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Tuesday, March 11, 2014

दिल्ली देखेगी दीदी का दम और देश देखेगा उत्कट राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं का केशरिया तांडव। ममता मोदी संयुक्त कारपोरेट उपक्रम में तब्दील होने जा रही है भारतीय राजनीति।

दिल्ली देखेगी दीदी का दम और देश देखेगा उत्कट राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं का केशरिया तांडव।


ममता मोदी संयुक्त कारपोरेट उपक्रम में तब्दील होने जा रही है भारतीय राजनीति।


पलाश विश्वास


बंगाल में  भूमि अधिग्रहण विरोधी जनज्वार पर सवार बाजार के शस्त्रों से लैस दुर्गारुपेण अवतरित अग्निकन्या ने वामासुर का वध कर दिया है और बंगाल को धनधान्य से परिपूर्ण शष्यश्यामला बनाने के पीपीपी कार्यक्रम,उनके शब्दों में गुजरात से बेहतर विकास का माडल को सै पित्रोदा और मोंटेक बाबू के दिशा निर्देशन में राथचाइल्ड्स जमाई के संरक्षण में कार्यान्वित करके दिल्ली के सिंहद्वार पर दस्तक देने चल पड़ी हैं सादगी और ईमानदारी की छवि।


तसलिमा नसरीन को कोलकाता से निकालने के लिए जिस मध्य कोलकाता के जिस इलाके में भारी उपद्रव हुआ,उसी इलाके में  प्रचंड दीदी समर्थक एक अखबार में प्रकाशित एक चित्र लेकर बवाल मचा हुआ है।स्थिति बेकाबू बतायी जाती है और बताया जा रहा है कि कर्फ्यू जैसे हालात हैं।दीदी इसे साजिश बताकर विपक्ष पर वार कर सकती हैं,हालांकि उन्हें हालात सड़क पर उतरकर नियंत्रित कर लेने की कला भी आती है और उम्मीद है कि वे हरचंद कोशिश करेंगी कि मामला नियंत्रित कर लें।


लोकसभा चुनाव में वाम और कांग्रेस को मटियामेट करने और अन्ना सौजन्य से दिल्ली दखल की हड़बड़ी में दीदी ने दुर्भेद्य दुर्ग प्रगतिशील बंगाल के चप्पे च्पे को केशरिया रंग दिया है।नरेंद्र मोदी ने जिस तरह एक मात्र गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री बतौर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले अब भी जीवित अटल बिहारी वाजपेयी का नामोनिशान पार्टी कार्यक्रमों से मिटा दिया,जैसे रामरथी लालकृष्ण आडवाणी को पैदल कर दिया,चिसतर ह संसदीय नेता सुषमा स्वराज की बोलती बंद कर दी है,ठीक उससे दो कदम आगे हैं ममता बनर्जी,जिन्हें राजनीतिक विरोध कतई बर्दाश्त नहीं होता और जिनका राजकाज विशुद्ध फतवाबाजी है।


आज जिस आसानी से अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन के मुद्दे पर रुस पर प्रतिबंध लगा दिये और जिसपर चीन की भी सहमति हो गयी,उसके आलोक में यह सोचना जरुरी है कि बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अमेरिकी सातवें नौसैनिक बेड़े के मुखातिब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अगर प्रतिपक्ष के नेता अटलजी को भारत के राजनयिक प्रतिनिधि बतौर चुनकर विश्व जनमत को अपनी तरफ नही किया होता तो इतिहास कुछ और ही होता।


इसे चंद्रशेखर जी की खाड़ी युद्ध के दौरान बतौर प्रधानमंत्री और जराजीव गांधी की बतौर प्रतिपक्ष नेता भूमिकाओं के बरअक्श आंके तो शायद बात समझ में आ जाये।


राजनीति और राजनय में दोहरी उपलब्धियों के अपने महानायक को कबाड़ में डालकर संघ परिवार और भाजपा के मोदीकल्प से देश में जो राजनीति आने वाली है,वह विशुद्ध कारपोरेट मार्केटिंग की आइकन सेलिब्रिटी राजनीति है,जिसके तहत पार्टी के बाकी चेहरों को गैर प्रासंगिक बनाकर तानाशाह मसीहा बनाने का मुक्त बाजार तैयार होता है।


दीदी के मंत्री ज्योति प्रिय मल्लिक माकपाइयों के सामाजिक बहिष्कार का आवाहन करते हुए माकपाई परिवारों से वैवाहिक संबंध तक तोड़नी अपील करते हैं तो फिर सांप के साथ जो करते हैं,उन्हें उसी तरह खत्म करने के लिए आम सभाओं में आम जनता को भड़काते हैं।उनके जिलाध्यक्ष माकपाइयों की गड्ढें में फंसे चूहो की तरह बताते हुे उन्हें जहर देकर मारने की बात करते हैं।


अब अगर बाकी देश की जनता भी इस राजनीति को विकल्प बतौर अपनाती है तो समझ लीजिये कि क्या नतीजे होगें।


दीदी इस मिशन को बंगाल में कामयाबी के साथ आजमा चुकी हैं और बाकी देश में ममता मिशन खुलने का कारपोरेट तैयारी है।


ममता मोदी संयुक्त कारपोरेट उपक्रम में तब्दील होने जा रही है भारतीय राजनीति।


केशरिया पहाड़ हंस रहा है और गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के समर्थन से दार्जिलिंग ही नहीं, अलीपुर द्वार और जलपाईगुड़ी में भगवा लहराने की तैयारी है।


इसी के साथ दमदम, हावड़ा,हुगली,कृष्णनगर ,बारासात और जिन सीटों पर माकपा और कांग्रेस का कब्जा है,वहां अगंभीर चमकदार चेहरे खड़ा करके वाम कांग्रेस शिविर के मजबूत महत्वपूर्ण उम्मीदवारों को हराकर बंगाल को केशरिया बनाने की पूरी तैयारी करके दीदी दिल्ली पहुंच रही है और वहां अरविंद केजरीवाल और आप अन्ना ममता निशाने पर हैं।



दिल्ली के हर लोकसभा क्षेत्र से चमकीले तृणमूल उम्मीदवार होंगे।जैसे माकपा के वासुदेव आचार्य के खिलाफ आदिवासी बहुल बांकुड़ा में वसंत पार ग्लेमर आइकन मुनमुन सेन और चुनाव नहीं लड़ रहे गुरुदास दासगुप्त के घाटाल में बंगाली फिल्मों के सुपरस्टार देब को भाकपा के नक्सली संतोष राणा के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया है उसीतरह दिल्ली में चाकलेटी मुंबइया बेमेल जोड़ी विश्वजीत और मौसमी चटर्जी को बंगाल की शताब्दी तापस पाल जोड़ी के तौर पर बाकायदा मार्केटिंग आइकन अगंभीर राजनीति तुरुप बतौर फेंककर आप को तहस नहस करने की तैयारी है।हालांकि इस सिलसिले में  यानी सिनेस्टार, खिलाड़ियों और गायकों को टिकट देने के लिए अन्य राजनीतिक दलों की ओर से आलोचना के जवाब में तृणमूल सुप्रीमो की दलील भी उनकी शायरी की तरह लाजवाब है कि उम्मीदवार सूची को वास्तव में प्रतिनिधित्व वाला अभास देने के लिए कई नये चेहरे को शामिल किया गया है।


इस सिलसिले में एक दिलचस्प शरारत में शायद आप लोगों की भी दिलचस्पी हो। हमारे मित्र सहकर्मी  शैलेंद्र चूंकि माकपाई हैं एकदम प्रतिबद्ध और कवि भी हैं,तो हम लोगों ने मजे मजे में उसे छेड़ने के लिए साबित किया कि माकपा बंगाल,केरल और त्रिपुरा तीनों जगह से हारेगी और दीदी सौ सीटें जीतकर देश की प्रधानमंत्री हो जायेंगी तो हिंदी कविता के लिए बारी संकट हो जायेगा।दीदी कविता में भाषण करती हैं।हिंदी में शायरी करती हैं।उनके भाषण ही कविता संग्रह होंगे।सरकारी खरीद के मोहताज प्रकाशक उनके ही काव्य छापेंगे और नामवर सिंह उन्हें विश्व की सर्वश्रेष्ठ कवि साबित कर देंगे।वैसे भी बांग्ला में उनके असंख्य कविता संग्रह हैं जिनकी भारी बिक्री होती है।उनके हिंदी कविता संग्रह इतने बिकेंगे कि किसी कवि के कविता संग्रह फिर न छपेंगे और न उन्हें कोई आलोचक संपादक घास डालेगा।वैसे गंभीरता पूर्वक विचार करें तो इसका खतरा मुकम्मल भी है। जैसे कोलकाता के चौराहों पर रवींद्र संगीत बजता है ,राजधानी नयी दिल्ली में हर चौराहे पर दीदी बजेंगी।इसका शुभारंभ रामलीला मैदान से हो रहा है।शैलेंद्र मित्रों की घेराबंदी से निकल भागे लेकिन देश और देशवासियों के बागने का रास्ता है ही नहीं।संघ के एक्शन प्लान बी के मुताबिक मोदी थम गये तो दीदी पेश हैं।


दीदी का थर्ड फ्रंट तोडो़ मिशन कामयाब है और अब नमोममय भारत के स्वर्णमार्ग पर आखिरी स्पीडब्रेकर को तोड़ने का मिशन है।यही नहीं , तय है कि जहां भी मोदी को कड़ी चुनौती मिलेगी,उले तोड़ने के लिए बजरिये अन्ना दीदी का इस्तेमाल ब्रह्मास्त्र बतौर होगा।मसलन गुजरात में अरविंद केजरीवाल के दौरे  और उनके सोलह सत्रह सवालों से संघियों की नींद हराम हो गयी तो अपने मीडिया अवतारों और दवमंडल के हारे स्टिंग ट्विस्टिंग कराकर बहस केजरीवाल की साख और विश्वसनीयता की तरफ मोड़ दी और वे सारे यक्ष प्रश्न जो भारतीय वामपंथियों ने भी दागे नहीं कभी उनुत्तरित ही रह गये।अब केजरीवाल वाइरल से गुजरात को मुक्त करने के लिए अन्ना ममता फिनाइल का इस्तेमाल होना है।


नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के दौरे के बाद अब 20 मार्च को अन्ना हजारे और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी गुजरात के दौरे पर जा रही हैं। राज्य समता पार्टी प्रमुख प्रवीण सिंह जडेजा ने हजारे को आमंत्रित किया है जिनका दावा है कि सामाजिक कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ राज्य का दौरा करेंगे। उनके साथ में फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी होंगे।


वाम दल बंगाल और केरल के दम पर तीसरे मोर्चे की चुनावी राजनीति करते रहे हैं। बाकी भारत के कम्युनिस्ट आंदोलनकारियों और सक्रिय ईमानदार कार्यकर्ताओं को बंगाली मलयाली वर्ण वर्चस्व के तहत किनारे करने का खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है वामपंथ को।


बंगाल का किला ध्वस्त होते ही वाम अप्रासंगिकता आज के बारत का सबसे भयानक यथार्थ है।


वृंदा कारत और सीता राम येचुरी के लिए सीट मिली या नहीं, या वे चुनावी जंग में लहूलुहान होना नहीं चाहते ,पता नहीं, लेकिन जिस सुभाषिनी अली को वाम नेतृत्व का राष्ट्रीय चेहरा होना चाहिेए था,जिसे पोलित ब्यूरो में होना था,उन्हें हारा हुआ मंगलपांडेय के गढ़ बैरकपुर में उतारा गया है।


कामरेडों को हाशिये पर रखकर जिन  लालू, मुलायम, पासवान, मायावती, चंद्रबाबू, जयललिता,प्रफुल्ल महंत,नवीन पटनायक को पलक पांवड़े पर बैठाकर वाम विचारधारा और आंदोलन की नींव में बारुदी सुरंग बिछा दी गयी हैं,दीदी की चिनगारी से वहां एक के बाद एक केशरिया विस्फोट होते चले जा रहे हैं।इसी के मध्य तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के जयललिता के साथ काम करने की इच्छा जताने के एक दिन बाद ही एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता ने ममता बनर्जी से फोन पर बात की। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच आम चुनाव को लेकर बातचीत हुई है।


ममता बनर्जी ने कहा था कि जयललिता को फेडरल फ्रंट का हिस्सा होना चाहिए। ममता बनर्जी ने जयललिता को पीएम पद का उम्मीदवार बताया। जलललिता ने लेफ्ट पार्टियों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन समाप्त करने का फैसला किया है।



अब जब दिल्ली को संबोधिक करेंगी दीदी और अन्ना का वरद हस्त होगा अपने ही चेले अरविंद केजरीवाल के मत्थे,तो न कहीं लाल होगा, न हरा और न नील,दसों दिशाओं में होगा केशरिया और केशरिया।


दैनिक भास्कर में प्रकाशित इस मंतव्य पर गौर करना जरुरी है


क्‍या अन्‍ना हजारे नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी के बीच कड़ी का काम कर रहे हैं? बुधवार को दिल्‍ली के रामलीला मैदान में अन्‍ना-ममता की साझा रैली से पहले राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है।

यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्‍योंकि

1. टीम अन्‍ना के कई सदस्‍य भाजपा से सीधे तौर पर जुड़ गए हैं या जुड़े होने के संकेत दे चुके हैं। अन्‍ना के सहयोगी पूर्व सेनाध्‍यक्ष जनरल वी.के. सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं, जबकि उनकी साथी किरण बेदी खुले आम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन कर चुकी हैं।

2. अन्‍ना के निशाने पर सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी (आप) है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने अन्‍ना को 'आप' को नुकसान पहुंचाने के लिए राजनीतिक मंच मुहैया कराया है। यह जुगलबंदी अंतत: भाजपा को ही फायदा पहुंचाएगी।

3. बुधवार की रैली से पहले अन्‍ना दिल्‍ली में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर सकते हैं। इसमें वह 30-40 'ईमानदार' निर्दलीय उम्‍मीदवारों का समर्थन करने की घोषणा कर सकते हैं।

4. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भाजपा को एक मात्र विकल्‍प मानने वाली किरण बेदी का  ममता-भाजपा गठबंधन की संभावनाओं पर मानना है कि हर कोई हर विकल्‍प खुला रखता है। उन्‍होंने एक अखबार से कहा कि सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव में भाजपा कितनी सीटें जीतती है।

5. दिल्‍ली का गणित: दिल्‍ली में पहली बार तृणमूल कांग्रेस सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी का यहां कोई आधार नहीं है। लेकिन, उसे उम्‍मीद है कि अन्‍ना का साथ मिल जाने से उन लाखों मतदाताओं का वोट मिल सकता है, जो केजरीवाल की पार्टी के पक्ष में मतदान कर सकते थे। अब तक आए चुनावी सर्वे के नतीजों के मुताबिक दिल्‍ली में मुख्‍य मुकाबला 'आप' और भाजपा में ही होने वाला है। ऐसे में तृणमूल के उम्‍मीदवार खड़े करने और उन्‍हें  अन्‍ना का साथ मिलने का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को ही होने वाला है।


इसके विपरीत सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मोदी पर निशाना साधा है जबकि ममता बनर्जी का गुणगान किया है। उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी की चाय पर चर्चा कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए कहा कि शराब की बोतल लेकर वोट देना या कोई चाय पिला दे उसको वोट देना, सही नहीं है।


लोकसभा चुनाव 2014 के लिए मार्च से प्रचार अभियान शुरु करने जा रहे अन्‍ना हजारे ने कहा कि वह आने वाले चुनाव में नरेंद्र मोदी की जगह पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करेंगे।


सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आज पुणे में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को 'आशा की किरण' बताते हुए उनकी प्रशंसा की और कहा कि वह दिल्ली में मुख्यमंत्री से भेंट करेंगे और आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे ।


अन्ना ने कहा, 'हमें उसमें आशा की किरण दिखायी देती है । यदि लोग ऐसे नेताओं का समर्थन करने लगें तो देश को बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा ।' उन्होंने कहा कि ममता चप्पल और एक साधारण सी साड़ी पहनती हैं और बतौर मुख्यमंत्री वेतन भी नहीं लेतीं ।


अपने गांव राणेगण सिद्धि में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय से मिलने के बाद अन्ना ने संवाददाताओं से कहा, 'मुकुल रॉय ममता के संदेश के साथ आए थे । मैं दिल्ली जाकर ममता से मिलूंगा । वहां हम चर्चा करेंगे कि क्या रास्ता अपनाना है ।' इससे पहले मुकुल रॉय ने कहा था कि अन्ना हजारे आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में तृणमूल कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे ।


ममता के प्रतिनिधि के रूप में अन्ना से मिलने पहुंचे पूर्व रेल मंत्री रॉय ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के साथ नहीं जुड़ने की बात करने वाले अन्ना हजारे की ओर से समर्थन पाकर उनकी पार्टी 'गौरवान्वित' है । पूर्व मंत्री के अनुसार, हजारे ने कहा कि ममता एक ईमानदार नेता हैं जो भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।


हस्तक्षेप पर ओमेर अनस का लेख इतना भाया कि अफसोस हुआ कि मैं इस लेखक को नहीं जानता।शायद पहलीबार अमलेंदु को फोन लगाकर मैंने इस लेख की तारीफ की।हम उनके बारीक विश्लेषण से सहमत हैं।उनके लिखे इस विश्लेषण पर खास गौर करने की जरुरत हैः


बीते दिनों में भारतीय जनता पार्टी में इस बात पर सहमति उभर चुकी है कि भाजपा की सर्वणों वाली पार्टी की पहचान और भाजपा में ब्राह्मणों और बड़ी जातों के चेहरों का वर्चस्व पार्टी को दलितों और पिछड़े वर्गों तक ले जाने में रूकावट बन रहा है। भारतीय जनता पार्टी एक उच्च जातीय, नगर के संपन्न लोगों की पार्टी की छवि से निकल कर कांग्रेस जैसी छवि बनाने में असफल रही है। वहीँ बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों ने भारतीय जनता पार्टी को देश के मुस्लिम वोटरों से हमेशा के लिए दूर कर दिया था। दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम मतदाताओं से दूर रहकर भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने में विफल हो चुकी है, लेकिन उससे भी ज्यादा तकलीफ की बात ये है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन भी भाजपा के पैरों में बेड़ी बन चुका था। उसे अकेले दम पर सरकार बनाने के लिए उसे एक नए फार्मूले की जरुरत थी और नरेंद्र मोदी उसी नए फार्मूले का एक अत्यधिक प्रचारित चेहरा हो चुके हैं।

नरेंद्र मोदी बीजेपी के डूबते जहाज़ को बचाने के लिए पहले खुद को पिछड़े वर्ग का व्यक्ति बता कर वोट बटोरना चाहते हैं, वहीँ मुस्लिम दुश्मनी का प्रतीक बन चुके नरेंद्र मोदी का एक उदार चेहरा सामने लाने के लिए एक नई भाषा भी गढ़ी गई है। मोदी जैसा व्यक्ति पूरी पार्टी को लगातार विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर  बढाने की कोशिश कर रहा है। मोदी लगातार सांप्रदायिकता, कश्मीर, पाकिस्तान, बाबरी मस्जिद, सामान सहिंता जैसे विवादित मुद्दों से खुद को दूर रखने में कामयाब हुए हैं, वो भी गठबंधन के किसी सहयोगी के दबाव के बगैर। जिन मुद्दों पर नितीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया था, नरेंद्र मोदी उन मुद्दों पर नितीश कुमार के बगैर ही अमल कर रहे हैं, यानी की भाजपा अपने दम पर भी सेक्युलर पार्टी रह सकती है, ये साबित करने की कवायद पूरी हो गई है।

बहरहाल भाजपा के अंदरूनी बदलाव, नरेंद्र मोदी के उभार और कथित विकास राजनीति के बीच में दरअसल सिफ मौकापरस्ती का रिश्ता नजर आरहा है। न तो भाजपा का ब्राह्मणवाद बदला है और न उसके अन्दर समाजिक न्याय के लिए उनकी सोच में कोई अंदरूनी और नीतिगत या पार्टी के अन्दर किस किस्म का  परिवर्तन दिख रहा है। मोदी को पार्टी का चेहरा बना देने मात्र से पार्टी के पदों पर ब्राह्मणों और ऊँची जाति के लोगों का वर्चस्व कम नहीं हो जायगा और ना ही दलितों और पिछड़ों के मुहल्लों में भाजपा की इकाइयों का अचानक विस्तार हो जायगा। पार्टी में दलित चेहरे खरीद खरीद कर लाने पड़ रहे हैं, जो पार्टी हिंदुत्व और हिन्दू धर्म के आधार पर समाजिक सरंचना पर विश्वास करती हो वो अम्बेडकर के "मैं हिन्दू पैदा हुआ था लेकिन हिन्दू मरूँगा नहीं" की हद तक खुद को कैसे बदल सकती है।


कृपया पूरा लेख हस्तक्षेप या मेरे ब्लागों पर अवश्य पढ़ लें।मैंने हस्तक्षेप से ही इसे अपने ब्लागों पर लगाया है और मित्रों से आवेदन है कि यह जरुरी लेख खुद तो पढ़ें ही ,दूसरों को भी पढ़ायें।



गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का विकल्प भी खोल रखा है। उन्होंने कहा कि लोग निर्णय करेंगे। उन्होंने कांग्रेस या भाजपा के साथ किसी भी गठबंधन से इंकार किया और उम्मीद जताई कि चुनावों में लोग उनकी पार्टी को पुरस्कृत करेंगे।


उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं। कोई भी ताकत जिसमें कम्युनिस्ट हैं वह चलने वाली नहीं है, क्योंकि लोगों ने माकपा को खारिज कर दिया है। इसलिए यह तीसरा मोर्चा नहीं है बल्कि यह थका हुआ मोर्चा है।


यही नहीं,ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी के 'चाय पर चर्चा' कार्यक्रम को ड्रामा करार दिया है। बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कहा, 'राजनीति का मतलब मीडिया के सज-धज कर बैठ जाना नहीं होता। राजनीति समर्पण और तपस्या मांगती है। राजनीति सादा जीवन मांगती है।'


नरेंद्र मोदी की राजनीति को सस्ता बताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम बीजेपी की तरह चाय की दुकानों पर चर्चा में यकीन नहीं करते। हम चुनाव के वक्त ऐसे ड्रामे करने में यकीन नहीं रखते। यह सस्ती राजनीति है।'


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल के मुकाबले 'ज्यादा त्यागी' बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पहले ही कहाहै  कि अगर ममता देश की प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह अच्छी बात होगी।


इंदौर प्रेस क्लब के 'प्रेस से मिलिये' कार्यक्रम में 76 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि ममता के मुकाबले केजरीवाल ने कम त्याग किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होने के बावजूद ममता सरकारी गाड़ी.बंगले का इस्तेमाल नहीं करतीं और सादे कपड़े व हवाई चप्पल पहनती हैं। वह बड़े-बड़े उद्योगों के बजाय गांवों को केंद्र में रखकर काम कर रही हैं। मुझे ममता के विचार पसंद हैं।


हजारे ने एक सवाल पर कहा कि मैं ममता को उनकी व्यक्तिगत सोच के आधार पर प्रधानमंत्री पद के योग्य मानता हूं। अगर वह प्रधानमंत्री बन जाती हैं, तो यह अच्छी बात होगी। उन्होंने हालांकि लगे हाथ स्पष्ट किया कि वह ममता के व्यक्तिगत विचारों के समर्थक हैं। लेकिन उन्होंने आसन्न लोकसभा चुनावों में उनकी अगुवाई वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस का समर्थन नहीं किया है। तृणमूल कांग्रेस के चुनावी विज्ञापनों में हजारे के इस्तेमाल पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि यह मतदाता की जिम्मेदारी है कि वे चुनावों में किसे वोट देते हैं।


हांलांकि आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि सिर्फ अन्ना हजारे ही यह बता सकते हैं कि 'वह ममता बनर्जी का समर्थन क्यों कर रहे हैं।'


एनडीटीवी पर प्रसारित एक विशेष कार्यक्रम 'लीडर 2014' सवालों का जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा, 'मैं नहीं मानता कि मेरे साथ विश्वासघात हुआ है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि अन्ना हमें पसंद नहीं करते और (इसकी जगह) ममता बनर्जी की राजनीति को पसंद करते हैं।'


वरिष्ठ पत्रकार मधु त्रेहर द्वारा मॉडेरेट किए गए इस कार्यक्रम में हालांकि केजरीवाल ने कहा, 'अन्ना जी हमारे लिए बेहद सम्मानीय हैं, लेकिन यहां मतों का अंतर हो सकता है। अन्ना जी हमारे बारे में जो भी कहते हैं, वह हमारे लिए बेहद गंभीर है।'

इसी बीच आदरणीय सुरेंद्र ग्रोवर जी ने पते की बात की है

और लो बुज़ुर्ग जोशी से पंगा.. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ [आरएसएस] प्रमुख मोहन भागवत ने अपने कार्यकर्ताओं को नमो-नमो का जाप करने से मना किया है... भागवत ने साफ़ कर दिया है कि संघ किसी भी तरह से व्यक्तित्व संचालित अभियान [पर्सनेलिटी ड्रिवेन कैंपेन] का हिस्सा नहीं बन सकता...


ओम थानवी जी के वाल से संजय शर्मा की कलम से…

मैंने अब तक सैकड़ों इंटरव्यू किये होगे , मुझे याद नहीं आ रहा कि किसी भी नेता ने यह ना कहा हो कि कैसा रहा ? बढ़िया छापना ..हम भी कहते है कि बहुत अच्छा रहा और किसी खास अंश का उल्लेख करते हुए कहते है कि यह आपने बहुत बढ़िया बोला ..और यह भी कई बार कहा है कि इसका यह अंश बहुत अच्छा रहा इसको बढ़िया करके छापेंगे इसमें गलत क्या है ..यह हमारे ऊपर है कि लिखते समय या दिखाते समय हम कितनी ईमानदारी से उसे दिखाते है . .पुण्य प्रसून जी की ईमानदारी पर वही सवाल उठा सकते है जिनको इस सिस्टम से सिर्फ यही चाहिए कि सिर्फ उनकी ही जय जयकार हो ..सबसे खतरनाक बात यह कि हिटलर की मानसकिता के लोग लगातार मीडिया पर हमला कर रहे है . यह एक साजिश है लोकतंत्र के हर हिस्से को कमजोर करने की . बीजेपी के नेता इस इंटरव्यू पर बहुत हल्ला कर रहे है ..मैं मोदी जी का करन थापर के साथ का एक इंटरव्यू लगा रहा हूँ ..कुछ सवालों के बाद ही मोदी जी कैमरा बंद करवा देते है और कहते है ऐसे सवाल क्यों पूछ रहे हो हम तो आपको दोस्त मानते है ..क्या इसका मतलब यह नहीं हुआ कि मोदी जी चाहते है कि उनके मित्र बन जाओ पर सवाल ना पूछो ..इसीलिए मोदी जी ने आज तक कोई इंटरव्यू नहीं दिया जबकि राहुल जैसे शख्स तक ने इंटरव्यू दे दिया ..कितने खतरनाक लोग है कि रिपोर्टर के कैमरामेन तक उनकी पहुँच है जो उनको इंटरव्यू के टेप तक दे देता है ..


जगदीश्वर चतुर्वेदी लिखते हैं


मैं नरेन्द्र मोदी की खिलाओ पिलाओ और पटाओ कला का क़ायल हूँ!

पहले सिर्फ़ कांग्रेस वाले इस कला का प्रयोग चुनिंदा ढंग से करते थे !लेकिन मोदी ने एक अच्छे कांग्रेस अनुगामी की तरह इस कला को सीखा है और 'मीडियाकर्मियों' और 'ओपियनमेकरों 'को पेट भरकर प्रचार करने की कला सिखायी है!

बहुत सारे 'मीडियाकर्मियों 'की ग़रीबी को कम किया है !

इसे रामजीकी कृपा ही कहेंगे !!


जगदीश्वर चतुर्वेदी

मोदी का असत्य-५-


गुजरात की जनता की मोदी किस तरह कुसेवा कर रहे हैं इसका आदर्श उदाहरण है स्वास्थ्यसेवाएं !

बिना इलाज के बच्चे और माताओं की मृत्यु के मामले में गुजरात का देश में बुरा स्थान है।

एक अच्छे नेता के लक्षण हैं कि वह सत्य का सामना करता है ।लेकिन धूर्तनेता के लक्षण हैंकि वे सत्य को छिपाते हैं । मोदी धूर्त नेता की कैटेगरी में आते हैं। टाइम्स आॅफ इण्डिया में आज जो रिपोर्ट छपी है वह मोदी के स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सभी दावों का खण्डन करती है।

यह रिपोर्ट ऐसे पत्रकार ने लिखी है जिसको विकासमूलक ख़बरों का बेहतरीन पत्रकार माना जाता है ।

हिमांशु जी की इन पंक्तियों पर भी गौर करें


आप हमें गरिया रहे हैं कि सिपाहियों के मरने पर अब मानवाधिकार वाले क्यों चुप हैं .


ये अब क्यों नहीं बोलते ?


लेकिन भाई अब आप बोलिए .


जब गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को दी गयी तब आप चुप रहे .


क्या ये हिंसा नहीं थी ?


लेकिन आप इस हिंसक कार्यवाही के समय चुप रहे .


लेकिन तब हम बोले थे .


लेकिन हमें विकास विरोधी कह कर आपने हम पर डंडे चलवाए थे .


जब गरीब की ज़मीन छीनने के लिए सरकारी हथियारबंद सिपाहियों का इस्तेमाल निहत्थी औरतों और बूढों के खिलाफ किया गया तब आप चुप रहे .


क्या वो हिंसा नहीं थी .


हम तब भी उस हिंसा के खिलाफ बोले लेकिन आपने हमें नक्सली कह कर दुत्कार दिया .


और हमें जेलों में सड़ने के लिए डाल दिया .


जब सिपाहियों द्वारा लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और निर्दोष लोगों को पीटा गया आप चुप रहे .


क्या वो हिंसा नहीं थी .


पर हम तब भी बोले .


लेकिन आपने हमें विदेशी एजेंट कह कर हमारा मजाक उड़ाया .


आपने अपनी पूरी ताकत लगा कर हमें पीड़ित जनता के बीच से हटा दिया .


लोगों के लिए न्याय पाने के सभी रास्तों को जान बूझ कर बंद कर दिया .


अब जब हिंसा होती है तो आप चिल्ला कर हम से कहते हैं कि अब बोलो .


लेकिन हम तो अब तक बोल ही रहे थे .


अब आपकी बारी है अब आप बोलिए .


बोलिए और सोचिये कि आपकी चुप्पी और आपका लालच कितनी हिंसा को जन्म दे सकता है .


ये सिपाही भी गरीब के बच्चे हैं .


इन्हें गरीबों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है . किसके फायदे के लिए .


टाटा , अम्बानी और जिंदल के लिए ज़मीने हडपने के लिए ना ?


और आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आपके बच्चों को इन्ही अमीरों की कंपनियों में नौकरी करनी है .


इसलिए अब आप बोलिए .


कि इस हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है ?


हमें गाली देने से क्या होगा ?


आपका स्वकेंद्रित विकास , आपका लुटेरा अर्थशास्त्र , हथियारों के दम पर चलती हुई आपकी राजनीति


सिर्फ हिंसा को ही जन्म देगी .


इसमें से शांति अहिंसा और सौंदर्य निकल ही नहीं सकता .


आदरणीय हिमांशु कुमार जी ने एकदम सही लिखा है

भारत के हिंदुओं तुम जो मोदी को अपना प्रिय नेता बनाने की बात भी बोल रहे हो उसका मतलब समझते हो ?


इस तरह तुम आपने साथ रहने वाले करोड़ों मुसलमानों को सन्देश दे रहे हो कि तुम मुसलमानों को मारने वाले नेता को अपना बहुत प्यारा समझते हो .


विकास वगैरह का बहाना मत बनाओ . उस झूठ की पोल कभी की खुल चुकी है .


अरे पागलों, एक ही देश में रह कर कोई एक समुदाय अगर खुद को दुसरे समुदाय से ज़्यादा ताकतवर दिखाने की कोई भी हरकत करेगा ,


तो दूसरा समुदाय या तो डर जाएगा या वो भी खुद को तुम्हारे बराबर शक्तिशाली दिखाने की कोशिश करेगा .


इस तरह समाज में विभिन्न समुदायों में होड़, अविश्वास और घृणा बढ़ेगी .


उसमे से हिंसा और अशांति और टूटन निकलेगी .


अंत में समाज के टूटने से राष्ट्र भी टूट जाएगा .


इसलिए भाइयों और बहनों ये मूर्खता अभी ही बंद कर दो .


तुम्हारा हिंदू या मुसलमान होना महज इत्तिफाक की बात है .


तुम्हारा जन्म दुसरे धर्म में भी हो सकता था .


इसलिए अपने धर्म पर इतराओ मत .


राजनीति को लोगों के स्वास्थ्य , शिक्षा , सम्मान , और बराबरी के लिए काम करने का साधन बनाने की ज़ोरदार कोशिश करो .


आजादी का मतलब है देश में सबके अधिकार बराबर हैं , सबकी गरिमा और सम्मान एक सामान हैं .


लेकिन अगर देश में सब बराबर नहीं हैं .


और किसी समुदाय को खुद को छोटा मानने के लिए मजबूर किया जाता है तो


इसका अर्थ है वह समुदाय आज़ाद नहीं बल्कि अभी भी गुलाम है .


क्या आप देश के भीतर एक समुदाय पर दुसरे समुदाय का शासन चलाना चाहते हैं ?


देश के भीतर दूसरी गुलामी की कोशिश मत कीजिये ये आपको भयानक परिणाम तक पहुंचा सकता है .


हमें मालूम है आपको इस तरह की गुलामी दूसरों से करवाने में मज़ा आता है .


लेकिन अब आप एक आज़ाद देश में रहते हैं .


पुराने भारत में नहीं जहां ऊंची जातियों का राज चला करता था और करोड़ों लोगों को धर्म के नाम पर गुलामों की तरह रहने पर मजबूर कर दिया गया था .


समझोगे तो ठीक है .


नहीं तो आपकी मर्जी .


फिर जो होगा खुद ही भुगतोगे .

हिमांशु जी ने आगे मंतव्य किया है

Himanshu Kumar

क्यों भाई अगर आप गाना पसंद करते हो कि 'यहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है .'


तो सोनी सोरी को सीता मानने में तुम्हारे पेट में क्यों दर्द शुरू हो जाता है ढोंगियों .


आप सोनी सोरी में सीता का रूप क्यों नहीं देख पाते ?


लेकिन उसके साथ जो अन्याय राम का नाम लेकर सत्ता में आयी हुई पार्टी के राज में किया गया है .


उसके लिए हम मरते दम तक अपना विरोध दर्ज़ करेंगे .


जो जिंदा इंसानों के दर्द से ज़्यादा इतिहास के पात्रों के लिए लड़ने मरने को ज़्यादा महत्व दे .


ऐसे नकली धर्म की ऐसी की तैसी .क्यों भाई अगर आप गाना पसंद करते हो कि 'यहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है .'    तो सोनी सोरी को सीता मानने में तुम्हारे पेट में क्यों दर्द शुरू हो जाता है ढोंगियों .     आप सोनी सोरी में सीता का रूप क्यों नहीं देख पाते ?     लेकिन उसके साथ जो अन्याय राम का नाम लेकर सत्ता में आयी हुई पार्टी के राज में किया गया है .    उसके लिए हम मरते दम तक अपना विरोध दर्ज़ करेंगे .    जो जिंदा इंसानों के दर्द से ज़्यादा इतिहास के पात्रों के लिए लड़ने मरने को ज़्यादा महत्व दे .    ऐसे नकली धर्म की ऐसी की तैसी .


हम अविनाश से भी सहमत हैं कि


अरविंद [Arvind Kejriwal | Aam Aadmi Party] और पुण्‍य प्रसून [Punya Prasun Bajpai] के बहुप्रचारित (दुष्‍प्रचारित) रॉ फुटेज से इतना तो हुआ कि प्राइवेटाइजेशन को लेकर "आप" का रुख जगजाहिर हो गया। भले ही वोटबैंक की राजनीति और मध्‍यवर्ग की तबीयत के मद्देनजर केजरीवाल पुण्‍यप्रसून से प्राइवेटाइजेशन के मसले पर सोची-समझी मंशा के साथ नहीं बात कर पाये (कि प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ बोलेंगे तो मध्‍यवर्ग छिटक जाएगा), हमारे लिए इतना काफी है कि प्राइवेटाइजेशन पर उनकी नीति कांग्रेस और बीजेपी से इतर वाममार्गी है।




अविनाश का मंतव्य सौ टका सच है।

जिन्‍हें अपनी ताकत का इलहाम कुछ ज्‍यादा हो जाता है, वही अपने लिए भस्‍मासुर पैदा कर लेते हैं। आरएसएस के साथ ठीक यही हो रहा है। हिंदुत्‍व के काले काले बादल से विभाजन की लाल लाल बारिश कराने वाले इस गिरोह ने दंगों के उस्‍तादNarendra Modi को जब बीजेपी में नेतृत्‍व की तलवार थमायी, तब उसे अंदाजा भी नहीं होगा कि अंदरखाने यह रक्‍तपिपासु ड्रैक्‍युला संघ में ही अपने मन की मोहरें बिछाने की कोशिश करेगा। कुछ संघ पदाधिकारियों से Mohan Bhagwat को जब इसकी जानकारी मिली, तो उन्‍हें लगा कि कहीं ऐसा न हो कि बाद में मोदी के मिजाज के हिसाब से आरएसएस में पदों पर लोग बिठाये-उठाये जाने लगें। स्‍तब्‍ध मोहन भागवत ने स्‍वयंसेवकों को ताकीद की है कि अब से नमो नमो करना बंद करो - वरना बाद में बहुत देर हो जाएगी।


[ http://khabar.ibnlive.in.com/news/117239/12 ]


Avinash Das

मेरे एक मित्र [Farid] ने फेसबुक पर ठीक ही लिखा है कि जब भी आप ने देश, विकास की हकीकत, भ्रष्‍टाचार, गरीबों की मौत और कुपोषण के बारे में पूछा, उन्‍होंने कोई न कोई वीडियो या तस्‍वीर (99 फीसदी मॉर्फ्ड) आप के मुंह पर दे मारा। मीडिया ने भी उनके सुर में सुर मिलाया। अभी जब मैं मीडिया की कुछ वेबसाइट्स पर घूम रहा था, तो ज्‍यादातर जगहों पर नमो के ऑफिसियल प्रचार की खुशबू (गंध) फैली हुई थी। अरविंद [Arvind Kejriwal | Aam Aadmi Party] और पुण्‍य [Punya Prasun Bajpai] वाले वीडियो फुटेज को जिस ABP News ने देश की तमाम जरूरी खबरों से ज्‍यादा तवज्‍जो दी, उसकी सच्‍चाई उनकी वेबसाइट पर सबसे ऊपर नजर आती है। अपनी तरफ से ज्‍यादा क्‍या कहूं, आप खुद ही देख लें स्‍क्रीन शॉट।मेरे एक मित्र [@[701693860:2048:Farid]] ने फेसबुक पर ठीक ही लिखा है कि जब भी आप ने देश, विकास की हकीकत, भ्रष्‍टाचार, गरीबों की मौत और कुपोषण के बारे में पूछा, उन्‍होंने कोई न कोई वीडियो या तस्‍वीर (99 फीसदी मॉर्फ्ड) आप के मुंह पर दे मारा। मीडिया ने भी उनके सुर में सुर मिलाया। अभी जब मैं मीडिया की कुछ वेबसाइट्स पर घूम रहा था, तो ज्‍यादातर जगहों पर नमो के ऑफिसियल प्रचार की खुशबू (गंध) फैली हुई थी। अरविंद [@[347939248636912:274:Arvind Kejriwal] | @[290805814352519:274:Aam Aadmi Party]] और पुण्‍य [@[252987041406349:274:Punya Prasun Bajpai]] वाले वीडियो फुटेज को जिस @[153808061303123:274:ABP News] ने देश की तमाम जरूरी खबरों से ज्‍यादा तवज्‍जो दी, उसकी सच्‍चाई उनकी वेबसाइट पर सबसे ऊपर नजर आती है। अपनी तरफ से ज्‍यादा क्‍या कहूं, आप खुद ही देख लें स्‍क्रीन शॉट।

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अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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