बंगाल से रिलायंस की विदाई की तैयारी
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल में राजनीतिक संघर्ष दिनोंदिन तेज होता जा रहा है और इसी के साथ बिगड़ता जा रहा है आर्थिक परिदृश्य। परिवर्तन के बाद कहां तो ५८ हजार कल कारखाने खुल जाने का वायदा था और कहां बंगाल के तेज विकास का सपना!पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में निवेश के लिये अनुकूल माहौल बताते हुये उद्योगपतियों को निवेश के लिये आमंत्रित किया है! अब हाल यह है कि एक तरफ जमीन अधिग्रहण विवाद को सुलझाने की कोई दिशा नहीं खुल रही है, अब पहले से अधिग्रहित जमीन पर भी उद्योग नहीं लग रहे हैं। सिंगुर से टाटा मोटर्स का गुजरात स्थानांतरण का झटका अभी हजम नहीं हुआ है, कोलकाता वेस्ट इंटरनेशनल सिटी प्रेत नगरी में तब्दील है, हल्दिया में तांडव मचा हुआ है। भूषण स्टील को लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। इसी परिदृश्य में बंगाल से रिलायंस की विदाई की तैयारी हो गयी है।किसी भी अर्थव्यवस्था के पतन और उत्थान में भूमि, बिजली, सड़क, पानी व रियायती बैंकिंग सुविधा महत्त्वपूर्ण है। राजनैतिक और सरकारी मदद के बिना इस मोर्चे पर भी आप कुछ नहीं कर सकते। यानि हर स्थिति में तरक्की के लिए राजनैतिक और सरकारी प्रोत्साहन अनिवार्य है। टाटा को एयरलाइंस का लाइसेंस नहीं मिला तो वे इस क्षेत्र में नहीं उतर पाए और राजनैतिक विरोध के चलते अरबों रुपयों का नुकसान झेलकर सिंगुर से कार कारखाना हटाना ही पड़ा। दूसरी तरफ सरकार का सहारा मिलते ही रिलायंस और भारती टेलीकॉम जैसी कंपनियां रातों रात नंबर एक पर रहते हुए अरबपति हो गईं। यह सरकार और राजनैतिक समर्थन का ही कमाल है कि खरबों रुपये की देनदारी व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद सहारा और किंगफिशर के मालिक बगैर किसी भय के मौज मारते फिर रहे हैं।बंगाल की राजनीति से उद्योग जगत और निवेशकों को यहां उद्योग लगाने और निवेशकरने की हिम्मत करने नहीं देती।
मामला यह है कि २००८ में कल्याणी में धीरुभाई अंबानी इंस्टीच्युट आफ टेक्नालाजी केंद्र के लिए जमीन अधिग्रहित की गया थी। इसी बीच परिवर्तन हो गया और अभी तक वहां रिलायंस का केंद्र बना नहीं। क्यों नहीं बना, इस समस्या को सुलझाने के बजाय राज्य सरकार रिलायंस से यह जमीन अब वापस मांग रही है।राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के मुताबिक धीरुभाई अंबानी रिलायंस ग्रुप को इस सिलसिले में पत्र भेज दिया गया है। उनसे उनकी परियोजना के बारे में स्पष्ट योजना मांगी गयी है और उन्हें बता दिया गया है कि उनकी कोई योजना न हो तो वह सरकार को यह जमीन वापस कर दें।जब बाकी देश में टाटा और रिलायंस समूह के लिए वहां की राज्य सरकारें पलक पांवड़े बिछाये रहती हैं जिसके नतीजतन नैनो अब बंगाल के बजाय गुजरात में बन रहा है, उसके विपरीत नामी गिरामी उद्योग समूह की समस्याओं का समाधान किये बिना उन्हें खदेड़कर राज्य में निवेशकों की आस्था लौटाने में लगी है राज्य सरकार। जाहिर है कि टाटा ौर रिलांयस से ऐसे सलूक के बाद बंगाल में पैसा लगाने के लिए बाकी उद्योगपतियों की कितनी दिलचस्पी ौपर हिम्मत होगी, यह शोध का विषय है। जब ऐसे समूहों से रियायत नहीं बरती जा रही है तो बाकी लोग क्या उम्मीद कर सकते हैं, यह सवाल बड़ा हो गया है। पर लगता है कि राजनीतिक लड़ाई में राज्य सरकार आर्थिक मसलों पर कोई ज्यादा धान नहीं दे पा रही है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने जहां मुम्बई में 13 फरवरी को होने वाला निवेशक सम्मेलन टाल दिया है, वहीं उद्योग जगत ने सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार पहले उद्योग नीति तय करे, वरना निवेशक सम्मेलन फीका साबित होगा।हल्दिया में हाल में हुए निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगला निवेशक सम्मेलन मुम्बई में होगा। बाद में हालांकि उद्योग मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा कि तैयारी पूरी नहीं होने और बजट से पहले मुख्यमंत्री के व्यस्त रहने के कारण सम्मेलन को आगे के लिए टाल दिया गया।
हल्दिया में 15 से 17 जनवरी को हुआ तीन दिवसीय 'बंगाल लीड्स' सम्मेलन फीका रहा। सरकार सम्मेलन में उद्योग नीति की घोषणा करने वाली थी, लेकिन घोषणा नहीं हुई।
बंगाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष कल्लोल दत्त ने आईएएनएस से कहा, "मेरी सलाह है कि मुम्बई सम्मेलन से पहले बंगाल सरकार नीति निर्धारित कर ले। सरकार को उद्यमियों को यह दिखाना चाहिए कि वह क्या प्रस्तुत करने जा रही है।"दत्त सरकारी उपक्रम एंड्र्यू यूल के भी अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने कहा, "हम उद्योग नीति का इंतजार कर रहे हैं।"
बंगाल नेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सचिव डी.पी. नाग ने कहा कि नई उद्योग नीति कारोबारियों को आकर्षित करेगी और किसी भी अगले सम्मेलन से पहले इसे तैयार करना जरूरी है।
टाटा स्टील प्रोसेसिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन के प्रबंध निदेशक संदीपन चक्रवर्ती ने कहा, "हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह भूमि, श्रम और आधारभूत संरचना पर स्पष्ट नीति लेकर आएगी।"
उन्होंने कहा कि राज्य के उद्योग विभाग की मांग पर एक माह पहले उद्योग विशेषज्ञों ने राज्य को अपने सुझाव दिए थे। उन्होंने कहा, "मेरे खयाल से अब भी इस पर विचार जारी है।"
उद्योग जगत के एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा कि नीति निर्धारित करने में असफल रहने के कारण मुम्बई सम्मेलन को टाला गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उद्योगपतियों को हर तरह का सहयोग करने का आश्वासन देते हुए उनसे राज्य में निवेश करने का आह्वान किया है। बनर्जी ने कहा कि बंगाल में ढांचागत सुविधाएं मौजूद है। भूमि की सीलिंग का सवाल है, लेकिन उद्योग लगाने में जमीन की समस्या आडे़ नहीं आएगी। राज्य में निवेश को इच्छुक उद्योगपतियों को सरकार हर तरह से सहयोग करेगी। खड़गपुर में सरकार की एक हजार एकड़ जमीन है। निर्माण क्षेत्र के उद्योग लगाने के लिए सरकार भूमि उपलब्ध करा सकती है। बनर्जी ने शनिवार को राजारहाट-न्यू टाउन में इंटरनेशल फिनांशियल हब के शिलान्यास के मौके पर यह बातें कही।बनर्जी ने वित्त व उद्योग जगत प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोलकाता के राजारहाट में इंटरनेशनल फिनांशियल हब की स्थापना का महत्व है। इससे पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि पूर्वी और पूर्वोत्तर के राज्य भी लाभान्वित होंगे। निवेशकों को पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत सहित दक्षिण एशिया के देशों का भी बाजार उपलब्ध होगा।
यही नहीं, उद्योग बंधु छवि बनाने के लिए ौर लगे हाथ वामपंथियों की वापसी का रास्ता बंद रखने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धमकी भरे लहजे में कहा कि वह बंगाल में बंद और हड़ताल नहीं होने देंगी। यदि कोई जबरन बंद कराने की कोशिश करता है तो प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा।
ममता सोमवार को दक्षिण 24 परगना जिले के आमतल्ला में विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के शुभारंभ व शिलान्यास के मौके पर बोल रही थीं। उन्होंने माकपा को आगाह किया और कहा कि वह पुन: सत्ता में लौटने के भ्रम में न रहे। उन्होंने कहा कि यहां किसी तरह की घटना घटती है तो कुछ लोग पूरे राज्य को बदनाम करने पर तूल जाते हैं। कामरेड चारो तरफ कानाफूंसी करने लगे हैं कि माकपा पुन: सत्ता में लौटेगी। 34 वषरें में माकपा ने राज्य का जो हाल किया है उसे जनता भूल नहीं सकती। मुख्यमंत्री ने ट्रेड यूनियनों द्वारा 20-21 फरवरी को आहूत हड़ताल के संदर्भ में कहा कि उस दिन बंगाल सचल रहेगा। आम लोगों से दुकान, बाजार स्कूल कॉलेज सहित कल-कारखाना सब खुला रखने की अपील की और आश्वस्त किया कि बंद को लेकर यदि किसी की दुकान में तोड़फोड़ होती है तो सरकार क्षतिपूर्ति देगी। जबरन बंद कराने वालों के खिलाफ पुलिस कड़ा कदम उठाएगी।
राज्य के उद्योगमंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि बंद पड़े एमएएमसी को शीघ्र चालू करने के लिए कस्टोडियन बनी तीन कंपनियों के साथ सरकार बात करेगी. इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं प्रयासरत हैं।उन्होंने कहा कि राज्य में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आइटीआइ व टेक्निकल इंस्टीटय़ूट खुल रहे हैं। बेरोजगारी दूर करने के लिए इंप्लायमेंट बैंक बनाया गया है. योग्यता के आधार पर उन्हें सरकारी व गैर सरकारी प्रतिष्ठानों में नियोजित किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश के लिए बेहतर माहौल बना है। एक लाख तीन हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव मिला है। 179 नये प्रोजेक्ट की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आसनसोल व दुर्गापुर में आइटी हब बन रहा है। इससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा.पुरुलिया-वीरभूम में उद्योग लगाने पर सीएम काफी जोर दे रही हैं। 4,300 किलोमीटर सड़क का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से किया गया है ताकि शिल्प लगाने व आवागमन में समस्या न हो।चटर्जी ने कहा कि बंगाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति कभी नहीं दी जायेगी।इससे खुदरा व्यवसाय चौपट हो जायेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी. इसे लेकर संसद के साथ बाहर भी आंदोलन जारी है। केंद्र सरकार की गलत नितियों के कारण केंद्र सरकार में छह महत्वपूर्ण पदों पर रहे पार्टी के मंत्रियों ने जनहित में इस्तीफा सौंपा है।
पश्चिम बंगाल सरकार औद्योगिक विकास के उद्देश्य से नई उद्योग नीति लाने जा रही है। इसकी जानकारी पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सौगत राय ने रविवार को महाजाति सदन में 'कानफेडरेशन आफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसिएशन' की ओर से आयोजित सम्मेलन में दी। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने इसकी एक रिपोर्ट भी सरकार के समक्ष जमा कर दी है।
सौगत राय ने कहा कि बंगाल में औद्योगिक विकास में जमीन एक अहम समस्या है। सरकार को बड़े उद्योगों पर ध्यान देने के बजाय छोटे उद्योगों अर्थात एमएसएमई सेक्टर पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए सर्वप्रथम बुनियादी फंड तैयार करने की आवश्यकता है। कारखाना लगाने के लिए वही जमीन ली जाए जो उपजाऊ नहीं है। बंगाल के लिए खासकर पर्यटन, आइटीइएस एवं बायो टेक्नालाजी समेत कुछ अहम क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। अगर किसी उद्योगपति को जमीन की जरुरत है तो वे प्रत्यक्ष रुप से कृषक से जमीन की खरीदारी करें सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।
कानून व्यवस्था और भूमि अधिग्रहण नियमों के कारण बिगड़े औद्योगिक माहौल से जूझ रहे पश्चिम बंगाल के लिए एबीजी हल्दिया बल्क टर्मिनल (एचबीटी) का अलविदा कहना सरकार के जख्मों पर नमक रगडऩे से कम नहीं है। उस पर एचबीटी की विदाई को टाटा के सिंगुर छोडऩे जैसा बताया जाना तो सरकार के लिए और भी सिरदर्द है। पश्चिम बंगाल के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने एबीजी और नई औद्योगिक नीति के संबंध में शाइन जैकब के साथ बातचीत की। मुख्य अंश :
एबीजी हल्दिया बल्क टर्मिनल्स (एचबीटी) के हल्दिया छोडऩे को टाटा के सिंगुर छोडऩे जैसा बताया जा रहा है। आप इस पर क्या कहते हैं?
इस मसले को मीडिया ने ज्यादा ही तूल दे दिया। सिंगुर से तुलना के बारे में मैं यही कह सकता हूं कि हल्दिया बंदरगाह के एक ठेकेदार की तुलना आप किसी बहुराष्टरीय कंपनी से कैसे कर सकते हैं?
दूसरी बात यह है कि सिंगुर में कृषि योग्य भूमि पर विवाद था और यहां ठेकेदार का मामला है। मुझे यकीन है कि हल्दिया के घटनाक्रम से उद्योग का हौसला कम नहीं हुआ होगा। मैं निजी तौर पर वहां गया हूं, किसी ने शिकायत नहीं की। कंपनी हमारे पास नहीं आई। उसके बजाय उसने मुद्दे को सियासी रंग दिया और मुंबई लौट गई।
एबीजी ने तो कानून-व्यवस्था की समस्या के लिए सार्वजनिक तौर पर रिप्ली ऐंड कंपनी का नाम लिया है, जो तृणमूल कांग्रेस के सांसद श्रृंजय बोस के परिवार की कंपनी है। इसमें आपकी पार्टी का नाम जुड़ रहा है। इस पर आप क्या कहेंगे?
मैंने इसीलिए कहा कि मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है। मैं इस पर कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि इसका ताल्लुक मुझसे नहीं बल्कि केंद्र सरकार से है। हम पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। लेकिन कोलकाता बंदरगाह ने भी एचबीटी के खिलाफ कार्रवाई की है। मुझे लगता है कि कर्मचारियों की छंटनी की उनकी योजना के कारण ही यहां मामला भड़का है।
हालांकि हल्दिया में उद्योगपति इस विषय में चिंतित नहीं हैं। उन्हें क्षेत्र में नए उद्योग स्थापित करने पर केंद्र की ओर से लगाई गई रोक से फिक्र है। हल्दिया में करीब 10,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना चल रही हैं। हम इस साल का निवेशक सम्मेलन भी 17 जनवरी को हल्दिया में की कर रहे हैं।
राज्य सरकार नई औद्योगिक नीति ला रही है। उसमें क्या खास है? भूमि अधिग्रहण पर इसमें कोई प्रावधान होगा?
हां, हम नई औद्योगिक नीति का मसौदा तैयार कर रहे हैं। महीने भर में हमारे पास विस्तृत मसौदा होगा। इसकी सूरत जैसी भी हो, हमने अपने घोषणापत्र में पश्चिम बंगाल की अवाम से वायदा किया था कि जमीन पर जबरदस्ती कब्जा नहीं किया जाएगा, हम उस वायदे से बिल्कुल नहीं मुकरेंगे। जैसा कि हमने पहले भी कहा है, उद्योग खुद ही जमीन का अधिग्रहण कर सकते हैं। हमने उद्योगों के हित में भी कई फैसले किए हैं। मसलन पश्चिम बंगाल भूमि सुधार अधिनियम की धारा 14 वाई में संशोधन किया गया है, जिससे औद्योगिक पार्क, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, वित्तीय केंद्र आदि की स्थापना के लिए 24 एकड़ से अधिक जमीन नहीं दिए जाने की बंदिश खत्म हो गई है।
आप दावा करते रहे हैं कि आपके पास 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव हैं। लेकिन आलोचक इसे नई बोतल में पुरानी शराब करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि उनमें से ज्यादातर ऐसी परियोजनाएं हैं, जो पहले से ही चल रही हैं। मिसाल के तौर पर नयाचार में पेट्रोलिय, रसायन और पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) की जगह नई परियोजना। आप क्या कहते हैं?
निवेश के सभी प्रस्ताव नए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि रसायन केंद्र परियोजना को अनुमति नहीं दी जाएगी। इसीलिए नयाचार में परियोजना बिल्कुल नई है, जिस पर 26,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। एपीजे सुरेंद्र समूह की जहाजरानी क्षेत्र की परियोजना, वाई के मोदी समूह की कोल बेड मीथेन परियोजना और गेल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम तथा ग्रेटर कलकत्ता गैस सप्लाई कंपनी की गैस वितरण परियोजना आदि भी नई हैं।
पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) की नीलामी के लिए भी सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स के चेयरमैन के तौर पर आप बताएं कि यह प्रक्रिया कितना समय लेगी?
नीलामी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए समिति गठित कर दी गई है। निगम के बोर्ड ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और हम सौदे के लिए विश्लेषक नियुक्त करने के काम में लगे हैं। लेकिन सबसे ऊंची बोली लगाने के कारण इनका का पहला अधिकार चटर्जी समूह के पास ही होगा।
जेएसडब्ल्यू स्टील की साल्बोनी परियोजना की क्या स्थिति है? क्या इसके लिए आपने कोई समयसीमा तय की है?
हमने कंपनी से कोयले की आपूर्ति, लौह अयस्क की उपलब्धता , जल के इस्तेमाल आदि के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ रिपोर्ट मांगी है। उम्मीद है कि उनकी ओर से जल्द ही जवाब आएगा। इसके लिए समय सीमा तय की जाएगी, लेकिन हम उद्योगों पर कोई दबाव नहीं डालेंगे।
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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
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By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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