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Wednesday, December 21, 2011

खबरची भगतदाजूयू नहीं रहे।

खबरची भगतदाजूयू  नहीं रहे।


पलाश विश्वास

आज रात को ही कर्नाटक के लिए रवाना होना है। पखवाड़ेभर बाद कोलकाता लौचना होगा। सो, सुबह से सविता ने बाजार से राशन पानी सब्जी वगैरह, और मुंबईप्रवासी बेटे टुसुमहाराज के लिए कुछ सामान ले आने का तगादा लगा रखा था। पर नेट पर मनैं बिजी था। बाजार के लिए सविता साड़ी पहनकर तैयार हो गई तभी फिल्मकार राजीव का फोन आ गया। अपना दफ्तर हावड़ा के डोमजूर चला गया और कोलकाता से संपर्क लगभग टूट ही गया? रोजानो नोयडावालों की तरह बसयात्रा ट्राफिक जाम और कोहरा से निबटने में राजीव से अरसे से बात नहीं हुई। वह बीमार है, खबर मिली थी, पर देखने जाना संभव नहीं, इसलिए फोन पर भी खबर नहीं ली।


राजीव ने छूटते ही खबर दाग दी, नैनीताल से राजीव लोचन साह का फोन आया है, भगतदाज्यू नहीं रहे। ऐसा झटका देकर न्यूज ब्रेक करना भगतदाज्यू का अपना स्टाइल था। लगबग तीन साल  से घर जाना नहीं हुआ। नैनीताल आखिरी बार कब गये याद नहीं। पर जब भी नैनीताल जाना हुआ, गिरदा शेखर मिले न मिले भगतदा और महेशदाज्यू, हरिया दाढ़ी ओर पवन राकेश से मुलाकात जरूर होती रही। गिरदा तो पहाड़ में और पहाड़ के पार अपने गीतों के साथ हुड़का लेकर धूम मचाते रहते थे। समाचार इन्हीं लोगों के बूते निकलता रहा है।

आपातकाल के दिनों में हममें से दैनिक पर्वतीय के महेश दाज्यू और भगतदा सबसे शांत रहे। कोलकाता में अब सर्दी पड़ने लगी है। कोहरा भी घना है। कल सुबह फलकनामा पकड़नी है तो आज रात को ही हावड़ा स्टेशन पर कोहरा टालने के लिए डेरा डालना है। सत्तर के दशक में कोहरा, बारिश या हिमपात का , भूस्खलन या बाढ़ का हम लोगों पर कोई असर ही नहीं था। १९७८ में भागीरथी बाढ़ कवर करने गये गिरदा ओर शेखर तो उनके लौचते न लौचते मैं गंगोत्री की ओर कूच कर गया एकदम अनजान इलाके में। यह हिमम्त उस दौर की खासियत है जब सुरक्षित दड़बे में शुतुरमुर्ग की जिंदगी जीने के बजाय हम जंगल में या पहाड़ में शीत लहर के बीच वर्षा पानी में पत्थरों या माटी के ढेले पर आराम से सर रखकर सो लिया करते थे।

नैनीताल समाचार टीम में शेखर बेहद दृढ़ता से अपनी बात कहने और मनवाने में माहिर थे। गिरदा का अपना स्टाइल था। हरुआ और महे?शदाज्यू इस झंझट में पड़ते न थे, क्या करना है , सिर्फ यह तय करके बताना था। हल्ला करने का जिम्मा मेरे और गिरदा का थी। पर इन सबके बीत जंगलात के कर्मचारी भगतदाज्यू ने बहुत मजबूती से अपनी जगह बनाई।

समाचार में आशलकुशल कालम का मौजूदा स्वरूप पहले दिन से जस का तस है. यह भगतदाज्यी की फसल है और खबरची तो वे थे ही।

शुरुआती झटके में गिरदा पर जो लिखना हो गया, अब शेखर के बार बार तकाजा के बाद भी लिखा नहीं जाता। इसी कारण से बाबा नागार्जुन और ?शलभ श्री राम सिंह या गोरख पांडे पर बाद में मुझसे लि?खा नहीं गया। अपनों के गुजर जाने के बाद ?फिर बीते हुए जमाने को याद करना वाकई बेहद यंत्रणादायक होता है।
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जन आन्दोलन

People's Movements on Various Issues (विभिन्न मुद्दों पर जनान्दोलन)

एक किताब बदलाव के लिये

By नैनीताल समाचार on July 16, 2011
उत्तराखंड राज्य के गठन में पत्रकारों की एक बड़ी भूमिका थी। इस भूभाग की समस्याओं को उजागर करने के साथ ही एक पृथक राज्य के औचित्य को सिद्ध कर में पत्रकारों ने डट कर काम किया। यही नहीं, उस दौर में हुई रिपोर्टिंग ने आन्दोलनरत जनता का मनोबल बनाये रखा। इन दस-ग्यारह सालों में स्थितियाँ [...]
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शराब के खिलाफ महिलायें

By मयंक पांडे on June 1, 2011
उत्तराखंड में शराब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई अनवरत जारी है। दशकों पहले दीपा देवी ने शराब की जिस दुकान को आग लगाई थी, वह अभी तक जल ही रही है। दीपा बाद में शराब के खिलाफ लड़ने वाली टिंचरी माई के नाम से मशहूर हुई। महान क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन की माता तारा देवी से [...]
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युवाओं ने जीवित रखा गैरसैंण का मुद्दा

By नैनीताल समाचार on December 28, 2010
प्रवीण कुमार भट्ट इस पखवाड़े उत्तराखंड राज्य के गठन को दस साल पूरे हो जायेंगे। एक दशक के इस सफर में कई बुनियादी और बड़े सवाल पीछे छूट गये हैं जिनका हल खोजा जाना अभी बाकी है। इन्हीं में से एक सवाल उत्तराखंड की असली राजधानी का भी है। पृथक राज्य की लड़ाई के साथ [...]
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हाँ, दस साल हो गये हैं राज्य बने

By नैनीताल समाचार on December 24, 2010
दस साल! दस साल का होने जा रहा है उत्तराखंड इस 9 नवम्बर को। एक बच्चा बचपन पार कर किशोरावस्था में प्रवेश कर रहा है। एक समाज के लिये कितना महत्वपूर्ण पड़ाव है यह ? लेकिन कहीं कोई उत्साह है क्या ? 9 नवम्बर आयेगा….राज्य का स्थापना दिवस। सब कुछ उसी कर्मकांड की तरह होगा। [...]
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निशंक सरकार गैरसैंण में बनायेगी सचिवालय ?

By पुरुषोत्तम असनोड़ा on June 28, 2010
तेरहवें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखंड की विधानसभा हेतु 88 करोड़ रुपया स्वीकृत किये जाने के बाद गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाये जाने की माँग जोर पकड़ रही है। हालाँकि काँग्रेस में सांसद सतपाल महाराज के अलावा कोई बड़ा नेता इस माँग से नहीं जुड़ सका है। भाजपा ने तो इस मुद्दे पर पूरी तरह मौन [...]
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नदी अभियान की समीक्षा

By नैनीताल समाचार on January 9, 2010
प्रस्तुति : बसंत पांडे 'नदी बचाओ अभियान' के दो वर्ष पूरे होने पर एक समीक्षात्मक बैठक 22 दिसम्बर 09 को कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में सम्पन्न हुई। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार चिपको आन्दोलन ने पेड़ों के प्रति चेतना पैदा की, उसी प्रकार नदी बचाओ अभियान ने पानी व नदी के प्रति जागृति पैदा [...]
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2010 'नदियों को मुक्त करो वर्ष' होगा

By नैनीताल समाचार on November 21, 2009
प्रस्तुति : ओम प्रकाश भट्ट देश भर के गांधीवादी व पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नदियों के प्रवाह को उनके प्राकृतिक परिवेश में बनाये रखने का संकल्प लिया। नदियों की पवित्रता तथा पावनता को बनाये रखने व नदियों से पलने वाले लोगों के जीवन को बचाने के लिए पूरे देष में संघर्ष की रणनीति बनायी। यह तय [...]
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गैरसैंण को लेकर सरगर्मी तेज

By पंकज शर्मा on September 22, 2009
गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की माँग को लेकर उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों का एक दिवसीय सम्मेलन सितम्बर को श्रीनगर में बृहद् स्तर पर आयोजित किया गया। 'गैरसैंण राजधानी बनाओ संयुक्त समिति' के तत्वावधान में पहाड़ के दूरदराज से आये आन्दोलनकारियों ने एक स्वर में कहा कि राजधानी अगर बनेगी तो गैरसैंण में। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड लोक [...]
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हाँ..हाँ रे आन्दोलनकारी….. क्यों गई तेरी मति मारी

By शंम्भू राणा on February 15, 2009
उत्तराखंड के पूर्व आंदोलनकारी इन दिनों फिर आंदोलित हैं। यह खबर सुखद हो सकती थी बशर्ते कि आंदोलनकारी उस राज्य के व्यापक हितों की बात करते जो उनके संघर्ष की एवज में हमें मिला। जो राज्य फटी पायजामा पहनने वाले आम आदमी के लिये माँगा था, नौकरशाहों, दलालों और हूटर बजाकर आतंकित करने वाले तथाकथित [...]
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अब राग रंग को तबाह करने वाली सत्यानाशी शराब के खिलाफ ग्रामीण

By महेश जोशी on February 15, 2009
'दारू और दवा, इसी की चल रही है हवा'….'घर में शादी हो या जागर, रंग में भंग कर देता है शराबी आकर'. …जैसे नारों व गीतों के माध्यम से क्षेत्रीय संगठनों ने बसौली स्थित शराब की दुकानों के विरोध में आन्दोलन का विगुल फूँक दिया है। विभिन्न महिला मंगल दलों, महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं [...]
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ताजा अंकअलविदा बीबीसी… उँगलियाँ तो फिर भी तलाशेंगी तुझे

लेखक : शंम्भू राणा
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चिट्ठी पत्री : भाषा, बोली या आंचलिक भाषा?
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हरेला अंक-2010हरेले के तिनड़े के साथ बधाई

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By हरीश चन्द्र चंदोला on March 5, 2010
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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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