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Friday, June 1, 2012

आत्मघाती जंगखोर परिस्थिति में भारत और पाकिस्तान की जनता समान रुप से जीवन और आजीविका के संकट में फंसीं!

आत्मघाती जंगखोर परिस्थिति में भारत और पाकिस्तान की जनता समान रुप से जीवन और आजीविका के संकट में फंसीं!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

दक्षिण एशिया कारपोरेट साम्राज्यवाद और विश्व हथियार बाजार का नया युद्ध क्षेय्र है जिसे उबरते हुए बाजार बतौर पेश किया जा रहा है। दक्षिण एशिया में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, हर कहीं लोकतंत्र खतरे में है। खुला बाजार है और कट्टरपंथी ताकतें अंध राष्ट्रवाद का परचम लहराये कारपोरेट साम्राज्यवाद, वैश्विक पूंजी और हथियारों के सौदेगरों के लिए नरसंहार संस्कृति के जरिये पूरे क्षेत्र को खुला आखेटगाह बना रहे हैं। भारत में सैनिक तैयारियों में खामी और सैनिक सौदों में घोटाले को लेकर भारी हंगामे के बावजूद रक्षा बजट में लगातार वृद्ध हो रही है। चीन के साथ छायायुद्ध चल रहा है। वहीं पाकिस्तान का सत्ता वर्ग शुरू से  भारत  के विरुद्ध घृणा को पूंजी बनाकर हधियारों की अंधी दौड़ तेज कर रहे हैं। जबकि अर्थव्यवस्था के मामले में दोनों भारत और पाकिस्तान चीन से मीलों पीछे हैं। गनीमत है कि अभी  दौड़ से बाहर है नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार, वरना यहां हालात मध्यपूर्व से भी यकीनन खराब होते। अब  भारत को कड़ी चुनौती देते हुए  पाकिस्तान ने एक हफ्ते के भीतर दूसरी बार अपनी परमाणु क्षमता वाली हत्फ-8 क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। देखना है राजस्व घाटे और राजनीतिक बाध्यताओं से पंगु भारत की यूपीए सरकार पेट्रोल कीमतों में वृद्धि के खिलाफ अभी अभी हुए भारत बंद और निरंतर हावी हो रहे अंध हिंदू राष्ट्रवाद के मुकाबले कैसे सैन्यीकरण की अग्निपरीक्षा से निपटती है।बहरहाल इस आत्मघाती जंगखोर परिस्थिति में भारत और पाकिस्तान की जनता समान रुप से जीवन और आजीविका के संकट में फंस गये हैं।राहत की खबर है कि पेट्रोल के दाम में 1.60 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की गई है। तेल विपणन कंपनियों ने गुरुवार को बैठक के बाद दाम घटाने का निर्णय लिया है। तेल कंपनियों के अधिकारियों की मुंबई में बैठक हुई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बाद कथित तौर पर दाम घटाने का फैसला किया गया है। घटी हुई कीमतों की लागू करने की घोषणा कुछ दिनों के अंदर कर दी जाएगी।पर सैनिक तैयारियों का दबाव और समूचे दक्षिक्ण एशिया में वैश्विक हथियार बाजार की रणनीतिक मैर्केटिंग, युद्ध गृहयुद्ध के आयात निर्यात उसपर मंदी की मार, ईंधन संकट, आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेंगी। भारत में नये सेनाध्यक्ष की ताजपोशी के​ ​ साथ ही सैनिक तैयारियों को जारी रखने और सैन्य होड़ में अपनी दौड़ जारी रखने का दोहरा दबाव बढ़ा है। लागू होने वाली इन नई कीमत के बाद पेट्रोल की पुरानी बढ़ोत्तरी 5.90 रुपये प्रति लीटर ही रह जाएगी।  हालांकि आम आदमी पेट्रोल कीमतों की इस कमी से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं।तेल कंपनियों ने अब हर पखवाड़े में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों और विदेशी मुद्रा के आधार पर हर महीने की पहली और 16वीं तारीख को पेट्रोल की कीमतों में संशोधन करने का फैसला भी लिया है। ये सुविधा पहले भी मौजूद थी, हालांकि इस पर सुचारू तरीके से अमल नहीं हो पा रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था देश-विदेश के तंग हालात में फंसकर पिछले वित्तवर्ष 2011-12 की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च 2012) में मात्र 5.3 प्रतिशत बढ सकी और इसके चलते वार्षिक आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत तक ही सीमित रही। इससे पिछले वित्तवर्ष के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी और आखिरी तिमाही की वृद्धि 9.2 प्रतिशत थी। पिछले करीब नौ वर्ष में चौथी तिमाही की यह न्यूनतम वृद्धि है।


चितरा देवघर में सुमेरू पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि भारत को अमेरिका का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। चितरा में आयोजित 9 दिवसीय शिवशक्ति यज्ञ में प्रवचन देने पहुंचे शंकराचार्य ने पत्रकारों से कहा कि जब-जब भारत ने पड़ोसी देश के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश की, तब-तब आतंकवादी हमले झेलने पड़े। अमेरिका ने एक आतंकवादी हमले का जवाब तुरंत दिया। जबकि वह भारत को संयम बरतने की नसीहत देता रहता है। अमेरिका भारत का आका नहीं है। भारत सरकार को अमेरिका की कठपुतली नहीं बनना चाहिए और उसकी परवाह किए बिना 20 फीसदी रक्षा बजट में इजाफा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को त्वरित कार्रवाई करने का अधिकार मिलना चाहिए।यज्ञ स्थल पर भक्ति की गंगा बह रही है। एक ओर जहां हवन, भजन-कीर्तन प्रवचन का दौर जारी है। दूसरी ओर इलाहाबाद से आए गणेश श्रीवास्तव व राधा रानी ने भजन गाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी भक्ति पर आधारित कार्यक्रम पेश कर लोगों का मनोरंजन किया।

इन्हीं परिस्थितियों के बीच भारत और चीन के बीच दक्षिम चीन सागर विवाद गरमाया हुआ है और चीन अपनी दावेदारी मजबूत करने का कोई मौका चोड़ने के मूड में नहीं है।अमेरिकी रक्षामंत्री लिओन पेनेटा की यात्रा के बीच चीन ने गुरुवार को अमेरिका से अनुरोध किया कि वह एशिया प्रशांत क्षेत्र में उसके हितों का सम्मान करे। पेनेटा की यात्रा के पहले ही पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एशिया की ओर रणनीति बदलने की घोषणा की थी। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय दावों को लेकर तनाव बढ़ गया है।एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता के सवाल को लेकर आसियान मंच, शानगरिला वार्ता जैसी अनेक द्विपक्षीय व बहुपक्षीय वार्ता व्यवस्थाएं चल रही हैं। वास्तव में शानगरिला वार्ता 11 सितम्बर घटना के बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़ी एक नयी वार्ता व्यवस्था है। यह व्यवस्था लंदन इंटरनेशनल इंस्टीट्युट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडी के प्रर्वतन में सिन्गापुर रक्षा मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से कायम हुई है जिस में विभिन्न देशों के सुरक्षा मामले के अधिकारी भाग लेते हैं। वर्ष 2002 में सिन्गापुर के शानगरिला होटल में इस का प्रथम एशिया सुरक्षा सम्मेलन हुआ, इसलिए इसे शानगरिला वार्ता के नाम से माना जाने लगा।पहली जून से तीसरी जून तक चलने वाली 11 वीं शानगरिला वार्ता में अमेरिका, चीन, जर्मनी, ब्रिटेन, ओस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा, भारत और इंडोनिशिया समेत 27 देशों के रक्षा मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। वार्ता में विभिन्न देशों के प्रस्तावित एजेंडों को देखते हुए यह लगता है कि दक्षिण चीन सागर सवाल एक बहुचर्चित मुद्दा बनेगा, हो सकता है कि वह एक जबरदस्त बहस का विषय भी होगा। क्योंकि फिलिपीन्स के रक्षा मंत्री होंगय्येन द्वीप सवाल को लेकर विवाद खड़ा करने को तैयार हो गए हैं ताकि उस की ओर विभिन्न देशों का ध्यान खींचा जाए और होंगय्येन द्वीप पर कब्जा करने की अपनी कुचेष्टा साकार हो। इसके अलावा अमेरिकी रक्षा मंत्री लेएन पैनेटा पहली बार शानगरिला वार्ता में आए हैं, वे चाहते हैं कि दक्षिण चीन सागर सवाल को लेकर चीन पर दबाव डाले और एशिया प्रशांत क्षेत्र के संबंधित देशों के प्रति अमेरिका की अपनी जिम्मेदारी और फर्ज जताए, ताकि अमेरिका की विश्वव्यापी रणनीति का जोर पूर्व की दिशा पर ले जाने की योजना आसानी से पूरी हो सके। और तो और, पश्चिमी देश भी अन्तरराष्ट्रीय जल मार्ग की सुरक्षा व स्वतंत्र यात्रा की गारंटी के बहाने दक्षिण चीन सागर के मामले में टांग अड़ाने का मौका देख रहे हैं। यह सब कुछ शीतयुद्ध के बाद अन्तरराष्ट्रीय मामलों में दखलंदाजी करने के लिए पश्चिमी देशों के प्रचलित हथकंडे हैं।विश्व के बहुत कम हिस्सों में इतनी आर्थिक विविधता है जितनी दक्षिण एशिया में। मानव और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद यह क्षेत्र संपर्क, शासन और सकारात्मक राजनीतिक नेतृत्व की भारी कमी से जूझ रहा है। यह क्षेत्र आर्थिक वैश्वीकरण का लाभ उठाने में भी पिछड़ गया है। दक्षिण एशियाई देशों का आपस में व्यापार उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा है, जिस गति से शेष विश्व के साथ व्यापार बढ़ा है। इस क्षेत्र के सभी देशों के कुल व्यापार के अनुपात में अंतर-क्षेत्रीय व्यापार की दर कम है। इससे पता चलता है कि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र जैसे क्षेत्रीय व्यापार संगठन अंतर क्षेत्रीय व्यापार बढ़ाने में विफल रहे हैं। साफ्टा क्षेत्र में जारी व्यापार दरों को नीचे लाने में उतना प्रभावी सिद्ध नहीं हुआ जितनी उससे आशा की जा रही थी। अपनी जीडीपी की तुलना में क्षेत्र का विदेश व्यापार विश्व के अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी कम है। यद्यपि यह अनुपात पिछले दो दशकों में कुछ सुधरा है। इस सुधार के पीछे एक प्रमुख कारण है गैर-क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार में बढ़ोतरी। खासतौर पर दक्षिण एशिया का चीन के साथ व्यापार तेजी से बढ़ा है। पिछले दशक में चीन के साथ क्षेत्र का व्यापार 5.7 अरब डॉलर से बढ़कर 80.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस वृद्धि के बावजूद दक्षिण एशिया अब भी चीन के लिए छोटा व्यापार साझेदार है। दक्षिण एशिया के लिए चीन एक प्रमुख व्यापार इकाई के रूप में उभरा है, किंतु चीन के लिए यह क्षेत्र प्रमुख बाजार नहीं बन पाया है। दक्षिण एशिया में चीन का व्यापार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इसके व्यापार का महज पांच फीसदी ही है। वास्तव में, चीन के लिए दक्षिण एशिया से बड़े व्यापारिक साझेदार तो पश्चिम एशिया और अफ्रीका हैं। फिर भी जिस तेजी के साथ दक्षिण एशिया में चीन का व्यापार बढ़ रहा है उससे यह संभावना बलवती हो रही है कि यह इस क्षेत्र के व्यापार ढांचे में अपनी औपचारिक उपस्थिति को संस्थागत रूप देना चाहेगा। खासतौर पर यह विचार इस संभावना से पैदा हुआ है कि निकट भविष्य में चीन साफ्टा का सदस्य बनने जा रहा है।

अंध राष्ट्रवाद का भूत हमें अमेरिका और इजराइल का पिछलग्गू बनाने से बाज नहीं आ रहा।महाशक्ति भूत हमें अपने पड़ोसियों के साथ हमेशा छायायुद्ध निष्णात कर रहा है।वैश्विक स्तर पर नाभिकीय हथियारों की होड़ एक अशांत और भययुक्त विश्व का निर्माण करती जा रही है। शक्तिशाली और संपन्न देशों के पास पर्याप्त हथियार हैं। जो देश तेजी से विकास करते जा रहे हैं, उनके लिए हथियारों की खरीद और घातक मिसाइलों का परीक्षण एक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए जरूरी लगता जा रहा है। ये देश अपनी संप्रभुता की रक्षा और दिखावे के नाम पर आवश्यकता से अधिक हथियार खरीदने और हथियार विकसित करने में व्यय करते हैं। भारत का नाम भी इस सूची में दर्ज है। स्वीडन की संस्था स्टॉक होम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सर्वाधिक हथियार आयातक देश बन चुका है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, चीन और पाकिस्तान ने विश्व के कुल हथियार आयात का लगभग पांच प्रतिशत आयात किया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सरकार को आगाह किया कि वह रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार और सेना संबंधी अन्य विवादों के कारण देश की रक्षा तैयारियों में कोई कोताही नहीं बरते।रक्षा मंत्रालय के कामकाज पर सदन में हुई चर्चा का समापन करते हुए जेटली ने कहा कि पारदर्शिता अच्छी बात है लेकिन यह अनिर्णय और लेटलतीफी में नहीं बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार संबंधी विभिन्न विवादों के कारण सैनिक तंत्र पर इतना दबाव है कि कोई भी अधिकारी रक्षा खरीद के संबंध में जल्द फैसला करने से कतरा रहा है।विपक्ष के नेता ने पूर्व में बोफोर्स, पनडुब्बी, तहलका और टाट्रा ट्रक विवादों की चर्चा करते हुए कहा कि रक्षामंत्री ए के एंटनी को सैनिक तंत्र में इतना आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए कि राष्ट्रीय हित में अविलम्ब फैसले किए जा सकें तथा देश की रक्षा तैयारियों में कोई कमी नहीं रहे।सन् 2007 से सन् 2011 तक की अवधि के लिए हथियार आयातकों की सूची में भारत दुनिया में सबसे आगे रहा है। ये आंकड़े स्टॉकहोम स्थित अंतर्राष्ट्रीय शांति शोध संस्थान ने जारी किए।हथियारों के आयात में भारत का हिस्सा दस प्रतिशत बनता है। उसने रूस से  सू-30MK और मिग-29का किस्म के 120 और ब्रिटेन से 20 जगुआर लड़ाकू विमान ख़रीदे हैं।हथियारों की दुनिया के सबसे बड़े आयातकों की सूची में दूसरा स्थान दक्षिणी कोरिया को हासिल है जिसका हिस्सा दुनिया में हथियारों के कुल आयात का 6 प्रतिशत है। उसके बाद चीन तथा पाकिस्तान (5-5 प्रतिशत) और सिंगापुर (4 प्रतिशत) का स्थान है।  दुनिया में हथियारों के कुल आयात का 30 प्रतिशत इन पाँच देशों के ख़ाते में पड़ता है।  यही नहीं, दुनिया के सर्वाधिक पांच हथियार आयातक देश एशिया के ही हैं। हालांकि विश्व युद्ध जैसी अब कोई स्थिति नहीं है, लेकिन विश्व शांति के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। आज कई देश हथियारों की खरीद पर इतना अधिक धन व्यय कर रहे हैं कि उनके विकास के कार्यो के लिए धन की कमी पड़ती जा रही है। विडंबना यह भी है कि हथियारों की होड़ में शामिल देश अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी नहीं कर रहे हैं। यह भी वजह है कि दुनिया में संदेह का माहौल है। पाकिस्तान का उदाहरण हमारे सामने है, जिसने भारत से परमाणु शक्ति संपन्न बनने की प्रतिस्पर्धा तो कर ली है, लेकिन उसके खुद के परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं। आज पूरी दुनिया की चिंता पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर है।


350 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल उन मिसाइल परीक्षणों की सीरीज की ताजा कड़ी है जो भारत के भीतर तक लक्ष्यों को भेद सकती हैं। सेना ने हत्फ-8 मिसाइल के टेस्ट को सफल करार दिया है। सेना ने एक बयान में बताया है कि 350 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाली मिसाइल पाकिस्तान को सतह और समुद्र में सामरिक क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी। बयान के अनुसार, 'यह मिसाइल लड़ाकू क्षमता की है और कम ऊंचाई पर अधिक कुशलता से मार करने में सक्षम है।' इस टेस्ट से कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान ने परमाणु क्षमता संपन्न और तेजी से प्रतिक्रिया करने वाली हत्फ-9 मिसाइल का परीक्षण 29 मई को किया था, जिसकी मारक क्षमता 60 किलोमीटर थी। हत्फ नौ मिसाइल पूरी तरह युद्ध के मैदान के हिसाब से डिजाइन की गई मिसाइल है जो हथियारों के बड़े जखीरे को निशाना बनाने के लिए है। बयान में कहा गया है कि हत्फ-8, 'पूरी सटीकता के साथ परमाणु और पारंपरिक हथियारों को ले जाने में सक्षम है।' सेना ने बताया कि आज के परीक्षण में एक नई ऑटोमेटिड कमांड और कंट्रोल सिस्टम का भी टेस्ट किया गया।

इस बीच सेना प्रमुख का पद संभालने के बाद पहले ही दिन जनरल बिक्रम सिंह ने शुक्रवार को सेना के सामने खड़ी कई चुनौतियों के संकेत दे दिए।इनमें संयुक्त राष्ट्र कांगो मिशन में तैनाती के दौरान यौन दुराचार संबंधी कई अन्य आरोप भी शामिल है। जनरल सिंह ने कहा कि ऐसे किसी भी विवाद को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

ब्रिकम सिंह ने गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान प्राप्त करने के बाद कहा कि उनकी प्राथमिकता सेना को धर्मनिरपेक्ष, गैर राजनीतिक बल बनाए रखने का होगी।गौरतलब है कि बिक्रम सिंह दुनिया की इस दूसरी सबसे बड़ी सेना का प्रतिष्ठित पद संभालने वाले 27 वें सेना प्रमुख है तथा 25 वें भारतीय है।जनरल बिक्रम सिंह ने गुरुवार को देश के नए सेनाध्यक्ष के तौर पर फौज की कमान संभाल ली। 1972 के कमीशन इंफैंट्री अधिकारी सिंह ने बीते 26 माह में कई तूफान खड़े करने वाले जनरल वीके सिंह से बैटन हासिल किया। सेना के 27वें मुखिया बने बिक्रम सिंह का कार्यकाल भी 27 महीनों का होगा। सेना मुख्यालय में हुए बदलाव के साथ ही रक्षामंत्री एके एंटनी ने भी मंत्रालय के अफसरों के साथ बैठक कर उन्हें अतीत के कड़वे अनुभवों को भुल आगे की सुध लेने की नसीहत दी। पिछले सेनाध्यक्ष के 26 माह के कार्यकाल में मंत्रालय और सेना प्रमुख के बीच उम्र विवाद पर मतभेद सुप्रीमकोर्ट तक भी पहुंच गए थे।

जनरल वी.के.सिंह से कार्यभार ग्रहण करने वाले बिक्रम सिंह ने कहा कि 11.30 लाख सैनिकों वाली इस सेना की सभी इकाइयां और इसके कमांडर इस संगठन की आंतरिक सेहत सुधारने के लिए काम करते है और यह प्रयास लगातार जारी रहेगा।

बिक्रम सिंह, सेना प्रमुख का पद संभालने वाले सिख समुदाय के दूसरे व्यक्ति है। उन्हे कई कठिनाइयों से उबरना है। इसमें एक कानूनी जंग भी शामिल है,जिसके कारण उन्हे सेना प्रमुख का पद संभालने से रोकने की कोशिश भी हुई थी।

जनरल बिक्रम सिंह पहले ऐसे सेनाध्यक्ष हैं जिन्होंने किसी युद्ध में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने पाक के खिलाफ सीधा युद्ध 1971 में लड़ा था और बिक्रम सिंह 1972 के कमीशन प्राप्त अधिकारी हैं। हालांकि कारगिल संघर्ष के समय सिंह सैन्य अभियान निदेशालय में थे और घुसपैठियों को खदेड़ने की सैन्य कार्रवाई पर मीडिया को नियमित ब्रीफ किया करते थे। साथियों के बीच 'बिक्की' नाम से लोकप्रिय सिंह सिख लाइट इंफैंट्री के अधिकारी हैं और इससे पहले पूर्वी कमान के कमांडर थे। अमेरिका के वॉर कॉलेज से प्रशिक्षित सिंह बेलगाम स्थित इंफैट्री स्कूल में कमांडो प्रशिक्षक रह चुके हैं। गुरुवार दोपहर रक्षा मंत्रालय में सेनाध्यक्ष कार्यालय में हुए सत्ता परिवर्तन के मौके पर जनरल बिक्रम सिंह के साथ उनकी पत्नी सुरजीत कौर भी मौजूद थीं।

सेना प्रमुख के तौर पर बिक्रम सिंह के नई जिम्मेदारी संभालने से पहले इस पद पर उनकी नियुक्ति के खिलाफ अदालत में सवाल उठाए गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से गत माह उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज हो चुकी है, लेकिन अब नई पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है।

इससे पहले सेवानिवृत्त हुए सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सलामी लेने के बाद सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा,उन्होंने अपने वादे के मुताबिक सेना की अंदरूनी सेहत को सुधारा है। उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की अगुवाई वाली 3 कोर में एक फर्जी मुठभेड़ को लेकर एक मेजर रैंक अधिकारी की ओर से मिली शिकायत पर चिंता जताते हुए कहा,इस बारे में जांच के लिए कहने के बावजूद पड़ताल शुरू नहीं हो पाई है। इस बारे में अब अगले नेतृत्व को कार्रवाई करनी है।

देश के नए सेनाध्यक्ष बिक्रम सिंह जब निवर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह से 'बैटन' ग्रहण कर रहे थे, उसी समय उनके पैतृक गांव कलेर घुमान के प्राइमरी स्कूल के 'नोटिस बोर्ड' पर एक अध्यापिका 'गांव के गौरव बिक्रम सिंह देश के नए सेना अध्यक्ष का पद ग्रहण कर रहे हैं' के बारे में चॉक से लिख रही थीं। गांव के सरकारी ऐलीमेंट्री स्कूल के हेड मास्टर दिलबाग सिंह ने विद्यार्थियों को जब गांव के बेटे की उपलब्धि के बारे में बताया तो तालियों की गड़गड़ाहट से स्कूल गूंज उठा।

अमृतसर-जालंधर रोड पर स्थित कस्बा रइया के नहर के पुल के बाएं तरफ मुड़ती एक तंग सड़क पर तीन किलोमीटर दूर बसे इस गांव में गुरुवार को उल्लास का माहौल था। उनके पैतृक घर में रहने वाले पूर्व सरपंच बलविंदर सिंह लोगों को बार-बार मकान के उस हिस्से की ओर इशारा कर रहे थे, जहां जनरल बिक्रम सिंह के पिता प्यारा सिंह, मां जीत कौर और परिवार के अन्य सदस्य रहा करते थे। बलविंदर सिंह के पूर्वजों ने जनरल के पिता प्यारा सिंह से यह घर मात्र 3600 रुपये में खरीदा था। मकान की सेल डीड को पिछले 42 वर्ष से एक संदूक में बंद थी, लेकिन आज उस डीड को निकालकर वह देख रहे थे। उस पर बिक्रम सिंह के पिता प्यारा सिंह के अंग्रेजी में दस्तखत हैं। बलविंदर सिंह कहते हैं कि जनरल के परिवार के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। यह मकान उनको उस समय रहने को दिया गया था। जब पूरा परिवार जम्मू स्थानांतरित हो गया था। बाद में यह मकान उन्हें बेच दिया गया।

बिक्रम सिंह, संयुक्त राष्ट्र कांगो मिशन के उप कमान अधिकारी थे, जब संयुक्त राष्ट्र के निगरानी दल ने भारतीय बलों पर स्थानीय महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त होने का संकेत दिया था।

एक साल पहले 45 रुपये की तुलना में डॉलर के 25 फीसदी मजबूत होकर 56 रुपये (बुधवार को) के स्तर पर पहुंचने से आयात पर निर्भर रक्षा उद्योग को तगड़ा झटका लगने जा रहा है। ताजा रक्षा बजट को 13.5 फीसदी बढ़ाकर 1,70,937 करोड़ रुपये से 1,93,407 करोड़ रुपये किया गया था। यह बढ़ोतरी और इससे कुछ ज्यादा ही डॉलर की आंधी में साफ हो गई है। अगर इसके साथ मुद्रास्फीति को भी जोड़ दें तो तस्वीर और भी बेरंग दिखती है, जो रक्षा उपकरणों के लिए सालाना लगभग 15 फीसदी के स्तर पर चल रही है।
भारतीय रक्षा उद्योग का नुकसान काफी बढ़ गया है, जो भले ही 'स्वदेशी' शस्त्र बनाता है लेकिन उनमें 30 से 70 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी उपकरणों और प्रणालियों की है। बीते साल तक विदेशी मुद्रा दर रूपांतर (एफईआरवी) के माध्यम से रक्षा मंत्रालय सार्वजनिक रक्षा क्षेत्र को संरक्षण दिया करता था, जिसमें 8 रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) और 39 आयुध डिपो (ओएफ) शामिल हैं। एफईआरवी के माध्यम से विदेशी मुद्रा में होने वाले उतार-चढ़ावों को उनकी आय के साथ समायोजित किया जाता है। इसके विपरीत निजी क्षेत्र को विदेशी विनिमय (मुद्रा) जोखिम से जूझना पड़ता है।ऐसा बिजनेस स्टैंडर्ड की रपट में बताया गया है।

इसी क्रम में कई निजी कंपनियों को अभूतपूर्व घाटे की आशंका है। लार्सन ऐंड टुब्रो को ही लीजिए, जिसने मार्च 2010 में भारतीय तटरक्षक सेना के लिए 36 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट बनाने का 1,000 करोड़ रुपये का ठेका हासिल किया था। ये 110 टन के गश्ती और बचाव पोत हैं जो वाटर जेट के दम पर 44 नॉट (81 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से दौड़ सकता है। एलऐंडटी कहती है कि इंजन और वाटर जेट सहित लगभग 40 फीसदी जहाज आयातित है। 10 फीसदी मुनाफा मार्जिन के साथ एलऐंडटी ने 360 करोड़ रुपये विदेशी मुुद्रा घटक का उल्लेख किया था। रुपये में कमजोरी को देखते हुए विदेशी मुद्रा घटकर बढ़कर आज 445 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। एलऐंडटी कहती है कि उसके लिए इस ठेके में मुनाफा कमाना मुश्किल हो रहा है।या फिर बेंगलूर की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजिज लि. को लेते हैं, जिसने बीते साल सितंबर में वायुसेना के लिए लक्ष्य की पहचान करने वाले उपकरण (टारगेट डेजिग्नेटर) , लेजर बीम बनाने के लिए 48 करोड़ रुपये का ठेका हासिल किया था। जब नवंबर 2010 अल्फा ने बोली लगाई थी तब डॉलर 44.37 रुपये पर था, आज यह 25 फीसदी ऊंचा है। टारगेट डेजिग्नेटर के 70 फीसदी आयातित होने के लिहाज से अल्फा को भारी नुकसान होने जा रहा है।

अल्फा के सीएमडी कर्नल एच एस शंकर कहते हैं, 'हमें भारत इलेक्ट्रॉनिक लि. जैसे डीपीएसयू से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है, जिन्हें एफईआरवी जोखिमों के प्रति रक्षा मंत्रालय से संरक्षण मिल रहा है। रक्षा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में 5 फीसदी मुनाफा मार्जिन को देखते हुए हम कैसे विदेशी मुद्रा हेजिंग को सहन कर सकते हैं?'

एलऐंडटी के अध्यक्ष (हैवी इंजीनियरिंग) एम वी कोतवाल कहते हैं, 'रुपये की कमजोरी को देखते हुए स्थिर मूल्य वाले ठेके हेजिंग की लागत बढऩे के कारण बेहद जोखिम भरे हो गए हैं। कल्पना कीजिए कि जब भारतीय कंपनियों को भारतीय सेना के ठेकों के लिए विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़े जो स्वत: ही संरक्षित हैं।'


दूसरी ओर सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की चिट्ठी के सामने आ जाने से पाकिस्तान बेहद खुश है।  वीके सिंह की चिट्ठी में कई बातों के अलावा बताया गया है कि भारतीय सेना के पास हथियार और साज-ओ-सामान की कमी है। इस खबर को पाकिस्तान मीडिया ने प्रमुखता से जगह दी है।  पाकिस्तान के ज़्यादातर अखबारों ने जनरल सिंह की चिट्ठी को अहमियत देते हुए 'दो दुश्मन पड़ोसियों' (चीन और पाकिस्तान) को देखते हुए 'भारतीय सेना की तैयारियों में खामी' का विश्लेषण किया है।   

'इंडियाज मिलियन स्ट्रॉन्ग आर्मी एक्सपोज़्ड एज होलो' शीर्षक से एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में भारतीय सेना के पास गोला बारूद की कमी, भारतीय वायुसेना की 97 फीसदी रक्षा प्रणाली का बेकार होना और भारत के शीर्ष सुरक्षा बलों के पास जरूरी हथियारों की कमी की बात को अहमियत दी गई है। रिपोर्ट में भारत पर यह कहते हुए तंज भी कसा गया है कि यह देश दुनिया में सैन्य साज-ओ-सामान को सबसे ज़्यादा आयात करने वाला देश है।

पाकिस्तान के सबसे ज़्यादा बिकने वाले अंग्रेजी दैनिक 'द न्यूज' ने 'लीक्ड लेटर रिवील्स इंडियाज मिलिट्री वीकनेस' शीर्षक से छपी खबर में कहा है कि लीक हुई चिट्ठीमें शर्मिंदा करने वाले ब्योरे हैं, जो एशिया के सबसे ताकतवर मुल्कों में से एक की सरकारऔर सेना की छवि के लिए बड़ा झटका है।  खबर के मुताबिक चिट्ठी सरकार और जनरल सिंह के बीच 'जंग को सार्वजनिक' कर दिया है।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हथियारों और अन्य सैन्य सामानों की खरीद की प्रक्रिया 'भ्रष्टाचार के लिए बदनाम' है।  जबकि 'द डॉन' ने बैक पेज पर इंडियन आर्मी इन बैड शेप, जनरल सिंह टेल्स पीएम शीर्षक से छपी खबर में कहा है कि चिट्ठी से सामने आया ब्योरा पाकिस्तान को खुश कर सकता है लेकिन यह किसी बड़ी परेशानी की तरफ इशारा नहीं करता है। रिपोर्ट में भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष शंकर रॉयचौधरी के बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान इन सब बातों को लेकर हंस रहा होगा।'  
उर्दू के अख़बार 'रोज़नामा जंग', जिसने इस ख़बर को पहले पन्ने पर जगह दी और अपनी ख़बर में लिखा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सेना भीतर से काफी कमज़ोर है और उसके सेनाध्यक्ष ने यह बात मानी है।

पाकिस्तान से दशकों पुराने तनाव, चीन के आक्रामक रवैये और नक्सली समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। चीन और उसके सहयोगी पाकिस्तान की तरफ से बढ़ती खतरे की आशंकाओं के मद्देनज़र भारत ने तेजी से अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। जानकारों का मानना है कि भारत अपने पड़ोसियों (खासकर चीन) के साथ हथियारों की होड़ में न सिर्फ चुनौती दे रहा है बल्कि कई रणनीतिक मामलों में वह उन पर भारी भी पड़ रहा है। समुद्र के सामरिक महत्व और चीन के दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री इलाकों में बढ़ते असर को देखते हुए भारत ने समंदर में अपनी ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। इसी साल अगस्त में चीन के जहाज ने भारत के जहाज को वियतनाम के पास दक्षिण चीन सागर में मौजूदगी की वजह पूछी थी। जानकारों के मुताबिक यह घटना दक्षिण एशिया में भारत और चीन जैसे देशों के बीच होड़ को समझने के लिए काफी है। दुनिया में असरदार देश बनने की ओर बढ़ रहे दक्षिण पूर्व एशिया के देश पहले क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी ताकत बनना चाहते हैं। भारत इस समय हथियार आयात करने के मामले में दुनिया का अव्वल देश है।

हथियारों की खरीदफरोख्त पर नज़र रखने वाले संगठन सिपरी की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 और 2010 के बीच दुनिया में हुई हथियारों की खरीद का 9 फीसदी हिस्सा अकेले भारत के हिस्से में है। सिपरी के मुताबिक भारत ने अपने ज़्यादातर हथियार रूस से खरीदे हैं। वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के आकलन के मुताबिक भारत ने अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण पर 2015 तक 80 अरब डॉलर (करीब 40 खरब रुपये) खर्च करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने पर खासा जोर दे रहा है। मैरीटाइम एनालिसिस फर्म एएमआई इंटरनेशनल के एक आकलन के मुताबिक अगले 20 सालों में भारत 103 नए जंगी जहाजों (इसमें परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां भी शामिल) पर 45 अरब डॉलर का खर्च करेगा। वहीं, इस दौरान चीन 135 जंगी जहाजों पर महज 25 अरब डॉलर (करीब 12 खरब रुपये) खर्च करेगा। जानकार यह भी मानते हैं कि भारत के लिए राहत की बात यह है कि अमेरिका भारत की बढ़ती सामरिक ताकत से ज़्यादा चिंतित नहीं है।

अमेरिका के लिए ज़्यादा चिंता की बात चीन की सामरिक शक्ति है। इस तथ्य के बावजूद कि भारत सबसे ज़्यादा हथियार रूस से खरीदता है, अमेरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन की 2010 डिफेंस रिव्यू में हिंद महासागर के अलावा अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया था। सिर्फ समंदर ही नहीं, आसमान और जमीन पर भी नज़र भारत सिर्फ अपनी नौसेना को ही आधुनिक नहीं बना रहा है। बल्कि उसकी नज़र आसमान पर भी है। यही वजह है कि भारत ने अपनी वायुसेना को भी आधुनिक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर अमल करना शुरू कर दिया है। 126 आधुनिक जंगी विमान भारत करीब 126 आधुनिक जंगी विमान खरीदने की योजना बना रहा है। भारतीय वायुसेना ने इस खरीदारी के लिए दो विमानों को विचार के लिए चुना है। इनमें रफाल और टायफून विमान शामिल हैं। दोनों विमान अमेरिका के एफ-16 विमानों को टक्कर दे सकते हैं। अमेरिका ने एफ-16 विमान पाकिस्तान को भी दिए हैं।

जानकारों का मानना है कि भारतीय वायुसेना इनमें से किसी का भी चुना करे, दोनों भारतीय सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाई देंगे और भारत दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा जो आधुनिक जंगी विमानों से लैस हैं। द रफाल को फ्रांस की दसाल्ट एविएशन ने बनाया है। जबकि यूरो फाइटर टायफून को यूरोप के चार देशों (ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और स्पेन) की एक संयुक्त कंपनी यूरो फाइट ने तैयार किया है। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) दुनिया के आधुनिकतम लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने विकसित किया है। 2013 तक यह हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के जंगी बेडे़ में शामिल हो जाएगा। एलसीएच के पास दुश्मन का मुकाबला करने के लिए जबर्दस्त क्षमताएं हैं। इसमें स्टेल्थ विमानों के भी गुण हैं, जिसका मतलब है कि इसकी उड़ान को रडार के जरिए भांपा नहीं जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर का वजन 5800 किलो है। यह हेलीकॉप्टर 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ सकता है। इसमें 20 मिमी की टरेट गन है, जो दुश्मन के ठिकाने को भेद सकता है। यह हेलीकॉप्टर दायें, बायें, नीचे और सबसे अहम पीछे की तरफ उड़ सकता है।

जानकार मानते हैं कि इस हेलीकॉप्टर की खूबियां दुनिया में सबसे आधुनिक और उन्नत माने जा रहे अमेरिका के ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर को टक्कर दे सकती हैं। कुछ मायनों में जानकार इसे ब्लैक हॉक से भी बेहतर बता रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल इसी साल मई में ओसामा बिन लादेन को मारने में किया था। मिग 29 के मिग 29 के लड़ाकू विमान नौसेना के पास होगा। एडमिरल गोर्शकोव को आधुनिक आईएनएस विक्रमादित्य के तौर विकसित किया जा रहा है। 2012 के अंत या 2013 की शुरुआत तक विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने पर मिग 29 के को आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात कर दिया जाएगा। मिग-29 के, पुराने मिग-29 से 30 फीसदी ज़्यादा भारी है। मिग-29 के एंटी एयरक्राफ्ट बीयॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, स्मार्ट गाइडेड बम और रॉकेट से लैस है। इस लड़ाकू विमान के पंखों को फोल्ड किया जा सकता है। नेवी के आईएनएस विक्रमादित्य जहाज पर इसकी तैनाती के लिहाज से यह अहम खासियत साबित हो सकती है। मिग-29 के सिंगल सीट वाला लडा़कू विमान है। यह विमान फरवरी, 2010 में नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुका है। आधुनिक जंगी टैंक अर्जुन मार्क 2 अगली पीढ़ी का आधुनिक जंगी टैंक। भारत में डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है। इसका ट्रायल चल रहा है। सेना उम्मीद जता रही है कि जून, 2012 तक यह टैंक उनके बेडे़ में शामिल होगा। इसे बनाने के लिए अर्जुन के पहले संस्करण में कई बदलाव किए गए हैं। पुराने अर्जुन टैंक में पहले नाइट विज़न नहीं था। डिजीटल कंट्रोल है। टैंक के कमांडर को बड़े 90 बदलाव किेए गए हैं। रूस के टी-90 को कड़ी टक्कर दे सकता है। अर्जुन मार्क 2 को रूस के टी-90 टैंक से बेहतर माना जा रहा है।

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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