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Monday, May 30, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/30
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


उत्तराखंडःसंविदा, दैनिक व वर्कचार्ज कर्मचारी होंगे नियमित

Posted: 29 May 2011 11:29 AM PDT

सभी सरकारी विभागों और निगमों में संविदा, दैनिक वेतनभोगी व वर्कचार्ज कर्मचारियों को निकट भविष्य में नियमित किया जाएगा। शासन के आलाधिकारियों ने इसकी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। सरकार कैबिनेट की अगली बैठक में इन कर्मचारियों को नियमित किए जाने संबंधी प्रस्ताव लाएगी। इसके साथ राज्य कर्मचारी महासंघ ने सोमवार 30 मई से घोषित हड़ताल वापस ले ली है। प्रमुख सचिव वन एवं ग्राम्य विकास आयुक्त राजीव गुप्ता की अध्यक्षता में राज्य कर्मचारी महासंघ की सचिवालय में बैठक हुई। बैठक में प्रमुख सचिव उद्योग व परिवहन एस रामास्वामी, प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा, सचिव वन एमएच खान, अपर सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकी, अपर सचिव वित्त शरद चंद्र पांडेय, एमडी वन निगम एके दत्ता व प्रबंध निदेशक परिवहन निगम एमसी उप्रेती मौजूद थे। बैठक में सभी सरकारी विभागों में संविदा, दैनिक वेतनभोगी और वर्कचार्ज कर्मचारियों को नियमित किए जाने पर चर्चा हुई। कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रवि पचौरी ने कहा कि संविदा, दैनिक वेतनभोगी और वर्कचार्ज कर्मचारी पिछले कई वर्षों से कम मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। विभागों में लंबी सेवाएं देने के बाद उनका नियमितीकरण न होना उचित नहीं है। महासंघ की मांगों पर बैठक में इस बात पर सैद्धांतिक सहमति बनी कि सीएम की घोषणाओं के अनुसार उपरोक्त कर्मचारियों को नियमित करने का कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद नियमितीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम व तराई बीज विकास निगम के कर्मचारियों को नए वेतनमान के एरियर का अगले महीने तक भुगतान कर दिया जाएगा। परिवहन निगम द्वारा एरियर भुगतान के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। इसके अलावा परिवहन निगम को लाभ में लाने के लिए शासन ने 35 करोड़ की मांग की जाएगी। निगमों में वेतन विसंगति दूर करने के लिए प्रमुख सचिव वित्त, कार्मिक व उद्योग की एक कमेटी गठित किए जाने पर सहमति बनी। समिति 21 दिन में शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी तक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के 1800 ग्रेड पे का प्रस्ताव वित्त विभाग की सहमति के बाद अनुमोदन के लिए उद्योग मंत्री व मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। निगमों को मजबूत बनाने के लिए उन्हें राजकीय विभाग बनाने की मांग के संबंध में पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,29.5.11)।

बिहारःटीईटी फार्म की बिक्री पर रोक

Posted: 29 May 2011 11:20 AM PDT

बिहार में एक लाख प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन हेतु जुलाई में होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए फार्म की अनुपलब्धता को लेकर राज्य के विभिन्न शहरों में हो रहे भारी हंगामा के मद्देनजर सरकार ने फार्म की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी है। मानव संसाधन विभाग के प्रधान महासचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा है कि प्रखंड स्तर तक फार्म की उपलब्धता सुनिश्चित कर दस दिनों बाद इसकी बिक्री की तिथि की घोषणा होगी। सरकार ने दो दिनों तक फार्म के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 100 रुपये और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 50 रुपये का बैंक ड्राफ्ट की जगह नगद भुगतान पर फार्म उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार ने शनिवार को भी पटना सहित कई जिला मुख्यालयों में फार्म के लिए अभ्यर्थियों की भारी भीड़ जुटने और हंगामा होने की सूचना पर तत्काल इसकी बिक्री रोकने का फरमान जारी किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जो फार्म बंट चुके हैं, उनका भी इस्तेमाल होगा। अनुमान किया जा रहा है कि एक लाख शिक्षकों के नियोजन के लिए दस लाख से अधिक अभ्यर्थियों द्वारा फार्म जमा किये जा सकते हैं। मानव संसाधन मंत्री पी.के. शाही ने फार्म के लिए बैंक ड्राफ्ट बनाने को लेकर मची अफरातफरी देख नगद भुगतान पर फार्म बिक्री करने का फरमान जारी किया था। राज्य सरकार ने आने वाले वर्षो में साढ़े तीन लाख शिक्षकों को नियोजन देने की घोषणा की है। सरकार ने प्राईवेट स्कूलों में भी नियोजन के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य बना दिया है उधर टीईटी फार्म लेने के लिए शनिवार को पटना, जमुई, लखीसराय, शिवहर व शेखपुरा के अलावा सूबे के अन्य जिलों में भी अभ्यर्थियों ने जमकर बवाल काटा। फॉर्म नहीं मिलने पर आवेदकों ने तोड़फोड़ व आगजनी की। राजधानी के दो परीक्षा फॉर्म बिक्री केन्द्रों पर अभ्यर्थियों ने तोड़फोड़ की और बैंक ड्राफ्ट एवं आवेदन फाड़ डाले। इस दौरान उपद्रवी तत्वों ने परीक्षा फॉर्म बिक्री कर रहे कर्मचारियों पर रोड़ेबाजी भी की। उपद्रवियों के तेवर को देखते हुए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा जिसमें तीन लोग घायल हो गये। रोड़ेबाजी में पुलिस जवानों को भी चोटे आयीं हैं। परीक्षा फार्म के लिए उमड़ रही अनियंत्रित भीड़ को देखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शनिवार को फार्म की बिक्री बंद कर दी। वहीं जमुई डीईओ कार्यालय में फार्म लेने के लिए लगी भीड़ शनिवार को अनियंत्रित हो गई। फॉर्म नहीं मिलने के कारण आवेदकों ने डीईओ कार्यालय में तोड़फोड़ की तथा आग लगा दी। बाद में भीड़ ने स्थानीय कचहरी चौक पर भी आगजनी की और जमकर बवाल काटा। साथ ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा पर पथराव भी किया। आगजनी में डीईओ कार्यालय को काफी नुकसान पहुंचा है। कार्यालय में रखे कम्प्यूटर तथा कागजात जल गये। इसके बाद पुलिस ने उग्र भीड़ पर लाठियां बरसा कर लोगों को तितर-बितर किया। इस मामले में पुलिस ने 16 लोगों को हिरासत में लिया है। मुजफ्फरपुर में फॉर्म नहीं मिलने से आक्रोशित बेरोजगार युवकों ने शनिवार को जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में जमकर हंगामा किया, वहीं फार्म वितरण केन्द्र मुखर्जी सेमिनरी स्कूल में जमकर बवाल काटा और विद्यालय में तोड़फोड़ व लूटपाट की। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों ने उपद्रव और हांगमा मचा रहे युवकों पर बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया। वहीं शेखपुरा से मिली खबर के मुताबिक फार्म जमा करने जुटी अभ्यर्थियों की भीड़ ने डीएसई कार्यालय पर अंदर से फार्म जमा करने को लेकर पथराव किया जिससे डीएसई कार्यालय के कई खिड़कियों के शीशे टूट गए। इसके बाद पहुंची पुलिस ने भीड़ पर लाठियां चटकाई और भीड़ को नियंत्रित किया। उधर शिवहर में भी डीडी बनाने को लेकर विभिन्न बैंकों में अभ्यर्थियों का जमावड़ा रहा। सेंट्रल बैंक में अभ्यर्थियों ने तोड़फोड़ की जिसमें काउंटर का शीशा टूट गया(राष्ट्रीय सहारा,पटना,29.5.11)।

राजस्थानःमेरिट की गड़बड़ी से छात्र सदमे में

Posted: 29 May 2011 11:13 AM PDT

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की आरपीएमटी की गड़बड़ाई वरीयता सूची शहर में अभ्यर्थियों के लिए सदमा बन कर रह गई है। दो दिन पहले तक ऊंची रैंकिंग की खुशियों में डूबे अभ्यर्थी अब संशोघित परिणाम को भी शक की नजर से देख रहे हैं।
दूसरी ओर, उनके परिजन भी अपनी टीस को नहीं छिपा पा रहे। एक साथ हजारों अंक गिरी रैंकिंग ने अभ्यर्थियों में यह डर पैदा कर दिया है कि उन्हें पता नहीं अब किस कॉलेज में दाखिला मिलेगा। कोई इसे अभ्यर्थियों के साथ भद्दा मजाक कह रहा है, तो किसी का कहना है कि बच्चों की मायूसी की भरपाई अब विश्वविद्यालय कैसे करेगा? कई परिजन शनिवार को विश्वविद्यालय भी पहुंचे, लेकिन उन्हें बिना किसी जबाव के लौटना पड़ा।
दिलासा दे रहे परिजन
नौनिहालों के मायूस चेहरों को देखकर परिजन सिर्फ दिलासे के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे। पहले परिणाम में 172वीं रैंक पाने वाली रूचिका अब 1389वीं रैंकिंग पर पहुंच गई है। मजबूर माता-पिता उसकी मायूसी दूर नहीं कर पा रहे। उनके पास सिर्फ दिलासा है कि बेटी, सब कुछ अच्छा होगा।

बाहर भेज दिया: 
236वीं रैंक पर आई श्रुति किसी अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए पूरी तरह विश्वस्त थी। संशोघित परिणाम के बाद शुक्रवार को उसने खुद को बस एक कमरे तक सीमित कर लिया। दो दिन में घर का माहौल ही बदल गया। अवसाद की आशंका से परेशान अभिभावकों ने उसे रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है।

अभिभावक राजेश जैन की पुत्री की रैंकिंग करीब एक हजार अंक नीचे लुढ़क गई। बच्ची को तो उन्होंने समझा लिया, लेकिन विश्वविद्यालय के रवैए के प्रति वे व्यथित हैं। बात करते ही बोले कि साहब, विश्वविद्यालय को इतनी जल्दबाजी क्या थी, क्या गिनीज बुक में नाम लिखाना था। दो दिन बाद ठीक परिणाम जारी कर देते(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,29.5.11)।

यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड परीक्षा में प्रबंधक दबा लेते हैं कापियां

Posted: 29 May 2011 11:00 AM PDT

यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड की चल रहीं मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल व फाजिल कक्षाओं की परीक्षाओं में छात्रों को प्रश्नपत्र व उत्तरपुस्तिकाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा कई जिलों के परीक्षा केन्द्रों पर एक-एक कमरे में निर्धारित संख्या से अधिक छात्राओं को बैठाने व उनके लिए पीने का पानी मुहैया न कराने की भी शिकायते हैं। पहली पाली की परीक्षाएं सुबह 8 से 11 और दोपहर 2.30 से 5.30 बजे तक होंगी। मदरसा शिक्षा बोर्ड की परीक्षा के पहले दिन ही गोरखपुर, प्रतापगढ और शाहजहांपुर सहित कई जिलों में प्रश्नपत्र कम पड़ गये थे। बाद में पर्चा बाहर भेजकर उसकी फोटो कापी करवाकर छात्रों को दी गयी। इसको लेकर छात्रों ने जमकर हंगामा किया था। परीक्षा के दूसरे दिन शनिवार को कुशीनगर सहित कई जिलों में उत्तरपुस्तिकाओं की कमी पड़ गयी। मदरसा बोर्ड के एक सदस्य ने बताया कि बोर्ड ने सभी केन्द्रों पर पर्याप्त उत्तरपुस्तिकाएं भेजी थीं, लेकिन मदरसे के प्रबंधक कापियां दबा लेते हैं।

30 मई को होने वाली परीक्षाओं का कार्यक्रम

मुंशी : 30 मई को पहली पाली में फारसी नस्र व इंशा की व दूसरी पाली में अरबी अदब व कवायद की परीक्षा होगी। मौलवी : 30 मई को पहली पाली में तफसीर व अकाएद सुन्नी/शिया व दूसरी पाली में हदीस व उसूले हदीस तारीखे इस्लाम सुन्नी/शिया की परीक्षा होगी। आलिम : 30 मई को पहली पाली में फिका-ओ-फराएज और उसूले फिका व मंतिक इबतिदाई सुन्नी/शिया व दूसरी पाली में मंतिक और रियाजी, फलसफा, जदीद या मंतिकआला, कुलियात और तशरीह मुनाफिउल अजा, अंग्रेजी-1, हिन्दी-1 व उर्दू- 1 की परीक्षा होगी। कामिल प्रथम वर्ष अरबिक : 30 मई को पहली पाली में समाजी उलूम, इस्लामी तहजीब व सफाकत व दूसरी पाली में मकूलात, फारसी अदब, उर्दू अदब, तारीखुल इस्लाम सुन्नी, तारीखुल इस्लाम शिया, जनरल इंग्लिश व जनरल हिन्दी की परीक्षा होगी। फाजिल माकूलात फाइनल ईयर : 30 मई को पहली पाली में फारसी इंशा और इब्तिदाई अरबी व दूसरी पाली में मकूलात, मुफररिवाते कराबादीनियात और तिबेकानूनी, अंग्रेजी-1 व हिन्दी-1 की परीक्षा होगी। फजाइल माकूलात फाइनल ईयर : 30 मई को पहली पाली में फलसफा-ए-जदीद व दूसरी पाली में कलाम-ओ-तसव्वुफ की परीक्षा होगी। फाजिल तिब फाइनल ईयर : 30 मई को पहली पाली में आल्मुल कब्ला व दूसरी पाली में आल्मुल सुमूम व तिब-ए-कानूनी, हिफजान-ए-सेहत-ए-आमा तदबीर अबी जीमिया और तारीख-ओ-सियासियात-ए-तिब की परीक्षा होगी। फाजिल दीनियात सुन्नी व शिया फाइनल ईयर : तफसीर और उसूले तफसीर व दूसरी पाली में हदीस-ओ-उसूल-ए-हदीस की परीक्षा होगी। 28 मई को पहली पाली में फिकह व दूसरी पाली में उसूले फिकह की परीक्षा होगी। 30 मई को पहली पाली में तारीख व दूसरी पाली में इल्म-उल-कलाम तारीख- उल-मिलई की परीक्षा होगी। फाजिल अदब अरबिक फाइनल ईयर : 30 मई को पहली पाली में इंशा व दूसरी पाली में तहकीकी मुताला की परीक्षा होगी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,29.5.11)।

राजस्थान विविःकॉपियां जंची नहीं, कैसे आए परिणाम

Posted: 29 May 2011 10:50 AM PDT

राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित बड़ी परीक्षाओं के परिणाम 15 दिन में घोषित करने की योजना पर विवि के शिक्षक ही पलीता लगा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक कई परीक्षकों ने इस बार उत्तर पुस्तिकाओं के करीब 100 से अघिक बंडल बिना जांचे ही विश्वविद्यालय को वापस भेज दिए हैं। अब यह कॉपियां दूसरे परीक्षकों को भेजी जा रही हैं। इस स्थिति के कारण फिलहाल कुछ ही परिणाम ही घोषित किए जा सके हैं।
उधर विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि अभी तक घोषित किए गए सभी परिणाम समय पर घोषित हुए हैं। आगे भी परिणाम समय पर ही जारी होंगे। विवि ने अब तक डिप्लोमा सर्टिफिकेट और सेमेस्टर बेस्ड कोर्सेज के परिणाम सहित बड़ी परिक्षाओं के कुछ परिणाम घोषित किए हैं।
नहीं ली स्वीकृति
विभिन्न संकायों के बोर्ड ऑफ स्टडीज के समन्वयक परीक्षकों का पैनल तैयार करते हैं। इसी के अनुसार परीक्षा विभाग उन्हें कॉपियां जांचने के लिए भेजता है। कॉपियां जांचना शिक्षक की मर्जी पर ही निर्भर करता है। ऎसे में कई शिक्षकों की ओर से कॉपियां वापस लौटाए जाने पर विवि प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर पाता।
एक कॉपी के 10 और 15 रूपए

विश्वविद्यालय की ओर से कॉपी जांचने वाले शिक्षक को स्नातक की कॉपी के 10 और स्नातकोत्तर की कॉपी के 15 रूपए दिए जाते हैं। एक बंडल में 300 कॉपियां होती है। इस तरह प्रति बंडल 3000 और 4500 रूपए बनते हैं। जानकारी के मुताबिक कई शिक्षक अन्य विश्वविद्यालयों की कॉपियां भी जांचते हैं।
इनके परिणामों में देरी 
कॉपियां वापस लौटाने के कारण प्रमुख तौर पर सभी संकायों के प्रथम वर्ष के परिणाम पर असर पड़ सकता है। वापस लौटाए गए बंडलों में मुख्यतया अनिवार्य हिन्दी और अंग्रेजी के हैं। इसका एक कारण इन दोनों विषयों की छह अलग-अलग परीक्षाएं होना भी माना जा रहा है। जिससे परीक्षक पर भी काम का वजन बढ़ जाता है।
समय पर आएंगे
करीब 100 से अघिक उत्तरपुस्तिकाओं के बंडल बिना जांचे ही वापस आ गए। इससे थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन परिणाम समय पर ही जारी होंगे। अगली बार इस स्थिति को सुधारने के प्रयास करेंगे। 
पी.एल.रैगर, परीक्षा नियंत्रक, राजस्थान विश्वविद्यालय(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,29.5.11)

यूपी में विवि शिक्षकों को स्वास्थ्य बीमा सुविधा!

Posted: 29 May 2011 10:40 AM PDT

राज्य विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को शासन स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में नीति निर्धारित करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ प्रारंभिक बैठक हो चुकी है। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को चिकित्सीय प्रतिपूर्ति की सुविधा हासिल है। वहीं, राज्य विवि और अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षक व कर्मचारी इस सुविधा से वंचित हैं। विवि और अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की ओर से लंबे समय से शासन से यह मांग की जा रही थी। उत्तर प्रदेश विवि महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) भी इस संबंध में शासन को कई बार प्रत्यावेदन दे चुका है। शिक्षकों की मांग पर गौर फरमाते हुए फिलहाल शासन ने राज्य विवि के शिक्षकों और कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा सुविधा मुहैया कराने के लिए पहल की है। इस संबंध में सचिव उच्च शिक्षा अवनीश कुमार अवस्थी ने गत दिनों बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि विव के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को प्रस्तावित स्वास्थ्य बीमा कवर की सीमा क्या होनी चाहिए, उन्हें कितना प्रीमियम अदा करना होगा। इस पर कंपनी के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह तो शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या पर निर्भर करेगा। इस पर शासन ने सभी विश्वविद्यालयों से शिक्षकों और कर्मचारियों का ब्योरा तलब किया है। कुछ विश्वविद्यालयों ने शासन को यह ब्योरा उपलब्ध भी करा दिया है। बैठक में कंपनियों से स्वास्थ्य बीमा सुविधा मुहैया कराने के लिए अपनी शर्तें मुहैया कराने के लिए भी कहा गया है(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5.11)।

महिला शिक्षकों की भर्ती में फिर पिछड़ा यूपी बोर्ड

Posted: 29 May 2011 10:30 AM PDT

स्नातक वेतन क्रम के तहत राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालयों में महिला शिक्षकों की सीधी भर्ती की वरिष्ठता सूची शनिवार को जारी कर दी गयी। इस भर्ती प्रक्रिया में यूपी बोर्ड की अभ्यर्थी फिर से पिछड़ गयी है तथा सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड की छात्राओं ने बाजी मार ली है। राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालयों में स्नातक वेतनक्रम के तहत लखनऊ मण्डल में विभिन्न विषयों के 450 पदों पर सीधी भर्ती की जानी थी। इन पदों पर मण्डल में 60,000 छात्राओं ने आवेदन किया था। इसी प्रकार पूरे प्रदेश में विभिन्न विषयों के 32 सौ पदों पर भर्ती के लिए लगभग आठ लाख छात्राओं ने आवेदन पत्र भरे थे। शनिवार को इन सभी पदों की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गयी है। इसमें जीव विज्ञान सामान्य वर्ग की मेरिट सभी विषयों के सापेक्ष सबसे अधिक 99.99 फीसद गयी है। इसी वर्ग में संस्कृत विषय की मेरिट 91.36 फीसद तथा विज्ञान/गणित विषय की मेरिट 90.79 फीसद रही। वरिष्ठता सूची की जानकारी संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,29.5.11)।

पंजाब विवि में कापी जांचने वालों का टोटा

Posted: 29 May 2011 10:20 AM PDT

पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) में परास्नातक कक्षाओं के नतीजे लेट होने के आसार हैं, क्योंकि विवि को कापियां जांचने के लिए कई विषयों के परीक्षक ही नहीं मिल रहे हैं। परीक्षा नियंत्रक ने विवि के उपकुलपति को परीक्षकों की किल्लत की जानकारी देकर समस्या का निदान कराने का अनुरोध किया है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत, स्नातक कक्षाओं की कापियां जांच रहे शिक्षकों को परास्नातक कक्षाओं की कापियां जांचने के काम में लगाने पर विचार किया जा रहा है। पंजाब विवि की परास्नातक छात्र-छात्राओं की परीक्षा 18 मई को समाप्त हुई थी। विवि ने कापियों की त्वरित जांच के लिए परिसर में स्थित जिम्नेजियम हॉल में व्यवस्था कराई और 20 मई से कापियों की जांच का काम शुरू करा दिया। छात्र-छात्राओं की कापियों तो समय से हॉल में पहुंच गईं, लेकिन निरीक्षक नहीं पहुंचे। सूत्रों के अनुसार पंजाबी के पेपर-1 जांचने को 27 टीचर मांगे गए थे। इनमें से मात्र 5 पहुंचे। पेपर-2 की जांच की खातिर 23 टीचर मांगे गए महज 3 ही पहुंचे। पेपर-3 के लिए 22 टीचरों की मांग के मुकाबले केवल 2 ही टीचर उपलब्ध हुए। इतिहास विषय में भी स्थिति गंभीर है। इतिहास के ऑप्शन-एक के पेपर जांचने के लिए 21 टीचर मांगे गए थे, पर उपलब्ध हुए केवल तीन। ऑप्शन- दो के पेपर जांचने के लिए 12 टीचर मांगे गए थे, उपलब्ध हुआ केवल एक। ऑप्शन तीन के लिए 17 टीचर मांगे गए थे, पर मिले केवल दो। सूत्रों के अनुसार अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स), पॉलिटिकल साइंस (राजनीति शास्त्र) और इंग्लिश में भी हालात बहुत खराब हैं। अकेले पंजाबी विषय की बात करें तो 5818 कापियां जांच के लिए पहुंची हुई हैं। इतिहास विषय में भी 5 हजार से ऊपर कापियां जांचनी हैं। इकोनॉमिक्स, पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में भी 20 हजार से ऊपर कापियां हैं, जिनकी जांच की जानी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फिलहाल योजना बनाई है कि बीए के पेपरों की मार्किग कर रहे कुछ टीचरों को पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाओं के पेपर जांचने में लगा दिया जाए। वैकल्पिक व्यवस्था के प्रबंध भी किए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पेपर जांचने की डेडलाइन जून तक तय की है। जिस गति से चेकिंग का काम चल रहा है, लाजिमी तौर पर रिजल्ट लेट आने की आशंका है। पोस्ट ग्रेजुएट विषयों के पेपर जांचने को टीचरों को प्रति कापी 14.50 पैसे का बढि़या मानदेय भी मिल रहा है। 

सिंडिकेट का फैसला नहीं हो पाया लागू : 
पंजाब विवि की सिंडिकेट में कई माह पूर्व फैसला हुआ था कि विवि के एक शिक्षक को साल में 250 पेपर जरूर जांचने होंगे। शिक्षक संघों के दबाव में आज तक यह फैसला लागू नहीं हो पाया है। सब विभागों के बोर्ड ऑफ कंट्रोल विभिन्न विषयों के पेपरों को जांचने के लिए टीचरों का पैनल भेजते हैं, जिन्हें परीक्षा पूर्व सूचना दी जाती है, लेकिन वे कॉपियां जांचने में रुचि नहीं दिखाते(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,29.5.11)।

सीआईआई 50 हजार एससी एसटी युवाओं को देगी रोजगार

Posted: 29 May 2011 10:10 AM PDT

सीसीआई 50 हजार एससी, एसटी युवाओं को प्रशिक्षण देगा। यही नहीं करीब इतने ही युवाओं को साल 2011-12 में रोजगार भी दिया जाएगा। शनिवार को सीआईआई अध्यक्ष बी मुथुरमन ने यह घोषणा की। वह उत्तरी क्षेत्र के सदस्यों को संबोधित करने के बाद मीडिया से मुखातिब थे।

उन्होंने कहा कि यदि देश को ग्लोबल डेस्टिनेशन बनना है तो ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रोत्साहन को आधार बनाकर एक कोड ऑफ कंडक्ट विकसित करें। साथ ही साल 2011-12 में जीडीपी में 8.6 फीसदी वृद्धि तभी संभव है जब कुछ फैक्टर हमारे पक्ष में हो। इसमें बेहतर मानसून, वैश्विक जिंस कीमतें, मौद्रिक नीति की कसावट में कम से कम संयम, निवेशकों में जोश लाने के लिए सुधार तथा मजबूत डिमांड में निरंतरता शामिल हैं।

हालांकि तेल कीमतों में इजाफा इस वृद्धि को खतरा पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि सीआईआई दलित चैंबर्स ऑफ इंडिया के साथ काम कर रहा है। सीआईआई का लक्ष्य एससी-एसटी वर्ग से संबंध रखने वाले उद्यमियों को 10 से 20 फीसदी का माल और सेवाओं को स्रोत बनाना है।

नए स्किल डेवलपमेंट हब्स और स्किल गुरुकुल भी


मुथुरमन ने चार नए सीआईआई स्किल डेवलपमेंट हब्स तथा 30 नए जिला स्तरीय स्किल गुरुकुल गठित करने की घोषणा भी की। इनमें से 5 स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स उत्तरी भारत में गठित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत एक खंडित बाजार बन चुका है। इसे एकल बाजार बनाने के प्रयास होने चाहिए। उद्योगों और सर्विस सेक्टरों के लिए जीएसटी गठित कर कॉमन मार्केट की पूर्ति की जाए। सभी राज्यों में एपीएमसी अधिनियम को लागू किया जा सके। इसी के साथ असेंशियल कमोडिटी एक्ट खत्म कर कृषि उपज की फ्री मूवमेंट की जा सके। उन्होंने बताया कि जीएसटी को लागू किए जाने पर सीआईआई-पॉलिटिकल लीडरशिप इंटरफेस और सीआईआई-स्टेट गवर्नमेंट इंटरफेस को काफी प्रोत्साहन मिला है(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,29.5.11)।

शब्दों के साथ संस्कृतियों का सफर

Posted: 29 May 2011 10:00 AM PDT

मनुष्य जब एक जगह से दूसरी जगह जाता है तो अपने साथ शब्द भी ले जाता है। इस तरह मनुष्यों के साथ-साथ शब्द भी देश-काल की यात्रा करते रहते हैं। दो भिन्न समाज जब एक दूसरे के संपर्क में आते हैं, तो खान-पान, रहन-सहन के साथ-साथ भाषा के स्तर पर भी एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसी के चलते विभिन्न भाषाओं में अनेक ऐसे शब्द प्रचलन में आते हैं, जो ध्वनि और अर्थ के स्तर पर एक दूसरे से काफी समानता रखते हैं। पत्रकार अजित वडनेरकर ने अपनी पुस्तक 'शब्दों का सफर' में शब्दों के जन्मसूत्र से लेकर विभिन्न भाषाओं में उनकी यात्रा को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।


अजित बिल्कुल आम बोल चाल की भाषा में किसी एक शब्द को उठाते हैं, उसकी जन्मकथा बताते हैं। फिर अन्य भाषाओं में उस शब्द के भाव को व्यक्त करने वाले उससे मिलते-जुलते अन्य शब्दों का संधान करते हैं और भाषा विज्ञान के सिद्धांतों का सहारा लेकर इन शब्दों के निर्माण की अंतर्प्रक्रिया का खुलासा करते हैं। जैसे बैगन शब्द की यात्रा को देखिए- 'दुनिया भर की भाषाओं में बैगन के लिए अलग-अलग रूप मिलते हैं, मगर ज्यादातर के मूल में संस्कृत शब्द वातिंगमः ही है। संस्कृत से यह शब्द फारसी में बादिंजान बनकर पहुंचा, वहां से अरबी जुबान में इसका रूप हुआ अल-बादिंजान। अरबी के जरिए ये स्पेनी में अलबर्जेना हुआ, वहां से केटलान में ऑबरजीन और फिर अंग्रेजी में हुआ ब्रिंजल।'
अजित की इस किताब की एक विशिष्टता यह भी है कि वे पाठक को शब्दों के साथ सफर कराते-कराते विभिन्न संस्कृतियों की भी सैर करा देते हैं। मसलन ख्वाजा शब्द की व्याख्या करते हुए वे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और खोजा नसरुद्दीन तक की अंतर्कथाएं भी बताते चलते हैं।

विभिन्न भाषाओं के बीच एक्य की तलाश करते हुए वे बताते हैं कि संस्कृत का ऋषि किस तरह फारसी के रशद या रुश्द (जिसका अर्थ है सन्मार्ग, दीक्षा या गुरु की सीख)का भाईबंद है। रुश्द से ही बना है रशीद जिसका मतलब है ज्ञान पाने वाला। यही शब्द अरबी में जाकर मुर्शिद का रूप ले लेता है। 

शब्दों के जन्मसूत्र की तलाश मुख्यतः व्युत्पत्ति विज्ञान का विषय है, लेकिन अजित न सिर्फ भाषाविज्ञान की अन्य प्रशाखाओं को हिलाते-डुलाते हैं, बल्कि बात को सिरे चढ़ाने के लिए अन्य विषयों का भी दरवाजा खटखटाने से गुरेज नहीं करते हैं। यही वजह है कि यह किताब आपको भाषा विज्ञान, समाजविज्ञान, भूगोल और इतिहास जैसे विविध विषयों से रूबरू कराती है। शाबाश की चर्चा करते हुए वे इतिहासकार की तरह ईरान के शाह अब्बास तक पहुंचते हैं, तो महिला और मेहतर जैसे शब्दों की व्याख्या करते हुए उनका समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण प्रमुखता से नजर आता है कि किस तरह एक ही धातु से बने ये दोनों शब्द कालांतर में अपनी महत्ता खो बैठे। दोनों ही शब्द मह धातु से बने हैं, जिसमें गुरुता का भाव है।

एक ही धातु से उपजे ये दोनों महान शब्द विषमतामूलक-समाज व्यवस्था में इतने अवनत हुए कि अपना मूल अर्थ ही खो बैठे। शब्द-दर-शब्द सफर करते हुए स्पष्ट होता है कि लेखक की दृष्टि बहुआयामी है और वह शब्दों के बहाने आपको बहुत कुछ दिखाना चाहता है। दरअसल अजित वडनेरकर इस प्रयास के जरिए दुनिया के विभिन्न मानव समूहों में सांस्कृतिक वैभिन्य के बीच एकता के सूत्रों की तलाश करते हैं। ख्यात कोशकार अरविंद कुमार ने बिल्कुल ठीक ही कहा है कि यह मानवता के विकास का महासफर है।

गहन शोधपरक इस सफरनामेके पहले पड़ाव में ही अजित ने 52 किताबों, 49 वेब संदर्भों का हवाला दिया है। पर अजित की मेहनत इससे भी कहीं बहुत ज्यादा है। शोध और श्रम से तैयार यह किताब शोधकर्ताओं और आम पाठक के लिए समान रूप से उपयोगी है(अरुण आदित्य,अमर उजाला,28.5.11)।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालयःअगले सत्र से आचार्य पाठ्यक्रम में सेमेस्टर

Posted: 29 May 2011 09:58 AM PDT

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में आगामी सत्र से आचार्य (एमए) पाठ्यक्रम में सेमेस्टर सिस्टम लागू हो जाएगा। शनिवार को परीक्षा समिति ने सेमेस्टर सिस्टम लागू किए जाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति की मुहर लगा दी है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने की स्वीकृति के साथ ही कोर्स को नए प्रारूप में विभाजित करने की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है।
शनिवार को विवि परिसर में कुलपति डा. सुधारानी पांडेय की अध्यक्षता में परीक्षा समिति की बैठक हुई। बैठक में यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार आचार्य पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर सिस्टम लागू किए जाने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अभी तक केवल प्रोफेशनल्स कोर्सेज में ही सेमेस्टर सिस्टम लागू था लेकिन अब सभी आचार्य पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जाएगा। सेमेस्टर सिस्टम की यह व्यवस्था विवि परिसर सहित प्रदेश के समस्त संबद्ध संस्कृत महाविद्यालयों में लागू होगी(अमर उजाला,हरिद्वार,29.5.11)।

यूपी का अरबी-फारसी बोर्डःपाठ्यक्रम के बाहर से पूछे जा रहे प्रश्न, परीक्षार्थी बेहाल

Posted: 29 May 2011 09:40 AM PDT

अरबी-फारसी बोर्ड के परीक्षार्थी पहले ही संसाधनों के अभाव में किसी प्रकार परीक्षा दे रहे हैं। ऊपर से प्रश्नपत्र में पाठ्यक्रम से इतर सवाल दिए जाने से उनकी दिक्कतें और भी बढ़ गई हैं। यह दिक्कत पहले दिन भी आई थी। नतीजन दूसरे दिन कुल ३७५ परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी।
अर्दली बाजार स्थित मदरसा खानम जान के प्रधानाचार्य मौलाना ताहिर के अनुसार यहां पहले दिन ७८३ परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। दूसरे दिन ५४ विद्यार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए। मदनपुरा स्थित मदरसा रहमानिया में १५५२ परीक्षार्थियों में ३२१ ने परीक्षा छोड़ी। अन्य केंद्रों से भी परीक्षार्थियों के परीक्षा छोड़ने की जानकारी मिली है। जानकारों का कहना है कि परीक्षा छोड़ने के पीछे पाठ्यक्रम के बाहर से प्रश्न पूछा जाना है। परीक्षा के दौरान स्थिति का जायजा लेने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बिनोद जायसवाल सदल-बल परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे। मदनपुरा निवासी परीक्षार्थी अरशद जमाल, मोहम्मद आरिफ, अफजाल अंसारी का कहना है जो पाठ और प्रश्न हमने पढ़े ही नहीं हैं उसका उत्तर कैसे दे सकते हैं। अरशद ने बताया कि उसके दो मित्रों मोहम्मद जुबैर और सलीम सिद्दीकी ने इसी कारण परीक्षा छोड़ दी है। दो पालियों में परीक्षा होना भी परीक्षार्थियों को रास नहीं आ रहा है। मदनपुरा स्थित मदरसा रहमानिया में परीक्षा दे रही छात्राएं जैदुन निशा, तरन्नुम, जन्नत बानो ने बताया कि हम लोग काफी दूर से परीक्षा देने आते हैं। दूसरी पाली की परीक्षा के लिए हमें तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ता है(अमर उजाला,वाराणसी,29.5.11)।

यूपीपीजीएमई की लगभग सभी सीटें लॉक

Posted: 29 May 2011 09:30 AM PDT

उंसिग में अभ्यर्थियों ने 29 सीटे लॉक की।अब आरक्षित वर्ग की शेष बची चार सीटों एमडी,एमएम व एक डेंटल की सीट भरना शेष है। चिकित्सा शिक्षा के अपर निदेशक डा. के सी रस्तोगी ने बताया कि यूपीपीजीएमई में काउंसलिंग के दूसरे दिन कमांड अस्पताल की शेष बची चार सीटे तुरंत सुबह ही लॉक हो गयी। इसके बाद अन्य बची सीटों पर शाम तक काउंसलिंग में आरक्षित वर्ग की चार सीटे ही बची है। उन्होंने बताया कि सामान्य व पिछड़े वर्ग की लगभग सभी सीटे लॉक हो चुकी है(राष्ट्रीयसहारा,लखनऊ,29.5.11)।

गढ़वाल विश्वविद्यालयःएनएसएस बी और सी सर्टिफिकेट परीक्षा परिणाम घोषित

Posted: 29 May 2011 09:20 AM PDT

गढ़वाल विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) बी और सी सर्टिफिकेट परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। विवि की वेबसाइट पर परिणाम देखा जा सकता है। सफल अभ्यर्थी अपने कालेज के एनएसएस अधिकारी से प्रोविजनल सर्टिफिकेट ले सकते हैं।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ की ओर से 'बी' एवं 'सी' प्रमाणपत्र के लिए छह मार्च को परीक्षा आयोजित की गई थी। विवि से संबद्ध कुल 68 केंद्रों पर परीक्षा में लगभग 24 हजार स्वयंसेवियों ने भाग लिया था। इनमें 14 हजार माध्यमिक कक्षाओं, छह हजार उच्च शिक्षा (महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय), एक हजार संस्कृत कक्षाओं और एक हजार प्राविधिक शिक्षा के छात्र-छात्राएं शामिल थे। विवि के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया है। विवि की वेबसाइट पर परिणाम अपलोड किया जा चुका है। छात्र जिला समन्वयक से भी जानकारी ले सकते हैं। सफल अभ्यर्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस सर्टिफिकेट का लाभ उठा सकते हैं(अमर उजाला,देहरादून,29.5.11)।

राजस्थानःपॉलिटेक्निक में दाखिले का कार्यक्रम तैयार

Posted: 29 May 2011 09:10 AM PDT

राज्य के पॉलीटेक्निक कॉलेजों में आवेदन प्रक्रिया जल्द प्रारंभ होगी। प्रवेश कार्यक्रम तैयार है। प्राविधिक शिक्षा मंडल की स्वीकृति के बाद कॉलेजों में फार्म मिलेंगे। प्रदेश भर में डिप्लोमा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश होने हैं। राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज, अजमेर यह प्रक्रिया अंजाम देगा। कॉलेज ने आवेदन तिथि, प्रथम और द्वितीय सीट आवंटन, विद्यार्थियों की रिपोर्टिग, अपवर्ड मूवमेंट और अन्य कार्यक्रम बना लिया है।
जून में फार्म

अधिकृत सूत्रों के मुताबिक पॉलीटेक्निक कॉलेजों में संभवत: जून के प्रथम अथवा द्वितीय सप्ताह में फार्म मिलने शुरू होंगे। आवेदन पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि जुलाई के दूसरे पखवाड़े में होगी। प्राविधिक शिक्षा मंडल की मंजूरी के बाद अधिकृत तिथियां घोषित की जाएंगी।
पॉलीटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य पी.सी.मकवाना के अनुसार इस बार सीटों की संख्या करीब 35 से 45 हजार और कॉलेजों की तादाद दो सौ तक पहुंच सकती है। सरकार से अधिकृत सूची मिलने के बाद सीटों की स्थिति स्पष्ट होगी(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,29.5.11)।

यूपीःनहीं शुरू हो सकी शारीरिक शिक्षा की अनिवार्य पढ़ाई

Posted: 29 May 2011 09:00 AM PDT

प्रदेश में शारीरिक शिक्षा व खेल को बढ़ावा देने के लिए सात वर्ष पहले शासनादेश जारी हुआ था। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों व राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद भी सृजित हो गये, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश के 12 विविद्यालयों में से सिर्फ दो विविद्यालयों में ही शारीरिक शिक्षा व खेल की अनिवार्य पढ़ाई शुरू हो सकी। शासनादेश पर अमल न करने वाले दस विविद्यालयों में लखनऊ विविद्यालय भी शामिल है। शारीरिक शिक्षा व खेल अनिवार्य विषय के रूप में सिर्फ चौधरी चरण सिंह विविद्यालय मेरठ व ज्योतिबाफुले विविद्यालय रुहेलखण्ड बरेली में ही लागू हो सका है। लखनऊ विविद्यालय के अफसर शासनादेश पर अमल न होनेको लेकर अब अपना दामन बचाने में जुटे हैं। विविद्यालय प्रशासन अब जुलाई में विद्वत परिषद की बैठक में निर्णय लेने की बात कह रहा है। राज्य सरकार ने वर्ष 2004 में 30 जून को शासनादेश जारी कर प्रदेश के 266 सरकारी सहायता प्राप्त व सभी 111 राजकीय महाविद्यालयों में खेलकूद व शारीरिक शिक्षा अनिवार्य कर दी थी। इस बावत एक फरवरी 2006 व वर्ष 2007 में भी इस बावत शासनादेश हुए, लेकिन सूबे के विविद्यालयों की प्राथमिकता ही बदल गयी। इस शासनादेशों के तहत सभी छात्रों को तीन वर्ष में एक बार परीक्षा पास करनी थी। इसके लिए पूरे प्रदेश में 20 खेलों को निर्धारित कर दिया गया था। इनमें विविद्यालयों को कोई पांच खेलों का चयन करना था। शारीरिक शिक्षा के तहत इन पांच खेलों में से छात्र को एक खेल चुनकर उसकी लिखित व प्रयोगात्मक परीक्षा पास करनी थी। खेलों के मैदान के अभाव में जिलाधिकारी व जिला क्रीड़ा अधिकारी के स्तर से मैदान का आवंटन कराना था, लेकिन इसको लागू नहीं कराया जा सका। सात वर्ष तक विविद्यालयों ने शासनादेश को तवज्जो ही नहीं दी। लखनऊ विविद्यालय के विद्वत परिषद में शारीरिक शिक्षा एक विषय के रूप में पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार हो गया और कार्यपरिषद से मंजूरी भी मिल गयी, लेकिन किसी ने शासनादेश पर ध्यान ही नहीं दिया। शासनादेश के मुताबिक शारीरिक शिक्षा व खेल एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से लागू किया जाना था। विविद्यालय के कुलसचिव जीपी त्रिपाठी का कहना है कि पिछले वर्ष बीपीएड के दाखिलों में एनसीटीई के इनकार के बाद शारीरिक शिक्षा वैकल्पिक विषय के रूप में लागू की गयी, लेकिन अब इसे अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने के लिए विविद्यालय स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया गया है। शासनादेश कुलपति प्रो. मनोज कुमार मिश्र के संज्ञान में लाया गया है। जुलाई में विद्वत परिषद की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा और नये शैक्षिक सत्र से इस पर अमल संभव है। लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डा. मौलेन्दु का कहना है कि जब राष्ट्रगौरव को पढ़ाने का निर्णय शासनादेश पर हो सकता है तो शारीरिक शिक्षा व खेल को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने का शासनादेश लागू करने में विविद्यालय को क्यों परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि शासनादेश इतने दिनों तक दबाये क्यों रखा गया(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,29.5.11)।

राजस्थानःफेल स्वयंपाठी होंगे नियमित

Posted: 29 May 2011 08:51 AM PDT

अब ऎसे विद्यार्थी जो राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में स्वयंपाठी के रूप में फेल हो गए हैं। उन्हें पुन: उसी कक्षा में नियमित प्रवेश दिया जा सकता है। भले ही विद्यार्थी पिछली कक्षा में फेल हुआ हो या पास। शिक्षा बोर्ड की परीक्षा समिति ने संशोधन को हरी झंडी दे दी है।
बोर्ड ने इस संबंध में निर्देश जारी करके स्कूलों के भ्रम को समाप्त करने का फैसला किया है। पिछले साल बोर्ड ने आदेश जारी किए थे कि अब दसवीं या बारहवीं में नियमित प्रवेश के लिए नवीं या ग्यारहवीं कक्षा में पास होना जरूरी नहीं है। बोर्ड के इस आदेश की भाषा से स्कूलों में भ्रम की स्थिति थी। अब बोर्ड ने इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं। इन आदेशों को परीक्षा समिति ने मंजूरी दे दी है। आगामी आठ जून को होने वाले बोर्ड अधिवेशन में इस पर मंजूरी को मोहर लगेगी।
यह हैं आदेश
माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षा में स्वयंपाठी परीक्षार्थी के रूप में अनुत्तीर्ण रहे परीक्षार्थियों को माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षा में नियमित परीक्षार्थी के रूप में प्रवेश दिया जा सकेगा। ऎसे परीक्षार्थियों को कक्षा 9 व 11 में उत्तीर्ण-अनुत्तीर्ण की बाध्यता नहीं होगी।
इसलिए जारी हुए आदेश
बोर्ड की ओर से जारी आदेशों के बावजूद स्कूलों में भ्रम की स्थिति थी। कई जिलों में स्कूल, आदेशों के स्पष्ट नहीं होने की बात कह कर पिछली कक्षा में फेल विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दे रहे थे। अब ऎसे स्कूलों के पास बहाना नहीं रहेगा।

इनका कहना है 
कई स्कूलों में भ्रम की स्थिति थी। हमने अब स्पष्ट कर दिया है कि ऎसे कोई भी विद्यार्थी जो दसवीं या बारहवीं की परीक्षा में स्वयंपाठी परीक्षा देकर फेल हो गया, वह अगले सत्र में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश ले सकता है। 
डॉ. सुभाष गर्ग, अध्यक्ष, शिक्षा बोर्ड(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,29.5.11)

सुपर थर्टी को देखो जयराम! आनंद कुमार को देखो

Posted: 29 May 2011 08:40 AM PDT

पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आईआईटी और आईआईएम की फैकल्टी को जलील करने वाला बयान आईआईटी-जेईई परीक्षा परिणाम आने के सिर्फ दो दिन पहले दिया। उन्हें शायद अंदाजा नहीं होगा कि इन संस्थानों की फैकल्टी के वर्ल्ड क्लास न होने के शिकवे वाला उनका बयान सिर्फ 48 घंटे बाद 'थर्ड क्लास' साबित हो जाएगा!
जयराम ने कहा था कि हमारे आईआईटी और आईआईएम संस्थानों के स्टूडेंट तो वर्ल्ड क्लास हैं लेकिन उनकी फैकल्टी ऐसी नहीं है। वहां उत्तम श्रेणी का रिसर्च नहीं होता। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने इन बयानों पर अपने अंदाज में तीर छोड़ा। बयानों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि, 'जब तक भारत में वर्ल्ड क्लास मिनिस्टर नहीं होंगे, तब तक वर्ल्ड क्लास टीचर भी नहीं हो सकते।'
आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर ने भी सुलगता जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जयराम रमेश ने 'जबर्दस्त अज्ञान' (ट्रिमेंडस इग्नोरेंस) का परिचय दिया है। अगर स्टूडेंट ही वर्ल्ड क्लास हैं और फैक



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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