'ब्राह्मण' संपादक ने 'क्षत्रिय' पत्रकार भगाए!
http://bhadas4media.com/print/5652-hindustan-ranchi.htmlरांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.
डरे हुए हैं कि कहीं उनकी बारी न आ जाए. तबादला आदेश पर 8 जुलाई की देर रात मुहर लगी है. उधर, इस तबादले को जातीय नजरिए से भी देखा जा रहा है. तीन गैर-ब्राह्मणों के तबादले को रांची यूनिट में ब्राह्मणवाद के पैर को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गई कार्यवाही बताया जा रहा है. एक जमाने में जब हरिनारायण सिंह रांची के संपादक हुआ करते थे तो इस यूनिट पर क्षत्रियवाद के आरोप यदा-कदा लगते रहे हैं.
अब अशोक पांडेय के आने के बाद गैर-ब्राह्रण पत्रकार परेशान हैं और मान रहे हैं कि तीन क्षत्रियों के तबादले के बाद बाकी गैर-ब्राह्रणों पर कभी भी गाज गिराई जा सकती है या उन्हें साइडलाइन किया जा सकता है. वैसे भी मीडिया में सवर्णों, खासकर ब्राह्मणों के भरे होने के किस्से, खबरें, चर्चाएं आदि समय-समय पर होती रहती हैं. रांची यूनिट में अचानक तीन गैर-ब्राह्मणों का एकसाथ तबादला कर दिए जाने के बाद पान-चाय की दुकानों पर खड़े होकर विश्लेषण करने वाले मीडिया विश्लेषक इसे जातीय नजरिए के आधार पर देखकर विश्लेषित कर रहे हैं और कुछ तो संपादक अशोक पांडेय के ब्राह्मण प्रेम के अतीत के किस्से पता करते अपने अगल-बगल वालों को सुना रहे हैं.
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि जिन लोगों का तबादला किया गया है, उनके बारे में हिंदुस्तान प्रबंधन को सूचना मिली थी कि ये लोग भास्कर प्रबंधन से संपर्क में हैं और जल्द ही हिंदुस्तान से इस्तीफा दे सकते हैं, इसलिए तबादला किया गया. पर दूसरी तरफ, तबादले के शिकार लोगों के करीबियों का कहना है कि भास्कर वालों ने तो हर हिंदुस्तानी से संपर्क साधा था, तो क्या इस आधार पर हर किसी का तबादला नहीं कर देना चाहिए, केवल तीन को ही क्यों निशाना बनाया गया, और उन्हीं तीन को निशाना बनाया गया जो ब्राह्मण नहीं थे. फिलहाल, हिंदुस्तान, रांची में कार्यरत लोग इन तीन तबादलों को अपने-अपने तरीके से व्याख्यायित करने में जुटे हुए हैं.
written by ak mishra, July 09, 2010
written by prashant kumaar, July 09, 2010
written by vijaya, July 09, 2010
written by Sarla, July 09, 2010
Hamey her cheeze ko negative nahi dekhna chaiye
written by Sunil kaushik kanina, July 09, 2010
Sunil kaushik kanina(Haryana)
नागपुर पुलिस का डंडा और पत्रकारिता: सच के पक्ष में आएं पुलिस आयुक्त : प्रेस, पुलिस, पब्लिक के बीच परस्पर सामंजस्य को कानून-व्यवस्था के लिए आवश्यक मानने वाले आज निराश हैं। दुखी हैं कि इस अवधारणा की बखिया उधेड़ी गई कानून-व्यवस्था लागू करने की जिम्मेदार पुलिस के द्वारा! ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैं मजबूर हूं अपने इस मंतव्य के लिए कि सोमवार 5 जुलाई को भारत बंद के दौरान नागपुर पुलिस ने अमर्यादा का जो नंगा नाच दिखाया उससे पूरा पुलिस महकमा विवेकहीन, अनुशासनहीन दिखने लगा है। दो दशक बाद नागपुर पुलिस का डंडा कर्तव्यनिर्वाह कर रहे पत्रकारों पर पड़ा। | |
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'ब्राह्मण' संपादक ने 'क्षत्रिय' पत्रकार भगाए!
रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबा...
भास्कर की लांचिंग पर छाए काले बादल
: संजय अग्रवाल कोर्ट से स्टे लाए : आरएनआई में आपत्ति खारिज हो गई थी : आरएनआई...
संपादक से परेशान तीन पत्रकारों ने प्रभात खबर छोड़ा
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- एचटी, झारखंड के रिपोर्टिंग हेड बने मूर्ति
मुझे मेरे डेस्क इंचार्ज से बचाओ!
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सूचना आ रही है कि स्टार न्यूज के डिप्टी एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर संतोष राज न...
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नागपुर पुलिस का डंडा और पत्रकारिता
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- उदयन के जन्मदिन पर आप निमंत्रित हैं
- द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी गोरखपुर में 26 से
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योगेश जोशी भास्कर डाट काम में डीएनई बने
भड़ास4मीडिया को सूचना मिली है कि वरिष्ठ पत्रकार योगेश जोशी ने भास्कर डॉट कॉम में बतौर डिप्...
गुजर गईं शांताजी
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- प्रसिद्धि की इच्छा नहीं थी अग्निहोत्रीजी में
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- पत्रकारों की मीटिंग से भगाए गए पुलिसकर्मी
- पत्रकार हेम का पार्थिव शरीर दिल्ली में
- मीडियाकर्मियों के दुश्मन हैं ये पुलिसवाले!
- ''आपका लड़का वेंटिलेटर पर है''
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वीरेन डंगवाल उर्फ वीरेनदा बरेली कालेज से रिटायर हो गए. 30 जून का दिन वीरेन डंगवाल के लिए क...
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- 'राजेन्द्र बोहरा स्मृति काव्य पुरस्कार' के लिए आवेदन आमंत्रित
- पत्रकार रविन्द्र दाणी की पुस्तक विमोचित
- 'बनास' का 'काशी का अस्सी' पर केंद्रित अंक
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- पत्रकार कलानिधि की किताब का विमोचन
- 'पंचतंत्र' की परंपरा और 'प्रेम की भूतकथा'
राममोहन पाठक व उनके पुत्रों पर मुकदमा
: चेतगंज थाने में मूर्ति चोरी की एफआईआर दर्ज : महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, मह...
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- सुरेन्द्र दुबे 'ब्रेकिंग न्यूज एक्सप्रेस' के सलाहकार सम्पादक बने
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मेरे को मास नहीं मानता, यह अच्छा है
इंटरव्यू : हृदयनाथ मंगेशकर (मशहूर संगीतकार) : मास एक-एक सीढ़ी नीचे लाने लगता है : जीवन में जो भी संघर्ष किया सिर्फ ज़िंदगी चलाने के लिए किया, संगीत के लिए नहीं : आदमी को पता चलता ही नहीं, सहज हो जाना : बड़ी कला सहज ही हो जाती है, सो...
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- रामोजी राव संग काम करना स्पीरिचुवल प्लीजर
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- काटे नहीं कट रही थी वो काली रात : सुप्रिय प्रसाद
- कोशिश करके भी वामपंथी न बन सका : सुभाष राय
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- लगता था, क्रांति अगले बस स्टाप पर खड़ी है
- ग्लास गिरा तो लगा- गुरु, अब तो नौकरी गई
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- मेरे अंदर काफी गुस्सा है, मैं क्रोधित हूं : वीरेन डंगवाल
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