भू डोल , ज़लज़ला , भूकम्प , अर्थ क्वेक
पहाड़ों में भूकंप से पर्यावरण के बारुदी सुरंगों में धमाका।राजधानियों की सेहत पर कोई असर नहीं।आपदा प्रबंधन सुशुप्त है।
पलाश विश्वास
राष्ट्रीय भूकंप ब्यूरो के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5.8 थी। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के पीपलकोटि को बताया जा रहा है। भूकंप जमीन के 33 किलोमीटर नीचे आया था और 7-10 सेकेंड तक झटके महसूस किए गए. देहरादून और हरिद्वार में अपेक्षाकृत ज्यादा तेज झटके महसूस हुए।
फिलहाल उत्तराखंड में लोग भूकंप के बाद आने वाले झटकों के खौफ में घर नहीं जा रहे। रुद्रप्रयाग डीएम रंजना के अनुसार, आपदा केंद्र को पूरी तरह से एक्टिव कर दिया गया है। सभी पुलिस थानों और तहसील से जानकारी जुटाई जा रही है। अभी तक कहीं से भी जनहानि की कोई सूचना नहीं है। वहीं अभी तक यह भी साफ नहीं हो सका है कि भूकंप का केंद्र रुद्रप्रयाग है या फिर पीपलकोटी। पीपलकोटी चमोली जिले में आता है और यह रुद्रप्रयाग को पड़ोसी जिला है। डीएम ने बताया कि भूकंप के झटके महसूस करने के बाद हम और सारा स्टाफ क्वार्टरों से बाहर आ गया। भूकंप के तेज झटके दो बार महसूस किए गए।
देहरादून, चमोली, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ और ऋषिकेश समेत उत्तराखंड के कई शहर भूकंप के तेज झटकों से कांप उठे। झटके इतने तेज थे कि लोग नींद से जाग गए। घबराकर लोग निकलकर बाहर आ गए।
उत्तराखंड टुडे के मुताबिक,रुद्रप्रयाग रहा भूकंप रहा केंद्र, हल्द्वानी-देहरादून के लोगों ने बताई आप बीती । NDRF टीमें हाई अलर्ट पर
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राजीव नयन बहुगुआ का शब्द चित्र सटीक हैः
भू डोल , ज़लज़ला , भूकम्प , अर्थ क्वेक
भूकम्प और भालू अक्सर पुनः लौट कर आते हैं , और ज़्यादा शिद्दत से धावा बोलते हैं । हड़बड़ाना मत । धैर्य रखना । दिवार से तुरन्त अलग हट कर खड़े हों । दरवाज़े की कुण्डी मत लगाना । सीढ़ियों से बाहर भागना , लिफ्ट से नहीं ।
दिनेश ल्वेशाली ने चेतावनी दी हैः
मौसम विभाग,,,
ब्रेकिंग न्यूज़ रात 12.30 पर फिर आ सकते है भूकम्प के झटके सतर्क रहे ।
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हम रात को खाना खा रहे थे।टीक साढ़े दस बजे थे।दस मिनट के भीतर बसंतीपुर से भाई पद्दोलोचन का फोन आ गया कि उत्तराखंड में भूकंप आ गया है और तराई में मौसम बेहद खराब है।वह हमेशा की तरह अपनी भाभी को खबर दे रहा था।घर में बहूू उम्मीद से हैं तो हम किसी खुशखबरी का इंतजार कर रहे थे।इसके बदले हमें उत्तराखंड और पूरे उत्तर भारत में भूकंप की खबर मिली।भूकंप इलाका होने के बावजूद पहाड़ों में आपदा प्रबंधन का नजारा यह है कि मौसम विभाग भी टीवी चैनलों को ठीक से बता नहीं पा रहा है कि भूकंप का एपीसेंटर ठीक कहां है।रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ दोनों को एपीसेंटर बताया जा रहा है।किसी चैनल में भूकंप का केंद्र सतह से एक किमी नीचे तो किसी दूसरे चैनल में जमीन के अंदर तीस किमी नीचे बताया जा रहा है।पहले रेक्टर स्केल पर 5.3 का भूकंप बताया गया तो बाद में यह 5.8 में बदल गया।
संस्थागत विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि इस पैमाने पर भूकंप से जानमाल के नुकसान का अंदेशा कम है।भूस्खलनों से पहाड़ में जितना नुकसान हो जाता है,भारी वर्षा से जो नुकसान होता है,बाढ़ से जो तबाही मचती है,उसके मद्देनजर उत्तराखंड के पहाड़ों के बारुदी सुरंगों के फटने से गावों और घाटियों का क्या बनना है,हाल के केदार जलसुनामी और नेपाल के महाभूकंप के अनुभव और बचाव राहत अभियान,हवा हवाई मीडिया कवरेज से उसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है।पहाड़ का एक एक इंच जमीन बेदखल है तो भारी पैमाने पर रोजगार की तलाश में पलायन है।जनादेश बनाने से पहले पहाड़ की सेहत पर टंगा पर्दा गिर गया है लेकिन मजहबी सियासत के कारिंदों को इसकी खास परवाह नहीं है और उत्तराखंड केसरिया है।
पद्दो ने बताया तराई में आंधी पानी से मौसम बेहद खराब है और तेज भूकंप के झटकों से अफरातफरी मची है।उसने बताया कि भतीजा टुटुल अभी घर लौटा नहीं है लेकिन उसने घर पर फोन से खबर दी है कि चंडीपुर और दिनेशपुर में बिजली गिरने से दो लोगों की मौत हो गयी है।चंडीपुर में पिताजी के मित्र संन्यासी मंडल के बेटे का निधन बिजली गिरने से हो गयी है।संन्यासी मंडल इमरजेंसी के खिलाफ हमारे साथ थे और 1977 के मध्यावधि चुनाव के दौरान उनने हमारी बगावत का समर्थन पिताजी से अपनी मित्रता दांव पर लगाकर किया था।
अभी टीवी और इंटरनेट पर भूकंप से जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।जाहिर है कि तराई में रुद्रपुर और पंतनगर इलाके में इस आपदा से मारे जाने वाले दोनों लोगों की खबर भी अभी रिपोर्ट नहीं हुई है।
टीवी के समाचारों में सलन इंडिया टुडे पर अबभी पिथौरागढ़ के पीपल कोट को भूकंप का एपीसेंटर बताया जा रहा है,जबकि हिंदी चैनलों ने पहले एपीसेंटर पिथौरागढ़ को बताने के बाद में रुद्रप्रयाग को भूकंप का केंद्र बताया है।
गौरतलब है कि केदार आपदा के वक्तभी पिथौरागढ़ और नेपाल तक में तबाही मची थी।गांव के गांव और घाटियों का नामोनिशां मिट गया था ।लेकिन तब निकटवर्ती टिहरी जिले की तबाही की खबर भी बहुत बाद में लगी थी।नेपाल के महाभूकंप से हाल मं पूरा उत्तराखंड प्रभावित हो गया था।राजधानी को शायद यह खबर भी नहीं है।
भूकंप से पहाड़ का जो बी हाल हो राजधानियों की सेहत पर असर नहीं होना है और न मलाईदार चमड़ी पर कोई आंच आनी है।जलवायू,मौसम और पर्यावरण को ठिकाने लगाने का मुक्तबाजार का स्वर्ग उत्तराखंड है जहां चार धाम की यात्रा के लिए सपर एक्सप्रेसवे अभी बनना है।
भूकंप केंद्र के नाभिनाल से जुड़ा टिहरी जलाशय का आपदा परमाणु बम की आवाज किसी को सुनायी भी नहीं पड़ती है।अंध विशेषज्ञों को खबर भी नहीं है कि ग्लेशियर कहां कहां पिघल रहे हैं और कैसे गंगोत्री रेगिस्तान में तब्दील है।बाकी चुनाव का मौसम है।राजनीति के अलावा पहाडो़ं की सेहत की फिक्र बहुत आसान भी नहीं है।
बहरहाल पर्यटन और धर्म के लिहाज से केदारघाटी की आपदा फोकस में थी।जबकि पिथौरागढ़ पहाड़ों में सबसे पिछड़े इलाकों में है।रुद्र प्रयाग के इलाके भी बेहद पिछड़े है और अभी पर्यटन का मौसम नहीं होने से भूकंप से होने वाली तबाही के शिकार ज्यादातर स्थानीय लोगों के होने का अंदेशा है।
1991 के अक्तूबर में जिस रात मैं बरेली से कोलकाता की यात्रा पर था जनसत्ता में नौकरी ज्वाइन करने के लिए,उस रात भी गढ़वाल के उत्तरकाशी में भारी भूकंप आया था।उत्तरकाशी,टिहरी और भागीरथी,अलकनंदा से लेकर टौंस और यमुना घाटियों में हुई भारी तबाही का ब्यौरा तब भी नहीं मिला था।
रुद्रप्रयाग और पिथौरागड़ में बैठे अफसरान के लिए दूर दराज के गांवों और घाटियों के बारे में आधी रात के बारे में जानकारी लेना बेहद मुश्किल है।
अफसरान टीवी वालों को वे जान माल के नुकसान की फिलहाल कोई खबर नहीं है,इतना ही बता पा रहे हैं।जाहिर है कि मीडियावाले मौके पर अभी पहुंचे नहीं है।उनका हवाई सर्वेक्षण कल ही शुरु हो पायेगा।राहत और बचाव अभियान कब तक शुरु हो पायेगा,कहना फिलहाल मुश्किल है।
फिलहाल खबरों का लब्बोलुआब यही है कि दिल्ली एनसीआर में देर शाम भूकंप के झटके महसूस किए गए। देहरादून से भी खबर है कि भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में बताया गया है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। रात 10.35 मिनट पर झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस किए गए. देहरादून में झटकों के बाद लोग सड़कों पर निकल आए. देहरादून से मिली खबरों के मुताबिक लोग कुमाऊं, गढ़वाल की रेंज में झटके महसूस किए गए। पश्चिमी यूपी में भी झटके महसूस किए गए. पंजाब में झटके महसूस किए जाने की खबर है।
भूकंप के झटके पंजाब, हरियाणा, उनकी संयुक्त राजधानी चंडीगढ में भी महसूस किये गये, जिसके बाद कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।फिलहाल, जान माल को कोई नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है। खबरों के मुताबिक समूचे हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूकंप महसूस किया गया। उंची इमारतों में रहने वाले लोग नीचे की ओर दौड़ पड़े। गुरूग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, अंबाला, पंचकुला, सोनीपत, पानीपत और करनाल सहित हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। पंजाब में मोहाली, पटियाला, रोपड़, लुधियाना और जलंधर सहित कई स्थानों पर भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
टिहरी की जाजल घाटी से अरण्य रंजन ने लिखा हैः
अभी अभी भूकंप आया है. काफी तेज़ झटका था और आवाज भी काफी तेज़ हुयी.
Just came sharp blow. It was very strong.
साहित्यकार उदय प्रकाश ने लिखा हैः
अभी कुछ ही देर पहले भूकंप के झटके हमारे वैशाली के घर पर आये। सिर्फ मैंने महसूस किया और कहा कि भूकंप है।
किसी ने मेरी बात नहीं मानी।
यही तो समस्या है !
अब जब टीवी पर ख़बर चल रही है, तो सब मान रहे हैं।
हम उस समय में हैं जब मानवीय सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक सूचनाओं ने अपदस्थ कर दिया है।
(गंभीर बात है। हल्की भले लगे।)
Амит Холия ने लिखा हैः
Worldwide earthquake 6-feb- 2017
35 minutes ago 5.6 magnitude, 14 km depth
Pīpalkoti, Uttarakhand, India
38 minutes ago 2.0 magnitude, 29 km depth
Glendora, California, United States
39 minutes ago 2.1 magnitude, 0 km depth
Angwin, California, United States
about an hour ago 2.0 magnitude, 0 km depth
Y, Alaska, United States
about an hour ago 2.4 magnitude, 1 km depth
Healdsburg, California, United States
about 2 hours ago 1.5 magnitude, 12 km depth
Friday Harbor, Washington, United States
about 2 hours ago 5.0 magnitude, 33 km depth
Opotiki, Bay of Plenty, New Zealand
about 2 hours ago 1.5 magnitude, 0 km depth
Southern Yukon Territory, Canada
about 2 hours ago 2.3 magnitude, 0 km depth
Sutton-Alpine, Alaska, United States
about 2 hours ago 1.7 magnitude, 7 km depth
Muscoy, California, United States
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