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Monday, November 4, 2013

निराधार आधार संकट से निकलने की कोई राह नहीं,दीदी के विरोध में दम नहीं।फिलहाल बंगाल के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के साथ ही रसोई गैस (एलपीजी) मिलती रहेगी।

निराधार आधार संकट से निकलने की कोई राह नहीं,दीदी के विरोध में दम नहीं।फिलहाल बंगाल के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के साथ ही रसोई गैस (एलपीजी) मिलती रहेगी।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​




जिन लोगों ने अपने रसोई गैस को आधार कार्ड के साथ लिंक कर लिया है, उनके लिए नये सिस्टम से रसोई गैस लेना होगा। यानी उन्हें रसोई गैस की पूरी कीमत पहले चुकानी होगी। बाद में बैंक के माध्यम से सब्सिडी की राशि उनके खाते में जमा कर दी जायेगी।


बंगाल में कोलकाता ,हावड़ा और कूचबिहार जिलों में बिना आम लोगों के आधार कार्ड बने पहली नवंबर से रसोई गैस के लिए नकद सब्सिडी योजना लागू हो जाने से आधार संकट गहरा गया है।दीदी ममता बनर्जी  के जुबानी विरोध के बावजूद केंद्र ने कोई सुनवाई नहीं की और न केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई खास परवाह है।सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठिकाने लगाने की कवायद हो रही है दिल्ली में। प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बजाय केंद्र सरकार और तेल कंपनियों के खिलाफ राज्य सरकार ने अगल सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा दायर किया होता तो उसका कोई नतीजा निकलता।घेराव और प्रदर्शन से कुछ आता जाता है नहीं।वैसे भी यूआईडीएआई को वैधानिक दर्जा देने का रास्ता साफ करते हुए सरकार ने भारत के राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ हरी झंडी दे दी है। यूआईडीएआई निवासियों को आधार नंबर जारी करता है।लेकिन  ममता बनर्जी ने फिर केंद्र सरकार की निंदा करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी प्रदान करने के लिए जो आधार कार्ड अनिवार्य किया है, ऐसा नहीं होना चाहिए. बंगाल में अब तक मात्र 15-20 फीसदी लोगों को ही आधार कार्ड मिला है और इसमें से भी मात्र 10-15 हजार लोगों ने ही अपने बैंक एकाउंट को आधार कार्ड से लिंक कराया है.  


इसी बीच,पेट्रोलियम कंपनियों ने राज्य के लोगों को राहत देते हुए कहा है कि फिलहाल बंगाल के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के साथ ही रसोई गैस (एलपीजी) मिलती रहेगी। अगर उनके पास आधार कार्ड नहीं है, तब भी रसोई गैस की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। सभी ग्राहकों को चाहे उनके पास आधार कार्ड हैं या नहीं, उन्हें सब्सिडी के साथ रसोई गैस प्रदान की जायेगी। यह जानकारी इंडियन ऑयल के कार्यकारी निदेशक इंद्रजीत बोस ने दी है।


बिना आधार कार्ड बनवाये नकद सब्सिडी योजना को तीन महीने के टालने में कामयाबी का जश्न जरुर मना सकते हैं सत्ता समर्थक लोग। लेकिन इससे समस्य़ा सुलझेगी नहीं।     

इंद्रजीत बोस ने कहा कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं, उन्हें शुक्रवार से सब्सिडी दर पर रसोई गैस नहीं मिलने की बात पूरी तरह गलत है। अगले तीन महीने तक जिन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं हैं, उन्हें भी सब्सिडी दर पर रसोई गैस  मिलेगी। उन्होंने बताया कि इंडियन ऑयल ही पश्चिम बंगाल के सभी पेट्रोलियम कंपनियों की संयोजक है, इसलिए एचपी गैस व बीपी गैस के लिए उपभोक्ताओं के लिए भी यही नियम लागू होगा।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने अपने रसोई गैस को आधार कार्ड के साथ लिंक कर लिया है, उनके लिए नये सिस्टम से रसोई गैस लेना होगा। यानी उन्हें रसोई गैस की पूरी कीमत पहले चुकानी होगी। बाद में बैंक के माध्यम से सब्सिडी की राशि उनके खाते में जमा कर दी जायेगी। जिन लोगों ने नये सिस्टम से रसोई गैस को आधार कार्ड से लिंक कराया है, उन्हें केंद्र द्वारा पहली बार सब्सिडी की औसतन  राशि गैस लेने से पहले ही बैंक में जमा कर दी जायेगी। ग्राहकों को प्रत्येक वर्ष नौ रसोई गैस सब्सिडी दर पर प्रदान की जायेगी।



बहरहाल  वज़ीर-ए-आला मग़रिबी बंगाल ममता बनर्जी ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि एलपी जी गैस सब्सीडी के पाने केलिए आधार कार्ड का शर्त‌ आइद ना किया जाये और कहा कि वज़ारत तेल को अपने फ़ैसले पर नज़र-ए-सानी करनी चाहिए।  9.14 करोड़ आबादी वाले पश्चिम बंगाल में अब तक आधार कार्ड सभी को नहीं मिला है। हालांकि, आधार कार्ड जारी करने वाले सरकारी विभाग ने कुछ माह पहले दावा किया था कि बंगाल में तीन करोड़ से अधिक लोगों को आधार कार्ड जारी किया जा चुका है। यदि तीन करोड़ लोगों को भी आधार कार्ड जारी हुआ है तो यह कितना प्रतिशत है? ऐसे में ममता का यह कहना कि एलपीजी गैस पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए।दीदी के मुताबिक अगर आधार कार्ड से ही सब्सिडी देने की मंजूरी मिलती है तो इससे राज्य के अधिकांश लोग इस सुविधा से वंचित रह जायेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड को केंद्र सरकार के विभिन्न योजना के लाभ व सब्सिडी प्राप्त करने के लिए अनिवार्य नहीं है। यह समझ में नहीं आ रहा है कि केंद्र सरकार कैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन कर सकती है। उन्होंने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रलय से इस कदम की समीक्षा करने का आह्वान किया।


जाहिर है कि ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वे आधारयोजना के विरोधी हैं।लेकिन आधार योजना कोई पहलीबार कहीं लागू हो नहीं रही है।बाकी देश में पहले से लागू है। बंगाल में कारपोरेट कंपनियों और बैंकों,यहां तक कि जीपीओ के मार्फत आधार कार्ड बनते रहे हैं। दीदी केंद्र में रेल मंत्री भी रही है। केंद्र सरकार में उनके मंत्री भी रहे हैं।किसी ने आज तक विरोध दर्ज नहीं कराया।अचानक आज जब प्रशासनिक नाकामी से जब बंगाल में नब्वे फासद लोगों के आधार कार्ड नहीं बने और नकद सब्सिडी योजना लागू हो गयी,तब जाकर दीदी और उनकी पार्टी विरोध कर रहीं हैं।हर नागरिक को पहचान देने वाला आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 23 सितंबर को ही सुनाया था। आधार कार्ड जारी करने की प्रक्रिया जबसे शुरू हुई तब से लेकर आज तक इसे पर विवाद होता आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आवश्यक सेवाओं जैसे एलपीजी कनेक्शन, टेलीफोन वगैरह के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि आधार कार्ड बनाने का फैसला लोगों की इच्छा पर है। अब जब आधार कार्ड के आधार पर बंगाल के तीन जिले कोलकाता, हावड़ा और कूचबिहार में रसोई गैस पर सब्सिडी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इससे क्षुब्ध हैं।  बकौल सीएम बंगाल में केवल 15-20 फीसद लोगों को ही यह कार्ड मिला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला देते हुए कहा कि सरकार सब्सिडी हासिल करने के लिए इसे अनिवार्य नहीं बना सकती। ऐसे में मुझे नहीं पता कि कैसे सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है। सरकार को तत्काल इस निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए।


गौरतलब है कि केबल कनेक्शन डिजिटल करने के मामले में भी दीदी ने विरोध किया था।महीनों तक हालांकि इसे लागू करने से वे रोकने में कामयाब भी रही हैं। लेकिन अब सारे लोगों को सेटटाप बाक्स से ही टीवी देखना पड़ रहा है।दीदी का विरोध भी खत्म हो गया।अब आदार कार्ड को लेकर दीदी के विरोद का मतलब बस इतना ही है कि  विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की यूपीए सरकार पर प्रहार करती आ रही तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आधार कार्ड को मुद्दा बना कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।इससे न ज्या न कम।


गौरतलब है कि आगामी 2014 की फरवरी तक सभी लोगों का आधार कार्ड बनाने की समयसीमा राज्य सरकार ने तय कर दी है। यानि आधार कार्ड बनवाने ही होंगे और राज्य सरकार आदार का विरोध कर नहीं रही हैं।जैसा कि दीदी के वक्तव्यों से लगता है।


नकद सब्सिडी का मामला डिजिटल कनेक्शन से ज्यादा गंभीर हैं। यह नागरिक सेवाओं को सीधे आधार कार्ड से जोड़ने की परियोजना है।आधार नंबर न होने से रसोई गैस मिलेगी नहीं।ओआईसी के यहां धरना प्रदर्शन से सत्तादल को भले ही जनरोष को केंद्र सरकार के खिलाफ मोड़ने में कामयाबी मिल जाये लेकिन बिना आधार नंबर बनवाये लोगों की तकलीफ दूर नहीं होगी।


दीदी असंवैधानिक गैरकानूनी आधार परिकल्पना को खारिज करने के लिए कोई आंदोलन नहीं कर रही है। सिर्फ नकद सब्सिडी योजना टालने की बात कर रही हैं क्योंकि ज्यादातर लोगों के न कार्ड बने हैं और न राज्य सरकरा निकट भविष्य में कार्ड बनवाने की हालत में है।


इस जुगत से आम लोगों की तकलीफें दूर नहीं होगी,हालांकि राजनीतिक मकसद पूरा हो जायेगा।



এই সময়: আধার কার্ড নিয়ে আঁধার আরও ঘনীভূত হল রাজ্যে৷ সেই সঙ্গে নিত্য ব্যবহার্য এই কার্ড নিয়েও কেন্দ্র-রাজ্য বিরোধও বাধল৷ শুক্রবার মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় স্পষ্ট জানিয়ে দিয়েছেন, তিনি আধারের বিরোধী৷ রান্নার গ্যাসে ভর্তুকি পেতে আধার চালু হওয়ায় তাঁর দল তৃণমূল কংগ্রেস আইওসি-র অফিস ঘেরাও করবে বলেও হুমকি দিয়েছেন৷ তাঁর বক্তব্য, 'সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশ সত্ত্বেও কেন্দ্রীয় পেট্রোলিয়াম মন্ত্রক কী ভাবে আধার কার্ড ভর্তুকির জন্য ব্যবহার করে? এটা দুর্ভাগ্যজনক৷ মানুষকে প্রতারণা করার ব্যবস্থা এটা৷' মমতাই প্রথম মুখ্যমন্ত্রী যিনি আধারের প্রয়োজনীয়তা নিয়ে প্রশ্ন তুললেন৷ বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্র বলেছেন, 'মমতা যখন কেন্দ্রের মন্ত্রী, তখন আমরা আধার কার্ডের বিরোধিতা করেছিলাম৷ উনি তখন কর্ণপাত করেননি৷ এখন উনিই পুরোনো পাতা ওল্টাচ্ছেন৷'


এ দিনই মুখ্যমন্ত্রীর বক্তব্য নস্যাত্‍ করে দিল্লিতে কেন্দ্রীয় অর্থমন্ত্রী পি চিদম্বরম জানিয়েছেন, সুপ্রিম কোর্টের সিদ্ধান্তের বিরুদ্ধে কেন্দ্রীয় সরকার হলফনামা জমা দিয়েছে৷ সেখানে বিস্তারিত ভাবে বলা হয়েছে, সরকার কেন আধার কার্ডের সঙ্গে রান্নার গ্যাস সিলিন্ডারের ভর্তুকিকে যুক্ত করতে চায়৷ সরকার ৫০ হাজার ভুয়ো গ্রাহকের খোঁজ পেয়েছে৷ তিনি বলেন, 'এটা বন্ধ করতেই আধার কার্ডের সঙ্গে রান্নার গ্যাসের ভর্তুকিকে যুক্ত করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে কেন্দ্র৷ সরকার তো ভর্তুকি বন্ধ করছে না৷ ন'টি সিলিন্ডারের ক্ষেত্রে ভর্তুকি দেওয়া হবে৷ কিন্ত্ত সেটা তো আমার-আপনার টাকা৷ তার অপব্যবহার হবে কেন? সরকার পাইলট প্রজেক্ট করেছিল৷ সেখানে আধার কার্ডের ভিত্তিতে ভর্তুকি দেওয়া হয়েছে৷ কোনও অসুবিধা হয়নি৷ কেউ আপত্তি জানাননি৷'


চিদম্বরমের বক্তব্য নস্যাত্‍ করে রাতে তৃণমূল সাংসদ ডেরেক ও ব্রায়েন বলেন, সংসদে কবে, কখন আলোচনা হল? আধার চালু করার আগে কোনও আলোচনাই হয়নি৷ সরকার নিজের ইচ্ছেমতো এগিয়েছে৷ এমনকী বাজেট নিয়েও কথা হয়নি৷ আধারের মাধ্যমে সরকারি সুবিধা সরাসরি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে পেঁৗছে দেওয়ার কেন্দ্রের সিদ্ধান্তকে একহাত নিয়ে মমতা বলেন, 'একটা মানুষ কতগুলি কার্ড নিয়ে ঘুরবে? বিপিএল কার্ড, ভোটার কার্ড, আধার কার্ড৷ কার্ডের মালা নিয়ে ঘুরবে নাকি? আমরা চাই সাধারণ মানুষের স্বার্থে কেন্দ্রীয় সরকার সিদ্ধান্ত পুনর্বিবেচনা করুক৷ এ বার শুনব কেন্দ্রীয় সরকার বলবে, দুটো শিফটে কাজ করাও৷ সকালে এক দল, রাতে এক দল কাজ করবে৷ পেট্রোল, ডিজেল, গ্যাসের দাম বাড়াবে৷ কেন্দ্র কোনও ব্যবস্থা নেবে না৷ তা হয় নাকি?'


শুক্রবার থেকেই কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহারে রান্নার গ্যাসের ভর্তুকি পেতে আধার চালু হয়ে গেলেও অধিকাংশ গ্রাহক এখনও পর্যন্ত আধার কার্ড পাননি৷ এই অবস্থায় আধার কার্ডের কাজে গতি আনতে রান্নার গ্যাসের ডিস্ট্রিবিউটরের অফিসে বায়োমেট্রিক কেন্দ্র খোলা হবে কি না, সে ব্যাপারেও কেন্দ্রীয় সরকার সিদ্ধান্ত নিতে না-পারায় আধার নিয়ে সাধারণ মানুষের দুর্ভোগ আরও বাড়তে পারে৷ গোটা পরিস্থিতি খতিয়ে দেখতে আগামী ১১ নভেম্বর মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র বৈঠক ডেকেছেন৷ সেই বৈঠকে কেন্দ্রীয় পেট্রোলিয়াম মন্ত্রক ও জাতীয় জনগণনা দপ্তরের প্রতিনিধিরা ছাড়াও তিনটি রাষ্ট্রায়ত্ত তেল বিপণনকারী সংস্থার কর্তাব্যক্তিদের উপস্থিত থাকার কথা৷ যদিও কোনও ধরনের ভর্তুকি প্রদানের ক্ষেত্রেই আধার কার্ড বাধ্যতামূলক করা যাবে না বলে ক'দিন আগেই রায় দিয়েছে সুপ্রিম কোর্ট৷ তার আগেই কেন্দ্রের সংসদীয়মন্ত্রী রাজীব শুক্ল সংসদেই জানিয়েছিলেন, আধার বাধতামূলক নয়৷ কিন্ত্ত সুপ্রিম কোর্টের রায়ের পরিপ্রেক্ষিতে কেন্দ্রীয় সরকার, বিশেষ করে পেট্রোলিয়ামন্ত্রক যে ভাবে তা বাধ্যতামূলক করার পথে হাঁটছে তা নিয়েই গোল বেধেছে৷ ডেরেক বলেন, কেন্দ্রীয় সরকারই আধার নিয়ে দ্বিধাবিভক্ত৷


মুখ্যমন্ত্রী জানিয়েছেন, এ ব্যাপারে মুখ্যসচিব কেন্দ্রীয় পেট্রোলিয়াম মন্ত্রকের সঙ্গে যোগাযোগ রাখছেন৷ তিনি বলেন, 'ওরা (কেন্দ্রীয় সরকার) প্রক্রিয়াটি তিন মাস পিছিয়ে দিচ্ছে৷ কিন্ত্ত, এটা যথেষ্ট নয়৷' মুখ্যমন্ত্রী তিন মাস পিছিয়ে দেওয়ার কথা বললেও এ ব্যাপারে কেন্দ্রীয় পেট্রোলিয়াম মন্ত্রকের তরফে কোনও নয়া নির্দেশিকা জারি করা হয়নি৷ আইওসি-র এক কর্তা বলেন, 'এমনিতেই আধার নম্বর যাঁদের নেই তাঁরা আগামী ৩১ জানুয়ারি পর্যন্ত ভর্তুকিতে অর্থাত্‍ ৪১২ টাকা ৫০ পয়সা দরে সিলিন্ডার পাবেন৷ ফলে তিন মাসের সময়সীমা আগে থেকেই রয়েছে৷'


এ দিকে, গ্যাসের ভর্তুকির টাকা সরাসরি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে পেতে এখনও পর্যন্ত কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহারের রান্নার গ্যাস গ্রাহকদের মধ্যে যথাক্রমে ৫, ৭ ও ১৬ শতাংশ গ্রাহক তাঁদের ডিস্ট্রিবিউটরের কাছে আধার নম্বর জানিয়েছেন৷ রাষ্ট্রায়ত্ত তেল বিপণনকারী সংস্থাগুলি সূত্রের খবর, অধিকাংশ গ্রাহকই আধার নম্বর না-পাওয়ায় এই সমস্যা তৈরি হয়েছে৷


রাজ্যে আধার জট কাটাতে এ দিন আধার কর্তৃপক্ষ (ইউআইডিএআই), জাতীয় জনগণনা দপ্তর, রাষ্ট্রায়ত্ত তেল সংস্থাগুলি এবং যে সংস্থাগুলি রাজ্যে আধারের কাজ করছে তাদের কর্তাব্যক্তিরা বৈঠকে বসেন৷ বৈঠকের পর আধার কর্তৃপক্ষের আঞ্চলিক অধিকর্তা প্রদীপকুমার উপাধ্যায় দাবি করেন, কোচবিহার, হাওড়া ও কোচবিহারের ৮০ শতাংশ মানুষ আধারের জন্য নাম নথিভুক্ত করেছেন৷ তাঁদের মধ্যে ৭০ শতাংশ মানুষের আধার কার্ড তৈরি হয়ে গিয়েছে৷ কিন্ত্ত, তা সত্ত্বেও আধার কার্ড কেন মানুষ পাচ্ছেন না? তাঁর জবাব, 'আমরা ডাকে আধার কার্ড পাঠাই৷ পশ্চিমবঙ্গের চিফ পোস্টমাস্টার জেনারেলের সঙ্গে আমি কথা বলেছি৷ তিনি জানিয়েছেন, পোস্টঅফিসে যাতে কোনও আধার কার্ড না পড়ে থাকে, তা তিনি নিশ্চিত করবেন৷ পাশাপাশি, রাজ্য জুড়ে আধারের কাজও চলবে৷' রাজ্যে আধারের কাজে গতি আনতে জাতীয় জনগণনা দপ্তরের তরফে রাষ্ট্রায়ত্ত তেল সংস্থাগুলিকে জিজ্ঞাসা করা হয়, ডিস্ট্রিবিউটর অফিসে বায়োমেট্রিক কাজের জন্য জায়গা মিলবে কি না৷ তেল সংস্থাগুলির তরফে জানানো হয়, এ ব্যাপারে কোনও সমস্যা নেই৷ তবে এ দিনের বৈঠকে এই নিয়ে কোনও সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়নি৷ বৈঠকে কী আলোচনা হল তা নিয়ে মুখ খুলতে চাননি স্বরাষ্ট্র দপ্তরের অধীনস্থ ন্যাশনাল পপুলেশন রেজিস্টারের কর্তা এস কে চক্রবর্তী৷ তিনি জানিয়েছেন, এ ব্যাপারে যা বলার কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রসচিব ও রাজ্যের স্বরাষ্ট্রসচিব বলবেন৷ সংশ্লিষ্ট সূত্রের খবর, সুপ্রিম কোর্টের রায় থাকার কারণেই কোনও সিদ্ধান্ত নেওয়া যায়নি৷

কেন্দ্রকে আধার-তোপ মমতার, হুমকি আইওসি ঘেরাওয়েরও

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা ও নয়াদিল্লি

র্থিক প্যাকেজ, মেট্রোর ভাড়া বৃদ্ধি, গোর্খাল্যান্ডের সঙ্গে এ বারে যোগ হল আধার কার্ডের ভিত্তিতে রান্নার গ্যাসের ভর্তুকি। আরও একটি ময়দানে কেন্দ্রের বিরুদ্ধে যুদ্ধ ঘোষণা করলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

রান্নার গ্যাসের ভর্তুকি পেতে রাষ্ট্রায়ত্ত তেল সংস্থাগুলিকে আধার কার্ডের প্রতিলিপি দেওয়ার (বা তার নম্বর জানানোর) শেষ দিন ছিল বৃহস্পতিবার। অর্থাৎ, কাগজেকলমে শুক্রবার থেকে কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহার জেলায় এই ভিত্তিতে গ্যাস-গ্রাহকদের ভর্তুকি দেওয়া শুরু হয়ে গিয়েছে। কাগজেকলমে, কারণ, এর পরেও তিন মাস সময় পাবেন গ্রাহকরা তাঁদের গ্যাস ডিস্ট্রিবিউটারকে আধার নম্বর দেওয়ার জন্য। এ দিন গোটা প্রক্রিয়া নিয়েই প্রশ্ন তুললেন মমতা। সেই সূত্রে কেন্দ্রের বিরুদ্ধে মানুষের সঙ্গে প্রতারণার অভিযোগ আনলেন। তাঁর অভিযোগ, সুপ্রিম কোর্ট আধার কার্ডের মাধ্যমে ভর্তুকি বাধ্যতামূলক নয় বলে জানানোর পরও সেই ব্যবস্থা কার্যকর করছে কেন্দ্র।

প্রয়োজনে ইন্ডিয়ান অয়েল কর্পোরেশনের (আইওসি) অফিস ঘেরাওয়ের হুমকিও দেন মমতা। তিনি বলেন, "দরকার হলে আইওসি-র অফিস ঘেরাও হবে। তবে এটা দলের সিদ্ধান্ত। দল আমাকে জানিয়েছে।"

ঘেরাওয়ের প্রসঙ্গে কোনও মন্তব্য করতে চায়নি আইওসি। সংস্থাটির এক কর্তা বলেন, "তেল মন্ত্রকের নির্দেশ মেনে শুধু আমরাই নই, হিন্দুস্থান পেট্রোলিয়াম ও ভারত পেট্রোলিয়ামও গোটা দেশে পর্যায়ক্রমে এই ব্যবস্থা চালু করেছে। তেল মন্ত্রক থেকে অন্য কোনও নির্দেশ আমরা পাইনি।"

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সাংবাদিক বৈঠকে। ছবি: সুদীপ আচার্য।

এ দিন মুখ্যমন্ত্রী বলেন, "কেন্দ্র আধার কার্ড বাধ্যতামূলক করার জন্য সুপ্রিম কোর্টে আবেদন করেছিল। সুপ্রিম কোর্ট তা খারিজ করে দিয়েছে। এখন শুনছি, কার্ড তৈরি করার জন্য কেন্দ্র মাত্র তিন মাস সময় দিয়েছে।" তাঁর অভিযোগ, তিন মাসে সব আধার কার্ড তৈরি সম্ভব নয়। "কার্ড না দিয়েই বলছে, আধার কার্ড না থাকলে গ্যাসের সিলিন্ডারে ভর্তুকি দেওয়া হবে না। আবারও বলছি, এটা কেন্দ্রের প্রকল্প। তাদেরকেই দায়িত্ব নিতে হবে।"

যদিও তেল সংস্থাগুলির দাবি, সুপ্রিম কোর্ট অন্তর্বর্তিকালীন নির্দেশ দিলেও এখনও চূড়ান্ত রায় দেয়নি। গত ২৯ সেপ্টেম্বর এ নিয়ে শুনানি হওয়ার কথা থাকলেও তা ফের পিছিয়েছে।

মুখ্যমন্ত্রী অবশ্য গোটা ব্যবস্থাটিকেই মানুষের দুর্ভোগের সূত্র হিসেবে দেখছেন। দিল্লির প্রতি তাঁর প্রশ্ন, "গরিব মানুষ কত কার্ড করবে? এপিএল, বিপিএল, ভোটার কার্ড, আধার কার্ড...! কার্ডের জন্যই তো এ বার 'লকার' রাখতে হবে। সব ধরনের কাজের জন্য একটিই কার্ড হওয়া উচিত। সেটা 'ইউনিফর্ম কার্ড' বা 'ইউনিক কার্ড' হতে পারে।"

তৃণমূল নেত্রীর আরও অভিযোগ, "আজ সকালেই আমাদের মুখ্যসচিব আধার কার্ড নিয়ে কেন্দ্রের সঙ্গে কথা বলেছেন। ওরা বলেছে, মাত্র ৬টি সিলিন্ডারে ভর্তুকি দেওয়া হবে। এতে গরিব মানুষের চলবে কী করে?" তেল সংস্থাগুলির অবশ্য দাবি, পরিবার পিছু একটি অর্থ বর্ষে ন'টি ভর্তুকির সিলিন্ডার মিলবে। ৬টি নয়।

সরকারি সূত্রে জানানো হয়েছে, ১১ নভেম্বর সংশ্লিষ্ট সব পক্ষকে নিয়ে বৈঠকে বসবেন রাজ্যের মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র। খাদ্য দফতরের অধিকর্তা রাজ্যের দফতরগুলির পাশাপাশি তেল মন্ত্রক, জাতীয় জনগণনা দফতর, আধার কর্তৃপক্ষ (ইউআইডিএআই) ও তেল সংস্থাগুলিকে ওই বৈঠকে উপস্থিত থাকতে আমন্ত্রণ জানিয়েছেন।

রাজনৈতিক বিশ্লেষকদের বক্তব্য, লোকসভা ভোট যত এগিয়ে আসছে, ততই বিভিন্ন বিষয় নিয়ে কেন্দ্র-বিরোধী আওয়াজ জোরালো করছেন মমতা। আগে রাজ্যের জন্য আর্থিক প্যাকেজ চেয়ে দিল্লিতে ধর্না দেন তৃণমূল সাংসদরা। মেট্রোর ভাড়া বৃদ্ধির পরে কলকাতায় তার বিরুদ্ধে পদযাত্রা করেছেন তৃণমূল নেতৃত্ব। তেলের দাম বৃদ্ধি নিয়েও সরব হয়েছেন মমতা। বিমল গুরুঙ্গরা যখন পাহাড়ে টানা বন্ধ করছেন, তখনও তার পিছনে কেন্দ্রের উস্কানি দেখেছেন তিনি। এ বারে যোগ হল আধার কার্ডের ভিত্তিতে রান্নার গ্যাসের ভর্তুকির বিষয়টিও।

এর কারণ কী? তৃণমূলের একটি সূত্র জানাচ্ছে, লোকসভা ভোটের আগে কেন্দ্রের নানা সিদ্ধান্তকে রাজ্য-বিরোধী বা জনবিরোধী বলে চিহ্নিত করতে চাইছেন মমতা। আধার-এর সঙ্গে শুক্রবার যেমন জুড়লেন পেট্রোল-ডিজেলের দাম বৃদ্ধির প্রসঙ্গও।

এ দিন দিল্লিতে এক প্রশ্নের জবাবে কেন্দ্রীয় অর্থমন্ত্রী পি চিদম্বরম বলেন, "কেন আধার-এর মাধ্যমে ভর্তুকি দেওয়ার সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে, সে কথা হলফনামা দিয়ে সুপ্রিম কোর্টকে জানিয়েছি। এর ফলে ভুয়ো গ্রাহকদের চিহ্নিত করা সম্ভব। এর মধ্যেই প্রায় ৫০ হাজার ভুয়ো গ্রাহক চিহ্নিত করেওছি।" তিনি বলেন, "ভর্তুকি তো তুলে দিচ্ছি না। ভর্তুকিটা যাতে ঠিক লোক পায়, সে জন্য এই ব্যবস্থা।"

এ রাজ্যের সাধারণ গ্রাহক অবশ্য আধার নিয়ে এখনও আঁধারে। হাতে তিন মাস রয়েছে। কিন্তু তার মধ্যে আধার কার্ড, নিদেনপক্ষে আধার নম্বর না পেলে বাজারদরেই গ্যাসের সিলিন্ডার কিনতে হবে রাজ্যের তিন জেলার গ্রাহকদের (কলকাতায় এখন যা ৯৮৪ টাকা)। আধার কর্তৃপক্ষের দাবি, এই ব্যবস্থা চালু করা হচ্ছে, সেখানে বেশির ভাগেরই আধার নম্বর তৈরি হয়ে গিয়েছে। কিন্তু গ্রাহকদের অভিযোগ, কার্ড বা নম্বর পেয়েছেন নামমাত্র মানুষ। আরও অভিযোগ, আধার ওয়েবসাইটে গিয়েও সব সময় নম্বর খুঁজে পাওয়া যাচ্ছে না।

আধার কর্তৃপক্ষের বিরুদ্ধে ঢিমেতালে কাজের অভিযোগও উঠেছে। জাতীয় জনগণনা দফতর ও আধার কর্তৃপক্ষের অবশ্য দাবি, কাজ অনেকটাই হয়ে গিয়েছে। গোটা ব্যবস্থা খতিয়ে দেখতে এ দিনই কলকাতায় বৈঠক করেন রেজিস্ট্রার জেনারেল অব ইন্ডিয়ার (যাদের অধীনে জনগণনা দফতর) ডিডিজি এস কে চক্রবর্তী, আধারের পূর্বাঞ্চলীয় কর্তা প্রদীপকুমার উপাধ্যায় ও জনগণনা দফতরের পূর্বাঞ্চলীয় কর্তারা। যে দুই রাষ্ট্রায়ত্ত সংস্থা আধার শিবিরের আয়োজন করে, সেই আইটিআইএল এবং ইসিআইএল-কে আরও দ্রুত শিবির করতে নির্দেশ দেওয়া হয়। কার্ড দ্রুত বণ্টনের জন্য ডাক বিভাগের সিপিএমজি-কেও আর্জি জানান তাঁরা।



আধার ধোঁয়াশা

চূড়ান্ত বিভ্রান্তির মধ্যেই আজ (শুক্রবার) থেকে রাজ্যের তিন জেলায় (কলকাতা, হাওড়া ও কোচবিহার)

শুরু হচ্ছে আধার নম্বরের ভিত্তিতে রান্নার গ্যাসের ভর্তুকি সরাসরি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে পৌঁছে

দেওয়ার প্রক্রিয়া। কিন্তু পরিস্থিতি কতটা সঙ্গিন, খতিয়ে দেখলেন দেবপ্রিয় সেনগুপ্ত


সংশয়

ধরা যাক, ডিস্ট্রিবিউটর কলকাতার। গ্রাহক শহরতলির। নিয়ম অনুযায়ী, আজ থেকে নয়া ব্যবস্থা চালু হচ্ছে তাঁর জন্যও। কিন্তু গ্রাহকদের কাছে সেটা স্পষ্ট ছিল না। তাঁরা ভেবেছিলেন, পরিষেবা চালু হবে বাসস্থান অনুযায়ী। এখন জানছেন সেই মাপকাঠি আসলে ডিস্ট্রিবিউটর।

আধার কার্ড পৌঁছয়নি বহু মানুষের কাছে। আবার তা পেয়েও জমা দেননি অনেকে।

ডিস্ট্রিবিউটর এবং ব্যাঙ্ক দু'জায়গাতেই আধার-তথ্য জমা দিয়েছেন, এমন মানুষের সংখ্যা নগণ্য। বেশির ভাগ কোথাওই জমা দেননি। অনেকেরই আবার তথ্য তোলা (আপলোড) হয়নি। যেমন, কোচবিহারে একটি তেল সংস্থার ১৬% গ্রাহকের তথ্য ডিস্ট্রিবিউটরের কাছে থাকলেও ব্যাঙ্কের কাছে রয়েছে ৪.৫%।

*

যাঁরা জমা দিয়েছেন

ডিস্ট্রিবিউটর এবং ব্যাঙ্ক দু'জায়গাতেই আধার-তথ্য যাঁরা জমা দিয়েছেন, আজ থেকেই সরাসরি ভর্তুকির পদ্ধতি তাঁদের জন্য চালু। আপনার ডিস্ট্রিবিউটর যদি কলকাতা, হাওড়া কিংবা কোচবিহারের হন, তা হলে আপনি নতুন পরিষেবার হকদার। আজ থেকে বুকিং করলে অথবা বুকিং করা গ্যাস এখনও এসে না-থাকলে, এই সুবিধা পাবেন।

ভর্তুকির টাকা অ্যাকাউন্টে পৌঁছবে বুকিংয়ের পরই। অর্থাৎ সিলিন্ডারের দাম মেটানোর আগেই তা আপনার কাছে পৌঁছে যাওয়ার কথা।


যাঁরা জমা দেননি

যাঁরা এখনও আধার নম্বর জমা দেননি, আরও তিন মাস ভর্তুকির সিলিন্ডার পেতে অসুবিধা হবে না তাঁদের। তা মিলবে এখনকার চালু নিয়মেই। যাঁরা ছবি তুলে এসেছেন কিন্তু আধার কার্ড পাননি, তাঁরা নিখরচায় ফোন করতে পারেন ১৮০০-৩০০-১৯৪৭ নম্বরে।

যাঁরা ছবি তুলেছেন কিন্তু কার্ড হাতে পাননি, তাঁদের অবস্থা যাচাইয়ের দায়িত্ব নেবে আধার কর্তৃপক্ষ (ইউআইডিএআই)। কর্তৃপক্ষের পূর্বাঞ্চলীয় কর্তা প্রদীপ কুমার উপাধ্যায়ের দাবি, যাঁদের আধার নম্বর এখনও তৈরি হয়নি, এক মাসের মধ্যে তাঁদের নম্বর তৈরির চেষ্টা করবেন তাঁরা।


জেনে রাখুন

সুপ্রিম কোর্টের চূড়ান্ত রায় এখনও বেরোয়নি। অন্তর্বর্তী রায়ে শীর্ষ আদালত বলেছিল, রান্নার গ্যাসে ভর্তুকি পাওয়ার মতো সরকারি সুবিধা পেতে আধার কার্ড বাধ্যতামূলক হতে পারে না। তাই তার পরেও আধার কার্ড আদৌ লাগবে কেন, তা নিয়ে ধোঁয়াশা তৈরি হয়েছে।

http://www.anandabazar.com/archive/1131101/1raj11.html






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হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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