Sunday, March 25, 2012
सोना है तो क्या, सोने के किस्से में अब रोना ही रोना! गुड़ी पाड़वा का त्योहार फीका रहा। बाकी त्योहारों का क्या होगा?
सोना है तो क्या, सोने के किस्से में अब रोना ही रोना! गुड़ी पाड़वा का त्योहार फीका रहा। बाकी त्योहारों का क्या होगा?
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भारत आने वाले किसी भी मल्टी नेशनल कंपनी के विदेशी कारिंदे को पहली सीख यह दी जाती है कि वह सांस्कृतिक सदमे की स्थिति किसी हाल में पैदा न करें। मार्केटिंग रणनीति , ब्रांडिंग और विज्ञापनों में भी पुरअसर मसाला झोंकने के बावजूद इसका ख्याल रखा जाता है। पर अपनी
बाजीगरी से राजनीतिक मजबूरियों से बुरीतरह जूझ रहे प्रणव बाबू भारतीय जनता को सांस्कृतिक झटका देने से बाज नहीं आये। वे भूल गये सौना के सवाल पर लवउदारवादी युग शुरू होने से पहले एक बार केंद्रीय सरकार का पतन हो चुका है। मामला महज स्वर्ण उद्योग का नहीं है, यह तो आम जनता की भावनाओं और आस्था का सवाल भी है। महाराष्ट्र में गुड़ी पाड़वा का त्योहार इस वजह से फेल हो गये, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के आयातित अर्थशास्त्री और योजनाकार गहराई में पैठते इस हादसे के असर का अंदाजा ही नहीं लगा सकते। अभी तो बारह महाने तेरह पर्व वाले इस देश में लगातार स्वर्ण हड़ताल के असर से सरकार बिल्कुल बेखबर ही नहीं पूरीतरह लापरवाह है। देशभर के ज्वैलर्स आठ दिन से हड़ताल कर रहे हैं। बजट में सोने पर ड्यूटी बढ़ने के विरोध के चलते गुड़ी पाड़वा का त्योहार फीका रहा। सेनसेक्स अर्थ व्यवस्था को चंगा करने के लिए आर्थिक सुधारों का चाहे जो हश्र हो, यूपीए सरकार के वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी और उनके आर्थिक रणनीतिकार सोने की मांग घटाने का हर संभव उपाय कर रहे हैं। बजट में आबकारी शुल्क भड़ाने के खिलाफ हड़ताल का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ कि घर में पड़े सोने के बदले कर्ज लेकर आपातकालीन राहत का बंदोबस्त भी खत्म कर दिया गया। सोने के प्रति आम भारतीयों के मोह को वित्तमंत्री सांस्कृतिक विरासत मानने से इंकार कर रहे हैं और वित्त मंत्रालय सोने की लालच खत्म करने पर तुला हुआ है। दूसरी तरफ बजट में एक्साइज लगाने के ऐलान को लेकर ज्वेलर्स ने फिर से हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। सोने-चांदी के कारोबारियों अनिश्चित काल के लिए दुकानें बंद रखने का ऐलान किया है। शुक्रवार के दिन दुकाने बंद रहने से महाराष्ट्र में व्यापारियों को करीब 750 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बुलियन कारोबारियों के साथ जेम्स एंड ज्वेलरी फेडरेशन ने भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है।बुधवार को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ मुलाकात करने के बाद जेम्स एंड ज्वेलरी फेडरेशन ने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया था। सोने के अनब्रैंडेड गहनों पर एक्साइज लगाने के विरोध में लगातार हड़ताल चल रही है।हड़ताल की वजह से न सिर्फ दुकानदार, बल्कि दुकानें बंद रहने से नववर्ष के दिन सोना खरीदने निकले ग्राहकों को परेशानी हुई।चाहे कारोबारी, कारीगर और ग्राहकों को दिक्कत हो रही हो, लेकिन ज्वेलर्स का कहना है कि सोने पर ड्यूटी वापस लिए जाने तक हड़ताल खत्म नहीं होगी।बजट में आयातित सोने पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया, जबकि सोने की खरीद के तीस फीसदी पर एक फीसदी सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा दो लाख की खरीद पर टीडीएस काटने का प्रावधान किया गया है। इसके विपरीत केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सोने के अन-ब्रांडेड गहनों पर एक्साइज ड्यूटी लगने से कीमत पर असर बेहद कम होगा क्योंकि इसमें 70 फीसदी का एबेटमेंट है। यह ड्यूटी भी सिर्फ गहनों के निर्माताओं को ही देना होगा। छोटे सुनार और विक्रेताओं को उत्पाद शुल्क के दायरे से बाहर रखा गया है।
लुधियाना में केंद्रीय बजट में लगी सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के खिलाफ आंदोलन आठवें दिन सराफा कारोबारियों ने अपने तेवर आक्रामक कर लिए। कारोबारियों ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को पोस्टर पर कालिख पोती और एक्साइज ड्यूटी वापस लेने की मांग को लेकर जाम लगाया। ज्वैलर्स ने आक्रामक तेवरों के साथ फव्वारा चौक में विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस पर तुर्रा यह कि भारतीय रिजर्व बैंक के नए दिशा निर्देशों के तहत सोने के बदले कर्ज देने पर लगाई गई सख्ती के चलते इस क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में गुरूवार को 14 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी।आरबीआई द्वारा बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक यह फैसला किया गया है कि एनबीएफसी अपना लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) अनुपात बरकरार रखेंगे। यह अनुपात गोल्ड ज्वैलरी के एवज में दिए गए लोन के 60 फीसदी हिस्से से ज्यादा नहीं होगा गुरुवार को घरेलू शेयर बाजार में गोल्ड के बदले लोन देने वाली सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिर गए।
आम लोगों का सोना के बिना काम नहीं चलता।महिलाएं कोई खरीददारी करें या न करें, ज्वेलरी शाप जरूर जाती हैं। महिलाओं की सबसे ज्यादा भीड़ वहीं नजर आती हैं। रस्मो रिवाज, रिश्तेदारी नातेदारी निभाने में भाव चाहे कितना ही हो,सोना तो खरीदना अनिवार्य हो जाता है। हर मां यहां बेटी के दहेज के लिए उसके जनम से सोना इकट्ठा करती है।इसीलिए तो एक ओर सोने की कीमतें आसमान छूती जा रही हैं, तो दूसरी ओर इसकी मांग में कोई कमी नहीं आई है। महंगाई का रोना रोकर भले ही कभी-कभार सोने की खरीदारी न हो, पर शादी के मौके पर ऐसा कोई बहाना चल ही नहीं पाता है। किसी भी भारतीय दुल्हन का पूरा लुक सोने के गहनों के बिना पूरा ही नहीं माना जाता है। यह न सिर्फ स्टाइल के लिए होता है, बल्कि सोना शुभता का प्रतीक भी है। अब दुल्हनें सोने के अलावा प्लैटिनम, चांदी, डायमंड और व्हाइट गोल्ड की बनी ज्वेलरी भी पहनने लगी हैं। वक्त के साथ ब्राइडल ज्वेलरी के स्टाइल, कट आदि में बदलाव तो आया है, पर ज्वेलरी मूल रूप से पहले जैसी ही है।नवरात्र शुरू हो गए हैं। इन दिनों में सोने के गहने खरीदना शुभ माना जाता है। ब्याह-शादियों के लिए सोने की खरीदारी शुभ दिनों में ही ठीक मानी जाती है। सोने को शुभता का प्रतीक कहा जाता है, और यही वजह है कि सोना महंगा होने के बावजूद सबका पसंदीदा होता है। पहेली यह कि इस पर प्रणव अंकुश कैसे लगायेंगे?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोने के बदले कर्ज देने के नियम सख्त कर दिए हैं। पिछले कुछ साल में ऐसे कर्ज तेजी से बढ़े हैं। रिजर्व बैंक का मानना है कि इससे बैंकिंग सिस्टम में रिस्क बढ़ रहा है। इसलिए उसने यह कदम उठाया है।नए नियम के मुताबिक, अब सोने के बदले कर्ज बांटने वाली कंपनियों को कोर कैपिटल यानी 12 फीसदी टियर-1 कैपिटल रखना होगा। उन्हें गोल्ड वैल्यू के 60 फीसदी से ज्यादा लोन देने की इजाजत भी नहीं होगी। अभी नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कैपिटल एडीक्वेसी रेशियो 15 फीसदी तय किया गया है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने इन कंपनियों के लिए पहले अलग से टियर-1 और टियर-2 कैपिटल रेशियो का निर्देश नहीं दिया था। सेंट्रल बैंक ने अब कहा है कि जिन एनबीएफसी के एसेट्स में आधी से ज्यादा हिस्सेदारी गोल्ड लोन की है, उन्हें 12 फीसदी टियर-1 कैपिटल रखना चाहिए।
गोल्ड लोन कंपनियों को सोने की कुल वैल्यू के 60 फीसदी से ज्यादा लोन देने की अनुमति नहीं होगी। अभी ये कंपनियां 20-50 फीसदी तक का मार्जिन रखती हैं और कुल वैल्यू के 70 फीसदी तक लोन देती हैं। सोने के बदले लोन के कारोबार में शामिल कंपनियां निम्न आय वर्ग के परिवारों के सोने को गिरवी रखकर उन्हें शॉट-टर्म लोन देती हैं। इस इंडस्ट्री का एवरेज लोन साइज 50,000 रुपए से 1 लाख रुपए तक है। केंद्रीय बैंक ने सोने के बदले लोन के बिजनेस मॉडल से बढ़ते जोखिम पर गहरी चिंता जताई है।
बैंक का मानना है कि सोने की कीमत घटने पर लोन देने वाली कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स पहले से ही इस तरह की आशंका जता रहे थे। आखिरकार, आरबीआई ने गोल्ड लोन बिजनेस से जुड़े रिस्क को देखते नियमों को कड़ा करने का फैसला किया।नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों को भी अब कुल लोन में गोल्ड लोन की हिस्सेदारी का खुलासा करना पड़ेगा। आरबीआई का मानना है कि इससे उनके ऐसेट्स की कहीं ज्यादा बेहतर तस्वीर सामने आएगी। इसके अलावा, गोल्ड लोन कंपनियों को प्राइमरी गोल्ड और गोल्ड कॉइन के बदले लोन देने की अनुमति नहीं होगी।
इस मौद्रिक कवायद का नतीजा आम कारोबारी और ुपबोक्ता पर बोझ लदने के सिवाय क्या हो सकता है, इस पर कयास ही लगाये जा सकते हैं। गोरतलब है कि सोने की बढ़ती कीमतों ने कल्पना को भी मात दे दी है।वर्ष 1970 में 180 रुपए प्रति 10 ग्राम बिकने वाला सोना वर्ष 1980 में 1350 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया, उसके बाद सोने की कीमतें लगातार बढ़ती गईं और वर्ष 2008 के आते-आते यह 10 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई तक पहुंच गया। जनवरी 2011 में ही सोने की कीमत 17 हजार रुपए का आंकड़ा पार कर गई और इस वर्ष के अंत तक 29 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के ऊंचे आंकड़े को छू गई। संकट के समय में भी सोना न बेचने वाले भारतीय परिवार अब सुरक्षित सम्पत्ति के बतौर सोने में बढ़-चढ़ कर निवेश करने लगे हैं। इस समय उन्होंने अपने घरों में आभूषणों के रूप में लगभग 18000 करोड़ रुपए का सोना जमा कर रखा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1996 से 2010 के बीच भारत ने 82,88,000 किलो सोना आयात किया है। इस सोने की मौजूदा कीमत लगभग 23 हजार करोड़ रुपए है जो सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे से दोगुना है। देश में सोने की केवल 3 खदानें हैं जिसमें देश की कुल जरूरत का सिर्फ 0.5 टन ही सोना निकलता है। उल्लेखनीय है कि दुनिया में सबसे अधिक सोना साऊथ अफ्रीका में निकलता है लेकिन भारत के लिए सोना आयात का सबसे बड़ा सोर्स स्विट्जरलैंड है।
प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012-13 का बजट पेश करते हुए सोने के अनब्रांडेड गहनों पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने की घोषणा की थी। इसके खिलाफ देश भर के कारोबारी हड़ताल पर चले गए हैं। इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया।चार फीसदी कस्टम डयूटी जैम्स एंड ज्वैलरी उद्योग के लिए काफी अधिक है। सरकार ने यह कदम सोने का आयात हतोत्साहित करने के लिए उठाया है।बड़े पैमाने पर निवेशक सोने में पैसा लगा रहे हैं।इस वजह से सोने का आयात बढ़ गया और इसके जरिये विदेशी मुद्रा का खर्च भी ज्यादा हो गया है।हालांकि कर प्रावधानों से घरेलू बाजार में गहनों की कीमतों में 8 से 10 फीसदी का इजाफा होगा। जिसका प्रभाव सीधे तौर पर मांग पर पड़ेगा। इससे इस वर्ष सोने का आयात कम हो सकता है। कच्चे तेल के बाद मूल्य के लिहाज से भारत में सबसे अधिक आयात होने वाला उत्पाद है।
इस बीच सोने की बढ़ती कीमतों से ना सिर्फ इसमें निवेश करने वाले लोगों को मुनाफा हो रहा है बल्कि इससे सरकारी खजाने को भी फायदा पहुंच रहा है। आलम है कि पिछले दो साल में सरकार के पास मौजूद सोने का मूल्य 1,00,000 करोड़ रुपये बढ़ गया है। सोने की कीमतों में जोरदार उछाल तथा नवंबर, 2009 में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से की गई 200 टन सोने की खरीद ने सरकार को मालामाल कर दिया है। आईएमएफ से खरीदे गए सोने का दाम ही 30,000 करोड़ रुपये बढ़ चुका है। जिस समय सरकार ने यह खरीद की थी, उस वक्त सोना 15,000 रुपये प्रति दस ग्राम पर था। आज सोने के भाव लगभग दोगुने हो चुके हैं।ताजा आंकड़ों के मुताबिक रिजर्व बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर रखा गया सोना, इस समय 557.7 टन पर पहुंच चुका है। रिजर्व बैंक के अनुसार केंद्रीय बैंक के पास रखे गए सोने का मूल्य नवंबर, 2009 में 50,718 करोड़ रुपए था, जो आज की तारीख में इस सोने की कीमत 1,60,000 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है।
सरकार ने सोने के आयात पर शुल्क निर्धारण के लिए आधार मूल्य घटा कर 530 डालर प्रति 10 ग्राम कर दिया जो इससे पहले 573 डालर प्रति 10 ग्राम था। चांदी के संबंध में शुल्क संबंधी मूल्य 1,036 डालर प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है। सरकार इन महंगी धातुओं के आयात पर शुल्क की गणना के लिए आधार मूल्य हर पखवाड़े जारी करती है। इससे व्यवसायियों को आयातित माल की दर को बिल में कम दिखाने में कोई फायदा नहीं होता और इसके जरिए सोने के आयात को हतोत्साहित भी किया जाता है ताकि भुगतान संतुलन पर दबाव कम किया जा सके।
इस साल के शुरुआत में सरकार ने सोना और चांदी पर शुल्क के ढांचे में परिवर्तन किया था और इसे प्रति इकाई [मात्र] की बजाय मूल्य आधारित कर दिया है जिससे ये धातुएं और महंगी हो गई। पहले सोने पर प्रति 10 ग्राम 300 रुपये का शुल्क लगता था जिसे मूल्यानुसार 2 प्रतिशत कर दिया गया। इसी तरह चांदी पर 1,500 प्रति किलो का आयात शुल्क मूल्यानुसार छह प्रतिशत है। बजट 2012-13 में सोना स्टैंडर्ड पर आयात शुल्क 2 से बढ़ा कर चार प्रतिशत तथा गैर स्टैंडर्ड सोने पर शुल्क 5 से 10 प्रतिशत कर दिया गया है। भारत विश्व सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और 2011 में 967 टन सोने का आयात हुआ।
आम बजट में ज्वैलरी कारोबार पर दोहरी मार पड़ी है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोने के आयात पर शुल्क दोगुना कर दिया है। इसके अलावा कीमती धातुओं की नॉन ब्रांडेड ज्वैलरी पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने की भी घोषणा की गई है। हालांकि ब्रांडेड सिल्वर ज्वैलरी को उत्पाद शुल्क के दायरे से बाहर रखा गया है।बजट में 99.5 फीसदी से ज्यादा शुद्धता वाले स्टेंडर्ड सोने की बार और सिक्कों के आयात पर शुल्क दो फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी तय किया गया है। 99.5 फीसदी तक के नॉन-स्टेंडर्ड सोने पर आयात शुल्क पांच फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। वित्त मंत्री के अनुसार नॉन ब्रांडेड ज्वैलरी (कीमती धातुओं) पर भी एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगेगा। अभी तक ब्रांडेड ज्वैलरी पर ही उत्पाद शुल्क लग रहा था।
केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में बताया गया है कि गहने की कुल कीमत पर एक फीसदी के बराबर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी बल्कि जो भी ट्रांजेक्शन वैल्यू (इन्वॉइस वैल्यू) होगी, उस पर 70 फीसदी का एबेटमेंट मिल जाएगा। इस तरह सिर्फ 30 फीसदी वैल्यू पर ही एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगेगा।
यही नहीं, यदि कोई ग्राहक पुराना सोना देकर नया गहना बनवाता है तो टैक्स की गणना करते वक्त पुराने सोने का मूल्य घटा दिया जाएगा। इसे वर्तमान कीमत पर जोड़ कर देखें तो यदि सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 27,000 रुपये है और कोई 10 ग्राम का गहना खरीदता है तो एबेटमेंट काटकर सिर्फ 8,100 रुपये पर उत्पाद शुल्क (एक फीसदी यानि उपकर मिलाकर 84 रुपये) लगेगा और गहने की कीमत इतनी ही बढ़ेगी।
अधिकतर गहने छोटे कारीगरों या सुनारों से जॉब वर्क पर बनवाए जाते हैं। इसलिए जॉब वर्क करने वालों को ड्यूटी न तो देना पड़ेगा और न ही उन्हें एक्साइज विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा। जो कारोबारी इन कारीगरों से गहने बनवाएगा, उसे ही ड्यूटी चुकानी होगी। स्मॉल स्केल कारोबारियों को छूट भी मिलेगी।
स्मॉल स्केल कारोबारी उन्हें माना जाएगा, जिनका पिछले साल का कारोबार चार करोड़ से ज्यादा नहीं रहा हो। ऐसे कारोबारी को वित्त वर्ष के दौरान डेढ़ करोड़ रुपये की बिक्री पर शत प्रतिशत की छूट मिलेगी। यदि प्रति 10 ग्राम 27,000 रुपये के मूल्य को आधार मानें तो जिस कारोबारी ने पिछले साल 49 किलो तक सोने के गहने बेचे, तो उन्हें वित्त वर्ष के शुरू में बिके 18.5 किलोग्राम सोने के गहने बेचने पर कोई ड्यूटी नहीं देनी होगी।
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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
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By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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