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Thursday, May 28, 2015

महानगरीय सभ्यता को परमाणु विध्वंस का बेसब्री से इंतजार इससे पहले हर गांव को शहर में तब्दील करने की तैयारी और हर खेत में श्मशान इस वर्गीय शासन और राजकाज के फासिस्ट स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त को बदलने के लिए अब और आंखमिचौनी के बदले हम सीधे इस सामाजिक आर्थिक यथार्थ के निरंतर प्रवाहमान इतिहास को मान लें कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और यहां हिंदू साम्राज्यवादियों का ही वर्गीय वर्चस्व है जो मनुष्यता और प्रकृति दोनों के लिए कयामत का मंजर है।मनुस्मृति के इस फासिस्ट मंजर को बदले बिना सत्ता परिवर्तन से कोई बदलाव इस राष्ट्र व्यवस्था में होगी नहीं जो दरअसल बहुसंख्य बहुजनों के खिलाफ सैन्य दमन तंत्र के सिवाय कुछ भी नहीं है।अस्मिताओं को तोड़े बिना,पूरे देश की मनुष्यता को बदलाव के लिए जोड़े बिना यह असंभव है कि धार्मिक ध्रूवीकरण के वर्गीय शासनतंत्र को बदलने के लिए हम कुछ भी कर सकें। पलाश विश्वास

महानगरीय सभ्यता को परमाणु विध्वंस का बेसब्री से इंतजार

इससे पहले हर गांव को शहर में तब्दील करने की तैयारी और हर खेत में श्मशान

इस वर्गीय शासन और राजकाज के फासिस्ट स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त को बदलने के लिए अब और आंखमिचौनी के बदले हम सीधे इस सामाजिक आर्थिक यथार्थ के निरंतर प्रवाहमान इतिहास को मान लें कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और यहां हिंदू साम्राज्यवादियों का ही वर्गीय वर्चस्व है जो मनुष्यता और प्रकृति दोनों के लिए कयामत का मंजर है।मनुस्मृति के इस फासिस्ट मंजर को बदले बिना सत्ता परिवर्तन से कोई बदलाव इस राष्ट्र व्यवस्था में होगी नहीं जो दरअसल बहुसंख्य बहुजनों के खिलाफ सैन्य दमन तंत्र के सिवाय कुछ भी नहीं है।अस्मिताओं को तोड़े बिना,पूरे देश की मनुष्यता को बदलाव के लिए जोड़े बिना यह असंभव है कि धार्मिक ध्रूवीकरण के वर्गीय शासनतंत्र को बदलने के लिए हम कुछ भी कर सकें।


पलाश विश्वास

सत्ता वर्ग के रंगभेदी नस्लभेदी  चरित्र का सबसे लाइव प्रसारण आईपीएल का श्वेत चियारिन जलवा है।कालारंग से परहेज का सिलसिला है यह मुक्तबाजार और राजकाज गोरा बनाने का उपक्रम और इसीलिए कारे कारे बहुजन सारे गोरा बनने के फिराक में बजरंगी हुओ रे।


खेल में बाजार है कि बाजार में खेल है,इसे क्रिकेट के रंगबहार से न समझें तो फुटबाल और फिफा से समझ लें।


श्रीनिवासन और ब्लाटर एक ही कोष्ठक में है।

पता नहीं कैसा लगता होगा आपको ,जबकि बाजार में घोड़ों की तरह नीलामी पर बेचे जाते हैं तमाम खेल खिलाड़ी।


पता नहीं आपको कैसा लगता हो कि नीता अंबानी के आगे पीछे लाइन लगाकर डोले बिग बी,सचिन तेंदुलकर,अनिल कुंबल,रिकी पोंटिंग और जांटी रोड्स।


मुक्त बाजार ब्रांडिंग का खेल हैं।आइकन से लेकर सिविल सोसाइटी, तमाम माध्यम और राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था सबकुछ ब्रांडिंग के हवाले क्योंकि ब्रांड देखा नहीं कि आगा पीछा सोचे बिना जनता जहर पीने को तैयार।मौत का जश्न है यह।


गोरा गोरा रंग और फेयरनेस इंडस्ट्री और श्वेत वर्चस्व का ग्लेमर कोशेंट,वाइटल स्टेटिक्स और विकास दर का पीपीपी माडल है सामाजिक मूल्यबोध से लेकर तमाम प्रतिमान,व्याकरण और मानक।


सर्वत्र इसकी नंगी अभिव्यक्ति मनुस्मृति राज में रंगभेदी उत्पीड़न और नरसंहार और आपदाओं का इंद्रधनुष है।


वर्ल्ड कप के पिटारे से तमाम सांप निकलने लगे हैं और बताइये कहीं नहीं हैं नागराज का साम्राज्य।मुक्तबाजार में सबकुछ मैच फिक्सिंग है,सबकुछ गटआप है और सबकुछ संसदीय सहमति ताकि बिनलियनर मिलियनर तबके के सभी पक्षों को सारी की सारी मलाई न मिलती रहे और बाकी लोगों को मिडडे मिल का लंगरखाना और ट्रिकलिंग ट्रिकंलिग झुनझुना पकड़े मैनफोर्स के सौजन्य से टनटनाते रहिये।


बहुमंजिली महानगरीय सभ्यता को परमाणु विध्वंस का बेसब्री से इंतजार।


इससे पहले हर गांव को शहर में तब्दील करने की तैयारी और हर खेत में श्मशान।


आज सुबह ठीक दस बजे बिजली चली गयी और अब दो बजे आय़ी है।फिर कब तक रहेगी,मालूम नहीं है।


बहरहाल बांग्ला अखबारों में खबर छपी है कि मांग के मुताबिक बिजली आपूर्ति हो नहीं है और कंपनियों के मुताबिक कोयला और ईंधन की भारी कमी है।माने कि लोडशेडिंग जारी रहनी है।बिजली दरें बढ़ती रहेंगी और परमाणु विकल्प खुल्ला रहेगा।


जैसे हमारी सेनाओं के पास लड़ने ला.यक हथियार कभी नहीं होते और रक्षा सौदों का सिलसिला बनाये रखना होता है और बाद में महामहिम को विदेश दौरे के मौके पर सफाई देनी पड़ती है कि घोटाला घोटाला नहीं,मीडिया ट्रायल है तो भारत सरकार को पिछली भारत सरकार को भ्रष्ट बताते रहने का औचित्य साबित करने के लिए राष्ट्रपति को सेंसर करने के लिए विदेशी सरकार को राष्ट्रपति का दौरा तक रद्द करने की धमकी देनी होती है।


वही भारत सरकार दुनियाभर से परमाणु रिएक्टर खरीद रही है और महानगरों को परमाणु रिएक्टरों से घेर रही है।बांगाल के अखबारों में खबर है कि भले ही कल कारखाने तमाम बंद है और उत्पादन शून्य है ,लेकिन बिजली संकट की वजह से लोडशेडिंग अब नियमित होगी।


यह अभूतपूर्व बिजली संकट कई दफा ग्रिड फेल के बहाने पूरे देश को अंधकार में धकेल चुका है और आपूर्ति सुधारने की गरज से बिजली से लेकर कोयला तक का निजीकरण और विनियंत्रण विनिवेश और विनियमन का खुल्ला खेल जारी है तो निजी बिजली कंपनियों को इस बहाने आम जनता पर बिजली गिराते रहने की हर किस्म की छूट है और इसी को आधार बनाते हुए परमाणु विकल्प है।


महानगरों के विस्तार के साथ साथ हम फुकोसोमा और चेर्नोबिल के परमाणु विध्वंस से वैसे ही घिर रहे हैं जैसे तीर्थाटन और पर्यटन और पर्वतारोहण के बहाने पूरे हिमालय को एक मुकम्मल महानगर बनाने के फेर में उसे परमाणु विस्फोटों का सिलसिला बनाये हुए हैं।


सविता बाबू ने आज भी आठे बजे जगा दिया था।लेकिन मेलबाक्स की सफाई में ही दो घंटे लग गये और बाजार वाजार दुनिया के लंबित कामकाज निपटाकर अब जाकर कहीं बिजली रानी की सोहबत में हूं।


लोडशेडिंग का अंकगणित और परमाणु विकास से आबाद होरहे महानगरीय सीमेंट के जंगल में नरसंहार संस्कृति के मैनफोर्स को समझना बहुत मुश्किल है इनदिनों।


बालीवूड,टालीवूड,कलिवूड,टीवी चैनलों और अखबारों के नेट संस्करण से लेकर राजनीति और तमाम कला माध्यमों में यह रंगभेदी स्त्री विरोधी अनंत बलात्कार का सिलसिला मैनफोर्स का जलवा है।


अब सामाजिक यथार्थ पुरानी फिल्मों और पुरातन स्मृतियों के धुंधले फ्रेम या कालजयी साहित्य के दायरे में सीमाबद्ध है। मुक्तबाजारी सामाजिक यथार्थ फिर वही मैनफोर्स का जलवा है या फिर रईस मलाईदार बेडरूम का आंखों देखा हाल या आउटडोर शूटिंग है।


कास्टिंग काउच कहां है और कहां नहीं है,समझना बेहद मुश्किल है और बाजार में हर चीज खरीदी जा सकती है जिंदगी के सिवाये।


मौत तो सुपारी देते ही किसी की भी कभी बुलायी जा सकती है।जैसे मनुष्यता और प्रकृति के विध्वंस के लिए यह सुपारी दुनियाभर की सरकारों ने मुक्तबाजार के नृशंस हत्यारों और मनुष्ता प्रकृित के विरुद्ध युद्ध अपराधियों को दे रखी है।जनादेश भी यही है।


हम मान रहे हैं कि सुबह सुबह अखबार आप देख ही चुके हैं और टीवी का दर्शन बी करते होंगे या फिर फेसबुक होंगे या व्हा्ट्सअप पर तो उपलब्ध सूचनाओं की जुगाली किये बिना कल हुई टाइटैनिक मुलाकात की ओर भी अपना ध्यान आकर्षित करना चैहेंगे।मुक्त बाजार के नये पुराने ईश्वरों की शिखर वार्ता थी यह नई दिल्ली में।भरत मिलाप से पहले दोनों तरफ से मिसाइलें भी खूब दागी गयीं।यह संसदीय सहमति से रंगभेदी अश्वमेध का हाट मोमेंट है।


बहरहाल मनमोहन सिंह ने हमारा कहा औपचारिक तौर पर साबित कर दिया कि कारपोरेट केसरिया फासिस्ट राजकाज में मेकिंग इन दरअसल यूपीए की जिराक्स कापी है।उन्हें धन्यवाद।


जो हम जनसंहारी नीतियों के सिलसिले में निरंतर रेखांकित करते रहे हैं कि यह राष्ट्र दरअसल 15 अगस्त से बाद मनुस्मृति के धारकों वाहकों को सत्ता हस्तांतरण के मुहूर्त से ही मुकम्मल हिंदू राष्ट्र है और राजकाज तभी से संघ परिवार का एजंडा है जिसका मुख्य लक्ष्य जीवन के हर क्षेत्र से बहुसंख्य बहुजनों का बहिस्कार और कत्लेआम है।


रंगों का जो फर्क है वह दरअसल नरम धर्मनिरपेक्ष हिंदुत्व और गरम बजरंगी धर्मोन्मादी हिंदुत्व का है।


जल जंगल जमीन नागरिकता आजीविका मानव अधिकारों और नागरिक अधिकारों,प्रकृति पर्यावरण और मौसम जलवायु से बेदखली और संसाधनों की लूट खसोट,सामंती दमन उत्पीड़न,नरसंहार संस्कृति और देश बेचने का सिलसिला पंद्रह अगस्त,1947 से चालू है।


मसलन सशस्त्र सैन्यबल विशेषाधिकार कानून 1958 से ही लागू है और विकास के मंदिर बनाने में पूंजी के हित में जो बेदखलियां नेहरु जमाने में हुई,उन महापरियोजनाओ की बेदखल आबादियों का पुनर्वास अभी तक नहीं हुआ है और न किसी को कभी मुआवजा मिला है।


फर्क बस इतना है कि जनविरोधी संस्कृति की मनुस्मृति व्यवस्था,स्त्री विरोधी पुरुषवर्स्व का यह तिलिस्म अब 1991 से मुक्तबाजार में तब्दील हो गया है और राजकाज का केसरिया कारपोरेट चेहरा बेपर्दा हो गया है।


सामाजिक यथार्थ का इतिहासबोध साक्षी है कि भारत का सत्तावर्ग हजारों हजारो साल से प्रजाजनों को गुलामों,बंधुआ मजदूरों और दासों से बदतर जिंदगी और अपनी स्त्रियों समेत तमाम स्त्रियों को निरंतर उत्पीड़न के लिए ही धर्म अद्रम के तमाम व्यूह रचता रहा है और उसे महिमामंडित करने के लिए आज के मीडिया की तरह मौखिक श्रुति मीडिया का प्रसारण धार्मिक कर्मकांड के मार्फत करता रहा है।


मनुस्मृति का वह वैदिकी तंत्र लगातार मजबूत होता जा रहा है और भारतीय संदर्भ में फासिज्म के अनेकानेक अध्याय देश के कोने कोने में बर्बर उत्पीड़न, अत्याचार,नरसंहार,बलात्कार, दंगों,बेदखली,अस्पृश्यता,जाति धर्म के नाम पर दंगों,नस्ली भेदभाव और प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूटखसोट में बारंबार अभिव्यक्त होती रही है।गुलाम प्रजाजनों की अंध आस्था की मुनाफावसूली के शेयरभावों के मुताबिक।


शुरु से ही वैकल्पिक राजनीति फेल है।


यह नाकामयाबी वामपंथ और अंबेडकरवादी राजनीति की सत्ता में भागेदारी की आत्मह्त्या की फसल है कि अस्मिताओं के संघी मायाजाल चक्रव्यूह में जन प्रतिबद्धता दफन हो गयी है और अब मुक्तबाजारी विलियनर मिलयनर राजनीति में सारे रंग एकाकार केसरिया केसरिया है।


भारत की मेहनतकश जनता के साथ यह सबसे बड़ा विश्वा घात है कि जनता जब जब व्यवस्था परिवर्तन के लिए सड़क पर उतरती है,कयामत का शिकंजा और मजबूत हो जाता है वर्गीय शासन और नरसंहारी राजकाज  फासिस्ट स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त के तहत।


इस वर्गीय शासन और राजकाज के फासिस्ट स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त को बदलने के लिए अब और आंखमिचौनी के बदले हम सीधे इस सामाजिक आर्थिक यथार्थ के निरंतर प्रवाहमान इतिहास को मान लें कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और यहां हिंदू साम्राज्यवादियों का ही वर्गीय वर्चस्व है जो मनुष्यता और प्रकृति दोनों के लिए कयामत का मंजर है।


मनुस्मृति के इस फासिस्ट मंजर को बदले बिना सत्ता परिवर्तन से कोई बदलाव इस राष्ट्र व्यवस्था में होगी नहीं जो दरअसल बहुसंख्य बहुजनों के खिलाफ कारपोरेट सैन्य दमन तंत्र के सिवाय कुछ भी नहीं है।


अस्मिताओं को तोड़े बिना,पूरे देश की मनुष्यता को बदलाव के लिए जोड़े बिना यह असंभव है कि धार्मिक ध्रूवीकरण के वर्गीय शासनत्ंतर को बदलने के लिए हम कुछ भी कर सकें।


संघ परिवार के हिंदू साम्राज्यवादी एजंडे को अंजाम देने वाली सत्ता वर्गीय कांग्रेस भाजपा के दो दलीय धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण सत्ता समीकरण संघ परिवार का राजकाज रहा है और आंखों में उंगली डालकर हम लगातार बता रहे हैं कि हरित मोनसेंटो जहीरील क्रांति,भोपाल गैस त्रासदी और डाउ कैमिक्लस का देश व्यापी सेज महासेज स्मार्ट बुलेट साम्राज्य,बाबरी विध्वंस और देश विदेश दंगों का सिलिसला और सिखों का नरसंहार से लेकर गुजरात नरसंहा से लेकर मुक्तबाजारी सारे जनसंहारी सुधार संघी फासिस्ट मनुस्मृति हिंदू साम्राज्यवाद के दोनों धड़ों,नरम और गरम हिंदुत्व का साझा उपक्रम है।

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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