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Saturday, November 2, 2013

मंहगाई बेलगाम,लेकिन राशन दुकानों से गांवों को मिलेगा ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन! কালীপুজোর আগে চড়া বাজারদর৷ সব্জি থেকে মাছ৷ সবকিছুর দামই আকাশছোঁয়া৷ এখনও অগ্নিমূল্য পেঁয়াজ৷ সরকার দাম বেঁধে দেওয়ার পরও বাজারে চড়া দামে বিকোচ্ছে আলু৷ এখনও ৭০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে পেঁয়াজ৷ জ্যোতি আলুর দাম ১৫ থেকে ১৭ টাকা কেজি৷ ১৮ থেকে ২০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে চন্দ্রমুখী আলু৷ বেগুন ৬০ থেকে ৭০ টাকা কেজি৷ ৫০ থেকে ৬০ টাকা কেজি পটলের৷ ১ কেজির ঝিঙের দাম ৪০ থেকে ৫০ টাকা৷ ঢ্যাঁড়শ ৬০ টাকা ও উচ্ছে ৭০টাকা কেজি৷বিক্রেতারা বলছেন, চাহিদার তুলনায় সব্জির জোগান কম হওয়াতেই এই চড়া দাম৷সব্জির সঙ্গে মাছের দামও বেশ চড়া৷ বাজারে এখনও মিলছে ছোট ইলিশ৷ তবে দাম ৯০০ টাকা থেকে শুরু৷ পাবদা ৪০০ টাকা কেজি৷ পমফ্রেট ৫০০ টাকা৷ ৩০০ থেকে ৪০০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে কাতলা৷

मंहगाई बेलगाम,लेकिन राशन दुकानों से गांवों को मिलेगा ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन!

কালীপুজোর আগে চড়া বাজারদর৷ সব্জি থেকে মাছ৷ সবকিছুর দামই আকাশছোঁয়া৷ এখনও অগ্নিমূল্য পেঁয়াজ৷ সরকার দাম বেঁধে দেওয়ার পরও বাজারে চড়া দামে বিকোচ্ছে আলু৷ এখনও ৭০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে পেঁয়াজ৷ জ্যোতি আলুর দাম ১৫ থেকে ১৭ টাকা কেজি৷ ১৮ থেকে ২০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে চন্দ্রমুখী আলু৷ বেগুন ৬০ থেকে ৭০ টাকা কেজি৷ ৫০ থেকে ৬০ টাকা কেজি পটলের৷ ১ কেজির ঝিঙের দাম ৪০ থেকে ৫০ টাকা৷ ঢ্যাঁড়শ ৬০ টাকা ও উচ্ছে ৭০টাকা কেজি৷বিক্রেতারা বলছেন, চাহিদার তুলনায় সব্জির জোগান কম হওয়াতেই এই চড়া দাম৷সব্জির সঙ্গে মাছের দামও বেশ চড়া৷ বাজারে এখনও মিলছে ছোট ইলিশ৷ তবে দাম ৯০০ টাকা থেকে শুরু৷ পাবদা ৪০০ টাকা কেজি৷ পমফ্রেট ৫০০ টাকা৷ ৩০০ থেকে ৪০০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে কাতলা৷


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कालीपूजा और दिवाली के मौसम में आधा बंगाल अब भी जल प्लावित है।बारिश के दो चार छींटे पड़ते न पजड़े नया राइटर्स नवान्न भी जलबंदी कोई द्वीप। द्वीपवासिनी मुख्यंत्री ममता बनर्जी का राजकाज भी नायाब है। कर्मचारियों को बकाया मंहगाई भत्ता मिले न मिले ,अवकाश का पूरा इंतजाम है उनके लिए। खुद दीदी जंगल महल और पहाड़ों में मुस्कान का फूल खिलाने के बाद दुर्गोत्सव का सिलसिला जारी रखते हुए धर्म कर्म में बेहद बिजी हैं।एक के बाद एक काली पूजा आयोजनों का उद्बोधन करते हुए सर्वत्र पहुंचकर सामाजिक न्याय का नजारा पेश कर रही हैं।


सामाजिक न्याय के इस महाराजमार्ग पर खाद्यमंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने भी नायाब पहलकदमी की शुरुआत की है।नगरो महनगरों और उपनगरों के लोग ही ब्रांडेड सौंद्रय प्रसाधन का इस्तेमाल करते हैं,इस मिथक को तोड़कर हर गांव तक वे ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन पहुंचाने का बीड़ा उठा चुके हैं।29 नवंबर तक राशन कार्ड जमा करके राज्यवासियों के डिजिटल राशनकार्ड मिल जायेगा।अनाज और दूसरी जरुरी चीजें मिले या नहीं अब बंगाल की राशन दुकानों से ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन जरुर मिलेंगे।गांवों के लोग अनुपलब्धता के कारण घटिया और सस्ते सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करते हैं।अब मां माटी मानुष की  सरकार के शासनकाल में इस अन्यायपूर्ण असमतामूलक परंपरा का अंत होगा।


हालांकि काली पूजा और दीवाली के मध्य बादजारों में आग लगी है।पूजा के फूल और मां काली की प्रतिमा को पहनाने के लिए फूलमालाओं में जैसे फूल न होकर दहकते हुए कोयले हों।दीदी ने प्याज की बढ़ती कीमतों को पहले ही बांधने की कोसिस की हैं।अब आलू भी बांध दिये। दूसरे राज्यों से फल फूल,साग सब्जी और मछलियों की आवक पर कोई बाधा नहीं है। लेकिन बंगाल के व्यलसाय़ियों पर बाहर माल भेजने की मनाही हो गयी है। कारोबारियों की धड़पकड़ भी हो रही हैं।


लेकिन धरपकड़ की पहुंच से बाहर है कीमतें।सरकारी रेट से हंहगे बिक रहे हैं आलू,प्याज और चिकन।सत्तर रुपये भाव है प्याज। ज्योति आलू 15 से लेकर 17 रुपये किलो।चंद्रमुखी 18 से 20 रुपये। बैंगल 60 से 70 रुपये। 50-60 रुपये पटल।एक किलो झींगा 50 -60 रुपये।भिंडी 60-80,टमाटर 60-80,सेम 70-80 रुपये। बंगालियों की प्रिय मछली के भाव 900 रुपये किलो से शुरु है।पाबदा  400 रुपये,पमफ्रेट 500 रुपये,कातला 300 से लेकर 400 रुपये किलो बिक रहे हैं।


हलांकि ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से आलू की सप्लाई रोकने के फैसले के कारण उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और पूरे उत्तर पूर्व में आलू आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। इनमें से ज्यादातर राज्यों में आलू की कीमतों में तेजी आई है, जबकि असम में लोग 45 रुपए प्रति किलो पर आलू खरीद रहे हैं। ट्रेडर्स का कहना है कि पिछले दो दिनों में इन राज्यों में आलू के दाम 30-100 फीसदी तक बढ़े हैं। इन राज्यों को बुधवार से आलू की सप्लाई बंद और तभी से कीमतों में तेजी आई है। पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में अभी करीब 17 लाख टन आलू है।


चावल,आटा से लेकर दाल तेल सबकुछ मंहगे हैं।किराने का बिल बेलगाम है।


दिवाली के पटाखे खरीदने की हिम्मत नहीं होती।अच्छी बात यह है कि पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 89 प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध से पूर्वी भारत के इस महानगर की पुलिस शायद इस साल चैन से दिवाली मना सकेगी।


ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के प्रयास के तहत बोर्ड ने 90 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि करने वाले 89 प्रकार के पटाखे चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह जानकारी पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष बिनय के. दत्ता ने दी। दत्ता ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा, 'हर किसी को अपने आसपास गैरकानूनी पटाखे चलाने के प्रति सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हम पूरे देश को यह दिखाना चाहते हैं कि हम कानून का सम्मान करते हैं।'


आरक्षित पुलिस बल के उपायुक्त अशोक कुमार बिस्वास के मुताबिक दुर्गापूजा के दौरान भीड़ पर नजर रखने के लिए तैनात किए गए मानव रहित वाहनों को इस बार गगनचुंबी इमारतों की छतों पर की जानी वाली आतिशबाजी पर नजर रखने के लिए काम में लाया जाएगा। ऐसे पटाखों की बिक्री पर भी नजर रखी जाएगी।


धनतेरस पर सोना मंहगा रहा तो बर्तन भी सस्ते नहीं मिले।


कपड़े लत्ते उपहार सबकुछ महंगे।


त्योहारी मौसम में सिर्फ राहत यही है कि अब राशन की दुकानों से मिलेंगे ब्रांडेड सौंदर्य प्रसाधन।खाद्य मंत्री के मुताबिक क्रेताओं को यह सामान बाजार बाव के मुकाबले सात प्रतिशत सस्ता मिलेगा।मंत्री के मुताबिक दिसंबर से ऐसा होगा। सौंदर्य प्रसाधन के अलावा दूसरी उपभोक्ता सामग्रियां बी दिसंबर से राशन दुकानों से मिलेंगी और निजी कंपनियों से इस सिलसिले में समझौते हो चुके हैं।


जय मां काली कलकत्तेवाली।


मां काली अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं। मां अपने भक्तों को बहुत-सी परेशानियों से बचाती हैं जैसे-


लंबे समय से चली आ रही बीमारी। -ऐसी बीमारियां जिनका इलाज संभव नहीं है। -काले जादू और इसके बुरे प्रभाव, बुरी आत्माओं से सुरक्षा। -कर्ज़ से छुटकारा दिलाती हैं। -बिजनेस आदि में आ रही परेशानियों का दूर करती हैं। -जीवन-साथी या किसी खास मित्र से संबंधों में आ रहे तनाव को दूर करती हैं। -बेरोजगारी। -करियर या शिक्षा में असफलता। -कारोबार में हानि और प्रमोशन न होना। -हर रोज़ कोई न कोई नई मुसीबत खड़ी होना। -अकारण ही मानहानी होना। -बुरी घटनाएं होना। -शनि का बुरा प्रभाव।


पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के मेंबर पतितपाबन डे का कहना है, 'पश्चिम बंगाल को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए अगले डेढ़ महीने में करीब 12 लाख टन आलू की जरूरत होगी। करीब 4 लाख टन आलू की जरूरत बीज के लिए होगी। बाकी के 5 लाख टन आलू को दूसरे राज्यों में भेजने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो किसान जल्दबाजी में फसल बेच देंगे, क्योंकि नवंबर मध्य से मार्केट में पंजाब और उत्तर प्रदेश से आलू की नई खेप आने लगेगी।' उड़ीसा में आलू की कीमतें बढ़कर 25-30 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। एक हफ्ते पहले इसका दाम 16-17 रुपए प्रति किलो था। बिहार और झारखंड में भी आलू के दाम 50 फीसदी बढ़ गए हैं। आंध्र प्रदेश में अलग-अलग वैरायटी के आधार पर आलू की कीमतें 35-50 फीसदी बढ़ गई हैं। उत्तरी पूर्वी भारत में आलू के दाम में 50 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। यहां आलू के दाम बढ़कर 45 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं, जो एक हफ्ते पहले 20 रुपए पर थे। गुवाहाटी पोटैटो-अनियन मर्चेंट्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी विनोद सुराना का कहना है, 'पश्चिम बंगाल सरकार के कदम ने सप्लाई की किल्लत खड़ी कर दी है। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने हाल में ममता बनर्जी से बात की थी और करीब 400 ट्रकों को बंगाल बॉर्डर पार करके असम आने की इजाजत मिली थी। हालांकि, अब मूवमेंट पूरी तरह रुक गया है।' उत्तर-पूर्वी राज्यों में आलू की कीमत 30-45 रुपए प्रति किलो है। असम, मणिपुर और मेघालय में आलू 30 रुपए किलो है, जबकि त्रिपुरा में यह 30-35 रुपए प्रति किलोग्राम पर हैं। वहीं, मिजोरम में आलू की कीमत 40 रुपए किलो है, जबकि नगालैंड में इसके दाम 40-45 रुपए हैं। इस रीजन को एक हफ्ते में करीब 8,000 टन आलू की जरूरत पड़ती है। सुराना ने बताया, 'इस रीजन में 90 फीसदी आलू पश्चिम बंगाल से आता है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश के रास्ते होकर आने के कारण काफी महंगा पड़ रहा है।'


:जनवरी से राज्य सरकार एटीएम कार्ड की तरह नया इलेक्ट्रानिक राशन कार्ड शुरू करने जा रही है। इस सिलसिले में तेजी से काम चल रहा है। इस पर करीब 112 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसमें 25.33 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी और बाकी रकम राज्य सरकार खर्च करेगी।


यह जानकारी गुरुवार को राज्य सचिवालय नवान्न में खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने दी।


उन्होंने कहा कि इस कार्ड से किसी भी जिले में राशन लेने की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा अब दो सप्ताह के बजाय चार सप्ताह तक राशन कार्ड से राशन नहीं लेने पर कार्ड निरस्त नहीं होगा। इस सिलसिले में खाद्य सुरक्षा पर होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 75 लाख जाली राशन कार्ड पकड़े गए हैं। अब भी एक करोड़ से अधिक जाली राशन कार्ड हैं। खाद्य मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कुल करीब नौ करोड़ राशन कार्ड हैं। अब पुराने राशन कार्ड के बदले नए इलेक्ट्रानिक कार्ड देने की व्यवस्था की जा रही है। जनवरी से जिलेवार नए राशन कार्ड दिए जाएंगे। इसके लिए राशन की दुकानों में कंप्यूटर व दो आपरेटर नियुक्त किए जाएंगे। जो राशन कार्ड की डाटा तैयार करेंगे।

जनगणना के आधार पर जनसंख्या का रजिस्टर भी वहां रखा जाएगा। कार्ड धारक परिवार के किसी भी व्यक्ति को वहां जाने पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद कार्ड लौटा दिया जाएगा। प्रथम चरण में 11 जिलों में यह प्रक्रिया 29 अक्टूबर से 30 नवंबर तक चलेगी। बाकी जिलों में इसके बाद राशन कार्ड बनाए जाएंगे।


खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा कि किसानों के हितों को देखते हुए धान का समर्थन मूल्य 1320 रुपये कर दिए जा रहे हैं। सात नवंबर को होने वाली बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा कर निर्णय कर लिया जाएगा। राज्य सरकार सीधे तौर पर किसानों से धान लेने की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि सालभर एक अनुपात में किसानों से धान लेने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि राज्य के किसानों को अधिक से अधिक धान मिले और मंहगाई भी न बढ़े। राज्य सरकार धान की पैकेजिंग कर निर्यात करने पर भी बल दे रही है। इसके लिए कृषि विपणन विभाग तेजी से कार्य कर रहा है।


बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक ऐसे समय में जब खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान पर हैं, गरीबों को किसी भी तरह की मदद से राहत ही मिलेगी। चाहे वह मदद नकदी के रूप में आए या फिर किसी दूसरे रूप में। सभी प्रकार की खामियों के बावजूद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) एक ऐसी लाभ हस्तांतरण योजना है जो उन सभी लोगों के लिए उपलब्ध है जिनके पास राशन कार्ड है।


अर्थशास्त्री और दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में मानद प्रोफेसर ज्यां द्रेज और आईआईटी दिल्ली की ऋतिका खेड़ा के एक अध्ययन में उन्होंने माना कि हालांकि इस बात में कोई दोराय नहीं है कि राशन कार्ड हासिल करना अपने आप में बहुत ही मुश्किल है और इसके लिए लोगों को काफी मशक्कत भी करनी पड़ती है लेकिन यह भी सही है कि इस योजना ने ग्रामीण गरीबी को कम करने के मामले में काफी मदद की है।


हालांकि यह भी एक सच ही है कि पीडीएस में सुधार का काम कुछ राज्यों तक ही सीमित है। ऐसे अध्ययन के तथ्य यह बात दर्शाते हैं कि चुनिंदा राज्यों में ही चल रहे पीडीएस सुधार कार्यक्रमों के चलते बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ग्रामीण गरीबी पर पीडीएस का कोई असर देखने को नहीं मिलता है। इन सभी राज्यों में पीडीएस में सुधार की सख्त जरूरत है।


दोनों अर्थशास्त्रियों ने वर्ष 2009-10 के राष्टï्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के आंकड़ों और गरीबी रेखा के आधिकारिक आंकड़ों की मदद से कुछ अनुमान  लगाए। उनके मुताबिक ग्रामीण गरीबी अंतर इंडेक्स में पीडीएस की वजह से करीब 18-22 फीसदी की कमी देखने को मिली है। यह आंकड़ा उन राज्यों में और भी बेहतर है जहां पीडीएस बेहतर तरीके से लागू किया जाता है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में यह स्तर 61-83 फीसदी तक का है जबकि छत्तीसगढ़ में 39-57 फीसदी।


दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकनॉमिक्स के लिए किए गए इस अध्ययन में गरीबी के फासले का अनुमान लगाए जाने का निर्णय लिया गया। यह अंतर गरीबी की रेखा और गरीबी की रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले लोगों की आय के बीच अंतर दर्शाता है। उन्होंने गरीबी की रेखा से ऊपर उठ चुके लोगों की संख्या गिनने के बजाय गरीबी के अंतर का अनुमान लगाने का फैसला किया।


यह अध्ययन पूरी तरह एनएसएसओ के आंकड़ों पर निर्भर करता है, ऐसे में इन आंकड़ों की असंगति का सीधा असर अध्ययन के अनुमान पर भी पड़ सकता है। इस मामले में राजस्थान का उदाहरण लिया जा सकता है। इस राज्य में गरीबी पर पीडीएस का प्रभाव राष्टï्रीय औसत से कम है। अध्ययन के मुताबिक राज्य ने वर्ष 2010 में पीडीएस में सुधार के लिए कई आवश्यक काम किए हैं और इनके परिणाम भी काफी हद तक सकारात्मक रहे हैं।


खेड़ा कहती हैं कि दरअसल पिछले कुछ सालों के दौरान शुरू किए गए विस्तारित पीडीएस कार्यक्रम के लाभ लोगों को मिल रहे हैं। राज्य के नागरिक, खासतौर पर वृद्घों को इन योजनाओं का काफी लाभ मिला है और इस बात को राज्य के किसी भी गांव में जाकर परखा जा सकता है। इसके अलावा राजस्थान सरकार ने कुछ विशेष योजनाएं भी शुरू की हैं जिनका लक्ष्य आदिवासी समुदायों का कल्याण है। इन समुदायों को मुफ्त में अनाज दिया जाता है। खेड़ा कहती हैं कि लेकिन खास बात है कि राज्य में गरीबी में आई गिरावट और पीडीएस योजना के प्रभाव के बीच कोई संबंध नहीं दिखाई देता है।


बिहार इस अध्ययन के मुताबिक सबसे नीचे रहा। यानी गरीबी घटाने पीडीएस का प्रभाव सबसे कम बिहार में देखने को मिला। अध्ययन के मुताबिक यह तथ्य आश्चर्यजनक नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बिहार में पीडीएस की हालत सबसे बुरी है।


बुनियादी ढांचे के लिहाज से बिहार सबसे पीछे है। अध्ययन के मुताबिक, 'ग्रामीण गरीबी को कम करने में पीडीएस का असर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी काफी कम रहा। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल देश के दो ऐसे गरीब और बड़े राज्य हैं जहां पीडीएस सुधारों की सख्त जरूरत है और जल्दी से जल्दी उन्हें लागू किए जाने की आवश्यकता है।Ó

खेड़ा कहती हैं कि गरीबी के आंकड़ों में दर्ज की गई गिरावट पर इस बात का भी असर देखने को मिलता है कि गरीबी की रेखा काफी नीचे है। अगर इसका असर थोड़ा भी ऊंचा होता तो राशन कार्ड से दी जाने वाली सब्सिडी का गरीबी पर होने वाला स्तर भी उसी अनुपात में कम होता।


अध्ययन में इस विषय पर खास जोर देते हुए विस्तार से बताया गया है, 'चूंकि भारत में गरीबी पर उपलब्ध ज्यादातर शोध और साहित्य देश की आधिकारिक गरीबी रेखा के आधार पर ही आधारित है इसलिए हमने भी इसी परंपरा का पालन किया ताकि इन सभी अध्ययनों की आपस में तुलना की जा सके। हालांकि हम इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि अगर गरीबी रेखा का स्तर थोड़ा ऊंचा होता तो गरीबों की संख्या में आई गिरावट में कमी आ सकती थी या फिर पीडीएस से संबद्घ पॉवर्टी-गैप इंडेक्स भी कम होता।



কালীপুজোর আগে চড়া বাজারদর৷ সব্জি থেকে মাছ৷ সবকিছুর দামই আকাশছোঁয়া৷ এখনও অগ্নিমূল্য পেঁয়াজ৷ সরকার দাম বেঁধে দেওয়ার পরও বাজারে চড়া দামে বিকোচ্ছে আলু৷ এখনও ৭০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে পেঁয়াজ৷ জ্যোতি আলুর দাম ১৫ থেকে ১৭ টাকা কেজি৷ ১৮ থেকে ২০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে চন্দ্রমুখী আলু৷ বেগুন ৬০ থেকে ৭০ টাকা কেজি৷ ৫০ থেকে ৬০ টাকা কেজি পটলের৷ ১ কেজির ঝিঙের দাম ৪০ থেকে ৫০ টাকা৷ ঢ্যাঁড়শ ৬০ টাকা ও উচ্ছে ৭০টাকা কেজি৷বিক্রেতারা বলছেন, চাহিদার তুলনায় সব্জির জোগান কম হওয়াতেই এই চড়া দাম৷সব্জির সঙ্গে মাছের দামও বেশ চড়া৷ বাজারে এখনও মিলছে ছোট ইলিশ৷ তবে দাম ৯০০ টাকা থেকে শুরু৷ পাবদা ৪০০ টাকা কেজি৷ পমফ্রেট ৫০০ টাকা৷ ৩০০ থেকে ৪০০ টাকা কেজি দরে বিকোচ্ছে কাতলা৷



সস্তায় নামী সংস্থার

নুন-তেল-শ্যাম্পু রেশনে

কাজী গোলাম গউস সিদ্দিকী • কলকাতা


টিভি-র পর্দা থেকে গরিবের ভিটে। ভায়া রেশন দোকান।

নামী ব্র্যান্ডের নানা সামগ্রী শহরের ঝাঁ-চকচকে শপিং মলে সাজানো থাকে থরে থরে। তার বেশির ভাগই গাঁ-গেরামের গরিব-গুর্বোদের অধরা থেকে যায়। টিভি-র বিজ্ঞাপনে দেখে আশ মেটাতে হয় তাঁদের। তা সে খাবারদাবারই হোক কিংবা প্রসাধনী। এ বার রেশন দোকানের মাধ্যমে তা সহজলভ্য হয়ে উঠবে গ্রামীণ মানুষের কাছেও। সেখানেই মিলবে নামী ব্র্যান্ডের তেল-সাবান-শ্যাম্পু থেকে শুরু করে প্যাকেটবন্দি খাদ্যসামগ্রী।

কিন্তু মিললেই তো হল না। ওই সব জিনিসপত্র কেনার সঙ্গতিও তো দরকার! তার কী হবে?

রাজ্যের খাদ্যমন্ত্রী জ্যোতিপ্রিয় মল্লিক জানান, গ্রামের সাধারণ মানুষ নামী ব্র্যান্ডের সামগ্রী যাতে সাধ্যের মধ্যে পান, তার জন্য দু'রকম ব্যবস্থা নেওয়া হচ্ছে।

• ক্রেতারা ওই সব পণ্য পাবেন বাজারদরের থেকে সাত শতাংশ কম দামে।

• ওই শ্রেণির ক্রেতাদের কথা ভেবেই নামী সংস্থাগুলি তাদের পণ্য সরবরাহ করবে ছোট ছোট প্যাকেট বা পাউচে। এতে গ্রামীণ মানুষের চাহিদা মেটানো যাবে, রেশন দোকানগুলিও লাভবান হবে। কারণ, ওই সব পণ্য বিক্রি করলে তারা কমিশন পাবে এক শতাংশ হারে। প্রতিটি পাউচ বা প্যাকেটে 'পিডিএস' (পাবলিক ডিস্ট্রিবিউশন সিস্টেম) কথাটি লেখা থাকবে, যাতে ওই সব পণ্য খোলা বাজারে বিক্রি হতে না-পারে।

রেশনে বিভিন্ন নামী সংস্থার জিনিসপত্র মিলবে কবে?

খাদ্যমন্ত্রী জানান, ডিসেম্বরের প্রথম সপ্তাহ থেকেই গোটা রাজ্যে এই বিপণন ব্যবস্থা চালু হয়ে যাবে। ওই সব পণ্য মজুত করতে রেশন দোকানের মালিককে কোনও খরচ করতে হবে না। সংস্থাগুলি নিজেদের খরচেই পণ্য পৌঁছে দেবে রেশন দোকানে। জ্যোতিপ্রিয়বাবু বলেন, "ইতিমধ্যেই গ্ল্যাক্সো (হরলিকস প্রস্তুতকারক সংস্থা), হিন্দুস্থান লিভার, বিঙ্গো চিপস, টাটা লবণ, ব্রিটানিয়া, বিস্ক ফার্ম, ফরচুন তেল সংস্থার সঙ্গে খাদ্য দফতরের চুক্তি হয়েছে। আগে থেকেই চুক্তি আছে মশলা প্রস্তুতকারক কুকমি এবং সানরাইজ-এর সঙ্গে।" আটা প্রস্তুতকারক নামী সংস্থার সঙ্গেও কথা চলছে রাজ্যের।

সরকার হঠাৎ রেশনে ওই সব জিনিস বিক্রির ব্যবস্থা করছে কেন?

খাদ্য দফতরের এক কর্তার ব্যাখ্যা, খাদ্য নিরাপত্তা আইন বলবৎ হয়ে গেলে রেশন দোকানের গুরুত্ব কমে যেতে পারে। কারণ, গ্রাহকেরা সরকারি ভর্তুকির টাকা সরাসরি নিজেদের ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে পেয়ে যাবেন। সে-ক্ষেত্রে তাঁরা রেশন থেকে খাদ্যসামগ্রী না-নিয়ে সরাসরি বাজার থেকেও কিনতে পারেন। এই অবস্থায় রেশনে যদি একটু সস্তায় নামী সংস্থার পণ্য বিক্রির ব্যবস্থা করা যায়, কার্ডধারীরা সেখানে যাবেন বলেই আশা করা হচ্ছে। রাজ্যে ২০ হাজারেরও বেশি রেশন দোকানের সঙ্গে প্রায় তিন লক্ষ মানুষের জীবন-জীবিকা জড়িয়ে আছে। একটু ভিন্ন রূপে রেশন দোকান চালু রাখতে পারলে তাঁরাও সমস্যায় পড়বেন না।

সরকারের এই উদ্যোগকে স্বাগত জানিয়েছেন অল বেঙ্গল রেশন শপ ওনার্স অ্যাসোসিয়েশনের সাধারণ সম্পাদক বিশ্বম্ভর বসু। তবে তিনি মনে করেন, কার্ডধারীদের রেশন দোকান থেকে জিনিস কিনতে বাধ্য করাতে না-পারলে এই ব্যবস্থা সফল হবে না। তিনি বলেন, "খাদ্য সুরক্ষা আইন অনুযায়ী রেশন বাবদ গ্রাহকের ভর্তুকির টাকা সরাসরি ব্যাঙ্কে চলে যাবে। সেই টাকায় তিনি যে রেশন দোকান থেকেই জিনিস কিনবেন, তার নিশ্চয়তা কোথায়? সরকার রেশনে যে-সামগ্রী সাত শতাংশ কম দামে দেবে, পাড়ার অন্য দোকান সেটা দেবে হয়তো ১০ শতাংশ কম দামে। সে-ক্ষেত্রে কার্ডধারীরা রেশন দোকানে যাওয়ার উৎসাহ পাবেন না।"

শুধু তা-ই নয়। বিশ্বম্ভরবাবুদের বক্তব্য, খাদ্য সুরক্ষা আইন কার্যকর হলে এমনিতেই শহরের ৫০ শতাংশ এবং গ্রামের ২৫ শতাংশ মানুষ রেশন ব্যবস্থার বাইরে চলে যাবেন। বর্তমান নিয়মে রেশন কার্ড চালু রাখতে গেলে মাসে অন্তত এক বার রেশন দোকান থেকে কোনও না কোনও সামগ্রী কিনতে হয়। কিন্তু আগামী দিনে তা এক মাসের জায়গায় দু'মাস করা হবে। ফলে রেশন দোকানে বিক্রির হাল মোটেই ভাল হবে না। এখনও রেশন দোকানে কুকমি, সানরাইজ মশলা, লবণ, কাগজ-পেনসিল, ডিটারজেন্ট বিক্রির ব্যবস্থা আছে। বিশ্বম্ভরবাবু জানান, কার্ড বাঁচানোর জন্য কেউ কেউ এর মধ্যে কিছু কিছু জিনিস কেনেন ঠিকই। তবে বেশির ভাগই এতে আগ্রহী নন। শুধু নামী ব্র্যান্ডের পণ্য রাখলেই গ্রাহক রেশন দোকান থেকে তা কিনতে উৎসাহী হবেন, এমন আশা করা যায় না।

খাদ্যমন্ত্রী এই বক্তব্য মানেননি। তিনি বলেন, "এখন রেশন দোকানে কিছু অনামী কোম্পানির জিনিস বিক্রি হয়। মানুষ সেই সব সংস্থার নামই শোনেননি। তাই তাদের পণ্য বিক্রি হয় না। গ্রামবাসী ব্র্যান্ডেড জিনিস চান। সেটাই দিতে চাইছি রেশনে।"

http://www.anandabazar.com/


কালীপুজোর মুখে ফের আলুর দাম বাঁধল রাজ্য সরকার৷ হপ্তাখানেক আগে কৃষি বিপণন মন্ত্রী অরূপ রায় অবশ্য দাম একদফা বেঁধে দিয়েছিলেন৷ কিন্ত্ত তাতে কাজের কাজ কিছু হয়নি৷ এ বার আসরে মুখ্যমন্ত্রী স্বয়ং৷ বৃহস্পতিবার নবান্নে আলু ব্যবসায়ীদের সঙ্গে বৈঠকের পর মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নির্দেশ, খুচরো বাজারে জ্যোতি আলু ১৩ টাকা কেজি দরে বিক্রি করতে হবে৷ পাইকারি বাজারে দাম হবে ১১ টাকা৷ এর আগে অরূপবাবু খুচরো বাজারে দর ১৪ টাকায় বেঁধেছিলেন৷ চন্দ্রমুখীর দর ১৬ টাকায় বাঁধা হয়েছিল৷ তবে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এদিন আলাদা ভাবে চন্দ্রমুখীর দর নিয়ে কোনও উচ্চবাচ্য না-করায় ধোঁয়াশা তৈরি হয়েছে৷



শুধু দাম বেঁধে দেওয়াই নয়, এদিন মুখ্যমন্ত্রী ব্যবসায়ীদের জানিয়েছেন, আলু এবং অন্যান্য সবজি আপাতত ভিনরাজ্যে পাঠানো যাবে না৷ ব্যবসায়ীরা সে চেষ্টা করলে, তাঁদের বিরুদ্ধে এফআইআর দায়ের করা হবে৷ এ নিয়ে বৈঠকে উপস্থিত পুলিশকর্তাদের প্রয়োজনীয় নির্দেশও দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ ইতিমধ্যেই গত কয়েকদিনে ভিনরাজ্যে পাঠানোর সময় প্রায় ৩৫০ ট্রাক আলু আটক করেছে পুলিশ৷ তবে মুখ্যমন্ত্রীর উদ্যোগ ঘিরেও প্রশ্ন উঠেছে৷ কেননা, অরূপবাবু নিজেই জানিয়েছিলেন, রাজ্যের হিমঘরে এখন প্রায় ১৮ লক্ষ মেট্রিক টন আলু মজুত রয়েছে৷ হিসেব বলছে, নভেম্বর ও ডিসেম্বরে রাজ্যের চাহিদা মেটাতে ৯ লক্ষ মেট্রিক টন আলু যথেষ্ট৷ মন্ত্রীর বক্তব্য ছিল, এই হিসেব সামনে রেখে আলুর দাম কেজি প্রতি ১০ টাকার বেশি হওয়া উচিত নয়৷ এখানেই প্রশ্ন, তা হলে কীসের ভিত্তিতে সরকার ১৩ টাকা দর বাঁধল? এর ফলে কি ব্যবসায়ীরাই উপকৃত হবে না?


প্রশ্ন উঠেছে, উদ্বৃত্ত আলু থাকা সত্ত্বেও, কেন মুখ্যমন্ত্রী ভিনরাজ্যে আলু সরবরাহে রাশ টানছেন? ব্যবসায়ীদের যুক্তি, অন্যান্য বছর আশ্বিনে হিন্দিবলয়ে আলুর চাষ হয়৷ সেই আলুই এ রাজ্যে 'নতুন আলু' হিসেবে আসে৷ এবার বৃষ্টিতে তা প্রবল ভাবে মার খেয়েছে৷ ফলে, অন্যান্য রাজ্য অনেক বেশি দামে এ রাজ্যের আলু কিনতে চাইছে৷ অর্থাত্‍, লাভের থেকে বঞ্চিত হচ্ছেন তাঁরা৷ আলু ব্যবসায়ী সমিতির রাজ্য সম্পাদক দিলীপ প্রতিহারের ব্যাখ্যা, 'সর্বভারতীয় ক্ষেত্রে আলুর দাম নির্ধারিত হয়৷ সে হিসেবে এখন উত্তরপ্রদেশ, কর্নাটকের মতো রাজ্যে পাইকারি বাজারেই জ্যোতি আলুর দাম ১৭-১৮ টাকা৷ সে তুলনায় এ রাজ্যে দাম অনেক কম৷' আলু যে উদ্বৃত্ত হতে পারে, ব্যবসায়ীদের আর একটি কথায় সে ইঙ্গিত মিলেছে৷ তাঁরা বলছেন, মেদিনীপুর, বাঁকুড়ায় যে আলু উত্‍পাদন হয়, বহু বছর ধরে তার ৭৫ শতাংশই চলে যায় অন্যান্য রাজ্যে৷ সরকার ভিনরাজ্যে আলু পাঠানো বন্ধ করে দেওয়ায়, তা এবার হিমঘরেই নষ্ট হবে৷


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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

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Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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