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Friday, February 8, 2013

हिंदुत्व का उत्सव सत्ता समीकरण कम है, नरसंहार का सुनियोजित रणकौशल ज्‍यादा है

हिंदुत्व का उत्सव सत्ता समीकरण कम है, नरसंहार का सुनियोजित रणकौशल ज्‍यादा है



हिंदुत्व का उत्सव सत्ता समीकरण कम है, नरसंहार का सुनियोजित रणकौशल ज्‍यादा है

♦ एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

संसद के बजट सत्र से पहले आहुत इस अंध धर्मराष्ट्रवाद का असली मकसद तो दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों के एजंडे को लागू करना है!

संकेत अगर समझे नहीं तो हिंदुत्व का यह खेल मैंगो जनता को खा पी जायेगा।हिंदुत्व का यह उत्सव आर्थिक सुधारों के लिए सर्वदलीय सहमति बनाने का काम करेगी, ऐसी ही रणनीति है। महिलाओं पर अत्याचारों के लिए आनन फानन में जारी अध्यादेश, युवी आक्रोश, सिविल सोसाइटी आंदोलन, आशीष नंदी का अकादमिक बयान और प्रवाम तोगड़िया की हेट स्पीच इसी रणनीति का हिस्सा है। राम मंदिर के संघी संकल्प और जनसंहार नीतियों के कारपोरेट राज में कोई बुनियादी अंतर तो है ही नहीं।ऑयल इंडिया और एनएमडीसी के बाद एनटीपीसी का ऑफर फॉर सेल सफल रहा है। विनिवेश सचिव के मुताबिक एनटीपीसी ओएफएस 1.7 गुना भरा और 132.8 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिलीं।विनिवेश सचिव का कहना है कि एनटीपीसी के ओएफएस को एफआईआई से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। एनटीपीसी के विनिवेश से सरकार को 11500 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा रकम मिलेगी।एनटीपीसी के ओएफएस का फ्लोर प्राइस 145 रुपये प्रति शेयर रखा गया था। ओएफएस के जरिए सरकार कंपनी की 9.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची।विनिवेश सचिव का कहना है कि बाजार में सरकारी कंपनियों के हिस्से के लिए मांग बाकी है। नाल्को, सेल, एमएमटीसी और आरसीएफ के विनिवेश को मंजूरी मिल चुकी है।

प्रवीण तोगड़िया के घृणास्पद बयान और विख्यात समाजशास्त्री आशीष नंदी के ओबीसी और अनुसूचित जातियों व जनजातियों के विरुद्ध जयपुर साहित्त्य उत्सव में दिये गये बयान का चरित्र एक ही है, जिसे राम चंद्र गुहा जैसे विद्वान नजरअंदाज कर रहे हैं। ओबीसी की गिनती की मांग​ ​ सके साथ नंदी के बयान के आलोक में जनसंख्यावार भ्रष्टाचार और विकास की न्यायिक जांच की मांग को भटकाने के लिए मंगलवार को​​ जहां बुद्ददेव के साक्षात्कार के जरिये ममता बवनर्जी की ईमानदारी पर सवाल उठाये गये, वहीं आज सबसे बड़े बांग्ला अखबार में नंदी को तेली यानि ओबीसी बताकर सत्तावर्ग अपने वर्चस्ववादी मनुस्मृति एकाधिकार के लिए उत्पन्न अभूतपूर्व खतरे को रफा दफा करने में लगा है।यह तो रहा प्रगतिशील बंगाल की तस्वीर। दूसरी ओर, आदिवासी भूगोल में विकास के बहाने दमनतंत्र के मजबूत करने के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे​​ हैं। एनटीपीसी के शेयर बेचकर बिजली का पूरा निजीकरण करके बिजली दरें बढ़ाकर आम जनता को अंधेरे में डुबोने का इंतजाम किया है। नंदी से लेकर तोगड़िया तक के उद्गार से आरक्षणविरोधी हिंदुत्व का अभूतपूर्व माहौल पैदा हो गया है, जो बहुसंख्यक जनता के अस्तित्व के लिए अत्यंत खतरनाक है। कारपोरेट मीडिया और सोशल मीडिया में भी बुनियादी मुद्दों, समता और सामाजिक न्याय की जगह हिंदुत्व का उत्सव​​ मनाया जा रहा है।संसद के बजट सत्र से पहले आहुत इस अंध धर्मराष्ट्रवाद का असली मकसद तो दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों के एजंडे को लागू करना है।भारतीय जनता पार्टी एकबार फिर हिंदुत्व के मुद्दे पर केंद्रित होने जा रही है। सत्ता से इतने साल बाहर रहकर पार्टी को यही लगा है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर चले बिना उसका बेडा पार लगना दुष्कर है। इसीलिए भाजपा मोदी के विकास व विहिप-आरएसएस के हिंदूवाद के एजेंडे का बेहतर समि्मश्रण तैयार करने में जुटी है। आज महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद का दूसरा दिन है। बुधवार के दिन जहां बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटने का साफ साफ संकेत दिया, तो आज बारी संघ प्रमुख मोहन भागवत की है। खबर है कि आज का एजेंडा केंद्र सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करने का है। इसके अलावा यहां नरेंद्र मोदी पर भी मंथन की संभावना है। आज सुबह संघ प्रमुख मोहन भागवत महाकुंभ में पहुंच गए। इलाहाबाद में बुधवार के दिन बीजेपी ने राम मंदिर के नाम पर संतों का आशीर्वाद मांगने में बिताया, लंबी चर्चा हुई। राजनाथ सिंह और मोहन भागवत के धर्मसंसद में पहुंचने का एजेंडा अब आइने की तरह साफ है। पहले दिन आशीर्वाद मांगा और आज एजेंडा है हमलावर होने का। कांग्रेस को घेरने के लिए शिंदे के बयान का इस्तेमाल करने का मकसद यही है की कांग्रेस को पूरी तरह से संत-महात्मा विरोधी घोषित किया जा सके।महाकुंभ में इसके अलावा राम मंदिर पर पारित प्रस्ताव धर्मसंसद में रखा जाएगा। वीएचपी का दावा है कि आज खुले सत्र में तकरीबन 10 हजार साधु-संत अपनी राय रखेंगे। गौ हत्या के खिलाफ और गंगा की शुद्धि के लिए प्रस्ताव भी रखा जाएगा। इसके अलावा जो प्रस्ताव बुधवार को पास किए गए उसे भी संत समाज के सामने रखा जाएगा। बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि 2014 के लिए राम मंदिर अर्से बाद फिर से उनके अहम एजेंडे में है।

इसी बीच,गुजरात में साल 2002 में हुए गुलबर्गा सोसाइटी दंगा केस में सीएम नरेंद्र मोदी को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को जकिया जाफरी को दस्तावेज सौंपने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी की बाकी रिपोर्ट भी जकिया जाफरी को दी जाए। जकिया ने मांग की थी कि निचली अदालत में विरोध अर्जी के लिए उन्हें पूरी रिपोर्ट दी जाए।दस्तावेज मिलने के बाद जकिया निचली अदालत में अपना पक्ष रख पाएंगी। दस्तावेज मिलने के बाद जकिया 8 सप्ताह में निचली अदालत में याचिका दायर कर दलीलें पेश सकती हैं। कोर्ट के इस आदेश को नरेंद्र मोदी के लिए झटका माना जा रहा है। माना जा रहा है कि निचली अदालत में एसआईटी की पूरी रिपोर्ट पेश होने के बाद मोदी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

बतौर नक्सली ब्रांडेड आदिवासी बहुल दंडकारण्य में विकास के लिए सड़के बनाने की घोषणा के साथ स्वास्थ्य सेवा विदेशी एजंसियों के हवाले कर दी गयी है, जिसकी आड़ में सीआईए और मोसाद जैसी खुफिया एजंसियां आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी।केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं न उपलब्ध होने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि राज्यों की ओर से स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराया जाना संवैधानिक दायित्व है, लेकिन विदेशी एजेंसियां स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही हैं। रमेश ने कहा कि वह इस मसले को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने उठाएंगे।रमेश ने पिछले 12 महीने के दौरान हाल ही में बीजापुर जिले का दूसरी बार दौरा किया था। उन्होंने पाया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ या हड्डी के डॉक्टर पूरे जिले में नहीं हैं। रमेश नियमित रूप से इंटीग्रेटेड ऐक्शन प्लान (आईएपी) वाले जिलों का दौरा कर रहे हैं, जिससे वे नक्सल प्रभावित इलाकों में हो रहे काम के बारे में जमीनी हकीकत जान सकें। अब तक वह 82 आईएपी जिलों में से 41 का दौरा कर चुके हैं। मंत्री यह हकीकत जानकर कमोबेश नाराज नजर आए कि ऐसे कठिन इलाकों में रेडक्रॉस और मेडिसिन सैंस फ्रंटियर एमएसएफ नाम की दो विदेशी एजेंसियां स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही हैं। जिले में स्वास्थ्य सेवा का कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत मिल रही सेवाएं अपर्याप्त हैं। यहां मलेरिया आपदा की तरह है और संवेदनशील इलाकों में जमीनी हकीक त बहुत बुरी है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए रमेश ने कहा, 'हमने पहले ही यह मुद्दा राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सामने उठाया है और मैं इसे प्रधानमंत्री के संज्ञान में भी लाऊंगा।'छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक इन माओवाद प्रभावित इलाकों में सरकार के लिए स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना चुनौतीपूर्ण काम है, क्योंकि वहां पर स्वास्थ्य कर्मी जाना नहीं चाहते। ऐसे में प्रतिष्ठित एनजीओ यहां स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर वे पूरक का काम कर रहे हैं। इस मसले पर बिजनेस स्टैंडर्ड ने राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह मसला पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा जा चुका है और अब यह गृह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह इस मसले पर नीतिगत फैसला करे।

Pravin Togadia

जयपुर साहित्य सम्मेलन में पिछड़ों-दलितों के भ्रष्टाचार पर टिप्पणी कर फंसे साहित्यकार आशीष नंदी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है।नंदी ने सौ साल से बंगाल मेंपिछड़ों और अनुसूचितों को सत्ता में भागेदारी न मिलने से वहां भ्रष्टाचार सबसे कम बताया। फर बहस इस बुनियादी मुद्दे पर नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार व छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। इन राज्यों में आशीष नंदी के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।आशीष नंदी ने अदालत से अपने खिलाफ चार शहरों में दर्ज मामलों को खत्म करने की मांग की है। नंदी के खिलाफ जयपुर, जोधपुर, नासिक और पटना में एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। नंदी चाहते थे कि उनकी गिरफ्तारी पर फौरन रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने नंदी की जल्द सुनवाई की अर्जी पहले ही स्वीकार कर ली। नंदी के वकील अमन लेखी के मुताबिक आप बयान से सहमत या असहमत हो सकते हैं, लेकिन किसी को थाने में नहीं घसीट सकते।कोर्ट ने नंदी को राहत देने के साथ-साथ उनके बयान पर कड़ा ऐतराज भी जताया है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये नहीं है कि आप कुछ भी कह दें। आप की मंशा चाहे जो भी हो आप इस तरह का बयान नहीं दे सकते।मालूम हो कि आशीष नंदी ने पहले ही अपनी सफाई में कहा था कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। वो दरअसल दलितों के हित की बात कर रहे थे, लेकिन उसे दलित विरोधी समझ लिया गया। नंदी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट की जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, उसमें उन्हें दस साल तक की सज़ा हो सकती है।

खास गौरतलब है कि आम चुनाव से पहले संप्रग सरकार के आखिरी बजट की तैयारियों में जुटे वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ऐसे कई सुधारों को लेकर चिंतित होंगे जिनके अमल की चाबी राज्यों के पास है। चाहे वह वैट को बदल देश में जीएसटी लागू करने का सवाल हो या फिर मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ या महंगाई को काबू करने वाले मंडी कानून में बदलाव के प्रस्ताव। इन सभी आर्थिक सुधारों पर बिना राज्यों की सहमति के आगे बढ़ना बेमानी है। वित्त मंत्री को अपने बजट में आर्थिक सुधारों का खाका तैयार करते वक्त राज्यों के साथ उलझी इस गुत्थी से जूझना होगा।

मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को केंद्र सरकार भले ही मंजूरी दे चुकी है लेकिन देश के कई बड़े राज्य इसे लागू करने के हक में नहीं हैं। सरकार ने इसके विरोध को देखते हुए ही राज्यों को इसे लागू करने या न करने का अधिकार नीति के तहत दिया है। मगर अब यह जाहिर हो गया है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के राजी हुए बिना देश में बड़ी मल्टीब्रांड कंपनियों को लाना संभव नहीं होगा।

इससे भी खराब हालत वस्तु व सेवा कर [जीएसटी] को लेकर है। वैट को बदल सभी अप्रत्यक्ष करों के स्थान पर पूरे देश में जीएसटी को अप्रैल 2010 से लागू होना था। मगर बिक्री कर के मुआवजे के भुगतान से लेकर टैक्स की दरों पर राज्यों से सहमति नहीं बनने की वजह से अभी तक इस पर अमल की स्थिति नहीं बन सकी है। हालांकि, वित्त मंत्री ने नए सिरे से राज्यों के साथ बातचीत शुरू की है और इसके संकेत भी अच्छे दिख रहे हैं। इसके बावजूद अप्रैल 2013 से इसे लागू कर पाने की स्थिति में सरकार नहीं है।

पिछले डेढ़ साल से महंगाई केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ा मुद्दा रही है। आर्थिक विकास की रफ्तार को धीमा करने में महंगाई एक बड़ी वजह रही है। बावजूद इसके केंद्र राज्यों को मंडी कानून में बदलाव के लिए नहीं मना पाया है। इससे खाद्य उत्पादों समेत तमाम आवश्यक वस्तुओं की पूरे देश में एक समान आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। ऐसे सभी मुद्दों पर राज्यों का आरोप है कि केंद्र उनकी सहमति तो चाहता है लेकिन विकास के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में हमेशा राज्यों के साथ भेदभाव बरतता है। चुनावी साल का बजट होने के नाते वित्त मंत्री को इन सब मुद्दों पर ध्यान देना होगा। साथ ही सुधारों पर राज्यों की सहमति के लिए एक संतुलित नजरिया अपनाना होगा।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5 फीसदी रह जाने का अनुमान जताया है, जो पिछले एक दशक में सबसे निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर 6.2 फीसदी रही थी। विनिर्माण, कृषि और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने वृद्धि दर का अनुमान वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से भी कम कर दिया है। मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में पिछले महीने रिजर्व बैंक ने 5.5 फीसदी वृद्घि दर का अनुमान लगाया था। मध्यावधि समीक्षा में सरकार ने भी वृद्धि दर 5.7 से 5.9 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान जताया था। पूरे वित्त वर्ष के लिए 5 फीसदी वृद्धि दर का सीधा मतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि और सुस्त हो गई। अप्रैल से दिसंबर 2012 के बीच इसकी रफ्तार 5.4 फीसदी रही थी। यस बैंक के विश्लेषकों ने दूसरी छमाही में 4.6 फीसदी आर्थिक वृद्घि का अनुमान जताया है जबकि रॉयटर्स को वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 4.8 फीसदी वृद्घि का अनुमान है। अग्रिम अनुमान में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की वृद्धि दर घटाकर 1.3 फीसदी कर दी गई है, जो 2011-12 में 3.6 फीसदी थी। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी 1.9 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि अंतिम आंकड़े शुरुआती अनुमान से बेहतर होंगे। वित्त मंत्रालय ने कहा, 'स्थिति पर हमारी नजर है। अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार लाने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं और आगे भी उठाएंगे।' डेलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री अनीश चक्रवर्ती ने कहा, 'वृद्घि दर का अनुमान घटाया गया है क्योंकि सुधारों के बाद जितने विकास की उम्मीद थी, उतना नहीं दिखा है।'

राजकोषीय स्थिति सुदृढ़ करने का मकसद ध्यान में रखते हुए सरकार शायद 2013-14 के बजट में प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को हटाने का निर्णय नहीं करेगी। हालांकि शेयर बाजार के विकास के लिए लंबे समय से एसटीटी हटाने की मांग की जा रही है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्षस्थ सूत्र ने बताया कि सरकार द्वारा इस बार के बजट में एसटीटी हटाने की गुंजाइश कम ही है। हालांकि उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति एसटीटी हटाने के अनुकूल नहीं है लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को करना है। 2013-14 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 फीसदी तक रखने की बात कही गई है। लेकिन जीडीपी की नरम विकास दर और अगले वर्ष लोकसभा चुनावों को देखते हुए अतिरिक्त राजस्व के उपाय करने के लिए सरकार के हाथ बंधे हुए हैं। ऐसी स्थिति में 8,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व देने वाले एसटीटी को हटाना उचित नहीं होगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तर्ज पर सरकार ने चालू वित्त वर्ष में नकद डिलिवरी वाले सौदों पर एसटीटी दर 0.125 फीसदी से घटाकर 0.1 फीसदी कर दी है। बाजार में सुस्ती के कारण अप्रैल-दिसंबर के दौरान एसटीटी संग्र्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 12.46 फीसदी घटकर 3,294 करोड़ रुपये रहा। पिछले दो माह से बाजार में तेजी को देखते हुए राजस्व विभाग एसटीटी संग्रह में सुधार की उम्मीद कर रहा है। एसटीटी को पहली बार 2004-05 में लगाया गया था।

दूसरी ओर,केंद्र सरकार के प्रेशर के बाद, 'हेट स्पीच' देने के मामले में विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया पर केस दर्ज कर लिया गया है। तोगड़िया के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और 505 के तहत महाराष्ट्र में मामला दर्ज हुआ है।तोगड़िया ने भड़काऊ भाषण महाराष्ट्र के नांदेड में एक सभा के दौरान दिया था। तोगड़िया ने यह हेट स्पीच मजलिस-ए-एत्तेहादुल के विधायक अकबरुद्दीन को केंद्र में रख कर दी थी। ओवैसी ने कुछ दिन पहले जो हेट स्पीच दी थी, उसी के जवाब में तोगड़िया ने कई दंगों का बखान करते हुए कहा था, 'एक ने कहा कि पुलिस हटा लो, मैंने कहा 20 साल में जब-जब पुलिस हटी है, तब का देश का इतिहास देख ले।' तोगड़िया ने अपने भाषण से इस आरोप को में पुष्ट करने का काम किया है कि दंगों के दौरान पुलिस निष्क्रिय रहती है।यू-ट्यूब पर तोगड़िया के भाषण का यह विडियो खूब चल रहा है। इसमें तोगड़िया अकबरुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना उन्हें कुत्ता भी करार दे रहे हैं। ओवैसी ने हैदराबाद के पास निर्मल में पिछले साल भड़काऊ भाषण दिया था।गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा था कि वह इस बात की जांच करे कि क्या तोगड़िया पर लगे आरोप सही हैं। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो उन पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इस बात की जांच करे कि क्या तोगड़िया ने किसी खास समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच दी थी।

२०१४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व और विकास के गठबंधन के सहारे सत्ता में आने की कोशिश करेगी। इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा कि हिंदू आस्था से जुड़े मुद्दों से पार्टी दूर होती न दिखे। बुधवार को कुंभ नगर में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराकर व दिल्ली में नरेंद्र मोदी ने विकास का एजेंडा दिखाकर इसका संकेत दे दिया है। विहिप के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में साधु संतों ने अयोध्या मंदिर निर्माण का आह्वान किया और इसके लिए प्रस्ताव पारित किया तो राजनाथ ने भी कहा कि भाजपा भी यही चाहती है।नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार प्रोजेक्ट किया जाना अंदरखाने तय है। ऎसे में पार्टी पर गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी पर लगे सांप्रदायिकता के धब्बों को ढांपने के लिए कवायदें तेज हुई हैं। नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच भारत के बहुसंख्य युवावर्ग को अपने पक्ष में करने की जद्दोजहद शुरू हो चुकी हैं। भाजपा-आरएसएस-विहिप तीनों मिलकर अलग-अलग भाषा में जनता को यकीन दिलाने में लग गए हैं कि राम मंदिर बनाएंगे, विकास की गंगा बहाएंगे और गुजरात दंगों का कहीं जिक्र नहीं आने देंगे। गुजरात राज्य के विधानसभा चुनावों में मिली सफलता को संघ परिवार एक मॉडल की तरह देख रहा है और उसे लगता है कि इसका 2014 के आम चुनाव में लाभ मिल सकता है। हम घटनाक्रम पर नजर डालें तो इसे संयोग नहीं कहा जा सकता कि जिस दिन महाकुंभ में संगम तीरे भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह संघ परिवार के बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संकल्प जता रहे थे उसी दिन दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नरेंद्र मोदी अपने सुशासन और विकास के मॉडल की पैकेजिंग पेश कर रहे थे। ये दोनों घटनाएं भाजपा के अंतर्विरोधों के साथ उसकी भावी रणनीति का हिस्सा हैं।

यह सभी जानते हैं कि एक समय भाजपा को हिंदुत्व के मुद्दे ने ही सत्ता नसीब करवाई थी लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री तभी बने जब पार्टी ने राम मंदिर निर्माण,समान आचार संहिता लागू करने और कश्मीर में अनुच्छेद-370 की समाçप्त जैसे अहम मुद्दों को दरकिनार रखा। अब देखने वाली बात ये भी है कि पिछले 25-30 साल में भारत आगे निकल चुका है। आज करीब 50 फीसदी मतदाता युवा हैं,उद्यमशील लोग मंदिर-मस्जिद के फेर में नहीं पडने वाले हैं। युवाओं को हिंदुत्व जैसे भावनात्मक मुद्दे के बजाय विकास के सपने दिखाकर लुभाया जा सकता है।

विडियो में तोगड़िया कह रहे हैं, 'मु्स्लिम वोट बैंक के आधार पर देश में लूट मची है। तभी तो कुत्ता अपने आप को शेर समझने लगता है। एक हैदराबाद में कुत्ता है, वह अपने आप को शेर समझने लगा। एक ने कहा, पुलिस हटा लो, मैंने कहा 20 साल में जब-जब पुलिस हटी है, तब का देश का इतिहास देख ले। अगर तुझे पता नहीं है, तो आईने में इतिहास दिखा दूं।' वीएचपी नेता ने पिछले 20-25 सालों में हुए दंगों का हवाला देते हुए कहा कि हमें चुनौती न दें।

तोगड़िया ने आगे कहा, 'एक बार असम में पुलिस हट गई। उस स्थान का नाम है नेड़ी। अरे मेरे भाइयो, फिर क्या हुआ… लाशों का ढेर लग गया था… गिनी तो 3 हजार लाशें गई थीं… उनमें हिंदू की लाश एक भी नहीं थी.. अरे मेरे भाइयो ऐसा 20 साल पहले बिहार के भागलपुर में हुआ… फिर तो क्या हुआ… भागलपुर के नजदीक गंगा बहती है… गंगा में लाशें ही लाशें दिखाई देने लगीं… गिन नहीं पाए.. सागर तक बह गईं। उनमें एक भी लाश हिंदू की नहीं थी।'

तोगड़िया यहीं नहीं रुके। उन्होंने गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए कहा, 'ऐसा ही यूपी के मेरठ, मुरादाबाद में हुआ… अरे गुजरात में पुलिस खड़ी थी, देखो क्या हुआ। इसलिए पुलिस को हटा दो कहने वाले सपने भूल जाओ।'

तोगड़िया ने आक्रामक शैली में दंगों का जिक्र करते हुए कहा, 'जिनके पुरखों की रक्त शिराओं में शौर्य का लहू बह रहा था, उनके ही वंशज आज हिन्दू के नाते खड़े हैं। जो कायर थे, डरपोक थे, वे ही हमारे धर्म में नहीं हैं। जिनको हल्दी घाटी खेलना था, जिनको सरहिंद के किले की दीवार में गुरु गोविंद सिंह का पुत्र बनकर मरना था, जिनको पानीपत का मैदान अपने रक्त से भरना था, उनके वंशज आज हिन्दू के नाते धरती पर जिंदा हैं। कायर हमारा साथ छोड़कर चले गए। तुम क्या हमें चुनौती दोगे। हिन्दू धर्म कोई कायरों का धर्म नहीं है, वह अपने हाथ में तलवार धारण करने वाली मां भवानी का धर्म है।'

(एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास। स्‍वतंत्र पत्रकार। इतिहास और सामाजिक आंदोलनों में रुचि। ब्‍लॉग लिखते हैं और मुंबई में रहते हैं। उनसे xcalliber_steve_biswas@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है।)

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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk