Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Monday, December 19, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/12/19
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अवसर

Posted: 18 Dec 2011 07:30 AM PST

हमारी धरती के भीतर मौजूद प्रचुर खनिज संपदा हमारे जीवन का आधार है। परंतु खनिज संपदा का अनुचित एवं अवैज्ञानिक दोहन पर्यावरणीय असंतुलन की स्थितियां पैदा कर सकता है इसीलिए मानवीय उपयोग के लिए इस प्राकृतिक संपदा को निकालने का काम प्रशिक्षित एवं दक्ष लोगों के नेतृत्व एवं मार्ग दर्शन में किया जाता है जिन्हें खनन इंजीनियर तथा इस विधा को खनन (माइनिंग) इंजीनियरिंग कहते हैं।

गौरतलब है कि हमारे देश में खनिज संपदा का प्रचुर भंडार है। बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से भारी मात्रा में खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में खनिज संपदा का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने केलिए शिक्षित- प्रशिक्षित खनन इंजीनियरों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। खनन इंजीनियरिंग के तहत खनिज, पेट्रोलियम तथा अन्य भूगर्भीय पदार्थ शामिल होते हैं। देश में खनन कार्यों में आई भारी तेजी के कारण यह क्षेत्र इंजीनियरिंग की एक प्रमुख शाखा बन चुका है। खनन इंजीनियरिंग के अंतर्गत धरती के भीतर खनिज पदार्थों की मौजूदगी का पता लगाना तथा सुरक्षित तरीके से उनकी खुदाई कर धरती से बाहर निकालना शामिल है।

खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण एवं कौशल की जरूरत होती है। जिन युवाओं की खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गहन रुचि हो केवल उन्हें ही इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में काफी चुनौतियां हैं। खनन इंजीनियरिंग के कार्यक्षेत्र में प्रमुख रूप से उत्खनन, कच्चे खनिज पदार्थों का शुद्धिकरण आदि आते हैं। खनन इंजीनियर न केवल खनिजों से धातु और मिश्रधातु का उत्पादन करते हैं, बल्कि इस प्रक्रिया के दौरान वातावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को भी कम करने का प्रयास करते हैं। सामान्य रूप से खनन प्रक्रिया एक सुनियोजित भू-प्रायोगिक सर्वे के बाद ही प्रारंभ की जाती है। जिससे यह पता चल जाता है कि पृथ्वी के अंदर कितनी मात्रा में खनिज पदार्थ मौजूद हैं। एक तरीका यह भी है कि सर्वे के अंतर्गत चिहिंत क्षेत्र के किसी भी भू-भाग से पत्थरों को निकालकर उनका त्रिस्तरीय अध्ययन कर प्रतिशत का आकलन किया जाता है। खनन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार को बारहवीं की परीक्षा भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र एवं गणित विषय से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात ही बीटेक, बीई (माइनिंग), बीएससी (माइनिंग इंजीनियरिंग) में प्रवेश दिया जाता है। खनन इंजीनियरिंग के विभिन्नस्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि तीन से पांच वर्ष निर्धारित है। इसके बाद छात्र स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अर्थात एमटेक या एमई जो दो वर्ष का होता है, में प्रवेश के लिए अधिकृत हो जाते हैं।

खनन इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए विभिन्न संस्थान अखिल भारतीय स्तर पर लिखित परीक्षा का आयोजन करते हैं। लिखित परीक्षा मुख्यतः बारहवीं स्तर के फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स व इंग्लिश आदि विषयों पर आधारित होती है। भारत में डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद में कई तरह के कोर्स जैसे माइनिंग इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, मिनरल इंजीनियरिंग और मशीनरी माइनिंग आदि पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस संस्थान में प्रवेश के लिए प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी में आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं।


रोजगार की दृष्टि से खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुभवी व्यक्तियों की सदैव मांग बनी रहती है। सरकारी अथवा प्राइवेट दोनों ही सेक्टरों में रोजगार के पर्याप्त और उजले अवसर विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में शिक्षण अथवा शोध की दिशा में भी कदम बढ़ाया जा सकता है। देश की अनेक प्रतिष्ठित कंपनियों जैसे टाटा आयरन एंड स्टील, रिलायंस पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, यूरेनियम कॉपोरेशन ऑफ इंडिया, सरकारी खनन निगम आदि में रोजगार के चमकीले अवसर उपलब्ध हैं। प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस लिमिटेड में खनन इंजीनियरों की भारी मांग है। इसके अलावा माइनिंग रिसर्च सेंटर, धनबाद, इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड, इंडियन डेटोनेटर्स लिमिटेड आदि में भी रोजगार के प्रचुर अवसर हैं।

यहां से करें कोर्स
१. इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद, झारखंड।

२. इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

३. बिहार इंस्टिट््‌यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिंदरी, बिहार।

४. कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग, उदयपुर, राजस्थान।

५. विवसवर्या रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र।

६. गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर, छत्तीसगढ़।

एस्ट्रोनॉमी में करिअर

Posted: 18 Dec 2011 03:30 AM PST

एस्ट्रोनॉमी दरअसल विज्ञान की एक ऐसी विधा है जो आकाशीय पिंडों और ब्रम्हांड के अध्ययन से जुड़ी है। इंसान में सनातन काल से अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा रही है।

इस दिशा में लगातार तेजी से काम चल रहा है और साथ ही यहां रोजगार के विकल्प भी बढ़ रहे हैं। यदि आप भी अंतरिक्ष को खंगालने, इसमें झांकने और इसके बारे में नई-नई बातें जानने की इच्छा रखते हैं तो इस क्षेत्र में कॅरियर बनाना आपके लिए बेहद मुफीद साबित हो सकता है।

विस्तृत क्षेत्र

चाहे हमारे चंद्रयान-1 मिशन की सफलता हो या मंगल ग्रह के बारे में नए रहस्यों को जानना, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चल रहे नए-नए प्रयोग छात्रों को लगातार अपने साथ जोड़े रखते हैं। यह विज्ञान का ऐसा क्षेत्र है जो आकाशीय पिंडों व ब्रम्हांड से जुड़ा है। इसमें सूर्य, ग्रह, सितारों, धूमकेतु, उल्काओं, आकाशगंगाओं और सैटेलाइट्स जैसे आकाशीय निकायों के इतिहास, गतिकी और संभावित विकास संबंधी गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है।

विज्ञान की यह शाखा और भी कई उपशाखाओं मसलन एस्ट्रोफिजिक्स, एस्ट्रोमेटियोरोलॉजी, सोलर फिजिक्स, एस्ट्रोबायोलॉजी, एस्ट्रोजियोलॉजी, एस्ट्रोमेट्री, कॉस्मोलॉजी इत्यादि में वर्गीकृत है। एस्ट्रोनॉमी ऐसे छात्रों के लिए एक जटिल मगर दिलचस्प विषय है, जो ब्रम्हांड के रहस्यों को सुलझाने में रुचि रखते हैं। अपने देश की बात करें तो हमारे यहां अंतरिक्ष विज्ञानियों की काफी कमी है। फिलहाल हमारे यहां इस क्षेत्र में तकरीबन 18,000 दक्ष पेशेवरों की दरकार है।

कार्य व योग्यता

खगोलविदों को अमूमन दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है- प्रेक्षक और थियोरिस्ट। प्रेक्षक रात्रिकाल में दूरबीनों के जरिए अंतरिक्ष का अवलोकन करते हैं। इसके बाद वे ज्यादातर समय आंकड़े जुटाने और इस क्षेत्र में हुए अन्य शोध व अध्ययन से तुलना करने में लगे रहते हैं।

एक सफल खगोलविद बनने के लिए आपमें आकाशीय पिंडों के प्रति जिज्ञासा और भौतिकी व गणित का ज्ञान होना जरूरी है। परिष्कृत खगोलीय उपकरणों को संभालकर इस्तेमाल करने का अनुभव और आंकड़ों को जुटाने और उनका सटीक विश्लेषण करने की क्षमता इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए बड़े काम की साबित हो सकती है।


व्यक्तिगत योग्यता

एस्ट्रोनॉमर बनने के इच्छुक लोगों में नई-नई चीजों को जानने की जिज्ञासा और अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने के प्रति रुझान होना चाहिए। उनमें प्रबल एकाग्रता और धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि एस्ट्रोनॉमर का काम देर रात तक निर्बाध शोध संबंधी कार्य में लगे रहने की मांग करता है। इसके अलावा उनकी गणितीय व तार्किक विश्लेषण क्षमता तथा कंप्यूटर योग्यता भी उच्चस्तरीय होना चाहिए। 

रोजगार के अवसर

उदयपुर सोलर ऑब्जरवेटरी के साइंटिस्ट बृजेश कुमार कहते हैं कि कोई एस्ट्रोनॉमर देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित शोध प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों/शिक्षण संस्थानों, अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में रोजगार पा सकता है। फिजिक्स या मैथमेटिक्स या इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स जिन्होंने एस्ट्रोनॉमी में स्पेशलाइजेशन किया हो, वे शोध संस्थानों व अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं। 

वे उन यूनिवर्सिटी में फेकल्टी के तौर पर भी काम कर सकते हैं, जहां एस्ट्रोनॉमी की शाखा से जुड़ा कोई पाठ्यक्रम उपलब्ध हो। बृजेश कहते हैं कि हमारे देश को चंद्रयान जैसे अंतरिक्ष रिसर्च कार्यक्रमों के लिए भविष्य में और भी कई खगोलविद चाहिए और यदि हम युवाओं को इस दिशा में आने के लिए प्रेरित नहीं करते तो भविष्य में देश के लिए यह बड़ी बाधा साबित हो सकती है। हालांकि पिछले 4-5 वर्र्षो में छात्रों का एस्ट्रोनॉमी के प्रति ज्यादा रुझान देखा जा रहा है और यदि मानदेय की राशि और फैलोशिप की संख्या रिसर्च स्कॉलर्स के लिए बढ़ा दी जाए तो भविष्य में और भी छात्र एस्ट्रोनॉमी की ओर आकर्षित हो सकते हैं। 

कहां हैं अवसर

भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े बड़े-बड़े संस्थान जैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी), स्पेस फिजिकल लेबोरेटरीज इत्यादि एस्टोनॉमर्स को नियुक्त करते हैं। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को देश-विदेश में विभिन्न जगहों पर जाने के भी खूब मौके मिलते हैं क्योंकि एस्ट्रोनॉमर्स के लिए विभिन्न देशों में जब-तब अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व सम्मेलन आयोजित होते रहते हैं। 

शिक्षा का दायरा

राजस्थान के उदयपुर सोलर ऑब्जरबेटरी में सोलर फिजिक्स के एक रिसर्च स्कॉलर रामाजोर मौर्य बताते हैं कि देश के कुछ विश्वविद्यालयों में एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स एमएससी पाठ्यक्रम के तहत स्पेशलाइजेशन विषय के रूप में पढ़ाए जाते हैं। उदयपुर में मोहनलाल सुखादिया यूनिवर्सिटी अपने यहां एमएससी के छात्रों के लिए यह कोर्स प्रस्तावित करती है। इसके अलावा गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भी इससे जुड़ा कोर्स उपलब्ध है। 

बीटेक या बीई डिग्रीधारी अभ्यर्थियों का यदि एस्ट्रोनॉमी व एस्ट्रोफिजिक्स की ओर रुझान है तो वे एस्ट्रोनॉमी मे पीएचडी भी कर सकते हैं । पीएचडी करने के लिए उन्हें ज्वाइंट एंट्रेंस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेस्ट) की बाधा पार करनी होगी। ज्यादातर विश्वविद्यालय अभ्यर्थी को उसके टेस्ट में हासिल स्कोर के आधार पर अपने यहां पीएचडी प्रोग्राम्स में दाखिला देती हैं। मौर्य कहते हैं, 'रिसर्च स्कॉलर्स को पोस्ट डॉक्टोरल फैलोशिप्स (पीडीएफ) के अंतर्गत तकरीबन 14,000 रुपए मासिकमानदेय प्राप्त होता है। इसके अलावा इस क्षेत्र से जुड़े अभ्यर्थियों को नॉलेज शेयरिंग प्रोग्राम के तहत विदेश में जाने के भी अनेक अवसर मिलते हैं।'

पारिश्रमिक

इस क्षेत्र में एक रिसर्च स्कॉलर को रिसर्च फैलोशिप के अंतर्गत अमूमन 14,000 रुपए मासिक तक मानदेय राशि प्राप्त होती है। शासकीय निकायों व शोध संस्थान भी एस्ट्रोनॉमर्स को नियुक्त करते हैं, जिन्हें ऊंची तनख्वाह के अलावा अन्य भत्ते व सुविधाएं भी मिलती हैं। एस्ट्रोलॉजी के विशेषज्ञ किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर अपनी सेवाएं देते हुए 35,000 रुपए मासिक तक कमा सकते हैं। इस क्षेत्र से जुड़े रीडरों, एसोसिएट प्रोफेसरों व प्रोफेसरों को और भी ज्यादा तनख्वाह मिलती है।

प्रमुख संस्थान

- मोहनलाल सुखादिया यूनिवर्सिटी, उदयपुर।

- आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेस, नैनीताल।

- एचसीआर इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद।

- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु। 

- आईयूसीएए, पुणे। 

- एनसीआरए-टीआईएफआर, पुणे।

- ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद(दैनिक भास्कर,15.12.11)।

जनजाति का दर्जा चाहते हैं हरियाणा के मेव

Posted: 18 Dec 2011 12:30 AM PST

हरियाणा में मुस्लिम आबादी लगभग १७ लाख है जिनमें लगभग १०.८९ लाख मेव मुसलमान हैं। सरकारी नौकरियों में आलम यह है कि इकलौते मेव मो. शफीक का एचसीएस के लिए चयन हुआ है। छोटी नौकरियों में भी मेव और गैर मेव मुसलमानों की संख्या सीमित है। सरकारी नौकरियों में उपेक्षा और उद्योग-धंधों के अभाव के कारण आज भी मेव सम्मानजनक सामाजिक स्तर हासिल नहीं कर पाए हैं और मुख्य धारा से कटे हुए हैं। इसलिए यहां के मेव खुद को जनजाति में शुमार करवाने के लिए सुलग रहे हैं, तो गैर मेव मुसलमान आरक्षण बढ़ाए जाने के पक्षधर हैं।


मेव आज नारकीय जीवन जी रहे हैं। जून, १९९४ में पहली बार चौ. भजनलाल की सरकार में मेवों के घावों पर हल्का मरहम लगाते हुए उन्हें पिछड़ों की बी श्रेणी में रखा गया और इस तरह उनका २७ प्रतिशत आरक्षण में पांच प्रतिशत हिस्सा बना जबकि सिरसा, जींद, पानीपत, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला में छितरे हुए नाई, तेली, जुलाहे आदि मुसलमानों को ए श्रेणी में रखा गया है। पिनगवां के मेव चिंतक यूनुस अल्वी इसके लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि यहां के मेवों के दम पर राजनीति करने वालों ने संसद में कभी मेवों के हितों के लिए आवाज नहीं उठाई। बिहार के जद यू नेता अली अनवर अंसारी ने जब मेवों की हालत देखी, तो उन्होंने संसद में मेवों के लिए आवाज उठाई। हरियाणा मुस्लिम खिदमत सभा के चेयरमैन प्रो. बीआर चौहान के मुताबिक मुसलमानों को अन्य समाजों की भांति आरक्षण प्राप्त नहीं है। प्रो. आबिद अली अंसारी का कहना है कि सरकार ने शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत सभी अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति व बीपीएल परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए २५ प्रतिशत सीटों को रिजर्व रखने के आदेश दिए हैं, लेकिन मुसलमानों के बच्चों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस संबंध में साकरस के सामाजिक कार्यकर्ता फजरुद्दीन बेसर के मुताबिक मेवों को पिछड़ों की बी केटेगरी में रखकर छला गया है जबकि मीणाओं की तरह उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाना चाहिए। तभी मेवातियों की दशा सुधर सकती है(राकेश चौरसिया,नई दुनिया,11.12.11)।

बीएसई से एमबीए कर बनाएं चमकदार भविष्य

Posted: 17 Dec 2011 09:30 PM PST

भारत के मजबूत और व्यापक हो चुके वित्त बाजार नौकरियों की भरमार सी है। इसके बावजूद इस बाजार को काबिल लोग नहीं मिल पाते हैं क्योंकि वित्तीय बाजार के लिए स्पेशलाइज्ड कोर्स का अभाव रहा है। सामान्य एमबीए करने वाले लोगों को इस बाजार में महारत हासिल करने में काफी वक्त लग जाता है। इसे देखते हुए देश के करीब १३६ साल पुराने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की सहायक कंपनी बीएसई टे्रेनिंग इंस्टिट्यूट (बीटीआईएल) ने दो साल का पूर्णकालिक "वित्त बाजार में एमबीए" (एमबीए इन फाइनेंशियल मार्केट) पाठ्यक्रम पिछले साल शुरू किया है। बीटीआईएल ने इसके लिए इग्नू से गठजोड़ किया है। इस प्रकार इसमें प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय इग्नू की डिग्री मिलती है और यह एआईसीटीई से मान्यताप्राप्त है।

आवेदन प्रक्रिया शुरू

बीएसई से वित्त बाजार में एमबीए करने पर देश के उभरते वित्तीय बाजार में आकर्षक नौकरी मिलने की संभावना काफी मजबूत हो जाती है। इस पाठ्यक्रम के दूसरे बैच के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि १२ मार्च, २०१२ तक है। आवेदन फॉर्म बीएसई के मुंबई मुख्यालय या उसके क्षेत्रीय कार्यालयों से हासिल किए जा सकते हैं। जिन शहरों में बीएसई के कार्यालय नहीं हैं वहां एचडीएफसी बैंक की चुनिंदा शाखाओं से यह फॉर्म मिल सकते हैं। इसके अलावा फॉर्म को ऑनलाइन डाउनलोड भी किया जा सकता है।

इस पाठ्यक्रम में आवेदन स्नातक स्तर पर ५० फीसदी अंक हासिल करने वाला कोई भी छात्र कर सकता है। प्रवेश कैट, जीमैट या बीटीआई-ईटी में हासिल स्कोर के आधार पर होता है। बीटीआई कैट के पैटर्न पर ही एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है जो अगले सत्र के लिए २५ मार्च को आयोजित होगी। बीटीआईएल के एमडी एवं सीईओ अंबरीश दत्त ने नईदुनिया को बताया, "यह एक ऐसा स्पेशलाइज्ड कोर्स है जो सिर्फ बीएसई में ही मिल सकता है। फाइनेंशियल मार्केट बहुत वैज्ञानिक और तकनीक आधारित हो गया है, इसके लिए स्पेशलाइजेशन की जरूरत है। बीएसई के पास फाइनेंशियल मार्केट का दशकों का अनुभव है।"

उन्होंने बताया, "इस पाठ्यक्रम में पढ़ाने वाले ज्यादातर लोग पूंजी बाजार के एक्सपर्ट होते हैं। हमारी फैक ल्टी में एकेडेमिक लोगों की संख्या कम और बाजार में कारोबार करने वाले व्यावहारिक लोगों की संख्या ज्यादा है। शेयर बाजार कारोबार की पढ़ाई छात्रों को रमेश दमानी, हेमेन कपाड़िया जैसे उन लोगों से मिलती है जो इस बाजार के एक्सपर्ट हैं।"

दत्त ने बताया, "यह पाठ्यक्रम सैद्धांतिक कम और प्रैक्टिकल ज्यादा है। एमबीए का इंस्टिट्यूट बीएसई की इमारत के अंदर ही है। इसके छात्र बीएसई में कंपनियों के लिस्टिंग समारोह में शामिल होते हैं, सेंसेक्स में कारोबार कैसे चलता है उसे देखते हैं। यह अनुभव कहीं और नहीं मिल सकता। हमारे यहां तमाम विदेशी एक्सपर्ट आते रहते हैं उनके लेक्चर का लाभ भी छात्रों को मिलता है। हमारी फैकल्टी में पीई फंड, फॉरेन एक्सचेंज में काम करने वाले लोग भी हैं जो अपने अनुभव को सीधे छात्रों को देते हैं।" दो साल के पाठ्यक्रम की फीस पांच लाख रुपए है जिस पर सर्विस टैक्स भी लगता है।


प्लेसमेंट में आसानी

बीएसई के देश के शीर्ष बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से रिश्ते हैं। इसलिए इन रिश्तों के आधार पर संस्थान एमबीए छात्रों को प्लेसमेंट में मदद करेगी। वित्त बाजार में एमबीए करने के बाद छात्रों को इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजमेंट, डेट एवं इक्विटी बाजार ब्रोकिंग फर्म, फॉरेक्स ट्रेडिंग फर्म, कमोडिटी ट्रेडिंग फर्म आदि में नौकरी मिल सकती है। इन सभी सेक्टर में काफी आकर्षक वेतन होता है। इसके अलावा इन सेक्टर में अगर कोई चाहे तो खुद का उद्यम भी खड़ा कर सकता है(दिनेश अग्रहरि,नई दुनिया,12.12.11)।

उत्तराखंडःअच्छे नहीं हैं अल्पसंख्यकों के हालात

Posted: 17 Dec 2011 05:30 PM PST

उत्तराखंड की कुल आबादी का लगभग १५ प्रतिशत होने के बावजूद भी राज्य में अल्पसंख्यक पूरी तरह से हासिए पर हैं। राज्य गठन के दस साल बाद भी प्रदेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सकारात्मक प्रयास शुरू नहीं हो पाए हैं। २००१ की जनगणना के मुताबिक राज्य में १०.१२ लाख मुस्लिम ,२.१२ लाख सिख, २७ हजार ईसाई, ९ हजार जैन व १३ हजार अन्य धर्मों के अल्पसंख्यक लोग निवास करते हैं। इतनी ब़ड़ी संख्या के बावजूद भी राज्य में न तो अल्पसंख्यकों के लिए आने वाली योजनाओं का क्रियान्वयन ही सही तरीके से हो पाता है और न ही राज्य अब तक अल्पसंख्यकों के सवाल पर कोई नई योजना प्रस्तुत कर पाया है। राज्य में कुल आबादी का १२ प्रतिशत मुस्लिम और २ प्रतिशत से अधिक सिख निवास करते हैं। राज्य में अल्पसंख्यकों की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की साक्षरता दर ८९ प्रतिशत होने के बावजूद मुस्लिमों की साक्षरता दर केवल ५५ प्रतिशत ही है। यहां तक कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद बनी परियोजनाओं का लाभ भी उत्तराखंड के मुस्लिमों को नहीं मिल पाया है। इस रिपोर्ट के बाद बनी केंद्र की योजना जिसमें ९० प्रतिशत मुस्लिम बहुल जिलों के विकास के लिए धन दिया जाना था उत्तराखंड के हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों का चयन किया गया लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इस योजना में मिला धन लैप्स हो गया। प्रदेश के मुसलमानों को शिकायत है कि सरकारें उनकी सुनती नहीं हैं। उत्तराखंड में मुसलमान पूर्व घोषित उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने, राज्य में उर्दू अकादमी खोलने, सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करने अरबी - फारसी मदरसा बोर्ड बनाने वक्फ विकास निगम को पुनर्जीवित करने व प्रदेश भर में फैली वक्फ संपत्तियों पर से अवैध कब्जे हटाने की मांग लंबे समय से करते रहे हैं लेकिन अभी तक यह मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं। तंजीम रहनुमा- ए-मिल्लत के केंद्रीय अध्यक्ष लताफत हुसैन का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मुसलमानों के मुद्दों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिमों के मुद्दों को नजरअंदाज करने की बानगी यह है कि २००७ में सरकार गठन के बावजूद वक्फ बोर्ड के गठन को चार साल लटकाए रखने के बाद २०१० में बोर्ड का गठन किया गया लेकिन उसमें सरकार ने अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेता राव सराफत अली को बैठा दिया गया। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष पर इस दौरान बोर्ड की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने, कलियर स्थित पिरान शरीफ की संपत्ति में हेरफेर करने जैसे संगीन आरोपों के चलते मुकदमे तक दर्ज हो चुके हैं। यहां तक कि अक्टूबर २०११ में बोर्ड के ११ में से आठ सदस्यों ने उनके खिलाफ एकजुट होकर प्रस्ताव तक पारित कर सरकार को अवगत करा दिया है लेकिन सरकार ने अब तक राव सराफत को वक्फ बोर्ड से हटाया नहीं है। राज्य में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की मौजूदा कीमत ७७० अरब लगाई गई है लेकिन बोर्ड के पास अपना कार्यालय खोलने के लिए भी मकान नहीं हैं। बोर्ड का कार्यालय १६ हजार प्रतिमाह के किराए पर चल रहा है। इसी तरह हज कमेटी पर भी हज को जाने वाले लोगों से कुर्रम पर्ची के नाम पर वसूली के आरोप हैं(महेश पाण्डे/ प्रवीन कुमार भट्ट,नई दुनिया,11.12.11) ।
You are subscribed to email updates from भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To stop receiving these emails, you may unsubscribe now.
Email delivery powered by Google
Google Inc., 20 West Kinzie, Chicago IL USA 60610



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk