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Wednesday, January 2, 2013

अभी फिस्कल क्लिफ शुरु नहीं हुआ तो रक्षा बजट में पांच फीसद कटौती! आगे क्या होगा?

अभी फिस्कल क्लिफ शुरु नहीं हुआ तो रक्षा बजट में पांच फीसद कटौती! आगे क्या होगा?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर सरकार ने इस साल 1.93 लाख करोड़ रुपये के रक्षा बजट में 5 प्रतिशत की कटौती की है।अमेरिका इस साल डिफेंस पर 631 अरब डॉलर खर्च करेगा।अमेरिका में पिछले 50 साल में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब डिफेंस ऑथराइजेशन बिल सबकी रजामंदी से पास हुआ। सारा देश आर्थिक सुधारों की उपभोक्ता संस्कृति की उपज पढ़े लिखे नवधनाढ्य मध्यमवर्गीय शासक वर्ग के भारतीय वसंत से उद्बुद्ध है और धर्मराष्ट्रवाद का अभूतपूर्व घटाटोप है। मीडिया की महिमा है कि देश आपरेशन टेबिल पर है और सर्जन माफिया उसके अंग अंग काटने लगा है। कहीं कोई अहसास नहीं। मीडिया के परोसी जानकारी से अलग किसी को कोई सूचना नहीं है। शिक्षा और शोध सिर्फ जानकारी में तब्दील है। लोग जोड़ घटाओ ​​भूल गये हैं। आंखों में काली पट्टी डालकर ग्लोबीकरण के कार्निवाल में निष्णात हैं। डिजिटल बाटोमेट्रिक साजिश के खिलाफ कोई ​​जागरुकता है नहीं, तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री से लेकर असंवैधानिक कारपोरेट विश्वबैंक की नीति निर्धारक टीम के एजंडे की क्या​​ खबर होगी? देश के भाग्यविधाता लगातार कड़वी दवा की बात कर रहे हैं। बाजार के हित में सुधारों पर सर्वदलीय सहमति है। एक के बाद एक कानून बदलकर संविधान की हत्या कर दी गयी।मानवाधिकार, नागरिक अधिकार और नागरिकता निलंबित हैं। सारे लोग बलात्कारियों को मौत की सजा दिलाने की मुहिम में लगे हैं और मध्ययुगीन बर्बरोचित तरीके से बलात्कारियों को नपुंसक बनाने की पेशकश कर रहे हैं। पूरा का पूरा राजनीतिक वर्ग इस मुहिम में शामिल है जो देखने में अराजनीतिक लगता है। इसकी आड़ में चिदम्बरम क्या क्या गुल खिला रहे हैं, राष्ट्रपति के उस मुगल गार्डेन और चंडीमंडप में किसी को झांकने की जरुरत नहीं है। सारा देश बलात्कारियों के पीछे पड़ा है , पर सत्ता और पूंजी के कारपोरेट गठजोड़ संचालित प्रायोजिक बलात्कार संस्कृति पर किसी की नजर नहीं है। अमेरिकी फिस्कल क्लिफ को टालने में हुई संसदीय सौदेबाजी से वैश्विक संकट का कोई हल नहीं निकला है।दुनियाभर की चौथाई संपदा का उपभोग करने वाले अमेरिकी अर्थ व्यवस्था से नत्थी भारतीय अर्थ व्यवस्था के सारे संकेतक ​​वित्तीय घाटा, भुगतान संतुलन, वृद्धिदर, मंहगाई और मुद्रास्फीति, रेटिंग, उत्पादन, कृषि के लिहाज से खतरे के लाल निशान के सतह पर है, उसके दम तोड़ने में देर नहीं है और इसका बोझ बहिष्कृत बहुसंख्यक जनता, आम आदमी पर ही लादा जाना है। नकद सब्सिडी के जरिये वितरण प्रणाली ध्वस्त है,पर खाद्य सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है। बाजार के विस्तार के लिए नकदी प्रवाह के जरिये क्रयशक्ति निर्माण हो रहा है उत्पादन प्रणाली को ध्वस्त करके , जल जंगल जमीन नागरिकता मानवाधिकार  से बेदखली के अश्वमेध अभियान के जरिये, पर बात सामाजिक सरोकार की की जाती है। कारपोरेट प्रतिबद्धता के सपने बुने जाते हैं। रोजगार है नहीं, आरक्षण का विवाद खड़ा किया जाता है। रोजगार की गारंटी अलग है। सूचना मनोरंजन के​ ​ सिवाय़ कुछ नहीं है, पर आपको सूचना का अधिकार मिला हुआ है। इस केला लोकतंत्र में आम आदमी का कैसे जूस निकालकर पी जायेंगे कालाधन के दलदली जोंक, इसका अंदाजा इसी बात से लगाइये कि डालर संस्कृति में निष्णात भारतीय अर्थव्यवस्था की दुर्गति यह कि रक्षा बजट में पांच पीसद कटौती कर दी गयी। इसका मतलब समझ रहे हैं? रक्षा बजट में कटौती से देश का कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन कड़े कदमों का बहाना तैयार है ​​और देशभक्ति की सुनामी में आपके लिए प्रतिरोध का कोई मौका नहीं है । जिस मीडिया पर जनता को इतना भरोसा है , वह जानेमाने अर्थ शास्त्रियों की कलम से नरसंहार क्षेत्र हिंदुत्व की अभिनव प्रयोगशाला गुजरात में मोदी की करिश्माई नेतृत्व में विकास की गंगा यमुना बहा रहे हैं। अभी फिस्कल क्लिफ शुरु नहीं हुआ तो यह आलम  है , आगे आगे देखिये कि क्या क्या होता है! बलात्कारों की बाढ़ है दंगों और बम धमाकों की तरह, अब न जाने और क्या क्या देखना पड़े!अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार को गति देने के लिए सरकार आने वाले सप्ताह में कुछ और उपायों की घोषणा कर सकती है।  2012 में ज्यादातर समय रायसीना हिल को खराब प्रशासन से जूझना पड़ा। इसकी वजह काफी हद तक नीतिगत मोर्चे पर सरकारी सुस्ती थी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मंत्रियों के घोटालों में फंसने से सरकार के प्रति अविश्वास के माहौल को और हवा मिली।हालांकि 2012 के आखिरी महीनों में हालात में कुछ सुधार हुआ और नीतिगत मोर्चे पर सरकार ने तेजी दिखाई। 2012 की शुरुआत में नदारद राजनीतिक इच्छा और प्रशासनिक तेजी का जलवा साल के आखिरी महीनों में देखने को मिला।

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) दिसंबर 2012 को जारी कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू बचत एवं निवेश में कमी और उपभोक्ता खपत कम होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। बढ़ती महँगाई और राजकोषीय घाटा का बढ़ना भी चिंता का विषय बना हुआ है। हालाँकि देश का वित्तीय ढाँचा फिलहाल मजबूत है। यूरोपीय कर्ज संकट और अमेरिकी में फिस्कल क्लिफ की वजह से घरेलू अर्थव्यवस्था पर जोखिम बना रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार ही कारोबारी साल 2011-12 में घरेलू बचत विकास दर (GDP) के 7.8% के बराबर रही, जबकि इसके पिछले कारोबारी साल में यह 9.3% रही थी।  आरबीआई का कहना है कि जून 2012 में जारी हुई एफएसआर रिपोर्ट के बाद से ही वित्तीय स्थिरता में जोखिम के लक्षण दिखने लगे थे।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परषिद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने आज कहा कि चालू खाते का घाटा (सीएडी) मौजूदा वित्त वर्ष 2012-13 में पिछले वर्ष के समान 4.2 प्रतिशत रहेगा।

रंगराजन ने कहा, ''मुझे लगता है कि चालू खाते का घाटा पिछले साल के बराबर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.2 प्रतिशत रहेगा।'' उल्लेखनीय है कि चालू खाते का घाटा सितंबर तिमाही में रिकार्ड जीडीपी का 5.4 प्रतिशत रहा।उन्होंने कहा, ''चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात क्षेत्र बेहतर रहेगा।'' रंगराजन ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई), बाह्य वाणिज्यिक उधारी या प्रवासी भारतीय जमा चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिये पर्याप्त है।

पिछले साल अगस्त में वित्त मंत्रालय की कमान संभालने वाले वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नौकरशाहों की ज्यादा प्रभावी टीम चुनी, जिसमें दो नामी अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया, जो वित्त मंत्री के थिंक टैंक के हिस्से के तौर पर काम करेंगे। इसका असर देखने को भी मिला और सरकार ने लंबे समय से अटके सुधारों पर आगे बढऩा शुरू किया। इसकी एक बानगी है विशिष्टï पहचान संख्या के आधार पर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की योजना, जिसकी शुरुआत 1 जनवरी से हो गई है। इसके अलावा राजकोषीय समेकन, कर सुधार मसलन वस्तु एवं सेवा कर लागू करना, सब्सिडी को समाप्त करना और चरणबद्घ तरीके से ईंधन मूल्यों में इजाफे को लेकर एक नई प्रतिबद्घता दिख रही है।

गुजरता साल कैसा भी रहा हो, नया साल उम्मीदों से लबरेज है। बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में बैंकरों, उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को नए साल में केवल और केवल उम्मीद नजर आ रही है।

नई दिल्ली में सत्ता के गलियारे हों या मुंबई में वित्तीय मीनारें, नए साल में सबका भरोसा बढ़ता दिख रहा है। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी रंगराजन को लगता है, 'नया साल बेहतर रहेगा क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में निराशा का दौर खत्म हो रहा है, जिससे अगले वित्त वर्ष में निवेश गतिविधियों में तेजी आएगी।' भारतीय उद्योग जगत भी उनकी बात से सहमत है। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोछड़ कहती हैं, 'वर्ष 2013 बेहतर रहेगा क्योंकि हमने सही दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। मुझे उम्मीद है कि इनके नतीजे अच्छे रहेंगे।' कोलंबिया विश्वविद्यालय में भगवती प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स अरविंद पनगढिय़ा कहते हैं, 'नीतिगत जड़ता और सख्त मौद्रिक नीति के कारण 2012 में वृद्घि कम रही। लेकिन दोनों में अब बदलाव आ रहा है। मौद्रिक नीति पूरी तरह नहीं बदलेगी, लेकिन कुछ तब्दीली तो आएगी।'

सरकार के सुधारवादी कदम भी उम्मीद जगा रहे हैं। गोदरेज समूह और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष आदि गोदरेज कहते हैं, 'अगले साल विकास दर इस साल से काफी बेहतर रहेगी। इस साल वृद्घि दर कम रही है तो अगले साल तुलनात्मक रूप से यह ज्यादा होगी। सुधारवादी कदमों और यूरोप एवं अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार से भी मदद मिलेगी।' जेपी मॉर्गन के इंडिया इकोनॉमिस्ट साजिद चिनॉय कहते हैं, 'अगले साल में ठीक-ठाक वृद्घि की उम्मीद है। विकास इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सरकार आपूर्ति की बाधाएं कितनी दूर करती है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्था कितना दौड़ती है।' अलबत्ता देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी फिलहाल मंजर बदलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने ने कहा, 'मैं बजट के बाद ही कुछ बोलूंगा। अर्थव्यवस्था की तस्वीर बजट, मॉनसून और राज्य सरकारों की भूमिका से तय होगी।'  वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कहा, 'देश के लिए बुरी खबरों का दौर खत्म हो गया है। मुझे मुद्रास्फीति में कमी और आर्थिक वृद्घि में तेजी की उम्मीद है।'


दुनिया के बाजारों की नजर जिस फिस्कल क्लिफ पर टिकी थी वो फिलहाल टल गया है। मंगलवार को सीनेट के बाद आज अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने भी फिस्कल क्लिफ को टालने वाले बिल पर अपनी सहमति दे दी। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में फिस्कल क्लिफ बिल पास हो गया है, जो 1 जनवरी 2013 से लागू होगा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में फिस्कल क्लिफ के पक्ष में जरूरी 217 से ज्यादा यानि 257 वोट पड़े हैं।अमेरिका में राजकोषीय संकट टलने के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा सर्दी की बाकी छुट्टियों का आनंद लेने के लिए फिर अमेरिकी द्वीप देश हवाई के लिए रवाना हो गए हैं। उनका परिवार वहां पहले से छुट्टी मना रहा है। ओबामा को इस संकट से निपटने की खातिर छुट्टी बीच में छोड़ वाशिंगटन लौटना पड़ा था।तथाकथित राजकोषीय संकट यानी फिस्कल क्लिफ से बचाने वाले समझौते को मंगलवार आधी रात से एक घंटा पहले कांग्रेस की मंजूरी मिल गई। सीनेट ने इसके पहले ही विधेयक को मंजूरी दे दी थी। दोनों सदनों से मंजूरी मिल जाने के बाद विधेयक को ओबामा के हस्ताक्षर के लिए उनके कार्यालय भेज दिया गया।समझौते के पूरा होने के साथ ही व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि ओबामा अपनी शेष छुट्टी मनाने के लिए मंगलवार देर रात हवाई के लिए रवाना होंगे। वह पिछले सप्ताह अपने परिवार को वहीं छोड़कर राजकोषीय संकट से निपटने के लिए वाशिंगटन लौट आए थे।अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में फिस्कल क्लिफ बिल पास होने से अमेरिका में फिस्कल क्लिफ का खतरा टल गया है। फिस्कल क्लिफ बिल पास होने से खर्चों में कटौती और टैक्स बढ़ोतरी का प्रस्ताव टल गया है। अब 4.5 लाख डॉलर से ज्यादा आय वाले लोगों पर ज्यादा टैक्स लगेगा। 109 अरब डॉलर के खर्चों में कटौती का प्रस्ताव 2 महीने के लिए टल गया है।अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फिस्कल क्लिफ बिल को कानून में बदलने के लिए हस्ताक्षर कर दिए हैं। बराक ओबामा ने फिस्कल क्लिफ बिल पास करने के लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि फिस्कल क्लिफ कानून के तहत 98 फीसदी अमेरिकी नागरिकों का टैक्स नहीं बढ़ेगा। फिस्कल क्लिफ कानून से वित्तीय घाटा कम होगा और 62,000 करोड़ डॉलर की रकम जुटाने में मदद मिलेगी। बजट मुद्दे और हेल्थकेयर रिफॉर्म्स पर समझौता करने के लिए तैयार है।

वित्त मंत्रालय ने हाल में रक्षा मंत्रालय को सूचित किया है कि रक्षा क्षेत्र को आवंटित 1.93 लाख करोड़ रुपये के बजट में लगभग 10,000 करोड़ रुपये की कटौती  की जाएगी। मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि बजट में कटौती के बाद तीनों बलों की महत्वपूर्ण खरीद योजनाएं अगले वित्त वर्ष के लिए टल जाएंगी। इनमें भारतीय वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमानों की खरीद भी शामिल है। रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने हाल में इस बारे में संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि उनके मंत्रालय को आवंटित राशि पाने में भी दिक्कत आ रही है। खर्चों में कटौती के उपायों के तहत रक्षा बलों से कहा गया है कि वे अपनी खरीद की प्राथमिकता तय करें। 1.93 लाख करोड़ रुपये के बजट में से 1,13,829 करोड़ रुपये राजस्व खर्चों मसलन वेतन और पेंशन के लिए तथा 79,579 करोड़ रुपये सैन्य बलों के आधुनिकीकरण तथा नई संपत्तियों की खरीद के लिए हैं।शियाई जमीन पर अमेरिका ने जो अपनी धाक बनाई है, उस पर काबिज होना ही चीन की मंशा है। उसका दूसरी मंशा है, भारत को उसके ही उपमहाद्वीप तक सीमित कर देना। इसके लिए वह पाकिस्तान का इस्तेमाल भी कर रहा है। भारतीय विदेश नीति की दिशाहीनता को देखते हुए ही उसने नेपाल पर अपना वर्चस्व बनाया है और श्रीलंका में पर्याप्त निवेश किए हैं। अब वह मालदीव व अफगानिस्तान में भारतीय प्रभावों को कमतर करने पर तुला है। दरअसल, सुनियोजित सैन्य आधुनिकीकरण से वह दुनिया की बड़ी सैन्य शक्तियों में शामिल हो चुका है।दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि फौज के कई पुराने महारथी हताशा में अपने युद्ध पदक लौटा रहे हैं, क्योंकि वे रक्षा मंत्रालय से अपनी वैध देय राशि प्राप्त नहीं कर सकते। रक्षा बजट में कम आवंटित राशि और पूरी प्रक्रिया में बढ़ती लाल फीताशाही की बदौलत रक्षा सेवा की हालत चरमराई है। नतीजतन, सैन्य टुकड़ियों के बीच की आपसी एकता व तालमेल पर असर पड़ा है, जबकि ये दो तत्व युद्ध के दौरान निर्णायक जीत के लिए जरूरी होते हैं। इस तरह के माहौल में जहां हथियार और मानव-संसाधन की भारी कमी है, वहीं सशस्त्र बलों में हताशा व नैतिक पतन की स्थिति बढ़ती जा रही है। इसलिए सेना फिलहाल इस हालात में नहीं है कि वह चीन द्वारा या दो मोर्चो पर एक साथ, आसन्न संकट का मुकाबला कर सके। इस तरह से साल 2012 भारत की घटती सैन्य क्षमताओं व कई गुणा बढ़ते खतरों का साक्षी रहा है। यही नहीं, प्रशासनिक चूक की वजह से आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियां भी बढ़ी हैं।

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के मुताबिक, सरकार डीजल को डीकंट्रोल यानी नियंत्रण मुक्त करने में जल्दबाजी नहीं करेगी। डीजल मूल्य को नियंत्रण मुक्त करने के बारे में फैसला लेने से पहले सरकार सभी पहलुओं को देखेगी, विशेष तौर पर महंगाई की दर को। वित्त मंत्री ने कहा कि डीजल से जुड़ा मुद्दा व्यापक दायरे वाला है। कुछ लोग इसे नियंत्रण मुक्त करने की वकालत करते हैं तो कुछ का कहना है कि इससे महंगाई बढ़ेगी। थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर नवंबर में 7.24 प्रतिशत रही है। रिजर्व बैंक इसे 5 से 6 प्रतिशत पर रखना चाहता है।गौरतलब है कि सरकार ने बजट पर सब्सिडी बोझ कम करने के लिए वर्ष 2010 में डीजल को नियंत्रण मुक्त करने का सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया था। मगर राजनीतिक दबाव की वजह से इसे अमल में नहीं लाया जा सका। यह निर्णय किरीट पारिख समिति की सिफारिशों पर लिया गया था। दिल्ली में इस समय डीजल का दाम 47.15 रुपये प्रति लीटर है। इस साल 14 सितंबर को इसके दाम में संशोधन किया गया और इसमें 5.63 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई।सरकार ने 14वां वित्त आयोग बना दिया है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई. वी. रेड्डी 14वें वित्त आयोग के चेयरमैन होंगे। इसका कार्यकाल 1 अप्रैल, 2014 से शुरू होगा। गौरतलब है कि वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन हर पांच साल में किया जाता है। यह राज्यों को कर्ज और वित्तीय सहायता देने के अलावा स्थानीय निकायों को दिए जाने वाले अनुदानों पर अपनी सिफारिशें देता है। चिदंबरम ने कहा कि आयोग वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामले में राज्यों को नुकसान की स्थिति में उनकी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर भी गौर करेगा।

पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव को यदि स्वीकार कर लिया जाता है, तो 10 महीने के दौरान डीजल के दाम 10 रुपये लीटर बढ़ जाएंगे। वहीं केरोसीन के दामों में अगले दो साल में 10 रुपये लीटर का इजाफा होगा। डीजल, रसोई गैस सिलिंडर तथा केरोसीन की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से तेल कंपनियों को हो रहे भारी नुकसान के मद्देनजर सरकार कीमत बढ़ाने का रास्ता तलाश रही है।दिल्ली में डीजल का दाम अभी 47.15 रुपये लीटर है। 14 सितंबर को डीजल के दाम 5.63 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए थे। वहीं दूसरी ओर केरोसीन की कीमतों में पिछले साल जून से बदलाव नहीं हुआ है। फिलहाल, दिल्ली में राशन में केरोसीन 14.79 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, 'हमारे पास विकल्प नहीं बचा है। दाम बढ़ाने की जरूरत है। सरकार अगले दस माह तक हर महीने डीजल की कीमतों में एक रुपये लीटर वृद्धि पर विचार कर रही है, ताकि दाम लागत के अनुरूप लाए जा सकें।'सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां फिलहाल डीजल 9.28 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेच रही हैं। दस महीने में 10 रुपये वृद्धि से इस पूरे नुकसान की भरपाई हो जाएगी। सूत्र ने कहा कि केरोसीन कीमतों में अगले दो साल में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है। उसने कहा कि कीमत वृद्धि के अलावा एलपीजी तथा प्राकृतिक गैस के ईंधन के रूप में इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने से केरोसीन खपत में 20 प्रतिशत कमी आएगी।

अंतरराष्ट्रीय साख निर्धारण एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एडं पी) ने अगले वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होने की संभावना से भारत की आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

एस एंड पी ने वैश्विक क्रेडिट आउटलुक 2013 पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रखना अब नीति निर्धारको के पाले में हैं। उसने कहा है कि वर्ष 2013 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबरों की आशंका बहुत कम है। हाल के वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत कठिन समय का सामना किया है।

उसने कहा है कि वर्ष 2008 में वित्तीय प्रणाली पूरी तरह ध्वस्त होने के करीब थी और बहुत गंभीर वित्तीय संकट आ गया था। वर्ष 2008 के अंत में और वर्ष 2009 की पहली छमाही में स्थिति अधिक खतरनाक थी।

एस एंड पी ने कहा है कि वर्ष 2009 के मध्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने लगा था और वैश्विक स्तर सुधार जारी भी रहा। अब इसके वर्ष 2013 में भी जारी रहने की संभावना है लेकिन इसके लिए स्थिति थोडी अलग होगी।

एजेंसी ने कहा कि वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में चीन की विकास दर के घटकर 7.4 प्रतिशत पर आने के बाद वर्ष 2013 में इसके फ्रि से आठ प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना दिख रही है।

उसने कहा कि चीन में ब्याज दरो में लचीलापन रहने की उम्मीद है। इस तथाकथित लचीली ब्याज दरों की वजह से चीन की विकास दर औसतन 8.9 प्रतिशत बनी रही है। इसके मद्देनजर चीन के नीति निर्माताओं को इससे बचना चाहिए।

एस एंड पी ने कहा कि एक समय चीन की विकास दर 12 प्रतिशत पर थी जो वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत पर आ गयी है। हालांकि उसने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर अब समाप्त होने की उम्मीद है और वर्ष 2013 में विकास दर के आठ प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है।

अमेरिका में फिस्कल क्लिफ का हल निकलने से बाजारों में तेजी का रुझान दिखा। सरकार के खर्चों में कटौती और टैक्स में बढ़ोतरी फिलहाल टलने से अमेरिका में मंदी आने का खतरा खत्म हो गया है।सेंसेक्स 133 अंक चढ़कर 19,714 और निफ्टी 42 अंक चढ़कर 5,993 पर बंद हुए। कारोबार के दौरान निफ्टी 6000 के ऊपर पहुंचा, जो 2 सालों का रिकॉर्ड है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 0.6-0.9 फीसदी मजबूत हुए।

बाजार की चाल

अमेरिका के फिस्कल क्लिफ पर गतिरोध खत्म होने की उम्मीद से बाजार 0.5 फीसदी से ज्यादा की मजबूती के साथ खुले। शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स में करीब 130 अंकों की तेजी आई और निफ्टी 6000 के करीब पहुंचा।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में फिस्कल क्लिफ बिल पास होने से खर्चों में कटौती और टैक्स बढ़ोतरी का प्रस्ताव टला। अब 98 फीसदी अमेरिकी नागरिकों का टैक्स नहीं बढ़ेगा। वित्तीय घाटा कम होगा और 62,000 करोड़ डॉलर जुटाने में मदद मिलेगी।

घरेलू अर्थव्यवस्था से भी बाजारों को सकारात्मक संकेत मिले। दिसंबर एचएसबीसी मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 54.7 रही है, जो 6 महीनों में सबसे ज्यादा है। नवंबर में ये आंकड़ा 53.7 पर था।

अमेरिका और घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ी अच्छी खबरों की वजह से बाजार में जोश बढ़ा दिखा और 7 जनवरी 2011 के बाद पहली बार निफ्टी 6000 के अहम स्तर को पार कर पाया। सेंसेक्स में 175 अंक की तेजी आई।

निफ्टी के 6000 के ऊपर पहुंचने के बाद बाजारों पर हल्का दबाव आया। हालांकि, यूरोपीय बाजारों के मजबूती पर खुलने से घरेलू बाजार फिर से ऊपरी स्तरों पर लौटे। रुपये के 54.5 के ऊपर पहुंचने से भी बाजार को सहारा मिला।

हालांकि, बाजार में जोश ज्यादा देर तक नहीं टिका। मुनाफावसूली की वजह से बाजार ऊपरी स्तरों से फिसले। लेकिन, कारोबार खत्म होने तक बाजार में 0.7 फीसदी की तेजी बनी रही। मिडकैप शेयरों पर ज्यादा दबाव दिखा।

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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk