 14, 2008

मेरि बारी, मेरि बारी, मेरि बारी, हाई रे! अलिबेर होलिनै रंगतै न्यारी। हाई रे! अलिबेर यो देखौ मजेदारी।। धो-धो कै तो सीट जरनल भै छौ, धो-धो कै ठाड़ हूँणै ऐ बारी। हाई रे! अलिबेर होलिनै रंगतै न्यारी।। फिर बीस बरसै की छुट्टी भै कूँनी, फिरी काँ आली हमरी बारी। हाई रे! अलिबेर होलिनै रंगतै न्यारी।। [...]

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है किसका अधिकार नदी पर

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on January 16, 2008

(धुन-नदी जमुना के तीर कदम चढ़ी) चलो नदी तट वार चलो रे चलो नदी तट पार चलो रे,करें यात्रा नदियों की नदी वार तट पार चलो रे,करें यात्रा नदियों की इन नदियों के अगल-बगल ही जीवन का विस्तार,चलो रे करें यात्रा नदियों की आज इन्हीं नदियों के ऊपर पड़ी है मारामार, चलो रे करें यात्रा [...]

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मेरि कोसि हरै गे कोसि

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on December 31, 2007

जोड़ – आम-बुबु सुणूँ छी गदगदानी ऊँ छी रामनङर पुजूँ छी कौशिकै की कूँ छी पिनाथ बै ऊँ छी मेरि कोसि हरै गे कोसि। कौशिकै की कूँ छी मेरि कोसि हरै गे कोसि।। क्या रोपै लगूँ छी मेरि कोसि हरै गे कोसि। क्या स्यारा छजूँ छी मेरि कोसि हरै गे कोसि।। घट-कुला रिङू छी मेरि [...]

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इस व्योपारी को प्यास बहुत है

By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on December 31, 2007

एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम। अजी वाह ! क्या बात तुम्हारी, तुम तो पानी के व्योपारी, खेल तुम्हारा, तुम्हीं खिलाड़ी, बिछी हुई [...]

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হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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