From: nawal kumar <nawal.buildindia@gmail.com>
Date: 2011/10/30
Subject: छठ के नामपर नीतीश की राजनीति
To: cmbihar-bih <cmbihar-bih@nic.in>
respected sir,
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अपना बिहार |
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Development News |
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Political News |
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Business |
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Entrepreneur |
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Educational News |
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Youth |
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Women's World |
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Job |
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Literature |
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Art & Culture |
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
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खबरें बिहार के सतत विकास की |
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क्या राष्ट्रपति के रुप में राजेंद्र बाबू ने तोड़ी थी पद की मर्यादा? |
बिहार में अपराध |
अपना बिहार और राज्य में प्रकाशित विभिन्न अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार कल दिनांक29 अक्टूबर 2011 को घटित घटनाओं की संख्या
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
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नवल की पांच कवितायें (1) ठुंठे पेड़ के शिखर पर, एक नया पीपल उग आया है, पेड़ का ठुंठापन अब दूर हो गया है, अखबारों ने ऐसा दावा किया है, पेड़ की शिकायत है कि, उसकी जड़ें अब उखड़ने लगी हैं। (2) गांव में दो मन्दिर है, एक में लोग पूजा करते हैं, दूसरे का इस्तेमाल बच्चे करते हैं, लोगों का मन्दिर भव्य है, आकर्षक है, भारी चढावा भी जमा होता है, बच्चों का मंदिर बदहाल है, सुना है वहां, निर्जीव मूर्दे नहीं रहते। (3) बीच सड़क कपड़ा बदलने, अर्द्धनग्न हो स्नान करने, सार्वजनिक रुप से हमबिस्तर होने वाली, गरीब महिलायें अधिक इज्जतदार हैं, उन महिलाओं से, जो अट्टालिकाओं में, रोज अपना पार्टनर बदलती हैं। (4) मरते समय उसने कहा था, वह जिन्दगी का मुख चूमना चाहता है, जिन्दगी उसके पास आयी, लेकिन दरवाजे से ही लौट गई, क्योंकि, मरने वाले ने पहले ही मूंह फ़ेर लिया था। (5) इक्कीसवीं सदी के कुरुक्षेत्र में, सारथि बने पार्थ, महान धनुर्धर कृष्ण को, धर्मयुद्ध की शिक्षा दे रहे हैं, कृष्ण लाचार, पार्थ भी लाचार, गीता भी अब असरकारक नहीं रही, सुना है, अब लड़ाई के मायने बदल गये हैं। अस्तित्व के लिये तरस रहा सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय जमुई (अपना बिहार, 23 अक्टूबर 2011) – एक साल पहले बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने उग्रवाद प्रभावित जमुई जिले में सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय की स्थापना की। सरकार की मुहिम यह थी कि इसे नेतरहाट और नवोदय के रुप में स्थापित किया जाये। लेकिन अपनी स्थापना के एक साल के बाद भी कथित तौर पर हाइटेक आवासीय विद्यालय उपेक्षित है। इसकी उपेक्षा इसलिये भी उल्लेखनीय है कि इस स्कूल में गरीबों के बच्चे नहीं पढते। इस स्कूल में पढने वाले अधिकांश बच्चे नौकरशाहों की संतान हैं। स्कूल की उपेक्षा की बात करें तो स्कूल द्वारा एक साल पूरा होने पर एक स्मारिका का प्रकाशन किया गया है। इस स्मारिका के संपादकीय में स्कूल के प्रिंसिपल डा शंकर कुमार ने स्कूल की बदहाली का जिक्र किया है। इन्होंने अपने संपादकीय में लिखा है कि अभी तक सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल किराये के मकान में चल रहा है और स्कूल कैंपस के निर्माण के लिये कोई कोशिश शुरु नहीं की गई है। इन्होंने इसका जिक्र भी किया है कि स्कूल के सभी शिक्षक प्राइवेट स्कूलों के जैसे अनुबंध पर बहाल किये गये हैं, जिनका मानदेय भी सम्मानजन्क नहीं है। एक साल पूरा होने के बावजूद भी अभी तक शिक्षकों की सेवा शर्तों का निर्धारण नहीं किया गया है। हालांकि डा शंकर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त किया है कि तमाम प्रतिकुलताओं के बावजूद स्कूल के शिक्षकों की लगन के बूते बच्चों ने एक मिसाल पेश किया है। बताते चलें कि स्कूल में प्रत्येक वर्ष 60 लड़कों और 60 लड़कियों का चयन कर उन्हें निशुल्क स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराया जाना है। स्कूल में आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण दूसरे वर्ष में बच्चों का प्रवेश नहीं लिया जा रहा है। वैसे खास बात यह है कि स्कूल के पास अपना कोई वाहन भी नहीं है जो आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को अस्पताल भी ले जा सके। बहरहाल, खास खबर यह है कि सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल के नाम पर 7 करोड़ रुपये की लूट हो चुकी है। इस संबंध में एक मामला सीएजी की रिपोर्ट में भी उल्लेखित है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस लूट की जांच करवाने का साहस करेगी। मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा के नाम पर होने वाले इस लूट में स्कूल प्रबंधन से लेकर मुख्यमंत्री तक शामिल हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल में पढ रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा? बेखौफ़ अपराधियों का दुस्साहस, पुलिसकर्मियों पर हमला, रिवाल्वर छीनने की कोशिश पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – राजधानी पटना के फ़ुलवारीशरीफ़ इलाके में बेखौफ़ अपराधियों ने पुलिसकर्मियों पर ही हमला बोल दिया और एक पुलिसकर्मी से रिवाल्वर छीनने की कोशिश की। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की रात फ़ुलवारी शरीफ़ पेठिया बाजार के कुछ नवयुवक प्रतिमा का विसर्जन करने एक जुलूस के रुप में जा रहे थे। युवकों ने शराब पी रखा था। इस बीच पुलिस ने उन्हें जल्दी से जुलूस निकालने को कहा। इस पर युवक भड़क गये और उन्होंने पुलिस टीम पर ही हमला बोल दिया। मारपीट के क्रम में लफ़ंगों ने एक आरक्षी अजीत कुमार से रिवाल्वर छीनने की कोशिश की। इस घटना में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया।
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विकास का एक और प्रमाण। एक महिला खिलाड़ी हैं कृति। कृति ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स में अपने जौहर दिखाये और फ़िर उसने 31 पदक भी कमाये। लेकिन वह पैसे नहीं कमा सकी। कृति शेखपुरा जिले की रहने वाली है। जब उसने एशियाई खेलों में पदक जीता था तो पूरा सूबा गौरवान्वित हुआ था। लेकिन जब उसके पिता की मौत हुई तब किसी ने उसके आंसू नहीं पोछे। उस समय इनाम में मिले पैसे से कृति ने अपने पिता का अंतिम संस्कार कराया था। read more >> |
निष्पक्षता हमारी पहचान |
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विशेष रिपोर्ट – आईटी दे सकता है डेढ लाख युवाओं को रोजगार |
सूबे में आईटी के क्षेत्र में असीम संभावनायें निहित हैं। संभावना यह भी है कि यदि इस दिशा में अपेक्षित निवेश हुआ तब सूबे के डेढ लाख युवाओं को रोजगार मिल सकेगा और सूबे के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 0-6 फ़ीसदी से बढकर कर कम से कम 8 फ़ीसदी हो जायेगी। आगे पढें |
इतना आसान नहीं है कशमीर समस्या का हल
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राष्ट्रीय मुद्दा पर विशेष |
संपादकीय – विकास का यह कैसा मानदंड ? |
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील और "टीम अन्ना" के सदस्य प्रशांत भूषण पर 12 अक्टूबर 2011 को हुए नितांत निंदनीय हमले ने कई प्रश्नों को जन्म दिया है। हमले के तुरंत बाद,शिवसेना जैसे "अति राष्ट्रवादी" संगठनों ने हमलावरों को बधाई दी। इससे एक बार फिर यह साफ हो गया है कि हमारे समाज में कुछ मुद्दों को read more>>> |
अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भाग लेने दोहा जायेंगे गणितज्ञ आनंद पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – वर्ल्ड इनोवेशन समित फ़ार एजुकेशन नामक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भाग लेने दोहा जायेंगे सुपर 30 के संचालक सह प्राख्यात गणितज्ञ आनंद। मिली जानकारी के अनुसार आनंद इस अवसर पर शिक्षा को और बेहतर एवं जनोपयोगी बनाने के संबंध में अपनी राय रखेंगे। इस सम्मेलन में 120 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। |
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