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Wednesday, December 28, 2016

#NoteBandiNasBandiEmergency #NoMoreRohith नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात पलाश विश्वास


#NoteBandiNasBandiEmergency

#NoMoreRohith

नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात

पलाश विश्वास

30 दिसंबर तक की मोहलत खत्म होने से पहले जेएनयू पर हमला नोटबंदी के सर्जिकल स्ट्राइक से,कैशलैस डिजिटल इंडिया से,दिवालिया बैंकिंग,लाटरी अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं है?रोहित वेमुला को भूलने की तरह फिर छात्र युवा देश भर में कत्लेआम के स्थाई बंदोबस्त को तो नहीं भूल रहे हैं?क्या संघ परिवार के पाले में बैठे बहुजन बुद्धिजीवियों के लिए नोटबंदी के जवाब में फिर अस्मिता राजनीति के समरसता उफान का यह मौका नहीं है?हम नहीं जानते हैं।आप?

इस पर तुर्रा यह कि फासिज्म के राजकाज राजकरण के समय में विपक्ष का चेहरा फिर वही ममता बनर्जी या फिर अरविंद केजरीवाल है।भूमिगत अन्ना ब्रिगेड परदे के पीछे सक्रिय है।यह अजब गजब स्वदेशी जागरण है।

दीदी के कैबिनेट में सिरे से बहुजनों का कोई रोल नहीं है और बंगाल में जीवन के किसी भी क्षेत्र में बहुजनों का कोई चेहरा नहीं है।दीदी के फेसबुक स्टेटस पर हिंदुत्व का महोत्सव है।केजरीवाल अन्ना ब्रिगेड की पूंजी फिर आरक्षण विरोध है।संघ परिवार के अगले प्रधानमंत्रित्व का दावेदार फिर वही केजरीवाल है।

दीदी ने लोकसभा विधानसभा चुनाव में वामपक्ष के साथ कांग्रेस को ठिकाने लगाने के लिए बंगाल का मुकम्मल केसरियाकरण कर दिया।कांग्रेस बंगाल में साइन बोर्ड है।नादानी की क्या कहें कि उन्हीं मोदी दीदी गठबंधन के मुकाबले कांग्रेस की फिर सत्ता में वापसी की तमन्ना है।

दीदी के सिपाहियों ने ही संसद में,संसद के बाहर  सबसे जियादा हंगामा बरपाया है और नोटबंदी पर संसद में कोई बहस नहीं हुई है।चंडूखाने में लोग इतने बेखबर भी नहीं होते।जितने वामपंथी और बहुजन सितारे हैं।दीदी के आगे पीछे घूमे हैं।बिना पड़ताल किये कि दीदी केजरीवाल के आगे पीछे कौन हैं।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी की पहेली का क्या हुआ।सीबीआई ईडी क्यों मेहरबान हैं।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी के आलम में दिल्ली की तृणमूल क्रांति और चिटफंड के खजाने के बीच दूरी कितनी है।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि देशभर में छापे में तमिलनाडु के मुख्यसचिव से लेकर मायावती के भाई के यहां रेड हुआ तो दक्षिण कोलकाता की सारी प्राइम प्रापर्टी पानी के मोल खरीदने वालों के खिलाप कोई रेड क्यों नहीं पड़ा।क्यों नहीं,नोटिस थमाने के बजाय बंगाल में शारद नारदा के सिपाहसालारों के यहां छापे पड़े।

हम बचपन से वामपंथियों को सियासती घोड़े जान रहे थे,रेस में घोडो़ं के बजाय अब गदहों को दौड़ते देख हैरानी हो रही है।

मायावती पर निशाना बंधते देखते ही नोटबंदी की सियासती जमात में भगदड़ मच गयी है और आप नोटबंदी से राहत मांग रहे हैं।

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर यादवपुर विश्वविद्यालय का होक कलरव मौन है।कोलकाता में प्रेसीडेंसी,सेंटस्टीपेंस,कलकत्ता विश्वविद्यालय में सन्नाटा है।

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला के साथी नोटबंदी पर खामोश हैं।ज्वाइंट फोरम के स्टेटस में नोटबंदी का जिक्र भी नहीं है।तमाम बहुजन बुद्धिजीवी या पेटीएम के साथ हैं या  अंबेडकर मिशनरियों की तरह मौन हैं या अपने अपने खजाने को बचाने की कवायद में मशगुल हैं।बामसेफ का राष्ट्रीय आंदोलन सिरे से गायब है।मूलनिवासी मौन हैं।क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर अार्थिक अराजकता,नोटबंदी नसबंदी,नकदी संकट,भुखमरी,बेरोजगारी,मंदी के घनघोर संकट के वक्त छात्र युवा खामोश हैं। देश में छात्रों युवाजनों का समकालीन परिदृश्य से यह गुमशुदगी हैरतअंगेज है।

फिर मायावती के खिलाफ भगवा राम मोर्चाबंद हैं।यूपी जीतने को दलित बुद्धिजीवी की संघी मोर्चाबंदी भयानक है।नोटबंदी के साथ बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

अंबेडकर भवन विध्वंस के बाद अंबेडकर मसीहा और उनका परिवार बहुजनों का दुश्मन ? और उसी अंबेडकर मलबे पर  केसरिया अंबेडकर मिशन की सत्रह मंजिल इमारत के भव्य राममंदिरमार्का समरसता परियोजना के साथ उना रैली के बाद जयभीम कामरेड गायब है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव,पंजाब में भी शिकस्त की आशंका, पांचों राज्यों में खासतौर पर यूपी में बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी,समरसता अभियान, परिवर्तन यात्रा और फिर जेएनयू की हैरतअंगेज मोर्चाबंदी। यूपी में नोटों की वर्षा नोटबंदी नसबंदी के मध्य? क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

हमने कैरम कभी कायदे से खेला नहीं है।कुश्ती कबड्डी बचपन में खूब खेला है।थोड़ा बहुत फुटबाल,हाकी और क्रिकेट भी।सब आउटडोर है।इनडोर सत्ता गलियारों का संसदीय खेल अनजाना है।डाइरेक्ट इनडायरेक्ट स्ट्राइक,सरजिकल स्ट्राइक के कलाकौशल हम जानते नहीं हैं।हम शतरंज के खिलाड़ी भी नहीं हैं।शह मात प्रेमचंद जी से साभार जान रहे थे,पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मौकापरस्त मलाईदार पढ़े लिक्खे बहुजन केसरिया बजरंगी  बिरादरी प्याज की परतों की तरह खिलने लगी है।

ऐसे तिलस्मी मुकाम पर मनुस्मृति विदाई के बाद एक बार फिर जेएनयू पर फोकस बनाने के लिए संघ परिवार का प्लान आखिर क्या है?आत्महत्या की कोशिश है? या सारे विश्वविद्यालय बंद कराने की युद्धघोषणा है?या 30 दिसंबर का बेनामी मास्टरस्ट्रोक यही है।यहींच।पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मनुस्मृति संविधान के रामराज्य में रोहित वेमुला अकेले नहीं है।नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति का क्या होगा कह नहीं सकते,लेकिन रामराज्य में मनुस्मृति बहाल रखने खातिर हर शंबूक की हत्या का अब अनिवार्य सुधार कार्यक्रम है।इसीलिए नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात हो गया।महाभारत का कुरुक्षेत्र अब फिर जेएनयू है।पार्वती अब मोहनजोदोड़ो की डांसिग गर्ल है,तो वैज्ञानिक सोच की भ्रूण हत्या भी अनिवार्य है।

शुक्रवार को जेएनयू में हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में टेस्ट की फीस बढ़ाने को लेकर भी फैसला लिया गया.आईआईटी खड़गपुर में फीस बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन की खबर बासी हो गयी है।फीस बढ़ाने के बावजूद बहुजनों की एंट्री रोकने का ऐहतियाती इंतजाम जबर्दस्त है।गौरतलब हे कि जेएनयू में छात्राें देश का बेकी विश्वविद्यालयों के मुकाबले ज्यादा हैं तो बहुजन छात्र भी वहां ज्यादा है।जेएनयू बागी लड़ाकू छात्राओं और बेशुमार बहुजन छात्रों की वजह से मनुस्मृति की आंखों में किरकिरी है।

गौरतलब है कि दो बार नामंजूर करने के बाद आखिरकार जेएनयू ने 'योग दर्शन' और 'वैदिक संस्कृति' पर शॉर्ट टर्म कोर्स के प्रपोजल को मंजूर कर लिया है। अकैडमिक काउंसिल की मीटिंग में दोनों सर्टिफिकेट कोर्स को पास कर दिया गया है।

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश की जंग दिल्ली पुलिस के लिये दिनोदिन भारी पड़ती जा रही है। बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली दिल्ली पुलिस के हाथ नजीब अहमद के मामले में अब तक खाली हैं।

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने धरना-प्रदर्शन न करने के लिए नोटिस बोर्ड लगा दिया है।

अब मुलाहिजा फरमायें।

शकील अंजुम।

सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज़। अब JNU से निलंबित। वाइस चांसलर के आदेश पर SC, ST और OBC छात्रों के साथ इनका सामाजिक बहिष्कार।

गौरतलब है कि  जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सोमवार को हुई विद्वत परिषद की बैठक में जबरदस्ती घुसकर अनुशासनहीनता करने वाले आठ छात्रों के खिलाफ जेएनयू प्रशासन ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। प्रशासन ने उनको विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधि से ही नहीं बल्कि हॉस्टल से भी निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच समिति भी बैठा दी है। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह छात्र निलंबित रहेंगे। जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि जो भी इन छात्रों को कैंपस में बुलाएगा उस पर कार्रवाई होगी।

गौरतलब है कि  जेएनयू के शिक्षक काउंसिल बैठक में बाहरी छात्रों को एंट्री करवाने वाले करीब 20 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि काउंसिल बैठक में बाहरी छात्र भी पहुंच रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। बाहरी छात्रों की बैठक में एंट्री करवाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी जरूरी है। उधर, विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई पर छात्रसंघ ने आपत्ति दर्ज करवाई है।

अब दिलीप मंडल के इस फेसबुकिया मंतव्य पर गौर करेंः

JNU में अफ़ज़ल गुरु मामले में भी कार्रवाई से पहले जाँच कमेटी बैठी थी। उस मामले में सभी छात्र अंदर आ गए।

वहीं,

SC-ST-OBC-माइनॉरिटी छात्रों को 24 घंटे के अंदर निकाल दिया। कोटा लागू करने और इंटरव्यू का नंबर घटाने की माँग से इतना ख़ौफ़।

निकालने के नोटिस पर लिखा है कि आगे जाँच भी होगी।

हद है।

दिलीप इस मामले को अफजल गुरु मामले में रिहा छात्रों से जोड़ क्यों रहे हैं,हमारी समझ से परे है।

आगे दिलीप ने लिखा हैः

देश भर में कहीं भी JNU मामले पर आंदोलन हो तो कृपया मुझे टैग कर दें। अब हम किसी भी और को, रोहित वेमुला की तरह, सांस्थानिक हत्या का शिकार बनने नहीं दे सकते।

उनको मिला जबाव भी लाजवाब हैः

स्नेहलभाई पटेल नोटबंदी कैशबंदी की #नाकामियों को छिपाने और देश की जनता का ध्यान दूसरी ओर भटकाने का षड्यंत्र jnu के दलित आदिवासी अल्पसंख्यक एवं ओबीसी के 12 छात्रों का निलंबन, दमनात्मक कार्रवाई और बहिष्कार की घटना है।

Gagan Rajanaik मंडल सर!पंडों के प्राण धर्म में बसते हैं।एक बार 60% ओबीसी भाई इनके धर्म को कसकर लात मार दें जैसा कि मराठी ओबीसी भाइयों ने किया।फिर देखिए थोड़े क्षण के लिए जलजला या सुनामी से कम तहलका नहीं होगा। हिंदुत्व को त्यागने की बात पूरे विश्वमीडिया में आग की तरह फैलेगी।फिर देखिए पंडों के प्राण कैसे सूखते हैं।बापबाप करेंगे।

अब फिर दिलीप का स्टेटसः

2016 की शुरुआत रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से हुई। साल के आख़िर में संघियों, द्रोणाचार्यों की नज़र राहुल सोनपिंपले और JNU के OBC, SC और माइनॉरिटी के साथियों पर है।

आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संघी कुलपति ने मुलायम सिंह यादव, विश्वम्भर नाथ प्रजापति, दिलीप यादव, भूपाली, प्रशांत, मृत्युंजय, शकील आदि को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।

#NoMoreRohith

एक आधुनिक लोककथा।

मोदी जी- पंडित जी, किसको निकाला? किस बात का हल्ला है?

JNU वाइस चांसलर - अहीर, कुर्मी, कोयरी, कुम्हार, मुसलमान, आदिवासी, दलितों को निकाल दिया है श्रीमान।

मोदी जी - बहुत अच्छा। क्या माँग कर रहे थे? किस बात का आंदोलन है?

वाइस चांसलर - यह देखिए इनका कितना खतरनाक पर्चा है श्रीमान। माँग कर रहे हैं कि शिक्षक पदों पर संविधान में दिया गया कोटा लागू करो। इंटरव्यू को वेटेज घटाओ। यह हो गया तो हम उन्हें कम नंबर देकर फ़ेल कैसे करेंगे। ये नामुराद जाने कैसे रिटेन एक्ज़ाम में अच्छा नंबर ले आते हैं।

मोदी जी - बहुत खूब पंडित जी।

इस संवाद से प्रसन्न होकर नागपुर के देवताओं ने मोदी जी पर फूल बरसाए।

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विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम के डीएनए का नस्ली सफाया अब नोटबंदी का अगला चरण है।

देश के इस घनघोर संक्रमणकाल में रोहित वेमुला के साथी कहां सो रहे थे,छात्र युवा कहां मनुस्मृति दहन कर रहे थे,पता ही नहीं चला।

अब उन्हें कोंचकर जगाने का वक्त है।नया साल छात्रों का कारसेवक कायाकल्प का मनुस्मृति समय है।जो बहुजन जहां तहां घुस गये है,उनेहं कोड़े मारकर निकाल बाहर करने का सही वक्त है।

मनुस्मृति कोई व्यक्ति नहीं,बाकायदा वैदिकी संहिता है,याद दिलाने के लिए संघ परिवार को धन्यवाद।

पेटीएमपीएम ने 30 दिसंबर तक सुनहले दिनों के लिए मोहलत मांगी थी पचास दिनों की।गिनती में घपला वहीं से शुरु हुआ।इसी मुताबिक सारा देश नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने के लिए 30 दिन का इंतजार कर रहा है।

8 नवंबर को नोटबंदी के लिए राष्ट्र के नाम पेटीएम संदेश जारी हो गया तो पेटीएम राजकाज के पचास दिन 28 दिसंबर को पूरे होते हैं।गणित में भारत के लोग इतिहास में इतने कच्चे नहीं थे।महाजनी व्यवस्था में सूदखोर की गिनती हमारा गणित हो गया है।आदरणीय सुरेंद्र ग्रोवर जी ने 28 को ही पचास दिन पूरे हो जाने की सूचना देकरहमारा भी गणित दुरुस्त कर दिया।हाईस्कूल पास करने के बाद हमने कभी हिसाब जोड़ा नहीं है और बेहिसाब जिंदगी गुजरती चली गयी।ग्रोवर साहेब का आभार।

अयोध्या में राममंदिर न बनने से राम की सौगंध खाने वाले बजरंगी बहुत परेशान होवै थे।वे फिर कारसेवक बनकर पता नहीं कहां कहां धमाल मचाने का मंसूबा बना रहे थे।यूपी फिर कब्जाैने की राह देख रहे थे।नोटबंदी की आड़ में जहां नोटों की बरसात जो हुई सो हुई,मोटर साईकिल और ट्रक तक बरसने लगे।मायावती को घेरकर  दो चार चापे मारकर विपक्षे के खेमे में हलचल मचा दी।राजनीतिक मोर्चाबंदी राहुल ममता मोर्चाबंदी तक सिमट गया,फिरभी यूपी अभी दूर है।इसका इंतजाम भी हो गया।रामराज्य मुकम्मल है।इस बीच मुंबई में डिजिटल इंडिया का राममंदिर बन गया।अरब सागर में भगवा झंडों की सुनामी में शिवाजी महाराज का भसान भी हो गया।

उत्तराखंड के माफियावृंद के साथ एक ही फ्रेम में शोभित कल्कि महाराज ने पूरे देस के लिए बारह मास चारधामों की यात्रा के लिए चार धाम राजमार्ग का शिलान्यास सुनहले दिनों के तोक आयात से एक दिन पहले कर दिया।यह चाकचौबंद इंतजाम है।आगे भुखमरी,बेरोजगारी और मंदी की मार है।हिंदू राष्ट्र में कितने करोड़ हिंदू जियेंगे,कितने करोड़ हिंदू मरेंगे,अतापता नहीं।लोक का सत्यानाश तो हो गया,परलोक में स्वर्गवास का स्थाई बंदोबस्त है।वैसे चार धामों के उत्तराखंडवासी तो पहले से स्वर्गवासी है।खासकर तब जब मुसलमानों के आतंकवाद की वजह से धरती का स्वर्ग इस वक्त बाकी देश के लिए केसरिया राजकाज में नर्क बना हुआ है।

इसके बावजूद हिंदुत्व के केसरिया कार्यक्रम और राजकाज,हिंदू राष्ट्र के मनुस्मृति संविधान के बारे में शक की कोई गुंजाइश रह गयी तो कल जेएनयू में एकमुश्त बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात से वह दूर हो जानी चाहिए।मनुस्मृति विदाई और मनुस्मृति दहन के मध्य जयभीम कामरेड सुनामी का अता पता लापता हो गया था।अब फिर महाभारत का कुरुक्षेत्र जेएनयू में स्थानांतरित है।

इस पर फेसबुक में दिलीप मंडल के ताजा स्टेटस पर किन्हीं Jitendra Visariya का मंतव्य प्रासंगिक हैः

ठीक है आंदोलन भी करिए कि रोहित बेमुला कांड फिर से न दोहराया जाये!....यह मोदी पार्टी की एक चाल भी हो सकती है कि आप अपना भींगा जूता छोड़, जेएनयू की ओर दौड़ पड़ो । मैं कहता हूँ कि उन्हें तो हर बार की तरह अपना फैसला बदलना ही पड़ेगा, पर आप अपना जूता हाथ में तैयार रखो! वो भी पूरा भींगा हुआ! क्योंकि 50 दिन पूरे होने वाले हैं!!!

चूं चूं के मुरब्बे का ताजा अपडेट यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आगामी बजट से पहले नीति आयोग द्वारा आयोजित अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अर्थशास्त्रियों ने कई आर्थिक बिंदुओं मसलन कृषि, कौशल विकास और रोजगार सृजन, टैक्स और शुल्क संबंधी मामले, शिक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, आवास, पर्यटन, बैंकिंग आदि पर अपनी राय दी। बैठक में 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने पर सुझाव दिए गए। बैठक के बाद नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि विशेषज्ञों ने पीएम मोदी को बताया कि भारत को टूरिज्म में अधिक निवेश करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि  नीति आयोग में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अर्थशास्त्रियों ने आयकर दरों में कटौती करने तथा सीमा शुल्क दरों का वैश्विक स्तर पर प्रचलित दरों के साथ तालमेल बिठाने की वकालत की ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल सके। नीति आयोग के तत्वावधान में यह बैठक फरवरी में पेश होने वाले आम बजट से पहले हुई है।बैठक में नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की चर्चा नहीं हुई जबकि अर्थव्यवस्था को कम नकदी वाली बनाने के लिए डिजिटलीकरण के मुद्दे पर विचार विमर्श हुआ।

इसी बीच पुराने नोट पर अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब 31 मार्च 2017 के बाद एक समय में 10 से ज्यादा नोट रखने पर पाबंदी रहेगी, फिर चाहे ये नोट 500 के हों या 1000 के, या दोनों। रिसर्च के लिए अधिक से अधिक 25 नोट रख सकते हैं। नोट जमा करते वक्त गलत जानकारी देने पर 5,000 रुपये जुर्माना या जमा रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा। 31 मार्च, 2017 के बाद तय सीमा से ज्यादा नोट रखने पर 10,000 रुपये जुर्माना या जब्त रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा।

यही नहीं 30 दिसंबर के बाद 500 और 1000 के पुराने नोट जमा करने के लिए कठोर शर्तों को पूरा करना होगा। 30 दिसंबर के बाद पुराने नोट जमा करने से पहले ये बताना होगा कि आखिर अब तक नोट क्यों नहीं जमा किया। साथ ही खुद अगर रिजर्व बैंक नहीं पहुंच सकते तो डाक के जरिये पुराने नोट और साथ में घोषणापत्र भेज सकते हैं। घोषणापत्र में ये बताना होगा कि खुद क्यों नहीं आए, और अब तक नोट क्यों नहीं जमा किए। रिजर्व बैंक आपकी दलीलों से सहमत नहीं हुआ तो पुराने नोट को नकार भी सकता है।

गौरतलब है कि इसी बैठक के ऐन पहले सोना उछला और शेयर बादजार चढ़ गया।

मनी कंट्रोल का खुलासा यह हैः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल बड़े इकोनॉमिस्ट और सरकारी अफसरों से बैठक की। इस बैठक में देश के विकास के रोडमैप पर चर्चा की गई। नीति आयोग की इस बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने, डायरेक्ट टैक्स में कटौती और कस्टम ड्यूटी में सुधार पर चर्चा हुई। बैठक में पीएम मोदी को कई सुझाव दिए गए और टैक्स ढांचे को आसान बनाने पर चर्चा हुई। इस बैठक में अलग-अलग सेक्टर के 13 विशेषज्ञ थे।


इस बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया ने कहा कि इस बैठक में कस्टम ड्यूटी में सुधार, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव, इनपुट और आउटपुट पर समान ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी में बदलाव और रेवेन्यू न्यूट्रल रखने की सिफारिश की गई। इस बैठक में पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोग टैक्स चोरी नहीं करना चाहते। बशर्ते उन्हें ये भरोसा दिया जाए कि उनके टैक्स का सही इस्तेमाल हो रहा है।


वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने सीएनबीसी-आवाज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि बजट से पहले प्रधानमंत्री के साथ की गई बैठक सकरात्मक रही। अमिताभ कांत ने वित्त मंत्री जेटली की बात दोहराई और इस बजट में बड़े टैक्स रिफॉर्म के संकेत दिए।


जानकारों का मानना है कि आने वाले बजट में इन एक्सपर्ट्स की सिफारिशों के आधार पर बजट में बदलाव मुमकिन है। जिसके तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी इनकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा इनकम टैक्स के सभी स्लैब बढ़ाए जा सकते हैं। कॉरपोरेट टैक्स की दरें भी कम हो सकती हैं। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में भी बदलाव मुमकिन है। इस बजट में इंपोर्ट ड्यूटी की विसंगतियां दूर की जाएंगी। इंपोर्ट ड्यूटी कच्चे माल पर कम, तैयार माल पर ज्यादा की जाएगी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की तैयारी की जाएगी।


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अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk